Need to Improve Level of Mathematics
1.गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics), गणित शिक्षा के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics Education):
- गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics) लंबे समय से अनुभव की जा रही है।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा और गणित शिक्षा में अप्रत्याशित वृद्धि और विस्तार हुआ है परंतु व्यापक दृष्टि से गणित शिक्षा में कई विसंगतियां दृष्टिगोचर हुई है। गणित शिक्षा के लिए आवश्यक एकाग्रता,अमूर्त चिंतन, गणितीय तर्क व चिन्तन करने की योग्यता, गणना करने की क्षमता,गणितीय समस्याओं को हल करने के बौद्धिक कौशल का अभाव,विवेक, कंप्यूटर ज्ञान का अभाव,महान गणितज्ञों भास्कराचार्य,आर्यभट,न्यूटन,आइन्सटीन की जीवनियाँ इत्यादि का वर्तमान गणित शिक्षा में अभाव देखा जा सकता है।गणित शिक्षा के बिना सभ्य जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज की गणित शिक्षा संस्कारविहीन,चरित्रहीन गणितज्ञों,गणित के अध्यापको,इंजीनियरों को जन्म दे रही है।आज की गणित शिक्षा सभी को आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम नहीं है।
- आज का युग तकनीकी युग है।तकनीकी के इस युग में विज्ञान व तकनीकी में विकास करने वाला ही आगे बढ़ सकता है,देश का विकास हो सकता है। परंतु विज्ञान व तकनीकी का मूल आधार भी गणित ही है।गणित के बिना विज्ञान व तकनीकी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।वर्तमान गणित शिक्षा के स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है।गणित शिक्षा के स्तर में गिरावट के कारण निम्न है:
- आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article:Pi Day
2.गणित शिक्षा परीक्षा केंद्रित होना (Mathematics Education Exam Focused):
- आज की शिक्षा और गणित शिक्षा परीक्षा केंद्रित है। पूरे वर्षभर छात्र-छात्राएं अध्ययन करते नहीं हैं।परीक्षा के एक-दो माह पूर्व रात-रातभर जागकर परीक्षा की तैयारी करते हैं।उनको परीक्षा उत्तीर्ण करके केवल डिग्री हासिल करना है।डिग्री,डिप्लोमा प्राप्त करने वालों नवयुवकों की भीड़ एकत्रित होती जा रही है।उनके पास आवश्यक दक्षता और ज्ञान की कमी है।वास्तव में जिन विषयों की डिग्री लिए वे घूमते हैं उस विषय की परिभाषा ठीक से नहीं जानते हैं।उस विषय का गहराई से और विस्तृत ज्ञान प्राप्त करना तो बहुत दूर की बात है।योग्यता के अभाव में,स्किल के अभाव में उन्हें प्राइवेट व सरकारी जाॅब प्राप्त नहीं हो पाता है।इस तरह डिग्रीधारी युवाओं की भीड़ एकत्रित होती जा रही है,जो दिशाहीन तथा लक्ष्यहीन भटक रहे हैं।
3.योग्य गणित अध्यापकों का अभाव (Lack of Qualified Mathematics Teachers):
- आज सामाजिक दृष्टि से अध्यापकों को वह सम्मान प्राप्त नहीं है जो प्राचीन काल में गुरुजनों को प्राप्त था।आज अध्यापक को दोयम दर्जा का सम्मान प्राप्त है।समाज में आज इंजीनियरों,आईएएस, डॉक्टरों की प्रतिष्ठा है।इसलिए प्रतिभाशाली नवयुवक सिविल सेवाओं,इंजीनियर,डॉक्टर के पेशे का चुनाव करते हैं।इन प्रतिष्ठित सेवाओं में नवयुवक का चयन नहीं होता है तभी वह गणित अध्यापक के पेशे का चुनाव करते हैं।इस प्रकार प्रतिभाशाली नवयुवक अन्य सेवाओं में चले जाते हैं।जो नवयुवक अध्यापक की सेवा करने के इच्छुक नहीं है वे जब अध्यापक का चुनाव करते हैं तो छात्र-छात्राओं को दिल और दिमाग लगाकर नहीं पढ़ाते हैं।
4.रोजगारविहीन गणित शिक्षा (Jobless Mathematics Education):
- आज हम देखते हैं कि नवयुवक उच्च से उच्चतर डिग्री हासिल करने में लगे रहते हैं।उच्च स्तर की डिग्री प्राप्त करने के बावजूद जब उनको रोजगार नहीं मिलता है तो वे भटक जाते हैं।वे नवयुवक राष्ट्रविद्रोही तथा समाज विरोधी तत्वों के संपर्क में आकर समाज व देश के विरुद्ध कार्य करने में संलग्न हो जाते हैं।इसका कारण है कि हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था इस प्रकार की है जिसे डिग्री तो हासिल की जा सकती है परंतु उनमें स्किल का निर्माण नहीं होता है।स्किल के अभाव में वे न तो स्वयं का व्यवसाय खड़ा कर सकते हैं और न ही उनको कहीं रोजगार मिलता है।बीएससी,बीए, बीकॉम,एमएससी, एमए,एमकॉम करके नवयुवक केवल नौकरी के काबिल होता है।इस प्रकार की डिग्री करके नवयुवक श्रम से जी चुराता है।वह केवल नौकरी करना चाहता है। वास्तव में वर्तमान शिक्षा में नवयुवकों में कर्मठता का गुण विकसित नहीं किया जा सकता है। राजनीतिक दल तथा सत्ता दल नवयुवकों को आरक्षण का लॉलीपॉप थमाकर उनको दिग्भ्रमित करने तथा बांटने का प्रयास करते है।
Also Read This Article:Solution to Disinterest in Mathematics
5.नकारात्मक कार्यों में संलग्न (Engage in Negative Activities):
- आज के शिक्षक बालक-बालिकाओं को केवल पाठ्यक्रम पूर्ण करवाते हैं।उनमें अनुशासन तथा संस्कारों का बीजारोपण नहीं करते हैं।नवयुवक अनुशासनहीन होकर हड़ताल,तोड़फोड़ एवं राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे कार्यों में लिप्त हो जाते हैं।अभी हाल ही में धारा 370 को हटाने तथा कृषि कानूनों को रद्द करने,जेएनयू में हड़तालों में नवयुवकों की भागीदारी रही है।धारा 370 तथा कृषि कानूनों से नवयुवकों का कोई लेना देना नहीं है फिर भी वे इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे।यह स्थिति शिक्षा तथा गणित शिक्षा के स्तर में गिरावट का ही संकेत है।
6.अंग्रेजी माध्यम में गणित शिक्षा (Mathematics Education in English Medium):
- आज भारत में अंग्रेजी माध्यम के पब्लिक स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है तथा हिंदी माध्यम के स्कूलों की संख्या में गिरावट होती जा रही है।गणित शिक्षा अंग्रेजी में प्राप्त करना बुराई नहीं है परंतु हिंदी माध्यम के विकल्प के तौर पर अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा प्रदान करने से हमारी संस्कृति का रूप ही बदल गया है।आज हर नवयुवक हाय हेलो से बातचीत प्रारंभ और खत्म करता है।आज नवयुवक अंग्रेजी पहनावा,अंग्रेजी में बातचीत करना इत्यादि को बढ़ावा देता है।भारतीय संस्कृति का लोप होने का खतरा मंडरा रहा है।ये पब्लिक स्कूल कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ते जा रहे हैं।
7.भारतीय संस्कृति के प्रतिकूल शिक्षा (Education Against Indian Culture):
- वर्तमान शिक्षा और गणित शिक्षा भारत की संस्कृति के अनुकूल नहीं है।इसमें व्यावसायिकता ने नकारात्मक रूप ले लिया है।पाश्चात्य देशों की नकल में छद्म रूप से पूंजीवादी तथा उपभोक्तावादी संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
भारतीय नवयुवक-नवयुवतियाँ पाश्चात्य देशों की नकल करके अर्धनग्न वस्त्रों में घूमते फिरते हैं और अपने शरीर की नुमाइश करने में गौरव का अनुभव करते हैं। - अध्यापक-अध्यापिकाएं स्कूल में गणित को ठीक से पढ़ाते नहीं है तथा घर पर या पार्ट टाइम कोचिंग करने में दिलचस्पी लेते हैं।बालक-बालिकाओं में संस्कारों को डालने के लिए माता-पिता व शिक्षक एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हैं।माता-पिता कहते हैं कि बच्चों में संस्कार डालने का काम शिक्षकों का है क्योंकि बालक-बालिकाएँ शिक्षकों की आज्ञा का पालन करते हैं। शिक्षक कहते हैं कि पाठ्यक्रम को पढ़ाने के बाद समय ही नहीं बचता है जिससे उनमें संस्कारों का निर्माण किया जा सके।
- इस प्रकार वर्तमान में भारतीय संस्कृति के मूल्यों,सद्गुणों का विकास,चरित्र का निर्माण करना दिवा स्वप्न जैसा है।भारतीय संस्कृति के नैतिक व चारित्रिक मूल्यों को पाठ्यक्रम में कोई स्थान नहीं दिया गया है।ऐसी स्थिति में नवयुवक न तो शिक्षकों में न माता-पिता में श्रद्धा रखता है।वह विद्रोही प्रवृत्ति की ओर उन्मुख होता है।उसे माता-पिता तथा शिक्षकों की आज्ञा की अवहेलना करने में कोई संकोच नहीं होता है।
8.अनुपयोगी परीक्षा प्रणाली (Unusable Examination System):
- हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली रटने को प्रोत्साहित करती है।इसमें ज्ञानार्जन,सृजनात्मक चिन्तन, चिन्तन-मनन,तार्किक क्षमता का विकास करने इत्यादि गौण हो गए है।शिक्षक छात्र-छात्राओं को महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को बता देते हैं।छात्र-छात्राएं पाठ्यपुस्तक के बजाय गाइड व सीरीज से उन प्रश्नों को रट लेते है और परीक्षा में ज्यों का त्यों उतार देते हैं।इस प्रकार परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं। इसे केवल स्मरणशक्ति की परीक्षा कहा जा सकता है। आज विद्यार्थी का प्रमुख ध्येय परीक्षा उत्तीर्ण करके डिग्रियां हासिल करना रह गया है।
- इसके लिए छात्र-छात्राएं अनुचित साधनों का प्रयोग भी करता है।परीक्षा के पूर्व प्रश्न-पत्र प्राप्त करने की जुगत लगाना, नकल करना,परीक्षक को डरा धमकाकर नकल करना,बोर्ड में घूस देकर अंक तालिका में अंक बढ़वाना इत्यादि अनुचित कार्य करके छात्र-छात्राएं येनकेन प्रकारेण उत्तीर्ण होना चाहता है।
- वह मोटी-मोटी पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना तथा उससे शिक्षा ग्रहण करना बेकार समझता है।इसका परिणाम यह होता है कि छात्र-छात्राएं परीक्षा देने, उत्तीर्ण करने तथा डिग्री लेने के बाद खाली दिमाग लेकर निकलता है।ऐसी स्थिति में जब उसका वास्ता वास्तविक जीवन की सच्चाईयों से पड़ता है तो उसके पसीने छूटने लगते हैं।क्योंकि कठिन परिश्रम, तप,समर्पण, धैर्य,विवेक का उसमें विकास नहीं होता है।जीवन की गुत्थियों,समस्याओं,आध्यात्मिक व सांसारिक समस्याओं को इन गुणों के बिना हल नहीं किया जा सकता है।
- फलतः वह गलत कार्यों की तरफ मुड़ जाता है।गुंडागर्दी करना,अय्याशी करना,चोरी करना,ड्रग्स का सेवन करना,हत्या करना,डकैती इत्यादि राष्ट्रद्रोही कार्यों में लिप्त हो जाता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics), गणित शिक्षा के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics Education) के बारे में बताया गया है।
9.जेईई-मेन के लिए पुस्तक की खोज (हास्य-व्यंग्य) (Book Search for JEE-Main)(Humour-Satire):
- आईआईटी स्टूडेंट (राकेश से):जेईई-मेन की परीक्षा नजदीक आ रही है और तुम उसकी परवाह ही नहीं कर रही हो।
- राकेश (आईआईटी स्टूडेंट से):मुझे तुमसे ज्यादा चिंता है।पर क्या करूं यार कोई अच्छी पुस्तक मिल नहीं मिल रही है।
- आईआईटी स्टूडेंट (राकेश से):यदि मैं तुम्हारी तरह इतनी छानबीन करता रहता तो आईआईटी के बाहर पापड़ बोल रहा होता।आज तक मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाता।
10.गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics), गणित शिक्षा के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics Education) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.वर्तमान गणित शिक्षा नीति किस प्रकार की होनी चाहिए? (What kind of Current Mathematics Education Policy Should be?):
उत्तर:वर्तमान शिक्षा नीति आधुनिक,तकनीक प्रधान तथा वैज्ञानिक नहीं है।इसमें बुद्धि,विवेक (ज्ञान), तर्क करने की क्षमता,चिंतन-मनन करने के अवसर नहीं है।गणित शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिसमें नवयुवक को उद्यमशील,व्यावहारिक ज्ञान,कर्मठ,कौशलयुक्त, कलाकार,भारतीय संस्कृति से जुड़ाव,तकनीकी ज्ञान में निपुण,आधुनिक नवीन खोज को प्रोत्साहित करने वाली हो।
प्रश्न:2.गणित शिक्षा के स्तर के उन्नयन के लिए क्या कदम उठाए जाएं? (What Steps to Take Upgrade Mathematics Education?):
उत्तर:(1.)गणित शिक्षा ऐसी हो जिसमें नवयुवक स्किल प्राप्त कर सके।तकनीकी तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए।इन पाठ्यक्रमों की समाप्ति पर यदि निजी कंपनियां या सरकारी संस्थान में नौकरी नहीं मिले तो निजी व्यवसाय प्रारंभ करने पर बैंकों से आसानी से कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
(2.)विश्वविद्यालय,उच्च शिक्षा केवल प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।जिससे डिग्रीधारी नवयुवकों की भीड़ एकत्रित न हो।
(3.)भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने वाली शिक्षा होनी चाहिए।जिसमें नवयुवकों को चारित्रिक विकास,महान गणितज्ञों की प्रेरणास्पद साहित्य, नैतिक मूल्यों को पढ़ाने तथा उनके जीवन का अंग बनाने का अवसर प्राप्त हो।पाठ्यक्रमों में इन बातों का समावेश हों।
(4.)इच्छुक प्रत्याशियों का ही गणित अध्यापक के पद पर चयन करना चाहिए।जिन अध्यापक-अध्यापिकाओं का वेतन सुविधाजनक है उन्हें ट्यूशन व कोचिंग करने पर कठोर नियंत्रण होना चाहिए।
(5.)पाश्चात्य संस्कृति जैसे वैलेंटाइन डे,अप्रैल फूल,स्प्रिंगबैक,लिव इन रिलेशन को बढ़ावा देने वालों की मान्यता समाप्त कर देनी चाहिए।
(6.)विद्यालयों में ध्यान व योगाभ्यास विद्यार्थियों को कराने पर बल देना चाहिए।इन्हें पाठ्यक्रम में स्थान मिलना चाहिए।ध्यान व योगाभ्यास से छात्र-छात्राओं में धैर्य, दृढ़ता,साहस,संतोष इत्यादि गुणों का विकास होता है।
(7.)परीक्षा प्रणाली में बदलाव करना चाहिए। वार्षिक परीक्षा के साथ अर्द्धवार्षिक परीक्षा तथा सेमेस्टर आधारित परीक्षा आयोजित करना चाहिए। जिससे छात्र-छात्राएं सालभर अध्ययन के प्रति पूर्ण रूप से गंभीर रहें।नकल पर कठोर अंकुश लगाना चाहिए।
प्रश्न:3.वर्तमान गणित पाठ्यक्रम का प्रमुख दोष क्या है?(What is the Major Drawback of Current Mathematics courses?):
उत्तर:वर्तमान गणित पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं को करने के लिए प्रक्रियाओं,प्रवृत्तियों और प्रैक्टिकल करने के बारे में कोई निर्देश तथा सुझाव नहीं है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics), गणित शिक्षा के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics Education) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Need to Improve Level of Mathematics
गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता
(Need to Improve Level of Mathematics),
Need to Improve Level of Mathematics
गणित के स्तर में सुधार की आवश्यकता (Need to Improve Level of Mathematics)
लंबे समय से अनुभव की जा रही है।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात
शिक्षा और गणित शिक्षा में अप्रत्याशित वृद्धि और विस्तार हुआ है
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here | |
5. | Facebook Page | click here |
6. | click here |