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Self control in hindi

1.इन्द्रिय निग्रह का परिचय (Introduction to Self control in hindi),आत्म नियंत्रण का महत्त्व (Importance of self control):

  • इन्द्रिय निग्रह (Self control in hindi),आत्म नियंत्रण का महत्त्व (Importance of self control) जिस प्रकार कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है,उसी प्रकार जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को उनके विषयों से समेट लेता है,उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है।मनुष्य के सारे कर्म इन्द्रियों के द्वारा होते हैं तथा इन्द्रियाँ मनुष्य को विषयों की ओर खींचती है।साधारण जन इनके अधीन हो जाते हैं और कुकर्मों में प्रवृत्त हो जाते हैं। परन्तु मेधावी अथवा स्थितप्रज्ञ वह होता है जो इन्द्रियों को पापमूलक विषयों से बचाता है।कोई खतरा सामने आने पर वह इन्द्रियों को भीतर समेट लेता है। आध्यात्मिक उन्नति का यही साधन है।
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via https://youtu.be/bz8U_GwTZbU

2.इन्द्रिय निग्रह (Self control in hindi),आत्म नियंत्रण का महत्त्व (Importance of self control):

  • इंद्रिय निग्रह का अर्थ होता है इन्द्रियों को नियंत्रण में रखना।इंद्रियों को नियंत्रण में रखने के लिए इंद्रियों को बलपूर्वक रोकना या दमन करना नहीं है।बलपूर्वक दमन करने या रोकने पर इन्द्रियाँ हमसे ताकत पाकर ओर बलवान बन जाती है।इंद्रियों का दमन करना तथा अति भोग विलास करना दोनों ही हानिकारक है।इन्द्रियों को मध्यम मार्ग से उपयोग करना इंद्रिय निग्रह है।जो व्यक्ति इंद्रियों को वश में नहीं रखता है तब इंद्रियाँ विषयों में फंसती चली जाती है।
  • जैसे आँख का कार्य शुभ,कल्याणकारी चीजों को देखना है परंतु जब हम बुरी नजर से किसी नारी या स्त्री को देखते हैं तो आँख का दुरुपयोग करते हैं।
  • दरअसल इन्द्रियाँ तो मात्र साधन है कर्त्ता तो मन है।इन्द्रियाँ अच्छा-बुरा,शुभ-अशुभ जो कुछ भी करती हैं वह सब मन के आदेश से करती हैं।इसलिए इंद्रियों को वश में करने के लिए हमें मन में आने वाले बुरे विचारों को रोकना होगा और मन में शुभ व कल्याणकारी विचार रखना होगा।जब मन में बुरे विचार नहीं आएंगे तो इन्द्रियाँ कोई भी कार्य नहीं करेगी।इसलिए मन को विवेकपूर्वक नियंत्रण में रखना होगा।
  • इंद्रियों को सक्रिय करने का काम मन का होता है और यह मन की प्रेरणा और इच्छा के अनुसार ही कार्य करती है।इसलिए इन्द्रियों के सदुपयोग और दुरुपयोग का जिम्मेदार मन ही होता है।जैसे यदि हमारे मन में कामवासना की भावना होगी तो आंखें कामवासना की दृष्टि से देखेंगी।यदि हम मन से सोच-विचार कर,विवेक से काम लें तथा बार-बार अभ्यास करें तो इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है।
  • परंतु हम सोचते हैं कि इन्द्रियों ने हमें वश में कर रखा है।ऐसा सोचना गलत है क्योंकि इन्द्रियाँ तो निर्जीव हैं।वे स्वयं कुछ भी करने में सक्षम नहीं है।इसलिए सबसे मुख्य चीज है मन की बुरी आदत को छोड़ना जिससे इंद्रियों का दुरुपयोग नहीं किया जा सके।मन से किया गया कोई भी बुरा कार्य का प्रभाव हमारे शरीर और इन्द्रियों पर पड़ता है।
  • जीभ से हम गलत बोल दें,कटु वचन और अपशब्द बोल दें तो उसका प्रभाव हमारे आचार-विचार तथा आचरण पर पड़ता है और इसका नुकसान हमें उठाना पड़ता है।हमारी बदनामी व बेइज्जती होती है यहाँ तक कि हमारी पिटाई भी हो सकती है।इसलिए इंद्रियों पर नियंत्रण होना आवश्यक है।मन विवेकपूर्वक आचरण करें तो इंद्रियों का दुरुपयोग नहीं हो सकता है और इंद्रियों को वश में रखा जा सकता है।
  • नीति में कहा है किः हिरण गाने से,हाथी हस्तिनी से,पतंग दीपक से,भौंरा गंध से और मछलियां जीभ के स्वाद से मोहित होकर अपने प्राण खो देती है। फिर जिनके पांच इंद्रियां हैं और जो सभी विषयों की आसक्ति में फंसते हैं तो उनको मृत्यु क्यों छोड़ेगी?
  • उपर्युक्त आर्टिकल में इन्द्रिय निग्रह (Self control in hindi),आत्म नियंत्रण का महत्त्व (Importance of self control) के बारे में बताया गया है।
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