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Mathematics of Solar Eclipses

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1 1.सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses):
2 2.सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses):

  • सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses):ग्रहण कई प्रकार का हो सकता है।जैसे सूर्यग्रहण,चंद्रग्रहण तथा अन्य ग्रहों के चंद्रमाओं का ग्रहण।

(1.)सूर्यग्रहण (Solar Eclipse):

  • चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है तथा चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है।पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है।जब चंद्रमा सूर्य तथा पृथ्वी के बीच आ जाता है तो चंद्रमा सूर्य को आच्छादित कर लेता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंचता है।चंद्रमा की छाया पृथ्वी पड़ने लगती है।पृथ्वी के जिस भाग में सूर्य बिल्कुल दिखाई नहीं देता है तो उस भाग में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई पड़ता है।पृथ्वी के जिस भाग में रह रहे लोगों को चंद्रमा की छाया के कारण सूर्यग्रहण आंशिक दिखलाई पड़ता है उसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं।अतः पृथ्वी पर कहीं पूर्ण सूर्यग्रहण व कहीं आंशिक सूर्यग्रहण दिखलाई पड़ता है तथा यह चन्द्रमा के सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाने के कारण होता है।

(2.)पूर्ण सूर्यग्रहण (Total solar eclipse):

  • सूर्यग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है।पूर्ण सूर्यग्रहण पृथ्वी के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है।ज्यादा से ज्यादा 250 किलोमीटर के क्षेत्र में।इस क्षेत्र के बाहर आंशिक (खंड) ग्रहण ही दिखाई देता है।पूर्ण सूर्यग्रहण के समय चंद्रमा को सूर्य के सामने से गुजरने में 2 घंटे लगते हैं।चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से ज्यादा से ज्यादा 7 मिनट तक ढकता है।इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा छा जाता है या यूं कह सकते हैं कि दिन में ही रात हो जाती है।जैसा कि 1999 के सूर्य ग्रहण में देखा गया।

(3.)आंशिक सूर्यग्रहण (Partial solar eclipse):

  • आंशिक सूर्य ग्रहण में जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस प्रकार से आ जाता है कि सूर्य का कुछ भाग ही पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात् चंद्रमा सूर्य के केवल कुछ भाग को ही आच्छादित करता है।इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण (ग्रास) में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है।इस प्रकार पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक ग्रहण कहलाता है।जैसे कि 23 अक्टूबर 2014 का सूर्यग्रहण।

(4.)वलयाकार सूर्यग्रहण (Annular solar eclipse):

  • वलयाकार सूर्यग्रहण में जब चंद्रमा पृथ्वी के काफी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है अर्थात् चंद्रमा सूर्य को इस प्रकार ढकता है कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता है बल्कि सूर्य का बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है।वलय या कंगन के आकार में बने ग्रहण को ही वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं।जैसे कि 20 मई 2012 के सूर्य ग्रहण में देखा गया था।

(5.)सूर्य ग्रहण होने के लिए आवश्यक शर्तें (Prerequisites for a solar eclipse to occur):

  • चंद्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना चाहिए।उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखा को देशांतर रेखाएं (Longitude) कहा जाता है।भूमध्य रेखा के चारों ओर वृत्ताकार में जाने वाली रेखाओं को अक्षांश रेखाएं (Latitude) कहा जाता है।
  • सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या को ही होता है।जब चंद्रमा क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न और दीप्त हो।ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा और राहु या केतु के देशांतर के बहुत निकट होने चाहिए चन्द्रमा का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिए यह तब होगा जब चंद्रमा सूर्यमार्ग पर या सूर्यमार्ग के निकट हो, सूर्यग्रहण के दिन सूर्य और चंद्रमा के कोणीय व्यास एक समान होते हैं।
  • भारतीय ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा के परिक्रमा पथों के आपस में काटने के दो बिंदुओं के द्योतक हैं जो पृथ्वी के सापेक्ष एक दूसरे के उल्टी दिशा में (180°) स्थित रहते हैं।चूँकि ये ग्रह कोई खगोलीय पिंड नहीं है,इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है।

(6.)खगोलशास्त्रियों द्वारा सूर्यग्रहण की गणनाएं (Solar eclipse calculations by astronomers):

  • खगोलशास्त्रियों ने गणित के आधार पर निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चंद्र ग्रहण होते हैं।एक वर्ष में पांच सूर्यग्रहण तथा 2 चंद्रग्रहण तक हो सकते हैं।परंतु एक वर्ष में दो सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए।हां यदि किसी वर्ष दो ही ग्रहण हुए तो वो दोनों ही सूर्यग्रहण होंगे।हालांकि वर्ष भर में 7 ग्रहण संभावित हैं तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम देखने को मिलते हैं।
  • प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन व्यतीत हो जाने पर पुनः होता है।किंतु वह अपने पहले के स्थान में ही हो यह निश्चित नहीं है क्योंकि संपात बिंदु निरंतर चल रहे हैं।
  • साधारणतया सूर्यग्रहण की अपेक्षा चंद्रग्रहण अधिक देखे जाते हैं परंतु सत्यता तो यह है कि चंद्रग्रहण से कहीं अधिक सूर्य ग्रहण होते हैं।तीन चंद्र ग्रहण पर चार सूर्यग्रहण का अनुपात आता है।चंद्रग्रहण अधिक देखे जाने का कारण यह है कि पृथ्वी के वे पृथ्वी के आधे से अधिक भाग में दिखलाई पड़ते हैं जबकि सूर्यग्रहण पृथ्वी के बहुत बड़े भाग में प्राय: सौ मील से कम चौड़े और 2000 से 3000 मील लम्बे भाग में दिखाई पड़ते हैं।उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में खग्रास (पूर्ण सूर्यग्रहण) हो तो गुजरात में आंशिक (खण्ड सूर्यग्रहण) सूर्यग्रहण ही दिखाई देगा जबकि उत्तर भारत में दिखाई ही नहीं देगा।

(7.)वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सूर्यग्रहण का महत्त्व (Importance of solar eclipse in scientific point of view):

  • 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक ने सूर्यग्रहण के अवसर पर ही वर्णमंडल में हीलियम गैस का पता लगाया।
    इसी प्रकार महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने सूर्यग्रहण के अवसर पर ही यह सिद्ध किया कि अन्य पिण्डों के गुरुत्वाकर्षण से प्रकाश के पड़ने की बात कही थी।
  • चन्द्रग्रहण को तो अपने सम्पूर्ण क्षेत्र में देखा जा सकता है परंतु सम्पूर्ण सूर्यग्रहण अधिकतम 10 हजार किलोमीटर लम्बे ओर 250 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में ही देखा जा सकता है।सम्पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि अधिक से अधिक 11 मिनट हो सकती है उससे अधिक नहीं।

(8.)भारतीय वैदिक काल से सूर्य ग्रहण की गणना (Calculation of solar eclipse from Indian Vedic period):

  • वैदिक काल से ही खगोलीय संरचना पर आधारित कैलेंडर की आवश्यकता अनुभव की।सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण तथा उसकी पुनरावृत्ति की पूर्व सूचना वैदिक काल से ही ज्योतिषियों को थी।ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था।वेदांग ज्योतिष का महत्त्व हमारे वैदिक पूर्वजों के महान ज्ञान को प्रतिबिंबित करता है। महर्षि अत्रिमुनि ग्रहण के ज्ञान को देने वाले प्रथम आचार्य थे।
  • प्राचीन काल में कुछ लोग मानते थे कि ग्रहणों के समय राहु-केतु नाम के कोई राक्षस सूर्य या चंद्रमा को खा जाते हैं। परंतु महान गणितज्ञ आर्यभट ने स्पष्ट रूप से प्रथम बार यह प्रतिपादित किया कि पृथ्वी की छाया जब चंद्रमा पर पड़ती है तो  चन्द्रग्रहण होता है और चन्द्रमा की छाया जब पृथ्वी पर पड़ती है तो सूर्यग्रहण होता है।
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(9.)पृथ्वी,चंद्रमा और सूर्य का आकार और आपस में दूरी (Size and distance between Earth, Moon and Sun):

  • पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास 40,075 किमी तथा ध्रुवीय व्यास 40,000 किमी है।सूर्य का व्यास 13,92,000 किलोमीटर है।पृथ्वी अपनी धुरी पर लंबवत् अक्ष से 23°32′ (लगभग 23.5°) झुकी हुई है।
  • सूर्य द्वारा अपनी धुरी पर परिभ्रमण की गति 7050 किलोमीटर/घंटा है।सूर्य तथा पृथ्वी के बीच बुध एवं शुक्र ग्रह स्थित हैं।सूर्य का आकार पृथ्वी से 13 लाख गुना जबकि पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14 करोड़ 70 लाख किलोमीटर और 15 करोड़ 20 लाख किलोमीटर के बीच है।चंद्रमा की दूरी 360,000 किलोमीटर और 406,000 किलोमीटर के बीच है।
  • आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (बड़ा से छोटा):बृहस्पति,शनि,वरुण,अरुण,पृथ्वी,शुक्र,मंगल,प्लूटो तथा बुध।
    सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम:बुध,शुक्र,पृथ्वी,मंगल,बृहस्पति,शनि,यूरेनस,नेप्चून तथा प्लूटो।
  • पृथ्वी से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम:शुक्र,मंगल,बुध,बृहस्पति,शनि,यूरेनस,नेप्चून तथा प्लूटो।बुध,शुक्र,पृथ्वी तथा मंगल को सौरमंडल के आंतरिक ग्रह की संज्ञा दी जाती है।बृहस्पति,शनि,यूरेनस,नेप्चून तथा प्लूटो की गणना बाह्य ग्रहों में की जाती है।बुध या मर्करी सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह जबकि बृहस्पति (Jupiter) सबसे बड़ा ग्रह है।

(10.)चंद्रमा का व्यास सूर्य के व्यास की अपेक्षा कई सौ गुना छोटा है फिर भी चंद्रमा सूर्यग्रहण के समय सूर्य को पूरा ढक लेता है क्यों? (The diameter of the Moon is several hundred times smaller than the diameter of the Sun, yet the Moon completely covers the Sun during a solar eclipse. Why?):

  • इसका उत्तर है सूर्यग्रहण के समय चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है।तीनों एक रेखीय होते हैं।पृथ्वी से चंद्रमा की अपेक्षा सूर्य की दूरी 1000 गुना है।सूर्य चन्द्रमा से 15 करोड़ 20 लाख किलोमीटर (152,000,000/360,000) या लगभग 422 गुना अधिक दूर है।जो सूर्य और चन्द्रमा के स्पष्ट आकार को लगभग समान बनाने का कारण बनता है।सूर्य और चन्द्रमा दोनों के द्वारा आंख पर बने दर्शन कोण लगभग बराबर होते हैं।अतः चंद्रमा सूर्य को पूरा ढक लेता है।सूर्य के व्यास और चंद्रमा के व्यास का अनुपात 1391000 किलोमीटर/3475 किलोमीटर है या चन्द्रमा के व्यास का लगभग 400 गुना बड़ा है।
  • पूर्ण सूर्य ग्रहण के पीछे का गणित (The Math Behind Total Solar Eclipses),सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses):
  • एक साधारण उदाहरण के रूप में, यदि आप 50 और 100 मीटर दूर दो समान पेड़ों की स्पष्ट ऊंचाई की तुलना करते हैं, तो आप पाएंगे कि अधिक दूर का पेड़ 50/100 या आधा लंबा प्रतीत होता है।

(11.)सूर्य ग्रहण का गणितीय सूत्र (Mathematical formula for solar eclipse),सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses):

  • आने वाले सूर्यग्रहण के सही समय और जगह की गणना पूर्व में कैसे कर ली जाती है।अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार बीते वर्षों के रिकॉर्ड और डायरेक्ट ऑब्जरवेशन से प्राप्त dT वैल्यूज का उपयोग करते हुए -1999 से +3000 के अंतराल के दौरान किसी भी समय आने वाले dT वैल्यूज को एक सरल पॉलिनॉमियल द्वारा पता किया जा सकता है: वर्ष 2005 से 2050 तक के लिए
    ΔT = 62.92 + 0.32217 * t + 0.005589 * t^2
    जहां: t = y – 2000
    और y = year + (month – 0.5)/12
  • यहां ΔT कितने पिछले ग्रहण से अगले ग्रहण के बीच का समय है और y पिछले ग्रहण का वर्ष है।यह फार्मूला देखने में जरूर कठिन लगता है लेकिन दो वैल्यूज से इसका मान ज्ञात किया जा सकता है।
    उपर्युक्त विवरण में सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses) के बारे में बताया गया है।

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2.सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.आप सूर्य ग्रहण की गणना कैसे करते हैं? (How do you calculate a solar eclipse?):

उत्तर:सूर्य ग्रहण के दौरान,चंद्रमा की छाया शंकु-छाया (umbra) और आंशिक छाया(penumbra)-पृथ्वी के चेहरे पर घूमती है (सूर्य के ग्रहण की आकृति देखें), जबकि, उसी समय,पृथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है।गर्भनाल (umbra) से आच्छादित संकीर्ण क्षेत्र के भीतर,ग्रहण पूर्ण है।ऊपर Mathematics of Solar Eclipses सूत्र दिया है।

प्रश्न:2.गणित ग्रहण क्या है? (What is math eclipse?):

उत्तर:ग्रहण की घटना का पता लगाने के लिए विभिन्न गणितीय विधियों का उपयोग किया जाता है।भारतीय शास्त्रीय सिद्धांत ग्रंथों में ग्रहण की गणना सूर्य,चंद्रमा और आरोही या अवरोही नोड (ascending or the descending node) की सही स्थिति (देशांतर,longitudes) पर आधारित है,भारतीय भाषा (Indian parlance) में इसे राहु या केतु कहा जाता है।Mathematics of Solar Eclipses के द्वारा पहले ही सूयग्रहण का पता चल जाता है।

प्रश्न:3.4 प्रकार के सूर्य ग्रहण कौनसे होते हैं? (What are the 4 types of solar eclipses?):

उत्तर:सूर्य ग्रहण चार प्रकार के होते हैं:पूर्ण (total eclipses),आंशिक (partial eclipses),वलयाकार (annual eclipses) और संकर (hybrid eclipses)।पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य चंद्रमा द्वारा पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है।

प्रश्न:4.ग्रहण का चक्र क्या है? (What is the cycle of an eclipse?):

उत्तर:ग्रहण चक्रों में एक अवधि होती है जिसमें एक निश्चित संख्या में सिनोडिक महीनों (synodic months) की संख्या ड्रेकोनिक महीनों (draconic months) की एक पूर्णांक या अर्ध-पूर्णांक संख्या के बराबर होती है: ग्रहण के बाद की एक ऐसी अवधि,एक syzygy (अमावस्या या पूर्णिमा) [syzygy (new moon or full moon)] फिर से एक नोड के पास होती है।ग्रहण पर चंद्रमा की कक्षा और फिर से ग्रहण लग सकता है।

प्रश्न:5.सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को क्या रोकता है? (What blocks the sun during a solar eclipse?):

उत्तर:सूर्य ग्रहण में सूर्य पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है।पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान,चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है।यह सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देता है।

प्रश्न:6.सूर्य ग्रहण का सही समय क्या है? (What is the exact time of solar eclipse?):

उत्तर:सबसे पहले,आंशिक ग्रहण (partial eclipse) भारतीय मानक समय के लगभग 11:42 बजे शुरू होगा और वलयाकार (annular eclipse) ग्रहण दोपहर 3:30 बजे से प्रतीत होगा और 4:52 बजे तक जारी रहेगा,हालांकि किसी विशेष क्षेत्र के लिए अलग-अलग अंतराल के लिए,किसी की भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है।आंशिक ग्रहण (partial eclipse) भारतीय समयानुसार शाम करीब 6:41 बजे समाप्त होगा।

प्रश्न:7.आमतौर पर सूर्य ग्रहण का नाम किसके लिए रखा जाता है? (What are solar eclipses usually named for?):

उत्तर:सूर्य ग्रहणों को आमतौर पर उनके सबसे गहरे (darkest) या अधिकतम (maximum),बिंदु के लिए नामित किया जाता है।अपवाद संकर ग्रहण है।सूर्य ग्रहण का सबसे काला बिंदु (darkest point) एक छोटे से क्षेत्र से ही दिखाई देता है।

प्रश्न:8.क्या कोई चंद्र ग्रहण है? (Is there a moon eclipse?):

उत्तर:तीन अलग-अलग प्रकार के ग्रहणों के कारण कोई भी चंद्र ग्रहण एक जैसा नहीं होता है।उदाहरण के लिए,पिछला पूर्ण चंद्रग्रहण जनवरी 2019 में था।अमेरिका में अगला चंद्रग्रहण 26 मई, 2021 और उसके बाद 16 मई, 2022 को होगा।

प्रश्न:9.सबसे दुर्लभ ग्रहण कौन सा है? (What is the rarest eclipse?):

उत्तर:शुक्र का पारगमन (Transit of Venus)
सबसे दुर्लभ ग्रहण: शुक्र का पारगमन (Transit of Venus) |

प्रश्न:10.किस प्रकार का सूर्य ग्रहण सबसे आम है? (Which type of solar eclipse is most common?):

उत्तर:आंशिक सूर्य ग्रहण (partial solar eclipse)
आंशिक सूर्य ग्रहण (partial solar eclipse) सबसे सामान्य प्रकार का सूर्य ग्रहण है।वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular solar eclipse):चंद्रमा सूर्य को इस तरह से अवरुद्ध करता है कि सूर्य की परिधि (periphery) दिखाई देती है।

प्रश्न:11.क्या सूर्य ग्रहण पीरियड्स को प्रभावित करता है? (Does solar eclipse affect periods?):

उत्तर:हाँ,ग्रहण नरक के रूप में अच्छा था।लेकिन आपकी अवधि के समय तक कुछ भी करने की इसकी शक्ति अप्रमाणित है।महिलाओं के स्वास्थ्य विशेषज्ञ और लाइसेंस प्राप्त एक्यूपंक्चर चिकित्सक क्रिस्टन बुरिस (Kristen Burris) कहते हैं, “हमारे पास यह साबित करने के लिए वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं कि ग्रहण होने पर आपके मासिक धर्म चक्र पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न:12.हर 18 साल में क्या होता है? (What happens every 18 years?):

उत्तर:2 जुलाई 2019 को,पृथ्वी पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse) का निर्माण करते हुए चंद्रमा की छाया को पार कर जाएगी।हर 18 साल,11 दिन और आठ घंटे में हमारे ग्रह के एक संकीर्ण क्षेत्र (narrow swathe) में कुछ अविश्वसनीय होता है क्योंकि सूर्य,चंद्रमा और पृथ्वी पूर्ण चक्र में आते हैं।

प्रश्न:13.सूर्य ग्रहण के दौरान हमें बाहर क्यों नहीं जाना चाहिए? (Why we should not go out during solar eclipse?):

उत्तर:आपको बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि सूर्य ग्रहण के दौरान कई विकिरण उत्सर्जित होते हैं जो हानिकारक होते हैं।सूर्य ग्रहण को सीधे देखने से स्थायी अंधापन हो सकता है।

प्रश्न:14.क्या सूर्य ग्रहण खतरनाक है? (Is Surya Grahan dangerous?):

उत्तर:सूर्य ग्रहण लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है अगर वे इसे सीधे देखें।विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसी व्यक्ति को सूर्य ग्रहण को बिना सुरक्षा के कभी नहीं देखना चाहिए क्योंकि सूर्य हानिकारक किरणें उत्सर्जित करता है जो मानव आंख की रेटिना को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है।

प्रश्न:15.सूर्य ग्रहण क्यों खतरनाक है? (Why solar eclipse is dangerous?):

उत्तर:सूर्य ग्रहण के दौरान आंखों की उचित सुरक्षा के बिना अपनी आंखों को सूर्य के सामने रखने से “एक्लिप्स ब्लाइंडनेस (eclipse blindness)” या रेटिनल बर्न (retinal burns) हो सकता है,जिसे सोलर रेटिनोपैथी (solar retinopathy) भी कहा जाता है।प्रकाश के संपर्क में आने से रेटिना (आंख के पीछे) में कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है या नष्ट भी हो सकता है जो कि आप जो देखते हैं उसे मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं।

प्रश्न:16.क्या भारत में 2020 में कोई सूर्य ग्रहण है? (Is there any solar eclipse in 2020 in India?):

उत्तर:भारत में सूर्य ग्रहण 2020 तिथि और समय: 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा।यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण (annular solar eclipse) होगा,जिसके दौरान चंद्रमा आकाश में दिखाई देने वाले प्रकाश की वलय (ring of light) को छोड़कर केंद्र से सूर्य को ढक लेगा।  .

प्रश्न:17.मैं सूर्य ग्रहण को सुरक्षित रूप से कैसे देख सकता हूँ? (How can I watch the solar eclipse safely?):

उत्तर:नासा बताते हैं कि ग्रहण के चश्मे (eclipse glasses) या हाथ से पकड़े हुए सौर दर्शकों (hand-held solar viewers) का उपयोग करना सीधे ग्रहण देखने का एकमात्र सुरक्षित तरीका है।सूर्य ग्रहण के दौरान उत्सर्जित प्रकाश को पर्याप्त रूप से फ़िल्टर करने के लिए नियमित धूप का चश्मा या घर का बना फ़िल्टर पर्याप्त नहीं है।

प्रश्न:18.क्या हम सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जा सकते हैं? (Can we go out during Surya Grahan?):

उत्तर:ग्रहण के दौरान,सूर्य और चंद्रमा एक तरह से आग का वलय (ring of fire) बनाने के लिए स्थित होते हैं।चूंकि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढकता नहीं है,इसलिए सूर्य के किनारे प्रकाशित (illuminated) होते हैं।सूर्य ग्रहण से जुड़ी कई पारंपरिक मान्यताएं हैं,जिनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए।

प्रश्न:19.हर 100 साल में कौन सा ग्रहण होता है? (What eclipse happens every 100 years?):

उत्तर:पृथ्वी पर किसी भी स्थान पर,पूर्ण ग्रहण हर सौ साल में केवल एक बार होता है,हालांकि चयनित स्थानों के लिए वे कुछ वर्षों के अंतराल में ही हो सकते हैं।एक उदाहरण 21 अगस्त,2017 और 8 अप्रैल,2024 के ग्रहण हैं,जिन्हें कार्बोन्डेल (Carbondale),इलिनोइस (Illinois) के पास एक ही स्थान पर देखा जाएगा।

प्रश्न:20.क्या सूर्य ग्रहण शुभ है? (Is solar eclipse good luck?):

उत्तर:आधुनिक युग में सूर्य अंधविश्वास
दुनिया भर में बहुत से लोग अभी भी ग्रहणों को बुरे शगुन (evil omens) के रूप में देखते हैं जो मृत्यु (,विनाश (destruction) और आपदा (disasters) लाते हैं।भारत के कई हिस्सों में,लोग सूर्य ग्रहण के दौरान इस विश्वास (belief) के कारण उपवास करते हैं कि ग्रहण के दौरान पकाया गया कोई भी भोजन जहरीला (poisonous) और अशुद्ध (unpure) होगा।

प्रश्न:21.क्या सूर्य ग्रहण दुर्लभ है? (Is solar eclipse good luck?):

उत्तर:पूर्ण सूर्य ग्रहण दुर्लभ घटनाएँ हैं।यद्यपि वे औसतन हर 18 महीने में पृथ्वी पर कहीं न कहीं होते हैं,यह अनुमान लगाया जाता है कि वे किसी भी स्थान पर हर 360 से 410 वर्षों में औसतन केवल एक बार पुनरावृत्ति करते हैं।

प्रश्न:22.क्या हम सूर्य ग्रहण में पानी पी सकते हैं? (Can we drink water in Surya Grahan?):

उत्तर:ग्रहण के दौरान पानी पीना है या नहीं
इस समय पानी पीने से भी परहेज किया जाता है,लेकिन जरूरत पड़ने पर गुनगुना,उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी जाती है।

प्रश्न:23.क्या सूर्य ग्रहण से प्रेग्नेंसी प्रभावित होती है? (Does solar eclipse affect pregnancy?):

उत्तर:ज्योतिष विद्वानों (astrological scholars) के अनुसार सूर्य ग्रहण गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है,क्योंकि इस दौरान बुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

प्रश्न:24.सूर्य ग्रहण की खोज किसने की? (Who discovered solar eclipse?):

उत्तर:आर्यभट (Aryabhatta)
इन रंगों को समग्रता से शुरू होने वाले ग्रहणों के आधुनिक विवरण के साथ पहचाना जा सकता है।499 ईस्वी में महान भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री (astronomer),आर्यभट ने समझाया कि ग्रहण इसलिए होते हैं क्योंकि या तो चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है या चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है।

प्रश्न:25.हर 100 साल में एक बार क्या होता है? (What happens once every 100 years?):

उत्तर:हर 100 साल में एक बार:ओलिवेट (Olivet) और सूर्य ग्रहण।

प्रश्न:26.कौन सा अधिक खतरनाक चंद्र या सूर्य ग्रहण है? (Which is more dangerous lunar or solar eclipse?):

उत्तर:चंद्र ग्रहण (lunar eclipse)-चंद्रमा का ग्रहण (an eclipse of the Moon)-नग्न आंखों से देखने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है;आप केवल रात में चंद्रमा को देख रहे हैं,जो काफी सुरक्षित है।हालांकि,सूर्य ग्रहण संभावित रूप से खतरनाक है,क्योंकि सूर्य ग्रहण (solar eclipse) देखने में सूर्य को देखना शामिल है,जो आपकी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचा सकता है।

प्रश्न:27.सूर्य ग्रहण का मिथुन राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (How will the solar eclipse affect Gemini?):

उत्तर:मिथुन राशि (Gemini) में सूर्य ग्रहण के दौरान स्वास्थ्य,कल्याण और आपका कार्य जीवन प्रमुख बदलावों से गुजर रहा है।  आत्म-देखभाल का अभ्यास करना और अपनी सीमाओं को जानना महत्वपूर्ण है कि आप इस समय कितनी मेहनत कर सकते हैं।एक स्थिति आपको अंततः बोलने,संवाद करने और अपने शेड्यूल पर सीमा निर्धारित करने के लिए प्रेरित कर सकती है।

प्रश्न:28.सूर्य ग्रहण से कौन सी राशि प्रभावित होती है? (Which zodiac sign is affected by solar eclipse?):

उत्तर:यह ग्रहण वृष राशि (Taurus zodiac) में मृगशिरा नक्षत्र (Mrigashira Nakshatra) में लगेगा।इस सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर शुभ (auspicious) और अशुभ (inauspicious) दोनों तरह का प्रभाव पड़ेगा।

प्रश्न:29.क्या 2021 में सूर्य ग्रहण है? (Is there a solar eclipse in 2021?):

उत्तर:2021 में एक और सूर्य ग्रहण होगा,लेकिन चंद्रमा द्वारा अवरुद्ध सूर्य को देखने की बारी दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) की होगी।पूर्ण सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को होगा और जबकि यह गुरुवार की घटना से भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है, इसे अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में देखना मुश्किल होगा।

प्रश्न:30.सूर्य ग्रहण कितने समय तक चलता है? (How long does a solar eclipse last?):

उत्तर:समग्रता की संक्षिप्त अवधि के दौरान,जब सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है,तो सुंदर कोरोना-सूर्य का कमजोर बाहरी वातावरण-प्रकट होता है।संपूर्णता 7 मिनट 31 सेकंड तक चल सकती है,हालांकि अधिकांश पूर्ण ग्रहण आमतौर पर बहुत छोटे होते हैं।

प्रश्न:31.ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए? (What should not be done during grahan?):

उत्तर:ग्रहण के दौरान तेल मालिश,पीने का पानी,मल-मूत्र विसर्जन,बालों में कंघी करना,दांतों को ब्रश करना और यौन गतिविधियों में शामिल होना वर्जित है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा Mathematics of Solar Eclipses के बारे में जान सकते हैं।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा सूर्य ग्रहण का गणित (Mathematics of Solar Eclipses) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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