What is proud in Hindi
1.अहंकार क्या है? का परिचय (Introduction to What is proud in Hindi),अहंकार से कैसे मुक्त हों? (How to free from proud?):
- अहंकार क्या है? (What is proud in Hindi),अहंकार से कैसे मुक्त हों? (How to free from proud?):वाल्टेयर के अनुसार मनुष्य जितना छोटा होता है,उसका अहंकार उतना ही बड़ा होता है।धन-संपत्ति,पद प्रतिष्ठा,मान-सम्मान इत्यादि में मनुष्य कितना ही बड़ा हो परन्तु व्यक्ति में वास्तव में बड़प्पन तभी आ सकता है जबकि उसमें अहंकार नहीं हो अर्थात् विनम्र हो।अहंकारी व्यक्ति अपने आपको सही मानता है और हर जगह अपने कार्यों का ढिंढोरा पीटता रहता है।अहंकार के वशीभूत होकर वह अपने से छोटे-बड़े सभी का तिरस्कार तथा अपमान करता रहता है इसलिए अहंकारी व्यक्ति के पास कोई भी नहीं रहना चाहता है।
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2.अहंकार क्या है? (What is proud in Hindi),अहंकार से कैसे मुक्त हों? (How to free from proud?):
- किसी मनुष्य में कोई भी सद्गुण है तो यह गौरव की बात है तथा इसका उपयोग जनहित या परोपकार के लिए किया जाता है तो ओर भी अच्छी बात है।इस बात पर उसे अपने आप पर गर्व होना चाहिए परंतु जब इन गुणों का वर्णन दूसरों के सामने करता है यानी अपने मुंह से अपनी तारीफ करता है तो यह अहंकार को जन्म देता है।अहंकारी मनुष्य यह समझता है कि मेरे समान दुनिया में ओर कोई नहीं है और मनुष्य के पतन का कारण बन जाता है।अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुर्गुण है।मनुष्य को अपनी संपत्ति,जाति,विद्या तथा सद्गुण पर अहंकार अर्थात् घमंड नहीं करना चाहिए अर्थात् लोगों पर यह छाप डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि वह किसी ऊँची जाति का है,धनवान है,रूपवान है या विद्वान है।संसार में एक से बढ़कर एक है।
- जो मनुष्य झुककर चलता है इसका अर्थ है कि उसमें विनम्रता है और वह मनुष्य ऊँचाई पर चढ़ता जाता है।अहंकार देवता को भी राक्षस बना देता है।
- प्राचीन काल के इतिहास का अध्ययन करें हम पाते हैं कि जिसने भी अहंकार किया है वह नष्ट हो गया है।जैसे रावण,कंस,दुर्योधन इत्यादि।
- अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।जो मनुष्य यह समझता है कि उसके समान कोई नहीं है यदि वह संसार का अवलोकन करें तो पाएगा कि संसार में एक से बढ़कर एक है।अतः अहंकार को त्यागना चाहिए जिससे हम बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं।अहंकार बुद्धि का नाश कर देता है।जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो मनुष्य सही और गलत का निर्णय नहीं कर पाता है।
- अहंकारी मनुष्य के पास विद्या और ज्ञान का दुरुपयोग ही होता है।वह अपनी विद्या और ज्ञान का उपयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने में ही करता है।मनुष्य में अहंकार तब भी पैदा हो जाता है जब उसे बिना मेहनत के सब कुछ मिल जाता है।ऐसे मनुष्य का अहंकार ओर ज्यादा बढ़ जाता है।अहंकार से हवा में बिना पंख के ही उड़ने लगता है।अहंकार से मनुष्य का अंततः नाश हो जाता है।अहंकार हमारे अंदर कब प्रवेश कर जाता है यह पता ही नहीं चलता है अतः इससे सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है।जीवन में वही सफलता स्थायी होती है जिससे मनुष्य में अहंकार उत्पन्न नहीं होता है।
- अहंकार से मुक्त तभी रहा जा सकता है जब मनुष्य यह सोचे कि जो भी कुछ मुझे उपलब्ध है यश,कीर्ति,सम्पत्ति,धन,दौलत,सफलता इत्यादि परमात्मा के सहयोग से मिली है तथा उसकी कृपा से ही मिलती है।दूसरा कारण यह कि किसी भी कार्य का कर्त्ता केवल मनुष्य नहीं है।वह यह ठीक से समझ ले।क्योंकि साधारणतः हम कोई कर्म करते हैं तो कर्म के होने में पांच कारण होते हैंःशरीर,कर्त्ता,इन्द्रियाँ,प्रयत्न (चेष्टा) और भगवद्शक्ति।
- देह (शरीर),कर्म के होने का पहला कारण है।शरीर के कारण ही कोई मनुष्य किसी वस्तु को प्राप्त करता है।
- कर्म का होने का दूसरा कारण कर्त्ता अर्थात् चेतन शक्ति।मुर्दा आदमी कोई भी कर्म नहीं कर सकता है जब तक कि उसमें चेतना न हो। चेतन शक्ति के कारण ही मनुष्य यह निर्णय करता है कि उसे कौनसा कर्म करना चाहिए तथा कौनसा नहीं जिससे उसे सुख मिले।जब तक मनुष्य को अनुकूल कर्म का ज्ञान न हो तो मनुष्य कोई कर्म नहीं कर सकता है।
- तीसरा इन्द्रियाँ आंख,नाक,कान,जिव्हा,त्वचा इत्यादि के बिना किसी कर्म को नहीं कर सकते हैं।अपनी कर्मेन्द्रियों हाथ,पैर,मुख,गुदा,लिंग के द्वारा कोई कार्य करते हैं।
- कर्म करने का चौथा कारण है प्रयत्न (चेष्टा),प्रयास।यदि शरीर और इन्द्रियों के होते हुए भी हम प्रयास ही न करें तो कोई भी कार्य नहीं हो सकता है।
- पांचवा कारण है भगवद्शक्ति।प्रत्येक इंद्रिय के पीछे उस देवता की शक्ति है।जैसे सूंघने के पीछे वायु देवता कारण है।देखने के लिए सूर्य देवता कारण है।इस प्रकार किसी कार्य को करने के पीछे 5 कारण होते हैं।इन 5 में से केवल एक अपने आपको ही कर्त्ता मान लेना अहंकार है।यदि मनुष्य ठीक से इस बात को समझ ले और विवेक व बुद्धि से कर्म करें तो अहंकार से मुक्त हो सकता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में अहंकार क्या है? (What is proud in Hindi),अहंकार से कैसे मुक्त हों? (How to free from proud?) के बारे में बताया गया है।
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