Vashishtha Narayan Singh Given Fame by Challenging Theory of Einstein
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1.आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देकर वशिष्ठ नारायण को मिली थी प्रसिद्धि, गुमनामी में कटा अंतिम समय का परिचय (Introduction to Vashishtha Narayan Singh Given Fame by Challenging Theory of Einstein and The Last Time Cut into Oblivion):
1.आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देकर वशिष्ठ नारायण को मिली थी प्रसिद्धि, गुमनामी में कटा अंतिम समय का परिचय (Introduction to Vashishtha Narayan Singh Given Fame by Challenging Theory of Einstein and The Last Time Cut into Oblivion):
- आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देकर वशिष्ठ नारायण को मिली थी प्रसिद्धि,गुमनामी में कटा अंतिम समय (Vashishtha Narayan Singh Given Fame by Challenging Theory of Einstein and The Last Time Cut into Oblivion):महान् गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज दिनांक को निधन हो गया है। हम बार-बार यह आवाज उठाते रहते हैं कि हमारे देश की प्रतिभाओं को जो सम्मान तथा सुविधाएं मिलनी चाहिए वो नहीं मिलती है। उनके साथ भेदभाव किया जाता है। वे जीवन के अन्तिम क्षणों में किन हालातों से गुजर रहे होते हैं, इसकी कोई खोज खबर लेने वाला नहीं होता है। सरकारें तथा स्वयंसेवी संगठन उनकी ठीक प्रकार से न तो देखभाल करते हैं और न ही सुध लेते हैं।
- वशिष्ठ नारायण सिंह ऐसे गणितज्ञ थे जिन्होंने आइन्सटीन के सापेक्षता सिद्धान्त को चुनौती ही नहीं दी थी बल्कि यह प्रमाणित भी किया था। मृत्यु होने पर बड़े-बड़े नेता उनके निधन पर शोक व्यक्त करके इतिश्री समझ लेते हैं ।जबकि विदेशों में अर्थात् विकसित देशों में प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है तथा हर सम्भव सहयोग किया जाता है, इसीलिए आज वे विकसित देशों की श्रेणी में खड़े हैं। वशिष्ठ नारायण सिंह प्रतिभाशाली गणितज्ञ थे और उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय तथा नासा में अपनी सेवाएं दी है ।उनकी प्रतिभा को देखकर सब हैरान रह गए थे। वे चाहते तो अमेरिका में रहकर बहुत सम्पत्ति अर्जित कर सकते थे परन्तु ऐसा न करके उन्होंने गणित के क्षेत्र में भारत देश की सेवा करने का निश्चय किया। अमेरिका छोड़कर उन्होंने अपनी सेवाओं से भारत देश को लाभान्वित किया। मानसिक बीमारी के चलते तथा अपने असामान्य व्यवहार के कारण उनका दाम्पत्य जीवन नहीं चल सका और उनकी पत्नी ने जल्दी ही उनका साथ छोड़ दिया।
- इतने महान् गणितज्ञ जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और अंतिम समय ऐसा गुजरा कि उन्होंने अपना समय गुमनामी में गुजारा। ऐसी विचित्र स्थिति वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ ही नहीं बल्कि हमारे देश में ऐसी कई प्रतिभाएं हैं जिनको पद्मभूषण, पद्मविभूषण जैसे पदक से सम्मानित तो कर दिया जाता है परन्तु बाद में उनकी कोई सुध व खोज खबर लेने वाला नहीं है। बावजूद इसके भारत की प्रतिभाओं में ऐसे संस्कार रहते हैं कि इतनी अवहेलना सहन करते हुए भी वे देश को अपनी सेवाओं से लाभान्वित करते रहते हैं । इस प्रकार की प्रतिभाओं को नमन है कि वे आर्थिक अभावों और सुविधाओं के अभाव में भी देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हैं और देश के लिए तन, मन और सबकुछ समर्पित करके देश का गौरव बढ़ाने में लगे रहते हैं।
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2.आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देकर वशिष्ठ नारायण को मिली थी प्रसिद्धि, गुमनामी में कटा अंतिम समय (Vashishtha Narayan Singh given fame by challenging theory of Einstein and the last time cut into oblivion):
- भोजपुर जिले के वसंतपुर गांव के गरीब परिवार में जन्में वशिष्ठ नासा तक पहुंचे
पिछले 44 साल से सीजोफ्रेनिया (मानसिक बीमारी) से जूझ रहे थे जानेमाने गणितज्ञ - Nov 14, 2019
- पटना. जानेमाने गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने गुरुवार को पीएमसीएच में अंतिम सांस ली। आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की योग्यता का डंका देशदुनिया में बजा। भोजपुर जिले के वसंतपुर गांव से शुरू हुआ सफर नासा तक पहुंचा। लेकिन, उनके जवानी में ही हुई सीजोफ्रेनिया नामक बीमारी के कारण पिछले दो दशक से वह गुमनामी में जी रहे थे।
3.आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी (Challenged Einstein’s theory of relativity):
- महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी।आइंस्टिन के सिद्धांत E=MC^2 को चैलेंज किया था उन्होंने मैथ में रेयरेस्ट जीनियस कहा जाने वाला गौस की थ्योरी को भी उन्होंने चैलेंज किया था। यहीं से उनकी प्रतिभा का लोहा दुनिया ने मानना शुरू किया था।
4.कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने प्रतिभा को पहचाना (California University professor recognized talent):
- वशिष्ठ ने नेतरहाट विद्यालय से मैट्रिक किया। वह संयुक्त बिहार में टॉपर रहे थे। वशिष्ठ जब पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, तब कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और 1965 में वशिष्ठ को अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बने। इसी दौरान उन्होंने नासा में भी काम किया, लेकिन मन नहीं लगा और 1971 में भारत लौट आए। उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई, और आईएसआई कोलकाता में काम किया।
5.मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे वशिष्ठ नारायण (Vasistha Narayan was struggling with mental illness):
- डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह पिछले 44 साल से सीजोफ्रेनिया (मानसिक बीमारी) से जूझ रहे थे। जब वे नासा में काम करते थे तब अपोलो (अंतरिक्ष यान) की लॉन्चिंग से पहले 31 कम्प्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए। इस दौरान उन्होंने पेन और पेंसिल से ही कैलकुलेशन करना शुरू किया। जब कम्प्यूटर ठीक हुआ तो उनका और कम्प्यूटर्स का कैलकुलेशन बराबर था।
6.शादी के बाद बीमारी के बारे में चला पता (Know about the illness after marriage):
- 1973 में वशिष्ठ नारायण की शादी वंदना रानी सिंह से हुई थी। तब उनके असामान्य व्यवहार के बारे में लोगों को पता चला। छोटी-छोटी बातों पर काफी गुस्सा करना, कमरा बंद कर दिनभर पढ़ते रहना, रात भर जागना, उनके व्यवहार में शामिल था। उनके इस व्यवहार के चलते उनकी पत्नी ने जल्द ही उनसे तलाक ले लिया। 1974 में उन्हें पहला दिल का दौरा पड़ा था। 1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव लौट गए थे।
7.1989 में हो गए गायब (Disappeared in 1989):
- अगस्त 1989 को रांची में इलाज कराकर उनके भाई उन्हें ले जा रहे थे। रास्ते में खंडवा रेलवे स्टेशन पर उतर गए और भीड़ में कहीं खो गए। करीब पांच साल तक गुमनाम रहने के बाद उनके गांव के लोगों को वह छपरा में मिले। इसके बाद राज्य सरकार ने उनकी सुध ली। उन्हें विमहांस बेंगलुरु इलाज के लिए भेजा गया। जहां मार्च 1993 से जून 1997 तक इलाज चला। इसके बाद से वे गांव में ही रह रहे थे।
- तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शत्रुध्न सिन्हा ने इस बीच उनकी सुध ली थी। स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्हे 4 सितंबर 2002 को मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। करीब एक साल दो महीने उनका इलाज चला। स्वास्थ्य में लाभ देखते हुए उन्हें यहां से छुट्टी दे दी गई थी।
8.महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का निधन, आइंस्टाइन के सिद्धांत को दी थी चुनौती(Death of great mathematician Vashishtha Narayan Singh, challenged Einstein’s theory):
- पटना: बिहार के विभूति और आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की मृत्यु हो गई. वशिष्ठ नारायण सिंह अपने परिवार के साथ पटना के कुल्हरिया कंपलेक्स में रहते थे. मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह अचानक उनकी तबियत खराब हो गई.
- जिसके बाद तत्काल परिजन पीएमसीएच लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कुछ समय पहले भी जब वशिष्ठ नारायण सिंह बीमार पड़े थे तब पीएमसीएच में में कई बड़े नेता उनसे मिलने पहुंचे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वशिष्ठ नारायण की मौत पर शोक व्यक्त किया है. वहीं, गिरिराज सिंह ने वशिष्ठ नारायण के निधन पर शोक व्यक्त किया और ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हमने एक मणि खोया है ..प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे.’
- आरा के बसंतपुर के रहने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से ही होनहार थे. छठी क्लास में उन्होंने नेतरहाट में दाखिला लिया और इसके बाद कभी पलट कर नहीं देखा. इसके बाद उन्होंने पटना साइंस कॉलेज में अपनी कॉलेज की पढ़ाई की. इसी दौरान कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी जिसके बाद वशिष्ठ नारायण 1965 में अमेरिका चले गए और वहीं से 1969 में उन्होंने पीएचडी की.
- वशिष्ठ नारायण ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले में एसिसटेंड प्रोफेसर की नौकरी की. उन्हें नासा में भी काम करने का मौका मिला, यहां भी वशिष्ठ नारायण की काबिलयत ने लोगों को हैरान कर दिया. कहा जाता है कि अपोलो की लॉन्चिंग के वक्त अचानक कम्यूपटर्स से काम करना बंद कर दिया, तो वशिष्ठ नारायण ने कैलकुलेशन शुरू कर दिया, जिसे बाद में सही माना गया.
- पिता के कहने पर वशिष्ठ नारायण सिंह विदेश छोड़कर देश लौट आए पिता के ही कहने पर शादी भी कर ली, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था 1973-74 में उनकी तबीयत बिगड़ी और पता चला की उन्हें सिज़ोफ्रेनिया है.
वशिष्ठ नारायण के भाई ने लगाया मदद न मिलने का आरोप, PMCH ने डेथ सर्टिफिकेट देकर झाड़ा पल्ला
पटना: बिहार के विभूति और आइंस्टाइन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की मृत्यु हो गई. वशिष्ट नारायण सिंह अपने परिवार के साथ पटना के कुल्हरिया कंपलेक्स में रहते थे. मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह अचानक उनकी तबियत खराब हो गई. जिसके बाद तत्काल परिजन पीएमसीएच लेकर गए जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. - काफी देर तक वशिष्ठ नारायण सिंह का शव पीएमसीएच के बाहर इमरजेंसी में रखा रहा. एंबुलेंस के इंतजार में शव रखा हुआ था. बाद में पटना की एसडीओ एम्बुलेंस के साथ पीएमसीएच पहुंची. उन्होंने कहा कि हमें 10 मिनट पहले सूचना मिली तब हम आए हैं. हम अतिक्रमण हटाने गए थे, सीधे वहीं से आए हैं.
वहीं, वशिष्ठ नारायण सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी तरह की मदद नहीं दी गई. एंबुलेंस में ही वशिष्ठ नारायण सिंह का शव रखा हुआ है. कुछ देर में परिजन शव लेकर गांव के लिए रवाना होंगे.
वशिष्ठ नारायण सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं, वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने शोक व्यक्त किया है. गिरिराज सिंह ने वशिष्ठ नारायण के निधन पर शोक व्यक्त किया और ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हमने एक मणि खोया है ..प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे.’ - प्रश्न- भारतीय अपने उच्च अध्ययन और नौकरियों के लिए विदेश क्यों जा रहे हैं?
- उत्तर-(1.)भारत में प्रतिभाओं को कम वेतन मिलता है और सम्मान नहीं किया जाता है।
- (2.) विदेशों में प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए सुविधाएं भी दी जाती है।
- (3.)भारत की कई प्रतिभाओं को पद्म विभूषण,पद्म भूषण से सम्मानित करने के बाद कोई सम्हालता नहीं है।वे कहीं गुमनामी के अंधेरों में भटकती रहती है।
- (4.)अभी हाल ही का उदाहरण है श्री वशिष्ठ नारायण सिंह कई वर्षों तक बीमारी से जूझते रहे वरना उनकी जगह कोई नेता होता तो उसका विदेशों में इलाज होता।
- (5.) विपरीत समय, अभावों तथा कष्टों में प्रतिभाओं का सहारा बनने के बजाय उन्हें उनकेे हाल पर छोड़ दिया जाता है।
- (6.)एक ओर मानसिकता बनी हुई है। प्रतिभाओं की देखभाल,खोज,खबर करे तो सरकार करे,वरना ऐसे निजी ट्रस्ट और उद्योगपति हैं जो कि उनके विपरीत समय में सहायता, सहयोग कर सकते हैं परन्तु ऐसे सेवा कार्यों से उनका स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है इसलिए वे आगे आकर उनकी सहायता नहीं करते हैं।
- (7.)इन सब कारणों से ही भारतीय भारत को छोड़कर विदेशों में जाकर अध्ययन करने तथा नौकरी करने में अपनी भलाई समझते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देकर वशिष्ठ नारायण को मिली थी प्रसिद्धि,गुमनामी में कटा अंतिम समय (Vashishtha Narayan Singh Given Fame by Challenging Theory of Einstein and The Last Time Cut into Oblivion) के बारे में बताया गया है।
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