Struggle is Necessary in Life
1.जीवन में संघर्ष आवश्यक है (Struggle is Necessary in Life),संघर्ष मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा (Struggle is an Integral Part of Human Life):
- जीवन में संघर्ष आवश्यक है (Struggle is Necessary in Life) क्योंकि संघर्ष के बिना जीवन वैसा ही है जैसे नमक रहित रोटी।नमक के बिना रोटी का स्वाद नहीं आता है।हर व्यक्ति को,हर विद्यार्थी को जीवन के हर क्षेत्र में,हर पल जीवित रहने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ता है।संघर्ष का मतलब है-जूझना।संघर्ष मनुष्य के जीवन में तब से आरम्भ हो जाता है,जब वह अपनी माता के गर्भ में आता है।
- गर्भ में भी वह अपनी माता पर पूरी तरह से निर्भर होता है,लेकिन ऐसी परिस्थिति में उसकी मां को संघर्ष करना पड़ता है।गर्भ से बाहर निकलने में और निकलने के बाद बाहरी प्रकृति से उस नवजात शिशु को संघर्ष करना पड़ता है और जब तक वह जीवित रहता है,जीवन की चुनौतियों व आवश्यकताओं से वह संघर्ष करता रहता है।
अगर वह संघर्ष न करें तो जीवित रहते हुए भी निर्जीव प्राणी के समान हो जाएगा।कभी-कभी तो व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ही संघर्ष करना पड़ता है,इसलिए कहा गया है कि संघर्ष ही जीवन है। - आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
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2.संघर्ष के बिना जीवन निरर्थक (Life Without Struggle is Meaningless):
- जिस व्यक्ति का जीवन जितना संघर्षपूर्ण होता है,उसका व्यक्तित्व भी उतना ही प्रखर होता जाता है।यदि जीवन में से संघर्ष खत्म हो जाए तो उसके जीवन में छिपी हुई सृजनात्मकताओं,शक्तियों और विभूतियों से वह अपरिचित ही रह जाएगा,उन्हें कभी महसूस नहीं कर सकेगा।ऐसी स्थिति में उसे जीवन निरर्थक प्रतीत होगा।
- संघर्ष न करने पर व्यक्ति का जीवन ठीक उसी तरह से निरर्थक हो जाता है,जिस तरह से लोहे के ऊपर जंग लग जाती है तो वह किसी काम का नहीं रहता।उसी तरह संघर्ष न करने पर व्यक्ति भी मानसिक रूप से दूसरों पर निर्भर,अपंग,अपाहिज की तरह हो जाता है।
- छात्र-छात्राएं गणित के सवाल हल करने या अन्य विषयों के प्रश्नों को हल करने के लिए संघर्ष करते हैं,जूझते हैं।यदि वे सवालों के हल पासबुक से,अध्यापकों से पूछकर या मित्रों की सहायता से हल कर लेते हैं और स्वयं अपने बलबूते पर कुछ भी नहीं करते हैं तो उनके क्षमताओं,योग्यताओं में निखार नहीं आता है,बुद्धि तेजस्वी नहीं बनती है।
- विद्यार्थियों को सवाल हल करने के लिए संघर्ष करना ही चाहिए।संघर्ष से उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा,शक्तियां प्रकट होती हैं और वह आगे बढ़ता जाता है।इसका तात्पर्य यह नहीं है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद संघर्ष खत्म हो जाता है।शिक्षा प्राप्त करने के बाद जाॅब प्राप्त करने के लिए और जाॅब प्राप्त करने के बाद उसे ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
- हर व्यक्ति तथा विद्यार्थी को जीवनभर संघर्ष करना पड़ता है।जो व्यक्ति तथा विद्यार्थी संघर्ष से कतराता है अथवा संघर्ष नहीं करता है वह जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ता चला जाता है,उसका जीवन लुंज-पुंज बन जाता है।
- जिस प्रकार विद्यार्थी को दसवीं के बाद 11वीं कक्षा,11वीं के बाद 12वीं कक्षा तथा आगे इसी प्रकार उत्तरोत्तर कक्षाओं की तैयारी करने व उत्तीर्ण करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।उसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में,हर स्तर पर एक से एक चुनौती का सामना करना पड़ता है और संघर्ष करना पड़ता है।
- जो व्यक्ति बिना संघर्ष के जीवन जीने का प्रयास करता है उसका जीवन मृतक के समान है।क्योंकि मृतक भी कुछ नहीं करता और बिना संघर्ष वाला व्यक्ति भी कुछ नहीं करता है।कुछ भी करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।यहां तक की चोर,लुटेरों,बदमाशों,उठाईगिरों,डकैतों,हत्यारों,परीक्षा में नकल करने वालों,लड़ाई-झगड़ा करने वालों आदि बुरे कृत्य करने वालों को भी संघर्ष करना पड़ता है परंतु उनकी दिशा गलत है इसलिए इन कार्यों के परिणाम भी बुरे भुगतने पड़ते हैं।
3.संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए (Don’t Be Afraid of Conflict):
- संघर्ष व्यक्ति को महान बनाता है,लेकिन तभी,जब वह सही दिशा की ओर,सही लक्ष्य की ओर किया जाए। संघर्ष व्यक्ति को सही अर्थों में मनुष्य बनाता है; क्योंकि संघर्ष के माध्यम से पता चलता है कि जीवन का असली आनंद क्या है? यदि जीवन में संघर्ष न होगा,तो जीवन उस मूर्छित व्यक्ति की तरह हो जाएगा जो जीवित तो होगा,लेकिन कुछ कर नहीं सकेगा।
- संघर्ष के माध्यम से ही व्यक्ति अपने जीवन में सफलता को अर्जित कर पाता है।सफलता के असली आनंद को महसूस कर पाता है।लंबे समय तक जीवन की चुनौतियों से संघर्ष के माध्यम से ही व्यक्ति अपने जीवन में बहुमूल्य उपलब्धियों को अर्जित कर पाता है,जिसका स्वाद ही अनोखा होता है।
- लेकिन यदि व्यक्ति बहुत मेहनत करे और लंबे समय तक,परेशान होने लगे,निराश होने लगे,तो ऐसी परिस्थिति में भी धैर्य नहीं खोना चाहिए और संघर्ष करने के तरीकों को बदल देना चाहिए।
- कभी भी एक ही तरीके से काम करते नहीं रहना चाहिए,बल्कि एक ही कार्य को कई ढंग से करने की कोशिश करनी चाहिए।
यदि व्यक्ति के जीवन में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ नहीं हैं,तो उन्हें खोजना चाहिए और उन्हें स्वीकारते हुए आगे बढ़ना चाहिए। - चुनौतियों से संघर्ष के बारे में यह जानना जरूरी है की चुनौतियां कभी भी व्यक्ति के जीवन में उसकी मर्जी के अनुसार नहीं आती और न ही उसकी पसंद या उम्मीद के अनुसार।चुनौतियां आती है हमेशा अप्रत्याशित रूप से भारी मात्रा में और कभी-कभी हमारी सोच इन्हें कठिन या भारी बना देती है।
- इन चुनौतियों से सामना करने में मुख्य बात यही है कि व्यक्ति इनका डटकर सामना करे और जब तक समस्या का पूरी तरह से समाधान न निकल जाए,तब तक पूरी हिम्मत के साथ कोशिश करता रहे।इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति के अंदर ‘कभी पीछे न हटने’ का जज्बा होना चाहिए।आप जितना ज्यादा मुश्किलों का सामना करोगे,उतनी ही मात्रा में आपकी मुश्किलें आसान होती जाएंगी।सफलता निश्चित नहीं है और असफलता अवश्यम्भावी नहीं है,चलते रहने का जज्बा महत्वपूर्ण है।
- कई बार जीवन में ऐसी परिस्थिति आती है कि हम एक दिशा में बहुत संघर्ष व मेहनत करते हैं और अचानक उसमें बहुत बड़ी असफलता हाथ लगती है,ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति को बहुत गहरा मानसिक सदमा पहुंचता है और लगता है कि जैसे सब कुछ खो गया,अब कुछ बचा नहीं,लेकिन ऐसी परिस्थिति में भी यदि वह अपने मानसिक संतुलन को बनाए रखें और फिर से नई दिशा में संघर्ष करें तो उसे एक नई जिंदगी की शुरुआत कह सकते हैं।
- जीवन में हार मान लेना बहुत आसान है।प्रयास करके हार मानना संतुष्टिजनक है और कोशिश करके जीत जाना एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है,जिसे हर व्यक्ति को हासिल करना चाहिए।इसलिए कोशिश करने के लिए संघर्ष तो हर व्यक्ति को करना ही चाहिए।पहले से ही अपनी हार स्वीकार कर लेने से यह बेहतर है की कोशिश की जाए,प्रयास किया जाए और जीतने का जज्बा मन में पैदा किया जाए।
- यह जीवन संघर्ष है।जो इस जीवन में जितना संघर्ष करने की कोशिश करता है,उतना ही विकास करता है और प्रकृति भी उसके सामने तदनुरूप कठिन परिस्थितियाँ व चुनौती प्रस्तुत करने के लिए अपना कार्य करती रहती है।संघर्ष का दूसरा नाम ही जीवन है।
- जो इस जीवन में संघर्ष करने से भागता है,संघर्ष करना नहीं चाहता,उसका व्यक्तित्व व जीवन अविकसित ही रह जाता है।उस व्यक्ति की उम्र व शरीर जरूर विकसित हो जाता है,लेकिन उसका मन विकसित नहीं हो पाता और अविकसित मन उस अज्ञानी व्यक्ति की तरह है,जिसके पास जीवन का कोई अनुभव नहीं होता,कोई ज्ञान नहीं होता।ऐसे व्यक्ति को एक बड़ा बच्चा भी कह सकते हैं,जिसका शरीर तो विकसित हो गया है,लेकिन मन अभी अपरिपक्व ही है।
4.जीवन में संघर्ष को स्वीकारें (Accept the Struggles in Life):
- संघर्ष जीवन का आरंभ है और अंत भी।कभी व्यक्ति को जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है तो कभी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए और कभी-कभी तो बिना किसी कारण के संघर्ष करना पड़ता है।संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है,इसलिए इसे मनुष्य को स्वीकारना ही पड़ेगा,इसके महत्त्व को समझना ही पड़ेगा और कितना अच्छा हो यदि वह संघर्ष करने में ही प्रसन्न रहने लगे और इसे अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बना ले,तो न केवल उसका व्यक्तित्व परिष्कृत होगा,बल्कि वह जीवन की विभूतियों से भी सरोबार होता जाएगा।
- इस संसार की एक बात अनोखी है कि इस संसार में क्षमताएं सभी के पास समान है और क्षमता के अनुरूप कार्य का स्तर अधिक है।इसी कारण हर स्तर व हर उम्र का व्यक्ति संघर्ष करता रहता है।चाहे वह छोटा बच्चा हो या वह बड़ा हो।चाहे छोटे पद पर हो या बड़े पद पर,संघर्ष हर स्तर पर है।कार्य के अनुरूप हर व्यक्ति के पास क्षमताएं कम पड़ जाती हैं और कार्य अपनी क्षमता से अधिक कठिन जान पड़ता है।
- जो संघर्ष छोटा बच्चा अपनी अवस्था में करता है,वही संघर्ष बड़ा व्यक्ति अपने स्तर पर करता है।संघर्ष कहीं भी कम नहीं है।इस संसार का यह सत्य है कि परमात्मा ने किसी भी व्यक्ति को ऐसे कार्य नहीं सौंपे हैं,जो उसकी क्षमता के स्तर से कम हों।
- हर व्यक्ति के पास करने के लिए वे ही कार्य हैं,जो उसकी क्षमता से बढ़कर है और इसीलिए इस संसार का एक दूसरा नाम संघर्ष भी है।इसी कारण छोटा बच्चा अपनी अबोध स्थिति में सीखने के लिए जो संघर्ष करता है,वही बड़ा होने पर भी संघर्ष करने के लिए बद्ध होता है।वह स्वेच्छा से संघर्ष करना नहीं चाहता है,लेकिन फिर भी प्रकृति उसे संघर्ष करने के लिए बाध्य करती है।
- संघर्ष,प्रयास व उस दौरान होने वाली भूलों को सुधारने से ही मनुष्य अपने जीवन में कुछ सीख पाता है।सीखने के लिए उसे इन चरणों से होकर गुजरना ही पड़ता है।चाहे व्यक्ति स्वेच्छा से गुजरे,चाहे अनिच्छा से,चाहे खुशी से करे,चाहे दुखी मन से,लेकिन उसे करना तो अवश्य पड़ता है।इसी प्रक्रिया से उसकी क्षमताएं निखरती हैं और वह सफल होने के योग्य हो पाता है।
- जिस व्यक्ति का जीवन जितनी कठिन परिस्थितियों से गुजरता है,वह उतना ही विकसित होता चला जाता है और जीवन जितना आराम से गुजरता है,उतना ही वह अविकसित व सुखोपभोगी हो जाता है।
- जीवन की कठिन परिस्थितियाँ न केवल हमारा विकास करती हैं,बल्कि हमें सही पथ पर चलने के लिए साहस भी प्रदान करती हैं।जीवन में संघर्ष ना हो तो व्यक्तित्व कभी परिष्कृत नहीं हो सकता।कोयला जब सदियों के संघर्षमय जीवन से गुजरता है,तभी हीरा बन पाता है।
- बीज को यदि संभालकर सुरक्षित किसी डिब्बी में या तिजोरी में रखें तो वह बीज ही रहता है,अंकुरित होकर पौधा नहीं बन पाता और यदि उसे जमीन में बो दें,तो मिट्टी,खाद,पानी के संपर्क में आने से अंकुरित होने लगता है,लेकिन इस अंकुरण से पहले उसे अपने बीज वाले अस्तित्व को नष्ट करना पड़ता है।वही बीज अपने अस्तित्व को मिटाकर स्वयं को गलाकर,मिट्टी में विलीन होकर पौधा बनता है।पौधा बनने के बाद यदि उस बीज को तलाशा जाए तो बीज नहीं मिलेगा।
- ठीक इसी तरह यदि व्यक्ति को बहुत ऐशोआराम में रखा जाए,उसे सुखोपभोग की सभी चीजें उपलब्ध करा दी जाएं तो वह उसमें लिप्त तो रहेगा,लेकिन उसका जीवन विकसित नहीं हो पाएगा,रूपान्तरित नहीं हो पाएगा।जिस उद्देश्य के लिए उसे मनुष्य जीवन मिला है,वह सार्थक नहीं हो पाएगा,इसलिए एक गहरी असंतुष्टि की भावना उसके अंतर्मन में,दिल में विद्यमान रहेगी कि जिंदगी में वह जो हासिल करने आया था,उसे करना था,शायद वह उसे नहीं कर पाया।
5.संघर्ष का दृष्टांत (Parable of Conflict):
- गणित का एक विद्यार्थी था।गणित पढ़ने में वह कुशल था,परंतु उसकी प्रतिभा के समतुल्य अन्य विद्यार्थी भी थे।उस विद्यार्थी ने गणित शिक्षक से उच्चकोटि की गणित सीखने का उपाय पूछा।गणित शिक्षक ने कहा कि शिक्षक द्वारा तो सभी छात्र-छात्राओं को समान रूप से गणित की शिक्षा दी जाती है।यदि तुम्हें गणित के क्षेत्र में कुछ विशिष्ट करना है तो तुम्हें स्वयं प्रयास करना होगा।तुम्हें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए संघर्ष करना होगा।
- संघर्ष करने में तुम जितने सक्षम होंगे उतनी ही तुम्हारी प्रतिभा निखरती जाएगी।हालांकि संघर्ष के साथ अन्य गुणों की भी जरूरत है परन्तु संघर्ष भी उनमें महत्त्वपूर्ण है।उसने घनघोर कष्टों,संकटों और संघर्षों का सामना किया।परंतु गणित का अध्ययन करना जारी रखा।कठिन संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ते हुए एक दिन वह विद्यार्थी उच्चकोटि का गणितज्ञ बन गया।उसके पास अन्य बच्चे आते तो उन्हें भी वह प्रेरित करता।कई बच्चों को साधना का पथ बताया।
- धीरे-धीरे गणित शिक्षा का प्रचार-प्रसार होने लगा।बच्चे गणित में रुचि लेने लगे।इस प्रकार जिसने एक छोटे से स्तर से गणित का ज्ञान प्राप्त करना प्रारंभ किया था वह पौधा,पेड़ बन गया जिसकी छाँह में कई लोगों ने शीतलता का एहसास किया।उस विद्यार्थी का जीवन अनेकों को अनेक माध्यम से प्रेरणा देता है,पर उसके जीवन की एक महत्त्वपूर्ण शिक्षा यह है कि जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है।जो संघर्ष करने में सक्षम है,वही जीवन का सदुपयोग कर पाते हैं।
- उपर्युक्त आर्टिकल में जीवन में संघर्ष आवश्यक है (Struggle is Necessary in Life),संघर्ष मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा (Struggle is an Integral Part of Human Life) के बारे में बताया गया है।
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6.गणित पढ़ने से लाभ (हास्य-व्यंग्य) (Benefits of Reading Mathematics) (Humour-Satire):
- टीचर:बच्चों!बताओ गणित पढ़ने से क्या लाभ होता है?
- एक बच्चा:सर! गणित पढ़ने से अनेक लाभ है परंतु सबसे बड़ा लाभ यह है की माता-पिता से जेबखर्च के लिए रुपए मिल जाते हैं।
7.जीवन में संघर्ष आवश्यक है (Frequently Asked Questions Related to Struggle is Necessary in Life),संघर्ष मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा (Struggle is an Integral Part of Human Life) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.क्या संघर्ष से बुद्धि तीक्ष्ण होती है? (Does Conflict Sharpen the Intellect?):
उत्तर:जीवन में संघर्ष प्रतिकूलता और चुनौतियों के मौकों पर मनुष्य की बुद्धि ओर मंझ जाती है।जो लोग ऐसी परिस्थितियों से वंचित रह जाएं वे बुद्धिहीन रह जाएं इसमें आश्चर्य नहीं होगा।अपनी इंद्रियों द्वारा विषयों का भोग जो हम करते हैं उसकी स्वीकृति,अस्वीकृति,अनुभूति बुद्धि कराती है।कुछ लोग जीवनभर बुद्धि का उपभोग इससे ज्यादा नहीं कर पाते हैं।इंद्रियों ने विषयों को भोगा,बुद्धि ने थोड़ी भूमिका निभाई और हो गया पूरा जीवन।इन्द्रियाँ सुविधाभोगी होती है,इसलिए वे बुद्धि को भी वैसा ही बना देती है,लेकिन बुद्धि को संघर्ष से गुजरना पड़े तो,फिर वैसे ही तीव्र हो जाती है जैसे चाकू की धार।चाकू पर लोहे की रगड़ से धार पैदा हो जाती है,यह रगड़ जीवन में संघर्ष है।इसलिए बुद्धि को संघर्ष,चुनौती से बचाएं ना।
प्रश्न:2.क्रियाशील रहने की क्या टिप्स हैं? (What are the Tips for Staying Active?):
उत्तर:(1.)हमें यह विचारना चाहिए कि आज का दिन अपना है।कल की गलतियों को उसी तरह भूल जाइए,जैसे कि पहले शिशु पैदा होता है परंतु कालांतर में वही जवान,फिर बुड्ढा हो जाता है।
(2.)अपने आपको तुच्छ समझकर जीवन से न भागें।पूर्णता न मिले,तो भी कर्मशील बने रहना सीखें।
(3.)जीवन बनाए रखें और बाधाओं से डरें नहीं,वरन् उनसे लड़े।
(4.)अपने आपको और अपनी शक्ति को पहचान कर कार्यशील बने रहें।
(5.)यौवन में जीवन की तैयारी कर लेने पर जीवनभर कार्य करने की लगन बनी रहती है।
(6.)सुखमय जीवन के लिए कुविचारों से लड़ाई प्रारंभ करने का समय अभी ही है।
(7.)मनुष्य भगवान का वरिष्ठ राजकुमार है।उसे जीने,हंसने और प्रेम करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।
(8.)पिछली बातों को भूलकर आज से ही सत्कार्यों में लग जाएं और यह अनुभव करें कि आपको इससे सुख मिल रहा है।
प्रश्न:3.आगे बढ़ाने के लिए कदम-कदम आगे बढ़े से क्या तात्पर्य है? (Step by Step Forward What Do You Mean by Move Forward?):
उत्तर:आत्मविश्वास एवं अदम्य उत्साह वाले व्यक्ति के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।यदि हम दृढ़ संकल्प करके किसी भी कार्य को करते हैं तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता है परंतु इसके लिए हमें सीढ़ी दर सीढ़ी ऊंचे उठना होगा।यह नहीं है कि एक छलांग में ही हम आसमान छू लेंगे।मकान की छत पर चढ़ने के लिए हमें सीढ़ी से होकर ही गुजरना होगा,उतावला होकर छोटे मार्ग को अपनाने से जान भी जोखिम में पड़ सकती है।अतः हमें कदम-कदम चलकर अपने लक्ष्य को पाना चाहिए।तभी हम सफल कहलाएंगे वरना हमारी भी वही गति होगी जो उछल-उछलकर चलने वाले की होती है।
क्रमबद्धता प्रकृति का सबसे बड़ा गुण है।अगर हम क्रम तोड़कर लक्ष्य पाना चाहेंगे तो यह नामुमकिन है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जीवन में संघर्ष आवश्यक है (Struggle is Necessary in Life),संघर्ष मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा (Struggle is an Integral Part of Human Life) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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