Menu

Mathematician Guides Maths Student

Contents hide

1.गणितज्ञ द्वारा गणित के छात्र को मार्गदर्शन (Mathematician Guides Maths Student),गणितज्ञ ने छात्र को सही दिशा दिखाई (Mathematician Showed Student Right Direction):

  • गणितज्ञ द्वारा गणित के छात्र को मार्गदर्शन (Mathematician Guides Maths Student),ऐसे गणित के छात्र को जो गणितज्ञ से विद्या का खजाना पाकर उसका दुरुपयोग करने लग गया था।इस स्टोरी में एक ऐसे ही गणित के छात्र के बारे में बताया गया है जो भटक गया था,परंतु गुरु (गणितज्ञ) के द्वारा उसको कड़ी फटकार और नेक सलाह से उसको ज्ञान का सही उपयोग करने की दिशा मिली।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:How to Prevent Sexual Harassment of Working Women?

2.गणितज्ञ संकट में (Mathematician in crisis):

  • एक बार गणितज्ञ कार से गणितीय सम्मेलन में शिरकत करने जा रहे थे।बीच जंगल में सुनसान जगह अचानक उनकी कार सड़क के हिस्से के धँसने से पलटी खा गई।जैसे-तैसे जख्मी हालत में कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकले।गर्मी का मौसम था उसमें उनका गला सूखा जा रहा था।गर्मी और जख्मी हालत के बीच जैसे-तैसे गिरते-पड़ते वहां से एक किलोमीटर पास गांव में पहुंचे।वहां गणितज्ञ योगराज ने एक मकान का दरवाजा खटखटाया।द्वार के अंदर से एक युवक आया और द्वार खोला,उसने देखा की धूल से सना-लिपटा,जख्मी हालत में एक व्यक्ति उसे कह रहा है,बेटा,मुझे प्यास लगी है,मुझे थोड़ा पानी पिला दें।व्यक्ति सभ्रान्त नजर आ रहा था,नवयुवक ने तत्काल उसको सहारा देकर अंदर पलंग पर लिटाया और तत्काल पानी पिलाया।फिर उसके पास ड्रेसिंग का जो सामान उपलब्ध था उससे मरहम पट्टी की।नवयुवक ने उसकी सेवा की,थोड़ी देर में ही राहत मिलने पर गणितज्ञ देवराज को नींद आ गई।
  • तब तक नवयुवक डॉक्टर को लेकर आ चुका था,डॉक्टर ने कुछ दवाई दी और अच्छे से जख्मों पर दवाई लगाई जिससे गणितज्ञ देवराज को काफी राहत मिली।युवक ने उनके गीले कपड़े से साफ-सफाई की,नाश्ता खिलाया और डॉक्टर के निर्देश के अनुसार दवाइयां दे दी।
  • गणितज्ञ देवराज जब पूरी तरह होश में आ गए तो नवयुवक को आशीर्वाद दिया कि बेटा तूने पूर्व जन्म में उत्तम कर्म किए हैं,जिसके फलस्वरूप मुझसे तुम्हारी मुलाकात हुई है।तूने जख्मी और भूखे-प्यासे व्यक्ति की सेवा करके मानवता का संदेश दिया है।मैं तुझे गणित विद्या की ऐसी सिद्धियां दूंगा,पर तू इनका उपयोग केवल परमार्थ कार्यों के लिए करना।अपने भरण-पोषण के लिए व्यावसायिक नजरिया आटे में नमक जितना ही रखना।अपने स्वार्थ के लिए,अपना घर भरने के लिए तथा गलत कार्यों के लिए इनका उपयोग कभी भूलकर भी मत करना।
  • मंत्रमुग्ध होकर उस युवक जिसका नाम दुर्गेश था,ने आश्वस्त किया कि वह ऐसा कभी नहीं करेगा जिससे मानवता पर कलंक लगे।साथ ही उसने कहा कि गणित विषय में डिग्री लेने,गणित शिक्षा अर्जित करने के बावजूद भी वह बेरोजगार है।घर वाले जॉब करने और कमाने का दबाव बनाए हुए हैं।परंतु मैं असमंजस में हूं कि करूं तो क्या करूं,कैसे अपने पैरों पर खड़ा होऊँ।जगह-जगह जाॅब के लिए दर-दर की ठोकरे खाने,इंटरव्यू देने के बावजूद किसी ने भी कोई अवसर नहीं दिया।हर कहीं स्किल वाले अभ्यर्थियों की मांग है।जिसके पास डिग्री तो है परंतु स्किल नहीं है तो उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है।अब फ्रेशर्स के पास स्किल कैसे हो होगी?

3.गणित के छात्र को आत्मनिर्भर बनाया (Made the mathematics student self-reliant):

  • गणितज्ञ योगराज ने अपना विजिटिंग कार्ड नवयुवक के हाथों में थमाया और कहा कि वह इसमें अंकित पते पर आ जाए।गणितज्ञ के पास जल्दी ही नवयुवक एक निश्चित दिन पहुंच गया।गणितज्ञ योगराज ने गणित के छात्र दुर्गेश को गणित पढ़ाने की कला सिखाई।इसके साथ ही उसे व्यावहारिक ज्ञान तथा कौशल में पारंगत किया।
  • दुर्गेश बेरोजगारी से पीडित था,अतः गणितज्ञ महोदय द्वारा बताए गए दिशा-निर्देश,गणित पढ़ाने की कला के गुर और गणित की कोचिंग कराने,कोचिंग को स्थापित करने के लिए जो जोड़-तोड़ आवश्यक होता है वे सब गुर वह शीघ्रता से सीखता गया।जल्दी ही वह गणितज्ञ द्वारा सिखाई विद्या के गुर में निष्णात हो गया।
  • अब समस्या यह थी की कोचिंग के लिए धन की आवश्यकता थी।गणितज्ञ ने दुर्गेश के गांव के निकट शहर में ही कोचिंग खोलने में आर्थिक मदद की।दुर्गेश ने कोचिंग में शिक्षकों की एक टीम गठित की और छात्र-छात्राओं को कोचिंग कराना प्रारंभ कर दिया।शुरू-शुरू में उसे काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा परंतु थोड़े समय में उसे सफलता मिलने लगी।उसने धैर्य बनाए रखा तथा अपने मिशन में डटा रहा।उसके कोचिंग में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ती गई।सफलता दर सफलता उसकी कोचिंग का नाम देश के चोटी के कोचिंग सेंटर्स में गिना जाने लगा।कोचिंग व्यवसाय से अच्छी खासी आमदनी हो रही थी।उसने अपना घर बना लिया और ठाठ-बाट से रहने लगा।उसके पास तमाम भौतिक सुख-सुविधाएं,गाड़ी,बंगला,पत्नी-बच्चे आदि किसी बात की कमी नहीं रही।
  • कोचिंग की लोकप्रियता तथा संसाधनों की व्यवस्था होने पर दुर्गेश ने ऑनलाइन कोचिंग भी प्रारंभ कर दिया।चूँकि उसके पास अनुभव व संसाधनों की कमी नहीं थी,फैकल्टी टीम भी अनुभवी थी अतः जल्दी ही ऑनलाइन क्लासेज में भी उसने सिक्का जमा लिया।इस प्रकार उसने धन-दौलत इकट्ठी कर ली।अब उसका समय बदल गया था।

4.गणित शिक्षक का पतन (The Decline of the Math Teacher):

  • दुर्गेश के हृदय में अपनी प्रसिद्धि,अकूत धन-दौलत तथा भौतिक सुख-सुविधाओं का अभिमान हो गया।अभिमान के भयानक अंधेरे में फंसकर वह विपरीत मार्ग पर चलने लगा।अपने गुरु की अवज्ञा करके उसने अपनी सिद्धियों (विद्या) का दुरुपयोग करना प्रारंभ कर दिया।छात्र-छात्राएं वहाँ अब पढ़ाई की जगह सेक्स की बातें करते और दुर्गेश उसे बढ़ावा देता।अब कोचिंग पढ़ाई के स्थल की जगह,विद्या की जगह सेक्स की सैरगाह बन गया।वह समय-समय पर ग्राहक के रूप में वेश्याओं के अड्डों पर जाता और सेक्स की तकनीक सीखता।
  • वैसे भी आधुनिक शिक्षा पद्धति में चरित्र निर्माण,नैतिकता का पाठ कहां पढ़ाया जाता है।अतः  छात्र-छात्राएं एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं तो विपरीत लिंग का आकर्षण स्वाभाविक है।मन पर नियंत्रण नहीं रहता है और छात्र-छात्राओं के कदम बहक जाते हैं।आज के अधिकांश कॉलेज-विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राएं ड्रग्स का सेवन करना,शराब पीना,अय्याशी करना,सेक्स का लुत्फ उठाना आदि कार्यों में संलग्न हो जाते हैं।
  • माता-पिता भी इनसे बेखबर रहते हैं।उन्हें धन कमाने से ही फुर्सत नहीं है।माता-पिता भी आधुनिक शिक्षा-पद्धति में पले-बढ़े होते हैं।अतः उन्हें यह पता ही नहीं है कि बच्चों की परवरिश किस तरह करनी चाहिए? जाने-अनजाने वे भी मौन साध लेते हैं।सरकारें भी वोट और सत्ता से चिपके रहने के कारण इस तरफ ध्यान नहीं देती हैं।अतः अधिकांश निजी और सरकारी कॉलेज-विश्वविद्यालय के अधिकांश छात्र-छात्राएं अपने ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते हैं।चूँकि अधिकांश कॉलेज-विश्वविद्यालय और कोचिंग सेंटर्स सेक्स और अय्याशी की ऐसी सैरगाह बने हुए हैं अतः दुर्गेश की कोचिंग सेंटर में भी सेक्स रैकेट बेखटके चलता रहा।
  • हालांकि यदा-कदा दुर्गेश के कोचिंग सेंटर में भी सेक्स रैकेट के मामले सामने आते-रहते थे।ऐसे कौतुकों के कारण चारों ओर हा-हाकार मच जाता था।उसके कारनामों से पीड़ित होकर अभिभावकों ने पुकार की,उसे पकड़ने की गुहार की।पर उसे बंदी बनाने में पुलिस असफल रही,क्योंकि उसका सेक्स रैकेट इतनी सफाई व तकनीक से चलता था कि सारे प्रमाण गायब हो जाते,नष्ट हो जाते।
    उसके कोचिंग सेंटर में अब ज्यादातर धनी-संपन्न वर्ग के छात्र-छात्राएं आते थे,उनमें अधिकांश के सेक्स,अय्याशी,ड्रग्स सेवन का चस्का लग जाता।यह सेक्स रैकेट तब तक तो बिना किसी रोक-टोक के चलता रहा जब तक छात्र-छात्रा की आपसी रजामंदी होती थी।लेकिन एक बार सेक्स का चस्का लग जाता है और जहां कोचिंग के संचालक से खुली छूट मिल जाती है तो मनमानी और जोर जबरदस्ती भी चलने लगती है।कोचिंग निदेशक दुर्गेश के अच्छी आमदनी हो रही थी,उसे आमदनी से मतलब रह गया था,वो चाहे जिस तरीके से आए।
  • कोई छुटपुट घटनाएं लोगों को मालूम पड़ती और अभिभावक उसके पास शिकायत लेकर पहुंचते तो वह अपने चमत्कारिक वाग्जाल से सबको मंत्रमुग्ध कर देता था।उसे आत्मज्ञान तो न था,परंतु कुछ व्यावहारिक ज्ञान,गणित के ज्ञान पर उसका प्रभुत्व था।दरअसल आजकल अधिकांश लोगों की यह सोच हो गई है कि आत्मज्ञान,चारित्रिक एवं नैतिक गुणों की कहां जरूरत है,इसलिए उनको अर्जित करके क्या करना है? जॉब वगैरह में चारित्रिक व नैतिक मूल्यांकन नहीं किया जाता है,कहीं भी इनकी जरूरत नहीं है तो फिर इनका क्या करना है?

5.निदेशक की कोचिंग के सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ (Director’s coaching sex racket busted):

  • परंतु उस चमत्कारिक निदेशक दुर्गेश के जीवन में एक दिन भगवदीय न्याय का दिन भी आ गया।उसे राह चलते एक वृद्ध व्यक्ति मिला।उस समय वह लाठी के सहारे से चल रहा था।दुर्गेश अपने अहंकार के नशे में था,उसने अपनी गाड़ी से उस वृद्ध के टक्कर मार दी।वह वृद्ध व्यक्ति गिर पड़ा और लहुलुहान हो गया।इस पर उस वृद्ध ने उसे पुकारा तो दुर्गेश ने गाड़ी रोककर,शीशा नीचे उतारकर पीछे की ओर देखा।वृद्ध व्यक्ति ने कहा, “क्या तु मुझे नहीं जानता? तनिक देख मेरी ओर और पहचान मुझे।”
  • दुर्गेश अवाक रह गया,क्योंकि यह वही महात्मा थे,जिनने उसे बहुत समय पहले व्यावहारिक ज्ञान,गणित शिक्षा व योग-दीक्षा दी थी।दुर्गेश के द्वारा पहचानते ही वृद्ध व्यक्ति अपने मूल रूप में आ गया।वह उसे फटकारते हुए कहने लगा,”मैंने सुना है और देखा भी है कि तूने अपनी शक्तियों का दुखी छात्र-छात्राओं,असहाय छात्र-छात्राओं की सहायता के लिए उपयोग नहीं किया।बल्कि तू छात्र-छात्राओं को लूटने,उनको कुमार्ग पर ले जाने में अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहा है।लेकिन तेरा अब अंत समय आ गया है।अब तेरी वह यौगिक शक्ति,गणित विद्या,व्यावहारिक कला तुझसे दूर हो रही है।अब तेरा अंत समय निकट आ गया।अब तू पकड़ा जाएगा और जेल की सींखचों के पीछे जाने वाला है।
  • यह सुनकर उसे ज़ोर का धक्का लगा,उसे अपनी गलतियों का एहसास हुआ।जो वृद्ध व्यक्ति था,वह वही गणितज्ञ योगीराज थे जिन्होंने उसके जीवन को सँवारा था।यह सब सुनकर दुर्गेश उस योगीराज के चरणों में गिर पड़ा और बोला,”हे मेरे गुरुदेव आपने मेरा भ्रम दूर कर दिया है।मैं आपका अत्यंत उपकार मानता हूं।आपकी बदौलत ही मैंने कोचिंग का शुभारंभ किया परंतु आप द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना छोड़कर गलत मार्ग पर चल पड़ा।मैंने अनेक छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।मैं आपका,उन हजारों छात्र-छात्राओं का और इस देश का अपराधी हूं और अपने दुष्ट कृत्यों का प्रायश्चित करने के लिए मैं कोचिंग को बंद करके पहाड़ों की कन्दराओं में चला जाऊंगा।”
  • दुर्गेश के सच्चे पश्चाताप से द्रवित होकर उस महान गणितज्ञ ने कहा,” तेरे द्वारा आज्ञापालन एवं सच्चे प्रायश्चित करने की प्रतिबद्धता से प्रसन्न मैं तुझे फिर से आज्ञा देता हूं कि तेरी पहले जैसी ख्याति तो नहीं रहेगी लेकिन तत्काल कोचिंग में सेक्स रैकेट का धंधा बंद कर दे।तेरी कोचिंग में एक छात्रा के साथ बलात्कार करने के कारण उसने आत्महत्या कर ली थी,उसके अभिभावक ने ही मुझे यह सूचना दी थी।ना जाने कितनी छात्राओं को बलात्कार का शिकार होना पड़ा होगा।वैसे तो रजामंदी से छात्र जीवन में सेक्स,अय्याशी करना गलत है परंतु बलात्कार तो जघन्य अपराध है।
  • अब पुनः छात्र-छात्राओं को सही शिक्षा,विद्या देना प्रारंभ कर दो।अब कोचिंग से अपने लिए,परिवार के लिए भोजन एवं वस्त्रों की आवश्यकता तो पूर्ण हो जाएगी।तेरा सच्चा प्रायश्चित तभी होगा जब छात्र-छात्राओं को शिक्षा का सही स्वरूप प्रदान करेगा,गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा,उनके चरित्र के विकास पर ध्यान देगा,उनके सुख-दुःख में भागीदार होगा,संवेदनशील बनेगा,सच्चा आत्मज्ञान तभी प्राप्त हो सकेगा।भगवान तुझे अवश्य सफलता प्रदान करेंगे।
  • इसी के साथ में वह योगी,महान गणितज्ञ योगीराज अदृश्य हो गया।दुर्गेश के पांव भी अपनी नई यात्रा की ओर बढ़ चले।अब उसे ज्ञात हो चुका था की सच्ची सिद्धि तो बस आत्मज्ञान ही है।जिसका दुरुपयोग कभी भी संभव नहीं है।वह यह भी अनुभव कर रहा था कि जीवन में सच्चा गुरु,सच्चे गुरु की कृपा,सच्चे गुरु का मार्गदर्शन कितना जरूरी है,भटकने से कैसे बचा सकता है।जीवन के हर मोड़ पर सच्चे गुरु का मिलना आवश्यक है,लेकिन आधुनिक युग में ऐसे सच्चे गुरु विरले ही हैं।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ द्वारा गणित के छात्र को मार्गदर्शन (Mathematician Guides Maths Student),गणितज्ञ ने छात्र को सही दिशा दिखाई (Mathematician Showed Student Right Direction) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:How to Prevent Sexual Atrocity?

6.चोर और गणित का छात्र (हास्य-व्यंग्य) (Thief and Math Student) (Humour-Satire):

  • एक बार एक चोर चोरी करने गया वहां उसे घर में गणित के छात्र ने देख लिया।चोर उसे देखकर घबराकर भागने लगा तो वह छात्र मासूमियत से बोला तुझे जो ले जाना है चुपचाप ले जा,लेकिन साथ में मेरी पुस्तकें,गणित की पुस्तकें,कोचिंग के नोट्स आदि भी ले जाना क्योंकि मम्मी-पापा दिन रात-दिन मेरे पीछे पढ़ने के लिए पड़े रहते हैं,यदि नहीं ले गया तो पापा को जगा दूंगा।

7.गणितज्ञ द्वारा गणित के छात्र को मार्गदर्शन (Frequently Asked Questions Related to Mathematician Guides Maths Student),गणितज्ञ ने छात्र को सही दिशा दिखाई (Mathematician Showed Student Right Direction) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या उपर्युक्त सेक्स रैकेट का सच्ची घटना से संबंध है? (Does the above sex racket have any connection with the true incident?):

उत्तर:यह कथा निर्भया कांड घटित होने और उसके दोषियों को सजा मिलने के बावजूद हो रहे ऐसे बलात्कारों को ध्यान में रखकर लिखी गई है।इसमें यह संदेश दिया गया कि आज सख्त कानून लागू होने,उनको सजा मिलने के बावजूद भी बलात्कार होने के कारण हैं छात्र-छात्राओं को नैतिक व चारित्रिक शिक्षा नहीं दी जाती है बल्कि भौतिक शिक्षा देकर इति श्री कर दी जाती है।कोलकाता में हाल ही हुए रेजिडेंट डॉक्टर की वीभत्स घटना से भी हमारे देश के नेतृत्व कर्ता असली कारण को दूर करने का प्रयास करते नजर नहीं आते हैं।सख्त कानून होना जरूरी है परंतु उससे भी ज्यादा जरूरी है बच्चों को संस्कारवान बनाना।इसके पात्र कल्पित है तथा यह घटना हमारे द्वारा कल्पित है।

प्रश्न:2.विद्या किसे प्रदान करनी चाहिए? (Who should provide knowledge?):

उत्तर:बिना पात्रता,पात्रता का विकास किए बिना,सदुपयोग का महत्त्व समझाए बिना कोई भी अनुदान-वरदान-सिद्धि तथा विद्या व्यक्ति के लिए निरर्थक ही नहीं,विनाशकारी,पतनगामी भी हो सकती है।

प्रश्न:3.क्या महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आया है? (Has there been a change in the mindset towards women?):

उत्तर:मुंबई के ख्यातिनाम किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल में 1973 में एक सफाईकर्मी ने महिला नर्स अरुणा शानबाग का यौन-उत्पीड़न किया।उसने कुत्ते को बांधने वाली जंजीर से महिला नर्स का गला घोंटा,उसके साथ बलात्कार किया और उसे मरा हुआ समझकर फरार हो गया।प्रताड़ना से अरुणा का पूरा शरीर पैरालाइज हो गया।अगले 41 वर्षों तक वह जिंदा लाश बनकर रही।नर्सों ने अस्पताल में ही उनकी देखभाल की।निर्भया कांड तथा कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत की घटना के 51 साल भी कुछ नहीं बदला है।ऐसे अनेक उदाहरण और भी दिए जा सकते हैं परंतु समस्या का मूल समाधान करने पर ही बात बनेगी।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणितज्ञ द्वारा गणित के छात्र को मार्गदर्शन (Mathematician Guides Maths Student),गणितज्ञ ने छात्र को सही दिशा दिखाई (Mathematician Showed Student Right Direction) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *