Vedic Mathematics
1.वैदिक गणित (Vedic Mathematics),वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?):
- वैदिक गणित (Vedic Mathematics) एक ऐसी विधा है जिसके ज्ञान से गणित के प्रति विद्यार्थियों का भय समाप्त हो जाता है।बुद्धि कुशाग्र होती है और गणित की जटिल गणनाएं सरल हो जाती है।
- वैदिक गणित भारतीय वैदिक साहित्य का शाश्वत ज्ञान का आदि स्रोत है।वैदिक ऋचाओं में गणित,ज्योतिष,खगोल विद्या,आयुर्वेद पद्धति के ज्ञान-विज्ञान की मानव के लिए उपयोगी पद्धतियों का विशद वर्णन है।
- गणितज्ञ पुरी के शंकराचार्य भारतीकृष्ण तीर्थ द्वारा महान् गणितज्ञ भास्कराचार्य (द्वितीय) के लीलावती नामक ग्रंथ की जटिल गणितीय प्रश्नोत्तरी का शुगम हल 8 सूक्ष्म उदाहरणों द्वारा प्रस्तुत किया।
- आधुनिक गणित में विद्यार्थियों को बने बनाए सूत्र दिए जाने से विद्यार्थियों की बुद्धि तथा तार्किक क्षमता का विकास नहीं हो पाता है।वैदिक गणित के सूत्र इस प्रकार के सूत्र हैं जो सूत्र निर्माण के साधन है,अतः विद्यार्थियों के बौद्धिक कौशल का विकास होता है।
- स्वामी भारती कृष्णतीर्थ जी का वृहद् वैदिक मैथमेटिक्स जब 1981 लन्दन में “Introducing Lectures on Vedic Mathematics” प्रकाशित हुआ तो पाश्चात्य देशों के गणितज्ञ चकित रह गए।वैदिक गणित की गणनाएं कंप्यूटर के अनुकूल है।साथ ही वैदिक गणित में गणना मानसिक रूप से की जाती है जिससे मस्तिष्क का विकास होता है।
- इसलिए वैदिक गणित को मानस गणित भी कहा जाता है।वैदिक गणित के सूत्र-उपसूत्रों आधारित विधियों के अभ्यास से गणित के कठिनतम प्रश्नों को हल किया जा सकता है। एक ही संक्रिया के लिए अनेक विधियों के उपलब्ध होने के कारण प्रश्न के प्रकार के अनुसार श्रेष्ठ विधि का चयन करके उत्तर शीघ्र प्राप्त किया जा सकता है।
- भारतीय गणित के इतिहास में 1000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व का काल शुल्व काल अथवा वेदांत ज्योतिष काल कहा जाता है।इस काल में बौधायन,आपस्तम्ब,कात्यायन आदि अनेक भारतीय गणितज्ञों ने शुल्व सूत्रों की रचना कर रेखागणित के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।इसी काल में बौधायन द्वारा रेखागणित की एक प्रसिद्ध प्रमेय की रचना की गई।यह प्रमेय बौधायन प्रमेय कहलाती है।
- इस प्रमेय को बाद में पाइथागोरस ने 540 ईसा पूर्व में प्रतिपादित किया था।बौधायन ने पाइथागोरस से 450 वर्ष पूर्व उक्त प्रमेय को प्रतिपादित किया था।इसलिए इस प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय के स्थान पर बौधायन प्रमेय कहा जाना चाहिए।
- महान् आर्यों ने हजारों वर्ष पूर्व शून्य व दशमलव पद्धति अंकों का आविष्कार किया।आज विश्व में आधुनिक गणित इसी शून्य व दशमलव अंक पद्धति के आधार पर विकसित हुई है।समस्त वैज्ञानिक खोजों तथा आविष्कारों में इसी गणित की गणनाओं का प्रयोग किया जाता है।यदि यह कहा जाए कि आधुनिक विज्ञान का विकास इसी शून्य व दशमलव अंक पद्धति के आधार पर हुआ है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
- प्राचीन काल में गणित और ज्योतिष की गणनाओं को बहुत कम समय में हल करने के लिए न तो केलकुलेटर थे और न कंप्यूटर थे।तब गणनाओं को तेजी से तथा कम समय में करने के लिए वैदिक ऋषियों तथा गणितज्ञों द्वारा वैदिक सूत्रों का प्रयोग किया जाता था।
- वैदिक सूत्र हमारी गणित की गणनाओं को तेजी से करने की क्षमता को बढ़ाते हैं।साथ ही साथ ये वैदिक सूत्र हमें गणित और बीजगणित की समस्याओं को हल करने का एक नया दृष्टिकोण भी देते हैं।
- ये वैदिक गणित सूत्र छोटे हैं परंतु इनका महत्त्व आज विश्व के गणितज्ञ भी स्वीकार करते हैं।वैदिक गणित के सूत्रों का उपयोग गणित की विभिन्न गणनाओं में किया जाता है।
- ज्ञान-विज्ञान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जिसमें हमारे प्राचीन भारतीय विद्वानों ने न लिखा हो।यज्ञ वेदी बनाने की ज्यामिति के विकास से लेकर वृत्त की परिधि नापने,क्षेत्रफल ज्ञात करने की विधियां ज्ञात की जा चुकी थी।चलन-कलन और गति शास्त्र का विकास हो चुका था।भारतीय प्राचीन वैदिक गणित ग्रंथों में ज्ञान-विज्ञान का विकसित रूप देखा जा सकता है।
- आर्यभटटीय और लीलावती आदि ग्रंथ तो 19वीं शताब्दी तक भारत में गणित की पाठ्यपुस्तक के रूप में पढ़ाए जाते रहे हैं।त्रिकोणमिति भी ज्योतिष का अंग रही है।प्रचलित त्रिकोणमिति के अनेक प्रकरणों को वैदिक गणितीय सूत्रों द्वारा आसानी से हल किया जा सकता है।
- उपर्युक्त विवरण में वैदिक गणित (Vedic Mathematics),वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?) के बारे में बताया गया है।
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- हमारे प्राचीन वेदों (भारत के प्राचीनतम धर्मशास्त्र ही नहीं विश्व के प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ) में विभिन्न विषयों पर (आध्यात्मिक तत्व में मीमांसीय,दार्शनिक,आत्मिक,मनोवैज्ञानिक,नैतिक,वैज्ञानिक,गणितीय ऐतिहासिक,राजनीतिक,अर्थशास्त्रीय,सामाजिक) उल्लेख है।
इनमें आध्यात्मिक तथा इहलौकिक ज्ञान का भंडार है।वेद ज्ञान के सच्चे अन्वेषक को वैज्ञानिक ही नहीं वरन् गणितीय परिशुद्ध पद्धति पर सभी आवश्यक निर्देश और पूर्ण विवरण सहित मार्गदर्शन देते हैं।
वेद अर्थात् समस्त ज्ञान स्रोत तथा असीमित कोष।यह अर्थ दर्शाता है कि वेदों में वह समस्त ज्ञान होना चाहिए जिसकी आवश्यकता मानव को न केवल तथाकथित आध्यात्मिक (पारलौकिक) विषय में पड़ती है,वरन् विशुद्ध सांसारिक,इहलौकिक या व्यावहारिक विषयों में भी पड़ती है और मानवता की सर्वतोमुखी प्रगति करने के लिए सभी संभव दिशाओं में दोष रहित सफलता प्राप्त हेतु उपयुक्त साधनों का निर्माण करने के लिए आवश्यक है और किसी भी क्षेत्र में,किसी भी दिशा में या किसी भी तरह सीमित या संकुचित करने वाला विशेषण इस पर नहीं लगाया जा सकता।
दूसरे शब्दों में इसका अर्थ हुआ कि हमारे पुराने भारतीय वैदिक ज्ञान को सर्वतोमुखी संपूर्ण और आदर्श होना चाहिए और किसी भी ज्ञान के सच्चे अन्वेषक विषय पर प्रकाश डालने की योग्यता होनी चाहिए।
इसलिए यह बिल्कुल उचित है कि वेदों में निम्नलिखित विषय समाविष्ट हैं:
(1.)आयुर्वेद (शरीर रचना विज्ञान,आरोग्य शास्त्र,चिकित्सा विज्ञान,शल्य चिकित्सा आदि) मृत्यु के पश्चात पूर्ण स्वास्थ्य तथा शक्ति लाभ करने के लिए नहीं वरन हमारे भौतिक शरीर में यहां और अभी यह सब उपलब्ध करने के लिए।
(2.)धनुर्वेद (धनुष विद्या तथा अन्य सैनिक विज्ञान) हमारे स्वर्ग में पहुंचने के पश्चात आपस में युद्ध करने के लिए नहीं वरन सभी विदेशी आक्रमणों को हराने और दबाने के लिए तथा आंतरिक विद्रोह को दबाने के लिए।
(3.)गांधर्व वेद (इंजीनियरी, वास्तुशिल्प) इत्यादि और संपूर्णता के लिए गणित की सभी शाखाएं।
हमारे वेदों की सभी शाखाओं तथा उपशाखाओं में सारे ज्ञान की खोज के अनुसंधान में मुख्यतः हमारा ध्यान एक तरफ नैतिक,मनोवैज्ञानिक तथा तत्त्व मीमांसा पर तथा दूसरी तरफ धनात्मक विज्ञानों और विशेषतया गणित की तरफ क्यों था,इसके लिए व्यक्तिगत ऐतिहासिक कारण रहे।
घृणास्पद दृष्टिकोण या बहुत भले रुप में कहें तो आश्रयात्मक दृष्टिकोण वाले कुछ तथाकथित पाश्चात्य विद्वानों,भारतीय विद्वानों,प्राचीन विद्वानों,अनुसंधानरत विद्वानों आदि ने वेदों के कुछ गूढ़ तथा दूर्बोध दिखने वाले अंशों को गंभीरतापूर्वक न लेते हुए ही नहीं वरन् गैर-जिम्मेदारी से तुच्छतापूर्वक तथा अवज्ञापूर्वक मात्र मूर्खतापूर्ण बालक-सी तोतली बातें कहकर निमित्त किया।किंतु इन सब ने अग्नि में घी के समान हमारे प्राचीन भारत के वैदिक ज्ञान में निहित दीर्घकाल से छिपे दर्शन तथा विज्ञान को प्रकाश में लाने के दृढ़ संकल्प को ओर भी पक्का कर दिया।इसके फलस्वरूप जंगल के एकांत में आठ वर्षों के चिन्तन तथा मनन के पश्चात कहीं हम लोग दीर्घकाल से लुप्त उस कुंजी को खोज पाए जिससे कि इस ज्ञान के द्वार खुल सकते हैं तथा हम लोगों को स्वयं भी एक खोज कर कि गणित के अत्यंत कठिन प्रश्नों को जिन्हें कि गणितीय दृष्टि से अग्रणी आधुनिक पाश्चात्य वैज्ञानिक विश्व ने बहुत अधिक समय,शक्ति तथा धन का खर्च करने के बाद भी बहुत कठिनता से तथा बहुत ही श्रमसाध्य विधि से जिनमें कि बहुत कठिन तथा दुष्कर स्टेप्स रहती हैं, हल किया है) अथर्ववेद के परिशिष्ट में निहित अति सरल वैदिक सूत्रों द्वारा सफलतापूर्वक तथा सहज ही, कुछ सरल स्टेप्स में मात्र मौखिक विधि द्वारा,हल कर सकते हैं, आश्चर्य हुआ तथा विपुल हर्ष भी।
वैदिक गणित निम्न में अपना अधिकार रखती है:
(1.)सूत्र गणित की सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में सभी विभागों पर लागू होते हैं। (अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, समतल तथा गोलीय,त्रिकोणमिति,समतल तथा धन ज्यामिति तथा वैश्लेषक),शांकव,ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन इत्यादि।वास्तव में शुद्ध अथवा प्रयुक्त गणित में ऐसा कोई भाग नहीं जिसमें कि उनका अनप्रयोग न हो।
(2.)सूत्र सहज ही समझ में आ जाते हैं।उनका अनुप्रयोग सरल है तथा सहज ही याद हो जाते हैं तथा प्रक्रिया मौखिक है।
(3.)कई स्टेप्स की प्रक्रिया वाले (क्रमानुसार अथवा एक साथ) जटिल प्रश्नों को हल करने में आधुनिक पाश्चात्य विधि (प्रचलित) की अपेक्षा वैदिक विधि में एक तिहाई, चौथाई, दसवां या उससे भी कम समय लगता है।
(4.)गणित की सभी शाखाओं पर अनुप्रयोग करते हुए विद्यार्थियों को वैदिक गणित का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए औसतन 2 या 3 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से लगते हैं।
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2.वैदिक गणित (Vedic Mathematics),वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.क्या वैदिक गणित उपयोगी है? (Is Vedic maths useful?):
उत्तर:वैदिक गणित के ये हैं लाभ: यह व्यक्ति को गणितीय समस्याओं को कई गुना तेजी से हल करने में मदद करता है।यह सरल और जटिल दोनों प्रकार की समस्याओं के लिए बुद्धिमान निर्णय लेने में मदद करता है।यह कठिन अवधारणाओं को याद रखने के बोझ (burden) को कम करता है।
प्रश्न:2.उदाहरण के साथ वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths with examples?):
उत्तर:वैदिक गणित गणितीय अंकगणित को आसान और तेज़ तरीके से हल करने के लिए तकनीकों/सूत्रों का एक संग्रह है।इसमें 16 सूत्र (सूत्र) और 13 उप-सूत्र (उप सूत्र) शामिल हैं जिनका उपयोग अंकगणित (arithmetic),बीजगणित (algebra),ज्यामिति (geometry),कलन (calculus),शंकु (conics) में शामिल समस्याओं के लिए किया जा सकता है।
प्रश्न:3.वैदिक सूत्र क्या है? (What is Vedic formula?):
उत्तर:इसमें 29 वैदिक गणित सूत्र हैं,जो वेद नामक प्राचीन भारतीय लिपियों (Scripts) पर आधारित गणितीय अवधारणा हैं।वैदिक गणित की पुस्तक पुजारी भारती कृष्ण तीर्थजी )(Priest Bharati Krishna Tirthaji) द्वारा लिखी गई थी और पहली बार 1965 में प्रकाशित हुई थी।वैदिक गणित में 16 सूत्र (सूत्र) और 13 उप-सूत्र (उप-सूत्र) शामिल हैं।
प्रश्न:4.क्या वैदिक गणित कठिन है? (Is Vedic maths difficult?):
उत्तर:यह गणित की समस्याओं को आसान और तेज़ तरीके से हल करने की तकनीकों का एक संग्रह है।वैदिक विधियों से ‘कठिन’ समस्या या लंबे योग का तुरंत समाधान किया जा सकता है।वैदिक गणित की सरलता का अर्थ है कि गणना मानसिक रूप से की जा सकती है।
प्रश्न:5.वैदिक गणित की खोज किसने की? (Who found Vedic Maths?):
उत्तर:भारती कृष्ण तीर्थ (Bharati Krishna Tirtha)
वैदिक गणित भारतीय भिक्षु भारती कृष्ण तीर्थ (Indian monk Bharati Krishna Tirtha) द्वारा लिखित एक पुस्तक है और पहली बार 1965 में प्रकाशित हुई थी।इसमें गणितीय तकनीकों की एक सूची है,जिसके बारे में लेखक ने दावा किया था कि वे वेदों से प्राप्त की गई थीं और माना जाता है कि इसमें सभी गणितीय ज्ञान शामिल हैं।
प्रश्न:6.मैं वैदिक गणित कैसे करूं? (How do I do Vedic Maths?):
उत्तर:तो यहाँ 8 वैदिक गणित की तरकीबें हैं जिनके बारे में मैं बात कर रहा था:
एक संख्या का वर्ग जिसका इकाई अंक 5 है।
किसी संख्या को 5 से गुणा करें।
विचलन ज्ञात करने के लिए 1000,10000,100000 से घटाना।
किसी भी 2-अंकीय संख्याओं का गुणन (11 – 19)
एक बड़ी संख्या को 5 से भाग देने पर
किसी भी दो अंकों की संख्या को 11 से गुणा करें।
किसी भी तीन अंकों की संख्या का गुणन।
उपर्युक्त सभी क्रियाएं वैदिक गणित में बहुत तेज गति से की जा सकती हैं।
प्रश्न:7.वैदिक गणित सीखने की सही उम्र क्या है? (What is the right age to learn Vedic Maths?):
उत्तर:अबेकस (Abacus) सीखने की आयु 5 से 14 वर्ष के बीच है और वैदिक गणित सीखने के लिए न्यूनतम आयु 10 वर्ष है।
प्रश्न:8.वैदिक गणित के जनक कौन है ? (Who is the father of Vedic mathematics?):
उत्तर:जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ महाराज (Jagadguru Shankaracharya Swami Bharati Krishna Tirtha Maharaja)
भारती कृष्ण तीर्थ
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ महाराज
जन्म:वेंकटरमण शास्त्री (Venkataraman Shastri) 14 मार्च 1884 तिरुनेलवेली (Tirunelveli),मद्रास प्रेसीडेंसी (Madras Presidency),ब्रिटिश भारत (वर्तमान तमिलनाडु,भारत) [British India (present-day Tamil Nadu, India)]
मृत्यु:2 फरवरी 1960
उल्लेखनीय कार्य वैदिक गणित
माता-पिता पी.नरसिम्हा शास्त्री (पिता) [P. Narasimha Shastri (father)]
प्रश्न:9.वैदिक गणित को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? (What is Vedic maths called in English?):
उत्तर:”वैदिक गणित” 16 सूत्रों (Sutras) या सूत्र के एक सेट (aphorisms) के आधार पर गणना की एक तकनीक को संदर्भित करता है जो कि एल्गोरिदम और उनके उप-सूत्र (upa-sutras) या इन सूत्रों से प्राप्त उप-सूत्र (corollaries) हैं।इसके उत्साही इस दावे को आगे बढ़ाते हैं कि इन सूत्रों से किसी भी गणितीय समस्या को मानसिक रूप से हल किया जा सकता है।
प्रश्न:10.वैदिक गणित का अनुप्रयोग क्या है? (What is the application of Vedic Maths?):
उत्तर:वैदिक गणित अंकगणितीय संगणनाओं (Arithmetical computations),संख्याओं के सिद्धांत (theory of numbers),संयुक्त गुणन (compound multiplications),बीजीय संक्रियाओं (algebraic operations),गुणनखंडों(factorisations),सरल द्विघात और उच्च कोटि के समीकरणों (simple quadratic and higher order equations),युगपत द्विघात समीकरणों (simultaneous quadratic equations),आंशिक भिन्नों (partial fractions),कलन (calculus),वर्गमूल (squaring),घन (cubing),वर्गमूल (square root), घनमूल (cube root) के अद्भुत अनुप्रयोगों का परिचय देता है।
प्रश्न:11.वैदिक गणित क्या है और इसके क्या फायदे हैं? (What is Vedic maths and its benefits?):
उत्तर:वैदिक गणित की सरलता का अर्थ है कि गणना मानसिक रूप से की जा सकती है।वैदिक गणित के कई फायदे हैं: यह बड़ी मात्रा में जानकारी को याद रखने के भार को कम करता है क्योंकि इसके लिए आपको केवल 9 तक की टेबल सीखने की आवश्यकता होती है।पारंपरिक पद्धति की तुलना में,यह तेजी से गणना करने में सक्षम बनाता है।
प्रश्न:12.क्या वैदिक गणित वास्तविक है? (Is Vedic math real?):
उत्तर:कहीं भी नहीं।वैदिक गणित का वेदों से कोई संबंध नहीं है।यह वास्तव में भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा भ्रामक रूप से वैदिक गणित शीर्षक वाली पुस्तक से उत्पन्न हुई है। अफसोस की बात है कि “वैदिक गणित” के पैरोकार, हालांकि वे भारतीय परंपरा को चैंपियन (champion Indian tradition) बनाने का दावा करते हैं,वेदों में वास्तविक परंपरा से अनभिज्ञ हैं।
प्रश्न:13.क्या बच्चों के लिए वैदिक गणित अच्छा है? (Is Vedic math good for kids?):
उत्तर:वैदिक गणित में महारत हासिल करने से बच्चों को तेजी से गणना करने में मदद मिल सकती है,जो दैनिक जीवन के साथ-साथ तनावपूर्ण परीक्षाओं में भी उपयोगी हो सकता है।वैदिक गणित प्रणाली बच्चों के लिए जोड़,घटाव, गुणा और भाग जैसी सरल संख्यात्मक समस्याओं को हल करना आसान बनाती है।
प्रश्न:14.स्कूलों में वैदिक गणित क्यों नहीं पढ़ाया जाता? (Why Vedic maths is not taught in schools?):
उत्तर:गणित के प्रति अरुचि के पीछे सबसे बड़ा कारण स्कूलों में इसे पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नीरस (monotonous) और सूखे तरीके (dry methods) हैं।यह मज़ेदार नहीं है और शिक्षक अक्सर इसे जटिल बना देते (overcomplicate) हैं।
प्रश्न:15.मैं वैदिक गणित कहाँ से सीख सकता हूँ? (Where can I learn Vedic Maths?):
उत्तर:वैदिक मैथ्स फोरम इंडिया (The Vedic Maths Forum India) लाइव इंटरेक्टिव ऑनलाइन क्लासेस (Live interactive Online Classes) के माध्यम से 8 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों के लिए 10 गुना तेजी से गणित सीखने का स्थान है।
प्रश्न:16.वैदिक गणित का दूसरा नाम क्या है? (What is the other name of Vedic Maths?):
उत्तर:वैदिक गणित वेदों से आता है,विशेष रूप से अथर्ववेद (Atharva Veda) से।इसे 1911 और 1918 के बीच भारतीय गणितज्ञ जगद्गुरु श्री भारती कृष्ण तीर्थजी (Indian mathematician Jagadguru Shri Bharati Krishna Tirthaji) द्वारा पुनर्जीवित किया गया था।
प्रश्न:17.गणित का संबंध किस वेद से है? (Which Veda is related to mathematics?):
उत्तर:अथर्ववेद (Atharva Veda)
कृष्ण तीर्थ को 16 गणितीय सूत्रों की खोज का श्रेय दिया जाता है जो चार वेदों में से एक,अथर्ववेद के परिशिष्ठ (परिशिष्ट) का हिस्सा थे।तीर्थ के सरल सूत्र जटिल गणितीय गणनाओं को संभव बनाते हैं।
प्रश्न:18.वैदिक का क्या अर्थ है? (What does Vedic mean?):
उत्तर:वेदों से संबंधित,जिस भाषा में वे लिखे गए हैं या हिंदू इतिहास और संस्कृति 1500 ई.पू. और 500 ई.पू.
प्रश्न:19.वैदिक गणित क्यों सीखना चाहिए? (Why should one learn Vedic Maths?):
उत्तर:दिमाग का एक हिस्सा दूसरे से ज्यादा सक्रिय होता है। विश्लेषणात्मक कौशल (analytical skills) वाले लोगों को वाम-दिमाग (left-brained) वाला कहा जाता है और रचनात्मक कौशल (creative skills) वाले लोग दाएं-दिमाग (right-brained) वाले होते हैं।वैदिक गणित न केवल बच्चे को एकाग्रता बनाने में मदद करेगा बल्कि उसकी रचनात्मक (creative) और तार्किक (logical instincts) दोनों प्रवृत्तियों को विकसित करने में भी मदद करेगा।
प्रश्न:20.वैदिक गणित आधुनिक गणित के लिए किस प्रकार सहायक है? (How is Vedic maths helpful to modern maths?):
उत्तर:वैदिक गणित तेज और सटीक मानसिक गणना में मदद करता है।इसके द्वारा 16 सूत्र और 13 उप सूत्र।कोई भी योग (addition),भाग (division),गुणा (multiplication),बीजगणित (algebra),त्रिकोणमिति (trigonometry),वर्ग (square),वर्गमूल (square root),घन (cube),घनमूल (cube root) के किसी भी कठिन समीकरण को मानसिक गणना से ही हल किया जा सकता है।आज का युग सबसे तेजी से बढ़ने वाला और कभी बदलने वाला युग है।
प्रश्न:21.वैदिक गणित का भविष्य क्या है? (What is the future of Vedic Maths?):
उत्तर:वैदिक गणित में सिखाई जाने वाली अवधारणाएं प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों (competitive exam aspirants) के लिए ग्रेड III के लिए व्यापक रूप से लागू होती हैं।इसलिए वैदिक गणित का भविष्य और दायरा बहुत व्यापक है और समय को देखते हुए यह केवल उज्ज्वल ही चमकेगा।यदि विद्यार्थी को 5 तक की गुणन सारणी की बुनियादी समझ हो तो इससे मदद मिलेगी।
प्रश्न:22.क्या मैं वैदिक गणित ऑनलाइन सीख सकता हूँ? (Can I learn Vedic Maths Online?):
उत्तर:ये मुफ्त वैदिक गणित पाठ्यक्रम एमओओसी (MOOC) और ऑनलाइन शिक्षा प्रदाताओं जैसे उडेमी (Udemy),कौरसेरा (Coursera),एडएक्स (Edx), स्किलशेयर (Skillshare),उडेसिटी (Udacity),बिटडिग्री (Bitdegree),एडुओनिक्स (Eduonix),क्विकस्टार्ट (QuickStart), यूट्यूब (YouTube) और अन्य से एकत्र किए जाते हैं।निःशुल्क वैदिक गणित कक्षाएं,पाठ्यक्रम खोजें और वैदिक गणित का निःशुल्क प्रशिक्षण और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करें।
प्रश्न:23.क्या मैं घर पर वैदिक गणित सीख सकता हूँ? (Can I learn Vedic maths at home?):
उत्तर:वैदिक गणित पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध है और साथ ही कुछ ट्यूटोरियल घर पर ही अध्ययन सामग्री भेज सकते हैं जो एक व्यक्ति को अपने घर के आराम के भीतर वैदिक गणित के कौशल हासिल करने में सक्षम करेगा।
प्रश्न:24.मैं अपने बच्चे को वैदिक गणित कैसे पढ़ाऊं? (How do I teach my child Vedic Maths?):
उत्तर:5 साल के बच्चे के लिए वैदिक ट्रिक्स
जोड़ ट्रिक।दो अंकों की संख्याओं को जोड़ते समय,निकटतम दहाई (ten’s) पर विचार करें और उन्हें जोड़ें।
घटाव की ट्रिक (Subtraction Trick)।
5 से गुणा करने की ट्रिक
कैलकुलेशन को आसान बनाएं।
चरणों को फिर से लिखें (Rephrase the Steps)।
किसी संख्या को हल करने का साहस बढ़ाता है।
एकाग्रता विकसित करता है।
रचनात्मकता कौशल को बढ़ाता है (Enhances Creativity Skills)।
प्रश्न:25.वैदिक गणित में क्या पढ़ाया जाता है? (What is taught in Vedic Maths?):
उत्तर:वैदिक गणित के माध्यम से आप अंकगणित (Arithmetic),बीजगणित (Algebra) और यहां तक कि त्रिकोणमिति (Trigonometry) में गणना कर सकते हैं और गणना को सरल और तेज कर सकते हैं।परिणाम आपके देखने के लिए हैं और दुनिया भर में लोग हमें उनके और उनके बच्चों के लिए मूल्य जोड़ने के लिए प्यार करते हैं।
प्रश्न:26.6 शास्त्र कौन से हैं? (What are the 6 shastras?):
उत्तर:धर्म शास्त्र (Dharma Shastra)।
अर्थ शास्त्र (Artha Shastra)।
कामसूत्र (Kamasutra)।
ब्रह्म सूत्र (Brahma Sutras)।
सांख्य सूत्र (Samkhya Sutras)।
मीमांसा सूत्र (Mimamsa Sutras)।
न्याय सूत्र (Nyāya Sūtras)।
वैशेषिक सूत्र (Vaiśeṣika Sūtra)।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा वैदिक गणित (Vedic Mathematics),वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Also Read This Article:Sulvasutra and Geometry
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Satyam
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