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Self-confidence and WillPower and Goal

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1.आत्म-विश्वास और संकल्प-शक्ति तथा लक्ष्य (Self-confidence and WillPower and Goal),युवा पीढ़ी और उनके जीवन मूल्य (Younger Generation and Their Life Values):

  • आत्म-विश्वास और संकल्प-शक्ति तथा लक्ष्य
    (Self-confidence and WillPower and Goal) तथा लक्ष्य के आधार पर युवावर्ग सफलता हासिल कर सकते हैं।हालांकि इन तीन गुणों के साथ-साथ सतत अभ्यास,कठिन परिश्रम व धैर्य जैसे गुणों की भी आवश्यकता होती है।ये तीनों गुण सफलता की शत-प्रतिशत गारंटी नहीं देते हैं।लेकिन इस लेख में इन तीन गुणों पर ही चर्चा की जाएगी।
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2.आत्मविश्वास क्यों जरूरी है? (Why is self-confidence important?):

  • एक प्रसिद्ध कोचिंग थी।उसके संचालक व शिक्षक की एक घटना है।एक दिन एक छात्र के अभिभावक कोचिंग के बारे में बात करने उसके संचालक के पास आए।उन्होंने अल्पकाल हेतु अपने पुत्र को कोचिंग के लिए उनसे फीस पूछी।संचालक ने कहा कि 60,000 रुपये।अभिभावक बोले:इतने अल्प काल (तीन माह) की कोचिंग फीस तो बहुत ज्यादा है।आपकी कोचिंग का किराया,व्हाइटबोर्ड आदि का खर्चा तो न के बराबर है।संचालक ने बीच में बात काटते हुए कहा-किंतु यह कीमत मेरे समय और मेरी पढ़ाने की कला की है।मैंने यह कला कई वर्षों की तपस्या से अर्जित की है और तभी मैं इतने बढ़िया तरीके से पढ़ा पाता हूं।इस कोचिंग को खड़ा करने,इसमें पढ़ाने में मेरी वर्षों की कला-साधना,अनुभव और योग्यता छिपी हुई है।उन अभिभावक ने अपने पुत्र को संचालक व शिक्षक द्वारा बताई गई कीमत में ही भेजना स्वीकार कर लिया।कोचिंग के संचालक व शिक्षक ने अपने आत्म-विश्वास के भरोसे कोचिंग की फीस बताई थी।
  • जो व्यक्ति अपना मूल्य समझता है,अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को जानता है,वह अपना मूल्य भी जानता है,क्योंकि इन सबकी पृष्ठभूमि में आत्मविश्वास छिपा होता है।यह आत्मविश्वास ही किसी के व्यक्तित्व के उपर्युक्त गुणों का निर्माण करता है।इसलिए हमें अपने व्यक्तित्व के उन गुणों का विकास करना चाहिए-तभी हम अपना वांछित मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं।विश्व में अनेक लोग ऐसे हुए हैं,जिन्होंने इसी गुण के आधार पर सफलता के सोपान चढ़कर ऊंचाइयां प्राप्त की।
    जो लोग भले ही बचपन या युवावस्था तक सामान्य व्यक्ति बने रहे,किंतु जब उन्होंने होश संभाला तो अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और संकल्प के आधार पर बड़ी तेजी से प्रगति की और बढ़े।
  • यूनान का महान वक्ता डेमोस्थनीज बचपन में बहुत शर्मीला था और तुतला कर बोलता था।न्यूटन को बचपन में गणित और भौतिकी विषय बहुत कठिन लगते थे।चार्ल्स डार्विन बचपन से ही शिकार और आवारागर्दी का शौकीन था और इसके लिए वह पिता से डांट भी खाता था।जेम्स वाट,जोनाथन स्विफ्ट और कार्ल गाॅस अपने-अपने स्कूल के दिनों में बड़े फिसड्डी छात्र माने जाते थे।लेकिन इन सबने बड़े होकर,अपनी इच्छा शक्ति और लगन के बल पर,अपनी सारी कमजोरियों को दूर हटा दिया और जीवन में ऐसा कुछ कर सके,जिससे कि आज इतिहास में उनका नाम सम्मान के साथ लिखा मिलता है।

3.संकल्प-शक्ति में अद्भुत शक्ति (Amazing power in the power of thought):

  • हमें यह समझ लेना चाहिए कि किसी काम में सफलता तभी मिलती है,जब हम अपनी सारी इंद्रिय-शक्तियों को केंद्रित करके उस काम को करते हैं।दूसरे शब्दों में यदि आपके मन में कुछ बनने की प्रबल इच्छा जागती है तो आप उसे तभी पूरा कर सकेंगे,जब आपमें अपने उद्देश्य के प्रति अटूट निष्ठा,संकल्प और लगन होगी।अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की सफलता का रहस्य यही था कि वह अपनी संपूर्ण शक्ति को दृढ़ संकल्प के साथ उस काम में लगा देता था।
  • अब्राहम लिंकन ने स्वाधीनता संघर्ष के समय अपनी डायरी में लिखा था कि मैंने भगवान के सामने यह प्रण किया है कि मैं इस काम को अवश्य पूरा करूंगा।अपने इसी प्रण के बल पर वह अपने देश को सफल नेतृत्व देने में सफल हुए थे।
    नेपोलियन की सफलता का रहस्य यही था कि उसका लक्ष्य निश्चित होता था और वह सीधा निशाने पर वार करता था।वास्तव में एक बार में एक ही काम में पूरी शक्ति लगाने से वह काम पूरा होता है।यदि कई कार्यों में एक साथ शक्ति लगाते हैं तो वह बिखर जाती है और कोई काम पूरा नहीं हो पाता।
  • यदि जीवन में अभीष्ट सफलता पाना चाहते हो तो एक आदर्श को लो।उसका चिंतन-मनन करो,उसी को अपने सपने में पा लो और उसी को अपना जीवन बना लो।अपने मस्तिष्क,मांसपेशियों,स्नायु तंत्र और समूचे अंग-प्रत्यंगों को इसी आदर्श के विचार से ओतप्रोत कर दो और अन्य विचारों को एक तरफ हटा दो।फिर देखो,सफलता कैसे तुम्हारे कदम चूमती है।यदि तुम अपना जीवन सफल बनाना चाहते हो और समूची मानव जाति के लिए वरदान बनना चाहते हो तो तुम्हें गहराई में जाना होगा।दृढ़ निश्चयी व्यक्ति को,उसका लक्ष्य-रूपी ध्रुव तारा बड़ी से बड़ी बाधाओं को पार करने की शक्ति देता है।परिस्थितियों के ज्वार-भाटों व आंधी-तूफानों के बीच भी वह हिम्मत नहीं हारता और निरंतर अपने ध्येय की ओर बढ़ता चला जाता है।
  • परिस्थितियाँ शायद ही कभी किसी व्यक्ति की सहायता करती हों।जो लोग सफलता के द्वार तक पहुंचे,वे अपनी प्रतिकूल परिस्थितियों से घोर संघर्ष करके ही,मार्ग की बाधाओं को मिटा सके।परिस्थितियों पर विजय का सच्चा मार्ग यही है कि हम परिस्थितियों से अधिक प्रबल और महान बन जाएं।मनुष्य को परिस्थितियों का दास नहीं होना चाहिए,बल्कि उसे परिस्थितियों को अपने अधीन रखना चाहिए।

4.सामने स्पष्ट लक्ष्य हो (Have a clear target in front of you):

  • इसलिए जीवन में कुछ बनने के लिए आपके सामने स्पष्ट लक्ष्य होना चाहिए।उस लक्ष्य को पाने के लिए प्रबल इच्छा शक्ति होनी चाहिए और उसे पूरा करने के लिए लगन और संघर्ष की भावना होनी चाहिए।जो लोग बिना लक्ष्य के होते हैं,उनका जीवन बिना किसी पतवार के नाव जैसा होता है।ऐसे लोगों में उद्देश्य,साहस और चरित्र की कमी होती है।वे जीवन को यूं ही निरुद्देश्य भाव से काटते हैं।उद्देश्य के अभाव में उन्हें न तो दिशाबोध होता है और न ही उनके सामने कोई इच्छा शक्ति होती है।ऐसे लोग परिस्थितियों के दास होते हैं और यही कहकर संतोष कर लेते हैं कि ‘होइहैं सोई जो राम रचि राखा’ या ‘अजगर करे न चाकरी,पंछी करे न काज,दास मलूका कह,सबके दाता राम’।
  • जो लोग जीवन में कुछ बनने का सपना लेकर चलते हैं,वे यदि दृढ़ निश्चय और उद्देश्यपूर्ण जीवन के साथ आगे बढ़ते हैं तो कठिन परिस्थितियों और अनेक बाधाओं पर भी विजय पाने में सक्षम बनते जाते हैं।उनकी राह के कांटे कम होते जाते हैं।परिस्थितियाँ और बाधाएँ,उन्हें मंजिल पर पहुंचने से नहीं रोक पाती।विचारक दीर्घकालीन चिंतन-मनन के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि निश्चित उद्देश्य वाले व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।उनकी इच्छाशक्ति को कोई भी दूसरी शक्ति नहीं रोक सकती।
  • जो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने समूचे अस्तित्व को दांव पर लगाने के लिए तैयार है,उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।एक विशाल सेना के सेनापति को हटाया जा सकता है,किंतु एक ही मनुष्य की दृढ़ इच्छा शक्ति को कोई नहीं हटा सकता।इसलिए किसी भी क्षेत्र में,किसी भी विषय में आपकी सच्ची लगन ही आपकी सफलता के मार्ग को प्रशस्त कर सकती है।भगवान उसी की मदद करता है,जो अपनी मदद आप करते हैं।इसका अर्थ यही है कि अपनी सहायता के लिए रास्ता आपको स्वयं ढूंढना होगा,उसे साफ भी आपको करना होगा उसमें मिलने वाली कठिनाइयों और बाधाओं को भी आपको दूर करना होगा।’अपने भाग्य को कोसना’,’समय साथ नहीं देता’ जैसी निराशाजनक बातें वही करते हैं,जिनके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता।इसलिए लक्ष्य निश्चित कीजिए और कमर कसकर उसे पाने के लिए जुट जाइए।आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

5.युवा पीढ़ी और उनके जीवन मूल्य (The younger generation and their life values):

  • वर्तमान में अधिकांश युवाओं का आत्म-विश्वास,संकल्प शक्ति,लक्ष्य तय करना,सतत कठिन परिश्रम जैसे गुणों में विश्वास नहीं है,क्योंकि उन्हें पता ही नहीं कि ये गुण कैसे विकसित किए जाते हैं और जीवन में इनका क्या महत्त्व है।वर्तमान में सामान्यतः स्थिति यह है कि युवा पीढ़ी की स्थिति कटी हुई पतंग अथवा पुराण के त्रिशंकु जैसी अनिश्चित हो गई है।जीवन के मूल्य तेजी से बदल रहे हैं।बल्कि यों कहिए कि प्राचीन मूल्य नष्ट किये जा रहे हैं और नवीन मूल्यों का निर्माण नहीं हो पा रहा है।परिवर्तनशीलता की इस आपाधापी में हमारी युवा पीढ़ी प्रायः भ्रमित होती हुई दिखाई दे रही है।हमारे उदीयमान नवयुवक उचित-अनुचित का निर्णय करने में अपने को असमर्थ पाते हैं।मूल्यों की इस अव्यवस्था में समाज और संस्कृति का विघटन होने लगा है।समाज में पलायन और बेगानेपन के स्वर गूंजने लगे हैं और युवा पीढ़ी के सम्मुख एक प्रश्न चिन्ह लग गया है।
  • यांत्रिक प्रौद्योगिकी का इतिहास तीव्र गति से अपने अनिवार्य अंत की ओर जा रहा है।हर एक संस्कृति के महान रूपों की भाँति यह संस्कृति भी खाली हो जाएगी।आज हमारा जीवन अनेक समस्याओं द्वारा ग्रस्त है।युवा पीढ़ी हर घड़ी संत्रास में है।हिंसक प्रवृत्तियां बलवती हो गई हैं।प्रत्येक क्षेत्र राजनीति,समाज,शिक्षा,धर्म,उद्योग आदि में अशांति,असंतोष,विद्रोह,ध्वंस एवं विघटन की प्रवृत्तियां कार्य करती हुई दिखाई देती हैं।
  • इन प्रतिकूल परिस्थितियों एवं प्रवृत्तियों के पीछे युवाओं को उत्तम संस्कारों से युक्त करने का अभाव,युवाओं को सही नेतृत्व का संकट देखते हैं।उनके विचार से युवा में नेतृत्व का विश्वव्यापी अभाव हो गया है।प्रायः किसी देश में इस समय प्रथम श्रेणी का नेतृत्व उपलब्ध नहीं है।युवा पीढ़ी वस्तुतः बेलगाम घोड़े की भाँति अनियंत्रित हो गई है।आदर्श आलंबन के अभाव में हमारी युवा पीढ़ी निराश और विद्रोही हो गई है।वे अपनी परिस्थितियों से निरंतर जूझ रहे हैं किंतु टूट नहीं पाए हैं।वे प्रस्तुत स्थिति में आमूल परिवर्तन करने को उत्सुक है।
  • नई पीढ़ी उच्छृंखल एवं उद्दंड हो गई है।बेरोजगारी ने हमारी पीढ़ी को असंतोष एवं विद्रोह के भाव से भर दिया है।संपूर्ण साधन और शक्ति लगाकर पढ़ाई करने के उपरांत जब अंधकारपूर्ण भविष्य युवक के सम्मुख मुँह फैलाकर खड़ा हो जाए,तो युवक अपने आपको कोसने के अतिरिक्त और कर ही क्या सकता है? हम जिसे अनुशासनहीनता कहते हैं,वह क्या वर्तमान व्यवस्था के प्रति आक्रोश का रूप नहीं कहा जाना चाहिए? हिंसा और विद्रोह से प्रेरित कार्य इस बात के द्योतक हैं कि हम एक नवीन व्यवस्था की खोज करना चाहते हैं।
  • पुरानी पीढ़ी को नई पीढ़ी के प्रति उदारता बरतते हुए उनके दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करना चाहिए।यदि वे भटक रहे हैं तो केवल मात्र युवा पीढ़ी दोषी नहीं है बल्कि पुरानी पीढ़ी,समाज,सरकारें तथा माता-पिता भी इसके लिए दोषी हैं।चारों ओर होने वाले क्राइम,नशाखोरी,ड्रग्स का इस्तेमाल,आंदोलन निश्चित रूप से समाज की शांति भंग करते हैं और जनजीवन को संकटग्रस्त बनाते हैं।परंतु प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है।युवा पीढ़ी प्राचीन मूल्यों,परंपराओं का विरोध कर रही है और नवीन समाज की संरचना का सुख स्वप्न देख रही है।हमारी तरह वह भी समाज की व्यवस्था को ऐसा बनाना चाहती है-जहां अन्याय,शोषण,बेकारी एवं विषमता का नाम ना हो।उसके मार्ग में जब व्यर्थ रोड़े आते हैं,अपनी मान्यताओं के अनुसार जब उसे कार्य करने से रोका जाता है-तो वह क्षुब्ध हो उठता है और उसका आक्रोश विभिन्न रूपों में उभरने लगता है।अतः आज आवश्यकता है कि युवकों के दृष्टिकोण को समझा जाए और उन्हें विवेक,धैर्य,साहस,संकल्प शक्ति,आत्मविश्वास,ईमानदारी,सच्चाई,कठिन परिश्रम,रचनात्मकता आदि गुणों की शिक्षा देने का प्रयास किया जाए।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में आत्म-विश्वास और संकल्प-शक्ति तथा लक्ष्य
    (Self-confidence and WillPower and Goal),युवा पीढ़ी और उनके जीवन मूल्य (Younger Generation and Their Life Values) के बारे में बताया गया है।

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6.छात्र क्यों चिल्लाया? (हास्य-व्यंग्य) (Why Did Student Scream?) (Humour-Satire):

  • एक छात्र गणित की कोचिंग करने एक कोचिंग में गया।शिक्षक ने उसे आगे की बेंच पर बैठने के लिए कहा।बेंच पर बैठते ही वह छात्र जोर-जोर से चिल्लाने लगा।
  • गणित शिक्षक:अभी तो मैंने गणित पढ़ाया नहीं,कोई गणित के सवाल पूछे नहीं,तुम्हें दण्डित भी नहीं किया,तुम्हें टार्चर नहीं किया फिर भी तुम क्यों चिल्ला रहे हो?
  • छात्र:सर,आप मेरे पैरों पर खड़े होकर पढ़ा रहे हो।

7.आत्म-विश्वास और संकल्प-शक्ति तथा लक्ष्य (Frequently Asked Questions Related to Self-confidence and Will Power and Goal),युवा पीढ़ी और उनके जीवन मूल्य (Younger Generation and Their Life Values) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.आत्मविश्वास को बढ़ाने का क्या तरीका है? (What is the way to increase self-confidence?):

उत्तर:आत्मविश्वास बढ़ाने की रीति यह है कि तुम वह शुभ काम करो जिससे तुम करते हुए डरते हो।इस प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें सफलता मिलती जाएगी तुम्हारा आत्म-विश्वास बढ़ता जाएगा।दरअसल आत्मिक-शक्ति के बिना तो हम एक कदम ही नहीं चल सकते हैं परंतु जितना-जितना उसको अनुभव करते जाते हैं त्यों-त्यों हमारा आत्म-विश्वास (भगवत् शक्ति) में विश्वास बढ़ता जाता है।

प्रश्न:2.संकल्प शक्ति का क्या महत्त्व है? (What is the importance of willpower?):

उत्तर:जब संकल्प दृढ़ हो जाता है,अध्यवसाय अशिथिल हो जाता है और भगवान के श्री चरणों में अखंड विश्वास हो जाता है-तब उद्देश्य की सफलता भी निश्चित हो जाती है।तात्पर्य यह है कि दृढ़ संकल्प एक गढ़ के समान है जो भयंकर प्रलोभनों से हमको बचाता है,दुर्बल और डाँवाडोल होने से वह हमारी रक्षा करता है।

प्रश्न:3.लक्ष्य को कैसे साधा जा सकता है? (How can the target be achieved?):

उत्तर:अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और उसके बाद अपना सारा शारीरिक और मानसिक बल जो भगवान ने तुम्हें दिया है,उसमें लगा दो।एक ही लक्ष्य की ओर अपने मन,वचन और शरीर को लगा देने से संसार में बड़ी सफलताएं होती हुई दीख पड़ती है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा आत्म-विश्वास और संकल्प-शक्ति तथा लक्ष्य
    (Self-confidence and WillPower and Goal),युवा पीढ़ी और उनके जीवन मूल्य (Younger Generation and Their Life Values) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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