Why Do Affluent Youth Become Criminals?
1.संपन्न युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Affluent Youth Become Criminals?),पढ़े-लिखे युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Literate Youths Become Criminals?):
- संपन्न युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Affluent Youth Become Criminals?) वैसे तो इसके कई कारण होते हैं मसलन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव,उपभोक्तावादी संस्कृति,बालकों की परवरिश किस माहौल में हुई है,पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव,परंपरागत रटाऊ शिक्षा आदि कई ऐसे कारण हैं जिनसे युवक-युवतियाँ अपराध जगत की ओर कदम बढ़ाते हैं।इसके अलावा टीवी,सिनेमा,इंटरनेट पर परोशी जाने वाली हिंसात्मक,आपराधिक कृत्यों की सामग्री आग में घी का काम करती है।
- इसका अर्थ यह नहीं है कि अपराध करने की प्रवृत्ति खालिस सेक्स और हिंसात्मक दृश्यों,फिल्मों से ही होता है और साफ-सुथरे दृश्यों,फिल्मों,धारावाहिकों,नाटकों से नहीं होता है।इसके लिए कुछ टीवी सीरियलों पर नजर डाल लेना आवश्यक है।
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2.इंडियाज मोस्ट वांटेड का कुप्रभाव (Ill effects of India’s Most Wanted):
- दृश्य एक:यह सही है की रील (फिल्मों) के जीवन से वास्तविक जीवन भी प्रभावित होता है लेकिन कुप्रभाव खालिस सेक्स और हिंसा की फिल्मों के अलावा साफ-सुथरे धारावाहिकों,सीरियल से भी गुमराह हुआ जा सकता है।हुबली में दस वर्षीय वर्षा कुलकर्णी और उसकी सहेली अस्मा लत्तापन्निवार ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल छिड़कर आग इस उम्मीद में लगा ली कि टीवी सीरियल का चरित्र ‘शक्तिमान’ उन्हें बचाने आ जाएगा।
- दृश्य दो:बिना मेहनत किए रातोंरात धनाढ्य बनने की ललक में डिग्रीधारी युवक भी अपराधी बन रहे हैं।अपहरण के मामले में 19 मार्च 1999 को गिरफ्तार किए गए मैकेनिकल इंजीनियर संजीव सिंहा और पंकज सती से इसका खुलासा होता है।आपराधिक प्रवृत्ति के-इन दोनों युवकों ने अपने साथी राहुल शुक्ला की मदद से नैनी (इलाहाबाद) कृषि संस्थान कॉलेज के छात्र मयंक सिंह का 11 मार्च को बहुत ही सुयोजित तरीके से अपहरण किया।लेकिन पुलिस (स्पेशल टास्क फोर्स) की सक्रियता ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
- धन के लोभ ने संजीव सिंहा और पंकज सती को अंधा बना दिया था तभी तो उन्होंने अपने भाई समान मित्र मयंक का अपहरण कर उसके पिता से फिरौती के लिए 50 लख रुपए की मांग रखी।एक हफ्ते तक वे मयंक को अपने कब्जे में रखे रहे।तीनों अभियुक्त इतने शातिर थे कि वे मयंक के घरवालों के साथ उसकी खोज का दिखावा भी करते रहे।
- पंकज सती बताता है कि मयंक के अपहरण की योजना उसके मन में जी टीवी पर प्रसारित होने वाली धारावाहिक ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ को देखकर पनपी थी।मयंक के पिता भूगर्भ जल विभाग में वैज्ञानिक थे।लखनऊ की इंदिरा नगर कॉलोनी में उनका आलीशान मकान है।इसलिए संजीव सिंहा,राहुल शुक्ला और पंकज सती ने मयंक को चुना।
- अपहर्ता पंकज सती और संजीव सिंहा के लखनऊ में चार कारखाने भी हैं।इनके नाम हरिकेश एयरोमैटिक्स,दुर्गा केमिकल,लखनऊ कंप्यूटर सेंटर तथा आरटी कंसलटेंट तथा मार्केटिंग नामक चार फर्में हैं।राहुल शुक्ला ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता था।मयंक को बेहोशी में रखने वाला क्लोरोफॉर्म दरअसल इन्हीं की एक फैक्ट्री में ही बनता था।
- मयंक के अपहरण में मुख्य भूमिका अदा करने वाले संजीव सिंहा का परिवार लखनऊ के धनाढ्यों में गिना जाता था।उसके पिता रामगोविंद सिंह अवकाश प्राप्त इंजीनियर है।इन दिनों (अपहरण के समय) यह लखनऊ स्थित गोमती नगर में ‘अन्नपूर्णा होटल एंड रेस्टोरेंट’ चलाते हैं।संजीव की अपनी चार कंपनियों के साथ-साथ भवन निर्माण का कारोबार भी है।संजीव ने इलाहाबाद के ठठेरों बाजार में एक बिजनेस काम्पलेक्स तैयार करवाया था,किंतु उसमें दुकान पूरी तरह नहीं बिक पाने के कारण वह आर्थिक तंगी झेल रहा था।इलाहाबाद में ही स्टैनली रोड पर उसने अपहरण में शामिल अपने साथी पंकज सती के साझे में एक जमीन का सौदा किया था,जिसमें यह निश्चित हुआ था कि कांप्लेक्स निर्माण संजीव व पंकज करवाएंगे और भू-स्वामी व बिल्डिंग कांट्रेक्टर साझे में दुकानों का सौदा करेंगे।किंतु पंकज को अपने व्यवसाय में घाटा व संजीव की पहले से आर्थिक तंगी उसमें आड़े आ रही थी।इस दौरान दोनों ने अपने एक अन्य साथी इंदिरा नगर निवासी (लखनऊ) राहुल शुक्ला से संपर्क साधा।राहुल ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में लगा हुआ था और उसके अपने दो टैंकर भी थे।किंतु उसने भी अपनी आर्थिक तंगी का वास्ता देकर असमर्थता जाहिर की।
- अंततः संजीव ने मयंक सिंह के अपहरण की आसान योजना अपने साथियों को सुझायी।उसने आश्वस्त किया कि मयंक का परिवार काफी सीधा है और उसके पास धन की भी कोई कमी नहीं है।इसलिए आसानी से 50-60 लाख की रकम मिल जाएगी और पुलिस को भनक भी नहीं लगेगी।
- जहाँ राहुल और संजीव के पिता अवकाश प्राप्त अभियंता है,वहीं इंदिरा नगर निवासी पंकज सती के पिता रवीन्द्रचन्द्र सती कानपुर की एक प्रतिष्ठित कंपनी के महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
- दृश्य तीन:अभी हाल ही में हुबली धारवाड़ नगर निगम के पार्षद और कांग्रेस नेता हिरेमथ की बेटी नेहा हिरेमथ (23 वर्ष) की 18 अप्रैल 2024 को धारवाड़ के बीवीबी काॅलेज परिसर में हत्या कर दी गई थी।नेहा,मास्टर आफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन की प्रथम वर्ष की छात्रा थी और आरोपी फैयाज उसका पुराना सहपाठी था।फैयाज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
- दृश्य चार:26,अप्रैल 2024 रामनगरिया (जयपुर) इलाके से मूलतः रागगढ़ पचवारा (दौसा) हाल निवास प्रताप नगर सेक्टर 6 (जयपुर) के पंकज शर्मा को बीटेक इंजीनियरिंग के छः छात्रों मुहाना स्थित सुमेर नगर निवासी चन्द्र सैनी (20),तिजारा स्थित दिपांशु यादव (21),बहरोड़ निवासी ओमवीर पोसवाल (21),नितेश रावत (23),उत्तरप्रदेश के मेरठ निवासी अजत मलिक (21) व हरियाणा रेवाड़ी निवासी अमित कुमार सिंह (21) ने अपहरण कर लिया।पुलिस ने छहों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।आरोपी छात्र शहर के तीन अलग-अलग काॅलेजों में पढ़ते हैं और मौज-मस्ती के लिए वारदात करते हैं।
3.इंडिया मोस्ट वांटेड सीरियल (India’s Most Wanted Serial):
- इंडिया मोस्ट वांटेड सीरियस सुहेब इलियासी और उनकी पत्नी मंजू इलियासी द्वारा तैयार किया गया सीरियल था।इसे ज़ी टीवी चैनल पर प्रसारित किया जाता था।ज़ी टीवी ने अपने कार्यक्रमों में जिस बात का सर्वाधिक ध्यान रखा,वह यह थी कि पारिवारिक धारावाहिकों में आधुनिकता हो,मनोरंजन हो और ग्लैमर हो।ज़ी टीवी के धारावाहिकों में खुलापन भी अधिक देखने को मिलता था।इंडियाज मोस्ट वांटेड धारावाहिक मूलतः सत्य घटनाओं और फरार अपराधियों पर आधारित धारावाहिक था।
- इंडियाज मोस्ट वांटेड की खासियत:पहली,यह सत्य घटनाओं पर आधारित था और यह तथ्य है कि भारतीय मानस सत्य घटनाओं के प्रति हमेशा से आकर्षित होता रहा है।यही वजह है कि हमारे देश में सत्य घटनाओं के नाम पर ढेरों पत्र-पत्रिकाएं और साहित्य बिकता है।लिहाजा,सत्य घटनाओं पर आधारित होने के कारण लोगों के जेहन में जहां यह बात रहती है कि वे सत्य घटनाओं को देख रहे हैं,वहीं वे स्वयं को समाचारों से जुड़ा हुआ भी महसूस करते हैं।
- खास बात यह थी कि सत्य घटनाओं पर आधारित होने के बावजूद ‘इंडियाज मोस्ट वांटेड’ समाचार कार्यक्रम नहीं था।इनमें अपराधियों द्वारा किए गए अपराधों का नाट्य रूपांतरण किया गया था।यानी,दर्शक सत्य घटनाओं पर आधारित इस कार्यक्रम में नाटक भी देख रहे थे।’नाटक’ देखने के अभ्यस्त हो चुके भारतीय दर्शक को इस नए किस्म के कार्यक्रम में सत्य घटना के साथ-साथ नाटक भी देखने को मिल रहा था।इससे उसकी स्वाभाविक इच्छा पूरी हो रही थी।
- तीसरा,अपराध रोमांस,उत्तेजना और सनसनी का विषय है।यह हमेशा ही लोगों को आकर्षित करता है।लेकिन इसके साथ-साथ मजेदार बात यह है कि आम आदमी अपराध को होते हुए नहीं देखता।वह किसी भी आपराधिक घटना के बारे में या तो अखबार में पढ़ता है या किसी से सुनता है।’इंडियाज मोस्ट वांटेड’ पहला ऐसा धारावाहिक था,जिसमें दर्शकों ने जस का तस अपराधों को होते हुए देखा।
- चौथी खास बात इस धारावाहिक की यह थी इसके माध्यम से लोग न केवल अपराधियों के चेहरे देख रहे थे बल्कि उन्हें पकड़वाकर अपनी सामाजिक भूमिका का भी निर्वाह कर रहे थे।
- इंडियाज मोस्ट वांटेड की लोकप्रियता के कारण:लोग फैमिली ड्रामा और फिल्मी कार्यक्रम देखकर ऊब चुके थे।जबकि उक्त कार्यक्रम हमारे समाज की सचाइयों को तो दिखाते ही थे,साथ ही इनमें ड्रामा पार्ट भी होता था।इसलिए लोग इस या इस तरह के कार्यक्रमों को पसंद आ रहे थे।लोग ‘अनरीयल’ चीजों को देख-देखकर ऊब चुके थे और इस तरह के कार्यक्रम में उन्हें सच्ची घटनाएं दिखाई पड़ती थी,जो होती भी है।
- दूसरा मुख्य कारण था आपराधिक घटनाओं का नाट्य रूपांतरण।इसके पीछे व्यक्ति की अपराध को होते देखने की इच्छा काम कर रही होती है।इसलिए इस तरह के धारावाहिकों को देखकर दर्शक रोमांच का अनुभव करता है और उसे लगता है कि उसके पास अचूक घटना का जिस पर धारावाहिक बना है ‘फर्स्ट हैंड’ अनुभव है।
- इसको पसंद किए जाने का एक अन्य कारण यह भी है कि आजकल समाज में चारों ओर अपराधों का बोलबाला है।इसलिए उन पर बनने वाले धारावाहिक जहाँ दर्शकों को उन अपराधों के प्रति सतर्क करते हैं वहीं उनकी सूचनाओं को भी पुख्ता करते हैं।इसलिए दर्शक इस तरह के कार्यक्रम पसंद करते हैं।
- लब्बेलुआब यह है कि इंडियाज मोस्ट वांटेड धारावाहिक का एक उद्देश्य यह भी था कि अपराधियों को पकड़वाने के लिए दर्शक प्रेरित हो और अपराधी पकड़े जाएं।परंतु इसी धारावाहिक से संपन्न व पढ़े-लिखे युवकों संजीव सिन्हा,पंकज सती व राहुल शुक्ला ने अपने साथी मयंक सिंह का अपहरण करने का तरीका सीखा।हालांकि इस सीरियल को देखकर अनेक लोगों ने कुछ अपराधियों को पकड़वाया भी।यानी धारावाहिक या किसी फिल्म से हम क्या सीख लेते हैं यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
4.युवाओं के अपराध की ओर अग्रसर होने के कारण (Reasons for youth turning to crime):
- आधुनिक शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है।छात्र-छात्राओं को जाॅब केंद्रित व भौतिक विषयों की शिक्षा तो दी जा रही है परंतु नैतिक,चारित्रिक व शारीरिक तथा आध्यात्मिक शिक्षा का समावेश नहीं है।जब तक शिक्षा के साथ संस्कार,चरित्र की शिक्षा नहीं दी जाती तब तक युवाओं को अपराध की ओर से मोड़ पाना बहुत मुश्किल है।
- प्राचीन भारतीय छात्र-छात्राएँ कर्मठ और विनम्र हुआ करते थे वहीं पाश्चात संस्कृति के प्रभाव से आज युवावर्ग उग्र और अहंकारी होते जा रहे हैं।इस प्रकार पाश्चात्य शिक्षा अर्जित,पाश्चात संस्कृति से प्रभावित छात्र-छात्राओं में गलत और सही में अन्तर करने की क्षमता नहीं होती है अथवा बहुत कम होती है।ऐसे छात्र-छात्राओं की पृष्ठभूमि आपराधिक नहीं हो अथवा पारिवारिक पृष्ठभूमि आपराधिक नहीं हो तो भी सही-गलत का निर्णय न कर पाने के कारण अपराध करने लगते हैं।अतः माता-पिता को केवल स्कूलों के भरोसे बच्चों को छोड़कर ही बेफिक्र नहीं हो जाना चाहिए।बल्कि स्वयं भी नैतिक व आध्यात्मिक आचरण का बर्ताव करते हुए बच्चों को भी शिक्षित करना चाहिए।
- बच्चों की परवरिश अगर गलत माहौल में हुई है।अर्थात् आस-पास का माहौल ऐसा है कि जहां अपराधी किस्म के बच्चे रहते हैं तो बच्चों को अपराधी बनाने में माहौल का भी फर्क पड़ता है।इसमें भी माता-पिता को अधिक सतर्क व सजग रहना चाहिए।बच्चों के मित्रों पर निगाह रखनी चाहिए।बच्चों के मित्र अपराधी,उद्दण्डी व लड़ाई-झगड़ा करने वाले ना हो इसका ध्यान रखना चाहिए।बच्चों को अध्ययन,अच्छी पुस्तकें पढ़ने तथा अच्छा संग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- उपभोक्तावादी संस्कृति भी बच्चों को अपराधी बनाने को उकसाती है।कंपनियाँ अपने उत्पादों की बिक्री के लिए उत्तेजक और लुभावने विज्ञापन का सहारा लेती है।लोगों में उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के लिए उपभोक्ता कंपनियां हर हथकंडे अपनाती है और लोगों में उत्पाद को खरीदने की ललक पैदा करती है।अतः प्रारंभ से ही स्वयं माता-पिता को सादगी से रहना चाहिए,तड़क-भड़कपूर्ण वेशभूषा,बनाव श्रृंगार से दूर रहना चाहिए।साथ ही बच्चों को भी सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- शिक्षा व्यवस्था,शिक्षा पद्धति में भी बदलाव की आवश्यकता है।बच्चों के पाठ्यक्रम में रटाऊ विद्या की जगह उनमें सृजनात्मकता के विकास पर बल देने वाली शिक्षा दी जानी चाहिए।थोड़ी-बहुत नैतिक,धार्मिक,आध्यात्मिक शिक्षा का भी समावेश होना चाहिए।जैसे नमक के बिना रोटी बेस्वाद लगती है और ज्यादा नमक हो तो रोटी खारी लगती है।इसी प्रकार नैतिक,आध्यात्मिक,चारित्रिक व वर्तमान में दी जारी भौतिक शिक्षा में आवश्यक संतुलन होना चाहिए।
- अच्छे शिक्षाप्रद व साफ-सुथरे सीरियल,धारावाहिक,नाटक और फिल्मों से बच्चे गुमराह इसलिए हो जाते हैं क्योंकि बच्चों के माता-पिता,बच्चों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं,उनकी बुनियाद स्वस्थ,शिक्षाप्रद ढंग से शुरू नहीं होती है।
- पाश्चात्य देशों से आयातित शिक्षा में पल रहे,बढ़ रहे बच्चे आर्थिक समृद्धि में जीवन व्यतीत करते हैं,मन बिगड़े लड़के नाम मात्र की भी हताशा,निराशा या ऐसा कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर पाते जो उनकी मर्जी के खिलाफ जाता है।यही कारण है ऐशोआराम में पले ये लड़के अप्रत्याशित तरीके से बर्ताव (अपराध) कर बैठते हैं।
- सरकारों को शिक्षा के साथ-साथ अपराध में प्रयोग किए जाने वाले चाकू,छुर्रो,बंदूक,पिस्टल आदि खतरनाक चीजों को खतरनाक हथियारों की सूची में डालकर बच्चों को इन्हें बेचे जाने पर रोक लगा देनी चाहिए।
- तात्पर्य यह है कि माता-पिता,सरकार और स्कूल प्रशासन को बच्चों को अपराध से विमुख करने के लिए जो भी आवश्यक तथा जरूरी कदम हो वे उठाने चाहिए।आज के बच्चे और किशोर देश के भविष्य होंगे।जैसे बच्चों को तैयार किया जाएगा वैसा ही राष्ट्र का निर्माण होगा।अपराधिक रुझान की समस्या से निपटने के और भी सुझाव हो सकते हैं,उन पर विचार करके लागू किया जाना चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में संपन्न युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Affluent Youth Become Criminals?),पढ़े-लिखे युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Literate Youths Become Criminals?) के बारे में बताया गया है।
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5.पिता और बेटे की करतूत (हास्य-व्यंग्य) (The Handiwork of Father and Son) (Humour-Satire):
- लाइब्रेरियन (छात्रा से):शर्म नहीं आती बिना पूछे लाइब्रेरी से पुस्तकें लेकर जाते हुए।कहां है तुम्हारे पिताजी अभी उनसे शिकायत करता हूं।
- छात्र:वह पास में ही पुस्तक मेले में मेरे लिए पुस्तक लेने गए हुए हैं।
6.संपन्न युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Frequently Asked Questions Related to Why Do Affluent Youth Become Criminals?),पढ़े-लिखे युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Literate Youths Become Criminals?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.किस प्रकार के बच्चों का अपराध करना चिंताजनक है? (What kind of children committing crimes is worrisome?):
उत्तर:आपराधिक घटना के पहले जो किशोर (बच्चे) अति सामान्य होते हैं और उनके पिछले जीवन पर कोई दाग-धब्बा नहीं होता है और न उन्हें अपने परिवार अथवा स्कूल में कोई व्यावहारिक समस्या थी,ऐसे बच्चों का अपराध करना चिंताजनक है।
प्रश्न:2.बच्चों में सृजनात्मक का विकास से क्या तात्पर्य है? (What do you mean by development of creativity in children?):
उत्तर:बच्चों में सृजनात्मक का विकास से तात्पर्य है बच्चों को पेड़-पौधों की देखभाल,पौधों को पानी देना,घर की सफाई,वस्त्र और कंप्यूटर पर डिजाइनिंग,प्रॉब्लम हल करना,छोटे भाई-बहनों को पढ़ाना,वाद्य यंत्रों का अभ्यास,बीमार माता-पिता अथवा दादा-दादी की देखभाल,कोई हाॅबी संगीत,भजन,नृत्य,खेल,लेख लिखना,कविता आदि में उनकी रुचि देखकर उसको विकसित करने का प्रयास करना।ये ऐसे कार्य हैं जिनमें संलग्न रहकर बच्चों की ऊर्जा का सदुपयोग किया जा सकता है।इन कार्यों में सफल होने पर उनकी प्रशंसा करें।
प्रश्न:3.बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति कब पनपती है? (When do violent tendencies develop in children?):
उत्तर:बढ़ती उम्र में किशोर लड़के-लड़कियां हों वे घातक हथियार बंदूक,पिस्टल,स्टेनगन,चाकू,छुर्रों,तलवार आदि को देखकर हिंसक प्रवृत्ति सक्रिय होने लगती है।कभी-कभी भाई-भाई,बहन-भाई के लड़ाई-झगड़े में भी उत्तेजित होकर वे इन हथियारों का उपयोग कर सकते हैं।इस प्रकार के घातक हथियार या तो होने ही नहीं चाहिए अथवा ये घातक हथियार उनकी पहुंच के अंदर नहीं होने चाहिए अन्यथा उनके खतरनाक परिणाम माता-पिता व परिवार के लोगों को भुगतने पड़ते हैं।बच्चों को सुधरने के पर्याप्त अवसर दें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा संपन्न युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Affluent Youth Become Criminals?),पढ़े-लिखे युवक अपराधी क्यों बनते हैं? (Why Do Literate Youths Become Criminals?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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