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Way of Contribution in Mathematics

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1.गणित में योगदान का तरीका (Way of Contribution in Mathematics),गणित में विशिष्ट योगदान कैसे करें? (How to Make Specific Contribution to Mathematics?):

  • गणित में योगदान का तरीका (Way of Contribution in Mathematics),गणित में विशिष्ट योगदान कैसे करें? (How to Make Specific Contribution to Mathematics?) इसके लिए आपको विज्ञान विषय की तरह किसी विशेष प्रयोगशाला तथा साधन संपन्न होने की आवश्यकता नहीं है।गणित में विशिष्ट योगदान के लिए न बहुत अधिक धन की जरूरत है।देश में विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए भी यही उपाय है कि विज्ञान के मुकुट गणित में तरक्की व विकास किया जाए। गणित केवल विज्ञान का मुकुट ही नहीं है बल्कि यह सभी विषयों का मुकुट है।
  • गणित में विशिष्ट योगदान के लिए आपमें जिज्ञासा,लगन,रुचि तथा प्रतिभा की आवश्यकता है।छात्र-छात्रा में कुछ न कुछ प्रतिभा होती है।इस प्रतिभा को सही दिशा में तराशने,उभारने व चमकाने की आवश्यकता है।इस आर्टिकल में कुछ ऐसे ही उपाय बताए गए हैं कि आप गणित में विशिष्ट योगदान कैसे कर सकते हैं?
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(1.)भारतीय गणितज्ञों से प्रेरणा लें (Take Inspiration from Indian Mathematicians):

  • 11 वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी तक भारत गणित के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान नहीं कर पाया है।वरना भास्कराचार्य द्वितीय के समान ही उच्च कोटि के गणितज्ञ गणित की उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते रहते तो आधुनिक गणित में भारत का गौरव बढ़ता और संसार में भारत सूर्य की तरह चमकता।क्योंकि गणित के विकास से ही विज्ञान का विकास होता जाता।
  • लगभग 700-800 वर्षों पश्चात् 19वीं शताब्दी के बाद यानी बीसवीं शताब्दी में रामानुजन के रूप में गणित का पुनः सूर्योदय हुआ।यदि उन्हें गणित का डायमण्ड (Diamond of Mathematics) कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।रामानुजन में अद्भुत गणित की प्रतिभा थी।
  • केवल 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने गणित में (संख्या सिद्धांत) ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसको देखकर विश्व के चोटी के गणितज्ञ चकित रह गए। अल्पायु में उन्होंने अपनी खोजों से संसार को चकित कर दिया।उन्होंने सिद्धांत गणित (शुद्ध गणित) में खोजें की हैं।रामानुजन की खोजों का महत्त्व इतना अधिक है और वे इतनी अधिक गहन है कि उन्हें वास्तव में गणितज्ञों का गणितज्ञ कहा जा सकता है।रामानुजन का अत्यंत निर्धन परिवार में जन्म हुआ था उसके बावजूद उन्होंने गणित में ऐसा चमत्कार कर दिखाया।
  • अब तो भारत आजाद है।हमारे ऊपर किसी तरह के कोई बंधन नहीं है।हमने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया है।स्वतंत्र भारत में स्वतंत्र रूप से चिंतन,मनन कर सकते हैं।आप यदि आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको आज भारत में सहयोगी भी मिल जाएंगे।इसलिए इस भारत माता के ऋण को तभी चुकाया जा सकता है जबकि भारत की विज्ञान तथा गणित में पताका फहराए।
  • महान गणितज्ञ रामानुजन की करुण कहानी पढ़ोगे तो आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे।गणित के प्रति उनका प्रेम इतना मार्मिक है कि आज भी उनका इतिहास पढ़ते हैं तो उनका वृत्तांत बिल्कुल जीवन्त हो उठता है।कितनी विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उन्होंने आधुनिक युग में गणित के क्षेत्र में ऐसा दीपक जलाया है जिसके कारण भारत का नाम आज सम्मान और गौरव के साथ लिया जाता है।

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(2.)पुरातनपंथी तथा पुराणपंथी विचारों का त्याग (Renunciation of Archaic and Mythial Ideas):

  • गणित में नई खोजें तथा आविष्कार के लिए पुरातनपंथी तथा पुराणपंथी विचारों का त्याग आवश्यक है।हमारे देश में विज्ञान और गणित का विकास अवरुद्ध होने का मुख्य कारण है पुराणपंथी व पुरातनपंथी होना।गुप्तकाल के पश्चात पंडित लोग पुरानी बातों तथा धर्मशास्त्रों में लिखी हुई बातों को परमसत्य मानने लगे।इससे नए तरीके,नई बातें तथा नया आविष्कार करने का मार्ग अवरुद्ध हो गया।धर्म में पाखंड,पशुबलि, नरबलि आदि का बोलबाला हो गया।जब नए तरीके,नवीन बातों को सोचने का रास्ता छोड़ दिया गया तो विज्ञान व गणित का विकास अवरुद्ध हो गया।हमारा देश रूढ़िवादिता के जाल में फँस गया।
  • प्रतिभा को विकसित,पल्लवित,उभारने व तराशने के लिए उसके अनुरूप पृष्ठभूमि भी होनी ही चाहिए।यदि बंजर भूमि होगी तो उसमें फसल को उपजाना बहुत मुश्किल है।प्रतिभा का रहस्य जिज्ञासा,लगन,रुचि और कठोर परिश्रम में निहित है।यदि जिज्ञासा,लगन इत्यादि को दबाया जाएगा तो गणित व वैज्ञानिक प्रगति कैसे संभव हो सकेगी?

(3.)चिन्तन तथा कल्पना शक्ति का उपयोग (Use of Thinking and Imagination):

  • चिन्तन तथा कल्पना शक्ति का प्रयोग करके हम नई-नई बातें, नए विचार, नई खोजों का पता लगा सकते हैं।चिंतन तथा कल्पना शक्ति में समानता यह है कि दोनों में ही अपनी गत अनुभूतियों का सहारा लिया जाता है।दोनों में फर्क यह है कि चिंतन एक लक्ष्य केंद्रित प्रक्रिया है।जब हमारे सामने कोई समस्या,कठिनाई आती है तो उसके समाधान के लिए हम प्रयत्नशील हो जाते हैं और चिंतन करना शुरू कर देते हैं।चिंतन के समय हमारा पूर्ण प्रयास उस समस्या को हल करने की ओर होता है।परंतु कल्पना करते समय हमारे सामने ऐसी कोई समस्या नहीं होती है जिससे कल्पना के द्वारा हमारा प्रयास लक्ष्य केंद्रित नहीं होता है।
  • इसलिए कल्पना को सही दिशा देना और उस पर नियंत्रण करना जरूरी होता है।कल्पना पर बुद्धि के द्वारा नियंत्रण किया जा सकता है।यदि बुद्धि,ज्ञान व अनुभव का सहारा मिल जाए तो चिंतन व कल्पना शक्ति के द्वारा अद्भुत व आश्चर्यचकित कर देने वाले कार्य किए जा सकते हैं।कल्पना शक्ति का प्रयोग करने और उसको हमारे शरीर में जिंदा रखने के लिए उत्साह का होना जरूरी है।जैसे यदि आप यह कल्पना करें कि मेरी गणित की इस खोज से भारत का कितना गौरव व सम्मान सम्मान बढ़ेगा,मेरे माता-पिता और मेरा स्वयं का कितना मान-सम्मान बढ़ेगा।गत वर्षो में आपने जो कार्य किए हैं और सफलता अर्जित की है,गणित की समस्याओं को हल किया है,गणित की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाएं उत्तीर्ण की है तथा विभिन्न अवार्ड जीते हैं,इन सब के आधार पर आप अपने उत्साह को तथा कल्पना शक्ति को बनाए रख सकते हैं।
  • चिंतन में प्रयत्न और त्रुटि का गहरा संबंध है।यदि किसी गणित के सवाल अथवा समस्या को हल करने पर असफल हो जाते हैं तो आप दूसरी विधि का प्रयोग करते हैं।दूसरे तरीके से भी वह सवाल या समस्या हल नहीं होती है तो फिर तीसरे तरीके का प्रयोग करते हैं।इस प्रयत्न और त्रुटि का प्रयोग करके अनेक प्रयासों से आप गणित के सवाल को हल कर पाते हैं।
  • लेकिन चिन्तन सर्जनात्मक (Creative Thinking) होना चाहिए यानि गणित में कुछ नया करने,कुछ अलग तरीका खोजने से सर्जनात्मकता का विकास होता है।जबकि व्यक्ति किसी भी गणित की थ्योरी,समस्या या सवाल में कुछ अतिरिक्त,कुछ नवीन तथ्य नहीं जोड़ता है तब तक उसे सर्जनात्मक चिन्तन नहीं कहा जा सकता है।
  • चिंतन में विशेषकर यथार्थवादी चिन्तन में तर्क होता है।चिन्तन करते समय किसी गणित की थ्योरी, सवाल या समस्या के बारे में पक्ष या विपक्ष में तर्क करते हैं।जैसे आप सवाल करते हुए अचानक इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सवाल गलत हो गया है। अब आपके मस्तिष्क में यह विचार आता है कि इस सवाल को ठीक कैसे किया जा सकता है?वह सोच सकता है कि पुस्तक के उदाहरण की सहायता ली जाए या फिर सोच सकता है कि अध्यापक से मदद ली जाए।लेकिन फिर एकदम से उसे विचार आता है कि इस प्रकार का सवाल उसने पहले भी हल किया है।इसलिए फिर वह अपनी नोटबुक में उस सवाल को हल करने का तरीका देखेगा और अपने सवाल को हल कर लेगा।
  • चिंतन,मनन,तर्क और कल्पना शक्ति में कुछ समानता भी है तो कुछ भिन्नता भी है।इसलिए चिंतन,मनन,तर्क और कल्पना शक्ति को अनुभव,ज्ञान और बुद्धि का सहारा मिल जाए तो गणित में छात्र-छात्राएं अद्भुत कार्य को अंजाम दे सकते हैं।
  • प्राचीन काल में तो गणितज्ञों के पास इतने साधन-सुविधाएं भी नहीं थी परंतु फिर भी उनके कार्यों,कृतित्व व ग्रंथों के द्वारा आज भी उनको याद किया जाता है।इसलिए भारत देश,अपने माता-पिता,समाज के लिए न सही परंतु अपने लिए ऐसा कर दिखाओ जिससे आप अपने कृतित्व के द्वारा लोगों के दिल में जिंदा रह सकें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणित में योगदान का तरीका (Way of Contribution in Mathematics),गणित में विशिष्ट योगदान कैसे करें? (How to Make Specific Contribution to Mathematics?) के बारे में बताया गया है।

2.गणित में योगदान का तरीका (Way of Contribution in Mathematics),गणित में विशिष्ट योगदान कैसे करें? (How to Make Specific Contribution to Mathematics?) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.मैं गणित में कैसे योगदान कर सकता हूं? (How can I contribute to mathematics?):

उत्तर:उदाहरण के लिए,आदर्श परिणाम (Novel Results) प्राप्त किए बिना गणित समुदाय में योगदान करने के लिए कम से कम कुछ चीजें हैं जो एक व्यक्ति कर सकते हैं:
व्याख्यान नोट्स या एक पाठ्यपुस्तक के रूप में एक सुसंगत कथा (coherent narrative) में ज्ञात परिणामों का आयोजन।
ओपन-सोर्स मैथमेटिकल सॉफ्टवेयर (mathematical software) में कोड का योगदान।

प्रश्न:2.गणित में उनका क्या योगदान है? (What is his contribution to mathematics?):

उत्तर:गणितीय प्रतिभा के श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan) को गणित की दुनिया में उनके अविश्वसनीय योगदान के लिए मरणोपरांत ही पहचाना जाने लगा।32 साल की छोटी उम्र में इस दुनिया को छोड़कर श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920) ने गणित में बहुत बड़ा योगदान दिया कि उनके जीवनकाल में कुछ ही आगे निकल सके।

प्रश्न:3.मानव जाति में गणित का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्या है? (What is the most important contribution of mathematics in humankind?):

उत्तर:गणित हमारे जीवन को व्यवस्थित बनाता है और अराजकता को रोकता है। गणित द्वारा पोषित कुछ गुण तर्क (reasoning),रचनात्मकता (creativity),अमूर्त (abstract) या स्थानिक सोच (spatial thinking),महत्वपूर्ण सोच (critical thinking),समस्या को सुलझाने की क्षमता (problem-solving ability) और यहां तक कि प्रभावी संचार कौशल की शक्ति (communication skills) हैं ।
प्रश्न:4.गणित में किसने योगदान दिया है? (Who has made a contribution to math?):
उत्तर:यहां उन 8 दिमाग के सबसे प्रतिभाशाली और गणित की महान श्रृंखला के लिए उनके योगदान के कुछ नाम हैं ।

पाइथागोरस (5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व) [The Pythagoreans (5th Century BC)]

यूक्लिड (Euclid)
आर्किमिडीज (Archimedes)
मोहम्मद इब्न मूसा अल-ख्वारीज़्मी (Muhammad ibn Musa al-Khwarizmi)
जॉन नेपियर (1550-1617) [John Napier (1550-1617)]
जोहानेस केपलर (1571-1630) [Johannes Kepler (1571-1630)]
रेने डेसकार्टेस (1596-1650) [Rene Descartes (1596-1650)]
ब्लेज़ पास्कल (1623-1662) [Blaise Pascal (1623-1662)]

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित में योगदान का तरीका (Way of Contribution in Mathematics),गणित में विशिष्ट योगदान कैसे करें? (How to Make Specific Contribution to Mathematics?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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