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Talking Obscenely to Girls on Phone

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1.फोन पर लड़कियों से अश्लील बातें करना (Talking Obscenely to Girls on Phone),फोन पर महिलाओं से अश्लील बातें करना (Obscene Talk to Women on Phone):

  • फोन पर लड़कियों से अश्लील बातें करना (Talking Obscenely to Girls on Phone) एक मानसिक विकृति है।ज्ञानेंद्रियों और कर्मेन्द्रियों में स्वादेंद्रिय यानि जीभ और कर्मेन्द्रियों में लिंग अर्थात् कामवासना को नियंत्रित करना सबसे बड़ी साधना है।इन पर नियंत्रण करना कठिन अवश्य है परंतु असंभव नहीं।छात्र-छात्राओं और वृद्ध व्यक्तियों को इन पर नियंत्रण रखना निहायत जरूरी है।
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2.स्केटोलोजिया एक मानसिक बीमारी (Skateologia a mental illness):

  • महानगरों की बढ़ती व्यस्तता के चलते आम आदमी अकेलेपन,कुंठा और अवसाद के कारण अनजाने में भी कई ऐसी बीमारियों का शिकार होता जा रहा है जिसका उसे खुद भी पता नहीं रहता।ऐसी ही एक बीमारी है ‘स्केटोलोजिया’।इसमें कुंठा से ग्रस्त व्यक्ति फोन पर या अन्य तरीकों से महिलाओं से अश्लील बातें कर यौन संतुष्टि का अनुभव करता है।कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका के मनोचिकित्सकों के एक संगठन ने सभी मानसिक बीमारियों की एक पुस्तक निकाली थी जिसमें हर मानसिक बीमारी का नाम और कोड नंबर निर्धारित किया गया था।इस किताब का नाम था ‘डायग्नोस्टिक एंड स्टेटिस्टिकल मैन्युअल’।इस पुस्तक में अश्लील बातें करने वालों को मानसिक रोगी बताया गया था तथा इस बीमारी को कोड नंबर दिया गया था 30290।पुस्तक में विभिन्न प्रकार से अश्लील बातें करने वालों को वर्गीकृत भी किया गया था।
  • एक सर्वेक्षण के अनुसार फोन पर अश्लील बातें करने वालों की तादाद विश्व में तेजी से बढ़ रही है।ब्रिटेन और अमेरिका में तो यह स्थिति हद से गुजर चुकी है।ऐसे लोगों से निपटने के लिए 1984 में ब्रिटेन में एक अलग से टेलीकम्युनिकेशन अधिनियम बनाना पड़ा था।अमेरिका में तो अश्लील फोन करने वालों की धरपकड़ के लिए एक अलग विभाग भी है,जिसका नाम है ‘एनाएंस कॉल ब्यूरो’।यह समस्या अब भारत में भी तेजी से अपना जाल फैलाती जा रही है।
  • फोन पर अनजान महिला से अश्लील बातें करना गंभीर मानसिक बीमारी है।इसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में ‘स्केटोलोजिया’ कहा जाता है।’स्केटोलोजिया’ ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है की गंदगी या मल का अध्ययन करना।चूँकि सभ्य लोग अश्लील बातों को गंदगी या मल के बराबर मानते हैं,इसलिए इस मानसिक बीमारी को ‘स्केटोलोजिया’ का नाम दिया गया है।

3.अश्लील बातें करना कुण्ठित मानसिकता (Talking obscenely,frustrated mentality):

  • कुछ लोग जब अपने व्यक्तित्व की कमियों के कारण महिलाओं से यौन संबंध बनाने में असफल साबित होते हैं तो ऐसे लोग मानसिक कुंठा का शिकार हो जाते हैं।उनमें अपनी असफलताओं को लेकर हीनभावना आ जाती है तथा वह महिलाओं का सामना करने में कतराते हैं।ये लोग किसी महिला से फोन पर अश्लील बातें कर मन ही मन में उसके शारीरिक मिलन की कल्पना करते हैं और संतृप्त होते हैं।चूँकि ऐसे लोग महिला का सामना करने से घबराते हैं इसलिए वह फोन करते हैं।इसमें उन्हें आनंद और यौन संतुष्टि महसूस होती है।वस्तुतः यह एक प्रकार की मानसिक विकृति है।इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति कोई भी फोन नंबर डायल करके महिला की तलाश करता है और ज्योंही ही उसे किसी महिला की आवाज फोन पर सुनाई देती है,वह उसे अश्लील बातें करने लग जाता है।आमतौर पर महिलाओं को इस तरह के सिरफिरे लोगों के फोन दोपहर में आते हैं।क्योंकि एक तो महिलाएं उस समय घर पर ही होती है तथा पुरुष सदस्य घर से बाहर गए होते हैं।इसलिए जानबूझकर ‘स्केटोलोजिया’ के रोगी ऐसे समय में ही अधिक फोन करते हैं।
  • ‘स्केटोलोजिया’ से ग्रस्त रोगी न सिर्फ फोन करके महिलाओं से अश्लील बातें करते हैं बल्कि वह किसी महिला के घर के आसपास अश्लील बातें भी लिख आते हैं।कई बार तो ऐसे रोगी महिला के घर के बाहर कोई अश्लील चित्र भी बना आते हैं।कुछ कुंठित लोग ऐसे सार्वजनिक स्थानों जहाँ महिलाओं का आना-जाना ज्यादा होता है,वहां पर भी अश्लील बातें लिख देते हैं।आप यदि ट्रेन में सफर करते हों तो उसके बाथरूम में अश्लील चित्र या अश्लील बातें लिखी हुई अवश्य पाते होंगे।अश्लील बातें लिखने की इस कुंठा को चिकित्सा विज्ञान की भाषा में ‘स्केटोग्राफी’ कहा जाता है।
  • जब सार्वजनिक स्थानों,रेलवे स्टेशनों,बस अड्डों पर ऐसी अश्लील बातें लिखी हुई नजर आती है तब लोग यह समझते हैं कि नादान लड़कों ने मजाक में यह लिखा है,लेकिन यह ऐसे व्यक्ति की हरकत होती है जो ‘स्केटोलोजिया’ से पीड़ित होता है।इस बीमारी से स्कूल कॉलेज के छात्र भी ग्रसित होते हैं।इस कुंठा से ग्रस्त छात्र अपनी सहपाठियों के बारे में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड पर अश्लील बातें लिख देते हैं।और जब छात्रा उसे पढ़कर शर्मिंदा होती है तो वे बहुत खुश होते हैं।कई बार तो ऐसा भी देखने में आया है कि ऐसे कुण्ठित छात्र अपनी शिक्षिकाओं के बारे में भी आपत्तिजनक बातें ब्लैक बोर्ड पर लिख देते हैं।ब्लैक बोर्ड पर अश्लील बातें लिखने की इस विकृति को मनोविज्ञान की भाषा में ‘कोप्रोग्राफी’ कहा जाता है जिसका मतलब होता है अश्लील बातें लिखना।’स्केटोलोजिया’ से संबंधित ही एक और मानसिक बीमारी है जिसे ‘कोप्रोलेलिया’ कहा जाता है।इस कुंठा से ग्रस्त व्यक्ति भी अश्लील बातें करने का आदि होता है।मगर वह किसी अनजान महिला के सामने ही अश्लील बातें करते हैं।आमतौर पर इस तरह की मानसिक कुंठा के शिकार व्यक्ति अपनी पत्नी के समक्ष ही अश्लील बातें करते हैं।’कोप्रोलेलिया’ से जुड़ी एक सेक्स कुंठा है ‘सेलिरोमेनिया’।इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अश्लील हरकतें देखने,अश्लील बातें सुनने में संतुष्टि महसूस करता है।
  • स्केटोलोजिया,कोप्रोग्राफी,कोप्रोलेलिया और सेलिरोमेनिया से ग्रस्त व्यक्ति किसी भी आयु का हो सकता है।ऐसा रोगी उच्च वर्ग का भी हो सकता है और निम्न वर्ग का भी।इस तरह के मामले महानगरों में ज्यादा प्रकाश में आ रहे हैं।शायद इसलिए कि महानगरों में पुरुष,नारी,लड़के-लड़कियों,छात्र-छात्राओं को ज्यादा आजादी होती है,फोन ज्यादा लोगों के पास होते हैं तथा आबादी भी ज्यादा होती है।आपने देखा होगा कि कोई भी अपसंस्कृति सबसे पहले महानगरों में फैलती है और फिर धीरे-धीरे गांव-कस्बों की तरफ पैर पसारती है जैसे वैलेंटाइन डे के नाम पर उन्मुक्त प्रेम का प्रदर्शन,छात्र जीवन में ही सेक्स का लुत्फ उठाना,लिव इन रिलेशनशिप,स्प्रिंग ब्रेक आदि।

4.स्केटोलोजिया का उपचार (Treatment of skateologia):

  • ‘स्केटोलोजिया’ व इससे संबंधित अन्य बीमारियों का उपचार संभव तो है लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है की इस बीमारी से ग्रस्त रोगी अस्पताल में आते ही कम हैं।दरअसल,इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को एहसास ही नहीं होता है कि वह किसी बीमारी से पीड़ित है।फिर उसे अपना भेद खुलने का भय भी रहता है।इसलिए ऐसे रोगी इलाज करवाने से भी कतराते हैं।
  • भारत में महिलाओं से अश्लील बातें करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का प्रावधान है।चाहे ऐसी बातचीत सामने की गई हो या फोन पर या फिर अश्लील चित्र बनाने का मामला हो।भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत ऐसे व्यक्ति की सजा तथा जुर्माना किया जा सकता है।इसी प्रकार दफा 294 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील बातें लिखने वालों को कैद तथा जुर्माने का प्रावधान है।महिलाओं से फोन पर अश्लील बातें करने के मामले पुलिस में रोज दर्ज होते हैं।ऐसे मामलों में जब भी कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो पुलिस उसे जांच के लिए अस्पताल लाती है जहां उसका उपचार किया जाता है।आजकल सभी छोटे-बड़े अस्पतालों में ‘स्केटोलोजिया’ पीड़ितों का इलाज किया जाता है।इलाज बिहेवियर थेरेपी तथा दवाओं के जरिए होता है।बिहेवियर थेरेपी में रोगी को वैज्ञानिक तरीके से व्यवहार बदलने को मजबूर किया जाता है।सभी अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग में इस बीमारी का निःशुल्क इलाज किया जाता है।

5.अश्लील हरकते करने के बारे में शास्त्रीय निर्देश (Classical instructions about doing obscene things):

  • शास्त्रों में कामवासना,कामुक हरकतों का प्रभाव उत्पन्न करने वाले आठ कारण बताए गए हैं:
  • (1.)पूर्वकाल में किए हुए संभोग या संभोग योग्य व्यक्ति को याद करना।
  • (2.)काम संबंधी (sex),काम-क्रीड़ा संबंधी एवं अश्लील बातें करना,साहित्य पढ़ना या विचार-विमर्श करना।
  • (3.)काम-क्रीड़ा संबंधी छेड़छाड़,हँसी-मजाक,इशारे करना,हाथीपाई करना आदि।
  • (4.)छुपकर ऐसे व्यक्ति को या दृश्य को देखना जिससे विषय भोग (sexual activity) की इच्छा उत्पन्न हो।
  • (5.)गुप-चुप काम क्रीड़ा या विषय वासना संबंधी बातें करना,स्त्री या पुरुष द्वारा एकांत में छिपकर बातें करना।
  • (6.)काम-क्रीड़ा करने का विचार याने संकल्प करना।
  • (7.)मैथुन करने के उपाय करना,तिकड़म लगाना और इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए किए जाने वाले नाना प्रकार के साधनों का प्रयोग करना।
  • (8.)जानबूझकर ऐसे प्रयत्न या कार्य करना जिससे वीर्यपात हो।इसमें सभी प्रकार के उचित और अनुचित ढंग से किए जाने वाले मैथुन शामिल हैं।
  • आजकल की शिक्षा में लड़का-लड़की सहशिक्षा प्राप्त करते हैं,एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं।आजाद ख्यालों के होते हैं।उन्हें नियम-संयम से कोई मतलब नहीं है।इनके पालन करने वाले को पुरातनपंथी,पाखंडी,जमाने के साथ न चलने वाला,लकीर पीटने वाला समझा जाता है।आज युवक-युवतियां,किशोर वय के बालक पोर्न वेबसाइट्स खंगालते हैं,अश्लील वीडियो देखते हैं।स्वच्छन्द आचरण करना पसंद करते हैं।पाश्चात्य सभ्यता व संस्कृति के प्रभाव से समय पूर्व ही अध्ययन काल में ही सेक्स का लुत्फ उठाते हैं।उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है और जब बाद में इनके परिणाम सामने आते हैं तो पछताते हैं।
  • युवावस्था में धातु (वीर्य) पुष्ट नहीं होती और वृद्धावस्था में धातु क्षीण हो जाती है।अतः युवावस्था और वृद्धावस्था में यौन-क्रीड़ा में संलग्न होना शरीर और स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने का प्रबल कारण होता है।साथ ही मन विद्या ग्रहण करने से हटकर सेक्स की तरफ लग जाता है अतः विद्या ग्रहण करने का कार्य भी छूट जाता है।

6.ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक (Observance of celibacy required):

  • उपर्युक्त आठों प्रकार के कार्य संयम के शत्रु हैं,संयम में बाधक हैं और इनका त्याग कर इनसे बचे रहना ही संयम रखना है,ब्रह्मचर्य का पालन करना है।लेकिन आज वातावरण इस प्रकार का हो गया है कि आठों कारणों के प्रभाव से बचना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य हो गया है और यह स्पष्ट तथ्य है कि जो भी महत्त्वपूर्ण और महान कार्य होते हैं वे आसान नहीं होते।
  • आज के वातावरण में ब्रह्मचर्य पालन की बात करना कई लोगों को संदर्भहीन और उपहास योग्य लगता है लेकिन वास्तव में ऐसी धारणा रखना ही उपहास योग्य माना जाना चाहिए बल्कि यह कहना ज्यादा मुनासिब होगा कि उपहास योग्य ही नहीं बल्कि शोचनीय और दुर्भाग्यपूर्ण माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसी धारणा रखने वाले दरअसल यह समझते ही नहीं कि वास्तव में ब्रह्मचर्य किसे कहते हैं और इसका पालन कैसे किया जाता है,इसके लाभ क्या है,इसकी महत्ता और उपयोगिता क्या है? इस नासमझी के कारण उन्हें दोतरफा हानि हो रही है।इससे जहां ब्रह्मचर्य के लाभ से वंचित हो रहे हैं।अफसोस की बात यह भी है कि वे इस रहस्य को समझने की कोशिश भी नहीं करते की ऐसी हानियां उन्हें क्यों हो रही है।आज युवा पीढ़ी के अधिकांश युवक-युवतियां यौन विकारों से इसीलिए ग्रस्त हैं।
  • एक छात्र था,नया खून और जोश था।वह एक अध्यापक के घर ट्यूशन करने जाता था।अध्यापक की पत्नी बहुत सुंदर थी।छात्र और अध्यापक की पत्नी की आंखें आपस में मिल गई।न शिष्य ने यह सोचा कि यह गुरुपत्नी है और मां के समान है और न गुरुपत्नी ने सोचा कि छात्र पुत्रवत है।दोनों का शारीरिक संपर्क हो गया।छात्र का पढ़ाई लिखाई से ध्यान हट गया और सेक्स कार्य में संलग्न हो गया।छात्र गुरुपत्नी को लेकर जयपुर शिफ्ट हो गया।उसके लड़का हो गया।छात्र के माता-पिता की बदनामी हुई तो उन्होंने गुरुपत्नी से पीछा छुड़ाया।शिक्षक ने भी गुरुपत्नी को वापस नहीं अपनाया,वह औरत घर की रही न घाट की।छात्र के माता-पिता ने छात्र की शादी कर दी।गुरुपत्नी के माता-पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार चुके थे।वह दर-दर की ठोकरे खाती रही।अपने कुकर्मों के कारण नारकीय जीवन बिताने के लिए मजबूर हो गई।
  • छात्र के भी शराब पीने की लत लग गई थी,इसलिए उसकी शादीशुदा जिंदगी भी बोझ बन गई।जो कुछ कमाता है,वह शराब पीने में खर्च कर देता है।इस प्रकार उस छात्र का जीवन भी बर्बाद हो गया।यदि वे नियम-संयम से रहते,ब्रह्मचर्य का पालन करते तो सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करते।जीवन सुखद और आनंद में व्यतीत करते।परंतु अफसोस की बात यह है कि ऐसे लोगों का पतन होने के बाद भी वे सुधरने का प्रयत्न नहीं करते।जिंदगी को पशुवत जीकर बिताते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में फोन पर लड़कियों से अश्लील बातें करना (Talking Obscenely to Girls on Phone),फोन पर महिलाओं से अश्लील बातें करना (Obscene Talk to Women on Phone) के बारे में बताया गया है।

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7.युवा होने का रहस्य (हास्य-व्यंग्य) (The Secret of Being Young) (Humour-Satire):

  • एक बुजुर्ग शिक्षक नजदीकी महानगर में गए।वहां की हर चीज देखकर चकित थे।परंतु एक जगह ब्यूटी पार्लर को देखकर वे रुक गए।एक बूढी औरत ने उसमें प्रवेश किया और थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आई तो 25 साल की युवा लड़की बनकर बाहर निकली।
  • बुजुर्ग शिक्षक अपने बेटे से बोला।बेटा जल्दी अपनी मां को भी अंदर ले जा,इसका बुढ़ापा दूर हो जाएगा।

8.फोन पर लड़कियों से अश्लील बातें करना (Frequently Asked Questions Related to Talking Obscenely to Girls on Phone),फोन पर महिलाओं से अश्लील बातें करना (Obscene Talk to Women on Phone) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.संयम से क्या आशय है? (What do you mean by restraint?):

उत्तर:कामवासना के अनावश्यक प्रभाव व अतिरेक से बचने के लिए ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करना आवश्यक है।संयम का मतलब दमन नहीं होता,मन को मारना और दबाना नहीं होता।यम का पालन करने वाले आचरण को संयम कहते हैं।

प्रश्न:2.यम से क्या आशय है? (What do you mean by Yama?):

उत्तर:यम पाँच हैं:अहिंसा,सत्य,चोरी ना करना,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह याने वस्तुओं को आवश्यकता से अधिक संग्रह करने का मोह और स्वभाव होना।जो व्यक्ति अपने आचरण में इन पाँच यमों का पूरा-पूरा पालन करता है,उसे संयम साधना नहीं पड़ता,बलपूर्वक धारण नहीं करना पड़ता बल्कि ऐसे व्यक्ति के लिए संयम रखना स्वभाव में शामिल हो जाने से बहुत सरल हो जाता है।

प्रश्न:3.यौन-क्रीड़ा क्यों भड़कती है? (Why does sex provoke?):

उत्तर:यौन-क्रीड़ा का संचालन मन के आदेश से होता है और हो सकता है।काम का संबंध ही मन से होता है इसीलिए ‘कामदेव’ को मनोज भी कहा गया है।चित्त यदि काम केंद्र को प्रेरणा न दे तो कामांग सक्रिय हो ही नहीं सकते।छात्र जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करने की शिक्षा इसीलिए दी जाती है ताकि वे शुद्ध व निर्मल चित्त व मन से विद्या ग्रहण कर सकें और समर्थ,योग्य और बलवान बन सकें,धातुए पुष्ट हो सकें जिससे जीवन को आनंदपूर्वक व्यतीत कर सकें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा फोन पर लड़कियों से अश्लील बातें करना (Talking Obscenely to Girls on Phone),फोन पर महिलाओं से अश्लील बातें करना (Obscene Talk to Women on Phone) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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