Ring Homomorphism in Abstract Algebra
1.अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism):
अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) को समझने के लिए इसकी परिभाषा को समझना आवश्यक है।
वलय समाकारिता की परिभाषा (Definition of Ring Homomorphism):
माना कि R तथा S दो वलय हैं तथा प्रतिचित्रण R \rightarrow S वलय समाकारिता कहलाता है यदि
\left.\begin{array}{rl}f(a+b) =f(a)+f(b) \\f(a b) =f(a) \cdot f(b)\end{array}\right\} \forall a, b \in R
प्रमेय (Theorem):1.यदि R तथा S दो वलय हों तथा \phi : R \rightarrow S एक वलय समाकारिता हो तो
If \phi is a homomorphism of R into S i.e. \phi : R \rightarrow S then
(i)\phi(0)=0^{\prime} जहाँ 0′ योजिक तत्समक S में है (Where 0′ is the additive identity in S.)
(ii)\phi(-a)=-\phi(a) \quad \forall a \in R
उपपत्ति (Proof):(i)माना कि a \in R इसलिए \phi(a) \in S तब
\phi(a) +0^{\prime}=\phi(a) \\=\phi(a+0) \\=\phi(a)+\phi(0)
अतः \phi(a)+0^{\prime}=\phi(a)+\phi(0)
परन्तु S वलय है इसलिए योग संक्रिया के लिए क्रमविनिमेय है अतः निरसन नियम से:
(ii)a \in R \Rightarrow-a \in R
तथा a+(-a)=0 \Rightarrow f[a+(-a)]=f(0) \\ \Rightarrow \phi(a)+f(-a)=0^{\prime}
जहाँ S में यौगिक संक्रिया के लिए 0^{\prime} तत्समक अवयव है।
\Rightarrow \phi(-a), यौगिक संक्रिया के लिए \phi(a) का प्रतिलोम है।
\Rightarrow \phi(-a)=-\phi(a)
प्रमेय (Theorem):2.यदि R तथा S दो वलय हैं तथा \phi : R \rightarrow S वलय समाकारिता हो तो क्रमविनिमेय वलय का समाकारिता प्रतिबिम्ब भी क्रमविनिमेय होगा।
(If R and S be two rings and \phi is a homomorphism of R into S then homorphic image of commutative ring is commutative):
उपपत्ति (Proof):माना a, b \in R
\therefore ab=ba
क्योंकि R क्रमविनिमेय वलय है तब \phi(a) \phi(b)=\phi(a b)=\phi(b a)=\phi(b) \phi(a)
परन्तु \phi(a), \phi(b) \in S जो कि उपर्युक्त से क्रमविनिमेय है।
प्रमेय (Theorem):3. यदि \phi : R \rightarrow S वलय R से S पर समाकारिता है तो सिद्ध करो कि \phi तब केवल एकैक समाकारिता (तुल्याकारिता) होगी जबकि समाकारिता की अष्टि K={0}
उपपत्ति (Proof):प्रतिबन्ध की आवश्यकता (Necessary of Condition):
माना कि \phi एकैक समाकारिता है।
अब यदि x \in K तब \phi(x)=0^{\prime}=\phi(0) [प्रमेय (1) से]
\Rightarrow x=0 क्योंकि \phi एकैकी है
उपर्युक्त से स्पष्ट है कि यदि x \in K तो x=0
अतः K={0}
प्रतिबन्ध की पर्याप्तता (Sufficient of Condition):
माना कि K={0} तो हम सिद्ध करेंगे कि \phi एकैक समाकारिता है।
माना कि a,b \in R तो \phi(a)=\phi(b) \Rightarrow \phi(a)=\phi(b)=0^{\prime} \\ \Rightarrow \phi(a-b) =\phi(a)+\phi(-b) \\ =\phi(a)-\phi(b) \\=0^{\prime} [चूँकि \phi समाकारिता है]
\Rightarrow a-b \in K, \phi की अष्टि है
\Rightarrow a-b=0 चूँकि K={0}
\Rightarrow a=b
फलतः \phi(a)=\phi(b) \Rightarrow a=b \therefore \phi एकैकी है।
\therefore \phi एकैकी है तथा \phi समाकारिता है इसलिए \phi एकैक समाकारिता है।
प्रमेय (Theorem):4.किसी भी वलय R का, एक इकाई सहित वलय (तत्समकी वलय) में अन्त:स्थापन किया जा सकता है।
(Every ring can be embedded in a ring with unity)
उपपत्ति (Proof):माना कि R कोई वलय है तथा Z पूर्णांकों का वलय है, साथ ही यह भी माना कि
R^{\prime}=z \times R=\{(m, a) \mid m \in z, a \in R\}
R’ में योग तथा गुणा़ संक्रियाओं को हम निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं:
\left.\begin{array}{rl}(m, a)+(n, b)=(m+n, a+b) \\ (m, a)(n, b)=(m n+m b+a n+a b)\end{array}\right\} \forall m,n \in z तथा \forall a, b \in R
यह सुगमतापूर्वक प्रदर्शित किया जा सकता है कि उपर्युक्त दोनों संक्रियाएँ R’ में सुपरिभाषित हैं।अब हम R’ को उपर्युक्त संक्रियाओं सहित वलय सिद्ध करेंगे।
(i)योग के लिए साहचर्य (Associative if Addition):
माना कि (m, a),(n, b),(P, c) \in R^{\prime} तो
[(m,a)+(n,b)]+(p,c)=(m+n,a+b)+(p,c)
=[(m+n)+p,(a+b)+c]
=(m+n+p,a+b+c)
=[m+(n+p),a+(b+c)]
=(m,a)+[n+p,b+c]
=(m,a)+[(n,b)+(p,c)]
(ii)योजित तत्समक अवयव (Existence of Additive Identity):
(0,0) \in R^{\prime} तब \forall(m, a) \in R^{\prime} के लिए
(m,a)+(0,0)=(m,a)
तथा (0,0)+(m,a)=(m,a)
अतः (0,0) R’ का शून्य (योग का तत्समक) अवयव है।
(iii)योजित प्रतिलोम (Existence of Inverse):
प्रत्येक (m,a) \in R^{\prime} के लिए (-m,-a) \in R^{\prime} ऐसा अवयव है कि
(-m,-a)+(m,a)=(0,0)
तथा (m,a)+(-m,-a)=(0,0)
अतः (m,a) का योजित प्रतिलोम (-m,-a) \in R^{\prime} है।
(iv)योजित क्रमविनिमेयता (Commutativity of Addition):
(m,a)+(n,b)=(m+n,a+b)
=(n+m,b+a)
[चूँकि,R तथा Z योजित क्रमविनिमेयता है]
=(n,b)+(m,a)
(v)गुणन का साहचर्य (Associativity of Multiplication):
(m,a) (n,b)=(mn+mb+an,ab)(p,c)
=[(mn+mb+an)p+pan+(mn+mb+an)c,abc]
=(mnp+mbp+abp+pan+mnc+mnc+and,abc) …(1)
(m,a)[(n,b) (p,c)]=(m,a)[np+nc+bp,bc]
=[(np+nc+bp)m+mbc+a(np+nc+bp),abc]
=(mnp+mbp+abp+pan+mnc+mnc+and,abc) …(2)
(1) व (2) से:
(m,a) (n,b)=(m,a)[(n,b) (p,c)]
(vi)गुणन की योग पर बंटनता (Distributive of Multiplication Over Addition):
(m,a)+(n,b)=(m+n,a+b) (p,c)
=[(m+n)p+(a+b)p+(m+n)c,(a+b)c]
=(mp+mc+ap+bp+mc+nc,ac+bc)
(mp+mc+ap,ac)+(np+bp+nc,bc)
=(m,a) (p,c)+(n,b) (p,c)
(vii)इकाई का अस्तित्व (Existence of Unity):
अब (1,0) \in R^{\prime} तथा \forall(m, a) \in R के लिए
(0,1) (m,a)=(0.m+0.a+1.m,1.a)
=(m,a)
इसी प्रकार (m,a) (0,1)=(0.m+m.1+a.0,a.1)
=(m,a)
अतः (0,1) (m,a)=(0,1) (m,a)
(0,1),R’ में इकाई अवयव है।
अतः R’ इकाई सहित वलय (तत्समकी वलय) है।
माना कि S,R’ का उपसमुच्चय निम्न प्रकार है
S=\{0\} \times R=\{(0, a) | a \in R\}
अब \forall(0, a) ;(a, b) \in S के लिए
(0,a)-(0,b)=(0,a)+(0,-b) [चूँकि,-0=0]
(0, a) -(0, b)=(0, a)+(0,-b) [चूँकि 0+0=0]
तथा (a,0) (b,0)=(ab+a.0+0.b,0.0)
=(a b, 0) \in S
अतः S,R’ का उपवलय है।
प्रमेय को सिद्ध करने के लिए हमें \phi : R \rightarrow S प्रतिचित्रण को एकैक समाकारिता अर्थात् तुल्याकारिता सिद्ध करना होगा।को निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं
\phi(a)=(a, 0) \in R
क्योंकि \phi(a+b)=(a+b, 0) \\=(a, 0)+(b, 0) \\=\phi(a)+\phi(b) \\ \phi (a b)=(a b, 0)=(a, 0) \cdot(b, 0) \\ =\phi(a) \cdot \phi(b)
\phi एक वलय समाकारिता है।
साथ ही \phi(a)=\phi(b) \Rightarrow (a, 0)=(b, 0) \\ \Rightarrow a=b
एकैकी है
तथा प्रत्येक (a, 0) \in S के लिए a \in R एक ऐसा अवयव विद्यमान है कि
\phi(a)=(a, 0)
\phi आच्छादक है।
अतः \phi,R से S में एकैक समाकारिता (तुल्याकारिता) है फलतः R \cong S,अतः R’ वलय R का एक तत्समकी वलय में अन्त:स्थापन है।
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2.अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता के उदाहरण (Ring Homomorphism in Abstract Algebra Examples):
Example:1.यदि \left(Z,+, \bullet \right) पूर्णांकों का वलय तथा \left(Z_{n},+_{n} ,\bullet_{n} \right) माड्यूल n के पूर्णांकों का वलय है तब सिद्ध कीजिए कि प्रतिचित्रण \phi: Z \rightarrow Z_{n} जो \phi(a)=[a] परिभाषित है समाकृतिकता है।
(If \left(Z,+, \bullet \right) ring if integers and \left(Z_{n},+_{n} ,\bullet_{n} \right) the ring of integers modulo n.Then prove that the mapping \phi: Z \rightarrow Z_{n} defined as \phi(a)=[a] is a homomorphism.)
Solution: a_{1}, a_{2} \in z \\ \phi\left(a_{1}+_{n} a_{2}\right)=\phi\left[a_{1}+_{n} a_{2}\right] \\ =\phi \left\{\left[a_{1}\right]+\left[a_{2}\right]\right\} \\ =\phi\left[a_{1}\right]+\phi\left[a_{2}\right] =\phi \left(a_{1} \right) +\phi\left(a_{2}\right) \\ \phi\left(a_{1} \bullet_{n} a_{2}\right) =\phi\left[a_{1} a_{2}\right] \\ =\phi\left\{\left[a_{1}\right]\left[a_{2}\right]\right\} \\ =\phi\left[a_{1}\right] \phi\left[a_{2}\right] \\ =\phi\left(a_{1} \right) \cdot \phi\left(a_{2}\right)
\phi वलय समाकारिता है।
Example:2.यदि दो वलय R=\{a+b \sqrt{3} \mid a, b \in Z\} तथा R^{\prime}=\{a-b \sqrt{3} \mid a, b \in Z\} हैं तो सिद्ध कीजिए कि \phi : R \rightarrow R^{\prime} ,\phi(a+b \sqrt{3})=a-b \sqrt{3} \forall a, b \in Z वलय R का R’ पर तुल्यकारी है।
(If R=\{a+b \sqrt{3} \mid a, b \in Z\} and R^{\prime}=\{a-b \sqrt{3} \mid a, b \in Z\} are two rings then prove that \phi : R \rightarrow R^{\prime} ,\phi(a+b \sqrt{3})=a-b \sqrt{3} \forall a, b \in Z is an isomorphism of R onto R’)
Solution: \forall x=a_{1}+b_{1} \sqrt{3}, y=a_{2}+b_{2} \sqrt{3} \in R \\ a_{1}, a_{2}, b_{1}, b_{2} \in z\\ \phi (x+y)=\phi\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{3}+a_{2}+b_{2} \sqrt{3}\right)\\ =\phi \left\{\left(a_{1}+a_{2}\right) +\left(b_{1}+b_{2}\right) \sqrt{3}\right\}\\ =a_{1}+a_{2}-\left(b_{1}+b_{2}\right) \sqrt{3}\\ =\left(a_{1}-b \sqrt{3}\right)+\left(a_{2}-b \sqrt{\sqrt{3}}\right) \\=\phi(x)+\phi(y) \\ \Rightarrow \phi(x+y)=\phi(x)+ \phi(y) \\ \phi(x y)=\phi\left\{\left(a_{1}+b, \sqrt{3}\right)\left(a_{2}+b \sqrt{3}\right)\right\} \\ =\phi \left\{a_{1} a_{2}+3 b_{1} b_{2}+\left(a_{1} b_{2}+b_{1} a_{2}\right) \sqrt{3}\right\} \\ =\left(a_{1}, a_{2}+3 b_{1} b_{2}\right)-\left(a_{1} b_{2}+b_{1} a_{2}\right) \sqrt{3} \\ =\left(a_{1}-b_{1} \sqrt{3}\right)\left(a_{2}-b_{2} \sqrt{3}\right) \\ =\phi(x) \cdot \phi(y) \\ \Rightarrow \phi(x y)=\phi(x) \cdot \phi(y)
\phi वलय समाकारिता है।पुनः
\phi(x)=f(y) \\ \phi \left(a_{1}+b_{1} \sqrt{3}\right)=\phi\left(a_{2}+b_{2}\right) \sqrt{3} \\ \Rightarrow a_{1}-b_{1} \sqrt{3}=a_{2}-b_{2} \sqrt{3} \\ \Rightarrow a_{1}=a_{2} तथा b_{1}=b_{2} \\ \Rightarrow x=y \\ \therefore \phi एकैकी है।
अब \forall a-\sqrt{3} b \in R, a, b \in z के लिए एक ऐसा अवयव R में विद्यमान है कि \phi(a+\sqrt{3} b)=a-\sqrt{3} b \\ \therefore \phi आच्छादक है।
\phi,वलय R का,R’ पर एकैक समाकारिता (तुल्याकारिता) है।
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) को समझ सकते हैं।
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3.अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता के सवाल (Ring Homomorphism in Abstract Algebra Questions):
(1.)यदि R तथा S दो वलय हैं तथा f: R \rightarrow S को f(a)=a \forall a \in R से परिभाषित करें तो सिद्ध करो f एक समाकारिता है।
(2.)यदि < C, +,\bullet > सम्मिश्र संख्याओं का वलय है तो सिद्ध कीजिए कि \phi: c \rightarrow c, \phi(a+i b)=a-i b \forall a, b \in R वलय का स्वयं पर एकैक समाकारिता या तुल्याकारिता है।
(If <C, +,\bullet > be a ring of complex numbers then prove that \phi: c \rightarrow c, \phi(a+i b)=a-i b \forall a, b \in R is an isomorphism of C onto itself.)
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) को ठीक से समझ सकते हैं।
4.अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.निम्न को परिभाषित करो। (Define the following):
(i)समाकारिता (Homomorphism)
(ii)वलय समाकारिता की अष्टि (Kernel of Ring Homomorphism)
उत्तर:(i)समाकारिता (Homomorphism)
किसी समूह \left( G,\ast \right) से किसी अन्य समूह \left ( G^{\prime},\ast \right ) पर एक ऐसे फलन h को G से G’ पर समाकारिता कहते हैं कि G के सभी a,b के लिए
h (a.b)=h(a) h(b)
किसी वलय \left(R^{\prime},+,\ast \right) से किसी वलय \left(R^{\prime}, \oplus,\odot \right) पर एक ऐसे फलन h को R से R’ पर एक समाकारिता कहते हैं कि R के सभी a,b के लिए h(a+b)=h(a) \oplus h(b); h(a-b)=h(a) \odot h(b)
व्यापक रूप से किसी बीजीय संरचना से किसी अन्य बीजीय संरचना A’ पर एक समाकारिता कोई ऐसा h होता है जो बीजीय संरचनाओं का संरक्षण करता है।
(ii)वलय समाकारिता की अष्टि (Kernel of Ring Homomorphism):
माना कि R तथा S कोई दो वलय है तथा \phi : R \rightarrow S समाकारिता है तो R का उपसमुच्चय K=\{x \in R : \phi(x)=0^{\prime}\} [जहाँ 0′,S का योजित तत्समक अवयव है] समाकारिता \phi की अष्टि कहलाता है।
प्रश्न:2.तुल्याकारिता को परिभाषित करो।(Define Isomorphism):
उत्तर:(i)एकैकी (one-one) हो तो एकैकी समाकारिता (monomorphism) कहलाती है।
(ii)आच्छादक (onto) हो तो यह आच्छादक समाकारिता (epimorphism) कहलाती है।
(iii)एकैकी आच्छादक भी हो तो इसे वलय R से S पर एकैक समाकारिता या तुल्याकारिता (Isomorphism) कहते हैं जिसे R \cong S से व्यक्त करते हैं।
प्रश्न:3.अन्तरकारिता को परिभाषित करो।(Define endomorphism):
उत्तर:यदि R=S हो तो अन्तरकारिता (endomorphism) कहलाती है।
प्रश्न:4.स्वाकारिता को परिभाषित करो।(Define automorphism):
उत्तर:यदि प्रतिचित्रण f एकैकी आच्छादक एवं R=S हो तो स्वाकारिता (automorphism) कहलाती है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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अमूर्त बीजगणित में वलय समाकारिता (Ring Homomorphism in Abstract Algebra),
वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) को समझने के लिए इसकी परिभाषा
को समझना आवश्यक है।