What is difference between proud and polite person in hindi
1.अहंकारी और विनम्र व्यक्ति के बीच अंतर क्या है? का परिचय (Introduction to What is difference between proud and polite person in hindi):
- अहंकारी और विनम्र व्यक्ति के बीच अंतर क्या है? (What is difference between proud and polite person in hindi):एच डब्ल्यू बीचर के अनुसार अहंकारी मनुष्य में कृतज्ञता बहुत कम होती है क्योंकि वह यही समझता है कि मैं जितना पाने योग्य हूँ उतना मुझे कभी प्राप्त नहीं होता। कहने का तात्पर्य यह है कि अहंकारी मनुष्य अपने ही महान् कार्यों का वर्णन करता है और दूसरों के केवल कुकर्मों का।
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2.अहंकारी और विनम्र व्यक्ति के बीच अंतर क्या है? (What is difference between proud and polite person in hindi):
- सज्जनों का यह लक्षण है कि वे सदा दया करने वाले और करुणा शील होते हैं।
हे मेघ,बिना गरजे हुए भी तुम चातक को वर्षाजल से तृप्त करते हो क्योंकि प्रार्थना करने वालों के मनोरथ को पूरा कर देना ही सज्जनों का उत्तर होता है। - सज्जन पुरुष बिना कहे दूसरों की आशा पूरी कर देते हैं जैसे सूर्य स्वयं ही घर-घर प्रकाश फैला देता है।
- सज्जन पुरुषों का चित्त किसी के क्रुद्ध होने पर भी नहीं बिगड़ता जैसे समुद्र का जल फूस की लुकारी से गर्म नहीं किया जा सकता।
- संसार में सज्जन मनुष्य स्वतंत्र होते हैं,नीच मनुष्य दास होते हैं।
- सज्जनों की सम्मति में वे लोग सभ्य पुरुष माने जाते हैं जो दानी,अपने आश्रितों के भाग को न्यायपूर्वक अर्पण करने वाले,दीनजनों पर अनुग्रह करने वाले और प्राणियों के प्रति दयालु होते हैं।
- मछली,कछुई और पक्षी ये दर्शन,ध्यान और स्पर्श से जैसे बच्चों (अंडों) को पालते हैं वैसे ही सज्जनों की संगति है।
- स्वाभिमानी होना सत्पुरुष का लक्षण है।
- व्यवहारों की शुद्घता और दूसरों के प्रति आदर यही सज्जन मनुष्य के दो मुख्य लक्षण हैं।
- सज्जन अपने मित्रों पर कृपा दृष्टि डालते हैं,शरों की वर्षा नहीं करते।
- आज तक भगवान शंकर कालकूट विष का परित्याग नहीं करते, कच्छपरूप भगवान विष्णु अपनी पीठ पर पृथ्वी धारण किए हुए हैं और समुद्र भी असह्य वड़वानल को धारण कर रहा है।वस्तुतः सज्जन लोग अंगीकार किए हुए वचन और कर्म का सदा पालन करते हैं।
- सज्जनों की उपासना करनी चाहिए,चाहे वे उपदेश न भी करते हो क्योंकि जो उनके निजी वार्तालाप है वही सदुपदेश हो जाते हैं।
- सज्जन के साथ यदि कोई उपकार करता है तो वे अपनी सज्जनता को नहीं त्यागते जैसे चंदन के वृक्ष को काटने पर कुल्हाड़ी भी महकने लगती है।
- सज्जन दूसरों पर उपकार बहुत विनम्रता से करता है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह उपकार पा रहा है जबकि वह कर रहा है।
- सज्जनों का स्वभाव सूप के समान है जो दोषरूप कंकड़ आदि को दूर कर देता है और गुणरूप धान्य को अपने पास रख लेता है।दुर्जनों का स्वभाव चलनी के समान होता है जो दोषरूप चोकर आदि अपने पास रख लेती है और गुणरूप आटे आदि को अलग गिरा देती है।
- मन,वचन और शरीर पुण्यामृत से परिपूर्ण उपकारों से तीनों लोकों को तृप्त करने वाले और दूसरों के अणु मात्र गुण को पर्वत बराबर मानकर अपने हृदय में प्रसन्न होने वाले सज्जन कितने हैं? अर्थात् इन गुणों से सम्पन्न सज्जन संसार में इने गिने ही है।
- जिस प्रकार बादल समुद्र का खारा पानी पीकर भी मीठा पानी ही बरसाता है उसी प्रकार सज्जन भी कटुवाणी सुनकर भी सदा मधुरवाणी ही बोलता है।
- सज्जन असज्जनों के साथ नहीं रहते हैं,हंस श्मशान में नहीं रहता है।
- दुर्जन प्राणी मिट्टी के घड़े के सदृश्य अनायास फूट जाते हैं और बड़ी कठिनाई से जोड़े जा सकते हैं परंतु सज्जन प्राणी सोने के घट के समान हैं जो सहज में टुटते नहीं टूटने पर सरलता से जोड़े जा सकते हैं।
- उदय होते समय सूर्य लाल होता है और अस्त होते समय भी;संपत्ति के समय और विपत्ति के समय महानपुरुषों में एकरूपता देखी जा सकती है (उनमें विकार नहीं होता)।
- बादलों के समान सज्जन पुरुष भी दान करने के लिए किसी वस्तु को ग्रहण करते हैं।
- भला काम करने का स्वभाव ऐसा साधन है जिसको शत्रु छीन नहीं सकता और चुरा भी नहीं सकता।
- शांति और प्रसन्नता सज्जन पुरुष के लक्षण है।
- जिस प्रकार अंजलि में रखे हुए पुष्प दोनों हाथों को समान रूप से सुगन्धित करते हैं उसी प्रकार सज्जन दोनों के प्रति कृपालु ही रहते हैं।
- दुर्जन और कंटक को दूर करने के दो ही उपाय हैः उपानह से उनका मुख भंद कर देना या उनका दूर से ही त्याग कर देना।
दूर्जनों के साथ मैत्री और प्रेम कुछ भी नहीं करना चाहिए।कोयला यदि जलता हुआ है तो स्पर्श करने पर जला देता है और यदि ठंडा हो तो हाथ काले कर देता है। - दुर्जन को देश-त्याग करके छोड़ना चाहिए।
- सांप के दांत में विष रहता है,मक्खी के सिर में माहुर रहता है,बिच्छू की पूँछ में विष होता है किंतु दुर्जन के सब शरीर में विष रहता है।
- लोग कहते हैं कि दुर्जन पर हम प्रेम करते हैं तो वह ओर भी दुर्जन बनता है लेकिन यह ख्याल गलत है। अगर कहीं अंधकार है और हम उसमें दीपक जलाते हैं तो क्या अंधकार ज्यादा हो जाता है।
- दुर्जन को अच्छी शिक्षा दी जाए तब भी वह साधु नहीं हो सकता जैसे नीम के पेड़ को यदि घी और दूध से सींचा जाए तो भी वह मधुर नहीं होगा।
- सूर्य दुर्जन पर भी चमकता है।
- दुर्जनों की (दर्शन,सहवास आदि तो दूर) चर्चा भी अकल्याण करने वाली होती है।
- दुर्जन स्वभाव से ही सज्जनों के शत्रु होते हैं।
- विद्या से विभूषित होने पर भी दुर्जन का परित्याग ही उचित है;मणि धारण करने वाला सांप क्या भयंकर नहीं होता?
दुर्जनों को देखने और उसकी बातों को सुनने से ही दूर्जनता का आरंभ हो जाता है। - दुष्ट भार्या,दुष्ट पुत्र,कुटिल राजा,दुष्ट मित्र,दूषित सम्बन्ध और दुष्ट देश को तो दूर से ही छोड़ देना चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में अहंकारी और विनम्र व्यक्ति के बीच अंतर क्या है? (What is difference between proud and polite person in hindi) के बारे में बताया गया है।
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