Math Matrix will tell posture of Asana
1.गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana),गणित की विधि बताएगी योगासन की सही मुद्रा (The Method of Mathematics will Tell Correct Posture of yogasana):
- गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana):गणित की विधि (गणितीय मैट्रिक्स) इलेक्ट्रोमायोग्राफी के आधार पर योगासन की सही मुद्रा का पता चलेगा।इस विधि के द्वारा योगासन में क्या सुधार करना आवश्यक है,उसे सटीक नाप सकेगी।
- गणित की मैट्रिक्स विधि योग की यांत्रिकी को समझने में मदद करेगी।
- रिसर्च करनेवालों ने स्थिरता और सटीकता के आधार पर योगासनों की शुद्धता मापने की एक गणीतीय मैट्रिक्स इलेक्ट्रोमायोग्राफी विकसित की है।यह गणितीय मैट्रिक्स इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) पर आधारित है।
- EMG के माध्यम से मांसपेशियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है।अब इसके आधार से योगासनों की सही मुद्रा और शुद्धता के बारे में जाना जा सकेगा।इससे साधक/साधिका आसनों का अधिक फायदा उठा सकेंगे।
- कर्नाटक के एमएस रमैया मेडिकल कॉलेज के डाॅ.एसएन ओमकार के नेतृत्त्व में एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. रमेश डीवी ने उक्त रिसर्च किया है।
- इस रिसर्च में योगासनों को करते समय मांसपेशियों के व्यवहार पर अध्ययन किया गया।
- रिसर्च करनेवालों ने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों मापदण्डों का अध्ययन करने के लिए EMG का प्रयोग किया।
अध्ययन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी आॅफ योगा एण्ड मेडिटेशन (सत्यम्) प्रोग्राम के सहयोग से किया गया। - इस रिसर्च में 21 से 60 वर्ष की आयुवाले 60 स्वस्थ्य महिला और पुरुषों को शामिल किया गया।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स(आईआईएससी) बेंगलुरु की बायोमैकेनिक्स प्रयोगशाला में दो वर्ष तक यह रिसर्च की गई।
- शामिल किए गए पुरुष और महिलाओं को फाइनल पोजीशन में सामान्य श्वास और शांत मस्तिष्क के साथ 20 सेकण्ड तक रहने को कहा गया।इसी प्रक्रिया को अनेक योगासनों के साथ दोहराया गया।इन योगासनों में मुख्य रूप से त्रिकोणासन,वृक्षासन,वीरभद्रासन,पार्श्वत्रिकोणासन इत्यादि शामिल थे।
- डाॅ. ओमकार के अनुसार गणितीय विधि से सटीक योगासन करने के अतिरिक्त इसके द्वारा अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।इसके द्वारा योगासन करनेवाले मांसपेशी की गतिविधि जान पाएंगें जिससे वह आवश्यक सुधार कर सकते हैं।यह विधि योग की यांत्रिकी विधि को समझने में सहायता करेगी।साथ ही भविष्य के अध्ययन में यह नींव का कार्य करेगी।
- गणित विषय का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग बढ़ता जा रहा है जैसे आर्ट्स के विषयों में,जीवविज्ञान,रसायन विज्ञान में गणित के उपयोग से अन्य विषयों की उपयोगिता बढ़ती जा रही है तथा गणित का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है।इसी क्रम में अब गणित का उपयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी किया जा रहा है जो कि एक शुभ संकेत है तथा गणित की उपादेयता बढ़ाने वाला है।
- अक्सर गणित को दैनिक जीवन में काम आनेवाले विषय के रूप में नहीं माना जाता है या कम आंका जाता है।परन्तु गणित के ज्ञान के अभाव में हम व्यावहारिक और दैनिक जीवन में इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं जिससे गणित के द्वारा होनेवाले लाभों से वंचित रह जाते हैं।
- योगासन आज दुनियाभर में लोकप्रिय होता जा रहा है।कोरोनावायरस के संक्रमण की चपेट में पूरा विश्व आ गया है।इसलिए लोग स्वास्थ्य के महत्त्व को जान समझकर जागरूक होते जा रहे हैं।
- योगासनों को उचित विधि तथा विधान से किया जाए तो हम इनसे बहुत लाभ उठा सकते हैं।21जून,2021 को विश्व में योग दिवस मनाया गया था।अब गणितीय मैट्रिक्स की विधि से हम जान सकेंगे कि योगासन की सही पोजीशन क्या है जिससे हमें अधिक लाभ मिल सके।योगासनों को अभी तक यांत्रिक तरीके से सही व गलत तरीके से करते आ रहे हैं।परन्तु अब इलेक्ट्रोमायोग्राफी(EMG) से सही योगासनों की पोजीशन(स्थिति) का पता चल सकेगा।अब यह तो आनेवाले समय में ही पता चलेगा कि यह विधि आम लोगों तक पहुंच पाएगी या नहीं।
- उपर्युक्त विवरण में गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana) के बारे में बताया गया है।
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2.गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा का निष्कर्ष (Conclusion of Math Matrix will tell posture of Asana),गणित की विधि बताएगी योगासन की सही मुद्रा का निष्कर्ष (Conclusion of The Method of Mathematics will Tell Correct Posture of yogasana):
- योगासन में गणितीय प्रद्धति एक नवीन अनुसंधान है। वास्तव में इसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। योगासन भगवान शिव से आरंभ होकर महर्षि पतंजलि ने इसे आधुनिक स्वरूप प्रदान किया है।समय-समय पर विभिन्न योगऋषियों तथा योगियों ने योग के स्वरूप में कुछ-न-कुछ नई चीजों का समावेश किया है।
- योगासन में विभिन्न मुद्राओं में कोण का महत्त्व भी है।भिन्न-भिन्न कोणों के आधार पर योगासन किया जाए तो उसका अलग-अलग परिणाम प्राप्त होते हैं।
- आधुनिक युग में योग को नया स्वरूप प्रदान करना योग को लोगों में लोकप्रिय बना सकता है।योग केवल रोग निदान का साधन ही नहीं है बल्कि योग एक जीवन पद्धति भी है।हमारे ऋषियों ने जीवन में उतारकर तथा योग को जीकर इसका प्रमाण प्रस्तुत किया है।वस्तुतः योग केवल एक शारीरिक व्यायाम या कसरत ही नहीं है बल्कि एक पूर्ण जीवन पद्धति है।
- छात्र-छात्राओं का प्रारंभिक जीवन ब्रह्मचर्य आश्रम कहलाता है।सूर्योदय के समय नित्य कर्मों से निवृत्त होकर योगासन-प्राणायाम में कुछ समय बिताया बताएं तो इससे शरीर में सकारात्मक तथा दिव्य ऊर्जा पैदा होती है।इस ऊर्जा से शरीर तथा दिमाग सशक्त होता है।युवाकाल को यदि तप,परिश्रम,योग साधना में बिताया जाए तो इसका लाभ पूरे जीवन भर उठाया जा सकता है।वरना यह शरीर जल्दी ही रोगों तथा विभिन्न विकृतियों का अड्डा बन जाता है।मानसिक तनाव,आलस्य जैसे दुर्गुण शरीर में अपना घर बना लेते हैं।युवा काल में जितना तप व परिश्रम किया जाएगा तो जीवन में सुख सुविधाओं का लाभ आनंदपूर्वक उठाया जा सकता है।यदि युवाकाल को ऐशोआराम,आरामतलबी व मटरगश्ती में बिताया जाएगा तो इसके दुष्परिणाम भी भोगने होंगे।
- आजकल वस्तुस्थिति यह है कि युवा युवाकाल को योगसाधना के बजाए धूम्रपान,मदिरा सेवन,नशीली चीजों और दवाइयों का सेवन करने में व्यतीत करते हैं और फिर कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।
- विश्व में कोरोनावायरस के कारण फैली महामारी कोविड-19 से भी यदि हमने सबक नहीं सीखा तो इसके गम्भीर परिणाम भोगने होंगे।यह महामारी भी हमारी दुष्पप्रवृत्तियों और असंयमित जीवन,हर प्रकार के जीवों का भक्षण करने का ही परिणाम है।
- योगसाधना में महर्षि द्वारा प्रणीत योग को अष्टांग योग कहा जाता हैं।ये आठ अंग हैं:यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय,ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह),नियम (शौच,संतोष,तप,स्वाध्याय,परमात्मा की भक्ति),आसन, प्रणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान,समाधि हैं।छात्र-छात्राओं के लिए यों तो इन सभी अंगों का पालन करना चाहिए परन्तु ध्यान व आसन का नियमित रूप अभ्यास करना चाहिए।इससे उनको थोड़े ही समय में चमत्कारिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
- ध्यान की अलग-अलग पद्धति इसलिए बताई जाती है क्योंकि हर व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती है।इसलिए आपके लिए कौन-सी ध्यान की पद्धति सही रहेगी इसके लिए आपको अपने आपसे तथा मार्गदर्शक से पूछकर इसका निर्णय लेना चाहिए।
- हमारे विचार से निम्नलिखित मार्गदर्शक हो सकतें हैं-(1.)आप स्वयं (2.)आपके माता-पिता (3.)शिक्षक (4.)आपके मित्र
जीवन में हमारे लिए परामर्श महत्वपूर्ण क्यों है,इसके बारे में जानने की आवश्यकता कब तथा क्यों है।काउंसलिंग को गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अब आपको इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तथा सही दिशा में अपना लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परामर्श लेना आवश्यक है। - हमें जीवन के प्रारंभिक काल में ही अपनी दिशा और लक्ष्य तय करने के लिए अथवा आध्यात्मिक यात्रा तय करनी हो तो उसके सही चुनाव करने की आवश्यकता है।आध्यात्मिक यात्रा करनी हो तो हमे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। हालांकि अधिकांश व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा चुनाव ठीक से परामर्श किए बिना तथा अपने साथियों की देखा-देखी कर लेते हैं।
- बाद में जब व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा,जाॅब अथवा करियर में वे असफल हो जाते हैं तो पश्चाताप करते हैं।अगर आप भी आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शक काउंसलिंग को गंभीरता से नहीं लेते हैं तो अब इसे गंभीरता से लें।
- कई व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा में असफल हो जाते है।आध्यात्मिक यात्रा में चाहे जो रास्ता चुन लेना,बार-बार रास्ता बदलना अथवा मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को ठीक से हैंडिल न कर पाना इत्यादि कोई भी कारण हो सकता है।इन सभी कारणों की समीक्षा करने के लिए अर्थात् व्यक्ति को पुनः आध्यात्मिक यात्रा करनी चाहिए,करनी चाहिए तो कहां से करनी चाहिए इसके लिए भी मार्गदर्शक तथा काउंसलिंग की आवश्यकता होती है।
- बहुत से व्यक्तियों को अपनी आध्यात्मिक क्षमता,प्रकृति अथवा आध्यात्मिक साधना का ठीक से पता नहीं होता है।
- बहुत से छात्रों को अपनी वास्तविक क्षमता,रुझान का ठीक से पता नहीं होता है।ऐसे छात्रों के लिए कोई भी पद्धति चुनना और उस पर आगे बढ़ना मुश्किल है।इस प्रकार के छात्रों को यह समझने में जिंदगी का काफी समय व्यतीत हो जाता है कि उनकी रुचि क्या है और उनके अंदर कैसी प्रतिभा छुपी हुई है? कुछ छात्र तो अपने ध्यान की पद्धति का सही चुनाव कर लेते हैं परंतु कुछ छात्र यह निर्णय नहीं ले पाते हैं कि क्या करें,क्या न करें? उनके पास कोई सटीक आईडिया नहीं होता है जिसके आधार पर अपनी प्रकृति तथा ध्यान की पद्धति के चुनाव का निर्णय ले सकें।कई छात्र मार्ग में कठिनाइयां आते ही अपने लिए गए निर्णय को बदल देते हैं और वे किसी दूसरी पद्धति का चुनाव कर लेते हैं ऐसे छात्र कंफ्यूज रहते हैं।
- आध्यात्मिक संत,गुरु अथवा ऋषि आपको दो तीन घंटे के सम्पर्क के आधार पर आपको परामर्श दिया जाता है।दो तीन घंटे के आधार पर आपको यह बताया जाता है कि आपको कौनसा पद्धति का चुनना चाहिए।हमारे अनुभव के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि किसी छात्र की रुचि और क्षमता को दो-तीन घंटे में नहीं परखा जा सकता है।
- आपको अपनी रुचि और क्षमता का सही तरीके से पता चल सके और आगे बढ़ने का सही रास्ता मिल सके,इसके लिए मार्गदर्शक तथा कोचिंग की आवश्यकता होती है।
- इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है सही परामर्शदाता अर्थात शिक्षक की ।परामर्शदाता अर्थात् कोच की आपके लिए ध्यान की पद्धति के चुनाव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।आपको उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह तो समझ में आ गया होगा कि काउंसलिंग क्यों महत्वपूर्ण है?
- जैसे अगर आपका रुझान योगासन में हैं तो इसके लिए आपको शारीरिक रूप से फिट रहने की आवश्यकता है।यदि आपका मित्र भी ऐसे ही किसी खेलकूद में रुचि रखता है तो आप अपने दोस्त से फिट रहने के टिप्स,खान-पान, प्रेक्टिस करने का समय तथा एक्सरसाइज करने में ध्यान रखने वाली सावधानियों के बारे में जान सकते हैं।
- आध्यात्मिक यात्रा के लिए मार्गदर्शक क्यों महत्त्वपूर्ण है,यह जानने के बाद अन्त में यह प्रश्न उठता है कि काउंसलिंग का उपयुक्त समय कौनसा होता है।वैसे तो यह कहावत है कि,” जब जागो तभी सवेरा “मानकर यह प्रक्रिया अपना लेनी चाहिए।लेकिन यदि उपयुक्त समय की बात करें तो प्रारंभिक अवस्था में ही यह निर्णय ले लेना चाहिए।
- बचपन अर्थात् युवावस्था में ही मार्गदर्शक से इस बारे में परामर्श लेकर ध्यान वगैरह शुरू कर देना चाहिए।लेकिन आप उस समय इस बारे में मार्गदर्शक की सलाह नहीं ले पाए तो कोई बात नहीं जब जागे तभी सवेरा के अनुसार किसी भी उम्र में मार्गदर्शक से परामर्श लेना चाहिए।आपके सबसे अच्छे मार्गदर्शक उपर्युक्त में से ही कोई हो सकता है।
- ध्यान का मतलब होता है ऊर्जा,बोध या एकाग्रता।अन्तर्मुखी व्यक्ति (इण्ट्रोवर्ट) व्यक्ति के लिए ध्यान महत्त्वपूर्ण होता है और बहिर्मुखी व्यक्ति (एक्सट्रोवर्ट) व्यक्ति के लिए सेवा महत्त्वपूर्ण होती है।यदि गहराई में देखा जाए तो अन्तर्मुखी व्यक्ति के लिए ध्यान ही धर्म (सेवा) बन जाता है और बहिर्मुखी व्यक्ति के लिए धर्म (सेवा) ही ध्यान बन जाता है।धर्म का मतलब होता है धारण करना या कर्त्तव्य पालन करना।
- हर व्यक्ति की प्रकृति अलग-अलग होती और उसके अनुसार ही उसे साधना का मार्ग अपनाना होता है।किसी के लिए भक्ति योग,किसी के लिए ज्ञान योग तो किसी के लिए कर्म योग अपनाना होता है।हालांकि इन सभी को गहराई से देखें तो तीनों अलग-अलग नहीं है।परन्तु प्रारंभ करने के लिए हमारी प्रकृति अवरोधक होती है।इसलिए अपनी प्रकृति को पहचनते हुए ध्यान की पद्धति अपनानी चाहिए।
- रोजाना प्रात:काल कुछ समय ध्यान व योग नियमित रूप से करें।इससे आपका दिमाग सक्रिय रहेगा।इन्द्रियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।ध्यान व योग का अभ्यास ज्यों-ज्यों बढ़ता जाएगा तो आप खुद अपने आपमें बदलाव महसूस करेंगे।ध्यान व योग से पढ़ाई करते आपका ध्यान केन्द्रित होने में मदद मिलेगी तथा न तो दिन में आलस्य महसूस होगा और न ही नींद आएगी।ध्यान व योग का नियमित अभ्यास करने से,आपकी जो ऊर्जा बंटी हुई रहती है उसको एकाग्र करने में मदद मिलेगी।आपकी एकाग्रता सधने लगेगी।आपका ध्यान केन्द्रित होने लगेगा।
- उपर्युक्त विवरण में गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana) की समीक्षा की गई है।
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3.गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana),मांसपेशियों के इलेक्ट्रोमायोग्राफी विश्लेषण के लिए एक गणितीय विधि (A Mathematical Method for Electromyography Analysis of Muscle) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.योग में गणित की भूमिका Rrole of Mathematics in Yoga):
उत्तर:ज्यामिति की तरह,प्रत्येक आसन अपने गठन में विज्ञान की तरह है जो उनके भीतर विशेष शक्तियां या ऊर्जाएं जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं और इसे सनक से नहीं करना है,इसे सही रूप प्राप्त करने के लिए सही तकनीकों को जानना महत्वपूर्ण है।
उद्देश्य: इस अध्ययन का उद्देश्य एक गणितीय पद्धति का परिचय देना था।अंतिम मुद्रा के दौरान EMG डेटा रैखिक का उपयोग करके एक सीधी रेखा में आसन के लिए फिट थे।इस पद्धति के फायदे हैं कि रेखा का ढलान एक अच्छा संकेतक है। योगासन करते समय मांसपेशियों की गतिविधि और इस अध्ययन में सुझाई गई विधि को किया जा सकता है।
गणितीय मेट्रिक्स योग कलाकार को इसे पूर्णता के साथ करने में मदद कर सकता है;अध्ययन और विभिन्न योग आसनों जैसे त्रिकोणासन के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी।अभ्यासी इस प्रतिक्रिया के साथ अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकता है और मन को बनाए रख सकता है।
इस तरह शरीर के दाएँ और बाएँ भाग में भी विशेष शक्तियाँ होती हैं।इससे केवल यह पता चलता है कि योग आसन केवल शारीरिक व्यायाम नहीं हैं।आसन विज्ञान में उनके सूत्र का ज्ञान होता है और मदद कर सकता है।
प्रश्न:2.योग मुद्रा में कितने समकोण बनते हैं? (How many right angles are formed in the yoga posture?):
उत्तर:आठ कोण वाली मुद्रा में जाने के लिए तैयार हैं।जबकि निम्नलिखित तकनीकी रूप से सभी ‘पोज़’ नहीं हैं, प्रत्येक का अभ्यास अष्टकोणीय मुद्रा की यात्रा पर किया जा सकता है।
प्रश्न:3.एकाग्रता के लिए कौन सा योग सर्वोत्तम है? (Which yoga is best for concentration?):
उत्तर:यहां कुछ सरल योग मुद्राएं दी गई हैं जो आपको बेहतर एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती हैं:
वृक्ष मुद्रा या वृक्षासन (Tree Pose or Vrikshasana)।
माउंटेन पोज़ या ताड़ासन (Mountain Pose Or Tadasana)।
डांस पोज या नटराजासन (Dance Pose Or Natrajasana)।
ईगल पोज या गरुड़ आसन (Eagle Pose Or Garud Asana)।
बैठे हुए आगे की मुद्रा या पश्चिमोत्तासन (Seated Forward Pose Or Paschimottasana)।
ऊंट मुद्रा या उष्ट्रासन (Camel Pose Or Ustrasana)।
क्रेन पोज़ या बकासन (Crane Pose Or Bakasana)।
प्रश्न:4.क्या योग याददाश्त में सुधार कर सकता है? (Can yoga improve memory?),योग अनुभूति में सुधार क्यों कर सकता है? (Why Might Yoga Improve Cognition?):
उत्तर:संज्ञानात्मक प्रशिक्षण (Cognitive training)-अपने मस्तिष्क के लिए एक कसरत के बारे में सोचें-अक्सर बेहतर स्मृति और मनोभ्रंश के कम जोखिम से जुड़ा होता है।योग में मस्तिष्क की “मांसपेशियों” को खींचने और मजबूत करने के समान मन का प्रशिक्षण या अनुशासन शामिल है।
प्रश्न:5.आप अपनी एकाग्रता में सुधार कैसे करते हैं? (How do you improve your concentration?):
उत्तर:अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करो।कुछ खास तरह के गेम खेलने से आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है।
अपना खेल चालू करो।दिमागी खेल एकमात्र ऐसा खेल नहीं हो सकता है जो एकाग्रता में सुधार करने में मदद कर सकता है।
नींद में सुधार करें।
व्यायाम के लिए समय निकालें।
प्रकृति में समय बिताएं।
ध्यान को आजमाएं।
एक ब्रेक ले लो।
संगीत सुनें।
प्रश्न:6.क्या योग से बढ़ता है आईक्यू? (Does yoga increase IQ?):
उत्तर:अनुसंधान ने लंबे समय से दिखाया है कि योग ने आईक्यू को बढ़ावा देने में मदद की है।इसका उपयोग स्मृति बढ़ाने,स्वास्थ्य लाभ,समन्वय(co-ordination),प्रतिक्रिया समय और स्मृति के लिए किया जा सकता है।
प्रश्न:7.छात्रों के लिए कौन सा योग सबसे अच्छा है? (Which yoga is best for students?):
उत्तर:छात्रों के लिए योग आसन: 5 योग आसन जो आपकी परीक्षा के लिए अच्छी तरह से अध्ययन करने में आपकी मदद करेंगे
मत्स्यासन (मछली मुद्रा) [Matsyasana (Fish pose)]।
वीरासन (हीरो पोज) [Virasana (Hero pose)]।
सूर्यनमस्कार (सूर्य नमस्कार) [Suryanamaskar (Sun salutations)]
भ्रामरी प्राणायाम (मधुमक्खी श्वास) [Bhramari pranayam (Bee breathing)]
वज्रासन (हीरा या वज्र मुद्रा) [Vajrasana (Diamond or thunderbolt pose)]
प्रश्न:8.छात्रों के लिए योग कैसे उपयोगी है? (How yoga is useful for students?):
उत्तर:योग तनाव को कम करके और अपने दिमाग को साफ करने और शांति की भावना पैदा करने में मदद करने के लिए इसमें मदद कर सकता है।कई छात्र पाते हैं कि योग भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है और निराशाजनक स्थितियों से निपटने की क्षमता को बढ़ाता है।
प्रश्न:9.योग के जनक कौन हैं? (Who is the father of yoga?):
उत्तर:भगवान शिव
शास्त्रों और इसकी मान्यताओं के अनुसार,भगवान शिव योग के जनक हैं।उस समय लिखी गई एक कविता के अनुसार,शिव ने लगभग 15 हजार साल पहले पूर्ण ज्ञान का स्तर प्राप्त किया था।समय और वर्ष बीतने के साथ,योग विकसित हुआ जिसे अब आधुनिक योग के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न:10.योग का राजा कौन है? (Which is the king of yoga?):
उत्तर:सलम्ब शीर्षासन (Salamba Shirshasana)
सलम्ब शीर्षासन,जिसे अक्सर शीर्षासन या योग हेडस्टैंड के रूप में संक्षिप्त किया जाता है,आधुनिक योग में व्यायाम के रूप में एक उल्टा आसन है; शास्त्रीय हठ योग में विभिन्न नामों के तहत इसे आसन और मुद्रा दोनों के रूप में वर्णित किया गया था।इसे सभी आसनों का राजा कहा गया है।
प्रश्न:11.किस शहर को विश्व की योग राजधानी कहा जाता है? (Which city is called yoga capital of world?):
उत्तर:ऋषिकेश (Rishikesh)
ऋषिकेश स्वयंभू “दुनिया की योग राजधानी” भी है,जिसे इस व्यापक रूप से लोकप्रिय प्रथा का जन्मस्थान माना जाता है,जिसके बारे में कहा जाता है कि इससे मन और शरीर दोनों को लाभ होता है।
प्रश्न:12.सबसे पहले योग की शुरुआत किसने की? (Who first introduced yoga?):
उत्तर:स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)
शिकागो (Chicago),अमेरिका के धर्म सम्मेलन में पहली बार पश्चिमी दुनिया में योग का परिचय किसने दिया था?व्याख्या: आधुनिक युग में स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद को संबोधित करते हुए पश्चिमी दुनिया में योग के महत्व को फिर से पेश किया.
प्रश्न:13.योग का जन्मस्थान कौन सा देश है? (Which country is birthplace of yoga?):
उत्तर:योग की उत्पत्ति 5,000 साल पहले उत्तर भारत में पाई जा सकती है।योग शब्द का सबसे पहले प्राचीन पवित्र ग्रंथों में उल्लेख किया गया था जिसे ऋग्वेद कहा जाता है। वेद संस्कृत में लिखे गए चार प्राचीन पवित्र ग्रंथों का एक समूह है।
प्रश्न:14.सबसे पहले योग किस देश ने शुरू किया था? (Which country started first yoga?):
उत्तर:प्राचीन भारत
प्राचीन भारत में विकसित योग के अलावा इसके कालक्रम या विशिष्ट उत्पत्ति पर कोई सहमति नहीं है।सुझाए गए मूल सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1900 ईसा पूर्व) और भारत के पूर्व-वैदिक पूर्वी राज्य,वैदिक काल (1500-500 ईसा पूर्व) और श्रमण आंदोलन हैं।
प्रश्न:15.ध्यान का आविष्कार किस देश ने किया? (Which country invented meditation?):
उत्तर:साइकोलॉजी टुडे के अनुसार,कुछ पुरातत्वविदों ने ध्यान की तारीख 5,000 ईसा पूर्व की है और इस प्रथा का प्राचीन मिस्र और चीन के साथ-साथ यहूदी धर्म,हिंदू धर्म, जैन धर्म,सिख धर्म और निश्चित रूप से बौद्ध धर्म में भी धार्मिक संबंध हैं।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गणित की विधि बताएगी आसन की सही मुद्रा(Math Matrix will tell posture of Asana),गणित की विधि बताएगी योगासन की सही मुद्रा (The Method of Mathematics will Tell Correct Posture of yogasana) के बारे मे ओर अधिक जान सकते हैं।
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