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What is best method for teaching Arithmatic?

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1 1.अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?):
1.2 (2.)अंक गणित पढ़ाने के सामान्य नियम(General Rules of Teaching Arithmetic):

1.अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?):

  • अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि (best method for teaching Arithmatic) के बारे में सीखेंगे।पूर्व में अंक गणित के अंतर्गत दो भिन्न-भिन्न रूप रेखाएं थी। एक तो अंकों का ज्ञान तथा दूसरी हल करने की कला ।परंतु आधुनिक युग में गणित के दोनों रूपों अंकों का ज्ञान तथा हल करने की कला आवश्यक समझे जाने लगी।ये दोनों अंकगणित के ही अंतर्गत समझे गए। इसलिए अध्यापकों को अंकगणित विषय पढ़ाने में दोनों ही बातों पर समान रूप से जोर देना चाहिए।पाठन-विधि का मुख्य उद्देश्य-सिद्धांत का समझना ,संबंध समझना और सिद्धांत का प्रयोग करना होना चाहिए।
  • उपर्युक्त विवरण में अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?) का रिव्यू (Review) किया गया है.नीचे विवरण में best method for teaching Arithmatic  के बारे में बताया गया है.
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(1.)अंक गणित पढ़ाने के प्राप्य उद्देश्य(Some objectives of Teaching Arithmetic)[best method for teaching arithmatic]:

  • (1.)विद्यार्थी को इस प्रकार के विचारों से परिचित कराया जाए कि वह अंकगणित संबंधी तथ्यों (Statements) को ठीक तौर पर समझ सके।इसके साथ-ही-साथ विद्यार्थी में विश्लेषण(Analysis) करने की तथा उसके द्वारा सही परिणामों पर पहुंचने की क्षमता पैदा हो जाए।
  • (2.)विद्यार्थी में अपने वातावरण में होने वाली भार तथा नाम संबंधी घटनाओं के कारणों में रुचि उत्पन्न करना।
  • (3.)बालक को अंकगणित की आधारभूत क्रियाओं में प्रयोग आने वाली साधारण जोड़,बाकी आदि में शुद्धता का ज्ञान कराना।
  • (4.)बालक को प्रयोगात्मक(practical) अंकगणित के जीवन-संबंधी ज्ञान को समझने तथा हल करने का उपाय का अवकाश देना।
  • (5.)बालक को इस स्थिति में उच्च गणित समझने हेतु नींव डालना।

(2.)अंक गणित पढ़ाने के सामान्य नियम(General Rules of Teaching Arithmetic):

  • (1.)यह बात सही है कि यदि अध्यापक एक समय में एक से अधिक ज्ञान नहीं समझा जा सकता तो बालक उसकी अपेक्षा कम ज्ञान हजम कर सकता है।प्रारंभ में अंकगणित पढ़ाते समय बालकों को अधिक तथा बारीक (Minute) आदेश नहीं देना चाहिए।अध्यापक को चाहिए कि पाठ सम्बन्धी सामान्य नियमों को बालकों को बता दें तथा पाठ के अंतर्गत जो बारीक तथा सूक्ष्म नियम आते हों,उनको बालक स्वयं ढूंढे।
  • (2.)गणित की शिक्षा में समझने की शक्ति को बढ़ाना, ज्ञान प्राप्त करने की अपेक्षा अधिक आवश्यक समझा जाता है। इसलिए पाठ समझाते समय अध्यापक को बार-बार सहायता नहीं देनी चाहिए।कक्षा में विद्यार्थियों की क्षमता(Capacity) में अंतर होता है ,इसलिए शिक्षक को विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसार सहायता देना लाभप्रद होता है।बहुत अधिक सहायता की तरह बहुत निम्न सहायता भी हानिकारक होती है।
  • (3.)उपर्युक्त सिद्धान्त(Principle) का सहयोग भी अभ्यास(Drill) कार्य होता है।जहां तक हो सके ,अभ्यास कार्य में भी कम से कम सहायता देनी चाहिए उदाहरण के लिए-यह इस प्रकार किया जा सकता है किस प्रश्न में कहां पर अशुद्धि है और कहां पर यह कहना पर्याप्त होगा कि यह गलत है, इसको दौहरा लो आदि प्रश्न हल करने में अशुद्धि हो उसके निवारण हेतु।प्रश्न हल करने में जो अशुद्धि हो, उसके निवारण हेतु उसी ढंग का एक दूसरा प्रश्न हल करने को देना चाहिए।इस तरह बालक को स्वयं अपनी अशुद्धि का ज्ञान हो जाएगा‌।
  • (4.) शुद्धि (Correction) करने में भी अध्यापक और विद्यार्थी दोनों को किसी प्रकार का भार न समझना चाहिए। यह सदैव असंभव है कि प्रत्येक प्रश्न सही रूप से हल किया जा सके।यदि प्रश्न करने में संपूर्णत: अशुद्धि होती है तो इसका मतलब यह होगा कि बालक प्रश्न को बिल्कुल नहीं समझे हैं या उसको समझाने में अध्यापक ने किसी सिद्धांत की अशुद्धि की है।ऐसे प्रश्नों को अध्यापक को स्वयं समझकर फिर से दोहरा लेना अनिवार्य होगा।
  • (5.)अंकगणित के विशेष महत्त्व (Importance) का अंत हो जाता है,यदि यह न समझा जाए कि अंकगणित में गणना (Computation) का स्थान महत्वपूर्ण तथा आवश्यक है।इस गुण पर ध्यान न देने से गणित की शुद्धता(Accuracy), क्रमशीलता(Orderliness) नहीं रह पाती है।प्रश्न हल करने में जो बुरी आदतें (Habits) पड़ जाती हैं ,उनका जीवन पर बुरा प्रभाव जाता है जिससे गणित के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाती है।
  • (6.)अंकगणित प्रारंभ में अध्यापक को गणना में मौखिक अभ्यास देना चाहिए।इसके पश्चात शीघ्रता (Speed) तथा शुद्धता(Accuracy) का अभ्यास, धीरे-धीरे जोड़ने(Addition), घटाने(Subtraction) और गुणा (Multiplication) के द्वारा दिया जा सकता है।इसके लिए थोड़ा समय होना चाहिए।प्रत्येक अभ्यास का कार्य क्रम में निरंतर होना चाहिए।इस तरह के कार्य से बालकों में दृढ़ इच्छाशक्ति (Will power) उत्पन्न हो जाती है जिसके आधार पर दैनिक जीवन के कार्यों को समझना सरल हो जाता है।
  • (7.)अंकगणित में जो गणना की जाती है, उसके अंतर्गत जो अभ्यास-कार्य किया जाता है ,वह अधिक रुचिकर हो सकता है ,यदि विद्यार्थी को प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाए‌।इस तरह विद्यार्थी स्वयं अपनी रुचि के अनुसार अभ्यास-कार्य करेंगे।

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  • (8.)लिखित कार्य(Written Work) में प्रारंभ से ही इस बात पर बल दिया जाना चाहिए कि उसका कार्य उपयुक्त ढंग(System) से तथा साफ (Clear)हो।साधारण रूप से प्रश्नों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।एक तो है जिसमें गणना का मुख्य स्थान होता है और दूसरी वह जिसमें तर्क का विकास अधिक महत्वपूर्ण होता है।प्रथम श्रेणी के प्रश्नों में प्रश्न का हल पृष्ठ के मध्य में तथा द्वितीय श्रेणी के प्रश्नों में प्रश्न के आवश्यक तर्क संबंधी वाक्य मध्य भाग में होने चाहिए तथा उसके अंतर्गत किया गया हर पृष्ठ के किनारे वाले भाग में स्वच्छ रूप से होना चाहिए।
  • (9.)गणना का कार्य कभी भी कच्चे काम(Rough Work) के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।इससे बालकों में उसको कच्चे रूप में करने की आदत पड़ जाती है।इस प्रकार रेखागणित(Geometry ) को भी चित्र(Figure) का कच्चा रूप नहीं होना चाहिए।
  • (10.)प्रश्नों को हल करने में कांट-छांट (Cancellation)साफ होनी चाहिए।इस तरह प्रश्न के हल में कुछ चिन्ह को अंत पद तक रखना चाहिए।
  • (11.)प्रत्येक प्रश्न को हल करने में भाषा साधारण और सही होनी चाहिए।प्रश्न का परिणाम स्पष्ट लिखा होना उचित होता है। उत्तर की इकाई (Unit)अवश्य होनी चाहिए।समस्या प्रश्नों में उत्तर एक संपूर्ण वाक्य में होना चाहिए।
  • (12.)संपूर्ण पाठन-विधि का उद्देश्य तथा आधार सरल(Simple)और स्थूल(Concrete) उदाहरणों से प्रारंभ होकर सिद्धांत-निरूपण (Generalization) पर समाप्त होना चाहिए।विद्यार्थियों को इन नियमों को भली-भांति समझने हेतु उनका प्रयोग करना चाहिए।जब कभी गणित का कोई नवीन नियम पढ़ाया जाए तो यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि प्रथम उदाहरण सरल प्रकृति का हो तथा उसको हल करने में कठिनाई न हो।किसी प्रश्न के पदों के बीच-बीच में तथा प्रश्नों के पश्चात सामान्य उदाहरणों का प्रयोग करने से छोटे-छोटे बालकों की रुचि बनी रहती है।
  • (13.)उदाहरण देने में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह बालकों तथा विद्यालय के अनुकूल हो, कक्षा में पढ़ाई गई गणित का संबंध बालकों जीवन से होना चाहिए‌।छोटे बालकों को दिए गए उदाहरण उनके खेल तथा रुचि के अनुकूल हों।

(3.)अंकगणित में अभ्यास का स्थान(Drill Work in Arithmatic):

  • यदि अंकगणित में अभ्यास पर्याप्त रूप से नहीं हो पाता है तो उसका दैनिक जीवन में कोई उपयोग नहीं होता है।इस पद हेतु विषय में और विषयों की अपेक्षा अधिक अभ्यास होना आवश्यक है। परंतु अभ्यास में दो बातें बड़ी ध्यान देने की है, एक तो यह है कि अभ्यास-कार्य बिल्कुल स्पष्ट हो तथा उसको धीरे-धीरे छोटे-छोटे खंडों में दिया जाए‌।यदि कक्षा यह आवश्यकता समझती है कि वह कार्य पाठ के आरंभ में होना चाहिए और बालक उस कार्य में रुचि रखते हैं तो इस तरह के अभ्यास का कार्य आरंभ में उचित रहेगा। अभ्यास का समय निश्चित(Limited) होना चाहिए।किसी भी पाठ में इसके लिए अधिक समय देना उचित नहीं होता है‌। साधारणतःएक अन्तर (Period) में अभ्यास के लिए पांच से दस मिनट पर्याप्त हैं। अभ्यास कार्य के देने में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कक्षा का प्रत्येक विद्यार्थी उसको रुचि से करता है तथा नियत समय में समाप्त भी कर लेता है या नहीं। शीघ्र समाप्त करने वाले बालकों के लिए उनकी आवश्यकता अनुसार कार्य अधिक देना चाहिए। अभ्यास के लिए प्रश्नों का क्रम ‘सरल से कठिन की ओर’ होना चाहिए ताकि मंदबुद्धि बालक भी कक्षा में कुछ प्रश्न हल कर सके।अभ्यास कार्य को सुविधा के अनुसार कक्षा में या कक्षा के पश्चात अध्यापक को जांच लेना चाहिए।यह क्रम भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रश्नों में भिन्न-भिन्न होता है। सबसे आवश्यक यह है कि अभ्यास- कार्य की जांच अवश्य होनी चाहिए।
  • अभ्यास-कार्य में आवश्यक विचार तथा तैयारी की विशेष रूप से आवश्यकता होती है।इसके लिए गणित अध्यापक को स्वयं यह सोच लेना चाहिए कि उसको बालकों से किस प्रकार के प्रश्नों के अभ्यास कराने आवश्यक है।इसके लिए उसको पुस्तक में दिए गए प्रश्नों पर लगा चिन्ह लेने चाहिए ताकि उसको अभ्यास में प्रश्न देने के समय आसानी हो।
    अभ्यास के द्वारा गणित के तथ्यों(Facts)का मस्तिष्क में प्रवेश होता है तथा उनकी स्थिरता बन जाती है। जब तथ्यों के साहचर्य (Associations)स्थिर रूप धारण कर लेते हैं तो वह तथ्य सदा के लिए अपना बन जाता है।इस तरह अभ्यास का पाठ्यवस्तु सीखने में प्रमुख स्थान होता है। अभ्यास के विचारों का प्रत्यास्मरण(Recall) होता है।

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(4.)अभ्यास करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें(Things to keep in mind while practicing):

  • (1.)प्रथम बार के विचारों में शुद्धता होनी चाहिए‌।
  • (2.)इन विचारों को स्पष्ट(Vivid) होना चाहिए।
  • (3.)साहचर्य (Associations)को दोहराना चाहिए।
  • (4.)नवीन साहचर्य पर ध्यान देना चाहिए।
  • (5.)अभ्यास कार्य करते समय उपयुक्त प्रेरणा (Motivation) मिलती रहनी चाहिए।
  • (6.)अभ्यास करते समय विद्यार्थी अनुमान(Guess) लगाकर प्रश्न हल न करें बल्कि समझकर हल करें।
  • (7.)अभ्यास कार्य के बीच में किसी प्रकार की बाधा न हो।
  • (8.)अभ्यास कार्य अधिक समय के लिए न दिया जाए।
  • उपर्युक्त विवरण में अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?) के बारे में बताया गया है.ये हैं best method for teaching Arithmatic.

2.अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बुनियादी अंकगणितीय कौशल क्या हैं? (What are basic arithmetic skills?):

उत्तर:अंकगणित परीक्षण आपके कौशल को तीन प्राथमिक श्रेणियों में मापता है: पूर्ण संख्याओं (whole numbers) और भिन्नों (fractions) के साथ संक्रिया।
इस श्रेणी में जोड़,घटाव,गुणा और भाग के साथ-साथ प्रतिशत समस्याएं,दशमलव पहचान (decimal recognition),भिन्न और प्रतिशत तुल्यताएं (percent equivalences) और अनुमान समस्याएं (estimation problems) शामिल हैं।

प्रश्न:2.अंकगणितीय शिक्षा क्या है? (What is arithmetic education?):

उत्तर:गणित का वह भाग जो संख्याओं और गिनती या गणना से संबंधित है,अंकगणित के रूप में जाना जाता है। अंकगणित का शिक्षण पूर्व-प्राथमिक स्तर या शिशु अवस्था में शुरू होना चाहिए।एक शिशु को प्ले वे विधि (play way method) के माध्यम से अंकगणित के बारे में चीजें सीखने के लिए बनाया जाना चाहिए।संख्या अंकगणित का मूल तत्व है।

प्रश्न:3.हम अंकगणित क्यों सीखते हैं? (Why do we learn arithmetic?):

उत्तर:गणित के एक छात्र के रूप में,आप समस्या-समाधान के लिए बेहतर सिस्टम विकसित करेंगे,यह सीखते हुए कि व्यावहारिक गणित (applied mathematics) वास्तविक दुनिया के मुद्दों को कैसे हल करता है।गणित और उसकी जटिलताओं (complexities) का ज्ञान लगभग हर करियर में मदद कर सकता है।
अंकगणित कौशल आवश्यक जीवन उपकरण हैं जिन्हें बच्चों को अवश्य सीखना चाहिए।
अंकगणित को बच्चों को वास्तविक दुनिया के गणित के लिए तैयार करना चाहिए।
मानसिक रूप से गणना करना सीखना एक आवश्यक कौशल है।
कुशलता से गणना करने के लिए,बुनियादी तथ्यों को जानना महत्वपूर्ण है।
छात्रों को यह जानने की जरूरत है कि सटीकता कब आवश्यक है और अनुमान कब पर्याप्त होगा।

प्रश्न:4.अंकगणित की 4 शाखाएं कौन सी हैं? (What are the 4 branches of arithmetic?),मौलिक अंकगणितीय संक्रिया क्या हैं? (What are the Fundamental Arithmetic Operations?):

उत्तर:अंकगणित गणित की एक शाखा है जो संख्याओं और उन पर संक्रिया के अध्ययन से संबंधित है।यह प्राथमिक संख्या सिद्धांत का भी एक हिस्सा है।
गणित की प्रमुख शाखाएँ हैं:
बीजगणित (Algebra)।
ज्यामिति (Geometry)।
त्रिकोणमिति (Trigonometry)।
कलन (Calculus)।
अंकगणित (Arithmetic)।

प्रश्न:5.चार अंकगणितीय ऑपरेशन क्या हैं? (What are the four arithmetic operations?):

उत्तर:जोड़, घटाव, गुणा और भाग के चार अंकगणितीय संक्रिया कैसे करें।

प्रश्न:6.मानसिक अंकगणितीय परीक्षण क्या है? (What is mental arithmetic test?):

उत्तर:मानसिक अंकगणित मानकीकृत साइकोमेट्रिक मूल्यांकन परीक्षण (standardized psychometric assessment tests) हैं जो नियोक्ता संगठन को उम्मीदवार की सामान्य संख्यात्मक योग्यता (general numerical aptitude) के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।इन परीक्षणों को एक उम्मीदवार की मूल संख्या को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसे गति परीक्षण (speed test) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रश्न:7.अंकगणित इतना महत्वपूर्ण क्यों है? (Why is arithmetic so important?):

उत्तर:अंकगणित वह नींव (foundation) है जिस पर अन्य सभी उन्नत गणित (advanced mathematics) निर्मित होते हैं।इसके अतिरिक्त,अंकगणित गणित का वह पहलू है जिससे लोग सबसे अधिक परिचित हैं।यह वास्तविक संख्याओं और गणनाओं से संबंधित है,जिसमें जोड़,घटाव,गुणा और भाग के कार्डिनल संक्रिया (cardinal operations) शामिल हैं।

प्रश्न:8.अंकगणित और बीजगणित में क्या अंतर है? (What is difference between arithmetic and algebra?):

उत्तर:अंकगणित (Arithmetic),गणित की सभी शाखाओं में सबसे बुनियादी होने के कारण,संख्याओं की मूल गणना (basic counting of numbers) और उन पर जोड़,गुणा,भाग और घटाव जैसे कार्यों का उपयोग करता है।बीजगणित (Algebra) गणित की एक शाखा है जो समस्याओं को हल करने के लिए चर (variables) और संख्याओं (numbers) से संबंधित है।

प्रश्न:9.अंकगणित और गणित में क्या अंतर है? (What’s the difference between arithmetic and math?):

उत्तर:जब आप जोड़,घटाव,गुणा और भाग की बात कर रहे हैं,तो उचित शब्द “अंकगणित” है,जो हमारे गणित के प्रशंसक को बनाए रखता है।
“गणित,” इस बीच,संकेतों,प्रतीकों और प्रमाणों (signs, symbols and proofs) से जुड़ी समस्याओं के लिए आरक्षित (reserved) है-बीजगणित (algebra),कलन (calculus),ज्यामिति (geometry) और त्रिकोणमिति (trigonometry)।

प्रश्न:10.मैं मानसिक अंकगणित कैसे सीख सकता हूँ? (How can I learn mental arithmetic?):

उत्तर:आपके छात्रों की मानसिक गणित क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए यहां 5 गणित तरकीबें दी गई हैं:
इसे आसान बनाएं (Make It Easy)।छात्रों को कभी-कभी बड़े मूल्यवर्ग (denominations) को गुणा करना या जोड़ना चुनौतीपूर्ण लग सकता है।
जोड़कर घटाना (Subtract By Adding)।
कठिन गुणा सरल बना दिया (Tough Multiplications Made Simple)।
याद रखने के लिए डिवीजन ट्रिक्स (Division Tricks To Remember)।
प्रतिशत समस्याओं का समाधान (Solving Percentage Problems)।

प्रश्न:11.आप मानसिक अंकगणित कैसे करते हैं? (How do you do mental arithmetic?):

उत्तर:तो चलिए इस लेखन के व्यावहारिक भाग पर चलते हैं:हर किसी के लिए मानसिक गणित रणनीतियाँ (strategies)।
“9-ट्रिक (9-trick)”।किसी भी संख्या में 9 जोड़ने के लिए पहले 10 जोड़ें और फिर 1 घटाएं।
डबल्स + 1.
बड़ी संख्या जोड़ते समय अतिरिक्त तथ्यों का प्रयोग करें।
जोड़कर घटाएं (Subtract by adding)।
एक संख्या का पांच गुना (Five times a number)।
एक संख्या का चार और आठ गुना (Four and eight times a number)।
भागों में गुणा करें (Multiply in parts)।

प्रश्न:12.अंकगणित के कितने विषय होते हैं? (How many arithmetic topics are there?):

उत्तर:अंकगणित के विषयों (Topics) में पूर्ण संख्याएँ (whole numbers),स्थानीय मान (place values),जोड़ (addition),घटाव (subtraction),गुणा (multiplication),भाग (division),गुणनखंड (factoring),भिन्न (fractions),दशमलव (decimals),चरघातांक (exponents),वैज्ञानिक संकेतन (scientific notations),प्रतिशत (percents),पूर्णांक (integers),अनुपात (proportions) और शब्द समस्याएँ (word problems)शामिल हैं।

प्रश्न:13.अंकगणित की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है? (What is the best definition of arithmetic?):

उत्तर:(1.):एक विज्ञान जो संख्याओं के जोड़,घटाव,गुणा और भाग से संबंधित है।
(2.):जोड़ने,घटाने,गुणा करने या भाग देने की क्रिया या विधि।अंकगणित से अन्य शब्द।

प्रश्न:14.क्या बीजगणित अंकगणित से कठिन है? (Is Algebra harder than arithmetic?):

उत्तर:सबसे स्पष्ट अंतर यह है कि अंकगणित सभी संख्याओं के बारे में है और गणित सिद्धांत (theory) के बारे में है।प्राथमिक बीजगणित एक अज्ञात मात्रा का प्रतिनिधित्व (variables to represent an unknown quantity) करने के लिए चर का उपयोग करके सामान्यीकृत अंकगणित है।आधुनिक बीजगणित क्षेत्रों (fields) और समूहों (groups) पर ध्यान केंद्रित करना थोड़ा अधिक कठिन है.

प्रश्न:15.अंकगणित के मूल नियम क्या हैं? (What are the basic rules of arithmetic?):

उत्तर:संक्रिया का क्रम इस प्रकार है:1)कोष्ठक (parentheses) या कोष्ठक के अंदर पदों (terms) को सरल बनाना, 2) चरघातांक (exponents) और मूलों (roots) को सरल बनाना,3) गुणा और भाग करना,4) जोड़ और घटाव करना।गुणा और भाग को समान प्राथमिकता दी जाती है,जैसे जोड़ और घटाव।

प्रश्न:16.अंकगणित शब्द क्या हैं? (What are arithmetic words?):

उत्तर:अंकगणित गणित के लिए एक और शब्द है,विशेष रूप से गणित के क्षेत्रों में संख्याओं और गणना के साथ क्या करना है।यदि आप जोड़ने,घटाने,विभाजित करने और गुणा करने में अच्छे हैं,तो आप अंकगणित में अच्छे हैं,जो गणित का एक बड़ा हिस्सा है।अंकगणित का संबंध गणना करने से है।

प्रश्न:17.अंकगणित की 4 शाखाएं कौन सी हैं? (What are the 4 branches of arithmetic?),मौलिक अंकगणितीय संक्रिया क्या हैं? (What are the Fundamental Arithmetic Operations?):

उत्तर:अंकगणित गणित की एक शाखा है जो संख्याओं और उन पर संक्रिया के अध्ययन से संबंधित है।यह प्राथमिक संख्या सिद्धांत (elementary number theory) का भी एक हिस्सा है।

प्रश्न:18.अंकगणित का सिलेबस क्या है? (What is the syllabus of arithmetic?):

उत्तर:अंकगणित गणित की एक शाखा है जो संख्या प्रणाली (Number system),दशमलव (Decimals),भिन्न (Fractions),सरलीकरण (Simplification),एचसीएफ (HCF) और एलसीएम (LCM),अनुपात (Ratio) और समानुपात (Proportion),प्रतिशत (Percentage),साझेदारी (Partnership),औसत (Average),लाभ (Profit) और हानि (Losses),साधारण ब्याज (Simple Interest) और चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest),क्षेत्रमिति (Mensuration),समय और कार्य (Time and Work),समय और दूरी (Time and Distance,) से संबंधित समस्याओं से संबंधित है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अंकगणित पढ़ाने के लिए सबसे अच्छी विधि क्या है?(What is the best method for teaching Arithmatic?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।best method for teaching Arithmatic

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