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Mode

1.बहुलक (Mode):

बहुलक (Mode):सांख्यिकी में बहुलक (या भूयिष्ठक) उस मूल्य को कहते हैं जो समंकमाला में सबसे अधिक बार आता हो अर्थात् जिसकी सबसे अधिक आवृत्ति हो।यह सर्वाधिक घनत्व की स्थिति (Position of Greatest Density) या मूल्यों का अधिक संकेन्द्रण का बिन्दु (Point of Highest Concentration of Values) कहलाता है।क्राक्सटन एवं काउडेन के अनुसार एक समंक-बंटन का बहुलक वह मूल्य है जिसके निकट श्रेणी की इकाइयाँ अधिक से अधिक केन्द्रित होती है।उसे मूल्यों का सबसे अधिक प्रतिरूपी माना जा सकता है।यदि यह कहा जाए कि एक कॉलेज में छात्रवासी विद्यार्थियों का बहुलक-व्यय (Modal Expenditure) सौ रुपए प्रतिमाह है तो इसका अर्थ यह होगा कि उन विद्यार्थियों में से अधिकांश ₹100 मासिक खर्च करते हैं।इसी प्रकार बहुलक लाभ (Modal Profit),काॅलर का बहुलक आकार (Modal Size of the Collar),बहुलक मजदूरी (Modal Wages) आदि का तात्पर्य इन घटनाओं से संबंधित अधिकतम इकाइयों के मूल्य से है। (1.)बहुलक का निर्धारण (Location of the Mode):
व्यक्तिगत श्रेणी (Individual Series):
(i)व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी (Discrete Series) में बदल कर
(ii)सतत श्रेणी (Continuous Series) में बदलाव कर
(iii)मध्यका एवं समान्तर माध्य की सहायता से बहुलक का अनुमान।
(i)खण्डित या विच्छिन्न श्रेणी में बदलना:
जब व्यक्तिगत श्रेणी के अनेक मूल्य दो या दो से अधिक बार पाए जाते हैं तो उन्हें आरोही क्रम के अनुसार रखकर उनके सामने उनकी आवृत्ति लिख दी जाती है।फिर निरीक्षण द्वारा यह देखा जाता है कि अधिकतम आवृत्ति क्या है।यह आवृत्ति का मूल्य ही बहुलक है।
(2.)सतत (अविच्छिन्न) श्रेणी में बदलना:
जब श्रेणी में कोई भी व्यक्तिगत मूल्य एक से अधिक बार न पाया जाता हो तो उसे अविच्छिन्न आवृत्ति-बंटन के रूप में बदलकर अधिकतम आवृत्ति वाला वर्गान्तर ज्ञात कर लेना चाहिए।फिर इस बहुलक-वर्ग (Modal Class) में बहुलक का मूल्य एक सूत्र के प्रयोग द्वारा निश्चित करना चाहिए।
(3.) मध्यका व समान्तर माध्य के आधार पर बहुलक-निर्धारण:
यदि व्यक्तिगत श्रेणी में मध्यका (Median or M),समांतर माध्य (Arithmetic Mean or ) तथा बहुलक अंग्राकित सूत्र द्वारा बहुलक-मूल्य का अनुमान लगाना चाहिए:

Z=3M-2 \bar{X}
खंडित श्रेणी (Discrete Series):खण्डित समंक श्रेणी में बहुलक निरीक्षण द्वारा ज्ञात हो सकता है या समूहन विधि द्वारा।
(i)निरीक्षण रीति (Inspection Method): यह तब अपनाई जाती है जब खण्डित श्रेणी की आवृत्तियाँ नियमित अर्थात् श्रेणी के आरम्भ से आवृत्तियाँ निरंतर बढ़ती रहे,अधिकतम आवृत्ति लगभग केंद्र में हो और उसके बाद से आवृत्तियाँ फिर निरंतर घटने लगे।ऐसी श्रेणी में अधिकतम आवृत्ति बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है।निरीक्षण द्वारा उसका मूल्य ज्ञात कर लिया जाता है।यही बहुलक है।
(ii)समूह रीति (Grouping Method):जब आवृत्तियाँ अनियमित होती है और अधिकतम आवृत्ति ज्ञात करना कठिन हो जाता है तो समूहन रीति का प्रयोग किया जाता है।आवृत्तियाँ अनियमित तब मानी जाती है जब (क)वे अनियमित रूप से कभी बढ़े,कभी घटे
(ख)अधिकतम आवृत्तियाँ दो या दो से अधिक स्थानों पर हों।(ग)अधिकतम आवृत्ति केंद्र में ना होकर समूह के बिल्कुल आरम्भ या बिल्कुल अंत में हो या (घ)अधिकतम आवृत्ति के एक ओर की आवृत्तियाँ दूसरी ओर की आवृत्तियों से बहुत भिन्न हो।
अनियमित आवृत्तियों वाले खण्डित-बंटन में इस रीति द्वारा बहुलक ज्ञात करने की निम्न विधि है:
सर्वप्रथम एक सारणी बनाई जाती है जिसमें चर-मूल्यों के अतिरिक्त आवृत्ति के 6 खाने खींचे जाते हैं। इन 6 खानों में आवृत्तियों का दो-दो और तीन-तीन के समूहों में वर्गण निम्न क्रम से किया जाता है:
प्रथम कॉलम में दी हुई आवृत्तियाँ ही लिखी जाती है।द्वितीय कॉलम में दो-दो के समूह बनाए जाते हैं। तृतीय काॅलम में शुरू की आवृत्ति को छोड़कर दो-दो के समूह बन जाते हैं।चतुर्थ कॉलम में तीन-तीन आवृत्तियों के समूह बनाए जाते हैं।पांचवें काॅलम में शुरू की आवृत्ति को छोड़कर तीन-तीन आवृत्तियों के समूह बनाए जाते हैं।छठे काॅलम में पहली दो आवृत्तियों को छोड़कर तीन-तीन आवृत्तियों के समूह बनाए जाते हैं।
आवृत्तियों का इस प्रकार समूहन करने के बाद प्रत्येक काॅलम की अधिकतम आवृत्ति या आवृत्ति समूह को रेखांकित कर दिया जाता है तथा अधिकतम आवृत्तियों के चर मूल्यों पर चिन्ह लगाकर उनकी गणना कर ली जाती है।जिस मूल्य के सामने अधिकतम चिन्ह होते हैं वही बहुलक का मूल्य होता है।
(4.)अखण्डित या सतत श्रेणी (Continuous Series):
अखण्डित श्रेणी में बहुलक ज्ञात करने के लिए पहले निरीक्षण या समूहन रीति द्वारा बहुलक वर्ग निश्चित कर लिया जाता है।यदि आवृत्तियाँ नियमित है तो निरीक्षण द्वारा ही बहुलक वर्गान्तर (Modal Group) का पता चल जाता है परन्तु अनियमित आवृत्तियों वाली अविच्छिन्न श्रेणी में समूहन द्वारा विश्लेषण करके बहुलक-वर्ग निर्धारित किया जाता है तत्पश्चात् बहुलक-वर्ग की सीमाओं के अन्तर्गत बहुलक का मूल्य निर्धारित करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है:
इस सूत्र में प्रयुक्त विभिन्न चिन्हों का अर्थ इस प्रकार है:

Z=l+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i
Z संकेत का अर्थ है:बहुलक का मूल्य (Value of the Mode)
l संकेत का अर्थ है:बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (lower limit of the modal group)
i संकेत का अर्थ है:बहुलक वर्ग का विस्तार (magnitude of the modal class-interval)
f_{1} संकेत का अर्थ है:बहुलक वर्ग की आवृत्ति (frequency of the modal class)
f_{0} संकेत का अर्थ है:बहुलक-वर्ग से पहले आने वाले अर्थात् उसके कम आकार वाले वर्ग की आवृत्ति (frequency of the pre-modal class that is the class just lower than the modal class)
f_{2} संकेत का अर्थ है:बहुलक वर्ग के तुरंत बाद में आने वाले अर्थात् उससे अधिक आकार वाले वर्ग की आवृत्ति (frequency of the post-modal class that is the class just higher than the modal class)
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2.बहुलक के उदाहरण (Mode Examples):

Example:1.निम्न पदों से बहुलक ज्ञात कीजिए:
33,20,35,50,37,33,35,25,35,34 और 35
Solution:

x f
20 1
25 1
33 2
34 1
35 4
37 1
50 1

अधिकतम आवृत्ति 4 है जिसका मूल्य 35 है।अतः बहुलक Z=35
Example:2.निम्न श्रेणी का बहुलक निकालिए:

आकार आवृत्ति 
4 40
5 48
6 52
7 57
8 60
9 63
10 57
11 55
12 50
13 52
14 41
15 57
16 63
17 52
18 48
19 60

Solution:समूहन द्वारा बहुलक-निर्धारण (Determination of Mode by Grouping)

आवृत्ति

अधिकतम आवृत्तियों        की  संख्या

आकार

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

4

40

5

48

40+48=88

6

52

48+52= 100

40+48+52=140

7

57

52+57= 109

48+52+57=157

|

1

8

60

57+60= 117

52+57+60=169

| | |

3

9

63

60+63= 123

57+60+63=180

| | | | | |

6

10

57

63+57= 120

60+63+57=180

| | |

3

11

55

57+55= 112

63+57+55=175

|

1

12

50

55+50= 105

57+55+50=162

13

52

50+52= 102

55+50+52=157

14

41

52+41=93

50+52+41=143

15

57

41+57=98

52+41+57=150

|

1

16

63

57+63= 120

41+57+63=161

| |

2

17

52

63+52= 115

57+63+52=172

18

48

52+48= 100

63+52+48=163

19

60

48+60= 108

52+48+60=160


उपर्युक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सबसे अधिक (6) बार मूल्य 9 पाया जाता है।अतः बहुलक (Z)=9
Example:3.निम्न बंटन का बहुलक (Mode) ज्ञात कीजिए:
खेतों का केन्द्रीय आकार (एकड़ में) खेतों की संख्या
10 7
20 12
30 17
40 29
50 31
60 5
70 3

Solution:

खेतो का आकार (एकड़ में) खेतों की संख्या (f) 
5-15 7
15-25 12
25-35 17
35-45 29
45-55 31
55-65 5
65-75 3

आवृत्ति अनियमित होने के कारण बहुलक वर्ग का निर्णय समूहन रीति से किया जाएगा।
बहुलक वर्ग का निर्धारण (Location of Modal Group):

आवृत्ति

अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग

वर्गान्तर

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)


दो-दो के जोड़

तीन-तीन के जोड़

5-15

7

15-25

12

7+12=19

|

1

25-35

17

12+17=29

7+12+17=36

| |

2

35-45

29

17+29=46

12+17+29=58

| | | |

4

45-55

31

29+31=60

17+29+31=77

| | | 

3

55-65

5

31+5=36

29+31+5=65

1

65-75

3

5+3=8

31+5+3= 39


उपर्युक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सबसे अधिक (4) बार वर्ग अन्तराल 35-45 आया है।अतः बहुलक वर्ग 35-45 है।
अतः f_{0}=17, \quad f_{1}=29, f_{2}=31, l=35, i=10
बहुलक z =l+\frac{f_{1}-f_{0}}{2f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i \\ =35+\frac{29-17}{2 \times 29-17-31} \times 10 \\ =35+\frac{12}{58-48} \times 10 \\ =35+\frac{120}{70} \\ \Rightarrow z=35+12=47
Example:4.निम्नांकित भूयिष्ठक (Mode) निकालिए:

वर्ग आवृत्ति 
4-8 10
8-12 12
12-16 16
16-20 14
20-24 10
24-28 8
28-32 17
32-36 5
36-40 4

Solution:आवृत्ति अनियमित होने के कारण बहुलक वर्ग का निर्थारण समूहन रीति से किया जाएगा।
बहुलक वर्ग का निर्धारण (Location of Modal Group):

आवृत्ति

अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग

वर्ग

दो-दो के जोड़

तीन-तीन के जोड़ 

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

4-8

10


|

1

8-12

12

10+12=22

| | |

3

12-16

16

12+16=28

10+12+16=38

| | | | |

5

16-20

14

16+14=30

12+16+14=42

| | |

3

20-24

10

14+10=24

16+14+10=40

|

1

24-28

8

10+8=18

14+10+8=32

28-32

17

17+8=25

10+8+17=35

|

1

32-36

5

17+5=22

8+17+5= 30

36-40

4

5+4=9

17+5+4=

26

उपर्युक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सबसे अधिक (5) बार वर्ग अन्तराल 12-16 आया है।अतः बहुलक वर्ग 12-16 है।
अतः f_{0}=12, f_{1}=16, f_{2}=14, \quad l=12, i=4
बहुलक z=l+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i \\ =\frac{12+16-12}{2 \times 16-12-14} \times 4 \\ =12+\frac{4}{32-26} \times 4 \\ =12+\frac{16}{6}=12+\frac{8}{3} \\=12+2.666 \approx 14.67

Example:5.गणित की एक परीक्षा में बैठने वाले 90 परीक्षार्थियों के बहुलक प्राप्तांक (Modal Marks) ज्ञात कीजिए:

प्राप्तांक परीक्षार्थियों की संख्या 
0-10 2
10-20 7
20-30 15
30-40 16
40-50 17
50-60 8
60-70 5
70-80 17
80-90 2
90-100 1

Solution:आवृत्ति अनियमित होने के कारण बहुलक वर्ग का निर्थारण समूहन रीति से किया जाएगा।
बहुलक वर्ग का निर्धारण (Location of Modal Group):

आवृत्ति

अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग

प्राप्तांक

दो-दो के जोड़

तीन-तीन के जोड़ 

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

0-10

2


10-20

7

2+7=9

|

1

20-30

15

7+15=22

2+7+15= 24

| | |

3

30-40

16

15+16=31

7+15+16=38

| | | | |

5

40-50

17

16+17=33

15+16+17=48

| | | |

4

50-60

8

17+8=25

16+17+8=41

|

1

60-70

5

8+5=13

17+8+5= 30



70-80

17

17+5=22

8+5+17= 30

|

1

80-90

2

17+2=19

5+17+2= 24

90-100

1

2+1=3

17+2+1= 20

उपर्युक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सबसे अधिक (5) बार वर्ग अन्तराल 30-40 आया है।अतः बहुलक वर्ग 30-40 है।
अतः f_{0}=15, f_{1}=16, f_{2}=17, \quad l_{1}=30, i=10, \Delta_{1}=f_{1}-f_{0}=16-15=1 , \Delta_{2}=f_{1}-f_{2}=16-17=-1
बहुलक z=l_{1}+ \frac{\Delta_{1}}{\Delta_{1}+\Delta_{2}} \times i \\ =30+\frac{1}{1+1} \times 10 \\ =30+\frac{10}{2} \\ \Rightarrow z=30+5=35
Example:6.निम्न सारणी में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के 65 कर्मचारियों की साप्ताहिक मजदूरी का आवृत्ति बंटन दिया हुआ है:

मजदूरी (रु.) कर्मचारियों की संख्या 
50-60 8
60-70 10
70-80 16
80-90 14
90-100 10
100-110 5
110-120 2

बहुलक मजदूरी (Modal Wages) ज्ञात कीजिए।
Solution:उपर्युक्त सारणी में आवृत्तियाँ नियमित हैं।अतः f_{0}=10, f_{1}=16, f_{2}=14 बहुलक वर्ग=70-80,l=70,i=10
बहुलक z=l+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i \\ =70+\frac{16-10}{2 \times 16-10-14} \times 10 \\=70+\frac{6}{32-24} \times 10 \\ z =70+\frac{6}{8} \times 10 \\=70+\frac{15}{2}=70+7.5=77.5
Example:7.निम्न आवृत्ति बंटन से बहुलक आय (Modal Earnings) निकालिए:

आय: श्रमिकों की संख्या: 
10-19 10
20-29 14
30-39 16
40-49 14
50-59 11
60-69 13
70-79 17
80-89 13

Solution:सर्वप्रथम श्रेणी समावेशी (Inclusive Form) है अतः इसको अपवर्जी श्रेणी (Exclusive Form) में परिवर्तित करते हैं।
अब चूँकि आवृत्ति अनियमित होने के कारण बहुलक वर्ग का निर्थारण समूहन रीति से किया जाएगा।
बहुलक वर्ग का निर्धारण (Location of Modal Group):

आवृत्ति

अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग

दो-दो के जोड़

तीन-तीन के जोड़

आय

(1)

(2)

(3)

(4)

(5)

(6)

9.5-19.5

10

|

1

19.5-29.5

14

10+14=24

| | |

3

29.5-39.5

16

14+16=30

10+14+16=40

| | | |

4

39.5-49.5

14

16+14=30

14+16+14=44

| |

2

49.5-59.5

11

14+11=25

16+14+11=41

59.5-69.5

13

11+13=24

14+11+13=38

| |

2

69.5-79.5

17

13+17=30

11+13+17=41

| | | |

4

79.5-89.5

13

17+13=30

13+17+13=43

| |

2


उपर्युक्त सारणी को देखने से पता चलता है कि सबसे अधिक (4) बार दो वर्ग अन्तराल 29.5-39.5 तथा 69.5-79.5 में आया है।अतः बहुलक वर्ग का निर्धारण निम्न प्रकार करेंगे।

सम्भावित बहुलक वर्ग 29.5-39.5 69.5-79.5
बहुलक वर्ग से पहले की आवृत्ति  14 13
बहुलक वर्ग की आवृत्ति 16 17
बहुलक वर्ग के बाद की आवृत्ति 14 13
आवृत्तियों का योग 44 43

अतः बहुलक वर्ग 29.5-39.5 होगा।अतः f_{0}=14, f_{1}=16, f_{2}=14, l=29.5, i=10
बहुलक z=l+\frac{f_{1}-f_{0},}{2 f_{1}-f_{0}-t_{2}} \times i \\ =29.5+\frac{16-14}{2 \times 16-14-14} \times 10 \\ =29.5+\frac{16-14}{2 \times 16-14-14} \times 10 \\=29.5+\frac{2}{32-28} \times 10 \\ =29.5 + \frac{20}{4}=29.5+5=34.5
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा बहुलक (Mode) को समझ सकते हैं।

3.बहुलक की समस्याएं (Mode Problems):

(1.)निम्न सारणी में एक कक्षा के 50 विद्यार्थियों के भार दिए गए हैं।बहुलक भार (modal weight) ज्ञात कीजिए।

भार (किलो) विद्यार्थियों की संख्या 
48 4
49 10
50 20
51 11
52 3
53 2

(2.)किसी कॉलेज के 230 विद्यार्थियों के कॉलर-माप निम्न विवरण में प्रस्तुत है।काॅलर का बहुलक माप (modal size of the collar) निर्धारित कीजिए।

काॅलर-माप (सेमी)  छात्रों की संख्या 
32 7
33 14
34 30
35 28
36 35
37 34
38 16
39 14
40 36
41 16

उत्तर(Answers):(1.)50 किलो (2.)36 सेण्टीमीटर
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर बहुलक (Mode) को ठीक से समझ सकते हैं।

4.मुख्य बिन्दु (HIGHLIGHTS):

समूहन रीति (Grouping Method):
(1.)समूहन का उद्देश्य अनियमित आवृत्ति वाले बंटन में आवृत्तियों का जमाव-बिन्दु निश्चित करना होता है।
(2.)अधिकतम आवृत्ति निर्धारित करने में निकटतम आवृत्तियों का बहुत प्रभाव पड़ता है।
(3.)अनियमित श्रेणी में बहुलक अधिकतम आवृत्ति का मूल्य न होकर ऐसी आवृत्ति का मूल्य हो सकता है जिसके आसपास अधिक आवृत्तियों का जमाव हो।समूहन से सारी स्थिति स्पष्ट हो जाती है।
सूत्र का आधार (Z=l+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i) : 
(4.)यह सूत्र इस मान्यता पर आधारित है कि बहुलक का मूल्य बहुलक-वर्ग के निकटवर्ती वर्गों की आवृत्तियों से प्रभावित होता है।
(5.)यदि पिछले वर्ग की आवृत्ति अगले वर्ग की आवृत्ति की अपेक्षा अधिक है तो बहुलक-मूल्य बहुलक वर्ग की निम्न सीमा के अधिक निकट होगा।
(6.) इसके विपरीत यदि अगली वर्ग-आवृत्ति अधिक है तो भूयिष्ठक ऊपरी सीमा के अधिक पास होगा।
(7.)इस सूत्र का आधार बिंदु रेखीय प्रदर्शन में आवृत्ति चित्र (histogram) से अधिक स्पष्ट हो जाता है।

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5.बहुलक (Mode) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.भूयिष्ठक (बहुलक) के लाभ बताइए। (Describe the advantage of mode.):

उत्तर:लाभ:बहुलक के निम्नलिखित लाभ हैं:
(1.)सरलता व लोकप्रियता:बहुलक का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वह समझने में तथा ज्ञात करने में अत्यंत सरल होता है।दैनिक जीवन में इसका काफी प्रयोग किया जाता है।दैनिक प्रयोग की वस्तुओं जैसे सिले-सिलाये कपड़ों आदि के संबंध में औसत का तात्पर्य बहुलक आकार से ही होता है।
बहुलक अधिकतर निरीक्षण से ही मालूम हो जाता है।सतत श्रेणी में भी सरल गणन-क्रिया द्वारा ही इसका निर्धारण हो जाता है।
(2.)चरम मूल्यों का न्यूनतम प्रभाव:बहुलक पर श्रेणी के चरम मूल्यों (extreme values) या सीमांत इकाइयों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। नियमित आवृत्ति बंटन में केवल बहुलक-वर्ग या मूल्य और उसके आसपास की आवृत्तियों के आधार पर ही बहुलक निर्धारित किया जा सकता है।सभी आवृत्तियों की जानकारी आवश्यक नहीं है।
(3.) बिंदुरेखीय निर्धारण:बहुलक का मूल्य रेखाचित्र बनाकर भी निर्धारित किया जा सकता है।
(4.)सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व:बहुलक श्रेणी का वह मूल्य है जो सबसे अधिक बार पाया जाता है,अतः वह समूह का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करने वाला अंक है।उसका मूल्य समूह में दिए हुए मूल्य में से एक ही होता है ।

प्रश्न:2.भूयिष्ठक (बहुलक) की हानियाँ बताइए। (Describe the disadvantage of mode.):

उत्तर:दोष- बहुलक में निम्न दोष है:
(1.)अनिश्चित व अस्पष्ट:बहुलक सबसे अधिक अनिश्चित व अस्पष्ट है।यदि सभी पदों की आवृत्तियाँ समान हो तो वह निश्चित नहीं किया जा सकता। कभी-कभी एक समूह में दो या दो से अधिक बहुलक हो सकते हैं।
(2.)बीजगणितीय विवेचन का अभाव:इसका आगे की रीतियों में बहुत कम प्रयोग होता है क्योंकि श्रेणी के सभी पदों पर आधारित न होने के कारण इसका बीजगणितीय विवेचन संभव नहीं है।
(3.)चरम मूल्यों की उपेक्षा:बहुलक सीमांत पदों को कोई महत्व नहीं देता है।अत: जहां सीमांत पदों को भी महत्व देना हो वहां यह सर्वथा अनुपयुक्त है।
(4.)कुल मूल्य ज्ञात ना होना:यदि बहुलक मूल्य और पदों की संख्या ज्ञात हो तो उनकी गुणा करके समूह के सब संबंधों का जोड़ ज्ञात नहीं हो सकता।
(5.)भ्रमात्मक:कभी-कभी समंक श्रेणी का प्रतिनिधित्व नहीं करता।यदि 500 व्यक्तियों में से 5 की मासिक आय ₹50 है बाकी 495 में से प्रत्येक की आय ₹50 से अधिक है तो बहुलक आय ₹50 होगी जो पूरे समूह का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती।₹50 आय तो 500 में से पांच व्यक्तियों की है जबकि इनके 99 गुना (495) व्यक्तियों की आय ₹50 से अधिक है।इस प्रकार कुछ परिस्थितियों में बहुलक से भ्रमात्मक निष्कर्ष निकालते हैं।
(6.)वर्ग विस्तार का प्रभाव:बहुलक मूल्य बहुत कुछ वर्ग-विस्तार पर निर्भर होता है।वर्गान्तरों के विस्तार में परिवर्तन होने पर वह भी भिन्न हो जाता है।

प्रश्न:3.भूयिष्ठक (बहुलक) की उपयोगिता बताइए। (Describe uses of mode.):

उत्तर: इतने दोष होते हुए भी दैनिक जीवन तथा व्यापारिक क्षेत्र में बहुलक का काफी प्रयोग किया जाता है।जब हम यह कहते हैं कि औसत छात्रावासी विद्यार्थी का मासिक व्यय 80 रुपए है, काॅलर का औसत आकार 32 सेंटीमीटर है, टेलीफोन कॉल की दैनिक औसत संख्या 20 है,तो औसत से हमारा तात्पर्य सबसे अधिक आवृत्ति वाले मूल्य अर्थात् बहुलक से होता है।व्यापार तथा वाणिज्य में बहुलक का बहुत प्रयोग होता है। व्यापारिक पूर्वानुमानों में यह माध्य एक महत्वपूर्ण पथ-प्रदर्शक है।उद्योग व प्रशासन के क्षेत्र में बहुलक की सहायता से औसत-उत्पादन ज्ञात किया जाता है जिसके आधार पर विभिन्न कारखानों की तथा उनके अलग-अलग विभागों की कार्यकुशलता की तुलना की जाती है।इसी प्रकार किसी वस्तु के उत्पादन में लगने वाले बहुलक समय के निर्धारण द्वारा उसकी लागत का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।विभिन्न वस्तुओं की लोकप्रियता का अध्ययन बहुलक द्वारा ही किया जाता है।मौसम-संबंधी पूर्वानुमानों में बहुलक का ही प्रयोग किया जाता है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा बहुलक (Mode) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

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Mode

बहुलक (Mode)

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बहुलक (Mode):सांख्यिकी में बहुलक (या भूयिष्ठक) उस मूल्य को कहते हैं जो समंकमाला में
सबसे अधिक बार आता हो अर्थात् जिसकी सबसे अधिक आवृत्ति हो।

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