Side Effects of Mobile Addiction
1.मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव का परिचय (Introduction to Side Effects of Mobile Addiction),मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Mobile Addiction?):
- मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव (Side Effects of Mobile Addiction) से बचना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं,दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।मोबाइल आज हमारी जिंदगी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।निश्चित रूप से मोबाइल के बिना आज के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।मोबाइल द्वारा पारिवारिक,सामाजिक संपर्क बढ़े हैं और इसके द्वारा हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में अधिक सहज हुए हैं।
- लेकिन इसके कुछ फायदे हैं तो अनेक नुकसान भी हैं।अनावश्यक रूप से घंटों मोबाइल से बातें करते रहने की आदत,सोशल साइट्स पर घंटों चैटिंग करने से कीमती समय नष्ट होता है।इससे मानसिक तनाव और मस्तिष्क प्रभावित होता है।
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2.मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव (Side Effects of Mobile Addiction):
- मोबाइल फोन और उसके टावर से निकलने वाली रेडिएशन व्यक्ति की पाचन शक्ति को कमजोर कर सकती है और उसके कारण ठीक से नींद न आने की बीमारी और एकाग्रता की कमी हो सकती है।अक्सर लोग सोते समय मोबाइल को अपनी तकिए से नीचे वाइब्रेटर या साइलेंट मोड पर करके सो जाते हैं लेकिन मोबाइल को इस तरह रखने से कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
- इसका कारण यह है कि मोबाइल में सिग्नल के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें आती है,वे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि को प्रभावित करती हैं और उससे ट्यूमर विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
- मोबाइल टावर से मोबाइल फोन को जोड़ने के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें निकलती है,वे मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास को प्रभावित करती है।चूँकि मस्तिष्क के भीतर भी सूचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के माध्यम से होता है,अतः मोबाइल को तकिए के पास रखने से दिमाग की प्राकृतिक तरंगे प्रभावित होती है।इसके कारण शरीर में कैंसर सहित कई तरह की परेशानियां बढ़ने का खतरा है।
- मस्तिष्क की प्राकृतिक तरंगों में बाधा पहुंचने के कारण इसकी कोशिकाओं का स्वाभाविक विकास रुक जाता है और वे पूर्ण विकसित होने से पहले ही विभाजित होने लगती हैं एवं ट्यूमर बना लेती हैं।
- इन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के मार्ग में व्यवधान आने पर मस्तिष्क तक संदेश पहुंचने में परेशानी होती है।इससे कई बार संदेश पहुंचाने की इस प्राकृतिक क्रिया में देर होने लगती है तो कभी संदेश गलत पहुंचता है।
- मोबाइल को वाइब्रेशन मोड पर रखने से उसमें इलेक्ट्रॉनिक तरंगों का प्रवाह सामान्य की तुलना में ज्यादा तेजी से होने लगता है,जिससे मस्तिष्क की आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) में बाधा पहुंचती है।इस रुकावट के कारण मस्तिष्क की संदेश ग्रहण करने की क्षमता प्रभावित होती है,जो आगे चलकर कई तरह की परेशानियों का कारण बनती है।
- फोन से हमेशा बातें करते रहने की आदत व्यक्ति के अंदर डिपेंडेंसी अर्थात् दूसरों पर निर्भर रहने की मानसिकता पैदा करता है।फोन पर बात करते समय देर तक एक ही मुद्रा में बैठे रहना शरीर के रासायनिक स्राव में असंतुलन पैदा करता है।
- मोबाइल फोन को लगातार कान पर लगाए रखना भी ठीक नहीं है क्योंकि मोबाइल का कान से अत्यधिक संपर्क का सबसे अधिक दुष्प्रभाव मस्तिष्क की कार्य प्रणाली पर पड़ता है और इससे मानसिक विकृति पैदा होती है।लगातार फोन से बातें करते रहना भी विकृति का ही एक रूप है।
- इसके कारण व्यक्ति का अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण कम होने लगता है और उसे इस बात का होश नहीं रहता कि वह कितनी देर से बातें करने में व्यस्त है।कई बार लोग गाड़ी चलाते समय भी मोबाइल से बातें करने लगते हैं,जिसके कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
- फोन पर पाए जाने वाले रोगाणुओं में जैसे सर्दी,जुकाम,खांसी आदि के रोगाणु काफी अधिक संख्या में मौजूद रहते हैं और इनकी सबसे अधिक संख्या माउथपीस में मौजूद होती है।
- लंबे समय तक रेडियोफ्रिक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के प्रभाव में रहने के कारण द्विगुणित डीएनए स्पर्श कोशिकाओं में टूट जाते हैं,जिससे व्यक्ति की वीर्य गुणवत्ता और प्रजनन-क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- माइक्रोवेव रेडिएशन की वजह से मानव कोशिकाओं के एंटीऑक्सीडेंट डिफेंस मेकैनिज्म पर असर देखा गया है।कोशिकाओं की प्रतिरोधक क्षमता के कम होने के कारण शरीर में हृदय रोग,कैंसर,अर्थराइटिस,अल्जाइमर जैसे रोगों के पनपने की संभावना रहती है।
- मोबाइल से उत्सर्जित विद्युत चुंबकीय तरंगों से सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
- रेडिएशन का व्यक्ति के शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव,उसके इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल फोन की क्वालिटी,उसकी उम्र और उसके प्रयोग करने के तरीके व समय पर भी निर्भर करता है।
- दिनभर मोबाइल फोन के अत्यधिक इस्तेमाल से व्यक्ति की नींद प्रभावित हो रही है।उसका फोन कहीं गुम न हो जाए,कहीं खराब न हो जाए,कहीं सिग्नल न चला जाए जैसे डर आज युवाओं को मानसिक रोगी बना रहे हैं।यह रोग 18 से 24 वर्ष के युवाओं में अधिक पनप रहा है और इसके कारण 78% युवा नोमोफोबिक हो चुके हैं।
- नोमोफोबिया रोग से ग्रसित महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है।जहां 70% में महिलाएं नोमोफोबिक हैं,वही 61% पुरुषों में यह रोग देखा गया है।
3.मोबाइल फोन के प्रयोग करने के लाभ (Benefits of Using a Mobile Phone):
- निश्चित रूप से मोबाइल के माध्यम से लोगों के मध्य दूरियां कम हुई है और अपने प्रियजनों से अधिक संपर्क बढ़ा है।मोबाइल फ़ोन,लैंडलाइन फोन या फिर पब्लिक फोन आदि सूचना क्रांति की महत्वपूर्ण सौगात हैं और इनकी किसी न किसी रूप में आवश्यकता पड़ती रहती है।
- विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने में इसका इस्तेमाल करते हैं।इसके अलावा विभिन्न वेबसाइट्स एवं यूट्यूब पर अपनी अध्ययन सामग्री को तत्काल प्राप्त कर सकते हैं और समझ सकते हैं।आज विद्यार्थी को विद्यालय या शिक्षा संस्थानों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।प्रतियोगिता परीक्षाओं से संबंधित कोई भी नवीन जानकारी तत्काल वेबसाइट्स और यूट्यूब पर प्राप्त कर सकते हैं।
- वर्तमान परिस्थितियों में संचार क्रांति की इस महत्त्वपूर्ण तकनीकी प्रगति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और इसका प्रयोग करने से भी स्वयं को रोकना ठीक नहीं है।
- चूँकि मोबाइल फोन का प्रचलन बहुत बढ़ गया है और हर स्तर के व्यक्ति मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने लगे हैं तथा बाजार में ऐसे फोन उपलब्ध होने लगे हैं जिनसे कई तरह के कार्य एक साथ संभव है,जैसे इंटरनेट का प्रयोग एवं इससे जुड़े हुए सभी तरह के कार्य रिकॉर्डिंग,फोटो खींचना,गाने सुनना,भजन सुनना,योगासन-प्राणायाम को देखना,फिल्में देखना,मनपसंद टीवी सीरियल देखना,अध्ययन सामग्री प्राप्त करना इत्यादि।
- आज का युग प्रतियोगिता का है अतः इस दृष्टि से हर कोई तेज गति से चल चलना पसंद करता है और तेज गति से चलने वालों साधनों में मोबाइल भी एक माध्यम है।मोबाइल से आप अधिक प्रतियोगी,सक्रिय हो सकते हैं और अपने भविष्य को उज्जवल बना सकते हैं।
- मोबाइल विज्ञान का एक ऐसा आविष्कार है जिसने पूरी दुनिया को समेट दिया है,इसके माध्यम से हम घर बैठे विश्व के किसी भी कोने में रहने वाले व्यक्ति को संदेश भेज सकते हैं,उससे बातें कर सकते हैं,उसे देख सकते हैं,विभिन्न विषयों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और वो सब कुछ जान सकते हैं जो इंटरनेट पर उपलब्ध है।
- विश्व के किसी भी घटनाक्रम की सूचना मोबाइल फोन के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं शर्त यही है कि आपके मोबाइल फोन में इंटरनेट डाटा उपलब्ध हो।
4.मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid side Effects of Mobile Phones?):
- फोन पर अनावश्यक बातचीत करने से बचें।यदि व्यक्ति अथवा विद्यार्थी बीमार है तो उसे मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।मोबाइल फोन का प्रयोग करने की पूर्व एवं पश्चात उसकी सफाई करें।मोबाइल फोन का प्रयोग लंबे समय तक एक साथ न करें।मोबाइल फोन को सिर के काफी करीब न रखें,न उसे सिर के पास रखकर सोएं।
- लेटे हुए देर तक मोबाइल से बातचीत न करें।यदि बात करना अत्यंत जरूरी है तो बातचीत के बीच में थोड़ा विराम लेना भी अच्छा है।
- मोबाइल फोन से घंटों सोशल साइट्स पर अनावश्यक चैटिंग करने से बचें।फोन में बार-बार नोटिफिकेशन को देखने से बचें।
मोबाइल और इंटरनेट उसे सब कुछ देता है और इसी कारण आज की युवा पीढ़ी मोबाइल फोन और इंटरनेट के नशे की ओर बढ़ रही है।इसे रोकना है तो इसे सावधान व सतर्क रहना ही है ताकि युवा मोबाइल व इंटरनेट की लत होने वाले नुकसान के प्रति जागरुक रहे। - आवश्यकता से अधिक मोबाइल फोन और इंटरनेट का प्रयोग करने से बचें,जितना जरूरी है उतना ही प्रयोग करें अन्यथा अति करने से नुकसान तो उठाना पड़ सकता है।
- माता-पिता,अभिभावकों व शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के मोबाइल फोन और इंटरनेट की लत तो नहीं लग गई है यदि ऐसा हो रहा हो तो उन्हें अविलंब स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाएं और उन्हें अपना स्नेह-अपनत्व भरा सहयोग दें।
- मोबाइल फोन या अन्य किसी भी तरह के फोन पर विद्यार्थी या व्यक्ति की अत्यधिक निर्भरता हानिकारक है क्योंकि इसके कारण भी कई तरह की शारीरिक व मानसिक विकृतियां व्यक्ति के जीवन में प्रवेश कर रही हैं।अतः इस ओर ध्यान देते हुए मोबाइल फोन का सीमित एवं अत्यावश्यक प्रयोग ही करना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि जीवन में फोन की वजह से सामान्य जीवन शैली प्रभावित तो नहीं हो रही है।यदि ऐसा है तो इससे संबंधित आवश्यक सावधानियां को अपनाना चाहिए।
- इन सावधानियों तथा अन्य बातों का ध्यान रखेंगे तभी आधुनिक टेक्नोलॉजी और मोबाइल फोन की नई उभरती हुई विकृतियों से उबर सकेंगे और इनका उपयोग करने के साथ-साथ स्वस्थ रह सकेंगे।
5.मोबाइल की लत का दृष्टांत (Example of Mobile Phone Addiction):
- माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्यार करते थे। शुरू-शुरू में बच्चा समझकर उसे खेलने के लिए मोबाइल फोन दे दिया करते थे।जब चार-पांच वर्ष का था तो बच्चा मोबाइल फोन के लिए जिद करने लगा।धीरे-धीरे मोबाइल फोन देखने की लत लग गई।
- पढ़ाई की तरफ कम ध्यान रहता तथा मोबाइल फोन को जरूर उपयोग करता।माँ-बाप यदि नहीं देते तो रोने-चिल्लाने लग जाता,मोबाइल के बिना उसे चैन नहीं मिलता।
- सुबह हो या शाम हो या दोपहर हो अथवा रात्रि कभी भी फोन को प्रयोग करने से संकोच न करता।
- अपने साथ-साथ साथियों को भी मोबाइल फोन चलाना सीखाता।परिणाम यह हुआ कि पढ़ने में वह बिल्कुल फिसड्डी हो गया।मां-बाप को सताने लगता।मां-बाप बहुत दुखी हुए क्योंकि मोबाइल फोन की लत तो उन्होंने ही लगाई थी।
- मां-बाप,शिक्षक उसे समझाते पर वह किसी की नहीं मानता।तर्क देता कि आधुनिक युग में प्रगतिशील रहना है,आगे बढ़ाना है तो मोबाइल का प्रयोग करना जरूरी है।बहुत से उपाय सुझाए,स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाया पर उस विद्यार्थी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
- अपने मित्रों से कहता फिरता कि लोग तो रात-दिन मोबाइल फोन चलाते हैं,एक-एक नहीं दो-दो मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं।मेरे पास तो मोबाइल फोन भी नहीं है,मैं तो माता-पिता का मोबाइल फोन ही तो उपयोग करता हूं।
- आखिर कोई सुधार नहीं देखकर उन्होंने (माता-पिता) कठोर निर्णय लिया कि हम मोबाइल फोन का उपयोग करना ही क्यों न छोड़ दें।न रहेगा बाँस न बजेगी बांसुरी।माता-पिता ने मोबाइल फोन बेच दिया।पहले तो विद्यार्थी ने काफी जिद की,रोया,तड़पा परंतु माता-पिता ने दिल कड़ा कर लिया।अंततः विद्यार्थी की आदत धीरे-धीरे सुधर गई और उसने मोबाइल फोन का प्रयोग करना छोड़ दिया।इस प्रकार विद्यार्थी की मोबाइल फोन से लत छुड़ाई गई।
- उपर्युक्त आर्टिकल में मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव (Side Effects of Mobile Addiction),मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Mobile Addiction?) के बारे में बताया गया है।
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6.गणित के अध्यापक और पुस्तक में अंतर (हास्य-व्यंग्य) (Difference Between Mathematics Teacher and Book) (Humour-Satire):
- गणित अध्यापक:बच्चों,बताओ गणित के अध्यापक और पुस्तक में क्या अंतर है?
एक बच्चा:पुस्तक से हमें सही शिक्षा मिलती है जबकि गणित के अध्यापक नकल करके हमें समझाते हैं।दूसरा अंतर है की पुस्तक हमें मारती-पिटती नहीं और गणित अध्यापक हमें मारते-पीटते हैं।
7.मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव (Frequently Asked Questions Related to Side Effects of Mobile Addiction),मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Mobile Addiction?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.नोमोफोबिया से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Nomophobia?):
उत्तर:मोबाइल फोन में जितनी अधिक सुविधाएं होती है उतना ही अधिक वह कीमती होता है।जब व्यक्ति और लोग महंगे-महंगे मोबाइल फोन रखते हैं और प्रयोग करते हैं तो उनके अंदर मोबाइल फोन के गुम हो जाने का डर भी पनप जाता है,इस खोने के भय या डर को ही नोमोफोबिया का नाम दिया गया है।
प्रश्न:2.सूडो पैरानायड सिजोफ्रेनिया क्या है? (What is Pseudo Paranoid Schizophrenia?):
उत्तर:यह मस्तिष्क की तंत्रिकाओं में शिथिलता आ जाने के कारण होता है।जो व्यक्ति या विद्यार्थी अपने पास एक से अधिक फोन रखते हैं,वे इस रोग से अधिक ग्रसित पाए गए हैं।इस रोग के दौरान व्यक्ति अक्सर अपनी गहरी निद्रा से यह सोचकर जाग उठते हैं कि उनका फोन बज रहा है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता है।आज के दौर में व्यक्ति अपने मोबाइल फोन की रिंगटोन सुनने के इतने अभ्यस्त हो चुके हैं की रिंगटोन न बजने पर उसकी धुन उन्हें सुनाई देती है और बार-बार उन्हें भ्रम होता है कि उनका मोबाइल फोन बज रहा है।इसके कारण भी उसे कई बार देखते हैं और चेक करते हैं।
प्रश्न:3.आईएडी का क्या मतलब है? (What Does IAD Mean?):
उत्तर:आईएडी (इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर) का अर्थ है इंटरनेट का हद से ज्यादा और समय काटने के लिए उपयोग करना।हमारे देश में इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की उम्र लगभग 14 से 20 वर्ष के बीच है में है और इस उम्र में बच्चे,किशोर व युवा लोग इंटरनेट का इस तरह उपयोग करने लगे हैं जैसे उन्हें इसकी लत लग गई हो।हमारे देश में नशे की आदत सबसे अधिक युवाओं को ही है और कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि इंटरनेट हमारे समाज में देश के लिए इतना घातक बन जाएगा कि हमारे देश की युवा पीढ़ी नशे की तरह इसकी गिरफ्त में होगी और आज ऐसा ही हो रहा है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव (Side Effects of Mobile Addiction),मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Mobile Addiction?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
About my self I am owner of Mathematics Satyam website.I am satya narain kumawat from manoharpur district-jaipur (Rajasthan) India pin code-303104.My qualification -B.SC. B.ed. I have read about m.sc. books,psychology,philosophy,spiritual, vedic,religious,yoga,health and different many knowledgeable books.I have about 15 years teaching experience upto M.sc. ,M.com.,English and science.