Mathematician Doctor Ganesh Prasad
1.गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad):
- गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) का जन्म 15 नवंबर 1876 ईस्वी को बलिया (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। गणेश प्रसाद के पिताजी तथा उनके दादा बलिया के प्रसिद्ध कानूनगो थे।उनके परदादा भी प्रसिद्ध कानूनगो थे।
- डॉ. गणेश प्रसाद की पढ़ाई बलिया जिला स्कूल से प्रारंभ हुई।पांचवी कक्षा में वे गणित में फेल हो गए इससे उनको बड़ी ठेस पहुंची और इसके बाद उन्होंने कठिन परिश्रम किया जिससे एंट्रेंस की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए।उन्होंने म्योर सेण्ट्रल काॅलेज इलाहाबाद से गणित में एम.ए. पास किया।एम. ए. करने के पश्चात् प्रयाग विश्वविद्यालय (इलाहाबाद यूनिवर्सिटी) से गणित की डॉक्टरी परीक्षा पास की।गणित में डी.एस-सी की परीक्षा पास करने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
- इसके बाद उच्च अध्ययन और शोध के लिए वे कैंब्रिज चले गए।कैंब्रिज में डिग्री करने के दौरान वे ई डब्ल्यू हाॅब्सन (E.W.Hobson) और एंड्रयू फॉर्सिथ (Andrew Forsyth.) जैसे गणितज्ञों से परिचित हुए।कैंब्रिज में शिक्षकों और विद्यार्थियों में एक योग्य गणितज्ञ की हैसियत से प्रतिष्ठित हो चुके थे।बाद में डॉ. गणेश प्रसाद गाॅटिंगेन (Gottingen) नगर के विद्यापीठ में जाकर अर्नोल्ड सोमरफेल्ड (Arnold Sommerfeld),डेविड अल्बर्ट (David Hilbert) और जॉर्ज कैंटर (Georg Cantor) जैसे प्रसिद्ध गणिताचार्यों से जुड़े तथा उनके पास गणित का गंभीरता पूर्वक अध्ययन किया।डॉ. गणेश प्रसाद का यश संसार में फैल गया।
- गाॅटिंगेन (Gottingen) में डॉ. गणेश प्रसाद ने फेलिक्स क्लेन (Felix Klein) को अपना पेपर दिखाया जिसका शीर्षक (Title) कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ मैटर (Constitution of Matter) और एनालिटिकल थ्योरी ऑफ हीट (Analytical Theories of Heat) था।इन पेपर को एडम्स पुरस्कार प्रतियोगिता (Adams Prize Competition) के लिए प्रस्तुत किया गया था। फेलिक्स क्लेन ने इन पेपर्स की बहुत प्रशंसा की और Gottingen Abhandlungen में प्रकाशन की व्यवस्था की।गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) ने यूरोप में 5 वर्ष व्यतीत किए।
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(1.)गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद का गणितीय केरियर (Mathematical Career of Mathematician Doctor Ganesh) Prasad):
- यूरोप से 1904 में लौटने के पश्चात डॉ. गणेश प्रसाद (इलाहाबाद) म्योर सेंट्रल कॉलेज में प्राध्यापक नियुक्त किए गए।डॉक्टर साहब समय के बड़े पाबंद थे।बरसात के दिनों में दो घोड़ों वाली गाड़ी में कॉलेज जाते थे और यदि गाड़ी वाला समय पर नहीं आता था तो पैदल ही चल देते थे। इलाहाबाद में अपनी नियुक्ति के एक वर्ष के भीतर ही डॉ. गणेश प्रसाद को क्वींस कॉलेज बनारस भेज दिया गया जहां 1914 तक रहे।इसके बाद उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रमुख के लिए आमंत्रित किया गया।गणेश प्रसाद 1914 से 1917 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के अनुप्रयुक्त गणित (Applied Mathematics) के अध्यक्ष थे (वह इस कुर्सी पर कब्जा करने वाले पहले व्यक्ति थे)।1923 से 9 मार्च 1935 तक उनकी मृत्यु तक उसी विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर रहे।इन दो कार्यों के बीच की अवधि में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में गणित के प्रोफेसर (1917-1923) के रूप में कार्य किया।
- डॉ. गणेश प्रसाद 1924 में कलकत्ता मैथमेटिकल सोसायटी के अध्यक्ष और इंडियन एसोसिएशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ साइंस कलकत्ता के उपाध्यक्ष चुने गए और अपनी मृत्यु तक उसी पद पर बने रहे।
- 1932 में वे भारतीय विज्ञान कांग्रेस के गणित और भौतिकी विज्ञान के सभापति मनोनीत हुए।वह भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान (National Institute of Science) के संस्थापक सदस्य थे जिसे अब भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy) के रूप में फिर से नाम दिया गया है।गणेश प्रसाद ने 11 पुस्तके लिखी जिनमें ए ट्रीटिस ऑन स्फेरिकल हार्मोनिक्स एंड द फंक्शन ऑफ बेसेल एंड लेम (A Treatise on Spherical Harmonics and the Functions of Bessel and Lame) तथा गणित में 50 से अधिक शोध पत्र शामिल हैं।
- डॉ. गणेश प्रसाद ने गणित संबंधी अपनी भौतिक अन्वेषणाएँ अपने विद्यार्थी जीवन से ही आरंभ कर दी थी।उन्होंने अपने खोज निबंध लिखें।उनका पहला खोज निबंध ‘दैर्ध्य फलों’ (Elliptic Functions) और गोलीय हरात्मक (Spherical Harmonics) का ‘मैसेंजर ऑफ मैथमेटिक्स’ नामक पत्र में छपा था।उन्होंने विद्वानों की भूल निकाली और उनको चैक किया।
- उनका सबसे बड़ा महान कार्य थाःआगरा विश्वविद्यालय की नींव डालना।एक वर्ष को छोड़कर वे जीवनभर सीनेट के सदस्य रहे और कई कमेटियों के सदस्य रहे।सभी कमेटियों में वे पूरी तैयारी के साथ जाते थे।
- गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) का गणित में विशिष्ट योगदान:
Theory of Potentials, Theory of Functions of a Real Variable,Fourier Series and Theory of Surfaces
(2.)गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद के अन्य कार्य (Other Work of Mathematician Doctor Ganesh Prasad):
- गणेश प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य रूप से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत की।उन्होंने उत्तर प्रदेश के गांवों में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की शुरुआत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।उन्होंने अपनी निजी बचत से बलिया में लड़कियों की शिक्षा के लिए ₹22000 की राशि दान की।इसके अलावा उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय की एमए और एमएससी परीक्षाओं में टॉपर्स के लिए पुरस्कार स्थापित करने के लिए ₹200000 की राशि दान की।उन्होंने इलाहाबाद और बनारस विश्वविद्यालयों को बड़ी मात्रा में धन दान किया।
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(3.)डाॅ. गणेश प्रसाद का का पारिवारिक जीवन और मृत्यु
- बड़े जमीदार व खानदानी कानूनगो के पुत्र होने के कारण डॉ. गणेश प्रसाद का विवाह 9 साल की आयु में लोदीपुर जिला सादाबाद के वकील मुंशीलाल की पुत्री नंदू कुमारी से हुआ।
- 9 मार्च 1935 को आगरा में यूनिवर्सिटी काउंसिल 11:00 बजे से थी।डॉक्टर साहब 8 मार्च की रात्रि को रवाना होकर 9 मार्च की सुबह आगरा पहुंचे। होटल में भोजन आदि के बाद 10:45 बजे यूनिवर्सिटी पहुंचे।यहां पर उनको अधिक बोलना पड़ा।कानपुर के कृषि के 2 छात्रों को बीएससी में बैठने की अनुमति दिलवानी थी।फिर कुछ परीक्षकों की नियुक्ति के बारे में बोलना पड़ा।वाद-विवाद के बाद वे कुर्सी पर बैठ गए और उठ न सके।शाम को 7:30 बजे आगरा के थॉमसन अस्पताल में जो आजकल S.N. Hospital कहलाता है,उनकी मृत्यु हो गई।
(4.)निष्कर्ष (Conclusion):
- डॉ. गणेश प्रसाद पांचवी कक्षा में गणित में फेल हो गए थे।इससे उनको सोचने पर मजबूर कर दिया तथा गणित में ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया जिसके कारण वे संसार के उच्चकोटि के गणितज्ञों में गिने जाने लगे।उनका यश चारों ओर फैल गया।
- वर्तमान युग में विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को गणित विषय कठिन लगता है तो वे हताश-निराश हो जाते हैं।वे मन ही मन अपने आपको कमतर आंकने लगते हैं।अपने आप को इस योग्य नहीं समझते कि वह गणित को हल कर सके।
- ऐसी नकारात्मकता जब हमारे दिमाग में घर कर जाती है तो गणित से जैसे-तैसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं।वे येन केन प्रकारेण 10वीं परीक्षा पास करके अन्य विषय का चुनाव करने का निश्चय कर लेते हैं। लेकिन यह ध्यान रखने वाली बात है कि जिस भी विषय को हम सरल समझते हैं तो ज्यों-ज्यों उस विषय को पढ़ते हैं तो उसमें भी हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।जब सरल समझने वाले विषय में भी कठिन से कठिन समस्याएं होती है तो विद्यार्थी पढ़ाई से पीछा छुड़ाने का निश्चय कर लेते हैं।इस प्रकार बहुत से विद्यार्थी शिक्षा पूरी करने से पूर्व ही स्कूल तथा काॅलेज छोड़ देते हैं।
- लेकिन कठिनाइयों से दूर भागने तथा उनका सामना करने से हम पलायनवादी हो जाते हैं।फिर जीवन में जब कभी भी कोई समस्या सामने आती है तो उसका सामना करने तथा उसका समाधान करने के बजाय उससे पीछा छुड़ाने का प्रयास करते हैं।इस प्रकार हम जीवन में हर कहीं असफल होते जाते हैं। गीता में भगवान् कृष्ण ने कहा है कि “न दैन्यं न पलायनम्” अर्थात् न तो दीनता यानी हार स्वीकार करें और न पलायन यानी अपने कर्म क्षेत्र छोड़कर भागे बल्कि उनका डटकर मुकाबला करें।यही सूत्र है गणित को हल करने का।यदि हम इस सूत्र को जीवन में अपना ले तथा गणित विषय का अभ्यास करेंगे तो गणित हमें सरल लगने लगेगा।
- उपर्युक्त आर्टिकल में गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) के बारे में बताया गया है।
2.गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नः
प्रश्न:1.1914 से 1917 तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के अनुप्रयुक्त गणित के रास बिहारी घोष की कुर्सी पर बैठने के लिए गणेश प्रसाद को किसने आमंत्रित किया? (Who invited Ganesh Prasad to occupy the Ras Behari Ghosh chair of Applied Mathematics of Calcutta University from 1914 to 1917?):
प्रश्न:2.गणेश प्रसाद का क्या योगदान है? (What is the contribution of Ganesh Prasad?):
प्रश्न:3.हरीश चंद्र रॉय किस तरह के व्यक्ति थे? (What kind of person was Harish Chandra Roy?):
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद (Mathematician Doctor Ganesh Prasad) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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गणितज्ञ डाॅक्टर गणेश प्रसाद
(Mathematician Doctor Ganesh Prasad)
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का जन्म 15 नवंबर 1876 ईस्वी को बलिया (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। गणेश प्रसाद के पिताजी
तथा उनके दादा बलिया के प्रसिद्ध कानूनगो थे।उनके परदादा भी प्रसिद्ध कानूनगो थे।
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