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Written oral work mathematics

लिखित और मौखिक कार्य का परिचय (Introduction to Written oral work mathematics),गणित में लिखित और मौखिक कार्य का परिचय (Introduction to Written and oral work in mathematics):

  • लिखित और मौखिक कार्य (Written oral work mathematics),गणित में लिखित और मौखिक कार्य (Written and oral work in mathematics):गणित में लिखित और मौखिक कार्य दोनों महत्त्वपूर्ण है।मौखिक और लिखित कार्य दोनों से ही विद्यार्थी में पूर्णता आती है।अधिकांश छात्र-छात्राएं कमजोर होने का कारण है कि वे गणित में मौखिक कार्य नहीं करते हैं। इसके परिणामस्वरूप छात्र-छात्राएं बिना कागज पेन के गणित का कार्य करने में असमर्थ हैं।
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लिखित और मौखिक कार्य (Written oral work mathematics),गणित में लिखित और मौखिक कार्य (Written and oral work in mathematics):

  • (1.)गणित के प्रश्नों को हल करने में मौखिक और लिखित कार्य एक दूसरे के विरोधी नहीं है बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं।

  • (2.)गणित के प्रश्नों को बिना पैन व कागज के हल करना मौखिक कार्य होता है तथा पैन व कागज पर प्रश्नों को हल करना लिखित कार्य होता है।
  • (3.)आधुनिक युग में ज्यों ज्यों विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है त्यों त्यों मौखिक कार्य न के बराबर कराया जाता है अर्थात् मौखिक कार्य का अभ्यास नहीं कराया जाता है। लिखित रूप से कराए गए कार्य को यदि मौखिक रूप से पूछा जाता है तो विद्यार्थी या तो उत्तर ही नहीं देता या बताने में बहुत अधिक समय लेता है।
  • (4.)यह आवश्यक रूप से समझा जाना चाहिए कि जिस प्रकार लिखित कार्य गणित का आवश्यक अंग है उसी प्रकार मौखिक कार्य भी गणित का आवश्यक अंग है। आधुनिक गणित में मौखिक गणित को कोई स्थान नहीं दिया गया है। मौखिक गणित से विद्यार्थियों का मानसिक व बौद्धिक विकास होता है।
  • (5.)मौखिक गणित से पाठ की पुनरावृति होती है तो लिखित कार्य से विचार स्पष्ट होते हैं तथा तार्किक क्षमता बढ़ती है।
  • (6.)मौखिक गणित से समय की बचत होती है तो कठिन व जटिल समस्याओं को लिखित गणित द्वारा ही समझा जा सकता है।
  • (7.)दैनिक जीवन में मौखिक गणित का उपयोग होता है तो लिखित गणित के आधार पर कक्षा में विद्यार्थी का स्तर ज्ञात होता है।
  • (8.)मौखिक कार्य करने से मस्तिष्क की प्रश्नों के हल करने की क्षमता बढ़ती है तो लिखित कार्य से मस्तिष्क में कार्य स्थायी होता है।
  • (9.)मौखिक गणित से जब हम प्रश्नों को हल नहीं कर पाते हैं तो लिखित कार्य के द्वारा उसका हल आसानी से कर पाते हैं।
  • (10.)हालांकि मौखिक कार्य लिखित कार्य में सहायक नहीं है परन्तु उसका पूरक अवश्य है। विद्यार्थियों की बौद्धिक, तार्किक क्षमता बढ़ाने एवं विद्वान बनाने में दोनों की आवश्यकता होती है।
  • (11.)लिखित कार्य का चयन आजकल स्कूलों में व्यावसायिक रूप लेता जा रहा है। यह प्राथमिक स्तर तक तो ठीक है परन्तु माध्यमिक एवं उच्च कक्षाओं में उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है।
  • (12.)आधुनिक गणित में लिखित कार्य बहुत अधिक करवाया जाता है जबकि मौखिक कार्य की ओर शिक्षकों, शिक्षा संस्थानों के संचालकों एवं अभिभावकों का कोई ध्यान नहीं जाता है फलस्वरूप विद्यार्थी आगे जाकर पिछड़ जाता है। वस्तुतः अध्ययन के लिए लिखित एवं मौखिक दोनों ही आवश्यक है।
  • (13.)चित्र, माॅडल, ग्राफ इत्यादि बनाना लिखित कार्य के द्वारा ही किया जा सकता है मौखिक कार्य के द्वारा सम्भव नहीं है परन्तु छोटी-छोटी गणनाएं गुणा, भाग, जोड़, बाकी, वर्गमूल, घनमूल जैसे कार्य मौखिक कार्य द्वारा ही किया जा सकता है। इसी प्रकार के अनेक कार्य मौखिक कार्य द्वारा ही सम्भव है।
  • (14.)गणित में लिखित कार्य का ही सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है परन्तु लिखित तथा मौखिक दोनों की ही सीमित उपयोगिता है। 
  • उपर्युक्त आर्टिकल में लिखित और मौखिक कार्य (Written oral work mathematics),गणित में लिखित और मौखिक कार्य (Written and oral work in mathematics) के बारे में बताया गया है।
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