Introduction to 3 Dimensional Geometry
1.त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Introduction to 3 Dimensional Geometry),त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 11 (Three Dimensional Geometry Class 11):
त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Introduction to 3 Dimensional Geometry) के इस आर्टिकल में ज्यामिति का परिचय,त्रिविमीय अंतरिक्ष में निर्देशांक्ष और निर्देशांक तल,अंतरिक्ष में एक बिन्दु के निर्देशांक तथा अष्टांशों में निर्देशांकों के चिन्ह का अध्ययन करेंगे।
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2.ज्यामिति का परिचय (Introduction to Geometry):
- हम जानते हैं कि किसी तल में स्थित एक बिंदु की स्थिति निर्धारण के लिए हमें उस तल में दो परस्पर लंब एवं प्रतिच्छेदित रेखाओं से लाम्बिक दूरियों की आवश्यकता होती है।इन रेखाओं को निर्देशांक्ष और उन दो लाम्बिक दूरियों को अक्षों के सापेक्ष उस बिंदु के निर्देशांक (Coordinate) कहते हैं।वास्तविक जीवन में हमारा केवल एक तल में स्थित बिंदुओं से ही संबंध नहीं रह जाता है।
- उदाहरणतः अंतरिक्ष में फेंके गए एक गेंद की विभिन्न समय में स्थिति अथवा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के दौरान वायुयान की एक विशिष्ट समय में स्थिति आदि,को भी जानने की आवश्यकता पड़ती है।
- इसी प्रकार एक कमरे की छत से लटकते हुए एक विद्युत बल्ब की निचली नोक अथवा छत के पंखे की नोक की स्थिति का निर्धारण करने के लिए हमें उन बिंदुओं की दो परस्पर लम्ब दीवारों से दूरियां मात्र ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उस बिन्दु की,कमरे के फर्श से ऊँचाई की भी आवश्यकता पड़ती है।
- अतः हमें केवल दो नहीं बल्कि तीन परस्पर लाम्बिक तलों से लम्बवत दूरियों को निरूपित करने के लिए तीन संख्याओं की आवश्यकता होती है,जो बिन्दु की दो परस्पर लम्ब दीवारों से दूरियां तथा उस कमरे के फर्श से ऊँचाई को व्यक्त करती है।कमरे की परस्पर लम्ब दीवारों तथा उस क्षैतिज का फर्श तीन परस्पर प्रतिच्छेदित करने वाले तल हैं।इन परस्पर प्रतिच्छेदित करने वाले तलों से लम्ब दूरियों को व्यक्त करने वाली तीन संख्याएँ उस बिन्दु के तीन निर्देशांक तलों के सापेक्ष निर्देशांक कहलाते हैं।इस प्रकार अंतरिक्ष (Space) में स्थित एक बिन्दु के तीन निर्देशांक होते हैं।
3.त्रिविमीय अंतरिक्ष में निर्देशांक्ष और निर्देशांक-तल (Coordinate Axes and Coordinate Planes in Three Dimensional Space):
- बिन्दु O पर प्रतिच्छेदित करने वाले तीन परस्पर लम्ब तलों की कल्पना कीजिए (आकृति)।ये तीनों तल रेखाओं X’OX,Y’OY और Z’OZ पर प्रतिच्छेदित करते हैं जिन्हें क्रमशः x-अक्ष,y-अक्ष और z-अक्ष कहते हैं।हम स्पष्टतः देखते हैं कि ये तीनों रेखाएँ परस्पर लम्ब हैं।इन्हें हम समकोणिक निर्देशांक निकाय कहते हैं।XOY,YOZ और ZOX तलों को क्रमशः XY-तल,YZ-तल और ZX-तल कहते हैं।ये तीनों तल निर्देशांक तल कहलाते हैं।
- हम कागज के तल को XOY तल कहते हैं।और Z’OZ रेखा को तल XOY पर लम्बवत लेते हैं।यदि कागज के तल को क्षैतिजतः रखें तो Z’OZ रेखा उर्ध्वारतः होती है।XY-तल से OZ की दिशा में ऊपर की ओर नापी गई दूरियाँ धनात्मक और OZ’ की दिशा में नीचे की ओर नापी गई दूरियाँ ऋणात्मक होती है।ठीक उसी प्रकार ZX-तल के दाहिने OY दिशा में नापी गई दूरियाँ धनात्मक और ZX तल के बाएँ OY’ की दिशा में नापी गई दूरियाँ ऋणात्मक होती हैं।YZ-तल के सम्मुख OX दिशा में नापी गई दूरियाँ धनात्मक तथा इसके पीछे OX’ की दिशा में नापी गई दूरियाँ ऋणात्मक होती हैं।बिन्दु O को निर्देशांक निकाय का मूलबिन्दु कहते हैं।तीन निर्देशांक तल अंतरिक्ष को आठ भागों में बांटते हैं,इन अष्टांशों के नाम XOYZ,X’OYZ,X’OY’Z,XOY’Z,XOYZ’,X’OY’Z’,X’OYZ’ और XOY’Z’ हैं।और जिन्हें क्रमशः I,II,III,IV,V,VI,VII,VIII द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
4.अन्तरिक्ष में एक बिन्दु के निर्देशांक (Coordinates of a Point in Space):
- अन्तरिक्ष में निश्चित निर्देशांक्षों,निर्देशांक तलों और मूलबिन्दु सहित निर्देशांक्ष निकाय के चयन के पश्चात दिए बिन्दु के तीन निर्देशांक (x,y,z) को ज्ञात करने की विधि तथा विलोमतः तीन संख्याओं के त्रिदिक (Triplet) दिए जाने पर अंतरिक्ष में संगत बिन्दु (x,y,z) के निर्धारण करने की विधि की अब विस्तार से व्याख्या करते हैं।
- अन्तरिक्ष में दिए गए बिन्दु P से XY-तल पर PM लम्ब खींचते हैं जिसका पाद M है (आकृति)।तब M से x-अक्ष पर ML लम्ब खींचिए जो उससे L पर मिलता है।मान लीजिए OL=x,LM=y और PM=z तब (x,y,z) बिन्दु P के निर्देशांक कहते हैं।आकृति में हम देखते हैं कि बिन्दु P(x,y,z) अष्टांश XOYZ में स्थित है,अतः x,y और z सभी धनात्मक हैं।
यदि P किसी अन्य अष्टांश में हो तो x,y और z के चिन्ह तदनुसार परिवर्तित हो जाते हैं।इस प्रकार अन्तरिक्ष में स्थित किसी बिन्दु P की संगतता वास्तविक संख्याओं के क्रमिक त्रिदिक (x,y,z) से किया जाता है। - विलोमतः(Conversely):किसी त्रिदिक (x,y,z) के दिए जाने पर हम x के संगत x-अक्ष पर बिन्दु L निर्धारित करते हैं।पुनः XY-तल में बिन्दु M निर्धारित करते हैं जहाँ इसके निर्देशांक (x,y) हैं।ध्यान दीजिये कि LM या तो x-अक्ष पर लम्ब है अथवा y-अक्ष के समान्तर है।बिन्दु M पर पहुँचने के पश्चात हम XY-तल पर MP लम्ब खींचते हैं,इस पर बिन्दु P को z के संगत निर्धारण करते हैं।इस प्रकार निर्धारित बिन्दु P के निर्देशांक (x,y,z) हैं।अतः अंतरिक्ष में स्थित बिंदुओं की वास्तविक संख्याओं के क्रमित त्रिदिक (x,y,z) से सदैव एकैक-संगतता रखते हैं।
- विकल्पतः (Alternate):अन्तरिक्ष में स्थित बिन्दु P से हम निर्देशांक तलों के समान्तर तीन तल खींचते हैं जो x-अक्ष,y-अक्ष और z-अक्ष को क्रमशः A,B और C बिन्दुओं पर प्रतिच्छेदित करते हैं (आकृति)।यदि OA=x,OB=y तथा OC=z हो तो बिन्दु P के निर्देशांक x,y और z होते हैं और इसे हम P(x,y,z) के रूप में लिखते हैं।
- विलोमतः (Conversely):x,y और z के दिए जाने पर हम निर्देशांक्षों पर बिन्दु A,B तथा C निर्धारित करते हैं।बिन्दु A,B और C से हम क्रमशः YZ-तल,ZX-तल तथा XY-तल के समान्तर तीन तल खींचते हैं।इन तीनों तलों को ADPF,BDPE तथा CEPF का प्रतिच्छेदन बिन्दु स्पष्टतः P है जो क्रमिक-त्रिदिक (x,y,z) के संगत है।
हम देखते हैं कि यदि अन्तरिक्ष में कोई बिन्दु P(x,y,z) है तो YZ,ZX तथा XY तलों से लम्बवत दूरियाँ क्रमशः x,y तथा z है।
5.आठों अष्टांशों में निर्देशांक्षों के चिन्ह (Signs of Axes in the eight Octant):
- एक बिन्दु के निर्देशांकों के चिन्ह उस अष्टांश को निर्धारित करते हैं जिसमें बिन्दु स्थित होता है।निम्नलिखित सारणी आठों अष्टांशों में निर्देशांकों के चिन्ह दर्शाती है।
सारणी (Table)
अष्टांश/निर्देशांक | I | II | III | IV | V | VI | VII | VIII |
X | + | – | – | + | + | – | – | + |
Y | + | + | – | – | + | + | – | – |
Z | + | + | + | + | – | – | – | – |
6.त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय पर आधारित उदाहरण (Examples Based on Introduction to 3 Dimensional Geometry):
Example:1.एक बिन्दु x-अक्ष पर स्थित है।इसके y-निर्देशांक तथा z-निर्देशांक क्या हैं?
Solution:x-अक्ष पर y-निर्देशांक तथा z-निर्देशांक शून्य हैं।
Example:2.एक बिन्दु XZ-तल में है।इसके y-निर्देशांक के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
Solution:XZ-तल में y-निर्देशांक शून्य है।
Example:3.उन अष्टांशों के नाम बताइए जिनमें निम्नलिखित बिन्दु स्थित हैंः
(1,2,3),(4,-2,3),(4,-2,-5),(4,2,-5),(-4 2,-5),(-4,2,5),(-3,-1,6),(2,-4,-7)
Solution:(1,2,3)-I,(4,-2,3)-IV,(4,-2,-5)-VIII,(4,2,-5)-V,(-4 2,-5)-VI,(-4,2,5)-II,(-3,-1,6)-III,(2,-4,-7)-VII
Example:4.रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिएः
Example:4(i).x-अक्ष और y-अक्ष दोनों एक साथ मिलकर एक तल बनाते हैं,उस तल को…. कहते हैं।
Solution:XY-समतल
Example:4(ii).XY-तल में एक बिन्दु के निर्देशांक….. रूप के होते हैं।
Solution:(x,y,0)
Example:4(iii).निर्देशांक तल अन्तरिक्ष को…. अष्टांश में विभाजित करते हैं।
Solution:आठ क्षेत्र
उपर्युक्त आर्टिकल में त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Introduction to 3 Dimensional Geometry),त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 11 (Three Dimensional Geometry Class 11) के बारे में बताया गया है।
7.त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय की समस्याएँ (Introduction to 3 Dimensional Geometry Problems):
(1.)यदि किसी बिन्दु के निर्देशांक (2,3,10) हैं तो x-अक्ष पर स्थित इसके संगत बिन्दु A के निर्देशांक क्या हैं?
(2.)वे अष्टांश ज्ञात कीजिए जिसमें बिन्दु (-3,1,2) और (-3,1,-2) स्थित हैं।
उत्तर (Answers):(1.)(2,0,0) (2.)(-3,1,-2) दूसरे अष्टांश में तथा बिन्दु (-3,1,-2) छठे अष्टांश में स्थित हैं।
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Introduction to 3 Dimensional Geometry),त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 11 (Three Dimensional Geometry Class 11) को ठीक से समझ सकते हैं।
8.लियोनार्ड यूलर का योगदान (Leonhard Euler’s Contribution):
- 1637 ई. में वैश्लेषिक ज्यामिति के जनक Rene’ Descartes (1596-1650 A.D.) ने तलीय ज्यामिति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया,इनके सहआविष्कारक Piarre Fermat (1601-1665 A.D.) और La Hire (1640-1718 A.D.) ने भी इस क्षेत्र में कार्य किया।
- यद्यपि इन लोगों के कार्यों में त्रिविमीय ज्यामिति के सम्बन्ध में सुझाव है परन्तु विशद विवेचन नहीं है।Descartes को त्रिविमीय अंतरिक्ष में बिन्दु के निर्देशांकों के विषय में जानकारी थी परन्तु उन्होंने इसे विकसित नहीं किया।
1715 ई. में J. Bernoulli (1667-1748 A.D.) ने Liebnitz को लिखे पत्र में तीन निर्देशांक तलों का परिचय उल्लेखित है जिसे हम आज प्रयोग कर रहे हैं। - सर्वप्रथम सन् 1700 ई. में फ्रेंच एकेडमी को प्रस्तुत किए गए Antoinne Parent (1666-1716 A.D.) के लेख में वैश्लेषिक ठोस ज्यामिति के विषय में विस्तृत विवेचन है।
- L. Euler (1707-1783 A.D.) ने सन् 1748 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘ज्यामिति का परिचय’ के दूसरे खण्ड के परिशिष्ट के 5वें अध्याय में त्रिविमीय निर्देशांक ज्यामिति का सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध वर्णन प्रस्तुत किया।
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य के बाद ही ज्यामिति का तीन से अधिक आयामों में विस्तार किया गया,जिसका सर्वोत्तम प्रयोग Einstein के सापेक्षवाद के सिद्धान्त में स्थान-समय अनुक्रमण (Space-Continuum) में द्रष्टव्य है।
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9.त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Frequently Asked Questions Related to Introduction to 3 Dimensional Geometry),त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 11 (Three Dimensional Geometry Class 11) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.x-अक्ष के निर्देशांक क्या होते हैं? (What are the Coordinates of x-axis?):
उत्तर:x-अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु के निर्देशांक (x,0,0) होते हैं।
प्रश्न:2.YZ-तल में किसी बिन्दु के निर्देशांक क्या होते हैं? (What are the Coordinates of a Point in YZ-Plane?):
उत्तरःYZ-तल में स्थित किसी बिन्दु के निर्देशांक (0,y,z) होते हैं।
प्रश्न:3.समकोणिक अक्ष किसे कहते हैं? (What is a Rectangular Axes?):
उत्तरःX,Y,Z अक्षों को निर्देश अक्ष अथवा समकोणिक अक्ष कहते हैं।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय (Introduction to 3 Dimensional Geometry),त्रिविमीय ज्यामिति कक्षा 11 (Three Dimensional Geometry Class 11) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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