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How to Prevent Sexual Atrocity?

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1.भारत में यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Atrocity?),यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Assault?):

  • भारत में यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Atrocity?) क्योंकि जब तक लड़कियां,नारी सुरक्षित नहीं रहेंगी तब तक सभ्य समाज,शांति व्यवस्था की बातें करना बेमानी है।दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप करने वाले दोषियों को ही सजा दिलाने में 10 वर्ष का समय व्यतीत हो गया।जबकि निर्भया के साथ हुई दरिन्दगीपूर्ण घटना की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दी थी।
  • हैदराबाद में एक महिला के साथ गैंगरेप करने वाले एनकाउंटर में मारे गए।कानून में कई बदलाव हुए,खूब धरने प्रदर्शन हुए परंतु दरिन्दगी थमने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।
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2.भारत महिला अत्याचारों में अग्रणी (India Leads in Atrocities Against Women):

  • महिलाओं के लिए पूरे विश्व में चौथा सबसे खतरनाक देश भारत घोषित हो गया है।यह वह देश है,जहां देवी की पूजा होती है।देवियों का नाम प्रारंभ में होता है।दो नवरात्रियाँ मनाई जाती हैं।जहाँ दीपावली पर मां लक्ष्मी तथा दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा की जाती है।यह कहा जाता है कि जहां नारियां पूजी जाती है,वहाँ देवता निवास करते हैं (यत्र नार्यस्तु पूजन्ते)।
  • फिर ऐसी स्थिति क्यों आई? अब यह क्यों कहा जा रहा है कि यह मेरा भारतवर्ष वह देश है,जहां स्त्री जीवित जलाई जाती है; जहां स्त्री गर्भ में मारी जाती है; जहां स्त्रियों की इज्जत के नाम पर हत्या (ऑनर किलिंग) की जाती है; जहां स्त्री पर तेजाब डालकर उसकी शक्ल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है; जहां स्त्री की तस्करी की जाती है,जहां सरेराह उसे छेड़ा जाता है।यह स्थिति इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक की है,जब हम वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के चरम शिखर पर पहुंचने की बात कर रहे हैं।
  • अफगानिस्तान,कांगो,पाकिस्तान के बाद भारत का नंबर आता है।कल्पना कीजिए,देवभूमि भारत,आर्यों की,देवताओं की क्रीड़ास्थली भारतवर्ष,महामानवों-अवतारों की जन्मस्थली भारत की हमने क्या दुर्दशा कर डाली है।यह सर्वे घरेलू हिंसा,उन पर होने वाले एसिड हमले,बलात्कार एवं उनके प्रति आर्थिक भेदभाव पर आधारित है।
  • खतरनाक से अर्थ है:स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से न्यूनतम,यौन हिंसा,सांस्कृतिक-धार्मिक तथ्यों के आधार पर उन पर अत्याचार,कन्या भ्रूणहत्या,तस्करी।एक खतरनाक आंकड़ा हमारे देश के गृह सचिव ने 2009 में दिया था कि हर वर्ष 10 करोड लोगों,जिनमें 80% महिलाएं व लड़कियां होती हैं,की तस्करी की जाती है।यह मात्र हमारे देश का आंकड़ा है,हो सकता है कि यह आंकड़ा आतिरंजित हो,पर एक वरिष्ठ अधिकारी के मुंह से निकला है।तो भी संसार में इतनी खतरनाक जगह है भारत,यह सोचकर ही हमें शरम तो आनी ही चाहिए।यह सोचकर हमें शर्मिंदा होना चाहिए कि देश में करीब 30 लाख यौनकर्मी हैं,जिनमें अधिकतर बच्चियाँ हैं।मजबूरीवश व जबरन विवाह भी एक कलंक है,जो नारी उत्पीड़न का परिचायक है।
  • ‘लैंसेट’ पत्रिका ने एक सनसनीखेज़ आंकड़ा दिया है कि पिछले तीन दशकों में 42 लाख से 121 लाख तक कन्याभ्रूण की हत्याएं भारत में पैसे वालों के घरों में हुई,जिनके यहां पहली संतान भी लड़की थी।इन सबने बड़ी कुशलतापूर्वक सलेक्टिव अबॉर्शन को प्रयुक्त किया,किसी को कानों कान खबर न होने दी,पर आंकड़े पत्रिका के हाथ लगे हैं।एक लड़का हो,एक लड़की,यह धारणा पिछड़ी मानसिकता की परिचायक है।ब्रिटिश पत्रिका यह लिखती है कि यह दहलाने वाला आंकड़ा बताता है कि भारतीय मानसिकता किस तरह ग्लोबल अनुपात को गड़बड़ा रही है।पूरे विश्व के विकासशील,विकसित देशों में यह स्थिति नहीं है।
  • मानव तस्करी,भ्रूण हत्या के बाद तीसरी शर्मनाक बात यह है कि यौन हिंसा के मामले में हम सबसे आगे हैं।यह यौन हिंसा सभ्य समाज में पैठी हुई बीमार मानसिकता और स्त्री विरोधी सोच की उपज है।इसकी शिकार मात्र कम-तंग कपड़े पहनने वाली फैशनपरस्त युवतियां ही नहीं,घरेलू महिलाएं,नौकरानियां और मासूम बच्चियाँ बन रही हैं।स्त्री को भोग्या मानकर जब चाहे तब छेड़ना,उठा लेना,बलात्कार करके मार देना या घायल स्थिति में छोड़ देना हमारे देश में अब आम बात हो गई है।
  • किशोरियों के साथ गैंगरेप (सामूहिक बलात्कार) कर उनके शरीर को क्षत-विक्षत कर देना या उनकी हत्या कर देना,थाना परिसरों (जहां लिखा होता है-परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम) के भीतर होने वाली घटनाएं लगातार प्रकाश में आ रही हैं।भारतीय पुलिस का बर्ताव हैवानियत से भी बदतर होता जा रहा है।बीमारी की स्थिति से लेकर चिता पर जाने तक कोई स्त्री सुरक्षित नहीं है।

3.भारत में ऑनर किलिंग के मामले (Honour Killing Cases in India):

  • ऑनर किलिंग के मामले हमारे देश में ही देखे जाते हैं।मध्यकालीन भारत में राजस्थान में शाही खानदानों की स्त्रियां जौहर कर लेती थी,ताकि दुश्मनों (यवनों) के हाथों उनकी दुर्गति ना हो।1947 में जब भारत का पार्टीशन हुआ तो अनगिनत पिताओं ने अपनी बेटियों को,भाइयों ने अपनी बहनों को एवं पतियों ने अपनी पत्नियों को मार डाला,ताकि वे दुश्मन के हाथों बेइज्जत होने से बच सकें।
  • ग्लोरिया स्टीनेम नामक एक विशेषज्ञ लेखिका लिखती हैं कि ‘हम स्त्रियों को लिंग पर आधारित इस जातिवादी मानसिकता को उखाड़ फेंकना होगा।इसके लिए पितृसत्तात्मक समाज की स्थापित वैल्यूज से भी संघर्ष करना होगा।’ दिल्ली और आसपास के राज्यों (हरियाणा,पंजाब,हिमाचल आदि में) में जो ऑनर (सम्मान) की खातिर हत्याएं हुई हैं,वे हमें यही सोचने पर मजबूर करती हैं कि कहीं नारी ने वह रुख अख्तियार कर लिया तो? कहीं उसके तेवर बागी हो गए तो? फिर पुरुष का क्या होगा?
  • खाप पंचायत पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बावजूद ये घटनाएं घट रही हैं और हमारी नाक के नीचे दिनदहाड़े हो रही हैं।आधुनिक भारत के सुधरे सभ्य चेहरे के पीछे छिपा एक बदसूरत,पर भयावह दैत्य दिखाई देने लगा है।कन्या भ्रूणहत्या में भी पंजाब,हरियाणा,पश्चिमी उत्तरप्रदेश एवं दिल्ली,चंडीगढ़ आगे थे एवं अब ऑनर किलिंग में भी।कई घटनाएं तो प्रकाश में भी नहीं आ पातीं।सड़के खामोश हैं।संगठन चुप हैं।नारी को सोची-समझी रणनीति के तहत समाप्त किया जा रहा है।लगता है कि हिटलर की नॉन आर्यंस को जड़ से मिटा देने वाली प्रवृत्ति पुनर्जन्म लेकर अवतरित हो गई है।व्यक्तिगत स्वतंत्रता को जड़ से खत्म कर देना ही ऑनर किलिंग के पीछे है।इसके खिलाफ अब सामाजिक संघर्ष उतना ही तीव्र होना चाहिए,जितना कि भ्रष्टाचार,काले धन के विरुद्ध खड़ा हुआ था।
  • नारी के साथ क्या नहीं हो सकता,इसका एक उदाहरण है मैरिज रैंगिंग।हम सभी ने नए छात्र-छात्राओं के साथ रैंगिंग के घटनाक्रमों के विषय में सुना है,पर इस प्रक्रिया में तो दुलहन के साथ गजब का खिलवाड़ होता है।दूल्हे के मित्र या भाई दुल्हन के गले में वरमाला डाल देते हैं,शराब की बोतलों की मालाएं पहना देते हैं,दुर्व्यवहार करते हैं।यह पढ़े-लिखे माने जाने वाले केरल में हो रहा है।क्या आपको आश्चर्य नहीं होता? क्या इसी का एक रूप उत्तर या मध्य भारत में शराब में गले तक डूबे बारातियों के कन्या पक्ष के साथ दुर्व्यवहार के रूप में देखा जाता? जरा सोचिए कि आपकी बहन या बेटी के साथ ऐसा हो तो?
  • एक दूसरा कुप्रचलन है ‘वाइफ स्वैपिंग’-पत्नी बदलना।सारी नैतिक वर्जनाएं एक ओर रख पढ़े-लिखे नवधनाढ्य अपना टेस्ट बदलने के लिए कार की चाबियां बदलते हैं।जिसके पास जिसकी चाबी आ जाती है,उसकी पत्नी से वह उस रात मौज-मजा कर सकता है।इसमें पत्नी को कुछ कहने का अधिकार नहीं है; क्योंकि उसकी शॉपिंग हेतु जिम-सजने आदि का समुचित खर्च पति महोदय दे रहे हैं।सामंतवादी मानसिकता चली गई,ऐसा कौन कह सकता है!

4.भारतीय जीवन मूल्यों में गिरावट (Decline in Indian Life Values):

  • पिछले तीन दशकों में जीवनमूल्यों में इतनी तेजी से गिरावट आई क्यों? विशेषज्ञ कहते हैं कि अचानक आई बेतहाशा दौलत,कालाधन एवं भ्रष्टाचार की कमाई ने इस प्रचलन को बढ़ाया,जिसका शिकार नारी हुई है।इससे अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है,यौन हिंसा भी।यह सामाजिक संरचना के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
  • हर वर्ष मई-जून में रिजल्ट आते ही लड़कियां अव्वल नंबर पर आती हैं।शीर्षकों में छाई रहती हैं,फिर यह स्थिति क्यों? क्या इनकी कामयाबी सिर्फ परीक्षा और डिग्री तक ही सीमित रहेगी या ये कुछ कहने के अधिकार का उपयोग भी करेंगी।समय आने पर यही लड़कियां तथाकथित भोगवादी मानसिकता वाले बड़े उच्च पदाधिकारियों की गृहणियां बनकर रह जाती हैं,घरेलू हिंसा सहती हैं एवं परिवार बनाए रखने की खातिर कष्ट सहती हैं।क्यों नहीं निकलती इनके मुंह से आवाज? क्यों नहीं मुखरित होता इनका स्वर? शायद अरसे से दबाई गई मानसिकता जींस में जमकर विराज गई है।
  • एक ओर प्रसंग उठाने का मन है।कार्यस्थलों पर आधिकाधिक नारियां सक्रिय हैं।वह उनके साथ दफ्तर में बिताए गए 8 घंटे जो सलूक होता है,वह भुक्तभोगी ही जानती है।घर में काम करने वाली नौकरानियों-महिलाओं के साथ होने वाले यौन अत्याचार शहरों-कस्बों में बड़े सामान्य हो गए हैं।इसके साथ-साथ घर में होने वाले अपने ही घर की नारी,चाहे वह बेटी हो,बहन हो,साली हो या पत्नी हो,हिंसा इतनी बढ़ती जा रही है कि खुद को एक सभ्य समाज का कहना,जगतगुरु बनने वाले भारत का एक हिस्सा मानना,शर्मिंदा करता है।
  • जब तक हम नारी को 100% सुरक्षा नहीं देंगे,उसे जीने का अधिकार नहीं देंगे,तब तक सारा विकास बेमानी है।इंटरनेट,पोर्नोग्राफी (अश्लील सामग्री देखना),ऐड फिल्में (विज्ञापन),टेलीविजन का बिगड़ा प्रचलन भी इन सबके लिए जिम्मेदार है।

5.यौन अत्याचार कैसे रोकें? (How to Stop Sexual Assault?):

  • महात्मा ज्योतिबा फुले,राजा राममोहन राय,विभिन्न संतों एवं समाज सुधारको ने नारी जागृति के लिए कार्य किया है।विभिन्न समाचार पत्रों,पुस्तकों के लेखक भी नारी चेतना को जागृत करने के लिए लिखते रहे हैं।सृजन शक्ति के रूप में इस संसार में जो कुछ भी सशक्त,संपन्न,विज्ञ और सुंदर है,उसकी उत्पत्ति में नारी तत्त्व की ही अहम भूमिका है,इसीलिए अपने इस देश में उसकी विशिष्टता को अनेकानेक रूपों में शत-शत नमन किया जाता है।
  • नारी के प्रति पूज्यभाव इन दिनों कुदृष्टि में बदलता है और वासना की आग में झोंककर काला कोयला बना दिया गया है।वस्तुतः कानून,न्यायालय,पुलिस प्रशासन,विभिन्न महिला संगठन अपनी जगह है।वे नारी को न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं,उनके अधिकारों की रक्षा करने का प्रयास करते हैं।परंतु जब तक नारियों,युवतियों में चेतना नहीं आएगी,अपने अधिकारों के प्रति स्वयं नहीं लड़ेंगी,अपना आत्मिक विकास नहीं करेंगी तब तक पूर्ण रूप से नारी अस्मिता की रक्षा नहीं की जा सकेगी।नारी में चेतना,नारी को सबल,नारी में आत्मिक प्रगति तभी आ सकेगी जबकि उसे सही मायने में शिक्षित किया जाएगा।तभी नारी उठेगी,अवांछनीयताओं के बंधनों से मुक्त होगी और इस सदी को नारी शताब्दी के नाम से प्रख्यात बनाएगी।
  • नारी को सशक्त,नारी शिक्षा,नारी स्वावलंबन,नारी सुरक्षा,नारी स्वास्थ्य,नर-नारी समता,नारी में चेतना तथा सघन स्तर के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।नारी उत्कर्ष की आवश्यकता को युगधर्म मानते हुए भगवान की नौकरी मानकर स्वीकार कर लेना चाहिए।
  • हालांकि आज नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर सभी रचनात्मक गतिविधियों में भाग ले रही है।आज हर क्षेत्र में नारी ने अपना परचम लहराया है।परंतु संपूर्ण नारी में चेतना जगाने के लिए नारी को स्वयं उठना होगा।अपने अधिकारों को आगे बढ़कर प्राप्त करना होगा।याद रखें ‘स्लट मार्च’ एवं ‘विमन लिब’ जैसे आंदोलन नहीं नारी जागरण,नारी सशक्तिकरण आंदोलन से उसे पुनः देवी स्तर तक पहुंचा सकेंगे।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में भारत में यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Atrocity?),यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Assault?) के बारे में बताया गया है।

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6.बहिन की उम्र (हास्य-व्यंग्य) (Sister’s Age) (Humour-Satire):

  • रीता:तुम्हारी बहन की उम्र क्या है?
  • स्नेहलता:15 साल।
  • रीता:लेकिन वह तो 10 साल बता रही थी।
  • स्नेहलता:हां,वह ठीक कह रही थी।5 साल की होने पर ही उसने गिनती,पहाड़े और गणित की पुस्तक पढ़ना व सीखना प्रारंभ किया था।

7.भारत में यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (Frequently Asked Questions Related to How to Prevent Sexual Atrocity?),यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Assault?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.युवतियों से भेदभाव रोकने के लिए सबसे जरूरी कदम क्या है? (What is the Most Important Step to Prevent Discrimination Against Young Women?):

उत्तर:समाज व पुरुष वर्ग की मानसिकता में बदलाव की जरूरत है।लड़कियों,नारी को भोग्या के रूप में देखा जाता है।यहां तक कि शादी-विवाह का संबंध करते समय भी सांवले रंग के बजाय गोरे रंग को प्राथमिकता दी जाती है।हालांकि यह भेदभाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।लेकिन यह अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।वैसे भी सांवले रंग के मुकाबले गोरी त्वचा को प्राथमिकता देने की मानसिकता को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता है।समाज में रंग के आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव समाप्त करने की जरूरत है।इंसान की पहचान उसकी सूरत,रंग,रूप के आधार पर नहीं बल्कि उसके चरित्र,बुद्धि,विवेक इत्यादि गुणों के आधार पर होती है।

प्रश्न:2.ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचें? (How to Avoid Online Sexual Fraud?):

उत्तर:कोई भी ऐसी कॉल आती है जिसमें आपको कहा जाता है कि आपके खिलाफ शिकायत दर्ज है और आपको गिरफ्तार किया जाएगा तो कॉल करने की क्रैडेंशियल वेरीफाई करें।जिन नंबरों के नोटिस भेजे जाते हैं,उन नंबरों को ब्लॉक कर दें।कोई व्यक्ति बार-बार आपसे संपर्क करने का प्रयास करता है तो अपने माता-पिता,अभिभावक को यह बात बताएं।हो सके तो पुलिस की मदद लें।अपनी कोई भी पहचान किसी भी अनजान,अप्रमाणिक वेबसाइट पर ना छोड़े।अपने पासवर्ड बदलती रहें।

प्रश्न:3.युवतियों के डिजिटल अरेस्ट ठगी के संकेत क्या हैं? (What are the Signs of Digital Arrest Fraud?):

उत्तर:(1.)व्यक्तिगत आईडी मांगना व स्काइप या अन्य किसी माध्यम से ऑनलाइन रहने के लिए कहना।
(2.)राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताकर पूछताछ की जानकारी किसी से शेयर न करने के लिए बाध्य करना।
(3.)बैंक खाते में पर्याप्त बैलेंस रखने व किसी प्रकार का लोन लेने के लिए कहना या सुरक्षा के नाम उनके खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए दबाव डालना।
(4.)डेबिट कार्ड,आधार कार्ड आदि की फोटो मांगना।
(5.)वित्तीय लेनदेन संबंधी मामलों के केस में नाम होने की धमकी देना।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा भारत में यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Atrocity?),यौन अत्याचारों को कैसे रोका जाए? (How to Prevent Sexual Assault?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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