Unique Preparation of Competitive Exam
1.प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam),प्रतियोगिता परीक्षाओं की असाधारण तैयारी के 3 टिप्स (3Tips for Extra-ordinary Preparation of Competitive Exams):
- प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam) के आधार पर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।उदारीकरण (Liberalisation, वैश्वीकरण (Globalisation), निजीकरण (Privatisation) के कारण निजी क्षेत्र का स्कोप (Scope) (क्षेत्र) बढ़ा है तथा सरकारी क्षेत्र घटा है और सरकारी पदों में भारी कटौती हुई है।फलतः निजी क्षेत्र व सरकारी क्षेत्र में नौकरी प्राप्त करने हेतु कैंडीडेट्स को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।हालांकि इन प्रतियोगिता परीक्षाओं में बहुत से कैंडिडेट्स बिना तैयारी या थोड़ी-सी तैयारी करके परीक्षा देते हैं।लेकिन प्रतिस्पर्धा के इस युग में जहाँ कड़ी प्रतिस्पर्धा हो वहां ऐसे कैंडिडेट्स टिक नहीं पाते हैं।ऐसे कैंडिडेट्स प्रारंभिक परीक्षाओं में ही प्रतियोगिता से बाहर हो जाते हैं।असली प्रतिस्पर्धा तो मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार (Interview) ही होता है।इसमें वे ही कैंडिडेट्स भाग लेते हैं जो वास्तव में परीक्षा तथा तैयारी के प्रति गंभीर होते हैं।वास्तव में प्रारंभिक परीक्षा तो छंटनी परीक्षण (Scrutiny Test) है।
- हमने प्रयोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु कई लेख (Article) लिखे हैं जो अपने आप में महत्त्व रखते हैं।दरअसल कैंडिडेट की अलग-अलग रणनीति होती है जिसके आधार पर वे सफलता हासिल करते हैं।एक ही रणनीति सभी कैंडिडेट्स के लिए उपयोगी नहीं होती है।ऐसा कैंडिडेट्स के साक्षात्कार से भी जाहिर हुआ है।कुछ टॉपर्स अपना सफलता का मूल मंत्र कठिन परिश्रम,सकारात्मक सोच, विचलित न होने को मानते हैं तो कुछ टापर्स अपनी क्षमताओं का सही दिशा में प्रयोग,सकारात्मक सोच,उत्साह को कुछ टॉपर्स कठिन परिश्रम, लक्ष्य के प्रति समर्पण,धैर्य इत्यादि को सफलता का मूलमंत्र मानते हैं।कुछ टाॅपर्स निष्ठा,लगन,कठिन परिश्रम तथा लक्ष्य के प्रति पूर्ण एकाग्रता,तो कुछ टाॅपर्स लगन, निष्ठा, लक्ष्य के प्रति एकाग्र समर्पण एवं अटूट आत्मविश्वास, कुछ टाॅपर्स कठिन परिश्रम,लक्ष्य के प्रति नीतिपूर्वक निष्ठा तथा योजनाबद्ध अध्ययन को अपनी सफलता का मूलमंत्र मानते हैं। तात्पर्य यह है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु कुछ कॉमन फैक्टर (Common Factors) हैं तो कुछ अलग-अलग हैं।ऐसा क्यों है,दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि हर कैंडिडेट अद्वितीय होता है, उसकी शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक तथा व्यक्तिगत विशेषताएं अलग-अलग होती हैं।हर कैंडिडेट को अपनी क्षमता,प्रतिभा तथा योग्यता को पहचानकर उसके अनुसार परीक्षा की तैयारी रणनीति अपनानी चाहिए।किसी की देखा-देखी नकल करके अथवा टाॅपर्स की रणनीति अपनाकर हर कैंडिडेट सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है।
- अतः कैंडिडेट के लिए सबसे प्रमुख बात यही है कि अपनी मानसिक स्थिति,योग्यता,अपने गुण-कर्म, स्वभाव को पहचान कर रणनीति अपनाएं।कुछ काॅमन रणनीति जैसे कठोर परिश्रम करना,सकारात्मक सोच, लक्ष्य केन्द्रित अध्ययन इत्यादि होती है तो कुछ विशिष्ट रणनीति अपनाने की आवश्यकता होती है।यह भिन्नता ऐच्छिक विषय के कारण भी हो सकती है तथा अपने स्वभाव व गुण-कर्म के कारण भी हो सकती है।जैसे गणित में अभ्यास,मनन चिंतन तथा टाॅपिक को समझने की आवश्यकता होती है तो इतिहास में घटनाओं,तिथियों को स्मरण करने की आवश्यकता होती है।
- अब प्रश्न है कि यदि हर कैंडिडेट अपने अनुसार ही रणनीति अपनाएं तथा जो कॉमन (Common) रणनीति है उसे भी अपनाएं तो फिर टाॅपर्स के साक्षात्कार पत्र-पत्रिकाओं,वेबसाइट्स,यूट्यूब वीडियो,टीवी वगैरह पर क्यों दिखाए जाते हैं,छापे जाते हैं।इसका मूल कारण है अन्य कैंडिडेट्स को प्रेरित करना तथा सम्बन्धित विषय हेतु किन-किन सहायक पुस्तकों,सन्दर्भ पुस्तकों का सहारा लिया है,कौन सी पुस्तकें श्रेष्ठ है इत्यादि की जानकारी हासिल हो जाती है।इसके अलावा उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से यह पता चलता है कि सभी वर्ग अर्थात् निम्न,मध्यम तथा उच्च वर्ग से प्रतिभाओं का चयन होता है।इसे कैंडिडेट्स को यह प्रेरणा मिलती है कि प्रतिभा का संबंध कैंडिडेट की आर्थिक स्थिति से नहीं होता है।
- इसके अलावा उनकी दिनचर्या का पता चलता है। उन्होंने अपना लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रतिदिन कितना समय दिया तथा लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कितने वर्षों से तैयारी की।सफलता कितने प्रयासों में मिली।इस प्रकार उनके साक्षात्कार से सहज में उनके अनुभवों का लाभ उठाकर अपनी परीक्षा की रणनीति अपने अनुसार तय करनी चाहिए।हम अलग-अलग आर्टिकल में अलग-अलग रणनीति भी इसीलिए पोस्ट करते हैं।
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2.नौकरियों में आकर्षण का कारण (The Reason for Attraction in Jobs):
- निजी, सरकारी तथा अर्ध सरकारी क्षेत्र में प्रतियोगिता परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं।इसमें भारी संख्या में कैंडिडेट्स भाग लेते हैं।इन नौकरियों में आकर्षक वेतन,भविष्य सुरक्षित तथा अन्य आकर्षक सुविधाएं जैसे आवास,महंगाई भत्ता,यात्रा भत्ता इत्यादि मिलते हैं।इतने सारे आकर्षण के कारण कैंडिडेट्स नौकरी (जॉब) का विकल्प चुनते हैं।यह उनके लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है।हालांकि सरकारी सेवाओं का इतिहास पुराना है परंतु उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण व तकनीकी के प्रसार के कारण निजी क्षेत्रों में भी आकर्षक वेतनमान तथा बहुत सी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।निजी तथा सरकारी सेवाओं को करने का तौर-तरीका भिन्न-भिन्न व विविधता लिए हुए होता है।दोनों में ही जटिल परीक्षा प्रणाली तथा कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।इसके बावजूद लाखों योग्य उम्मीदवार इन परीक्षाओं में भाग लेते हैं।प्रतिभावान और योग्य कैंडिडेट्स परीक्षा की तैयारी करके अंतिम रूप से चयनित होते हैं।
- स्वयं का उद्यम खड़ा करने में धन की जरूरत होती है साथ ही कठिन संघर्ष करना पड़ता है।छोटे उद्योग बहुराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय कंपनियों के सामने प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते हैं।ये कैंडिडेट्स डिग्री प्राप्त करने में बेतहाशा माता-पिता का धन खर्च कर देते हैं,शिक्षा भी मँहगी होती है इसलिए भी कैंडिडेट्स अपना स्वयं का उद्यम खड़ा नहीं कर सकते हैं।
- एक अन्य कारण यह भी है कि इन सेवाओं के अनुसार अधिकार मिलते हैं।साथ ही सामान्य जनता का काम इनसे पड़ता है इसलिए पब्लिक रिलेशन, पब्लिक डीलिंग के कारण भी यह सेवाएं कैंडिडेट को आकर्षित करती हैं। क्योंकि पब्लिक डिलींग से उन्हें मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- एक अन्य कारण यह भी है अधिकतर कैंडिडेट्स डिग्री प्राप्त करते हैं जिससे उन्हें सैद्धान्तिक ज्ञान तो हो जाता है।परन्तु श्रम के प्रति निष्ठा का अभाव तथा किसी स्किल का व्यावहारिक ज्ञान उन्हें नहीं होता है।इस कारण डिग्रीधारी युवा नौकरी को ही एक बेहतर विकल्प के रूप में देखते हैं।
- विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम चालू किए जाने के बावजूद छात्र-छात्राएं बहुत बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त करने को प्राथमिकता देते हैं।व्यावसायिक शिक्षा अभी भी विश्वविद्यालयी शिक्षा की तुलना में युवाओं को आकर्षित नहीं कर पा रही है।फलस्वरूप भारी संख्या में छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त करके बेकारी का सामना करते हैं।क्योंकि सभी युवाओं को नौकरी तो मिल नहीं सकती है।
3.प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कब से शुरू करें (When to Start Preparing for Competitive Exam?):
- हालांकि प्रत्येक कैंडिडेट की पृष्ठभूमि अलग-अलग होती है इसलिए यह कहना तो मुश्किल है कि किस कैंडिडेट को कब तैयारी शुरू करनी चाहिए।कुछ कैंडिडेट एक-दो साल की तैयारी में ही चयनित हो जाते हैं जबकि कुछ कैंडिडेट्स को 4-5 वर्ष पूर्व से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
- कैंडिडेट को आठवीं-नवीं कक्षा के समय अपना लक्ष्य तय कर लेना चाहिए। लक्ष्य तय करने के बाद अपना कोर्स की पढ़ाई करने के साथ-साथ कुछ समय सामान्य ज्ञान,विज्ञान,समाचार पत्रों का दैनिक अध्ययन,संपादकीय लेख पढ़ने-लिखने तथा पार्ट टाइम स्किल सीखने में लगाना चाहिए।कैंडिडेट को समय की महत्ता समझते हुए एक-एक क्षण का उपयोग करना चाहिए।विद्यार्थी काल पूरे जीवन की नींव का कार्य करता है।विद्यार्थी काल में जितनी कड़ी मेहनत,तप,साधना में बिताया जाता है उतना ही आगामी जीवन में लाभ होता है।
- यदि कैंडिडेट में मध्यम स्तर की योग्यता है तो आठवीं-नवीं कक्षा से ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाना चाहिए।ऊपर वर्णित कार्यों की सूची देखकर कैंडिडेट के मन में यह विचार आता होगा कि कक्षा के कोर्स करने के बाद अतिरिक्त समय ही नहीं मिलता है।ऐसी स्थिति में जनरल नॉलेज,विज्ञान, व्यावहारिक ज्ञान तथा पार्ट टाइम में किसी स्किल को सीखने के लिए समय कहां से दिया जा सकता है।
- पार्ट टाइम में शीतकालीन,ग्रीष्मकालीन छुट्टियां भी आती हैं उनमें भी कोई स्किल सीखी जा सकती है। इसके अलावा दैनिक कार्यों में एक घंटा का समय भी यदि जनरल नाॅलेज,व्यवहारिक ज्ञान को सीखने में लगाया जाए तो अनुमान लगाएं की डिग्री प्राप्त करते समय कितना समय हो जाएगा।आठवीं से यदि गणना की जाए तो 2920 घंटे होते हैं।यानी योजनाबद्ध अपनी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु समय निकाला जा सकता है।
- लक्ष्य का चुनाव अपनी योग्यता तथा क्षमता के अनुसार तय करना चाहिए। जितना बड़ा लक्ष्य होता है उतनी ही अधिक उसकी तैयारी की आवश्यकता होती है।
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4.प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी का महत्त्वपूर्ण कारक (Important Factors in the Preparation of Competitive Exams):
- प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है समय प्रबन्धन। यदि आपने शुरू से ही समय का सदुपयोग उचित दिशा में करना सीख लिया तो परीक्षा की तैयारी अद्वितीय की जा सकती है।
- परीक्षा प्रश्न-पत्र वस्तुनिष्ठ प्रकार का है या निबन्धात्मक है तथा कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? परीक्षा में प्रत्येक प्रश्न-पत्र से कैसे निपटना है? किस विषय को कितना समय देना है? यदि एक ही प्रश्न-पत्र में अलग-अलग विषयों के प्रश्न पूछे जाते हैं तो समय का विभाजन किस प्रकार करना है? अर्थात मानसिक योग्यता के प्रश्नों को कितना समय,गणित के प्रश्नों को कितना समय,सामान्य ज्ञान को कितना समय तथा अंग्रेजी को कितना समय देना है।यदि आपने समय का सही उपयोग किया है तथा रणनीति बनाकर व योजनाबद्ध तैयारी की है तो यह आपके लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
- इसी प्रकार घुमा-फिरा कर प्रश्न किस प्रकार से पूछे जाते हैं? उनका उत्तर किस प्रकार दिया जाए? प्रश्न को ठीक तरह से समझ कर उसका उत्तर देना चाहिए।
- प्रश्नपत्र कितना ही कठिनाई आए परन्तु धैर्य और आत्म-विश्वास नहीं खोना चाहिए।यदि धैर्य, आत्म-विश्वास तथा विवेकपूर्वक प्रश्नों को समझते हुए हल करोगे तो पाओगे कि एक-एक सवाल का उत्तर दिया जा चुका होगा।परीक्षा के समय दिमागी संतुलन बनाए रखना चाहिए। हड़बड़ाहट व तनावग्रस होकर प्रश्न-पत्र को ठीक प्रकार से हल नहीं किया जा सकता है।
- आश्चर्यचकित करने वाले प्रश्नों,कठिन प्रश्नों तथा घुमा-फिरा कर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर भी सीमित तैयारी व जानकारी के आधार पर उत्तर दिए जा सकते हैं।शर्त यही है कि आप धैर्य रखें,आत्मविश्वास बनाए रखें तथा एक-एक कदम रखते हुए अर्थात् एक-एक प्रश्न को हल करते हुए आगे बढ़ते जाएं।मस्तिक को खुला रखें,दिमागी संतुलन न खोएं।थोड़े से अभ्यास व सतर्कता तथा सही रणनीति से परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam),प्रतियोगिता परीक्षाओं की असाधारण तैयारी के 3 टिप्स (3Tips for Extra-ordinary Preparation of Competitive Exams) के बारे में बताया गया है।
5.गणित की बर्बादी का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (The Way of Wasting Mathematics):
- विमल (मुकेश से):गणित के खाली कालांश में तुम फालतू क्यों बैठे हो? गणित के कुछ सवाल हल कर लो।
- मुकेश (विमल से):क्या करना है यह आधुनिक शिक्षा ग्रहण करके जो न ओढ़ने के काम आती है और न बिछाने के काम आती है।
- विमल (मुकेश से):फिर भी जैसी भी शिक्षा पद्धति है उसका लाभ उठाना चाहिए।
- मुकेश (विमल से):लाभ-वाभ कुछ नहीं मिलने वाला है सिवाय बेकारी के।ऊपर से ही यह शिक्षा अच्छी लगती है लेकिन सही मायने में यह हमें अकर्मण्य होना सीखाती है।आधुनिक शिक्षा और गणित शिक्षा ने मुझे बर्बाद कर दिया है।अब गणित के सवाल हल न करके मैं इसको बर्बाद कर रहा हूं।
- मुकेश (विमल से):ऐसे पागलपन और नकारात्मकता से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।तुम खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।मेरा काम तुम्हें समझाना था।अब समझना न समझना तुम्हारे हाथ में है।
6.प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam),प्रतियोगिता परीक्षाओं की असाधारण तैयारी के 3 टिप्स (3Tips for Extra-ordinary Preparation of Competitive Exams) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.परीक्षा के निकट किस प्रकार तैयारी करें?(How to Prepare Near the Exam?):
उत्तर:कैंडिडेट के लिए प्रतियोगिता परीक्षा के मानक हैं और सफलता हेतु प्रभावी तैयारी व्यवस्थित और ध्यान केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।परीक्षा के निकट अपनी तैयारी के स्तर का आकलन करने में सक्षम हो गए होंगे और थोड़ा सा दबाव तो होता ही है जिससे परीक्षा से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जुटा सकें। जानकारियों को अप-टु-डेट करें और परीक्षा के सिलेबस के अनुसार पुनरावृत्ति करके पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करें।
प्रश्न:2.परीक्षा में बदलाव होता रहता है ऐसी स्थिति में क्या करें? (What to do in such a situation when there is a change in the examination pattern?):
उत्तर:भविष्य में क्या परिवर्तन होने वाला है इस पर बराबर दृष्टि बनाए रखें।परन्तु इस कारण आपकी वर्तमान परीक्षा की तैयारी प्रभावित नहीं होनी चाहिए,इसका ध्यान रखें।ज्ञान प्राप्त करना, परीक्षा की तैयारी करना एक सतत प्रक्रिया है और आपको परीक्षा की तैयारी जारी रखनी चाहिए।धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते रहें।
प्रश्न:3.प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु सटीक रणनीति क्या है? (What is the Exact Strategy for the Preparation of the Competitive Exam?):
उत्तर:परीक्षा पद्धति,परीक्षा पैटर्न में परिवर्तन को सुनकर अपनी तैयारी को स्थगित नहीं कर देना चाहिए।जैसे कोरोनावायरस से फैली महामारी कोविड-19 के कारण बहुत से कैंडिडेट्स ने तैयारी स्थगित कर दी थी।परीक्षा प्रणाली तथा उसके सिलेबस को कवर करने के लिए अपनी योग्यता,क्षमता व गुणों के अनुसार सटीक रणनीति निर्धारित करें।इनके लिए दीर्घकालिक तैयारी की आवश्यकता होती है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam),प्रतियोगिता परीक्षाओं की असाधारण तैयारी के 3 टिप्स (3Tips for Extra-ordinary Preparation of Competitive Exams) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Unique Preparation of Competitive Exam
प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी
(Unique Preparation of Competitive Exam)
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प्रतियोगिता परीक्षाओं की अद्वितीय तैयारी (Unique Preparation of Competitive Exam)
के आधार पर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।उदारीकरण (Liberalisation,
वैश्वीकरण (Globalisation), निजीकरण (Privatisation) के कारण
निजी क्षेत्र का स्कोप (Scope) (क्षेत्र) बढ़ा है तथा सरकारी क्षेत्र घटा है और सरकारी पदों में भारी कटौती हुई है।
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