What is politeness?
1.विनम्रता क्या है? का परिचय (Introduction to What is politeness?),विनम्र व्यक्ति कौन है? (Who is polite person?):
- विनम्रता क्या है? (What is politeness?),विनम्र व्यक्ति कौन है? (Who is polite person?):पेन के अनुसार विनय के साथ विवेक दूने प्रकाश से चमकता है।योग्य और नम्र मनुष्य किसी राज्य के समान बहुमूल्य रत्न है।वस्तुतः विनय के बिना व्यक्ति में अन्य गुण शोभा नहीं पाते हैं। विद्या का प्राप्त करना तभी सार्थक होता है जब विद्यार्थी में विनम्रता आती है।
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2.विनम्रता क्या है? (What is politeness?),विनम्र व्यक्ति कौन है? (Who is polite person?):
- चंदन का वृक्ष काटा हुआ भी गंध को नहीं छोड़ता,गजेंद्र वृद्ध होने पर भी क्रीडा नहीं छोड़ता,ईख कोल्हू में देने पर भी मिठास नहीं छोड़ती।कुलीन पुरुष क्षीण हो जाने पर भी अपने शील गुणों को नहीं छोड़ता।
- जिनका मन विद्या के विलास में तत्पर रहता है जो शील-स्वभावयुक्त है,सत्य ही जिनका व्रत है,जो अभिमान से रहित हैं जो दूसरों के दोषों को भी दूर करने वाले हैं,संसार के दुखों का नाश करना जिनका भूषण है-इस प्रकार जो परोपकार के कार्य में ही लगे रहते हैं,उन मनुष्यों को धन्य है।
- चाहे सूर्य पूर्व को छोड़कर पश्चिम दिशा की ओर उदय हो,चाहे सुमेरु पर्वत अपने स्थान से टल जाए,चाहे आग शीतलता को धारण कर ले और चाहे पर्वत की शिलाओं में कमल फूलने लगे पर सज्जनों का वचन नहीं बदल सकता।
- जो सदैव प्रसन्न वदन रहते हैं जिनका ह्रदय दया से पूर्ण है,जिनकी वाणी में अमृत टपकता है,जो नित्य परोपकार किया करते हैं-ऐसे मनुष्य किसको वंदनीय नहीं है।
- चाहे अभी मेरा राज्य चला जाए अथवा ऊपर से तलवारों की धारें बरसे,मेरा सिर अभी काल के हवाले हो जाए परंतु मेरी मति धर्म से न पलटे।
- कान शास्त्रों के सुनने से शोभा पाते हैं,कुंडल पहने से नहीं।हाथ दान से सुशोभित होते हैं कंकण से नहीं।दयाशील पुरुषों के शरीर की शोभा परोपकार से है,चंदन से नहीं।
- विपत्ति में धैर्य,ऐश्वर्य में क्षमा,सभा में वाक चातुरी,युद्ध में वीरता,यश में प्रीति,विद्या में व्यसन – यह बातें महात्माओं में स्वाभाविक ही होती है।
- कर से सुंदर दान देते हैं,सिर से बड़ों के चरणों में गिरते हैं,मुख से सत्य वाणी बोलते हैं,अतुल बलशाली भुजाओं से संग्राम में विजय प्राप्त करते हैं,हृदय में शुद्ध वृत्ति रखते हैं,कानों से पवित्र शास्त्र सुनते हैं-बिना किसी ऐश्वर्य के भी महापुरुषों के यही आभूषण है।
- जिनका मन विषयों में फंसा हुआ है,उनसे वन में रहने पर भी दोष होते हैं,पांचों इंद्रियों का निग्रह करने से घर में भी तप हो सकता है।जो लोग सत्कार्यों में प्रवृत्त रहते हैं और विषयों से मन को हटा चुके हैं उनके लिए घर ही तपोवन है।
- धैर्य जिनका पिता है,क्षमा माता है,शांति स्त्री है,सत्य पुत्र है,दया बहन है,ज्ञानामृत भोजन है-इस प्रकार जिनके सब कुटुंबी मौजूद हैं उन योगियों को अब और किस बात की आवश्यकता रह गई।
- जिस प्रकार सोने की चार तरह से अर्थात् घिसने,काटने,तपाने से और पीटने से परीक्षा होती है उसी प्रकार मनुष्य की चार तरह से अर्थात् त्याग,शील,गुण और कर्म से परीक्षा होती है।
- दूसरे का धन हरण करने में जो पंगु है और दूसरे की स्त्री को कुदृष्टि से देखने में जो अन्धा है तथा दूसरे की निंदा करने में गूँगा है,वह संसार में सबको प्यारा होता है।
3.विनम्रता का दृष्टांत (A Parable of Humility):
- एक नगर में गणित शिक्षक रहते थे।वे बड़े विनयशील,नम्र और सौम्य स्वभाव के थे।वे जानते थे कि लोगों के दिल में जगह बनाने के लिए विनम्र व्यवहार आवश्यक है।
- वे विनम्रता के साथ ही बहुत सादगी के साथ-साथ बहुत ही सरल प्रकृति के थे।छात्र-छात्राएं उनका बहुत मान-सम्मान करते थे।
सामान्यतः लोग अपनों से बड़ों से या जिनसे स्वार्थ सिद्ध होता है उन्हीं के साथ विनम्र व्यवहार करते है। परंतु गणित शिक्षक छोटे-बड़े,जानकार,अनजान सभी के साथ विनम्र व्यवहार करते थे। - कई लोग अपने कार्यालय में अधिकारी के सामने बहुत विनम्र हो जाते हैं परंतु घर में बच्चों,पत्नी,नौकरों तथा अन्य परिवार के सदस्यों के साथ रूखा व्यवहार तथा डाँट-डपट करते हैं।ऐसे लोग ओढ़ी हुई विनम्रता धारण करते हैं।जिसने दिल से विनम्रता और सौम्यता त्याग दी उसका जीवन जटिल बन जाता है और जीवन में प्रेम,स्नेह,आनन्द,आत्मीयता उसके स्वभाव से ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग गायब हैं।
- यदि जीवन को सफल,सार्थक और आनंदयुक्त रखना है तो स्वभाव में उदारता,सौम्यता तथा विनम्रता धारण करनी ही होगी।व्यक्ति विनम्रता धारण करके मनुष्य बन जाता है और त्यागने से पशु के समान हो जाता है क्योंकि दूसरों से व्यवहार करने से वाणी में कटुता हो,विनम्रता न हो तो आपसी व्यवहार में कड़वाहट आ जाती है।
- गणित शिक्षक के जीवन की एक घटना है।उसके पास ट्यूशन करने के लिए कुछ छात्र-छात्राएं आते थे।उनमें एक छात्र के नाक गंदगी से भरे रहते थे।गंदगी किसी को भी अच्छी नहीं लगती तो गणित शिक्षक भी पसंद क्यों करते? उन्होंने छात्र से कहा कि नाक-मुँह सफाई करके आया करो।उन्होंने वाणी से आदेशात्मक भाषा का प्रयोग नहीं किया बल्कि बहुत ही शिष्ट भाषा में कहा।उस छात्र पर गणित शिक्षक द्वारा कही गई बात का कोई असर नहीं पड़ा।
- गणित शिक्षक चाहते तो उस छात्र की छुट्टी कर देते परंतु उन्होंने मानवीयता की दृष्टि से ऐसा करना उचित नहीं समझा।गणित शिक्षक ने समझा की किसी को मानसिक कष्ट देना अच्छा नहीं है।विनम्रता और मीठी वाणी से पराए को भी अपना बनाया जा सकता है तो अपनों को अपना बनाना क्या मुश्किल है?
- गणित शिक्षक को दुबारा उस छात्र को कहने में संकोच हो रहा था।एक दिन फिर से गणित शिक्षक ने उस छात्र को कहा कि घर पर बहुत काम रहता होगा इसलिए साफ-सफाई के लिए समय नहीं मिलता होगा।
- इसलिए तुम यहां आकर ही नाक-मुँह की सफाई कर लिया करो।छात्र को अपनी भूल का बड़ा पश्चाताप हुआ साथ ही गणित शिक्षक की उदारता से प्रभावित भी हुआ।उसने अनुभव किया कि छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान न देने से डांट-फटकार सुननी पड़ती है पर विनम्रता से उसे ठीक किया जा सकता है।उस दिन के बाद से छात्र नाक-मुँह साफ करके आने लगा तथा मन में कोई कटुता भी नहीं आई।
- उपर्युक्त आर्टिकल में विनम्रता क्या है? (What is politeness?),विनम्र व्यक्ति कौन है? (Who is polite person?) के बारे में बताया गया है।
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