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Stay Mentally Fit for Exam Preparation

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1.परीक्षा की तैयारी हेतु मेंटली फिट कैसे रहें? (How to Stay Mentally Fit for Exam Preparation?),परीक्षा की तैयारी हेतु मेन्टली फिट रहने की 5 टिप्स (5 Tips to Stay Mentally Fit for Exam Preparation):

  • परीक्षा की तैयारी हेतु मेंटली फिट कैसे रहें? (How to Stay Mentally Fit for Exam Preparation? अर्थात् मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें।मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने के कई कारण हो सकते हैं।जैसे परीक्षा का डर,कोर्स का पूर्ण न हो पाना,पर्याप्त नींद न लेना,मानसिक तनाव,नियमित दिनचर्या न होना,समय-बेसमय सोना,योगासन-प्राणायाम (व्यायाम) न करना आदि अनेक कारण हो सकते हैं।कारण जो भी हों परंतु मानसिक रूप से अस्वस्थ रहना हमारी सफलता में स्पीड ब्रेकर का कार्य करता है।
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2.मेन्टली फिट कैसे रहें? (Why stay mentally fit?):

  • परीक्षा कैसी भी हो चाहे बोर्ड एग्जाम हो,कॉलेज परीक्षा हो,प्रवेश परीक्षा हो,प्रतियोगिता परीक्षा अथवा इंटरव्यू हो,इनसे डरना हमें मानसिक रूप से अस्वस्थ कर देता है।स्टूडेंट हो या प्रोफेशनल लाइफ हर किसी को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहना आवश्यक है।
  • यदि शरीर अस्वस्थ होता है तो धीरे-धीरे उसका प्रभाव मन पर भी पड़ता है यानी मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो जाते हैं।यदि मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं तो उसका प्रभाव भी देर-सबेर शरीर पर पड़ता है और हम शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं।
    मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने पर मानसिक थकान,मानसिक तनाव,सिरदर्द,चक्कर आना,सिर घूमना,जी मिचलाना आदि कई समस्याएं सामने आती हैं।
  • हमारा मस्तिष्क एक समय में कई काम करता है।हर सेकंड के छोटे-छोटे हिस्से में प्रतिक्रिया देकर चीजों का अनुभव करता है।अध्ययन की गई बातों को याद रखने,उनको व्यवस्थित करने,सवालों व समस्याओं को हल करने आदि का काम हमारा दिमाग ही करता है।पढ़ाई से लेकर चीजों को याद रखने और छोटे से छोटे फैसले लेने में दिमाग का सही तरीके से काम करना जरूरी है।
  • अध्ययन की पुनरावृत्ति करने,नोट्स तैयार करने,बेहतरीन तैयारी करने,अपने लक्ष्य को जुनून बनाने,हर हालत में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने,जटिल समस्याओं को हल करने,अत्यधिक पाठ्यक्रम को समय पर तैयार करने,बार-बार अभ्यास करने आदि में मस्तिष्क का स्वस्थ रहना,मन का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है।
  • मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने पर पड़ा हुआ याद नहीं रहता,क्रिटिकल समस्याओं को हल नहीं कर पाते,एकाग्रता नहीं सधती है और एकाग्रता के अभाव में अध्ययन पर दिमाग फोकस नहीं होता है।हमें अध्ययन में बोरियत महसूस होती है,अध्ययन भारस्वरूप महसूस होता है,अध्ययन से मन उचट जाता है।मन इधर-उधर भटकता रहता है।
  • दिमाग में अनावश्यक विचार चलते रहते हैं।यथा मैं परीक्षा में सफल हो पाऊंगा या नहीं,इंटरव्यू या प्रवेश परीक्षा क्रैक कर पाऊंगा या नहीं,ऑफिस में जो जाॅब दिया गया उसे ठीक से हैंडल कर पाऊंगा या नहीं,अध्ययन में जो सिलेबस है उसको पूर्ण कर पाऊंगा या नहीं,परीक्षा प्रश्न पत्र कठिन तो नहीं आएगा,अपने टारगेट को अचीव कर पाऊंगा या नहीं,ऐसे सवालों में मन लग जाता है।
  • फलस्वरूप हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है,किसी भी कार्य को ठीक प्रकार से अंजाम नहीं दे पाते हैं।मानसिक रूप से अस्वस्थता के कारण शारीरिक रूप से भी बीमार हो जाते हैं।इसलिए मेंटल स्टेट्स सही होना जरूरी है।

3.मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के उपाय (Ways to stay mentally fit):

  • मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने और उन पर अमल करने से मदद मिलेगी।जिस प्रकार से शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए योगासन-प्राणायाम (व्यायाम) आदि करते हैं उसी तरह मानसिक रूप से स्वस्थ रहने,मस्तिष्क को बेहतरीन बनाने के लिए कुछ ऐसी एक्टिविटीज की जाती है,जो दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।जैसे पसंदीदा इंस्ट्रूमेंट बजाना,यदि आपकी हाॅबी भजन,नृत्य या संगीत में हो तो कुछ समय के लिए उन्हें करना,आर्टिकल (लेख) लिखने में लगता हो,पजल सॉल्व करना,पहेलियां (Riddles),कूट प्रश्न,गूढ़ समस्याएं (Enigmas),जादुई वर्ग (Magic Square),अद्भुत जीवन घटनाएं (Anecdotes),हर्षोन्मादी जानकारियां (Esctatic Knowhows),वैदिक गणित (Vedic Mathematics) आदि को हल करना।कई ऐसे एप्स भी उपलब्ध हैं,जो ब्रेन के लिए अच्छे होते हैं।ये ऐप गेम्स और ऐसे टास्क उपलब्ध कराते हैं,जिससे सुस्ती दूर होती है और दिमाग एक्टिव रहता है।इसे एकाग्रता बढ़ती है।
  • रात को ठीक समय पर तथा बिना किसी तनाव के सोने की कोशिश करें।मोबाइल फोन का अनावश्यक प्रयोग ना करें।जितना आवश्यक हो उतना ही करें।रात को सोने से एक घंटे से पहले मोबाइल फोन से दूरी बना लें अर्थात् एक घंटा पूर्व उसका प्रयोग करना बंद कर दें।
  • सुबह जल्दी उठें और शौच आदि से निवृत्त होकर वैसे कार्य करें जो आपकी दिनचर्या को नियमित और सक्रिय करते हैं,जिनसे ऊर्जा मिलती है।जैसे बाग-बगीचे में टहलना,योगासन-प्राणायाम,ध्यान-योग,मन को एकाग्र करने के उपाय करना।भजन,प्रार्थना करना आदि।इनसे मन की एकाग्रता सधती है,मन शांत रहता है।दिल और दिमाग तरोताजा होता है।कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।मन से नकारात्मकता दूर होती है।मन प्रफुल्लित,उत्साहित और प्रेरित होता है।
  • किसी भी बात पर प्रतिक्रिया देने से पहले उस पर विचार करें और सटीक व उचित प्रतिक्रिया दें।हर बात पर प्रतिक्रिया देना भी सही नहीं है।यदि आप रास्ते में मिलने वाले हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे तो आप अपने लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाएंगे।साथ ही आपका स्वभाव भी चिड़चिड़ा और क्रोधी हो जाएगा।इसलिए दिमाग को संतुलित रखने के लिए संतुलित और उचित प्रतिक्रिया दें।परंतु उनकी ही प्रतिक्रिया दें,जो आवश्यक हो।
  • मानसिक स्वास्थ्य एक सतत प्रक्रिया है।अपने मस्तिष्क को चुस्त और दुरुस्त रखने के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।धैर्य रखें,खुद पर नियंत्रण रखें,अपने आप पर ध्यान दें।किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इस दिशा में काम करना बहुत जरूरी है।अपनी क्षमताओं,योग्यताओं,प्रतिभा को पहचानें और फिर उसी तरह से प्रयास करें जो अपने लक्ष्य के लिए आवश्यक है।
  • दूसरे क्या कर रहे हैं,उस पर गौर करने के बजाय खुद को आगे बढ़ाने पर ध्यान दें।हां यदि वे आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में सकारात्मक सुझाव और सहयोग दे रहे हैं तो उन पर गौर करें,उनको स्वीकारें।
  • मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कई बातों पर अमल करना जरूरी होता है और उन सभी बातों का पालन करना एकदम से संभव नहीं है और एक-एक बात पर अमल करते जाएं।जैसे मन को एकाग्र रखना,सकारात्मक विचारधारा,ध्यान-योग का अभ्यास करना,आध्यात्मिकता को जीवन में अपनाना,अपने आपको लक्ष्य पर केंद्रित रखना,लक्ष्य को पाने के लिए अपने अंदर जुनून पैदा करना,लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना आदि सभी बातों पर धीरे-धीरे अमल करें।

4.छात्र-छात्राएँ मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें? (How do students stay mentally fit?):

  • छात्र-छात्राओं को उपर्युक्त बातों पर अमल करना तो जरूरी है ही परंतु उनके लिए कुछ विशिष्ट उपाय भी बताएं जा रहे हैं।सत्रारम्भ से ही नियमित रूप से पढ़ें और पढ़ने की आदत बना लें जिससे बाद में कोर्स को पूरा करने का दबाव न हो।सत्रारम्भ से आरंभ नहीं किया है तो अब गंभीरतापूर्वक अध्ययन करना प्रारंभ कर दें जिससे मानसिक तनाव से बचा जा सकें।
  • वस्तुतः कुछ छात्र-छात्राओं की आदत होती है कि वे परीक्षा की तैयारी वार्षिक परीक्षा से दो-तीन माह पूर्व से प्रारंभ करते हैं।ऐसी स्थिति में मानसिक तनाव,चिंता से ग्रस्त हो जाते हैं।पूरे सिलेबस को दो-तीन महीने में कवर करना संभव नहीं होता है।
  • सत्रारम्भ से ही मौजमस्ती करते रहते हैं,कक्षाओं में बंक (bunk) मार लेते हैं।अध्ययन की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं।फिर परीक्षा नजदीक आती है तो उनकी आंखें खुलती है।उन्हें यह समझ ही नहीं आता की परीक्षा की तैयारी किस तरह करें,कहां से तैयारी प्रारंभ करें,क्या पढ़े,क्या ना पढ़ें? इस प्रकार की मनःस्थिति में मानसिक रूप से अस्वस्थ न होंगे तो क्या होंगे?
  • रात-दिन अध्ययन में ही जुटे रहना भी ठीक नहीं है।अध्ययन के दौरान बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक भी लें और आराम भी करें।यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है।अधिक समय तक पढ़ने की बजाए कम समय में एकाग्र होकर पढ़ना ज्यादा जरूरी है।पर्याप्त नींद लें।तनाव दूर करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्नीक का इस्तेमाल करें।इन बातों से मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।सेहत अच्छी रहेगी,मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे तो पढ़ाई भी अच्छी तरह से होगी।
  • स्ट्रेस (तनाव) से अक्सर अधिकांश विद्यार्थियों का कभी ना कभी सामना जरूर होता है।इसे मैनेज करने के कई तरीके होते हैं।इसे मैनेज करके ही आगे बढ़ा जा सकता है।ध्यान रखें अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने वालों के ऊपर स्ट्रेस हावी नहीं होता।इसे सीखें।
  • खाली पेट अध्ययन ना करें।हल्का नाश्ता करें।अपने आप को हाइड्रेट रखने के लिए दिन में पानी पीते रहें।
  • कुछ प्रेरणादायक,व्यावहारिक जीवन में काम आने वाली पुस्तकें,सत्साहित्य का अध्ययन करने की आदत भी डाल लेना चाहिए।अच्छी किताबें पढ़ना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।इसके अलावा कुछ ऐसी किताबें पढ़ सकते हैं,जो सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देने वाली हों।जो तनाव को दूर करने में सहयोग करती हैं।सत्साहित्य,व्यावहारिक पुस्तकें,प्रेरक पुस्तकें,अच्छी पुस्तकें पढ़कर मन को सुकून मिलता है,मन शांत रहता है।किताबें अलग-अलग दृष्टिकोणों को समझने में मदद करती हैं।सोच को व्यापक और गहन बनाती हैं।
  • विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी तरह के मानसिक दबाव से बचने या राहत पाने के लिए एक बेहतरीन तरीका यह भी है कि आप हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखें।आपके अध्ययन में नवीनता,परिवर्तनशीलता और प्रगतिशीलता का समावेश हो तो समझना चाहिए कि आप सही दिशा में अध्ययन कर रहे हैं।इससे आप इतने व्यस्त और व्यवस्थित रहेंगे कि नकारात्मक बातों पर आपका ध्यान कम जाएगा।आपके जीवन से नकारात्मकता गायब होती जाएगी।
  • यदि पढ़ते समय बोरियत महसूस हो रही हो तो अध्ययन पद्धति में बदलाव करते रहना चाहिए परंतु यह बदलाव परीक्षा के आसपास नहीं करना चाहिए।कुछ नए एक्सपेरिमेंट्स परीक्षा के समय करने से आपकी अध्ययन के प्रति एकाग्रता भंग कर सकते हैं।

5.मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का निष्कर्ष (Conclusion to Staying Mentally fit):

  • आपके लिए इससे बेहतर और कुछ नहीं कि अपने मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखें ताकि आपका दिल व दिमाग भी स्वस्थ रहे और आप अधिक सामर्थ्य और योग्यता के साथ कार्य कर सकें।
  • हम सब जानते हैं कि अध्ययन,मनन-चिंतन,जाॅब अथवा कोई भी कार्य करने का सारा दारोमदार हमारे मानसिक और शारीरिक स्वस्थता पर निर्भर करता है।परंतु हम जीवन की भाग-दौड़ में,प्रतिस्पर्धा और आगे निकलने की होड़ में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं।स्वस्थ मनुष्य एक रोगी की अपेक्षा दस गुना अधिक काम करता है।स्वास्थ्य हमारी शक्ति और सामर्थ्य को दस गुना बढ़ा देता है।हमारे निर्णय-शक्ति और भले-बुरे को पहचानने की शक्ति में वृद्धि होती है तो फिर हम स्वास्थ्य की बुनियादों को मजबूत करने के लिए क्यों प्रयत्नशील नहीं होते? मानव की शारीरिक महानता और आध्यात्मिक उच्चता के लिए स्वास्थ्य से बढ़कर कोई चीज नहीं।
  • नींद की कमी,व्यायाम न करना,पौष्टिक भोजन न मिलना,हर समय काम ही काम,अध्ययन ही अध्ययन करते रहना और आराम का नाम भी ना लेना यह हमारी शारीरिक और मानसिक इमारत में दरारें हैं,जहां से अज्ञात रूप से शक्ति क्षरित होती रहती है।ये हमारे मन और शरीर की छत में ऐसे छेद हैं,जहां से हमारे शरीर की दीवारों या बुनियादों में पानी रिसता रहता है और उन्हें कमजोर बनाता रहता है।
  • यदि आपके शरीर के अंदर स्नायुमंडल (Nerve System) की बुनियाद हिल चुकी है तो आप कैसे काम या अध्ययन कर सकेंगे? यदि प्रातः सवेरे बिस्तर से उठकर आपकी तबीयत किसी से लड़ने के लिए तत्पर हो और सारा दिन इसी चिड़चिड़ेपन में बीते कि जो सामने आया उससे लड़ाई हो गई तो आपको याद रखना चाहिए कि आपके मन में कोई-न-कोई दोष या विकार अवश्य है।यह चिड़चिड़ापन और हर किसी से लड़ना-झगड़ना बीमारी का लक्षण है,जो आपके शरीर और मन में प्रविष्ट हो गई है।इसका कारण आपके मस्तिष्क की किसी कमजोरी से संबंधित है।संभव है जाॅब में या अध्ययन में अधिक सोच-विचार इसका कारण हो या काम के समय कोई घटना घट गई हो।कारण कुछ भी हो,आपको उसका पता लगाना चाहिए और उसे दूर करने का प्रबंध भी करना चाहिए वरना समझ लें कि आपके जीवन को नष्ट करने के लिए मानसिक अस्वस्थता पर्याप्त है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में परीक्षा की तैयारी हेतु मेंटली फिट कैसे रहें? (How to Stay Mentally Fit for Exam Preparation?),परीक्षा की तैयारी हेतु मेन्टली फिट रहने की 5 टिप्स (5 Tips to Stay Mentally Fit for Exam Preparation) के बारे में बताया गया है।

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6.पागलों वाली बात (हास्य-व्यंग्य) (Crazy Thing) (Humour-Satire):

  • परीक्षा नजदीक थी और गणित शिक्षक अचानक क्लास छोड़कर चले गए।
  • रवि:अरे यार गणित के सवाल बहुत कठिन हैं,पासबुक तो खोल लो।
  • किशन:कर दी न पागलों वाली बात,अगर पासबुक खोल ली तो गणित शिक्षक देख नहीं लेंगे।

7.परीक्षा की तैयारी हेतु मेंटली फिट कैसे रहें? (Frequently Asked Questions Related to How to Stay Mentally Fit for Exam Preparation?),परीक्षा की तैयारी हेतु मेन्टली फिट रहने की 5 टिप्स (5 Tips to Stay Mentally Fit for Exam Preparation) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के क्या लक्षण हैं? (What are the symptoms of a mentally ill person?):

उत्तर:प्रवृत्तिशील,चिड़चिड़ा,उत्तेजित,तोड़फोड़,गाली-गलौज वाला व्यवहार।चिंता,तनाव,अवसाद,सनक,अनुचित डर,अनचाहे विचार,बेतुकी बातचीत या गतिविधियां,अनुचित शक,वहम इत्यादि।अध्ययन,काम को एकाग्रता या निपुणता या रुचिपूर्वक न कर पाना।किसी इंद्रिय-संबंधी कारण के बिना सिरदर्द,कमजोरी,भूख में कमी,कब्ज,दस्त,घबराहट,सांस फूलना,शरीर के किसी भाग में दर्द इत्यादि जैसे शारीरिक लक्षण।मानसिक क्रियाओं जैसे कि चिंतन,भाव,बुद्धि,स्मरण शक्ति,एकाग्रता,इंद्रियग्राह्यता या आसपास की चीजों के कारण विकार।मानसिक तनाव की वजह से शारीरिक रोग जैसे कि पेट में व्रण,रक्तचाप,दमा,नपुंसकता इत्यादि की उत्पत्ति या वृद्धि।गैर-कानूनी,असामाजिक,यौन विकृति,नशाखोरी,मदिरा सेवन इत्यादि गतिविधियां।नींद में विकार (कमी,अधिकता,दुःस्वप्न,नींद में बोलना या चलना इत्यादि)।निर्णय शक्ति तथा रोग के परिज्ञान में कमी।

प्रश्न:2.मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति का व्यवहार कैसा होता है? (What is the behavior of a mentally fit person?):

उत्तर:स्वयं तथा वातावरण के साथ पूर्ण समन्वय।संतुष्टि,खुशी तथा शांति की भावना।कुशलतापूर्वक अपना कार्य करना।पारिवारिक,सामाजिक तथा आर्थिक जिम्मेदारियों का संतुष्टि से निर्वाह।समाज,संस्कृति एवं मानवता की भलाई के लिए अपनी क्षमता,योग्यता तथा रचना शक्ति का इस्तेमाल।आसपास के लोगों के साथ मधुर संबंध।मानसिक क्रियाओं जैसे की स्मृति,चेतना,सोच,भाव,बुद्धि,निर्णय शक्ति,अंतर्दृष्टि,व्यवहार,इंद्रियग्राह्यता इत्यादि का सही रूप से कार्य करना।

प्रश्न:3.मानसिक रूप से रुग्ण व्यक्ति की कैसी स्थिति होती है? (What is the condition of a mentally ill person?):

उत्तर:जिस व्यक्ति का शरीर रुग्ण है और मानसिक मानसिक रूप से अस्वस्थ है तथा आत्मा निर्जीव है,उसे कोई पसंद नहीं करता।वह अपने साथ अंधकार की कालिमा लिए चलता प्रतीत होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा परीक्षा की तैयारी हेतु मेंटली फिट कैसे रहें? (How to Stay Mentally Fit for Exam Preparation?),परीक्षा की तैयारी हेतु मेन्टली फिट रहने की 5 टिप्स (5 Tips to Stay Mentally Fit for Exam Preparation) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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