Spell for Achieving Meaningful Success
1.सार्थक सफलता हासिल करने के 13 मंत्र (13 Spell for Achieving Meaningful Success),छात्र-छात्राओं के लिए सार्थक सफलता हासिल करने की 13 रणनीतियाँ (13 Strategies for Students to Achieve Meaningful Success):
- सार्थक सफलता हासिल करने के 13 मंत्र (13 Spell for Achieving Meaningful Success) के आधार पर आप जान सकेंगे की सफलता और सार्थकता सफलता में क्या अंतर है? सार्थक सफलता हमारे लिए,हमारे लक्ष्य को हासिल करने और सबसे बढ़कर आत्म-संतुष्टि के लिए बहुत जरूरी है।
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2.सफलता के मूल मंत्र (The Keys to Success):
- सफलता संकल्पवानों के संकल्प में निवास करती है। इसका मूलमंत्र है आत्मविश्वास और असफलता का कारण है आत्मविश्वास का अभाव।सफलता न अनुकूल परिस्थितियों पर आधारित है और न उपयुक्त अवसरों पर।यह तो आत्मविश्वास पर ही निर्भर करती है।आत्मविश्वास का अर्थ कोरी भावुकता नहीं है,बल्कि यह उस दूरदर्शिता का दूसरा नाम है जिसके साथ अटल संकल्प और अदम्य साहस जुड़ा रहता है।आत्मविश्वास का तात्पर्य है अपने आप के प्रति प्रबल आस्था और गहन निष्ठा।आस्था और निष्ठा ही सफलता का पथ प्रशस्त करती है।
- सफलता के कँटीले रास्तों पर आनेवाली बाधाओं,विघ्नों और अवरोधों को दूर करने का एक ही उपाय है,आत्मविश्वास।अंतः की गंगोत्री से ही शक्ति का प्रवाह फूट पड़ता है और प्रचंड पुरुषार्थ की भागीरथी बहने लगती है।इस पयस्विनी में स्नान कर तमाम असफल व्यक्तियों की असफलताएं धुलीं एवं दुर्बलताएं मिटी और सफलता के पुण्य आनंद का लाभ मिला।
- जीवन में सफलता कैसे अर्जित हो? आत्मबल कैसे बढ़े? इसके लिए सामान्य व व्यवहारिक,परंतु प्रेरणाप्रद 10 नियमों को अपनाना चाहिए,पालन करना चाहिए।सबल आत्मशक्ति के 10 नियम हैंःसहजता का नियम (लॉ आफ सिंपलीसिटी),कर्म का नियम (लॉ ऑफ वर्क),कामना का नियम (लाॅ ऑफ होप्स),परवाह का नियम (लॉ ऑफ केयर),विश्वास का नियम (लॉ ऑफ ट्रस्ट),आदर का नियम (लॉ ऑफ रेस्पेक्ट),सक्रियता का नियम (लॉ ऑफ डायनेमिज्म),परोपकार का नियम (लॉ ऑफ़ बेनोवोलेंस),कृतज्ञता का नियम (लॉ ऑफ़ ग्रैटीट्यूड) और बलिदान का नियम (लॉ ऑफ सैक्रिफाइस)।
3.सहजता का नियम (Law of Simplicity):
- सहजता का नियम सफलता का प्रथम सोपान है।इसका तात्पर्य है,शांति और सरलता में विश्वास।शांत मन से,शांत ढंग से किया गया हर कार्य सफल होता है।बेवजह जल्दबाजी काम को बनाने की अपेक्षा बिगाड़ती अधिक है।आवश्यक आतुरता से कुछ भी उपलब्ध नहीं होता है,उल्टा नुकसान और हानि उठानी पड़ती है।अनौचित्य परिश्रम से सफलता मिलती नहीं,बल्कि असफलता का घना कुहासा छा जाता है,जहां कुछ भी स्पष्ट नहीं दिखता।
- आज मशीनी युग की सबसे बड़ी समस्या है,निरर्थक भाग-दौड़।मूल्यहीन व्यस्तता और दूसरे से आगे बढ़ने की सर्वनाशी होड़।व्यक्ति वाहन का उपयोग इसलिए करता है,क्योंकि वह सुरक्षित और सहजता से अपने गंतव्य तक पहुंच जाए,परंतु वाहन को तीव्र,तीव्रतर,तीव्रतम चलाकर न जाने किससे आगे और कहां पहुंच जाना चाहता है।यह बात जीवन के हर क्षेत्र में है।हर ओर आपाधापी मची हुई है।राशन और गैस स्टोर या किसी अन्य काउंटर पर पंक्तिबद्ध खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में हम असहज और परेशान हो जाते हैं।परिणामतः लाइन टूटती है और दैनिक जीवन की व्यवस्था भंग होती है और आंतरिक जीवन चकनाचूर हो जाता है।
- जीवन में सफलता पाने के लिए शांत रहना चाहिए और सरलता व सहजता में घनघोर विश्वास रखना चाहिए।सहज व शांत मन में विवेकपूर्ण विचारों का उदय होता है,जो सफलता की अनिवार्य शर्त है।
4.कर्म का नियम (Law of Work):
- सफलता के लिए कर्म के नियमों का पालन करना भी आवश्यक है।कर्म की उत्कृष्टता एवं श्रेष्ठता में ही सफलता का मानदंड एवं मापदंड निर्धारित होता है।सद्कर्म से मिली असफलता भी सफलता से बड़ी-चढ़ी होती है।इससे मन में अपार शांति एवं प्रसन्नता का अनुभव होता है और यदि कर्म निष्काम भाव से किया जाए तो जिंदगी की दिशाधारा ही बदल जाती है।इससे आंतरिक जीवन पवित्र एवं प्रखर होता है।आंतरिक और बाह्य दोनों ही सफलताओं के लिए निष्काम कर्म करना चाहिए।
5.कामना का नियम (Law of Hops):
- संसार में हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है,परंतु हरेक की सफलता की चाहत अलग-अलग होती है।कोई भौतिक जीवन में सफल होने की कामना करता है तो कोई धार्मिकता एवं आध्यात्मिकता की इच्छा करता है।कर्म भी मन की इच्छाओं के द्वारा नियमित एवं निर्धारित होते हैं।मनोनुकूल कार्य सहजता से संपन्न होते हैं,जबकि जिस कार्य में इच्छा ना हो,वह बड़ा भारी एवं उबाऊ लगता है।अतः हरेक व्यक्ति को अपने भावी भविष्य की सुखद एवं सफल कामना करनी चाहिए,परंतु यथार्थ के धरातल पर उतरने के लिए,व्यावहारिक होने के लिए,बुरी-से-बुरी परिस्थितियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए,अन्यथा सुखद कल्पना एवं कामना पानी के बुलबुले के समान विलीन हो जाएंगी।
6.परवाह का नियम (Law of Care):
- हमें जितनी अपनी सफलता एवं विकास के लिए परवाह होती है,उतनी ही औरों के लिए भी होनी चाहिए।परवाह की यह उदात्त भावना हमें उदार बना देती है और हम दूसरों के सुख में सुखी तथा दुःख में दुखी होते हैं।इससे मन में ईर्ष्या,द्वेष,दुर्भाव जैसे असाध्य मनोविकारों को मन के अंदर जड़ जमाने का मौका नहीं मिलता।परिणामतः व्यक्ति बड़ा खुश एवं आनंदित रहता है।जब हम अपने समान दूसरों का भी ख्याल रखते हैं तो सभी हमारे मित्र एवं हितैषी बन जाते हैं और भगवान भी हमारा ख्याल रखना है।अतः परवाह का नियम सफल जीवन के लिए अत्यंत जरूरी है।
7.विश्वास का नियम (Law of Trust):
- विश्वास-आत्मविश्वास का अमोघ अस्त्र है।संसार का इतिहास उन थोड़े-से व्यक्तियों का इतिहास है,जिनमें आत्मविश्वास था।यह विश्वास हमारे अंदर विद्यमान देवत्व को ललकार कर प्रकट कर देता है।तब व्यक्ति कुछ भी कर सकता है,सर्व समर्थ हो जाता है।असफलता तभी होती है,जब हमें अपने ऊपर विश्वास नहीं होता।जिसमें आत्मविश्वास नहीं है,वही नास्तिक है।जिस क्षण व्यक्ति या राष्ट्र आत्मविश्वास खो देता है,उसी क्षण उसकी मृत्यु हो जाती है।विश्वास-विश्वास-अपने आप पर विश्वास।यही उन्नति एवं सफलता का एकमात्र उपाय है।
8.आदर का नियम (Law of Respect):
- विश्वास हमें सफलता दिलाता है और प्रतिष्ठा भी,परंतु जीवन में मान एवं प्रतिष्ठा तभी आते हैं,जब व्यक्ति विनम्र हो और दूसरों का आदर-सम्मान करना जानता हो।दूसरों का आदर करने वाला व्यक्ति ही सम्मान का सच्चा अधिकारी होता है।जिसे स्वयं का सम्मान करना नहीं आता,वह मृत एवं मुर्दे के समान है।उसके अंदर स्वाभिमान का घोर अभाव होता है।ऐसे व्यक्ति दूसरों का सम्मान भी नहीं करते और बदले में निरादर-अनादर पाते,तिरस्कृत होते हैं।अतः सफल होने के लिए आदर के नियमों का पालन करना चाहिए,क्योंकि आदर चाहे दूसरों का करें या स्वयं का,सदैव कुछ अच्छा व श्रेष्ठ लेकर ही आता है।
9.सक्रियता का नियम (Law of Dynamism):
- सम्मान की यह अभिलाषा व्यक्ति को सक्रिय एवं सजग कर देती है।वह भाग्य और भविष्य के भरोसे हाथ-पर-हाथ धरे बैठे नहीं रहता है,बल्कि वह कुछ करने में विश्वास रखता है और सफलता के प्रति सक्रिय हो जाता है।उसकी यही सक्रियता उसे प्रबल प्रयास एवं प्रचण्ड पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करती है।फिर उसमें साहस और बल का संचार होता है और अपनी सफलता के लिए असफलताओं के भँवर में भी असीम धैर्य का परिचय देता है।ऐसे सक्रिय व्यक्ति के निजी और बाहरी,दोनों जीवन चमक उठते हैं,जो हमेशा अपने लिए और औरों के लिए कुछ करने के लिए सजग रहता है।
10.परोपकार का नियम (Law of Benevolence):
- दूसरों के लिए कुछ करने की भावना ही परोपकार है।परोपकार खेत में बोये जाने वाले बीज के समान है।जब परोपकार किया जाता है तो कुछ भी दिखाई नहीं देता,परंतु जब उसकी फसल पक जाती है तो वही सद्भावना एवं प्रेम के रूप में लहलहाने लगती है।अतः सफल व्यक्ति वे नहीं,जिन्होंने बेशुमार संपत्ति जमा कर ली हो या समाज में मान-सम्मान पाकर प्रतिष्ठित हों,सहायता करके दुआओं की दौलत से मन का खजाना भर लिया हो।परोपकार जेठ की दुपहरी में ठंडी व शीतल छाँह के समान है,जहां पर कुछ देर आराम और विश्राम किया जा सकता है।
11.कृतज्ञता का नियम (Law of Gratitude):
- उपकारों का बदला केवल कृतज्ञता के भाव से ही चुकाया जा सकता है।किसी ने हमारे लिए कुछ भी किया हो,सदैव उसके प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए तथा उसके लिए कुछ करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।कृतज्ञ व्यक्ति सफल होता है,परंतु कृतघ्न अपयश का भागी होता है और उसे असफलता ही हाथ लगती है,क्योंकि कृतज्ञता प्रकट करने से विनम्रता आती है और कृतघ्नता से अहंकार।कृतज्ञ का सभी सहयोग करते हैं और वह सफल हो जाता है।ठीक इसके विपरीत कृतघ्न का कोई साथ नहीं देता।
12.बलिदान का नियम (Law of Sacrifice):
- सफलता के लिए जिस चीज की सबसे बड़ी आवश्यकता पड़ती है,वह है त्याग,बलिदान और समर्पण का आदर्श भाव।इससे कम में सफलता की चाहत नहीं करनी चाहिए।जो कुछ करने के लिए या पाने के लिए कटिबद्ध है,वही त्याग कर सकता है।जिनके इरादे मजबूत एवं दृढ़ हैं,जिसके विश्वास अटल हैं,जो संकल्पवान है,वही बलिदान कर सकता है,समर्पित हो सकता है।इसी पथ पर बढ़ते हुए ही सफलता की मंजिल को पार किया जा सकता है।यही आत्मविश्वास के सुदृढ़ मंत्र हैं।यही नियम एवं विधान है,जिन्हें अपनाकर सफलता के रथ पर व्यक्ति सवार हो सकता है।
13.छात्र-छात्राओं के लिए सफलता (Success for Students):
- उपर्युक्त सूत्रों को पढ़ने से ज्ञात होगा कि इन सूत्रों या इसके अतिरिक्त इन जैसे सूत्रों का हमारे जीवन के शब्दकोश से ही गायब हो गए हैं।कई छात्र-छात्राएं तो येनकेन प्रकारेण सफल होना चाहते हैं।वे नकल करके,अनुचित तरीके अपनाकर,प्रश्न-पत्रों की चोरी करके,बोर्ड में जाकर अंक तालिका में अंक बढ़वाकर आदि अनेक तरीकों से सफल हो जाते हैं।परंतु इस प्रकार से अर्जित सफलता को सार्थक सफलता नहीं कहा जा सकता है।इस प्रकार के अनैतिक तरीके अपनाकर हर कोई छात्र-छात्रा सफल होना चाहेगा तो एक तो उसके व्यक्तित्व का विकास नहीं होगा,दूसरा दुनिया में पूरी तरह से अव्यवस्था फैल जाएगी,नीति-नियम की जगह अन्याय-अनीति आदि का साम्राज्य हो जाएगा।तीसरा नुकसान यह है कि ऐसा गलत काम करके सफल होने से हमें अपराध-बोध होता रहेगा,हमें आत्म संतुष्टि नहीं होगी।हमेशा हमारे जीवन में अशांति,तनाव व्याप्त हो जाएगी।
- आपका यह सवाल हो सकता है कि इन सूत्रों का पालन विद्यार्थी कैसे कर सकता है।जैसे बलिदान व त्याग का ही नियम है तो विद्या प्राप्ति के लिए छात्र-छात्रा अनेक कष्टों को सहन करता है,बहुत सी सुख-सुविधाओं का त्याग करता है,कठिन परिश्रम करता है आदि।इस प्रकार बलिदान करने से ही उसे सही मायने में विद्या की प्राप्ति हो सकती है।
- इसी प्रकार आत्मविश्वास का नियम है।अपने आप पर विश्वास,अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने वाला विद्यार्थी अपनी त्रुटियों को ढूंढकर उन्हें दूर करता है,अपना आत्म-निरीक्षण करता है और दूसरों के गुणों को देखता है और अपनाता है,अपनी खूबियों को,अपनी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें विकसित करता रहता है।आत्मशक्ति का सही उपयोग करता है,दुरुपयोग नहीं करता है।जब उसे सही तरीके अपनाने पर सफलता मिलती है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता जाता है और उसकी नैतिक नियमों में निष्ठा प्रबल होती जाती है।
- गलत तरीके से प्राप्त की गई सफलता छोटा मार्ग हो सकती है और हो सकता है उसे सफलता मिलने पर उनके गलत कारनामें पकड़ में न आए हों परंतु गलत कार्य का परिणाम गलत ही होता है,यह प्रकृति का नियम,भगवान का विधि-विधान है।गलत तरीके अपनाने वाला एक न एक दिन पकड़ा जाता है और उसे अपने गलत,अनैतिक तरीके अपनाने की सजा भुगतनी पड़ती है।
- अतः ऊपर जो सफलता प्राप्ति के नियम दिए हैं उन्हें सूत्र रूप में लिखा गया है।आत्म-विश्वास,त्याग और बलिदान के ऊपर स्पष्टीकरण की तरह छात्र-छात्रा उन नियमों को भी अपने ऊपर लागू करके सफलता के सार्थक तरीकों को जान सकता है और अपना सकता है।इन नीति-नियमों के अनुसार चलने पर सफलता प्राप्त करने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन इन तरीकों से प्राप्त सफलता आनंददायक,आत्मसंतुष्टि देने वाली होती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में सार्थक सफलता हासिल करने के 13 मंत्र (13 Spell for Achieving Meaningful Success),छात्र-छात्राओं के लिए सार्थक सफलता हासिल करने की 13 रणनीतियाँ (13 Strategies for Students to Achieve Meaningful Success) के बारे में बताया गया है।
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14.ठंड के मौसम में सवाल हल करना (हास्य-व्यंग्य) (Solving Questions in Cold Weather) (Humour-Satire):
- रीटा:भैया मुझे गणित के सवाल बता दो।
- भैया:इस ठंड के मौसम में जान तो निकल रही है और तुम्हें सवाल हल करने की पड़ी है।
- रीटा:तो क्या हुआ सवालों को हल करने पर शरीर में वैसे ही गर्मी पैदा हो जाती है।
15.सार्थक सफलता हासिल करने के 13 मंत्र (Frequently Asked Questions Related to 13 Spell for Achieving Meaningful Success),छात्र-छात्राओं के लिए सार्थक सफलता हासिल करने की 13 रणनीतियाँ (13 Strategies for Students to Achieve Meaningful Success) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.सार्थक सफलता किसे कहेंगे? (What is meaningful success?):
उत्तर:जो सफलता नैतिक नियमों और उत्कृष्ट दृष्टिकोण के साथ अर्जित की जाती है।सत्कर्मों,सद्विचारों,सत्प्रवृत्तियों को अपनाकर जो सफलता अर्जित की जाती है वही सार्थक सफलता कही जा सकती है।मानवीय गुणों से रहित सफलताएं कीर्ति और प्रतिष्ठा तो देती होगी लेकिन उन्हें सही रूप में सफलता नहीं कहा जा सकता है।
प्रश्न:2.सफलता के कौनसे ओर मापदंड प्रचलित हैं? (What are the criteria for success?):
उत्तर:कई लोग धनवान बनने,यश,सम्मान,प्रतिष्ठा,शक्ति अर्जित करने तथा बुद्धि को सफलता का मानदंड मानते हैं।परंतु चोर,लुटेरे,डकैत,साइबर क्राइम करने वाले,चरित्रहीन,एक नंबर के विलासी लोग,अय्याश,डग,तस्कर आदि इन सब चीजों को प्राप्त कर लेते हैं,इनमें बुद्धि होती है।भले लोग डर के मारे इनका सम्मान करते हों,अतः यह सफलता का मापदंड उचित नहीं हैं।
प्रश्न:3.लोग सफलता का छोटा और खोटा मार्ग क्यों अपनाते हैं? (Why do people take a short and false path to success?):
उत्तर:अपना विकास करने की,अपनी योग्यताएं बढ़ाने की,उपलब्धियाँ अर्जित करने की तथा विभूतियां बढ़ाने की हर मनुष्य की इच्छा होती है।परंतु हम उन्हीं दिशाओं में अग्रसर होने लगते हैं,जिनमें अन्य लोगों की प्रवृत्ति देखते हैं।दूसरे लोग किन स्थितियों में वे गतिविधियां अपनाते हैं,इस तथ्य पर ध्यान देने की अपेक्षा हमारी दृष्टि में अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि उसके आस-पास के लोग उसकी उपलब्धियों को किन संदर्भों में लेते हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सार्थक सफलता हासिल करने के 13 मंत्र (13 Spell for Achieving Meaningful Success),छात्र-छात्राओं के लिए सार्थक सफलता हासिल करने की 13 रणनीतियाँ (13 Strategies for Students to Achieve Meaningful Success) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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