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Vector Space in Abstract Algebra

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1 1.अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space):

1.अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space):

अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra) एक ऐसा बीजीय निकाय है जिनमें एक आबेली ग्रुप,एक फील्ड (क्षेत्र) तथा एक बाह्य संक्रिया होती है जो इन दोनों (ग्रुप तथा फील्ड) को एक ही निकाय में संयोजित करेगी अर्थात् एक ऐसे बीजीय निकाय जो एक बाह्य संक्रिया के अन्तर्गत ग्रुप तथा फील्ड के समायोजन से प्राप्त होता है जिसे सदिश समष्टि (Vector Space) या रैखिक समष्टि (Linear Space) कहते हैं।
आन्तरिक और बाह्य द्विचर संक्रियाएं (Internal and External Binary Operation):
यदि V एक अरिक्त समुच्चय है जो प्रतिचित्रण f : V \times V \rightarrow V एक आन्तरिक द्विचर संक्रिया कहलाती है। पुनः माना F तथा V दो अरिक्त समुच्चय हैं जो प्रतिचित्रण f : V \times V \rightarrow V एक बाह्य द्विचर संक्रिया कहलाती है,इसमें F तथा V के अवयवों का गुणनफल V का अवयव होता है।
सदिश समष्टि की परिभाषा (Definition of Vector Space):
एक बीजीय पद्धति \left(v,\oplus \right) जहाँ \oplus अरिक्त समुच्चय V में आन्तरिक संक्रिया है, फील्ड (F,+,\bullet ) पर सदिश समष्टि या रैखिक समष्टि (Linear Space) कहलाती है, यदि
(I) \left(v,\oplus\right) एक आबेली ग्रुप है; V के अवयवों को सुविधा के लिए सदिश कहते हैं।
(F,+,\bullet ) एक फील्ड है जिसके योज्य तथा गुणात्मक तत्समक अवयवों को 0 तथा 1 से निरूपित करते हैं ;F के अवयवों को सुविधा के लिए अदिश कहते हैं तथा इसके किन्हीं दो अवयवों \alpha_{1} ,\alpha_{2} के गुणन \alpha_{1} \cdot \alpha_{2} को प्रायः \alpha_{1} ,\alpha_{2} से प्रकट करते हैं।
तथा \odot एक बाह्य संक्रिया या अदिश गुणन संक्रिया जिसके अन्तर्गत \alpha \in F, v \in F के लिए \alpha \odot v \in V तथा किन्हीं \alpha_{1}, \alpha_{2} \in F तथा v_{1}, v_{2} \in V के लिए:
(II) अदिश गुणन के लिए बंटनता:

\alpha_{1} \odot \left(v_{1} \oplus v_{2}\right)=\left(\alpha_{1} \odot v_{1}\right) \oplus \left(\alpha_{2} \odot v_{2}\right)
(III) अदिश योग या बंटनता:

\left(\alpha_{1}+\alpha_{2}\right) \odot v_{1} = \left(\alpha_{1} \odot v_{1}\right) \oplus\left(\alpha_{2} \odot v_{2}\right)
(IV) अदिश गुणा के लिए साहचर्यता:

\alpha_{1} \odot \left(\alpha_{2} \odot v_{1}\right)=\left(\alpha_{1} \cdot \alpha_{2}\right) \oplus v_{1}
(V) 1 \odot v_{1}=v_{1} जहाँ अवयव 1 संक्रिया के अन्तर्गत F का तत्समक अवयव है।
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2.अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि पर आधारित उदाहरण (Examples Based on Vector Space in Abstract Algebra):

Example:1.यदि V(R) वास्तविक संख्याओं के क्रमित युग्मों (x,y) का समुच्चय है तथा (R,+,\bullet ) वास्तविक संख्याओं का फील्ड है।परीक्षण कीजिए कि निम्न प्रकार परिभाषित सदिश योग तथा अदिश गुणन के सापेक्ष V(R) सदिश समष्टि है:
(If V be the set of all ordered pairs (x,y) of real numbers and (R,+,\bullet ) be the field of real numbers.Is V(R) a vector Space with addition and scalar multiplication defined as follows):
1(i) \left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)=\left(x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2}\right) ; \alpha\left(x, y\right)=\left(\alpha x, \alpha y\right) \forall \alpha \in R
Solution:1(i) \left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)=\left(x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2}\right) ; \alpha\left(x, y\right)=\left(\alpha x, \alpha y\right) \forall \alpha \in R
माना V_{1}=\left(x_{1}, y_{1}\right) \in V तथा V_{2}=\left(x_{2}, y_{2}\right) \in V
जहाँ x_{1}, y_{1}, x_{2}, y_{2} \in R
तब V_{1}+V_{2}=\left(x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2}\right) \in V
[चूँकि x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2} \in R ]
अतः क्रमित युग्मों का समुच्चय V योग के लिए संवृत है।
पुनः यदि \alpha \in R तो

\alpha v=\alpha\left(x_{1}, y_{1}\right)=\left(\alpha x_{1}, \alpha y_{1}\right) \in v
[चूँकि\alpha x_{1}, \alpha x_{2} \in R ]

\therefore \alpha \in R, v \in V \Rightarrow \alpha V \in V
इसलिए V,R पर क्रमित युग्मों के अदिश गुणन के लिए संवृत है।अब हम यह सिद्ध करेंगे कि V(R) सदिश समष्टि है
I (V, F) आबेली ग्रुप है क्योंकि

\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right) =\left(x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2}\right) \\ =\left(x_{2}+x_{1}, y_{2}+y_{1}\right) \\ =\left(x_{2}, y_{2}\right)+\left(x_{1}, y_{1}\right)
(i) V में सदिश योग के लिए साहचर्यता
माना x_{1}, y_{1}, x_{2}, y_{2}, x_{3}, y_{3} \in V तब

\left[\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)\right]+\left(x_{3}, y_{3}\right)=\left(x_{1}+x_{2}, y_{1}+y_{2}\right) +\left(x_{3}, y_{3}\right) \\ =\left(x_{1}+x_{2}+x_{3}, y_{1}+y_{2}+y_{3}\right) \\ = \left[x_{1}+\left(x_{2}+x_{3}\right), y_{1}+\left(y_{2}+y_{3}\right)\right] \\ =\left(x_{1}, y_{1}\right) +\left(x_{2}+x_{3}, y_{2}+y_{3}\right) \\ =-\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left[\left(x_{2}, y_{2}\right)+\left(x_{3}, y_{3}\right)\right]
V में सदिश योग संक्रिया सहचारी है।
(ii) V में योज्य तत्समक का अस्तित्व:
क्योंकि (0,0) \in V  तथा \forall(x, y,) \in V के लिए

(0,0)+\left(x_{1}, y_{1}\right) =\left(0+x_{1}, 0+y_{1}\right) \\ =\left(x_{1}, y_{1}\right)
अतः (V,F) में (0,0) तत्समक अवयव है
प्रतिलोम का अस्तित्व:
यदि \left(x_{1}, y_{1}\right) \in V  तो -\left(x_{1}, y_{1}\right) को \left(-x_{1}, -y_{1}\right) से परिभाषित करते हैं

\left(x_{1}, y_{1} \right)+\left(-x_{1}, -y_{1}\right)=\left(x_{1}-x_{1}, y_{1}-y_{1}\right) \\ =(0,0) \\ =0
अतः V के प्रत्येक अवयव का प्रतिलोम V में नहीं है।

II \forall \left(x_{1}, y_{1}\right)\left(x_{2}, y_{2}\right),\left(x_{3}, y_{3}\right) \in V तथा \alpha,\beta \in R
(i) \forall \alpha \in F तथा \left(x_{1}, y_{1}\right),\left(x_{2}, y_{2}\right) \in V \\ \alpha\left\{\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)\right\} \\ =\alpha\left(x_{1}, y_{1}\right)+\alpha\left(x_{2}, y_{2}\right) \\ =\left(\alpha x_{1}, \alpha y_{1}\right)+\left(\alpha x_{2}, \alpha y_{2}\right)
समुच्चय V में अदिश गुणन सदिश योग पर बंटनता करता है।
(ii)(\alpha+\beta) \cdot\left(x_{1}, y_{1}\right)=\left[(\alpha+\beta) x_{1},(\alpha+\beta) y_{1}\right] \\ =\left[\alpha x_{1}+\beta x_{1}, \alpha y_{1}+\beta y_{1}\right] \\ =\left(\alpha x_{1}, \alpha y_{1}\right)+\left(\beta x_{1}, \beta y_{1}\right)

समुच्चय V में सदिश गुणन अदिश योग पर बंटनता करता है।
(iii) \alpha\left[\beta\left(x_{1}, y_{2}\right)\right]=\alpha\left[\beta x_{1,} \beta y_{1}\right] \\ =\left[\alpha\left(\beta x_{1}\right), \alpha\left(\beta y_{1}\right)\right] \\ =\left[(\alpha \beta) x_{1},(\alpha \beta) y_{1}\right] \\ =(\alpha \beta)\left(x_{1}, y_{1}\right)

समुच्चय V में अदिश गुणन सहचारी है।
(iv) यदि R का तत्समक अवयव 1 है तो

1 \cdot\left(x_{1}, y_{1}\right) =\left(1 \cdot x_{1} , 1 \cdot y_{1}\right) \\ =\left(x_{1}, y_{1}\right)
अतः V(F) एक सदिश समष्टि है।

\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)=\left(3 y_{1}+3 y_{2},-x_{1}-x_{2}\right); \alpha\left(x, y\right) =\left(3 \alpha y,-\alpha x\right) \forall \alpha \in R

Solution:\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)=\left(3 y_{1}+3 y_{2},-x_{1}-x_{2}\right); \alpha\left(x, y\right) =\left(3 \alpha y,-\alpha x\right) \forall \alpha \in R
I (V, +) को आबेली ग्रुप सिद्ध करेंगे:

\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(x_{2}, y_{2}\right)=\left(3 y_{1}+3 y_{2},-x_{1}-x_{2}\right) \\=\left(3 y_{2}+3 y_{1},-x_{2}-x_{1}\right) \\ =\left(x_{2}, y_{2}\right)+\left(x_{1},y_{1}\right)
अतः आबेली ग्रुप है।
(i)V में सदिश योग के लिए साहचर्यता
माना \left(x_{1}, y_{1}\right),\left(x_{2}, y_{2}\right),\left(x_{3}, y_{3}\right) \in V \\ {\left[\left(x_{1}, y_{1}\right) +\left(x_{2}, y_{2}\right)\right]+\left(x_{3}, y_{3}\right) } =\left(3 y_{1}+3 y_{2},-x_{1}-x_{2}\right) +\left(x_{3}, y_{3}\right) \\ =\left(-3 x_{1}-3 x_{2}+3 y_{3},-3 y_{1}-3 y_{2}-x_{3}\right) \\ \left(x_{1}, y_{1}\right) + \left[\left(x_{2}, y_{2}\right)+\left(x_{3}, y_{3}\right)\right] \\ =\left(x_{1}, y_{1}\right)+\left(3 y_{2}+3 y_{3}-x_{2}-x_{3}\right) \\ =\left(3 y_{1}-3 x_{2}-3 x_{3},-x_{1}-3 y_{2}-3 y_{3}\right) \\ \left[\left(x_{1}, y_{1}\right)+ \left(x_{2}, y_{2}\right)\right]+\left(x_{3}, y_{3}\right) \neq\left(x_{1}, y_{1}\right)+ \left[\left(x_{2} , y_{2}\right)+\left(x_{3}, y_{3}\right)\right]

। V, योग संक्रिया के लिए सहचारी नहीं है।अतः V(R) सदिश समष्टि नहीं है।

Example:2.निम्न में कौन से, दर्शाए हुए फील्ड पर साधारण योग एवं अदिश गुणन के सापेक्ष सदिश समष्टि हैं:
(Which of the following is a vector Space over the field as shown against each with ordinary addition and scalar multiplication):
1(i) V=C सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय (Set of Complex Numbers)
F=R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय
(Set of Real Numbers)
Solution:1(i). V=C सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय (Set of Complex Numbers)
F=R वास्तविक संख्याओं का समुच्चय
(Set of Real Numbers)
माना C सभी सदिशों का समुच्चय है
तथा R सभी अदिशों का समुच्चय है
C क्षेत्र है \therefore a \alpha \in c
यह प्रदर्शित करता है कि अदिश गुणन संवृत है

1 \in R \Rightarrow 1 \in C \\ \alpha, \beta \in C तथा a, b \in R \\ a, b \in R \Rightarrow a, b \in C(\because R \subseteq C) \\ \therefore a(\alpha+\beta)=a \alpha+a \beta
अतः C,R पर सदिश समष्टि है।
1(ii). V उन समस्त बहुपदों का समुच्चय जिनकी घात \leq 2, F=R
(V is a set of all polynomials whose degree is \leq 2, F=R.)
Solution:1(ii) V उन समस्त बहुपदों का समुच्चय जिनकी घात \leq 2, F=R
(V is a set of all polynomials whose degree is \leq 2, F=R.)
माना बहुपद V=\left\{V(x) : V(x)=a_{0}+a_{1} x+a_{2} x^{2}\right\} \\ a_{i} \in F
अतः V उन सभी बहुपदों का समुच्चय है जिसकी घात 2 या 2 से कम है।
I (V, +) को आबेली सिद्ध करेंगे:

P(x) =\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}  तथा q(x)=\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n} \in V(x) \\ P(x)+q(x) =\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2}\left(a_{n} +b_{n}\right) x^{n}
साथ ही यदि अदिश गुणन के लिए
यदि a \in F \\ p(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \in P(x)
I अब (p(x),+) एक आबेली ग्रुप है सिद्ध करेंगे
(i) संवृतता
यदि p(x), q(x) \in V(x)
तब p(x)+q(x)=\sum_{n=0}^{2} \left(a_{n}+b_{n}\right) x^{n} \in V(x)
V(x) बहुपद योग (सदिश योग) संक्रिया के लिए संवृत है।
(ii) सदिश योग के लिए साहचर्यता
यदि p(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}; q(x)=\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n} तथा r(x)=\sum_{n=0}^{2} c_{n} x^{n}
समुच्चय V(x) के कोई तीन अवयव हैं तब

[p(x)+q(x)]+r(x)=\left[\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+ \sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n}\right]+ \sum_{n=0}^{2} c_{n} x^{n} \\=\sum_{n=0}^{2}\left(a_{n}+b_{n}\right) x^{n}+\sum_{n=0}^{2} c_{n} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2} \left\{\left(a_{n}+b_{n}\right)+c_{n}\right\} x^{n} 
[F में योग संक्रिया सहचारी है]

=\sum_{n=0}^{2}\left\{a_{n}+ \left(b_{n}+c_{n}\right)\right\} x^{n}\\=\sum_{n=0}^{2} a_{x} x^{n}+\sum_{x=0}^{2}\left(b_{n}+c_{n}\right) x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+\left[\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n}+\sum_{n=0}^{2} a_{n x} x^{n}\right] \\ =p(x)+[q(x)+r(x)]
V(x) में सदिश योग संक्रिया सहचारी है।
(iii) योज्य तत्समक का अस्तित्व
यदि o(x)=\sum_{n=0}^{2} 0 x^{n} \in V(x)
और p(x)=\sum_{n=0}^{2} a x^{x} \in V_{n}(x)\\ o(x)+p(x)=\sum(0+a_{n}) x^{n} \\ =\sum a_{n} x^{n} \in V(x)
[\because O,फील्ड F का योज्य तत्समक है]
इसी प्रकार P(x)+O(x)=V(x)
फलतः O(x) समुच्चय V(x) का योज्य तत्समक अवयव है।
(iv) योज्य प्रतिलोम का अस्तित्व
यदि  P(x)=\sum_{n=0}^{\infty} a_{n} x^{n} \in V(x) तब

-P(x)=\sum_{n=0}^{2}\left(-a_{n}\right) x^{n} \in-V(x)
क्योंकि यदि a_{n} \in F \Rightarrow-a_{n} \in F जहाँ a_{n} \in F का F में योज्य प्रतिलोम -a_{n} है।
अब p(x)=[-p(x)]=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+ \sum_{n=0}^{2}(-a_{n}) x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2} \left[a_{n}+(-a_{n})\right] x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2} 0 x^{n}=o(x)
V(x) के प्रत्येक अवयव का योज्य प्रतिलोम का अस्तित्व है तथा V(x) अवयव है।
(v) V(x) में ‘+’ के लिए क्रमविनिमेयता
यदि P(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}, q(x)=\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n} \\ p(x)+q(x)=\sum_{n=0}^{2} \left(a_{n}+b n\right) x^{n}
[ \because a_{n},b_{n} \in F , F योज्य क्रमविनिमेयता है]

=\sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n}+\sum_{x=0}^{2} a_{n} x^{n} \\ =q(x)+p(x)
V(x) में सदिश योग ‘+’ क्रमविनिमेय है।
परिणामतः समुच्चय V(x) सदिश (बहुपदों के) योग संक्रिया के लिए आबेली ग्रुप है।
साथ ही F फील्ड दिया हुआ है।
II अदिश गुणन के लिए बंटनता
माना p(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}, q(x)=\sum_{n=0}^{2} b_{n} x_{n}^{n}
तथा p(x), q(x) \in V(x) और a \in F साथ ही तब

[p(x)+q(x)]=a \sum_{n=0}^{2}(a_{n}+b_{n}) x^{n}\\ =\sum_{n=0}^{2} a(a_{n}+b_{n}) x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{n}(a a_{n}+b b_{n}) \cdot x^{n}
[F में बंटनता से]

=\sum_{n=0}^{2}\left(a a_{n}\right) x^{n}+\sum_{n=0}^{2}\left(a b_{n}\right) x^{n}\\ =a \sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+a \sum_{n=0}^{2} b_{n} x^{n}
अतः समुच्चय P(x) में अदिश गुणन सदिश योग पर बंटनता करता है।
III अदिश योग पर बंटनता
माना a, b \in F तथा P(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \in V(x)
तब (a+b) p(x)=(a+b) \sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2}\{(a+b) \cdot a_{n}\} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2}\left(a a_{x}+b a_{n}\right) x^{n} [F में बंटनता से]

=\sum_{n=0}^{2} a a_{n} x^{n}+\sum_{n=0}^{2} b a_{n} x^{n} \\ =a \sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}+b \sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \\ =a p(x)+b p(x)
अतः समुच्चय P(x) में सदिश गुणा अदिश योग पर बंटनता करता है।
IV अदिश गुणन के लिए साहचर्यता
मान लो a, b \in R एवं p(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \in V(x)
तब (a, b) \cdot p(x)=(a b) \sum_{n=0}^{n} a_{n} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2}(a b) a_{n} x^{n} \\ =\sum_{n=0}^{2} a(b a_{n}) x^{n} \\ =a \sum_{n=0}^{2} b a_{n} x^{n} \\ =a\left[b \sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n}\right] \\ =a[b p(x)]
अतः V(x) में अदिश गुणन सहचारी है।
V. माना क्षेत्र F का इकाई अवयव 1 है तथा p(x)=\sum_{n=0}^{2} a_{n} x^{n} \in V(x)
तथा 1 \cdot p(x) =1 \sum_{a} a_{n} x^{n} \\ =\sum\left(1 \cdot a_{n}\right) x^{n} \\ =\sum a_{n} x^{n} \in V(x)
उपर्युक्त से स्पष्ट है कि V(x) सदिश समष्टि के सभी अभीगृहीतों को सन्तुष्ट करता है। फलतः V(x) फील्ड (क्षेत्र) F पर सदिश समष्टि है।
उपर्युक्त उदाहरणों द्वारा अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space) को समझ सकते हैं।

3.अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि पर आधारित सवाल (Questions Based on Vector Space in Abstract Algebra):

(1.)मान लो (F,+,\bullet ) एक वास्तविक संख्याओं का क्षेत्र है तथा सभी m×n मैट्रिक्सों का समुच्चय V है, जहाँ मैट्रिक्सों के अवयव फील्ड F के हैं।सिद्ध करिए कि V, फील्ड F पर मैट्रिक्सों के योग संक्रिया तथा मैट्रिक्स से एक अदिश का गुणा अर्थात् अदिश गुणा के सापेक्ष सदिश समष्टि है।
(Let (F,+,\bullet ) is a field of real numbers and the set V of all m×n matrices with their elements as real numbers w.t. to addition of matrices as addition of Vectors and multiplication of a matrix by a scalar as scalar multiplication.)
(2.)माना समस्त धनात्मक वास्तविक संख्याओं का समुच्चय V तथा वास्तविक संख्याओं का फील्ड R है। हम किन्हीं धनात्मक वास्तविक संख्याओं x,y के लिए निम्न संक्रियाओं को परिभाषित करते हैं:
तब सिद्ध कीजिए कि सदिश योग \oplus तथा अदिश गुणन \odot संक्रियाओं के सापेक्ष V(R) सदिश समष्टि है।
(Let V be the set of all positive real numbers and R be the field of real numbers, we define the following operations for any positive real numbers x and y
x \oplus y=x.y  and a \odot x=x^{a} , a \in R
then prove that V(R) is a vector Space with and as vector addition \oplus and scalar multiplication \odot  operations respectively.)
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space) ठीक से समझ सकते हैं।

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4.अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.सदिश समष्टि में किस प्रकार की संक्रियाएं काम में ली जाती है? (What type of operations are used in vector Space?):

उत्तर:V, फील्ड F पर सदिश समष्टि V(F) से सूचित करते हैं। सदिश समष्टि की परिभाषा में चार प्रकार की संक्रियाएं काम में ली जाती है:
(1.)सदिशों (V के अवयवों) का योग जिसका प्रतीक \oplus
(2.)अदिशों (F के अवयवों) का योग जिसका प्रतीक +
(3.)अदिशों का सदिशों से गुणा जिसका प्रतीक \odot तथा इस वाह्य संक्रिया को अदिश गुणन कहते हैं।
(4.)अदिशों (F के अवयवों) का गुणन जिसका प्रतीक \bullet

प्रश्न:2.वास्तविक सदिश समष्टि किसे कहते हैं? (What is real vector space called?):

उत्तर:यदि F=R वास्तविक संख्याओं का फील्ड है तो V वास्तविक सदिश समष्टि (Real vector Space) कहलाता है।

प्रश्न:3.परिमेय सदिश समष्टि किसे कहते हैं? (What is Called rational vector Space?):

उत्तर:यदि F=Q परिमेय संख्याओं का फील्ड है तो V परिमेय सदिश समष्टि कहलाता है।

प्रश्न:4.सम्मिश्र सदिश समष्टि किसे कहते हैं? (What is Called complex vector Space?):

उत्तर:यदि F=C सम्मिश्र संख्याओं का फील्ड है तो V सम्मिश्र सदिश समष्टि कहलाता है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra),सदिश समष्टि (Vector Space) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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Vector Space in Abstract Algebra

अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि
(Vector Space in Abstract Algebra)

Vector Space in Abstract Algebra

अमूर्त बीजगणित में सदिश समष्टि (Vector Space in Abstract Algebra) एक ऐसा बीजीय
निकाय है जिनमें एक आबेली ग्रुप,एक फील्ड (क्षेत्र) तथा एक बाह्य संक्रिया होती है

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