Missile Man APJ Abdul Kalam
1.मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam),भारतीय मिसाइल के जनक ए पी जे अब्दुल कलाम (The Father of Indian Missiles A P J Abdul Kalam):
- मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वर कस्बे में एक मध्यवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था।उनके नाम में ‘अवुल’,पकीर’ एवं ‘जैनुलाबदीन’ क्रमश: परदादा,दादा एवं पिता के नाम हैं।
- कलाम के पिता ‘जैनुलाबदीन’ और माता ‘आशियाम्मा’ थी।उनके पिता की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और न ही वे बहुत धनी व्यक्ति थे।बावजूद इसके वे बुद्धिमान और उदार व्यक्ति थे।वे लकड़ी की नौकाएं बनाने का काम करते थे।ये नौकाएं तीर्थयात्रियों को रामेश्वरम् से धनुषकोडि तक ले जाने और लाने के काम आती थी।माता गृहिणी थी।
- आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article:Mathematician Rene Descartes
2.एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा (Education of APJ Abdul Kalam):
- प्राथमिक कक्षा रामेश्वरम प्राथमिक शाला से की।उनके साथ रामेश्वरम् के मुख्य पुजारी पक्षी लक्ष्मण शास्त्री का पुत्र रामनाथ शास्त्री भी पढ़ता था।कलाम के पिता और पक्षी लक्ष्मण शास्त्री में मित्रता थी।एक बार स्कूल में नए शिक्षक आए।उन्होंने कलाम और रामनाथ को साथ-साथ अग्रिम पंक्ति में बैठकर पढ़ते हुए देखा।शिक्षक को यह बात अखरी कि एक हिंदू ब्राह्मण,मुस्लिम लड़के के साथ बैठकर पढ़ता है।इसलिए उन्होंने कलाम को उठाकर पीछे बैठा दिया।यह बात पक्षी लक्ष्मण शास्त्री को मालूम हुई।पक्षी लक्ष्मण शास्त्री मुख्य पुजारी होने के नाते बहुत प्रभाव रखते थे।उन्होंने शिक्षक को अपने घर बुलाकर कहा कि निर्दोष बच्चों के मन में सामाजिक असमानता और सांप्रदायिकता का जहर नहीं घोलना चाहिए।शिक्षक ने अपनी भूल स्वीकार कर ली।
- माध्यमिक शिक्षा रामनाथपुरम् के नजदीक श्वार्ट्ज हाईस्कूल में प्रवेश लिया।उन्हें स्कूल जाने में दो घंटे लग जाते थे।विज्ञान और गणित उनके प्रिय विषय थे।यहाँ विज्ञान के शिक्षक अयादूरै सोलोमन का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा।उनका कहना था कि दृढ़ इच्छा शक्ति,आत्मविश्वास और आस्था से जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
- उच्च शिक्षा के लिए 1950 में तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से इंटरमीडिएट करने हेतु प्रवेश दिला दिया।एक दिन कलाम ने समाचार पत्र में आलेख ‘स्प्रिट फायर’ पढ़ा।यह दुनिया का प्रथम रॉकेट था जो आज भी ब्रिटेन के वार म्यूजियम में रखा हुआ है।उन्हें यह आलेख बहुत अच्छा लगा और इसे बार-बार पढ़ने से उनके मन में रॉकेट के बारे में अधिक जानकारी एकत्रित करने की जिज्ञासा पैदा हुई।उन्होंने रामायण और महाभारत जैसे पुराने ग्रंथों का अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला कि मिसाइलों जैसे शस्त्रों का उत्पादन तो हमारे ही पूर्वजों द्वारा किया गया था।
- आकाश,पृथ्वी,त्रिशूल, नाग आदि प्राचीन शस्त्रों के नाम थे।उन्होंने इस दिशा में काम करने का निश्चय कर लिया।उन्होंने बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने 1954 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering) में प्रवेश ले लिया।यहां पढ़ाई का भार परिवार वहन करने में सक्षम नहीं था।अतः उनकी बहन जोहरा ने अपने सोने के गहने गिरवी रखकर कलाम की मदद की।कलाम ने अपना भोजन और पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए बच्चों की ट्यूशन कराना शुरू किया।अंत में उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली।
3.अब्दुल कलाम का करियर (Abdul Kalam’s Career):
- कलाम ने वर्ष1958 में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (Defence Research and Development Organization-DRDO) हैदराबाद (Hyderabad) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के रूप में नौकरी की शुरुआत की।यहाँ उन्होंने ऑफिसर इंचार्ज ‘आर वरदराजन’ की मदद से एक पराध्वनिक लक्ष्यभेदी विमान की डिजाइन तैयार करने में सफलता हासिल की थी।विमानों के रखरखाव का अनुभव हासिल करने के लिए उन्हें एयरक्राॅफ्ट एंड आर्मामेन्ट टेस्टिंग यूनिट,कानपुर (उत्तर प्रदेश) भेज दिया गया।उन्हें वर्ष 1961 में एरोनॉटिकल डेवलपमेंट अथॉरिटी,बंगलौर (कर्नाटक) में प्रतिनियुक्त किया गया जहां उन्होंने ग्राउंड इक्विपमेंट मशीन (जैम) के रूप में स्वदेशी हाॅवरक्राॅफ्ट ‘नंदी’ का निर्माण किया।
- कलाम का वर्ष 1962 में इंडियन कमेटी फाॅर स्पेस रिसर्च में रॉकेट इंजीनियर के पद पर चयन हो गया और उन्हें रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर,थुम्बा (केरल) की स्थापना का जिम्मा सौंपा गया।इस स्थल को बाद में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में विकसित किया गया और उनके मार्गदर्शन में निर्मित पहले राॅकेट ‘रोहिणी-15’ का 20 नवंबर 1967 को सफल प्रक्षेपण किया गया।प्रोफेसर विक्रम साराभाई द्वारा इंडियन सेटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल निर्माण करने का अपना सपना पूर्ण करने हेतु सब वैज्ञानिकों को अलग-अलग काम बांटा गया।परंतु सपना सच होने से पहले ही वे 30 दिसंबर 1971 को चल बसे।
- उनकी याद में थुम्बा परिसर स्थित सभी स्थानों को संपूर्ण अंतरिक्ष केंद्र बनाकर उसका नाम ‘विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर’ रख दिया गया। यही कलाम को एसएलवी-3 (slv-3) परियोजना के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी।आखिर में 18 जुलाई 1980 को श्रीहरिकोटा रॉकेट लॉन्चिंग सेन्टर से एसएलवी-3 ने सफल उड़ान भरी और ‘रोहिणी’ उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया।इस अनूठी उपलब्धि ने भारत को उन गिने चुने देशों के समकक्ष ला खड़ा किया जो उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता रखते थे।इस सफलता पर इंदिरा गांधी ने उनको बधाई दी और उनसे व्यक्तिगत भेंट की।
4.मिसाइल कार्यक्रम की शुरुआत (Launch of Missile Program):
- कलाम ने निदेशक डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) का पद 1 जून 1982 को संभाला।उनके द्वारा यहां इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की 27 जुलाई 1983 से शुरुआत की गई।इसके तहत सर्वप्रथम परीक्षण के तौर पर ‘डेविल मिसाइल’ 26 जून 1984 को दागी गई।भारतीय मिसाइल विकास के इतिहास में यह पहला और बहुत ही महत्त्वपूर्ण कदम था।इसके बाद लगातार पांच मिसाइलों का परीक्षण सफलतापूर्वक होता गया (पृथ्वी,अग्नि,आकाश,त्रिशूल और नाग)।
- पृथ्वी मिसाइल:यह सतह से सतह (जमीन से जमीन) पर मार करनेवाला प्रक्षेपास्त्र है।इसकी मारक क्षमता 150 से 250 किलोमीटर है एवं लाॅन्च सहित इसका कुल भार 14 टन है।यह प्रक्षेपास्त्र 1000 किलोग्राम तक का विस्फोटक अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में समर्थ है।इसका सफल परीक्षण 22 फरवरी 1988 को किया गया।
- अग्नि मिसाइल:यह धरती से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।अग्नि की मारक क्षमता 2500 किलोमीटर है।यह साधारण ईंधन भार के साथ 2500 किलोमीटर जा सकता है और भारी ईंधन के साथ यह 3500 किलोमीटर तक जा सकता है।
- आकाश प्रक्षेपास्त्र:यह धरती से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।इस प्रक्षेपास्त्र में फेज शिफ्टर तकनीक का प्रयोग किया जाता है।इसमें एक साथ चार मिसाइलें दागी जा सकती है।इसकी मारक क्षमता 25 से 30 किलोमीटर है।
- नाग प्रक्षेपास्त्र:यह टैंक विध्वंसक प्रक्षेपास्त्र है।फोकल ऐरे तकनीक के प्रयोग द्वारा एक डिग्री के दसवें भाग के तापान्तर को पहचानने में भी यह सक्षम होता है।इसका निर्देशन एक कंप्यूटर प्रणाली से संयुक्त राडार सिस्टम द्वारा होता है।इसकी मारक क्षमता 14 किलोमीटर है।
- त्रिशूल प्रक्षेपास्त्र:यह कम दूरी से हवा में मार करनेवाला प्रक्षेपास्त्र है।
- डाॅक्टर कलाम ने इन प्रक्षेपास्त्रों के सही एवं प्रभावशाली उपयोग हेतु राडार प्रणाली के विकास को भी महत्वपूर्ण मानते हुए ‘राजेंद्र’,इन्द्र-I एवं इन्द्र-II’ तथा ‘अपर्णा-I’ एवं ‘अपर्णा-II’ पर अनुसंधानात्मक प्रयोग एवं रक्षा प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया।
- इसके अतिरिक्त जलयान प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों धनुष एवं सागरिका का निर्माण भी एक उपलब्धि है।जलीय,थलीय एवं वायुशक्ति में अपूर्व तालमेल स्थापित करने हेतु हल्के लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft) ‘लक्ष्य’ एवं ‘निशान’ चालक रहित अत्याधुनिक विमान भी कलाम निर्देशित प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी के प्रतिफल हैं।
- सबसे रोचक बात यह है कि भारतीय प्रक्षेपास्त्रों के जनक डॉ कलाम ने विदेश में कोई प्रशिक्षण नहीं लिया।भारतीय परमशक्ति के महानायक (The Great Hero of Indian Supreme Power) ने इन सफलताओं का श्रेय स्वयं कभी नहीं लिया बल्कि अपने सहकर्मियों की मिली-जुली क्षमताओं का श्रेय दिया है।ऐसी विलक्षण प्रतिभा से देश को लाभान्वित कराने के लिए रिटायरमेंट की अवधि समाप्त होने पर भी अक्टूबर 1991 से सेवा विस्तार किया गया।अक्टूबर 1994 तक बढ़ी हुई अवधि को भारत सरकार ने अनिश्चितकाल के लिए पुनः बढ़ा दिया था।
Also Read This Article:Mathematician professor Raman Parimala
5.डाॅ अब्दुल कलाम के अन्य कार्य (Other Works of Abdul Kalam):
- वर्ष 1992 से 1999 तक डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के अध्यक्ष भी बने रहे।इसी अवधि में उन्होंने राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित पोकरण में 11 मई एवं 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किए।
- कलाम अन्त में भारत सरकार के रक्षा मन्त्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किए गए और उन्होंने इस पद से 12 नवंबर 2001 को सेवानिवृत्ति प्राप्त कर ली।
सेवानिवृत्ति के बाद वे चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में चले गए जहाँ उन्हें प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया।उन्होंने छह माह की अवधि में लगभग 50 व्याख्यान दिए और 45000 स्कूली बच्चों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अंतः क्रिया की। - कलाम और उनके साथियों ने कई पदार्थों को मिलाकर नया पदार्थ बनाया जिसे उन्होंने ‘कार्बन-कार्बन’ नाम दिया।इसका बहुत हल्का होने एवं 3400 डिग्री सेंटीग्रेड तक ताप सहन करने के कारण मिसाइल में उपयोग किया जाता है।कलाम ने इसका पोलियोग्रस्त बच्चों के कैलिपर्स एवं हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर्स तथा स्टेन्ट बनाने के लिए उपयोग किया है।
- कलाम को अधिकांश राजनीतिक दलों द्वारा 10 जून 2002 को सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिए गए।इस सर्वोच्च पद के लिए पहले सक्रिय और गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं।
6.डॉक्टर अब्दुल कलाम का सम्मान (Honour of Doctor Abdul Kalam):
- कलाम अंतरिक्ष विज्ञान में अर्जित उपलब्धियों के लिए नेशनल डिजाइन अवॉर्ड (1980),डॉ वीरेंद्र राय स्पेस अवार्ड (1980),ओमप्रकाश भसीन पुरस्कार (1986) एवं राष्ट्रीय नेहरू पुरस्कार (1986) से सम्मानित किया गया है।इसके अलावा कलाम भारत सरकार द्वारा पदम विभूषण (1981),पदम भूषण (1990) एवं भारत रत्न (1997) से भी अलंकृत हो चुके हैं।
- इतना ही नहीं उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है: मिसाइल मैन,प्रक्षेपास्त्र पुरुष,एटॉमिक मैन,भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक,भारत के न्यूक्लियर बम्ब के निर्माता,वैल्डर ऑफ पीपुल तथा भारतीय परमशक्ति के महानायक (The Great Hero of Indian Supreme Power) आदि उपाधियाँ भी लगाई जाती है।
- डॉक्टर कलाम इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजिनियर्स के फेलो,इंडियन अकैडमी ऑफ साइंसेज बैंगलोर के फेलो,इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियर्स तथा एस्ट्रोनॉटिवूल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रह चुके हैं।वे इंजीनियरिंग स्टाॅफ कॉलेज ऑफ़ इंडिया के विशिष्ट प्रोफेसर तथा सोसायटी फॉर बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी बैंगलोर के अध्यक्ष रह चुके हैं।
7.डॉक्टर अब्दुल कलाम की सादगी और राष्ट्रप्रेम (Doctor Abdul Kalam’s Simplicity and Love for the Nation):
- कलाम को राॅकेट लाॅन्चिन्ग सेन्टर थुम्बा (केरल) की स्थापना करने का वर्ष 1962 में जिम्मा देने पर उन्हें राॅकेट प्रक्षेपण तकनीकियों का ‘नेशनल एयरोनॉटिकल एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) से छह माह का प्रशिक्षण लेने हेतु अमेरिका भेजा गया।वहाँ उन्होंने अपना काम लैंगसे रिसर्च सेंटर से शुरू किया।यह सेंटर वर्जीनिया राज्य के हैंपटन शहर के पास है तथा नासा का एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के लिए शोध एवं विकास का प्राथमिक केंद्र है।इसके बाद वे मैरीलैंड में ग्रीन बेल्ट स्थित गाॅडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर चले गए।यह सेंटर ज्यादातर नासा के उपग्रहों का विकास करता है और उनके प्रबंधन का काम देखता है।अंत में वे वर्जीनिया के पूर्वी तटीय वैलप फ्लाइट फैसिलिटी गए।यह स्थान नासा के रॉकेट कार्यक्रमों का मुख्य आधार है।कलाम की योग्यता देखते हुए नासा द्वारा उन्हें अमेरिका में ही रुककर काम करने का प्रलोभन दिया लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे अपने देश की सेवा करनी है।मुझे तो मेरे देश की हवा-पानी से प्यार है।इससे उनकी राष्ट्र के प्रति निष्ठा का पता चलता है।
- आजीवन अविवाहित रहने वाले डॉक्टर कलाम में कार्य करते समय अपने सरकारी आवास में मात्र एक कमरे में रहते थे।बाकी सारे कमरों के द्वार उन्होंने उन सभी लोगों के लिए खोल रखे थे जो भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम में उनके हमकदम और हमसफर थे।साधारण सी कमीज,खाकी नेकर और चप्पलें पहने प्रयोगशाला परिसर में उन्हें पैदल आते-जाते देखकर किसी भी कर्मचारी को आश्चर्य नहीं होता था क्योंकि सादगी ही उनका पर्याय था।
- नई दिल्ली के सरकारी गेस्ट हाउस में मात्र दो कमरों में रहते थे।उन्होंने रक्षा विभाग के सचिव तौर पर मिलने वाले लंबे चौड़े,भव्य सरकारी आवास में रहने से मना कर दिया।उनके दोनों कमरे किताबों से भरे पड़े रहते थे जिनमें दर्शन के ग्रन्थ थे,कथा-कहानियों की किताबें थी।डॉक्टर कलाम को वीणा वादन का शौक था।उनके पास एक छोटी सी नोटबुक है जिसमें वे रात को तमिल में कविताएं लिखते थे।उनके तीन प्रमुख शौक थे:पढ़ना,संगीत सुनना और कविताएं लिखना।अपना शौक पूरा करने के लिए वह किसी न किसी तरह वक्त निकाल लेते थे।दिखावे और शानोशौकत से काफी दूर,सहजता ही कलाम की विशिष्टता थी।अपने कार्य के प्रति समर्पित,कर्मनिष्ठ के द्वारा उन्होंने हर भारतीय का दिल छू लिया।
- उपर्युक्त आर्टिकल में मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam),भारतीय मिसाइल के जनक ए पी जे अब्दुल कलाम (The Father of Indian Missiles A P J Abdul Kalam) के बारे में बताया गया है।
8.भारत में रिश्वतखोरी का हाल (Condition of Bribery in India):
- एक छात्र एक बार अपना मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय गया।
- छात्र (बाबू से):बाबूजी ये मेरा मूल निवास आवेदन पत्र है।मुझे मूल निवास प्रमाण पत्र चाहिए।
- बाबू:तहसीलदार साहब से मार्किंग कराके लेकर आओ।
- छात्र:लो बाबू जी तहसीलदारजी ने मार्किंग कर दिया है।
- बाबू:ठीक है,ठीक है।तीन दिन बाद में आना।
- छात्र:परन्तु बाबूजी मुझे काॅलेज में आवेदन पत्र के साथ लगाना है,इसलिए जल्दी बना दो।
- बाबू:मुझे यही काम है क्या?मेरे पास ओर बहुत से काम हैं।अभी तो इसको जांच करने में भी टाइम लगेगा।यदि कोई कमी-खामी रह गई तो उसकी पूर्ति करवानी पड़ेगी।इसलिए तीन दिन बाद भी जरूरी नहीं की बन ही जाए।
- छात्र:उदास होकर लौट आया।
- छात्र का मित्र:आज इस तरह उदास कैसे बैठे हो?
- छात्र:मित्र,क्या करूं?मुझे कॉलेज में आवेदन करना है और उसकी अंतिम तिथि निकलने वाली है।परंतु बाबू ने तीन दिन का नाम लिया है और कहा है कि यदि कोई कमी-खामी रहेगी तो जरूरी नहीं कि तीन दिन में भी बन जाए।बाबू के हावभाव और इससे तो यही लगता है कि तीन दिन में भी मुश्किल से बनेगा।
- छात्र का मित्र:तुमने बाबू को खर्चा-पानी देने के लिए नहीं बोला होगा।
- छात्र:इस छोटे से काम के लिए रिश्वत देनी होगी क्या?
- छात्र का मित्र:तुम भारत की ब्यूरोक्रेसी को नहीं जानते हो।यहां का बाबू अपने आपको कलेक्टर से कम नहीं समझता है।उसकी कलम तभी चलती है जब उसे रिश्वत दी जाए।तुम कल जाकर यह बोलो कि बाबूजी खर्चा-पानी ले लेना।फिर देखना कितनी फुर्ती से प्रमाण पत्र बनता है दूसरे दिन:
- छात्र:बाबूजी, कुछ खर्चा पानी ले लेना और मेरा प्रमाण पत्र बना दो।
- बाबू:ठीक है,ठीक है।एक घंटे बाद आकर ले जाना।छात्र एक घंटे बाद खर्चा-पानी देकर बाबू से अपना प्रमाण पत्र लेकर आ जाता है।यह हाल ब्यूरोक्रेसी का है।इसमें छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी अपने-अपने तरीके से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।इण्टरनेट का तोड़ भी ये अपने तरीके से निकाल ही लेते हैं।हाँ,ऑनलाईन प्रोसेस से भ्रष्टाचार कम जरूर हुआ है पर समाप्त नहीं हुआ है।
9.मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam),भारतीय मिसाइल के जनक ए पी जे अब्दुल कलाम (The Father of Indian Missiles A P J Abdul Kalam) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.एपीजे अब्दुल कलाम ने कौन-कौनसी पुस्तकें लिखी है? (Which book has been written by APJ Abdul Kalam?):
उत्तर:डॉक्टर अब्दुल कलाम द्वारा अंग्रेजी में लिखी गई पुस्तकें हैं:
विंग्स ऑफ फायर,इंडिया 2020:ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम,इग्नाइटेड माइंड:अनलीजिंग द पावर विदिन इंडिया,Spirit of India (स्प्रिट ऑफ इंडिया), Indomitable Spirit
भारत की आवाज,अदम्य साहस,आपका भविष्य आपके हाथ में इत्यादि।
प्रश्न:2.डॉक्टर अब्दुल कलाम का पूरा नाम क्या है? (What are the full named of APJ Abdul Kalam?):
उत्तर:अविल पकीर जैनलाबदीन अब्दुल कलाम (Avil Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam)
कहीं पर अविल पकीर जलालुद्दीन अब्दुल कलाम (Avil Pakir Jalaluddin Abdul Kalam) भी देखने को मिलता है।
प्रश्न:3.एपीजे अब्दुल कलाम के बहुआयामी व्यक्तित्व के बारे में बताएं (Tell us about the Multi-Faceted Personality of APJ Abdul Kalam):
उत्तर:वे एक दार्शनिक भी थे।इसके अलावा डॉक्टर कलाम को वीणा वादन का शौक था।उनके पास एक छोटी सी नोटबुक है जिसमें वे रात को तमिल में कविताएं लिखते थे।उनके तीन प्रमुख शौक थे:पढ़ना,संगीत सुनना और कविताएं लिखना।अपना शौक पूरा करने के लिए वह किसी न किसी तरह वक्त निकाल लेते थे।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam),भारतीय मिसाइल के जनक ए पी जे अब्दुल कलाम (The Father of Indian Missiles A P J Abdul Kalam) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Missile Man APJ Abdul Kalam
मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम
(Missile Man APJ Abdul Kalam)
Missile Man APJ Abdul Kalam
मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम (Missile Man APJ Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को
तमिलनाडु के रामेश्वर कस्बे में एक मध्यवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था।उनके नाम में
‘अवुल’,पकीर’ एवं ‘जैनुलाबदीन’ क्रमश: परदादा,दादा एवं पिता के नाम हैं।
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here | |
5. | Facebook Page | click here |
6. | click here |