Mathematics teacher how to increase quality of teaching?
- गणित अध्यापक,अध्यापन की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं (Mathematics teacher how to increase quality of teaching?):गणित अध्यापक के लिए आवश्यक है कि वह अध्यापन कार्य की रूपरेखा आधुनिक गणित की विषयवस्तु की प्रकृति एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर तैयार करें। आधुनिक गणित वस्तुत: गणित जगत में एक नई क्रांति का संदेश है और हमें पुराने तौर-तरीकों में परिवर्तन करना आवश्यक है।
- गणित का महत्त्व इतना अधिक हो गया है कि सभी भौतिक,जैविक एवं सामाजिक विज्ञानों का विकास गणित पर निर्भर हो गया है ।इसलिए गणित को लोकप्रिय तथा सामान्य व्यक्ति तक ले जाने के लिए इसको पढ़ाने की गुणवत्ता में परिवर्तन करना होगा।इस आर्टिकल में ऐसी टिप्स का वर्णन किया गया है जिनका पालन करने पर गणित पढ़ाने की गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है।
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- (1.)वर्तमान पाठ्यक्रम को नई विधियों से पढ़ाने का प्रयास करें।नवीन पाठ्यक्रमों का कक्षा अध्यापन में समावेश कर अपने विद्यार्थियों में गणित सीखने के प्रति उत्साह एवं जागृति पैदा करें।
- (2.)गणित की विषयवस्तु में हो रहे नहीं नवीन प्रसारों तथा संकल्पनाओं का अध्ययन कर स्वयं को नई चुनौतियों के लिए तत्परता प्रदान करें।
- (3.)गणित कक्षाओं में प्रतिभा संपन्न विद्यार्थियों को आकर्षित करें।वस्तुतः सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी इंजीनियरिंग,कंप्यूटर टेक्नोलॉजी,भौतिक शास्त्र आदि क्षेत्रों में चले जाते हैं।प्राय:दूसरे दर्जे के स्तर के विद्यार्थी ही गणित की ओर आकर्षित होते हैं। फलस्वरूप गणित के क्षेत्र में शोध द्वारा नये विचारों का उत्पादन होता है।गणित अध्यापक का कर्तव्य है कि अपने प्रयासों द्वारा कक्षा में विद्यार्थियों को शोध एवं नवीन चिंतन की और मार्ग प्रशस्त करें।
- (4.)गणित की कक्षाओं में अध्यापन का स्तर अभी भी पिछड़ा हुआ है।गणित के अध्यापन का स्तर ऐसा उत्कृष्ट हो कि हम अधिक से अधिक संख्या में भावी गणितज्ञ होंगे उसी अनुपात में तकनीकी एवं औद्योगिक विकास संभव होंगे।
- (5.)गणित के अध्यापक को यह भली-भांति समझना चाहिए कि गणित का विकास घातांकी नियम के अनुसार हो रहा है।गणित में विषय वस्तु के विकास की कोई आवश्यकता नहीं है गणित में विषय वस्तु के विकास की दर बहुत अधिक हुई है।किंतु अध्यापक के स्वयं की विकास दर नवीन आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है।गणित का अध्यापक पिछड़ गया है।
- (6.)गणित आज भी युवकों का खेल है।गणित में नवीन ज्ञान के विस्फोट के कारण अध्यापकों द्वारा नए प्रारूपों को अपनाने की आवश्यकता है जिससे कि विद्यार्थियों में गणित के नए आयामों टाॅपोलॉजी,जैविक गणित,रैखिक प्रोग्रामन जैसे क्षेत्रों में अध्ययन की ओर आकर्षण में वृद्धि हो। विद्यार्थियों में उत्पाद एवं प्रक्रिया में सहसंबंध स्थापित कर सीखने की क्षमता में वृद्धि हो।
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- (7.) अमेरिका,इंग्लैंड, भारत आदि में जो अब तक गणित अध्यापन संबंधी अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय गोष्ठी हुई है,उनका विचार इस प्रकार है:
- (i)अभ्यास कराने मात्र से गणितीय दक्षतायें संभव नहीं है।
- (ii)गणित की विषयवस्तु का स्तर विश्वस्तरीय होना चाहिए।(iii)हम 21वीं सदी में बीसवीं सदी की गणितीय समस्यायें हल कर रहे हैं इसलिए बहुत पिछड़ गए हैं।
- (iii)गणित एक गतिशील प्रयास है।
- (iv)कक्षा में विद्यार्थियों को गणित खोजने के अवसर प्रदान किए जाएं।कक्षा में निष्क्रियता के स्थान पर ‘Learning by Doing’ को अपनाया जाए।गणित के प्रति संशय को समाप्त किया जाए।
- (v)वर्तमान गणित के पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाया जाए। यूक्लिड ज्यामिति का अध्ययन समाप्त किया जाए। बीजगणित पर आधारित विषय-सामग्री को अध्ययन का आधार बनाया जाए।
- (vi)स्वयंसिद्धि विधि गणित अध्यापन की प्रभावी विधि नहीं है।नई समस्याएं,नवीन परिस्थितियां,नई सोच आधुनिक गणित विषयवस्तु आदि को कक्षाध्यापन का आधार बनाया जाए।
- (8.)गणित अध्यापन का नवीन दर्शन कक्षा के वातावरण में प्रतिबिंबित होना चाहिए।अपने स्तर के गणितज्ञ पैदा करने के लिए कक्षाएं सबसे उपयुक्त स्थान है ।देश के भावी निर्माण कक्षाओं की चारदीवारी में होता है।
- (9.)विद्यार्थियों को अभिग्रहीतों को खोजकर ज्ञात करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए।
- (10.)कक्षा में गणित की विभिन्न संकल्पनाओं में सन्निहित एकता को प्रतिस्थापित करना चाहिए।गणित की समस्त विषय-सामग्री में जो परस्पर सहसंबंध है वह व्याप्त एकता का द्योतक है।
- (11.)ज्यामिति के अध्यापन में प्रमेयों को सिद्ध करने के पश्चात उनका महत्त्व बताया जाए।प्रमेयों को रचनात्मक विधि से सिद्ध करने पर बल दिया जाए।खोज विधि से विद्यार्थियों में सृजनात्मकता,एकाग्रता तथा तार्किकता का विकास होता है।
- (12.)अध्यापक कक्षा में विषय सामग्री के बारे में विद्यार्थियों से प्रश्नोत्तर विधि द्वारा विचारों का आदान प्रदान करें जिससे की विषयवस्तु की गहनता की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया जा सके।
- (13.)कक्षा में गणित विषय को अन्य विषय से संबंधित कर पढ़ाया जाए जिससे की गणित की सार्वभौमिकता का कक्षा में बोध कराया जा सके।
- (14.) सृजनात्मकता गणित शिक्षण की आत्मा है।गणित के अध्यापक के लिए यह अतिआवश्यक है कि सृजनात्मक वातावरण का निर्माण कर गणित के प्रति विद्यार्थियों में रुचि एवं उत्साह पैदा करें।
- (15.)विश्व एवं भारत के गणितज्ञों की जीवनीयों को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाए जिससे कि विद्यार्थी गणित के विकास एवं विस्तार की जानकारी प्राप्त कर महान् गणितज्ञों के योगदान से प्रेरणा प्राप्त कर सके।
3.गणित अध्यापकों को सुझाव(Tips to mathematics teachers)-
- गणित की कक्षाओं में गणित विषय सीखने में आनंद की अनुभूति के साथ-साथ मनोरंजन भी हो तो विद्यार्थियों को गणित विषय में सुंदरता की अनुभूति होगी।मार्टिन गार्डनर ने लिखा है “मनोरंजन गणित का शैक्षिक महत्त्व है।”गणित में मनोरंजन के साथ-साथ गणित के उपयोगों का प्रस्तुतीकरण इस विषय को सारगर्भित बनाता है।
- गणित के अध्यापक को गणित के क्रमिक विकास के इतिहास का ज्ञान आवश्यक है गणित को वास्तविक संसार से जोड़ना आवश्यक है।गणितज्ञों की जीवनीयां भी गणित के विकास का प्रेरणादायक इतिहास है।नवीन गणित संरचनाओं का उद्गम वास्तविक संसार ही है।गणित को सृजनात्मक बनाने हेतु अध्यापक के लिए गणित के इतिहास की जानकारी रचनात्मक सिद्ध होगी।गणित के इतिहास में 4 अक्टूबर,1957 एक महत्वपूर्ण दिन है जब रूस ने प्रथम बार अंतरिक्ष में स्पूतनिक भेजा था।इस घटना ने रूस में गणित की श्रेष्ठता को स्थापित किया एवं अमेरिका ने अपने गणित पाठ्यक्रमों को प्रगतिशील बनाने हेतु नवीन गणित का समावेश किया।सारे विश्व में गणित अध्यापन क्रांति का सूत्रपात हुआ और इसका लाभ भारत को मिला।
- आज भारत में गणित अध्यापन में नवीन गणित का समावेश किया जा चुका है तथा एकीकृत गणित के पाठ्यक्रमों को स्थान दिया गया है।शैक्षिक तकनीकी का प्रभाव गणित के पाठ्यक्रमों पर स्पष्ट दिखाई देता है।गणित के अध्यापक को नवीन गणित की भावना के साथ आत्मसात करना चाहिए।नवीन गणित में सृजनात्मकता खोज,एकीकरण,अनुप्रयोग आदि को प्रमुख स्थान दिया गया है।फलस्वरूप गणित-अध्यापन का स्वरूप बदला जा चुका है।परंपरागत गणित अध्यापन में व्याप्त निष्क्रियता ,क्रूरता,अरूचिपूर्ण विषय वस्तु को दूर करने हेतु नए पाठ्यक्रमों का सृजन किया गया है। विश्व के प्रसिद्ध गणितज्ञों के निर्णय ‘Eculid must go’ ने गणित पाठ्यक्रमों में संख्या प्रणाली,आधुनिक बीजगणित,गणितीय सांख्यिकी ,प्रायिकता सिद्धांत ,संख्या विश्लेषण, रैखिक प्रोग्रामन, संक्रिया विज्ञान आदि को एकीकृत रूप में सम्मिलित किया गया है ।गणित के अध्यापक के लिए यह आवश्यक है कि कक्षा अध्यापन की गुणवत्ता में वृद्धि करने हेतु गणित जगत् में नए आयामों के प्रभावों का सही मूल्यांकन करें।कंप्यूटर हमारे वर्तमान जीवन में क्रांति का द्योतक है।कंप्यूटर को गणित अध्यापन में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
- हमारे देश में लाखों अध्यापक विद्यालयों में गणित पढ़ा रहे हैं।लगभग 60% अध्यापक नवीन गणित अध्यापक के लिए प्रशिक्षित नहीं है गणित अध्यापन के लिए प्रशिक्षित नहीं है। गणित अध्यापन के घटिया स्तर के लिए गणित शिक्षकों में समुचित प्रशिक्षण का अभाव उत्तरदायी है।इन अध्यापकों को ग्रीष्म सस्थायें, पत्राचार पाठ्यक्रम,टी.वी.पाठ,खुला विश्वविद्यालय, सेवाकालीन सप्ताहांत संस्थायें, फिल्मों आदि के माध्यम से समुचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणित अध्यापक,अध्यापन की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं (Mathematics teacher how to increase quality of teaching?) के बारे में बताया गया है.
4.समीक्षा(Review)-
- वर्तमान में गणित के अध्यापन में पुराने तौर-तरीकों से ही पढ़ाया जाता है।इसके स्थान पर गणित अध्यापन की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु नवीन तकनीक व तौर-तरीकों की आवश्यकता है। आधुनिक तरीकों से गणित अध्यापन को रोचक व गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकता है। इसके लिए प्रोजेक्टर,कम्प्यूटर इत्यादि को प्रयोग किया जा सकता है।अध्यापक को समय-समय पर अपने अध्यापन की कार्यप्रणाली को जांच करने हेतु बदलाव करते रहना चाहिए। हमेशा अपने आपको अपडेट रखना चाहिए।
- उपर्युक्त विवरण में गणित अध्यापक,अध्यापन की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं (Mathematics teacher how to increase quality of teaching?) की समीक्षा की गई है.
Mathematics teacher how to increase quality of teaching?
Mathematics teacher how to increase quality of teaching?
गणित अध्यापक,अध्यापन की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएं
(Mathematics teacher how to increase quality of teaching?):
गणित अध्यापक के लिए आवश्यक है कि वह अध्यापन कार्य की रूपरेखा आधुनिक गणित
की विषयवस्तु की प्रकृति एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर तैयार करें।
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