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Review of Rapid Development 2024

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1.तीव्र गति से विकास की समीक्षा 2024 (Review of Rapid Development 2024),तेज गति से विकास की समीक्षा (Review of Development at a Fast Pace):

  • तीव्र गति से विकास की समीक्षा 2024 (Review of Rapid Development 2024) के आधार पर ही हमें पता चलेगा कि हम सही दिशा में जा रहे हैं या गलत दिशा में।यदि सही दिशा में विकास हो रहा है तो और क्या सुधार किया जा सकता है।यदि गलत दिशा में विकास हो रहा है तो उसे सही दिशा कैसे दी जा सकती है।इन सब बातों को जानने के लिए लेख को पढ़िए।
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2.टेक्नोलॉजी में तीव्र विकास के मायने (Meaning of rapid development in technology):

  • आज के समय में दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है।दुनिया तेज गति से दौड़ती चली जा रही है।उसकी चाहत इस गति में किसी भी तरह की कमी नहीं करना चाहती,इसलिए सभी लोग इस दौड़ में सम्मिलित होते जा रहे हैं।आगे बढ़ने की होड़,अधिक पैसा कमाने की होड़,बहुत जल्दी बहुत पाने की तीव्र इच्छा एवं तेज गति से सब काम करने की चाहत ने आज व्यक्ति की जीवनशैली में बहुत व्यस्तता ला दी है।आज दुनिया में उन वस्तुओं की मांग बढ़ती जा रही है,जिनसे कम मेहनत में तेज गति से काम किया जा सके और उन वस्तुओं की कोई कीमत नहीं रह गई है,जिनसे काम करने में बहुत अधिक मेहनत व समय लगता है।अब पुरानी टेक्नोलॉजी के स्थान पर नई टेक्नोलॉजी तेजी से अपनी जगह बना रही है।
  • देश में 25 वर्ष पहले विदेश संचार निगम लिमिटेड ने इंटरनेट की शुरुआत की तो बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए की 10 एमबीपीएस (मेगाबाइट पर सेकंड) की रफ्तार से सर्फिंग करिए,लेकिन आज की परिस्थिति में कोई भी कंपनी ऐसा कहने से इंकार करेगी।अब तो 1000 एमबीपीएस की रफ्तार से इंटरनेट सर्फिंग भी गुजरे जमाने की बात हो गई है।कुछ ऐसा ही रफ्तार का खेल सुपर कंप्यूटरों के साथ भी है।आज से 20 साल पहले लोग कंप्यूटरों की जिस रफ्तार से आश्चर्यचकित थे,आज वह सामान्य सी बात लगती है; क्योंकि आज इंसान के पास 20 साल पहले की तुलना में 100 गुना तेज रफ्तार वाले कंप्यूटर हैं बल्कि 100 गुना से भी ज्यादा तेज रफ्तार वाले कंप्यूटर उपलब्ध हैं।
  • इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है की रफ्तार की इस दुनिया में कितनी तेजी से बढ़ावा हो रहा है और यह भी सच है की रफ्तार का यह आकर्षण न तो कभी खत्म होगा और न ही इससे और तेज रफ्तार की चाहत खत्म होगी।दरअसल तेजी से आगे बढ़ने की चाहत ने इंसान को हमेशा से रोमांचित किया है।इसी रोमांस के गर्भ से इंसान में उड़ने की इच्छा पैदा हुई और राइट बंधुओं का हवाई जहाज निकला।और बाद में इसी रफ्तार की चाहत ने सुपरसोनिक जैसे तेज रफ्तार के रोमांचक पर्याय माने जाने वाले विमान दिए।

3.यातायात और अन्य क्षेत्रों में तीव्र रफ्तार (High speed in traffic and other areas):

  • मनुष्य जीवन में छाई रहने वाली यह रफ्तार केवल उड़ने,दौड़ने यानी यातायात और परिवहन तक ही सीमित नहीं है,बल्कि सच तो यह है की रफ्तार हमारी हर गतिविधि का हिस्सा है।इतिहास का अवलोकन करने से भी यह पता चलता है कि उस रफ्तार में लगातार तेजी ही आई है और उसमें कमी रत्ती मात्र भी नहीं हुई,फिर उसकी गतिविधि चाहे,कुछ भी क्यों ना हो।यहां तक कि 1000 साल पहले इन्सान जितनी तेज गति से दौड़ता था आज उसकी रफ्तार उस समय की तुलना में 100% से भी ज्यादा बढ़ गई है।तेज गति से दौड़ने की यह चाहत ओलंपिक खेलों में नजर आती है; क्योंकि आज से आधी शताब्दी पहले के लोग 100 मीटर की दूरी 10 सेकंड से कम समय में पूरी करने की बात सोच भी नहीं सकते थे और आज यह दूरी इससे भी कम समय में पूरी की जा रही है और माना जा रहा है कि उसेन बोल्ट जैसा इंसान रूपी चीता भी भविष्य में मामूली बनकर रह जाएगा; क्योंकि अभी इंसान की तेज दौड़ने की रफ्तार में 70-80% का और बढ़ावा होगा।
  • हमारे यातायात के साधनों की आज जो रफ्तार है,उसकी कल्पना 200 साल पहले के लोग कर भी नहीं सकते थे।पहले कभी 1 घंटे में 10 मील से कम चलने वाली ट्रेन आज उसी 1 घंटे में 300 मील से भी ज्यादा का सफर पूरा कर रही है।पहले पानी में जहाज द्वारा हिंदुस्तान से यूरोप जाने में 6 महीने लगते थे,वहीं आज एक व्यक्ति 15 घंटे में अमेरिका पहुंचकर वापस मुंबई में नाश्ता करके कन्याकुमारी में लंच कर सकता है और बीजिंग में रात का भोजन करके कुआलालंपुर में मीठी नींद ले सकता है।
  • केवल यातायात के साधन ही नहीं,यदि व्यक्ति अपने कार्यस्थल की ओर नजर दौड़ाता है तो जहां पहले कभी हाथ से काम किया जाता था,वहीं फिर टाइप मशीन की खोज होने पर ब्रिटानी प्रशासन ने यह सोचा कि हमारे कामकाज की रफ्तार में 100% वृद्धि आ गई है,लेकिन आज उपभोग किए जाने वाले हाईस्पीड कंप्यूटरों से हमारे कार्य करने की गति क्या है यह बात किसी से छिपी नहीं है।
  • पहले महीनों पहले निमंत्रण पत्र भेजे जाते थे,फिर भी यह डर लगा रहता था कि समय से निमंत्रण पत्र मिल जाएगा या नहीं,लेकिन आज दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पलक झपकने की देरी में ईमेल भेजा जा सकता है।
  • एक समय में लोग जब तीर्थयात्रा के लिए निकलते थे तो महीनों का सफर होता था,सालों पहले कार्यक्रम बनाए जाते थे और जाने के लिए तैयारियां शुरू हो जाती थीं,जब वे लोग लौटकर आते थे,महीनों उनकी यात्रा के किस्से सुने जाते थे।लेकिन जब ‘अराउंड दि वर्ल्ड इन एट्टी डेज’ का फिनोमिना लेकर फिलियस फाग सामने आए और उन्होंने केवल 80 दिनों में पूरी दुनिया का चक्कर लगाया तो घूमने-फिरने के शौकीन लोगों के लिए यह किसी रोमांच से कम नहीं था,पर आज केवल 90 मिनट में व्यक्ति के घूमने-फिरने की इच्छा पूरी हो सकती है और वह भी कोई एक जगह जाकर लौटने की नहीं,बल्कि पूरी दुनिया घूमने की।इस लाइटक्राफ्ट कॉन्सेप्ट पर काम करना शुरू किया है अमेरिका एयर फोर्स और ब्राजील ने।इस तकनीक में लेजर के एक्स्पल्शन के द्वारा यात्री को आकाश में भेजा जाएगा।इसमें खास बात यह है कि यह प्लेन रेगुलर प्लेन की तरह ही लैंड करेंगे।अमेरिका और ब्रिटेन में जहाज पर इस तरह के काफी प्रयोग हुए हैं और आने वाली कुछ वर्षों में ऐसी पूरी उम्मीद है कि व्यक्ति को पूरी दुनिया चक्कर लगाने में सिर्फ 1 घंटे का ही समय लगे।
  • आज दुनिया में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है,जहाँ पिछली दो शताब्दियों में रफ्तार न आई हो।एक समय था जब रसोई में खाना बनाने में काफी समय लगता था और आंखों में धुँआ भी लगता था,लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में कुकर ने खाना पकाने के समय में काफी कमी की तो वहीं 20वीं शताब्दी के मध्य में लोकप्रिय माइक्रोवेव ने खाना बनाने में लगने वाले समय को चमत्कृत दृष्टि से कम कर दिया है।आज 19वीं और 18वीं शताब्दी की तुलना में कम से कम 100 से ज्यादा ऐसे भोजन है,जिन्हें बनाने में सिर्फ कुछ मिनट का समय लगता है।

4.संसार की हर चीज में तीव्र रफ्तार (Fast pace in everything in the world):

  • आज के समय में फल जल्दी पक रहे हैं एवं सब्जियां, मौसम और ऋतु का इंतजार तक नहीं करतीं।सड़क पर चलने वाले वाहन तेज रफ्तार हो गए हैं,रेलगाड़ियाँ और हवाई जहाज ने तो समय और दूरी के रिश्तों को ही उलट-पुलट दिया है।आज कंप्यूटर और इंटरनेट ने कुछ ऐसी परिस्थितियाँ बना दी हैं कि शायद अब तेज गति के बिना गुजारा नहीं किया जा सकता।कभी यह तेज गति हमारी मर्जी या हमारी इच्छा रही होगी,लेकिन आज यह मजबूरी होती जा रही है; क्योंकि व्यक्ति को आज तेज इसलिए नहीं चलना है कि तेज चलने के साधन उसके पास उपलब्ध है,बल्कि तेज इसलिए चलना है कि उसके पास समय नहीं है।पूरी दुनिया में बढ़ते इस शहरीकरण के कारण काम के लिए रोजाना घर से निकलते समय लोगों पर हमेशा इस तेज गति से चलने का दबाव बना रहता है।
  • मुंबई से पनवेल काम करने के लिए जाने वाले कर्मचारी हमेशा इस तनाव में रहते हैं कि वे कहीं लेट ना हो जाएँ।राजधानी दिल्ली में यदि सुबह-सुबह डीटीसी बसों का  नजारा देखा जाए तो इन बसों में भी भीड़ रहती है।एक समय था जब दिल्ली में सुबह-शाम बस में सफर करने वाले कई लोग बस के पायदानों पर हवा में लटके होते हैं।पूरी भीड़ में दो-चार व्यक्ति ऐसे हो सकते हैं,जिन्हें हवा में लटकाना अच्छा लगता है,नहीं तो ज्यादातर लोग हवा में इसलिए लटके होते हैं; क्योंकि उन्हें जल्द से जल्द घर पर या कार्यस्थल पहुंचना होता है,पर आज दिल्ली या मुंबई में ही नहीं,देश के लगभग सभी महानगरों और इनके आसपास के शहरों में यही दृश्य देखने को मिलता है।

5.तेज रफ्तार से विकास का निष्कर्ष (Conclusion of fast growth):

  • मानव जीवन में आने वाली यह रफ्तार बुरी नहीं है।यह रफ्तार कई तरह की उपलब्धियों की प्रतीक है।रफ्तार का मतलब ही है-विकास,आगे बढ़ना।इसका मतलब है कि प्रतियोगिता,सक्रियता और उज्जवल भविष्य।यह रफ्तार इस दृष्टि से आगे बढ़ने और बेहतर प्रदर्शन करने का माध्यम है।इसलिए हर कोई तेज गति से चलना पसंद करता है और तेज गति से चलने वाले साधनों को अपनाता है।आज कोई भी ढीला-ढाला या कम गति वाला नहीं होना चाहता है।आज के दौर में लोगों की महत्त्वाकांक्षाएँ इतनी बढ़ गई हैं कि अव्वल रहने वाले लोग तो बीमार होना ही नहीं चाहते और अगर बीमार हो जाते हैं तो पलक झपकते ही इलाज कराकर पुरानी सुखद-स्वस्थ स्थिति में आना चाहते हैं।यह बात अलग है कि कभी-कभी जल्दबाजी के कारण उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं।तेज रफ्तार से लगातार काम करते रहने के कारण व्यक्ति यदि थोड़ी भी भूल करता है तो उसकी जरा सी असावधानी में वह बहुत कुछ गँवा देता है।
  • तेज गति से दौड़ती इस दुनिया में रहने वाले लोगों ने जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी की वजह से हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है,वहीं अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी गंवाया है।पहले के लोग आज के मनुष्यों की तुलना में शारीरिक व मानसिक दृष्टि से अधिक स्वस्थ थे।उनकी स्मरणशक्ति,एकाग्रता,सुकून,शांति,प्रसन्नता आज के मनुष्यों की तुलना में अधिक थी।तेजी से भागती इस दुनिया को देखने पर कभी-कभी एक अजीब सी बेचैनी होती है कि ये दुनिया किस दिशा की तरफ जा रही है? दुनिया के लोग क्या पाना चाहते हैं;क्योंकि वे खुद से दूर होते जा रहे हैं,अपनों से दूर होते जा रहे हैं।आज की दुनिया में दिल के रिश्ते सच्चे दीखते प्रतीत नहीं होते,हर जगह धोखा-छल मिलता है।कहीं किसी पर भरोसा करने में संदेह होता है।दूसरों पर अविश्वास बढ़ता जा रहा है।ऐसे समय में व्यक्ति को यदि कुछ तलाशना चाहिए तो खुद को जानना चाहिए,समझना चाहिए।व्यक्ति यदि स्वयं को समझ सकेगा,अपनी आंतरिक शक्तियों को जान सकेगा,उनका सदुपयोग कर सकेगा और अपने जीवन का आध्यात्मिक विकास कर पाएगा तो इतना कुछ हासिल कर सकेगा,जिसके समक्ष वर्तमान या भविष्य में होने वाली प्रगति भी उसे महत्त्वहीन लगेगी और वह जीवन की सच्ची सुख-शांति,समृद्धि,प्रसन्नता का हकदार हो जाएगा।

6.छात्र-छात्राओं के लिए संदेश (Message to Students):

  • आजकल जिधर देखो उधर छात्र-छात्राओं की भीड़ भागे चली जा रही है।किसी भी शहर,गांव में देखो सुबह उठते ही छात्र-छात्राएं भागे चले जा रहे हैं मानो थोड़ी देर में गांव या शहर बच्चों से खाली हो जाएगा।जरा किसी छात्र से पूछिए कि आप कहां जा रहे हैं तो जवाब मिलेगा पढ़ने के लिए जा रहे हैं।उनसे सवाल पूछा जाए कि आप क्यों पढ़ रहे हैं तो जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि इस मुद्दे पर कभी सोचा ही नहीं,सोचते ही नहीं,सोचना चाहते भी नहीं कि आखिर हमारा लक्ष्य क्या है? यूं तो छात्र-छात्राएं कहते हैं की बहुत व्यस्त हैं,वक्त ही नहीं मिलता।अपने आपको व्यस्त बताना कुछ फैशन सा हो गया है कि लाइफ बहुत फास्ट और बिजी हो गई है,मरने तक की फुर्सत नहीं।
  • टेक्नोलॉजी की अंधी दौड़ और प्रतियोगिता में छात्र-छात्राएं असंवेदनशील होते जा रहे हैं।वे घंटों सोशल साइट्स पर चैटिंग करने,मोबाइल फोन पर बातचीत करने में व्यतीत कर देते हैं।फेसबुक पर हजारों मित्र,इंस्टाग्राम पर फॉलोवर्स,यूट्यूब पर सब्सक्राइबर बढ़ाकर रोमांचित हो रहे हैं।दरअसल तेज गति से इंटरनेट व टेक्नोलॉजी के विकास छात्र-छात्राओं तथा युवा पीढ़ी को आकर्षित कर रही है,रोमांच का अनुभव हो रहा है।सोशल मीडिया,सोशल साइट्स पर अच्छी सामग्री पढ़ना,देखना बुरा नहीं है।आज की गलाकाट प्रतिस्पर्धा में ज्ञान अर्जित करने का यह भी एक माध्यम हो गया है।
  • परंतु इसमें हम एक गलती कर रहे हैं।हम वास्तविक जीवन,वास्तविक रिश्तों,परिवार,समाज से कटते जा रहे हैं।बड़े-बुजुर्गों के पास बैठने का हमारे पास बिल्कुल समय नहीं है।इसलिए संवेदनहीन होते जा रहे हैं।आभासी दुनिया में हम इतने खोते जा रहे हैं कि वास्तविक दुनिया से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते हैं।प्रेम,भाईचारा,सद्भाव,सहयोग,धर्म की अनुभूति,आध्यात्मिकता आदि ये सारी बातें हमें बड़े-बुजुर्गों,परिवार,समाज के संपर्क में रहने से विकसित होती हैं।तेज रफ्तार से विकसित हो रही टेक्नोलॉजी का महत्त्व तभी है जब हमारे अंदर मानवीय गुणों का विकास हो,हम संवेदनशील हों,एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी बनें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में तीव्र गति से विकास की समीक्षा 2024 (Review of Rapid Development 2024),तेज गति से विकास की समीक्षा (Review of Development at a Fast Pace) के बारे में बताया गया है।

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7.लड़का भी दो और फीस भी (हास्य-व्यंग्य) (Give Boy also and fees too) (Humour-Satire):

  • लड़के के पिता:क्या समय आ गया है स्कूल वालों को लड़का भी सुपुर्द करो और फीस भी दो।
  • प्रिंसीपल:आप सिर्फ फीस दे दीजिए।लड़के को चाहे तो अपने पास ही रख लीजिए।

8.तीव्र गति से विकास की समीक्षा 2024 (Frequently Asked Questions Related to Review of Rapid Development 2024),तेज गति से विकास की समीक्षा (Review of Development at a Fast Pace) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.इस तेज रफ्तार से कैसे बचें? (How to avoid this high speed?):

उत्तर:तेज रफ्तार से बचना नहीं है बल्कि जीवन में संतुलन रखना चाहिए।माता-पिता,परिवार,अध्ययन में भी समय दीजिए तथा टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा उठाकर अपना विकास भी कीजिए।किसी भी एक पक्ष को ज्यादा महत्त्व देना अथवा एक पक्ष को नकारने से जीवन में असंतुलन पैदा हो जाता है जिससे कई विकृतियां पैदा हो जाती हैं।

प्रश्न:2.अत्यधिक इंटरनेट व सोशल मीडिया का प्रयोग करने के क्या दुष्प्रभाव हैं? (What are the side effects of excessive use of internet and social sites?):

उत्तर:अत्यधिक इंटरनेट का प्रयोग करने से तनाव,चिंता,हताशा पैदा होती है।हम लोगों से कटते चले जाते हैं जिससे मानवीय गुणों का विकास नहीं होता है और जब मानवीय गुणों का विकास नहीं होता है तो वह पशुवत जीवन जीना ही होता है।

प्रश्न:3.इंटरनेट के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to avoid the side effects of the Internet?):

उत्तर:कुछ समय सत्साहित्य का अध्ययन करने,अच्छी संगत,बड़े-बुजुर्गों के साथ समय बिताएँ,दें।सज्जनों तथा सत्साहित्य का अध्ययन करने से हमें बहुत सी ऐसी बातें सीखने को मिलती है जो गूगल,इंटरनेट पर नहीं सीखी जा सकती हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा तीव्र गति से विकास की समीक्षा 2024 (Review of Rapid Development 2024),तेज गति से विकास की समीक्षा (Review of Development at a Fast Pace) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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