Menu

Interesting Mathematical Numbers

1.रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers),अद्भुत गणितीय संख्याएँ (Strange Mathematical Numbers):

  • रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers) भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं।इन गणितीय संख्याओं से मनोरंजन तो होगा ही साथ ही ज्ञान में भी वृद्धि होगी।प्रस्तुत है ये विभिन्न रोचक गणितीय संख्याएँ:
  • (1.)अंक (Digit):0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 तक की संख्या अंक कहलाती हैं।सभी संख्याएँ इन 10 अंकों से ही निर्मित होती है चाहे वह कितनी भी बड़ी संख्या हो।यह भारतीय गणितज्ञों का कमाल है जिन्होंने इनका आविष्कार किया।
  • (2.)प्राकृतिक संख्या (Natural Numbers):
    एक से शुरू होकर सभी धनात्मक पूर्ण संख्याएँ प्राकृतिक संख्याएं हैं।जैसे:1,2,3,4,5,6,7… इत्यादि तथा \frac{1}{2},\frac{3}{2},\sqrt{2} प्राकृत संख्याएँ नहीं है।
  • (3.)शून्य (Zero):
    यह एक ऐसी संख्या है जिसका अर्थ कुछ नहीं होता है।इसके अनेक अनोखे गुण हैं।जैसे:\frac{x} {0}=\infin{},\frac{0}{x}=0\text{ जहां } x\neq{0}\text{ तथा }\frac{0}{0}=\text{ अनिधार्य } मान (Indeterminate Value), 0×x=0 इत्यादि।
  • 1 से 9 तक के अंकों का आविष्कार करना इतना आश्चर्यजनक नहीं है जितना शून्य का आविष्कार करना। शून्य का आविष्कार अर्थात् किसी भी चीज का न होना तथा उसको किसी संकेत द्वारा व्यक्त करना एक उच्च मानसिक विकास की अवस्था में ही सम्भव हुआ है। यह तभी सम्भव हुआ है जब भारतीय गणितज्ञों ने अमूर्त का चिन्तन करने की योग्यता हासिल कर ली।अभाव अथवा किसी चीज के न होने की कल्पना भारतीय गणितज्ञों की विलक्षण बौद्धिक क्षमता का सूचक है।शून्य के आविष्कार से पता लगाया जा सकता है कि उनमें अद्वितीय प्रतिभा थी।वर्ना इतना ही सरल होता तो आर्किमिडीज और अपोलोनियस जैसे विश्व के दिग्गज गणितज्ञ शून्य का आविष्कार कर चुके होते।
  • (4.)पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers):
    शून्य तथा प्राकृत संख्याओं से मिलकर बनी हुई  संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ कहलाती है जैसे:0,1,2,3,4,5… इत्यादि।
  • (5.)धन पूर्ण संख्याएं (Positive Integers):
    प्राकृत संख्याओं को धन पूर्ण संख्याएँ कहते हैं। जैसे:1,2,3,4,5…इत्यादि।
  • (6.)पूर्णांक संख्याएं (Integers Numbers):
    शून्य के बायीं ओर की ऋणात्मक संख्याएं तथा शून्य के दायीं ओर की धनात्मक संख्याएँ जो पूर्ण अंकों में हो तथा शून्य को मिलाकर पूर्णांक संख्याएं कहलाती है।जैसे:…-6,-5,-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,5,6… इत्यादि ।
  • (7.)धनात्मक पूर्ण संख्याएं (Positive Integers):
    ये प्राकृत संख्याएं होती हैं जैसे:1,2,3,4,5,6… इत्यादि।
  • (8.)ऋणात्मक पूर्णांक संख्याएं (Negative Integers):
    ये ऋणात्मक होती हैं।जैसे:..-6,-5,-4,-3,-2,-1 इत्यादि।सबसे बड़ी ऋणात्मक पूर्ण संख्या – 1 है।
  • (9.)सम धनात्मक पूर्णांक संख्याएं (Even Positive Integers):
    वे धन पूर्णांक संख्याएं जो 2 से पूर्णत: विभाजित हो जाती है।जैसे 2,4,6,8,10,12… इत्यादि।
  • (10.)विषम धनात्मक पूर्णांक संख्याएं (Odd Positive Integers):
    वे धन पूर्णांक संख्याएं जो दो से पूर्णत विभाजित नहीं होती हैं विषम धन पूर्णांक संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे:1,3,5,7,9… इत्यादि।
  • (11.)अभाज्य धन पूर्णांक संख्याएं (Prime Positive Integers):
    वे धन पूर्णांक संख्याएं जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त अन्य किसी भी धन पूर्णांक से पूर्णतया विभाजित नहीं होती है।जैसे:2,3,5,7,11…इत्यादि।। (11.)भाज्य धन पूर्णांक संख्याएँ (Composite Positive Integers):
    वे धन पूर्णांक संख्याएं जो स्वयं तथा 1 के अतिरिक्त अन्य धन पूर्णांकों से पूर्णतया विभाजित होती है।जैसे:4,6,8,9,10…इत्यादि।
  • (13.)सह अभाज्य संख्याएँ (Coprime Numbers):
    वे संख्याएँ जिनका 1 के अतिरिक्त उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं होता है।जैसे:9,16 9=1×3×3 तथा 16=1×2×2×2×2 दोनों में 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है।
  • (14.)सह भाज्य संख्याएँ (Co-composite Numbers):
    वे पूर्ण संख्याएँ जिनका कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड होता है (एक के अतिरिक्त)।जैसे:15=1×3×5 तथा 18=1×2×3×3 दोनों में एक के अतिरिक्त उभयनिष्ठ गुणनखंड तीन है।
  • (15.)परिमेय या अनुपातिक संख्याएँ (Rational Numbers) या भिन्न संख्याएँ (Fractions Numbers):
    ऐसी संख्याएँ जिसे भिन्न के रूप में प्रदर्शित किया जा सके तथा जिसके अंश व हर दोनों पूर्णांक हो परंतु हर शून्य न हो परिमेय संख्याएं कहलाती है। जैसे:
  • \frac{2}{1},\frac{3}{5},\sqrt{9}… इत्यादि।
  • (16.)अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers):
    यदि किसी संख्या को ऐसी संख्या में व्यक्त नहीं किया जा सके जिसके अंश व हर पूर्णांक हो तो उनको अपरिमेय संख्या कहते हैं।जैसे:\sqrt{2},\sqrt{5},\sqrt{7}…
    इत्यादि।
  • (17.)वास्तविक संख्याएं (Real Numbers):
    सभी परिमेय एवं अपरिमेय संख्याओं को मिलाकर वास्तविक संख्याएं कहा जाता है।जैसे:\frac{2}{7},3,\sqrt{5},\sqrt{15}… इत्यादि।
  • (18.)रूढ़ या अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers):
    एक से बड़ी ऐसी प्राकृत संख्याएं जो 1 तथा स्वयं के अतिरिक्त किसी से विभाजित न हो रूढ़ या अभाज्य संख्याएं कहलाती हैं।जैसे:2,3,5,7,11, 13,17… इत्यादि।
  • (19.)भाज्य या यौगिक या संयुक्त या समष्टि संख्याएँ (Composite Numbers):
    ऐसी प्राकृत संख्याएँ जो एक या स्वयं के अतिरिक्त दूसरी संख्याओं से भी विभाजित होती है भाज्य या संयुक्त संख्या कहलाती है।जैसे:4,6,8,9,10,12,15… इत्यादि।
  • (20.)जटिल या सम्मिश्र संख्याएँ (Complex Numbers):
    जो संख्याएँ वास्तविक व काल्पनिक संख्याओं से मिलकर बनी हों सम्मिश्र संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे:3+2i,3+\sqrt{2}i… इत्यादि।
  • (21.)काल्पनिक संख्याएँ (Imaginary Numbers):
  • किसी ऋणात्मक संख्या के वर्गमूल वाली संख्या को काल्पनिक संख्या कहते हैं।इसे i से प्रदर्शित किया जाता है।जैसे:\sqrt{-5}=5i..
    इत्यादि।
  • (22.)सर्वनिष्ठ संख्याएं (Common Numbers):
    वे संख्याएं जो कई संख्याओं के गुणनखंड के रूप में उपस्थित हो सर्वनिष्ठ संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे: 3 व 5 संख्याएँ 15,30,45,60 के गुणनखंड के रूप में उपस्थित हैं।
  • (23.)व्युत्पन्न संख्याएँ (Derived Numbers):
    वे संख्याएँ जो मूल प्राकृतिक संख्याओं से उत्पन्न होती है व्युत्पन्न संख्याएँ कहलाती हैं।प्राकृत संख्याओं के बीच पहली व्युत्पन्न संख्या 4 है।अन्य व्युत्पन्न संख्याएँ 6,8,9 इत्यादि हैं।
  • (24)विपरीत संख्याएँ (Opposite Numbers):
    वह दो संख्याएँ जिनका योग शून्य होता है,एक दूसरे की विपरीत संख्याएँ कहलाती है।जैसे:7 एवं – 7 इत्यादि।
  • (25.)मित्र या स्नेही संख्याएँ (Amicable or Amiable Numbers):
    ऐसी दो संख्याएँ जिनमें से प्रत्येक के गुणनखण्डों का योग (स्वयं के अतिरिक्त) दूसरी संख्या के बराबर हो मित्र या स्नेही संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे: 220 और 284.220 के गुणनखण्डों 1,2,4,5,10,11,20,22,44,55,110 का योग 284 है तथा 284 के गुणनखण्डों 1,2,4,7,142 का योग 220 है।इसी प्रकार कुछ अन्य मित्र या स्नेही संख्याएँ (1184,1210), (12620,2924),(12285,14595) एवं (17296,18416) इत्यादि हैं।
  • (26.)हर्षद संख्याएँ (Harshad Numbers):
    वे संख्याएँ जो अपने अंको के योग से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं,हर्षद संख्याएं कहलाती हैं। जैसे:12 के अंकों का योग 1+2=3 से पूर्णतः विभाजित है।अन्य हर्षद संख्याएँ 18,20,24,30 इत्यादि हैं।
  • (27.)परिपूर्ण संख्याएँ (Perfect Numbers):
    वे संख्याएँ जो स्वयं के अलावा अपने भाजको के जोड़ के बराबर होती हैं परिपूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं।निम्नतम परिपूर्ण संख्या 6 है। अभी तक ज्ञात 30 परिपूर्ण संख्याओं का अन्तिम अंक 6 या 8 पर समाप्त होनेवाली परिपूर्ण संख्याएँ पाई गई हैं तथा अभी तक विषम परिपूर्ण संख्या का पता नहीं चल पाया है।परिपूर्ण संख्याओं के प्रथम सात उदाहरण हैं:6,28,496,8128,2096128,33550336,85898690565 इत्यादि हैं।संख्या 6=1+2+3=6 तथा इसी प्रकार संख्या 28=1+2+4+7+14=28 परिपूर्ण संख्या है।ये संख्याएँ अभाज्य संख्या (n) =2,3,5,7,11,13,17 से प्राप्त की गई है।परिपूर्ण संख्याएं प्राप्त करने के लिए 2^{n-1}(2^{n}-1) सूत्र उपयोग में लाया जाता है।
  • (28.)मर्सीन अभाज्य संख्याएं (Mersenne Prime Numbers):
    परिपूर्ण संख्या ज्ञात करने के लिए सूत्र 2^{n-1}(2^{n}-1) में प्रयुक्त अभाज्य संख्याएं \left(2^{n}-1\right) को मर्सीन अभाज्य संख्या कहते हैं।जैसे: अभाज्य संख्या n=2,3,5,7,11,13,17 पर क्रमशः 3,7,31,127,2047,8191,131071 नामक मर्सीन अभाज्य संख्याएं प्राप्त होती हैं।
  • (29.)सचिन्ह संख्याएँ (Singed Numbers) या दिष्ट संख्याएँ (Directed Numbers):
    धन या ऋण चिन्ह वाली संख्याओं को सचिन्ह या दिष्ट संख्याएँ कहते हैं।जैसे:-5,+7…इत्यादि।
  • (30.)धनात्मक संख्याएँ (Positive Numbers):
    वह संख्या जो धन (+) के साथ प्रकट की जाए, धनात्मक संख्याएँ कहते हैं। जैसे:+5,+7,+10 इत्यादि।
  • (31.)ऋणात्मक संख्याएँ (Negative Numbers):
    वह संख्या जो ऋण (-) चिन्ह के साथ प्रकट की जाए ऋणात्मक संख्याएँ कहलाती है।जैसे:-5,-7,-8,-9… इत्यादि।
  • (32.)अनंत या अपरिमेय संख्या (Infinite Numbers):
    वह संख्या जिसमें किसी भी संख्या से भाग देने, गुणा करने,जोड़ने,घटाने या घातांक लेने की प्रक्रिया के उपरांत कोई अंतर नहीं पड़ता है इसे \infin{} से प्रदर्शित करते हैं।
    (33.)परिमित संख्या (Limited Numbers):
    वह संख्या जिसमें से उसी संख्या को घटाने पर शून्य आता है परिमेय संख्या कहलाती है।
  • (34.)समृद्ध संख्याएं (Abundant Numbers):
    समृद्ध संख्याएँ वे संख्याएँ होती हैं जिनके गुणनखण्डों का योग (स्वयं के अतिरिक्त) उस संख्या से अधिक होता है।जैसे 12 एक समृद्ध संख्या है क्योंकि इसके गुणनखण्डों का योग (1+2+3+4+6=16) इससे अधिक है।
  • (35.)जुड़वाँ अभाज्य संख्याएँ (Prime Twins Numbers):
    वे दो लगातार अभाज्य संख्याएं जिनके बीच में एक भाज्य संख्या अवश्य हो जुड़वा अभाज्य संख्याएं कहलाती हैं।जैसे 17 तथा 19 जुड़वाँ अभाज्य संख्याएं हैं क्योंकि इनके बीच एक भाज्य संख्या 18 है। इसी प्रकार 29 एवं 31,71 एवं 73 भी जुड़वाँ अभाज्य संख्याएँ हैं।
  • (36.)अत्यंत भाज्य संख्याएं (Highly Composite Numbers):
    ऐसी संख्याएँ जिनके गुणनखण्ड पहले की किसी भी संख्या के गुणनखण्डों से ज्यादा होते हैं।अत्यंत भाज्य संख्याएं कहलाती हैं।जैसे:4,6,12,24,36, 48,60 इत्यादि।
  • (37.)क्रमागत संख्याएँ (Consecutive Numbers):
    वह संख्याएँ जो एक-दूसरे के पश्चात एक निर्धारित क्रमानुसार आती रहती हैं क्रमागत संख्या कहलाती हैं।जैसे:1,2,3,4,5 इत्यादि।
  • (38.)अज्ञात (Unknown) या परिवर्तनीय (Variable) संख्याएं:
    वह संख्याएं जिनके मान निश्चित नहीं है;अज्ञात या परिवर्तनीय संख्याएं कहलाती है किंतु इनका मान अनन्त नहीं होता है।इन्हें प्राय: x, y, z, a, b, c इत्यादि से प्रदर्शित करते हैं।इन्हें संक्षिप्त शर्तों या स्थितियों के गणितीय प्रश्नों को हल करने के प्रयोग करते हैं।अज्ञात संख्याओं से भी अन्य संख्याओं की तरह जोड़,घटाना,गुणा,भाग आदि प्रक्रियाएँ करते हैं।
  • (39.)चक्रीय संख्याएं (Rotational Numbers):
    कुछ अभाज्य संख्याएँ जिनके व्युत्क्रम कुछ विचित्र गुण प्रदर्शित करते हैं अर्थात् कुछ अंकों तक का गणितीय प्रक्रिया के उपरांत पुन: वही संख्याएं चक्रीय क्रम में प्राप्त होती है चक्रीय संख्याएं कहलाती है।जैसे:संख्या 7 के व्युत्क्रम अर्थात् \frac{1}{7} के मान 0.142857 को लें।यह एक ऐसी संख्या है जिसमें 1 से 6 तक गुणा करने पर इसी संख्या के अंक चक्रीय रूप में प्राप्त होते रहते हैं।चक्रीय क्रम में अंकों की संख्या सदैव सम होती है।
  • (40.)आवर्ती दशमलव संख्याएँ (Recurring Decimal Numbers):
    यदि दशमलव संख्या में दशमलव बिन्दु के बाद अंकों की संख्या असीमित हो परंतु उन अंको की एक विशेष क्रम में पुनरावृत्ति होती रहे तो ऐसी संख्या को आवर्ती दशमलव संख्या कहते हैं।जैसे:0.333333….,1.46161616….,46.00437437…. इत्यादि।यह एक परिमेय संख्या होती है।
  • (41.) वर्गमूल संख्याएँ (Square Root Numbers):
    वह संख्याएँ जिनका वर्गमूल पूर्ण संख्या में प्राप्त हो सके,वर्गमूल संख्या कहलाती है।4,9,16, 25 इत्यादि।
  • (42.)घनमूल संख्याएँ (Cubical Numbers):

वह संख्याएँ जिनका घनमूल पूर्ण संख्या में प्राप्त हो सके,घनमूल संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे:8,27,64 इत्यादि।

  • (43.)चतुर्थ मूल संख्याएँ (Fourth Root Numbers):
    वह संख्याएँ जिनका चतुर्थ मूल पूर्ण संख्या में प्राप्त हो सके,चतुर्थ मूल संख्याएँ कहलाती हैं।जैसे:16,81 इत्यादि।
  • (44.)पंच मूल संख्याएँ (Fifth Root Numbers):
    वह संख्याएँ जिनका पाँचवा मूल पूर्ण संख्या में प्राप्त हो सके,पंचमूल संख्याएँ कहलाती है।जैसे: 32,243 इत्यादि।
  • (45.)द्विआधारी या बाइनरी संख्याएँ (Binary Numbers):
    वह संख्याएँ जो ‘0’ और ‘1’ से बनी हो।द्विआधारी या बाइनरी संख्याएँ कहलाती है।यह संख्या कंप्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक्स गणनाओं में उपयोग होती है।
  • (46.)दाशमिक संख्याएँ (Decimal Numbers):
    0 से 9 तक संख्याओं/अंको को दाशमिक संख्याएं कहते हैं।इन संख्याओं का उपयोग गणितीय प्रक्रियाओं के अतिरिक्त कंप्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं में परस्पर परिवर्तनीय गणनाओं में होता है।
  • (47.)अष्टक या आॅक्टल संख्याएँ (Octal Numbers):
    वह संख्याएँ जो 8 के आधार पर बनी होती है अष्टक या आॅक्टल संख्याएँ कहलाती हैं।इनका भी उपयोग इलेक्ट्रॉनिक गणनाओं में होता है।यह संख्याएँ 0,1,2,3,4,5,6,7 हैं।
  • (48.)हेक्सा डेसिमल संख्याएँ (Hexa Decimal Numbers):
    वह संख्याएँ जो इलेक्ट्रॉनिक गणनाओं में बड़ी अंकों की संख्या को संक्षिप्त में लिखने हेतु सामान्य अंको तथा अंग्रेजी वर्णमाला के कुछ अक्षरों को मिलाकर बनाई जाती है।यह संख्याएँ 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,A,C,D,E,F हैं।
  • (49.)परम अति जटिल संख्याएं (Hyper Complex Numbers):
    कोई भी इस प्रकार की संख्या जिसका उपयोग भीड़ को गिनने,परिमाण मापने,भौतिकी और अभियांत्रिकी की अधिक दुरूह संख्याओं को ज्ञात करने के लिए किया जाता है,परम अति जटिल संख्याएं कहलाती है।
  • (50.)आकृतिक या त्रिभुजीय संख्याएँ (Morphological or Triangular Numbers):
    ऐसी संख्याएँ जिन्हें ज्यामितिक ढाँचें में व्यक्त किया जा सके,आकृतिक या त्रिभुजीय संख्याएँ कहलाती हैं।प्रत्येक धन पूर्णांक तीन त्रिभुजीय संख्याओं का योग होता है क्योंकि इन्हें त्रिभुज के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।जैसे:0,1,3,6,10,15,21 इत्यादि।
  • (51.)कंठाभरण या कंठाहार संख्याएँ (Laryngeal Bones Numbers):
    गुणन की क्रिया से सम्बन्धित ऐसी संख्याएँ जिनमें गुणनखण्ड की संख्या के अंक बाएं से दाएं या दाएँ से बाएं पढ़ने से एक से रहते हैं।ऐसे गुणनफलों को कंठाभरण या कंठाहार संख्याएँ कहते हैं।जैसे:
    12345679×9=111111111,14287143×7=100010001,152207×73=11111111,139×109=15151,279946681×441=12345654321 इत्यादि।
  • (52.)फिबोनकी संख्याएँ (Fibonacci Numbers):
    फिबोनकी संख्याएँ वास्तव में संख्याओं का एक क्रम है जो एक से आरंभ होता है (कुछ लोग इसे शून्य से आरंभ करते हैं) इस क्रम में हर अगला अंक पिछले दो अंकों के योग के बराबर होता है क्योंकि पहले अंक का योग एक ही है इसलिए क्रम का दूसरा अंक भी एक ही है।इस तरह यह क्रम अनन्त तक बढ़ता जाता है।जैसे:1,1,2,3,5,8,13,21,34,55,89,144,233 इत्यादि।फिबोनकी क्रम की संख्याओं के बीच का अनुपात 1.618 का अनुपात होता है।
  • (53.)लुकस संख्याएँ (Lucas Numbers):
    संख्याओं का क्रम जिसमें कोई अंक,क्रम के पिछले क्रमागत जोड़ों के योग के बराबर हो यह संख्या 1,3,4,7,11,18, 29….इत्यादि हैं।इसकी खोज एडवर्ड लुकस ने की थी।
  • (54.)अचल संख्या या कापरेकर नियतांक (Kaprekar Constant):
    यदि कोई ऐसे चार अंक लें जिसमें चारों अंक एक जैसे न हो इन अंकों को अवरोही या घटते क्रम में रखकर और उन्हें उलट दें जिससे नई संख्या बन जाए।अब पहली संख्या से नई संख्या को घटा दें। यदि इसी क्रिया को बची हुई संख्या से दोहराया जाए तो कुछ चरणों में अचल संख्या या कापरेकर नियतांक 6174 पर पहुंच जाते हैं।इसे अचल संख्या या कापरेकर नियतांक कहते हैं।इसकी खोज वर्तमान भारतीय गणितज्ञ रामचंद्र कापरेकर ने की थी।जैसे माना कि मूल संख्या 6174 ही है।अब पुनर्व्यवस्था पर 7641 (अवरोही क्रम में रखने पर) तथा इसे उलटने पर 1467 मिलता है।अतएव 7641-1467=6174 कापरेकर नियतांक प्राप्त होता है।
  • (55.)स्वयंभू संख्या (Self Number):
    वह संख्या जो किसी अन्य संख्या से जनित नहीं होती है, स्वयंभू संख्या या सेल्फ नंबर कहलाती है। 100 तक के नीचे 13 स्वयंभू संख्याएँ हैं जो 1,3,5,9,20,31,42,53,64,75,86,97 हैं।जैसे यदि संख्या 7 के अंकों का योग करें जो कि इस उदाहरण में है, अब योग 14 हुआ। अब इसमें अंकों का योग (1+4=5) जोड़ें और अब संख्या 19 हुई। यही प्रक्रिया दोहराते चले जाएं तो क्रम कुछ इस प्रकार का होगा 7,14,19,29,40,44,52,59,73,83,94, 104 इत्यादि।इसकी भी खोज कापरेकर ने की है।
  • (56.)जनित संख्या (Generated Number):
    स्वयंभू संख्या से विशेष ढंग में क्रमशः 7 से ऊपजी संख्याएँ जनित संख्याएँ कहलाती है। संख्या 14 से लेकर 107 तक की (स्वयंभू संख्या) संख्याएँ जनित संख्याएँ कहलाती है।
  • (57.)संधि संख्या (Junction Number):
    स्वयंभू संख्या 7 एवं 86 से जनित सारी संख्याएँ एक बिंदु 107 पर ही मिलती है अतएव 107 को संधि संख्या कहते हैं।जैसे 86-100-101-103-107 इत्यादि।
  • (58.)डेमेलो संख्याएँ (D’amelio Number):
    डेमेलो संख्याएँ वे संख्याएँ हैं जिन्हें बड़ी संख्या को छोटी संख्या से प्राप्त किया जा सकता है।उसे प्राप्त करने के लिए छोटी संख्या के अंकों को फैलाना होगा और  99 और 00 के बीच में उन्हें लिखना होगा जैसे:9^{5}=59049 \text{ और }999^{5}=995009990004999 इत्यादि।इस संख्या में छोटी संख्या के अंक मोटे अक्षर में अंकित किए गए हैं।संधि संख्या तथा डेमोलो संख्या की भी खोज कापरेकर ने की थी।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers),अद्भुत गणितीय संख्याएँ (Strange Mathematical Numbers) के बारे में बताया गया है।
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके । यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए । आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:Prime Numbers

2.गणित से पीछा छुड़ाने का तरीका (How to Get Rid of Mathematics):

  • स्कूल में एक छात्र की हेराफेरी करने की आदत थी। कभी किसी का पेन,कभी किसी की कॉपी,कभी किसी की किताब निकाल कर फरार हो जाता।एक दिन वह एक विद्यार्थी के बैग में हेराफेरी करने वाला ही था जिस छात्रा का बैग था उसने उसे देख लिया। हेराफेरी करने वाला छात्र डर कर भागने लगा। उसने सोचा कि यह मेरी शिकायत प्रिंसिपल सर से न कर दे।प्रिंसिपल साहब मुझे स्कूल से निकाल देंगे।
    परंतु उससे छात्रा ने कहा कि तुम मेरे बैग से कुछ भी निकाल लो परंतु गणित की पुस्तक जरूर निकाल लेना अन्यथा मैं प्रिंसिपल से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी।

Also Read This Article:Mathematical Puzzles

3.रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers),अद्भुत गणितीय संख्याएँ (Strange Mathematical Numbers) से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.परफेक्ट नंबर दिवस कब मनाया जाता है? (When is The Perfect Number Day celebrated?):

उत्तर :28 जून को।

प्रश्न:2.संख्याओं के मुख्य बिंदु (Main Point of Numbers):

(1.)संख्या 1 न तो भाज्य होती है और न अभाज्य होती है।
(2.)केवल 2 एकमात्र सम अभाज्य संख्या है।
(3.)वे दो अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है अभाज्य जोड़ा कहलाती है। 5 व 7,3 व 5,11 व 13,17 व 19, 29 व 31 आदि।
(4.)अभाज्य (रूढ़) व यौगिक संख्याएँ सम व विषम संख्याएँ होती हैं।

प्रश्न:3.क्या रूढ़ संख्याएँ विषम संख्याएँ होती हैं? (Are the orthodox numbers odd numbers?):

उत्तर:दो के अतिरिक्त सभी रूढ़ संख्याएँ विषम संख्याएँ होती हैं।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers),अद्भुत गणितीय संख्याएँ (Strange Mathematical Numbers)के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Interesting Mathematical Numbers

रोचक गणितीय संख्याएँ
(Interesting Mathematical Numbers)

Interesting Mathematical Numbers

रोचक गणितीय संख्याएँ (Interesting Mathematical Numbers) भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं।
इन गणितीय संख्याओं से मनोरंजन तो होगा ही साथ ही ज्ञान में भी वृद्धि होगी।प्रस्तुत है ये विभिन्न

No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *