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What is The Importance of Drill in Mathematics?

1.गणित में अभ्यास का क्या महत्त्व है का परिचय (Introduction to What is The Importance of Drill in Mathematics?),गणित में अभ्यास क्या है का परिचय (Introduction to What is Practice in Mathematics?):

  • गणित में अभ्यास का क्या महत्त्व है (What is The Importance of Drill in Mathematics?)?गणित विषय की प्रकृति अन्य विषयों से हटकर है। अन्य विषयों को रटकर,याद करके परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकते हैं। गणित को अव्वल रटा नहीं जा सकता है यदि किसी की स्मरणशक्ति बहुत तीक्ष्ण है और रट भी लेता है तो इसको समझा नहीं जा सकता है। अन्य विषय थ्योरीटिकल विषय हैं जबकि गणित एक प्रैक्टिकल विषय है। इसलिए गणित विषय में अभ्यास की अधिक आवश्यकता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल अभ्यास से कोई भी विद्यार्थी गणित में पारंगत हो सकता है अथवा गणित में मजबूत पकड़ हो सकती है। अभ्यास के साथ-साथ चिन्तन-मनन, तर्कशक्ति और सृजनात्मकता की भी गणित में आवश्यकता है। इनके बिना गणित विषय का विशद और गहराई से ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता है। केवल अभ्यास से विद्यार्थी गणित में ऊबाऊ तथा थकान महसूस करते हैं।गणित अमूर्त विषय है इसलिए उच्च कक्षाओं में बालक-बालिकाओं की चिन्तन-मनन और तर्कशक्ति का विकास होना ही चाहिए।तभी गणित सरस और आनन्ददायक लगती है।
  • गणित विषय में अभ्यास को बोझ समझकर अथवा उथले मन से नहीं करना चाहिए वरना यह हमारे लिए लाभदायक नहीं हो सकता है और न ही विद्यार्थी इसमें अधिक अंक अर्जित कर सकते हैं। गणित को दिल और दिमाग से हल करना चाहिए।
    अभ्यास के बारे में कहा गया है कि “करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जावत ते सिल पर पड़त निशान। अर्थात् जिस प्रकार बार-बार अभ्यास से रस्सी से पत्थर कट जाता है, उस पर निशान पड़ जाते हैं वैसे गणित का बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है।
  • इसके अलावा अंग्रेजी में भी कहावत है कि “Try and Try you will succeed at last.”बार-बार प्रयत्न, अभ्यास और चिन्तन-मनन तथा तर्कशक्ति से गणित जैसे विषय में प्रखर और तेजस्वी हुआ जा सकता है। दरअसल गणित विषय में पारंगत होना के लिए प्रतिभा और अवसर के बजाय एकाग्रता और बार-बार प्रयत्न करने का अधिक फर्क पड़ता है।
  • इस वीडियो में बताया गया है कि बालक-बालिकाओं को गणित की प्रश्नावली के सवाल एक बार कराने के बार-बार अभ्यास करवाना चाहिए अर्थात् पुनरावृत्ति करवाते रहना चाहिए। जटिल से जटिल सवाल, समस्याएं और ज्यामिति की प्रमेय इत्यादि भी बार-बार अभ्यास से सरलता से समझ में आ जाती है। जो विषय जितना कठिन होता है उसके लिए उतनी ही कड़ी मेहनत तथा अभ्यास करने की आवश्यकता होती है।
  • बालक-बालिकाएं जो सामूहिक रूप से त्रुटियां करते हैं उनका सामूहिक रूप से सुधार करवाना चाहिए तथा व्यक्तिगत त्रुटियों को व्यक्तिगत रूप से सुधार करवाना चाहिए।

via https://youtu.be/_1FCMvGMRYI

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2.गणित में अभ्यास का क्या महत्त्व है? (What is The Importance of Drill in Mathematics?),गणित में अभ्यास क्या? (What is Practice in Mathematics?):

  • विद्यार्थियों को पाठ का सैद्धांतिक शिक्षण कराने के बाद अभ्यास करवाना चाहिए।अभ्यास का प्रारंभ कराने से पूर्व विद्यार्थियों की उस पाठ में रुचि जाग्रत की जानी चाहिए अन्यथा विद्यार्थी अभ्यास कार्य नहीं करेंगे।
  • अभ्यास देने में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अभ्यास सरल से कठिन की ओर हो।
  • अभ्यास हल कराते समय विद्यार्थी जो त्रुटियाँ करते हैं उनका तत्काल सुधार करवा देना चाहिए।
  • शिक्षक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि छात्र त्रुटि करते समय पहले स्वयं हल करने की चेष्टा करे।इसके लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • शिक्षक को इस कला को सीखना चाहिए कि बालकों की रुचि बनाए रखे।बिना रुचि के चाहे जितना अभ्यास दिया जाए,बालक सीख नहीं पाएगा।
  • बालकों को शुरू में जो बहुत आवश्यक निर्देश हों वे ही दिए जाने चाहिए (संक्षेप में)।यदि निर्देश बहुत अधिक दे दिए जाएंगे तो बालक अभ्यास को हल करने में ध्यान नहीं लगा पाएगा।
  • बालकों को एक बार पुस्तक हल करवाने के बाद उसकी पुनरावृत्ति भी करवा देना चाहिए जिससे जटिल विषयों को ठीक से समझ पाएगा।
  • शिक्षक को जटिल विषय पर बालकों को चिंतन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • कक्षा में भिन्न-भिन्न मानसिक स्तर के बालक होते हैं अतः उनके अनुरूप ही शिक्षण करवाया जाना चाहिए।
    यदि बालक त्रुटियां सुधारने में प्रगति नहीं कर रहा है तो शिक्षक को धैर्य रखना चाहिए।
  • बालक में त्रुटि संशोधन तब किया जाए जब बालक त्रुटि सुधार के लिए मानसिक रूप से तैयार हो।
  • बालक में त्रुटि उस समय ही ज्यादा प्रभावी होता है जब शिक्षक त्रुटि पकड़ने के पश्चात शीघ्र उसका सुधार करवा देता है।
  • निष्कर्ष (Conclusion):अभ्यास द्वारा विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को यह पता लग जाता है कि विद्यार्थी कहां-कहां,किस प्रकार की त्रुटि करता है तथा कहां पर उसको हल करने में कठिनाई आती है।त्रुटियों के कारण का पता लगाकर उसको तत्काल दूर करवाया जा सकता है।छात्रों को त्रुटियों से सावधान करने हेतु निर्देश दिया जा सकता है।अभ्यास देने से तत्काल त्रुटियों में सुधार करवाया जा सकता है।यथासम्भव त्रुटियों में सुधार विद्यार्थियों से ही करवाया जाना चाहिए।अभ्यास कराने से मंदबुद्धि बालक भी प्रखर बन सकता है।जैसे महामूर्ख कालिदास महाकवि कालिदास बन गए।मूर्ख बोपदेव ने संस्कृत के ग्रंथ की रचना की।इस प्रकार के ढेरो उदाहरण दिए जा सकते हैं।कहावत भी है कि ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,रसरी आवत जावत के सिल पर पड़त निशान’ अर्थात् अभ्यास के बल पर मूर्ख व्यक्ति सज्जन हो जाता है जैसे कि कुँए में से पानी,रस्सी से खींचने पर पत्थर पर निशान पड़ जाते हैं।अँग्रेजी में कहावत है कि “Try and try again you will succeed at last”
    श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा है कि “अभ्यासयोग चेतसा नान्यगामिना।परमं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्।। अर्थात् हे पार्थ!यह नियम है कि परमेश्वर (अपने अध्ययन रूपी कर्म) के ध्यान के अभ्यासरूप योग से युक्त,दूसरी ओर न जाने वाले चित्त से निरन्तर चिन्तन करता हुआ मनुष्य परम प्रकाशरूप दिव्य पुरुष अर्थात् अपनी एकाग्रता रूपी परमेश्वर को ही प्राप्त होता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में अभ्यास का क्या महत्त्व है? (What is The Importance of Drill in Mathematics?),गणित में अभ्यास क्या? (What is Practice in Mathematics?) के बारे में बताया गया है।
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