How to teach modern mathematics in hindi
How to teach modern mathematics
आधुनिक गणित कैसे पढ़ाए?(How to Teach Modern Mathematics ):-
How to teach modern mathematics |
(1.)आधुनिक गणित का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है और होता जा रहा है इसलिए गणित शिक्षण में क्रांति की आवश्यकता है अर्थात् गणित को विज्ञान की भाँति पढ़ाया जाना चाहिए। केवल सूत्रों को पढ़ाना गणित नहीं है।
(2.)गणित अमूर्त संरचनाओं प्रतिरूपों का अध्ययन है। छात्र-छात्राओं को गणित की इस मौलिक अवधारणा का ज्ञान कराने हेतु हर छोटी-छोटी बातों को विस्तृत एवं गहराई से परिचय कराया जाए, इनका परिचय प्रतिरूपों के माध्यम से कराया जाए जैसे समान्तर श्रेढ़ी, गुणोत्तर श्रेढ़ी की संख्याओं में एक प्रतिरूप होता है। बहुभूज तथा बहुफलकों के भी प्रतिरूप होते हैं। जहां प्रतिरूप नहीं होते हैं जैसे अमूर्त गणित में वहां गणित को समझाना थोड़ा कठिन होता है।
(3.)छात्र-छात्राओं को इन संरचनाओं को खोजने तथा अन्वेषण करने के लिए उत्साहित किया जाए। छात्र-छात्राओं को सामूहिक रूप से प्रयत्नों द्वारा प्रतिरूपों को खोज के लिए प्रोत्साहित किया जाए। गणित में अभ्यास की ज्यादा आवश्यकता होती है इसलिए अभ्यास को प्राथमिकता दी जाए।
(4.)अमूर्त गणित के लिए अर्न्तज्ञान की आवश्यकता होती है इसलिए अर्न्तज्ञान को विकसित करने के लिए व्यापक एवं गहन अध्ययन पर जोर दिया जाए। सही अनुमान तथा सही व्यापकीकरण इस दिशा में मार्गदर्शक होते हैं।
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(5.)गणित अध्यापन द्वारा छात्रों में निगमन तर्क (induction logic) (इस विधि का प्रयोग करते समय सामान्य से विशिष्ट, सूक्ष्म से स्थूल की ओर अध्ययन कराया जाता है) का विकास किया जाना चाहिए। जैसे त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है। किसी चतुर्भुज के आमने-सामने के कोण बराबर हो तो वह समान्तर चतुर्भुज होता है।
(6.)मेधावी छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण एवं रुचिकर प्रश्नों तथा कमजोर छात्रों के लिए सरल प्रश्नों को शामिल किया जाना चाहिए।
(7.)गणित अमूर्त विषय है किन्तु इसकी शिक्षा मूर्त वस्तुओं के उदाहरणों, तथ्यों, सम्बन्धों द्वारा दी जानी चाहिए।
(8.)गणित तर्कसंगत है अतः इसके शिक्षण के लिए मनन, चिंतन तथा तर्क-वितर्क का प्रयोग किया जाना चाहिए।
(9.)नवीन खोजों तथा क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए तथा हमेशा सीखते रहना चाहिए।
(10.)गणित शिक्षण के लिए सहज ज्ञान तथा सामान्य अनुमान का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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(11.)कठिन, जटिल तथा चुनौतीपूर्ण प्रश्नों व समस्याओं को हल करने के लिए छात्र-छात्राओं को सोचने का मौका दिया जाना चाहिए।
(12.)अध्यापक का कार्य है एक दिशासूचक यंत्र की तरह परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि जो भी कठिन प्रश्न हो तो उनका हल छात्र-छात्राओं को हल करके उपलब्ध करादे बल्कि छात्र-छात्राओं को स्वयं हल करने के लिए प्रेरित करे। कोशिश करने पर भी यदि हल न हो तो अध्यापक को उसकी गाईड लाईन बतानी चाहिए।
(13.)गणित विषय का विस्तृत व गहराई से अध्ययन कराना गणित विषय को गतिशील बनाता है तथा सीखने के लिए प्रेरित करता है।
(14.)ज्यादा जटिल प्रश्नों के स्थान पर बौद्धिक बल व मनोरंजन आधारित प्रश्नों को शामिल करना चाहिए।
(15.)तकनीकी शब्दों को परिभाषा के द्वारा समझाने के साथ-साथ अनेक प्रश्नों व उदाहरणों द्वारा समझाया जाना चाहिए।
(16.)परिभाषाओं में उपस्थित कठिन शब्दों को सरल करके उसके समनुरूप शब्द के द्वारा समझाया जाना चाहिए।
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