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Ring in Algebra

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1 1.बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure):

1.बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure):

बीजगणित में वलय (Ring in Algebra) को समझने के लिए पहले इसको परिभाषित करेंगे।
वलय (रिंग-Ring)परिभाषा (Definition):
माना कि R एक अरिक्त समुच्चय जिसमें दो द्विचर संक्रियायें (Two binary Operations) जिनको क्रमशः योग (+) तथा गुणन (.) से प्रकट करते हैं वलय कहलाता है यदि वह निम्नलिखित अभिगृहीतों (Postulates) का पालन करे:
R_{1}:योग का साहचर्य (Associativity of Addition):
(a+b)+c=a+(b+c) \quad \forall a,b,c \in R
R_{2}:तत्समक अवयव का अस्तित्व (Existence of Identity):
a+0=0+a=a \quad \forall a \in R
R_{3}:प्रतिलोम का अस्तित्व (Existence of Inverse):
प्रत्येक a \in R के लिए समुच्चय R में एक अवयव b ऐसा होता है कि
a+b=b+a=0 

R_{4}: योग क्रमविनिमेय(Commutative of Addition):

a+b=b+a \quad \forall a,b \in R
R_{5}:गुणन का साहचर्य (Associativity of Multiplication):
a.(b.c)=(a.b).c \quad \forall a,b \in R
R_{6}:गुणन की योग पर बंटनशीलता (Distributivity of Multiplication Over Addition):
a.(b+c)=a.b+a.c (दक्षिण बंटनशीलता)
(b+c).a=b.a+c.a (वाम बंटनशीलता) \forall a,b,c \in R उपर्युक्त वलय की परिभाषा से स्पष्ट है कि अरिक्त समुच्चय R,दो द्विचर संक्रिया के साथ एक वलय कहलाता है यदि

+ योग द्विचर संक्रिया के लिए • गुणन द्विचर संक्रिया के लिए
क्रमविनिमेय आबेली ग्रुप हो साहचर्य नियम का पालन करता हो
तथा दक्षिण तथा वाम बंटनशीलता हो अर्थात्
a.(b+c)=a.b+a.c
(b+c).a=b.a+c.a \quad \forall a,b,c \in R

टिप्पणी (Remark):वलय <R,+,•> में यौगिक तत्समक अवयव को चिन्ह ‘0’ से प्रकट करते हैं तथा इसे वलय का शून्य (Zero of the ring) कहते हैं।साथ ही का यौगिक प्रतिलोम -a है तथा इसे a का ऋण (negative) कहते हैं।
विशेष प्रकार के वलय (Special Types of Rings):
(1.)क्रमविनिमेय वलय (Commutative Rings):
यदि वलय R में गुणन संक्रिया क्रमविनिमेय हो अर्थात्
a.b=b.a \quad \forall a,b \in R
वलय R क्रमविनिमेय कहलाता है
(2.)तत्समकी वलय या इकाई सहित वलय (Ring with unity):
यदि वलय <R,+,•> में गुणन संक्रिया के लिए तत्समक अवयव विद्यमान हो तो R तत्समकी वलय या इकाई सहित वलय कहलाता है।R की गुणन तत्समक अवयव R की इकाई (Unity) कहलाती है,R की इकाई को 1 से प्रकट करते हैं।यहाँ ध्यान रहे कि R की इकाई तथा पूर्णांक की इकाई 1 सदैव समान नहीं है तथा इसको स्पष्टतया ध्यान में रखना चाहिए।
(3.)शून्य भाजक सहित वलय (Ring with zero divisor):
एक वलय R शून्य भाजक सहित वलय कहलाता है यदि R के ऐसे दो अवयव a,b विद्यमान हों कि a \neq 0,b \neq 0 तथा a.b=0
इस स्थिति में a,R का एक वाम शून्य भाजक (left zero divisor) कहलाता है तथा b,R का एक दक्षिण शून्य भाजक (Right zero divisor) कहलाता है।
(4.)शून्य भाजक रहित वलय (Ring without zero divisor):
एक वलय R शून्य भाजक रहित वलय कहलाता है यदि R में ऐसे दो अवयव विद्यमान होना सम्भव नहीं हो कि
a \neq 0,b \neq 0 तथा a.b=0
अर्थात् R,शून्य भाजक रहित होगा यदि a.b=0 \Rightarrow या तो a=0 या b=0
(5.)पूर्णांकीय प्रान्त (डोमेन)(Integral Domain):
एक वलय जो कि इकाई सहित हो तथा शून्य भाजक रहित तथा क्रमविनिमेय हो तो उस वलय को पूर्णांकीय प्रान्त कहते हैं।
(A ring with unity, without zero divisor and commutative is called an integral domain).
(6.)क्षेत्र या फील्ड (Field):
कम से कम दो अवयव वाले एक वलय R को क्षेत्र कहते हैं यदि R के शून्येतर अवयव गुणन संक्रिया के लिए क्रमविनिमेय ग्रुप हो अर्थात् एक वलय R,क्षेत्र कहलाता है यदि इसमें कम से कम दो अवयव हैं तथा गुणन संक्रिया के लिए
(i)क्रमविनिमेय है।
(ii)इसमें इकाई अवयव है।
(iii)इसके प्रत्येक शून्येतर (non-zero) अवयव का गुणनात्मक प्रतिलोम R में विद्यमान है।
अथवा
(i) <R,+> एक क्रमविनिमेय ग्रुप है।
(ii) <R-{0},•> एक क्रमविनिमेय ग्रुप है।
(iii)\forall a,b,c \in R
a.(b+c)=a.b+a.c तथा (b+c).a=b.a+c.a
(7.)विभाजन वलय या विषम क्षेत्र (Division Ring or Skew Field):
कम से कम दो अवयव वाला वलय R एक विभाजन वलय या विषम क्षेत्र कहलाता है यदि
(i)R इकाई सहित वलय है।
(ii)प्रत्येक शून्येतर (अशून्य) अवयव गुणन की दृष्टि से प्रतिलोमी (Invertible under multiplication) है।
(8.)बूलियन वलय (Boolean ring):
एक बूलियन वलय कहलाता है यदि इसका प्रत्येक सक्षम (Idempotent) है अर्थात् R एक बुलियन वलय \Rightarrow a^{2}=a \forall a \in R
(9.)p-वलय (p-ring):
एक वलय R,p-वलय कहलाता है यदि a^{p}=a तथा p a=0 \forall a \in R
वलय का व्युत्क्रमणीय (एकांक) अवयव (unit of a ring):
परिभाषा (Definition):एक वलय R जो कि क्रमविनिमेय तत्समक वलय है,का अवयव a \in R,R में व्युत्क्रमणीय अवयव है यदि R में एक ऐसा अवयव b विद्यमान है कि ab=1 जहाँ 1,R का गुणन संक्रिया का तत्समक अवयव है।उदाहरणार्थ:
(i)वलय \left(Z_{5},+_{5},•_{5}\right) प्रत्येक अशून्य अवयव एक व्युत्क्रमणीय है।
(ii)वलय Z में 1,-1 व्युत्क्रमणीय है।
(iii)क्षेत्र में शून्य अवयव के अतिरिक्त प्रत्येक अवयव एकांक अवयव है।
वलय में निरसन नियम (Cancellation laws in a ring):
परिभाषा (Definition):एक वलय (R,+,•) में योग की संक्रिया के लिए निरसन नियम सदैव लागू होते हैं क्योंकि (R,+) एक आबेलियन ग्रुप है।परन्तु गुणन की संक्रिया के लिए हम कहते हैं कि निरसन नियम लागू होंगे यदि a, b, c \in R
के लिए a \neq 0, ab=a c \Rightarrow b=c (वाम निरसन नियम)
a \neq 0 ; b a=c a \Rightarrow b=c (दक्षिण निरसन नियम)
वलय का केन्द्र (Centre of a ring):
परिभाषा (Definition):एक वलय R के सभी स्वयंयुग्मी अवयवों के समुच्चय C को वलय R का केन्द्र कहते हैं।प्रतीकात्मक रूप में

C=\left\{r \in R \mid ra=a r \forall a \in R\right\}
वलय के एक अवयव का प्रसामान्यक (Normalizer of an element of a ring):
परिभाषा (Definition):यदि a किसी वलय R का एक अवयव है तब a \in R का प्रसामान्यक वलय R के उन सभी अवयवों का समुच्चय है जो a से क्रमविनिमेय है।इसे N(a) से व्यक्त करते हैं जहाँ N(a)=\{r \in R \mid a r=r a\}

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2.बीजगणित में वलय के साधित उदाहरण (Ring in Algebra Solved Examples),बीजीय संरचना में वलय के उदाहरण (Ring in Algebraic Structure Examples):

निम्न निकाय में से कौन कौनसे वलय हैं?कारण सहित उत्तर दीजिए।
(Which of the following systems are rings?Answer with reason.)(Example:1 से 4)
Example:1.(C,+,•) जहाँ C सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय (Where C is set Complex numbers.)
Solution:(i)योग का साहचर्य:

x_{1}=a_{1}+i b_{1}, x_{2}=a_{2}+i b_{2}, x_{3}=a_{3}+i b_{3} \\ \left(x_{1}+x_{2}\right)+x_{3}=\left(a_{1}+i b_{1}+a_{2}+i b_{2}\right)+a_{3}+i b_{3} \\ =\left[a_{1}+a_{2}+i\left(b_{1}+b_{2}\right)\right]+a_{3}+i b_{3} \\=\left(a_{1}+ a_{2}+a_{3} \right) +i\left(b_{1}+b_{2}+b_{3}\right) \\=a_{1}+\left(a_{2}+a_{3}\right) +i\left[b_{1}+\left(b_{2}+b_{3}\right) \right] \\ =a_{1}+i b_{1}+\left[\left(a_{2}+a_{3}\right)+i\left(b_{2}+b_{3}\right)\right] \\ =x_{1}+\left(x_{2}+x_{3}\right) \\ \Rightarrow \left(x_{1}+x_{2}\right)+x_{3}=x_{1}+\left(x_{2}+x_{3}\right)
अतः सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय सहचारी है।
(ii)तत्समक अवयव का अस्तित्व
माना तत्समक अवयव x_{2}=a_{2}+i b_{2} \\ x_{1}+x_{2}=x_{1} \\ \Rightarrow x_{2}=0 \\ \Rightarrow x_{2}=0+i 0 \in C
अतः तत्समक अवयव का सम्मिश्र संख्याओं के समुच्चय में अस्तित्व है।
(iii)प्रतिलोम का अस्तित्व:
माना प्रतिलोम अवयव x=a+ib

x_{1}+x=0+i 0 \\ \Rightarrow a_{1}+i b_{1}+a+i b=0+i \cdot 0 \\ \Rightarrow a+i b=-\left(a_{1}+i b_{1}\right) \\ \Rightarrow a=-a_{1}, b_{1}=-b_{1} \\ -a_{1},-b_{1} \in c
अतः सम्मिश्र संख्याओं के समुच्चय में प्रतिलोम का अस्तित्व है।
(iv)योग का क्रमविनिमेय:

x_{1}+x_{2} =\left(a_{1}+i b_{1}\right)+\left(a_{2}+i b_{2}\right) \\ =\left(a_{1}+a_{2}\right)+i\left(b_{1}+b_{2}\right) \\ =\left(a_{2}+a_{1}\right)+i\left(b_{2}+b_{1}\right) \\ =a_{2}+i b_{2}+a_{1}+i b_{1} \\ =x_{2}+x_{1} \\ \Rightarrow x_{1}+x_{2}=x_{2}+x_{1}
अतः सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय योग के लिए क्रमविनिमेय है।
(v)गुणन का साहचर्य:

\left(x_{1} \cdot x_{2}\right) \cdot x_{3}=\left\{\left(a_{1}+i b_{1}\right) \cdot \left(a_{2}+i b_{2}\right)\right\} \cdot\left(a_{3}+i b_{3}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}+i a_{1} b_{2}+i b_{1} a_{2}-b_{1} b_{2}\right) \cdot\left(a_{3}+i b_{3}\right) \\ =\left[\left(a_{1} a_{2}-b_{1} b_{2}\right)+i\left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}\right)\right] \cdot\left(a_{3}+i b_{3}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}-b_{1} b_{2}\right) a_{3}+i\left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}\right) a_{3} + i b_{3}\left(a_{1} a_{2}-b_{1} b_{2}\right)-b_{3}\left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2} a_{3}-b_{1} b_{2} a_{3}-a_{1} b_{2} b_{3} -a_{2} b_{1} b_{3}\right)+i\left(a_{3} a_{1} b_{2}+a_{2} a_{3} b_{1}+a_{1} a_{2} b_{3}-b_{1} b_{2} b_{3}\right) \\ x_{1} \cdot\left(x_{2} \cdot x_{3}\right) =\left(a_{1}+i b_{1}\right)\left[\left(a_{2}+i b_{2}\right) \cdot\left(a_{3}+i b_{3}\right)\right] \\ =\left(a_{1}+i b_{2}\right)\left[\left(a_{2} a_{3}-b_{2} b_{3}\right)+i\left(a_{2} b_{3}+b_{2} a_{3}\right)\right] \\ =a_{1} a_{2} a_{3}-a_{1} b_{2} b_{3}-b_{1} a_{2} b_{3}-b_{1} b_{2} a_{3} +i\left(a_{1} a_{2} b_{3}+a_{1} b_{2} a_{3}+a_{2} b_{1} a_{3}-b_{1} b_{2} b_{3}\right)
अतः \left(x_{1} \cdot x_{2}\right) x_{3}=x_{1} \cdot\left(x_{2} \cdot x_{3}\right)
अतः सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय गुणन के लिए सहचारी है।
(vi)गुणन की योग पर बंटनशीलता:

x_{1} \cdot\left(x_{2}\right. \left.+x_{3}\right)=\left(a_{1}+i b_{1}\right) \cdot\left[\left(a_{2}+i b_{2}\right)+\left(a_{3}+i b_{3}\right)\right] \\ =\left(a_{1}+i b_{1}\right) \cdot\left[\left(a_{2}+a_{3}\right) +i\left(b_{2}+b_{3}\right)\right] \\ = a_{1}\left(a_{2}+a_{3}\right)-b_{1}\left(b_{2}+b_{3}\right)+i a_{1}\left(b_{2}+ b_{3}\right)+i b_{1}\left(a_{2}+a_{3}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}+a_{1} a_{3}\right)-\left(b_{1} b_{2}+b_{1} b_{3}\right)+ i\left(a_{1} b_{2}+a_{1} b_{3}+a_{2} b_{1}+a_{3} b_{1}\right) \\ x_{1} \cdot x_{2}+x_{1} \cdot x_{3}=\left(a_{1}+i b_{1}\right) \cdot\left(a_{2}+i b_{2}\right) +\left(a_{1}+i b_{1}\right) \cdot\left(a_{3}+i b_{3}\right) \\ = a_{1} a_{2}-b_{1} b_{2}+i\left(a_{1} b_{2}+b_{1} a_{2}\right)+a_{1} a_{3}-b_{1} b_{3}+i\left(a_{3} b_{1}+a_{1} b_{3}\right) \\ = a_{1} a_{2}+a_{1} a_{3}-\left(b_{1} b_{2}+b_{1}b_{3}\right)+i \left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}+a_{1} b_{3}+a_{3}b_{1}\right) 
अतः x_{1} \cdot \left(x_{2}+x_{3}\right)=x_{1} \cdot x_{2}+x_{1} \cdot x_{3}
अतः सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय गुणन की योग पर बंटनशीलता है।
फलतः सम्मिश्र संख्याओं का समुच्चय वलय है।
Example:2. (\{0, \pm 2, \pm 4,\ldots\},+,•)
Solution:(\{0, \pm 2, \pm 4,\ldots\},+,•)
(i)संवृत्तता:
x_{1}, x_{2} \in R \\ x_{1}+x_{2} \in R तथा x_{1} \cdot x_{2} \in R
अतः R योग तथा गुणन के लिए द्विचर संक्रिया है।
(ii)साहचर्यता:
x_{1},x_{2}, x_{3} \in R \\ \left(x_{1}+x_{2}\right)+x_{3}=x_{1}+\left(x_{2}+x_{3}\right) तथा \left(x_{1} \cdot x_{2}\right) \cdot x_{3}=x_{1} \cdot\left(x_{2} \cdot x_{3}\right)
अतः योग तथा गुणन के लिए R सहचारी है।
(iii)योग में तत्समक अवयव का अस्तित्व:

0 \in R \\ \Rightarrow x_{1}+0 \Rightarrow x_{1}=0+x_{1} \in R
योग के लिए तत्समक अवयव का R में अस्तित्व है।
(iv)प्रतिलोम का अस्तित्व:

x_{1}+x_{2}=0 \\ \Rightarrow x_{1}=-x_{2} \in R
अतः योग के लिए प्रतिलोम अवयव का अस्तित्व R में है।
(v)योग में क्रमविनिमेयता:

x_{1}+x_{2}=x_{2}+x_{1} \in R
R,योग में क्रमविनिमेय है।
(vi)गुणन की योग में बंटनशीलता:

x_{1}, x_{2}, x_{3} \in R \\ x_{1}\left(x_{2}+x_{3}\right)=x_{1} \cdot x_{2}+x_{1} \cdot x_{3} \in R
अतः R में गुणन की योग में बंटनशीलता है।
फलतः R वलय है।

Example:3.(\{0,1,-1\},+,•)
Solution:द्विचर संक्रिया सारणी

\begin{array}{c|ccc}+ & 0 & 1 & -1 \\\hline 0 & 0 & 1 & -1 \\1 & 1 & 2 & 0 \\-1 & -1 & 0 & -2\end{array}

\begin{array}{r|rrr}\bullet & 0 & 1 & -1 \\\hline 0 & 0 & 0 & 0 \\1 & 0 & 1 & -1 \\-1 & 0 & -1 & 1\end{array} \\ 1+1=2 \notin R
अतः योग द्विचर संक्रिया नहीं है फलतः वलय नहीं है।
Example:4.(\{0, \pm 8, \pm 16,\ldots\},+,\bullet )
Solution:(\{0, \pm 8, \pm 16,\ldots\},+,\bullet )
(i)संवृत्तता:

x_{1}, x_{2} \in R \\ x_{1}+x_{2} \in R तथा x_{1} \cdot x_{2} \in R
अतः R योग तथा गुणन के लिए द्विचर संक्रिया है।
(ii)साहचर्यता:
x_{1}, x_{2}, x_{3} \in R \\ \left(x_{1}+x_{2}\right)+x_{3}=x_{1}+\left(x_{2}+x_{3}\right) तथा \left(x_{1}, x_{2}\right) \cdot x_{3}=x_{1} \cdot\left(x_{2} \cdot x_{3}\right)
अतः योग तथा गुणन के लिए R सहचारी है।
(iii)योग में तत्समक अवयव का अस्तित्व:

O \in R \\ \Rightarrow x_{1}+0 \Rightarrow x_{1}=0+x_{1} \in R
योग के लिए तत्समक अवयव का R में अस्तित्व है।
(iv)प्रतिलोम का अस्तित्व:

x_{1}+x_{2}=0 \\ \Rightarrow x_{1}=-x_{2} \in R
अतः प्रतिलोम अवयव का R में अस्तित्व है।
(v)योग में क्रमविनिमेयता:

x_{1}+x_{2}=x_{2}+x_{1} \in R
R,योग में क्रमविनिमेय है।
(vi)गुणन की योग में बंटनशीलता:

x_{1} \cdot \left(x_{2}+x_{3}\right)=x_{1} \cdot x_{2}+x_{1} \cdot x_{3} \in R
अतः R में गुणन की योग पर बंटनशीलता है।फलतः R वलय है।
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure) को समझ सकते हैं।

3.बीजगणित में वलय के सवाल (Ring in Algebra Questions):

(1.)सिद्ध करो कि समुच्चय R={0,1,2,3,4} योग माड्यूलो 5(+_{5}) और गुणन मोड्यूलो 5(\bullet_{5}) के लिए क्रमविनिमेय वलय है।क्या यह एक पूर्णांकीय प्रान्त है?
(Prove that the set R={0,1,2,3,4} is a commutative ring for addition modulo 5(+_{5}) and multiplication modulo 5(\bullet_{5}) .Is if an integral domain?)
(2.)यदि S=\{(a, b) \mid a, b \in R\} वास्तविक संख्याओं के सभी क्रमित युग्मों का समुच्चय है तो सिद्ध कीजिए कि <S,\oplus,\odot> शून्य भाजक सहित एक क्रमविनिमेय तत्समकी वलय है,जहाँ ,S में निम्नानुसार परिभाषित है:
(If S=\{(a, b) \mid a, b \in R\} be the set of all ordered pairs of real numbers, prove that <S,\oplus,\odot> is a commutative ring with unity and with zero divisors,where and in S are defined as

(a \cdot b) \oplus(c, d)=(a+c, b+d) \\ (a, b) \odot(c, d)=(a c, b d), \forall(a, b),(c, d) \in S
क्या यह पूर्णांकीय प्रान्त है?(Is it integral domain?)
उत्तर (Answers):(1.)पूर्णांकीय प्रान्त है।
(2.)पूर्णांकीय प्रान्त नहीं है।
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure) को ठीक से समझ सकते हैं।

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4.बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.संख्याओं के वलय का उदाहरण दीजिये।(Give the example of the ring of numbers):

उत्तर:(Z,+,×),(Q,+,×),(R,+,×) तथा (C,+,×) सभी वलय के उदाहरण हैं।यहाँ Z,Q,R तथा C क्रमशः पूर्णांक, परिमेय, वास्तविक संख्याओं तथा सम्मिश्र संख्याओं को प्रकट करते हैं तथा +,× क्रमश: सामान्य योग तथा गुणन प्रकट करती हैं।
प्रत्येक निकाय को वलय सिद्ध करने के लिए हम देखते हैं कि:
(i)(Z,+),(Q,+),(R,+),(C,+) प्रत्येक निकाय एक आबेली ग्रुप है।
(ii)प्रत्येक निकाय × संक्रिया के लिए साहचर्य है।
(iii)प्रत्येक निकाय में बंटन गुणधर्म सत्य है।
साथ ही (iv)प्रत्येक संख्याओं के निकाय में गुणा क्रमविनिमेय है जिससे उक्त प्रत्येक संख्याओं का निकाय क्रमविनिमेय वलय है।

प्रश्न:2.मैट्रिक्स वलय का उदाहरण दीजिए।(Give the example of matrix ring):

उत्तर:पूर्णांकों पर या परिमेय संख्याओं पर या वास्तविक संख्याओं पर या सम्मिश्र संख्याओं पर सभी वर्ग मैट्रिक्स का समुच्चय R,मैट्रिक्स योग तथा गुणन के लिए वलय है।यह अक्रमविनिमेय तथा तत्समकी वलय है।

प्रश्न:3.सिद्ध कीजिये कि सभी वास्तविक संतत फलनों का समुच्चय योग तथा गुणन के लिए एक क्रमविनिमेय तत्समकी वलय है।(Prove that the set of all the real valued functions is a commutative ring with unity with repect to addition and multiplication):

उत्तर:सिद्ध कीजिए कि [0,1] पर परिभाषित सभी वास्तविक संतत फलनों का समुच्चय S;योग तथा गुणन के लिए एक क्रमविनिमेय तत्समकी वलय है जहाँ योग तथा गुणन निम्न प्रकार परिभाषित हैं:
(f+g)(x)=f(x)+g(x)
(fg)(x)=f(x) g(x)
(Show that the set S of all real valued function defined on the closed interval [0,1] is a commutative ring with unity with respect to addition and multiplication defined as
(f+g)(x)=f(x)+g(x)
(fg)(x)=f(x) g(x)
उपपत्ति (Proof):चूँकि दो संतत फलनों का योग तथा गुणन एक संतत फलन है इसलिए सभी वास्तविक संतत फलनों के समुच्चय (माना R) दोनों दी हुई संक्रियायें द्विचर हैं।
साहचर्यता:यदि f,g,h \in R तब
[(f+g)+h](x)=(f+g)(x)+h(x)
=[f(x)+g(x)]+h(x)
=f(x)+[g(x)+h(x)]
[\because f(x),g(x),h(x) सभी वास्तविक संख्याएँ हैं तथा वास्तविक संख्याओं में योग संक्रिया साहचर्य है]
=f(x)+[g+h](x)
=[f+(g+h)](x)
(f+g)+h=f+(g+h) \forall f,g,h \in R
तथा [(fg)h](x)=(fg)(x) h(x)
=[f(x) g(x)] h(x)
=f(x) [g(x) h(x)]
=f(x) [gh](x)
=[f(gh)](x)
(fg)h=f(gh) \forall f,g,h \in R
शून्य तथा तत्समक अवयव:हम एक फलन 0 ऐसा परिभाषित करते हैं
कि o(x)=0 \forall x \in [0,1]
अब (o+f)(x)=o(x)+f(x)=f(x)
=f(x)+0
=f(x)+o(x)
=(f+o)(x)
o योग संक्रिया का तत्समक अवयव है।पुनः फलन e(x) इस प्रकार परिभाषित करते हैं कि
e(x)=1 \forall x \in [1,0] x \in R के लिए (fe)(x)=f(x) e(x)=f(x).1
=f(x)
=1.f(x)
=e(x).f(x)
=(ef)(x)
अतः f \in R,e \in R \Rightarrow fe=ef=f \forall x \in [0,1]
e,R का तत्समक अवयव है।
योज्य प्रतिलोम:फलन f का योज्य प्रतिलोम को -f से प्रकट करते हैं तथा इस प्रकार है कि
(-f)(x)=-[f(x)] \forall x \in [0,1]
साथ ही (-f)+f=(-f)(x)+f(x)
=-f(x)+f(x)
=0
=o(x)
अब तथा
f+(-f)=0
अतः f का योज्य प्रतिलोम –f\in R है।
बंटनता:f,g,h \in R [f(g+h)](x)=f(x).(g+h)(x) के लिए
f(g+h)=f(x).(g+h)(x)
=f(x).[g(x)+h(x)]
=f(x)g(x)+f(x)h(x)
=(fg)(x)+(fh)(x)
=(fg+fh)(x)
f(g+h)=fg+fb
इसी प्रकार (g+h)f=gf+hf \forall f,g,h \in R
अतः समी वास्तविक संख्याओं का समुच्चय [0,1] पर एक क्रमविनिमेय तत्समकी वलय है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बीजगणित में वलय (Ring in Algebra),बीजीय संरचना में वलय (Ring in Algebraic Structure) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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Ring in Algebra

जगणित में वलय (Ring in Algebra)

Ring in Algebra

बीजगणित में वलय को समझने के लिए पहले इसको परिभाषित करेंगे।
वलय (रिंग-Ring)परिभाषा (Definition):माना कि R एक अरिक्त समुच्चय जिसमें दो द्विचर संक्रियायें
(Two binary Operations) जिनको क्रमशः योग (+) तथा गुणन (.) से प्रकट करते हैं वलय कहलाता है

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