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NEET-UG Scam 2024

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1.नीट-यूजी पेपर्स घोटाला 2024 (NEET-UG Scam 2024),नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर पेपर्स घोटाले का दाग 2024 (National Testing Agency Tainted by Papers Scam 2024):

  • नीट-यूजी पेपर्स घोटाला 2024 (NEET-UG Scam 2024) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर हो चुकी हैं।नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का गठन 2017 में हुआ था जो की शिक्षा मंत्रालय (वर्तमान शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान) का स्वायत्तशासी निकाय है।यह मुख्यतः एमबीबीएस (MBBS),बीडीएस (BDS) जैसे कोर्सेज के लिए नीट-यूजी (National Eligibility Cum Entrance Test (Undergraduate)),एमडी (MD),एमएस (MS) जैसे कोर्सेज के लिए नीट-पीजी (National Eligibility Cum Entrance Test (Post Graduate),आईआईटी,एनआईटी तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए जेईई-मैंस (Joint Entrance Exam),जेईई-एडवांस्ड तथा यूनिवर्सिटी आदि में प्रवेश के लिए संचालन का कार्य करती है।
  • पिछले दिनों नीट-यूजी और यूजीसी-नेट के पेपर लीक होने के कारण एनटीए पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और अब उक्त परीक्षाओं के संबंध में वाद सुप्रीम कोर्ट में दायर हो चुका है।
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2.नीट-यूजी और पेपर्स के दृश्य (NEET-UG and Papers Scam Scenes):

  • दृश्य एक:नीट-यूजी और यूजीसी-नेट परीक्षा को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।दिल्ली में गुरुवार को (27.06.2024) कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के मुख्यालय पर प्रदर्शन किया तो यूथ कांग्रेस ने संसद को घेरने का प्रयास किया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से मांगा जवाब:नीट-यूजी को लेकर दायर एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ओएमआर शीट के संबंध में शिकायत दर्ज करने की समय-सीमा पर एनटीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।याचिकाकर्त्ताओं के वकील ने कहा कि विद्यार्थियों को उनकी ओएमआर शीट की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।जिन्हें यह मिली है,उन्हें निर्धारित बेंचमार्क के अनुरूप नंबर नहीं मिले।याचिका को पहले की याचिकाओं के साथ जोड़ दिया गया है।
  • सीबीआई ने दो को गिरफ्तार किया:नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सीबीआई ने पटना से मनीष प्रकाश और आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया।इस मामले में सीबीआई की यह पहली गिरफ्तारियां हैं।आरोप है कि मनीष प्रकाश अभ्यर्थियों को अपनी गाड़ी में लाने-ले जाने का काम करता था,जबकि आशुतोष के मकान में अभ्यर्थियों को ठहराया जाता था।सूत्रों के मुताबिक पेपर लीक में मनीष प्रकाश की अहम भूमिका मानी जा रही है।उसने पटना के प्ले एंड लर्न स्कूल को रातभर के लिए बुक कराया था,जहां 20 से 25 अभ्यर्थियों को पेपर रटवाया गया।इसी स्कूल से मिले-जुले हुए प्रश्न-पत्र जांच का आधार बने।
  • दृश्य दो:एनटीए ने 23 जून 2024 को नीट-यूजी री-एग्जाम का आयोजन किया था,यह परीक्षा छत्तीसगढ़,गुजरात,हरियाणा,मेघालय और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में आयोजित की गई थी।यह परीक्षा उन शहरों में आयोजित की गई थीं,जहां उम्मीदवारों ने समय का नुकसान का दावा किया था।
  • एक जुलाई 2024 को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने नीट-यूजी री-एग्जाम 2024 का रिजल्ट घोषित कर दिया है।नीट-यूजी री-एग्जाम 2024 के 813 उम्मीदवारों में से किसी के भी 720 में से 720 अंक नहीं आए।संशोधित रिजल्ट के बाद नीट-यूजी 2024 में टॉपर्स की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई है।गौरतलब है कि 4 जून को नीट परीक्षा परिणाम में बताया गया था कि इस साल नीट-यूजी में कुल 67 छात्रों ने एआईआर एक हासिल की।इन सभी उम्मीदवारों ने नीट परीक्षा 2024 में 720 अंक और 99.9971285 परसेंटाइल हासिल किया था।लेकिन 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स के विवाद के बाद एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने 1563 बच्चों से ग्रेस मार्क्स वापस ले लिए हैं।उनके लिए 25 जून को री-एग्जाम का आयोजन किया है।अब जब नीट-यूजी री-एग्जाम का रिजल्ट आया है तो दोबारा परीक्षा देने वाले किसी भी कैंडिडेट्स को 720 में से 720 अंक नहीं मिले हैं।गौरतलब है कि टॉपर्स में से पांच उम्मीदवारों ने दोबारा परीक्षा दी थी,लेकिन वे 720 अंक नहीं ला पाए।
  • दृश्य तीन:नीट-यूजी परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले में सड़क से संसद तक मचे बवाल के बीच सरकार अगले साल से नीट-यूजी परीक्षा ऑनलाइन मोड में कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है।परीक्षा के लिए जेईई-मैंस और जेईई-एडवांस्ड जैसी कंप्यूटर आधारित परीक्षा की व्यवस्था को अपनाया जा सकता है।फिलहाल नीट की परीक्षा पेन एंड पेपर से होती है।नीट-यूजी परीक्षा को लेकर उठे विवाद के बाद कई परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं।इनमें नीट-पीजी परीक्षा भी शामिल थी।नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीए) आगामी नीट-पीजी परीक्षा को रीशेड्यूल करने की तैयारी में है।

3.राजस्थान में पेपर लीक के दृश्य (Scenes of paper leak in Rajasthan):

  • दृश्य चार:बीकानेर में ब्लूटूथ से नकल करवाने वाली गैंग का मास्टरमाइंड (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नविता खोकर का पति) तुलछाराम कालेरा वर्ष 1991 में उपनिरीक्षक बना था।आरोपी तुलछाराम वर्ष 2010 में भतीजे पोरव कलेरा के साथ उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा में बैठा परंतु नकल के कारण विफल रहा।एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामसिंह शेखावत के नेतृत्व में जुटी टीम ने गिरफ्तार प्रशिक्षु उपनिरीक्षक मनीषा सिहाग,अंकिता गोदारा व प्रभा बिश्नोई को रविवार (09.06.2024) को न्यायालय में पेश किया जहां से तीनों को 15 जून तक एसओजी को रिमांड पर सौंप दिया।वहीं पहले से गिरफ्तार पोरव कालेरा,नरेशदान चारण,प्रवीण बिश्नोई व दिनेश चौहान 11 जून तक रिमांड पर थे।एसओजी की रडार पर 30 प्रशिक्षु उपनिरीक्षक हैं,इनमें से कुछ प्रशिक्षण स्थल से छुट्टी लेकर भाग गए।
  • दृश्य पांच:उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक,पेपर माफिया हर्षवर्धन पटवारी (दौसा) का नाम सामने आया है।उपनिरीक्षक घोटाले में एसओजी ने ओमप्रकाश ढाका,छम्मी बिश्नोई व सुनील बेनीवाल को बुधवार (03.07.2024) को न्यायालय में पेश किया।
  • दृश्य छह:(03. 07.2024) कोटा का बबलू चौहान भर्ती के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर ठगी का गिरोह चला रहा था।सेना से बर्खास्त होने के बाद बबलू चौहान ने गिरोह चलाकर भर्ती के नाम पर एक-एक युवक से 10 लाख रुपये वसूले।सीबीआई में बबलू चौधरी और उसकी पत्नी सहित दस आरोपी हैं।आरोपी ने सेना,भारतीय खाद्य निगम और रेलवे में नौकरी दिलाने का वादा कर कई बेरोजगारों के साथ ठगी की है।

4.नीट-यूजी और यूजीसी-नेट पेपर लीक के बारे में विद्वानों का अभिमत (Scholarly opinion about NEET-UG and UGC-NET papers leak):

  • यहाँ हम नीट-यूजी और यूजीसी-नेट पेपर लीक के बारे में विद्वानों के का मत व्यक्त कर रहे हैं।
    कुछ विद्वानों का मत:नीट परिणाम जो 4 जून को घोषित हुआ,से पूरे देश में अभ्यर्थियों में आक्रोश फैल गया है।कई मुद्दे सामने आए,जैसे 1500 से अधिक छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिया जाना और सबसे बढ़कर प्रश्न-पत्र का लीक होना।एनटीए,एनईईटी-यूजी और यूजीसी-नेट परीक्षा को कुशलता के साथ और त्रुटि रहित तरीके से आयोजित करने में पूरी तरह विफल रहा है।इस घटना ने न केवल छात्रों के आत्म-विश्वास को डिगाया है,बल्कि परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता पर भी संदेह की छाप छोड़ दी है।हालांकि एनटीए मुखिया का निलंबन और जांच आयोग का गठन वास्तविक मुद्दे को सुलझाने की विशुद्ध कोशिशों की तुलना में ज्यादा मजबूरी प्रतीत हुए।ऐसे वक्त में जब हितधारक (अभ्यर्थी) पारदर्शिता और जवाबदेही की सख्त मांग कर रहे हैं,यह देखा गया है कि क्या ये कार्यवाही वास्तव में विश्वास बहाली के लिए पर्याप्त है अथवा लोगों के आक्रोश से बचने के लिए महज दिखावटी समाधान हैं।
  • इस तरह की प्रवेश परीक्षा का अपरिहार्य होना अपने आप में ही बेतुकापन लिए हुए है,क्योंकि किसी यूनिवर्सिटी में आवेदन करने से पहले ही छात्र अर्हता परीक्षा दे चुके होते हैं।एक भारतीय छात्र स्कूली जीवन के रूप में औसतन 14 साल व्यतीत करता है।यह एक बड़ा सवाल है कि यदि यह अवधि उनकी बुद्धिमत्ता या क्षमताओं के स्तर को मापने के लिए पर्याप्त नहीं है,तो हम कुछ घंटे में उनके स्तर को कैसे माप सकते हैं? उसके अलावा यह विचार भी उचित दृष्टिकोण वाला नहीं लगता कि जो भी प्रवेश परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करेगा,वह सबसे योग्य होगा।वास्तव में,समूची स्कूली शिक्षा के महत्त्व को कम ही कर रही हैं,कुछ घंटे की यह प्रवेश परीक्षाएं।
  • तर्क दिया जा सकता है कि ऐसी व्यवस्था को लागू करने के मूल में पूरे भारत के छात्रों की काबिलियत को एक सामान्य पैमाने यानी सीयूईटी (Common University Entrance Test) स्कोर पर मापना है,चाहे वे किसी भी राज्य के हों।
  • कथित तौर पर एक वजह यह भी दी जाती है कि कुछ राज्यों के बोर्ड अपने छात्रों को अंक देने में उदार थे,अन्य राज्यों की तुलना में।लेकिन क्या यह ज्यादा विवेकपूर्ण नहीं होता कि नई प्रणाली बनाने के बजाय राज्यों ने अपने मौजूदा शैक्षणिक ढाँचे को मजबूत किया होता और कुछ मानदंड पेश किए होते।समस्या का हल कैसे निकाला जाए इसकी शुरुआत इस गलत दृष्टिकोण से भी कर सकते हैं कि राज्यों के बोर्ड या स्कूल अपने छात्रों की क्षमताओं का आकलन करने में सक्षम नहीं है।बात यहीं तक सीमित नहीं है।शिक्षा प्रणाली में एक और परत जोड़ने के लिए गंभीर वित्तीय दुष्प्रभाव भी हैं:राज्यों के लिए भी और छात्रों के लिए भी।
  • एनटीए की विफलता से देश में जो तूफान उठा है,उसे खतरे की घंटी के रूप में देखा जाना चाहिए।यह हमें उन कमजोरियों का स्मरण कराता है जिसके कारण लंबे समय से भारत की शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंच रहा है।कड़े सुरक्षा उपाय और उन्नत तकनीक अपनाकर हम अधिक पारदर्शिता और समग्र दृष्टिकोण के साथ उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं जहां हर छात्र को योग्यता और उनकी कड़ी मेहनत से सफल होने का उचित मौका मिलेगा।हम सभी के लिए यह आत्मनिरीक्षण का समय है ताकि हमारे युवा भविष्य में असुरक्षित ना रहें।
  • कुछ अन्य विद्वानों का अभिमत:इन परीक्षाओं को लेकर पिछले कुछ वर्षों का अनुभव बाधामुक्त नहीं रहा है।छात्रों और अभिभावकों में बेचैनी बढ़ी है।जेईई हो या नीट,प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों पर अमानवीय दबाव और इसके चलते कोटा में आत्महत्या की घटनाओं को भी नहीं भूलना चाहिए।इस साल दो बड़ी परीक्षाएं नीट (यूजी) और यूजीसी-नेट को लेकर बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ।नीट परीक्षा 571 शहरों और 4750 केन्द्रों पर 24 लाख छात्रों ने दी थी,लेकिन बेतुके परिणाम सामने आए।67 विद्यार्थियों को पूर्ण अंक प्राप्त हुए,जिनमें 6 विद्यार्थी एक ही केंद्र से एक ही क्रम में थे।
  • इसके अलावा ग्रेस मार्क्स की वजह बताई गई कि प्रश्न-पत्र देर से पहुंचे थे।छात्र-छात्राओं का तनाव खत्म नहीं हुआ है ऐसे में बड़े पैमाने पर बदलाव और सुधारों की जरूरत है।तकनीक आधारित समाधान भारत में कई जगह उपयोग में लिए जा चुके हैं,उन्हें समान रूप से अपनाने की जरूरत है।एक परीक्षा और एक नेशनल टेस्टिंग निकाय पर बहुत ज्यादा संसाधन झोंकना भी कम करना होगा।मांग और आपूर्ति में भारी अंतर को भी कम करना होगा।नहीं तो लाखों युवा उन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए कष्ट साध्य पढ़ाई के दबाव और मनोवैज्ञानिक बोझ तले अपनी युवावस्था की महत्त्वपूर्ण वर्षों को गंवाते रहेंगे,जिनमें सफल होने की संभावना लॉटरी निकलने से भी ज्यादा दुष्कर है।

5.नीट-यूजी और यूजीसी-नेट पेपर लीक पर लेखक का अभिमत (Author’s opinion on NEET-UG and UGC-NET papers leak):

  • उपर्युक्त विद्वानों ने जो अभिमत प्रकट किया है कि प्रवेश परीक्षा लेने में पारदर्शिता और जवाबदेही तय हो,कड़े सुरक्षा उपाय और उन्नत तकनीक अपनाकर परीक्षा प्रणाली को विश्वसनीय बनाया जाए।
  • परंतु क्या इतने उपाय करके तथा इसके अतिरिक्त शक्ति का प्रयोग करके परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित किया जा सकता है? क्या पेपर माफिया उसका तोड़ नहीं निकाल पाएंगे? ये उपाय तो किए ही जाने चाहिए अब समग्र दृष्टिकोण पर विचार करते हैं।
    वस्तुतः मूल परिवर्तन जो किया जाना चाहिए और जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए उस पर अभी तक हम एक कदम भी नहीं चल सके हैं।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हमारे दृढ़ धारणा थी और अनुचित भी नहीं थी कि परतंत्रता के जाते ही सब ठीक हो जाएगा,कम से कम मानव तो बदलेगा ही।परंतु हुआ इसके उल्टा है।हमारा नैतिक और चारित्रिक पतन रसातल की तरफ जा रहा है।हम भोगवाद के पीछे दौड़ रहे हैं।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमने निरक्षर को साक्षर बनाने का भागीरथ प्रयत्न किया है।हम देश की जनता को अक्षर ज्ञान देने का प्रयत्न करते हैं।केवल लिख-पढ़ (literate) सके,ऐसे साक्षर निर्माण के लिए गांव-गांव में,ढाणियों में निजी व सरकारी शिक्षण संस्थाएं खोल दी गई हैं।कश्मीर से कन्याकुमारी तक अटक से लेकर कटक तक लाखों की संख्या में माध्यमिक,उच्च माध्यमिक,महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं।प्राथमिक विद्यालयों की तो गणना ही नहीं हैं।परंतु मानव में जो मूलभूत (fundamental) परिवर्तन होना चाहिए था,क्या वह हुआ है।सहस्रों विश्वविद्यालय और लाखों महाविद्यालय स्थापित करने पर भी क्या युवावर्ग और भारतीयों का चरित्र उच्च हुआ है? क्या इन संस्थाओं से शिक्षित होकर निकलने वालों में समुन्नत व्यक्तित्व (integrated personality) का दर्शन होता है? इन शिक्षण संस्थानों से शिक्षित होकर बाहर निकलने के पश्चात मनुष्य यदि,खाओ,पीओ और मौज करो'(eat,drink and be marry) में ही मग्न रहे अर्थात् कोई कामनाएँ बाकी मत छोड़ो तो वह पशु का जीवन ही हुआ।
  • आज समाज में मानवता,चरित्रता और नैतिकता का दर्शन ही नहीं होता,तो मानव जीवन उत्तम,भव्य और उत्कृष्ट कैसे हुआ? क्या इसका कोई मार्ग अथवा समाधान है? आज भारत में ईमानदार,कर्त्तव्यनिष्ठ,चरित्रवान,देशभक्त,नीतिवान सज्जनों,विद्वानों और संतों की कमी नहीं है।वे स्वयं समझने और दूसरों को समझाने में कुशल,अनुभवी,विचारवान,महान् तथा समाज के एक अनिवार्य एवं महत्त्वपूर्ण घटक हैं।समाज में इनका स्थान नैतिक रूप से उत्तरदायित्वपूर्ण हैं।परंतु ये तपस्वी,उच्च आदर्शों से युक्त,चरित्रवान,विद्वान क्या इन शिक्षण संस्थानों में तैयार हुए हैं?नहीं,उन्होंने अपने प्रयासों से ये गुण अर्जित किए हैं अन्यथा अधिकांश शिक्षण संस्थानों (90-95%) की लुटिया डूबी हुई है।वे शिक्षण संस्थान के बाहर तो सरस्वती पूजन का ढोंग रचते हैं और अंदर से केवल लक्ष्मी का पूजन करते हैं।अपने प्रयासों से सामान्य व्यक्ति द्वारा चरित्र का निर्माण कठिन है इनका निर्माण शिक्षण संस्थानों जैसी संस्थाओं में ही हो सकता है।
  • व्यावसायिक क्रांति (Mercantile revolution) तथा औद्योगिक क्रांति (Industrial revolution) के परिणामस्वरूप इस पृथ्वी पर यांत्रिक भौतिकवाद (Mechanical Materialism) आया।परंतु आज आध्यात्मिक,नैतिक तथा चारित्रिक क्रांति की परम आवश्यकता है।इसके बिना विशाल भवन और विपुल साधन सामग्री के होते हुए भी शिक्षण की छाप नहीं पड़ सकती है,शिक्षण का प्रभाव नहीं पड़ सकता है।
  • यान्त्रिक भौतिकवाद के युग के कारण समाज अर्थ प्रधान हो गया है और अर्थ के आधार पर मानव का मूल्यांकन होता है।नतीजतन शिक्षक के प्रति समाज को जो आदर और सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए था,वह नहीं दिखाई देता और यह बात बालक के विकास तथा उसके गठन में हानिकारक सिद्ध हुई है।उसी प्रकार शिक्षक भी केवल वेतन के लिए शिक्षक है।तनिक अधिक वेतन और बोनस मिले तो शिक्षक की नौकरी छोड़कर वह बनिए के यहाँ नौकरी करने चला जाएगा।
  • शिक्षा का अर्थ बालक के आंतरिक गुणों,सुप्त गुणों,गुप्त शक्तियों,सत्प्रवृत्तियों को बाहर निकालना और कौशल आदि का व्यक्तित्वकरण करना,उनको शोध और पोषण कर उन्हें पुष्ट करना।बालक का सर्वांगीण विकास करना हो तो उसकी प्रतिभा को बचपन से ही पहचान कर उसे विकसित करना चाहिए।
  • जो वेतन के लिए शिक्षक बना है,मजबूरी से शिक्षक बना है,उससे गुणों को बाहर निकलने का कार्य नहीं हो सकता।इसलिए शिक्षक द्वारा जो वस्तु निकलनी चाहिए,वह नहीं निकलती,जो निर्माण होना चाहिए वह नहीं होता।आज के शिक्षण संस्थानों में सरस्वती का पूजन होता दिखाई नहीं देता।बड़े-बड़े विश्वविद्यालय भी लक्ष्मी का पूजन करते हुए दिखाई देते हैं।पढ़ने वाला बालक लक्ष्मी के लिए पढ़ता है,सरस्वती के लिए नहीं।बालक को पढ़ने के लिए भेजने वाला अभिभावक भी उसे लक्ष्मी के लिए पढ़ने भेजता है,सरस्वती के लिए नहीं।इसी प्रकार शिक्षण-व्यवस्था करने वाला संचालक मंडल भी लक्ष्मी के लिए ही संचालन का कार्य करता है और लक्ष्मीवानों का ही महत्त्व बढ़ाते रहता है।
  • आज जो पेपर लीक करने वाले हैं,पेपर माफिया हैं इन्हीं शिक्षण संस्थानों में पढ़कर बाहर निकले हैं।इनको रोकना,इन पर लगाम लगाना अस्थाई समाधान है।अंग्रेजों ने ढाई सौ वर्षो में हमारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करके जो शिक्षा व्यवस्था लागू की है उसी का परिणाम हम भुगत रहे हैं।
  • इसका अर्थ यह नहीं है कि पूर्ण रूप से आज जो शिक्षा दी जा रही है वह गलत है परंतु इसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समावेश करना जरूरी है।जिस प्रकार 250-300 वर्षों में शिक्षा के कारण हमारा चारित्रिक पतन हुआ है उसी प्रकार आज शिक्षा में बदलाव किया जाएगा तो इतना ही समय चरित्र निर्माण करने में लगेगा।नवोदय विद्यालय की तर्ज पर विद्यालयों,महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में ट्रायल के तौर पर देखना तो चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्या परिणाम सामने आते हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में नीट-यूजी पेपर्स घोटाला 2024 (NEET-UG Scam 2024),नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर पेपर्स घोटाले का दाग 2024 (National Testing Agency Tainted by Papers Scam 2024) के बारे में बताया गया है।

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6.छात्र द्वारा धमकी (हास्य-व्यंग्य) (Threat by Student) (Humour-Satire):

  • जब छात्र और शिक्षक जमकर लड़ चुके तो छात्र ने पैर पटकते हुए कहा,”मैं थाने में जा रहा हूं और आपके खिलाफ मारपीट का मुकदमा दायर कर दूंगा।”
  • शिक्षक:चलो हटो!यह गीदड़ धमकी किसी और को देना,मुझे एफआईआर और मुकदमे से डराने की कोशिश मत करो।

7.नीट-यूजी पेपर्स घोटाला 2024 (Frequently Asked Questions Related to NEET-UG Scam 2024),नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर पेपर्स घोटाले का दाग 2024 (National Testing Agency Tainted by Papers Scam 2024) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या धन कमाने पर ध्यान नहीं देना चाहिए? (Shouldn’t we focus on earning money?):

उत्तर:आज का युग आर्थिक युग है।पारिवारिक कर्त्तव्यों और सांसारिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए धन कमाना चाहिए।परंतु धन कमाने के तरीके साफ-सुथरे और नैतिक होने चाहिए।धन कमाने के साथ-साथ छात्र हित,छात्र का कल्याण का ध्यान भी रखना चाहिए।

प्रश्न:2.आज अराजकता क्यों है? (Why is there chaos today?):

उत्तर:क्योंकि आज के शिक्षक से आज्ञा पालन,चारित्रिक निष्ठा,नैतिकता का निर्माण नहीं हो रहा है।आज का छात्र यही सोचता है कि जो हमारे मन में आएगा वही करेंगे।यही अराजकता विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों से होकर परिवार में प्रविष्ट हो गई है।आज जब लड़का पढ़ने लगता है,तब उसे लगता है कि बाप मुझे कहने वाला कौन होता है? मैं अधिक जानता हूं,मैं भी कुछ हूं या नहीं? यह अराजकता है।जब तक पुत्र पिता पर आश्रित है तब तक वह माता-पिता की बात मानता है।परन्तु जब बड़ा हो गया,पढ़ने लगा,तब उसे लगता है कि पिता का क्या कहना क्यों मानना चाहिए?

प्रश्न:3.पेपर लीक होने पर छात्र क्या करें? (What should students do if the paper is leaked?):

उत्तर:छात्र-छात्राओं को धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए।अपनी बात उचित तरीके से,उचित मंच पर और उचित समय पर कहनी और व्यक्त करनी चाहिए।हताश नहीं होना चाहिए।ध्यान और योग करें जिससे आपको मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
प्रश्न:4.क्या वर्तमान शिक्षा के साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी जरूरी है? (Is spiritual education necessary along with the present education?):
उत्तर:बिल्कुल जरूरी है।जीवन में अध्यात्म,धर्म और धन तीनों का महत्त्व है।अध्यात्म के बिना मानव जीवन शव के समान है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा नीट-यूजी पेपर्स घोटाला 2024 (NEET-UG Scam 2024),नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर पेपर्स घोटाले का दाग 2024 (National Testing Agency Tainted by Papers Scam 2024) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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