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Mathematician Reveal Secret of Success

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1.गणितज्ञ ने सफलता का राज बताया (Mathematician Reveal Secret of Success),गणितज्ञ द्वारा सफलता का मूल मन्त्र (Key to Success by Mathematician):

  • गणितज्ञ ने सफलता का राज बताया (Mathematician Reveal Secret of Success) जिस पर चलकर एक विद्यार्थी का जीवन सँवर गया।बहुत सी प्रतिभाओं को सही मार्गदर्शन प्राप्त न होने पर भटक जाते हैं।उनकी प्रतिभा को पंख नहीं लगते हैं और उनकी प्रतिभा मुरझा जाती है।
  • हमारे देश में ऐसी कई प्रतिभाएं हैं जिनको उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण उनकी प्रतिभा सड़-गल जाती है,खिल नहीं पाती है।प्रतिभाओं को सही मार्गदर्शन मिल जाए तो गजब ढा देती है,ऐसा कर दिखाती है जिससे परिवार,समाज व देश का यश फैलता है।
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2.गणितज्ञ का आश्रम (Mathematician’s Hermitage):

  • आग उगलती ज्येष्ठ की दुपहरी।ऐसा लग रहा था मानो आसमान से आग के गोले बरस रहे हों और धरती झुलस रही हो।प्रचंड गर्मी हवाओं में लू बनकर बह रही थी।तप्त गर्मी से बचने के लिए सभी जीव-जंतु एवं व्यक्ति अपने-अपने आश्रय स्थल एवं घरों में दुबक गए थे।इस भीषण गर्मी में दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था।सूर्यदेव केवल आग उगलते नजर आ रहे थे।इस गर्मी से कुओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया था।कई कुएं तो सुख भी गए थे।नालों में केवल तपती एवं चमकती रेत नजर आ रही थी।गंगा नदी ने भी अपनी जलधारा छोटी-सीमित कर ली थी।
  • गंगा नदी के तट पर विशाल पीपल का पेड़ खड़ा था।हवाओं से पीपल के पेड़ के पत्ते खड़ाखड़ा रहे थे।पेड़ के नीचे और आसपास घास फैली हुई थी।इसमें रेत अधिक और मिट्टी कम थी।इस रेतीली जमीन में ही पीपल के वृक्ष के पास ही प्रसिद्ध गणितज्ञ ब्रह्मानंद का आश्रम था।उनकी आवश्यकता बहुत ही कम थी।जमीन पर चटाई बिछाकर सोते थे और एक समय नाश्ता और दूसरे समय भोजन ग्रहण करते थे।ऋषियों की तरह सादा जीवन और उच्च विचार उनके जीवन का आदर्श था।इस जमीन पर बैठे हुए वह कभी सिमटी हुई गंगा नदी को देखते थे तो कभी दूर-दूर तक फैली रेतीली भूमि को।
  • ब्रह्मानंद जी का आश्रम वर्षा के दिनों में हरियाली से घिर जाता था और पेड़-पौधे लहलहाते रहते थे,पर समय का खेल बड़ा विचित्र एवं अनोखा है,आज (गर्मी में) यही वीरान और बेजान नजर आ रहा था।ब्रह्मानंद वर्षा ऋतु का इंतजार कर रहे थे।गर्मी के दिनों में उनके आश्रम में आने वालों की संख्या भी कम हो जाया करती थी।वर्षा होने में अब कुछ दिन शेष बचे थे।
  • उनके आश्रम में ही विद्यालय,कॉलेज और विश्वविद्यालय था।विद्यालय,कॉलेज और विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा और आध्यात्मिक शिक्षा में पारंगत किया जाता था।उसी कॉलेज में एक निर्धन छात्र था जिसका नाम था शिवा।वह पढ़ने में बहुत मेधावी था परंतु उसके माता-पिता निर्धन थे।उनका छोटा सा परिवार था माता-पिता और एक बेटा था।बेटा शिवा स्नातक की पढ़ाई कर रहा था।गरीबी एवं अभाव की मार बेटे की पढ़ाई पर प्रश्नचिन्ह लगाए रहती थी,पर किसी तरह से सब कुछ चल रहा था।
  • ब्रह्मानंद जी शिवा से बहुत स्नेह करते थे और उसकी घरेलू परिस्थितियों से परिचित थे।वे जानते थे कि आज के समय में एक पढ़े-लिखे छात्र-छात्रा को जाॅब प्राप्त करने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं,दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती है।

3.शिवा के भविष्य को लेकर माता-पिता चिंतित (Parents worried about Shiva’s future):

  • शिवा के माता-पिता शिवा के भविष्य को लेकर चिंतित थे।शिवा की मां कह रही थी शिवा! तुम अपनी पढ़ाई जल्दी खत्म करो।विवाह के लिए दो अच्छे घरों से रिश्ते आए हैं।विवाह करके अपने पिताजी के साथ पुश्तैनी कार्य में सहयोग प्रदान करो।तुम्हारी पढ़ाई में ढेर सारी उधारी हो गई है।उसे अब चुकता करना है।
  • शिवा शांत भाव से सुन रहा था।वह अपनी माता के स्वभाव से परिचित था।उसने कुछ भी नहीं कहा।चुपचाप बैठकर एक पुस्तक पढ़ रहा था।उसे शांत देख और पढ़ते हुए देख माँ भड़क उठी और ऊंचे स्वर से बोलने लगी और पति को सुनाने लगी।आप ही तो सभी समस्याओं की जड़ हैं।आप उसे कुछ कहते क्यों नहीं!बहुत हो गई पढ़ाई।अभी तक तो कोई जॉब मिला नहीं।अब इसका पढ़ना बंद करो और विवाह करा दो,ताकि कुछ जिम्मेदार बने,घर की देखभाल करे।
  • शिवा के पिता भी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे,पर समझदार थे।वे जानते थे कि गाँव में पढ़ने-लिखने का एक ही मतलब है नौकरी करना।नौकरी नहीं मिली तो पढ़ना व्यर्थ है,फिर विवाह करके एक ही लक्ष्य है,घर बसा लेना।इसी ग्रामीण विचारधारा से शिवा की माँ प्रेरित थी।शिवा के पिता इस बात से भलीभांति परिचित थे कि लोगों की यह सोच आसानी से बदल पाना संभव नहीं।अतः वे ऐसी परिस्थितियों में अक्सर मौन हो जाते थे और यही बात उन्होंने शिवा को सिखा दी थी।वह भी अपनी माता का सम्मान करते हुए मौन हो जाता था।
  • परंतु आज शिवा की मां के तेवर देखकर शिवा के पिता और शिवा दोनों उखड़ गए।शिवा के पिता ने कहा कि भागवान शांत रहो।आज ही कॉलेज के संचालक से बात करके आता हूं और वह जो परामर्श देंगे,उसी के अनुसार शिवा का भविष्य तय कर देंगे।
  • वर्षा ऋतु प्रारंभ हो चुकी थी।इस बार पिछले वर्षों के बजाय ज्यादा वर्षा हुई थी,अतः चारों ओर हरियाली छा गई थी।वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी,चारों ओर पानी ही पानी हो गया था।शाम तक वर्षा होती रही और जब थोड़ी थम गई तो शिवा के पिता,शिवा को लेकर आश्रम की ओर रवाना हो गए।वर्षा होने के कारण किसानों के चेहरे पर ही नहीं बल्कि आम व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक रही थी क्योंकि गर्मी से राहत जो मिल गई थी।आश्रम उनके घर से 3 किलोमीटर दूर था।अतः उनके पहुंचने में आधा-पौन घंटा लग गया।
  • आश्रम में पहुंचकर उन्होंने दरवाजा खटखटाया।गणितज्ञ ब्रह्मानंद ने अपनी कुटी का दरवाजा खोला और देखा तो उनका प्रिय छात्र शिवा और उनके पिता नजर आए।उन्होंने उन्हें अंदर बुलाया और चटाई पर बैठने का संकेत किया।शिवा और उनके पिता ने उनको अभिवादन किया और चटाई पर बैठ गए।ब्रह्मानंद जी ने उन्हें नाश्ता कराया और फिर आने का कारण पूछा।हालांकि शिवा की घरेलू परिस्थितियों से वे परिचित थे तथा उनके कारण का अनुमान उन्हें हो गया था फिर भी शिष्टाचारवश उन्होंने उनके आने का कारण पूछा।शिवा के पिता ने उनके घर में हो रहे गृह-क्लेश से अवगत कराया।ब्रह्मानंद ने सवाल किया कि क्या तुमने वह जान लिया है जिसे सब जाना जाता है।प्रश्न सुनकर शिवा सकपका गया।शिवा के सकपकाने के कारण को जानें प्रश्नों के उत्तर में।उन्होंने कहा कि उसे जानकर फिर मेरे पास आना।

4.गणितज्ञ द्वारा मार्गदर्शन (Guidance by Mathematician):

  • जब शिवा पुनः अध्ययन करने के बाद अपने पिता के साथ आया तो ब्रह्मानंद जी ने कहा।अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।शेष बातों को भगवान के भरोसे छोड़ दो।माता की डांट एवं परीक्षा में वांछित सफलता न मिलने का दर्द,दोनों ही ब्रह्मानंद के अगाध प्रेम के सामने छोटे पड़ गए।
  • वह आश्रम में फफक-फफककर रोने लगा।आंखों से अश्रुधारा बहने लगी।ब्रह्मानंद ने शिवा को ढ़ाढस बँधाया तथा पिता ने शिवा को सीने से लगा लिया और कहा बेटे यहां आने के बाद रोने की जरूरत नहीं है।यहां हमारी समस्या का समाधान मिल जाएगा।
  • ब्रह्मानंद जी ने कहा कि अच्छे और मेधावी बच्चे अपनी कमियों को ध्यान में रखते हुए अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ जुट जाते हैं।जितनी क्षमता हाथ में है,यदि उसका पूर्ण सदुपयोग कर लें तो इस बात की संतुष्टि होती है कि हमने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी।शेष भगवान के हाथ छोड़ देना चाहिए।शिवा ने पहले आंसुओं से भीगे हुए चेहरे को जल से धोया और कहा:श्रीमन्! अपनी क्षमता का उपयोग एवं भगवद विश्वास:इन दोनों पर कैसे अमल किया जा सकता है?
  • ब्रह्मानंद बोले:बच्चे यही दोनों तो सफलता की कुंजी हैं।सफलता का सच्चा रहस्य इनमें समाहित है,बस,उसे क्रियान्वित करने की आवश्यकता है।अपनी क्षमताओं की समझ एवं उनका क्रियान्वयन पहला कदम है।हमें इतना तो पता होना ही चाहिए कि हम किस क्षेत्र में कितनी मेहनत कर सकते हैं।हमें अपने कार्य को करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।जब तक हम पूरा प्रयास न कर लें तब तक हमें मेहनत करनी चाहिए।यदि प्रयास करते-करते हम थक भी जाएं तो हमें अपनी उर्जा फिर से बटोरकर पुनः उस कार्य में जी जान से जुट जाना चाहिए।जब किसी भी कार्य को शरीर से,मन से एवं भाव से करने लगते हैं तो हम अपनी क्षमताओं का पूर्ण सदुयोग करते हैं।
  • ब्रह्मानंद जी ने आगे कहा:अपनी क्षमताओं का संपूर्ण उपयोग करने के पश्चात भी हमें भगवान पर भरोसा करना ही चाहिए।भगवान पर विश्वास का अर्थ है कि हम यह भावना रखते हुए भगवान से प्रार्थना करें कि,हे प्रभु! हम अपनी संपूर्ण क्षमता लगाकर जो कर सकते थे कर चुके,अब आप करें।हमारी क्षमता सीमित है और संभव है कि हम जितना कर सकते हैं,वह पर्याप्त न हो,परंतु आप तो सदा पूर्ण एवं अनंत हैं।आपकी क्षमता एवं ऊर्जा कभी न चुकने वाली,कभी ना खत्म होने वाली है।हमें नहीं पता कि किसी भी कार्य में सफलता कैसे मिलेगी।हम सफल होंगे या नहीं,यह तो हमारे वश में नहीं है।यह केवल आपके वश में है।अतः हमें आप पर संपूर्ण विश्वास है कि शेष कार्य आप करें।यही भगवद् विश्वास,भगवान के विधि विधान पर विश्वास,आत्मविश्वास,अपने आप पर विश्वास।
  • आत्मविश्वास और भगवद् विश्वास तथा उसकी कृपा के बिना सफलता प्राप्त करना संभव नहीं है।इस सूत्र को साधने का तरीका है कि भगवान में अटल विश्वास,भगवान के विधि विधान में अटल विश्वास क्योंकि भगवान के न्याय और विधि विधान के विरुद्ध संसार में कुछ भी नहीं होता है।

5.शिवा द्वारा कठिन परिश्रम (Hard work by Shiva):

  • शिवा के पिता,शिवा को लेकर घर पर आ गए और शिवा अपने मिशन में जुट गया।उन्होंने आते समय देखा की गंगा की जलधारा अपनी पूर्ण क्षमता के साथ बह रही थी।शिव के पिता को संतोष हुआ कि शिवा को ब्रह्मानंद जी की बातें जीवन मंत्र के समान लगीं और वह अपनी पढ़ाई में पूर्ण मनोयोग के साथ लग गया।हालांकि आर्थिक परिस्थितियों की मार ने शिवा को टूटने पर मजबूर कर दिया,परंतु गणितज्ञ ब्रह्मानंद के मार्गदर्शन,शिवा के पिता,शिवा के साहस एवं आत्मविश्वास ने हर विपरीतताओं से उन्हें उबारा और विश्वास दिलाया कि वह हिम्मत ना हारे तो सफलता सुनिश्चित है।
  • अर्थाभाव के कारण वह कोचिंग नहीं कर पाया,तब भी उसने घर पर कड़ी मेहनत करके अध्ययन किया।शिवा के पिता जहां काम करते थे,वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया।शिवा पर जैसे एक साथ विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा।पलभर के लिए उसका मन लड़खड़ाया कि छोड़ो सब बेकार है,दूसरे पल ब्रह्मानंद के मार्गदर्शन के शब्दों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि यह मंजर भी अधिक देर नहीं ठहरेगा।टूटो मत,घबराओ मत,केवल अपने लक्ष्य पर डटे रहो।परिणाम की चिंता मत करो कि क्या होगा,वर्तमान को जियो और अंतिम सांस तक स्वयं को झोंक डालो।
  • आज अपनी पूर्ण क्षमता,मेहनत,ब्रह्मानंद के मार्गदर्शन और भगवान पर विश्वास का प्रताप ही था कि उसका चयन एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कंपनी सचिव के पद पर हो गया।शिवा के पिता और ब्रह्मानंद को खुशी थी कि शिवा काबिल बन गया।उनके पिता को यह संतोष था कि ब्रह्मानंद जी के मार्गदर्शन और उनके द्वारा दी गई सही समझ से शिवा के जीवन को एक नई दिशा मिली।
  • आज वही शिवा कहता है कि चुनौतियाँ हमें दृढ़ और मजबूत करने के लिए आती हैं,इनसे कभी नहीं घबराना चाहिए,बल्कि उनका साहस और आत्मविश्वास के साथ सामना करना चाहिए।जिनके पास संसाधन हैं,साधन-सुविधाएँ हों और उन्हें सफलता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं किंतु जिन्हें कदम-कदम पर अवरोधों व अभावों से जूझना पड़ता पड़ा हो और उसे सफलता मिले तो यह एक आश्चर्य से कम नहीं है।शिवा के माता-पिता को संतुष्टि थी और मां को अपने किए गए बर्ताव के लिए पछतावा था।
    उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ ने सफलता का राज बताया (Mathematician Reveal Secret of Success),गणितज्ञ द्वारा सफलता का मूल मन्त्र (Key to Success by Mathematician) के बारे में बताया गया है।

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6.सवाल हल होने पर (हास्य-व्यंग्य) (If Question is Not Solved) (Humour-Satire):

  • छात्र (गणित शिक्षक से):माफ कीजिए सर,जब आपसे सवाल हल नहीं होता है तो आप क्या करते हैं?
  • गणित शिक्षक:सीधी सी बात है,इधर-उधर देखने लगता हूं,बगले झाँकने लगता हूं या छात्र-छात्राओं को अन्य बातों में लगा देता हूं।

7.गणितज्ञ ने सफलता का राज बताया (Frequently Asked Questions Related to Mathematician Reveal Secret of Success),गणितज्ञ द्वारा सफलता का मूल मन्त्र (Key to Success by Mathematician) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.ब्रह्म विद्या का क्या अर्थ है? (What does Theosophy mean?):

उत्तर:वह विद्या,वह परम ज्ञान जिससे हम उसे जान लेते हैं,जो हम हैं;जिससे हम उसे जान ले लेते हैं,जो सब जान रहा है;जिससे हम उसे जान लेते हैं,जिसकी कोई मृत्यु नहीं,जिसका कोई जन्म नहीं।इस महान ज्ञान के लिए,इस परम विज्ञान के लिए उत्सुक होना,जिज्ञासु होना,इसके लिए तत्पर व प्रयत्नशील होना वास्तविक जीवन साधना है।अतः बहुत सारी जानकारियों को इकट्ठा करने वाला मनुष्य स्वयं की जानकारी के लिए,स्वयं के ज्ञान के लिए उत्सुक नहीं है।इसीलिए जीवन दिशाविहीन एवं कर्म औचित्यविहीन होते जा रहे हैं।

प्रश्न:2.गणितज्ञ के सवाल कि क्या तुमने वह जान लिया जिससे सब जाना जाता है,से छात्र क्यों सकपका गया? (Why was the student stunned by the mathematician’s question, “Have you known what is all known?”):

उत्तर:शिवा ने समस्त शास्त्रों का अध्ययन किया।जो भी जानने योग्य था,उसे जान लिया था।अनेक तरह की जानकारियां उसने एकत्र कर ली थी।चलता-फिरता विश्वकोश बन गया था।निश्चित ही,जानने की भारी अकड़ आ गई थी उसमें।अकड़,ज्ञानी की अकड़ अहंकार को चरम तक पहुंचा देती है,अतः उपर्युक्त प्रश्न से वह सकपका गया।

प्रश्न:3.शिवा ने क्या उत्तर दिया? (How did Shiva respond?):

उत्तर:शिवा ने कहा कि ऐसी कोई विद्या न तो उसने पुस्तकों में पढ़ी और ना किसी शिक्षक ने आश्रम के कॉलेज में बताया गया।तब ब्रह्मानंद जी ने कहा कि ब्रह्म विद्या पुस्तकों से नहीं,जीवन-साधना से मिलती है।इससे पाने पर अहंकार बढ़ता नहीं,पूर्णतया मिट जाता है।यह स्वयं का बोध कराती है;जीवन का बोध कराती है।यह कहकर लौटा दिया था।घर आकर उसने साधना की और इस रहस्य को जाना-समझा,अनुभव किया और फिर पिता के साथ वापस आश्रम में गणितज्ञ ब्रह्मानंद के पास गया।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणितज्ञ ने सफलता का राज बताया (Mathematician Reveal Secret of Success),गणितज्ञ द्वारा सफलता का मूल मन्त्र (Key to Success by Mathematician) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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