Menu

How to Prepare for Research Proposal?

Contents hide
1 1.शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?):

1.शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?):

  • शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?) अर्थात् विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित यूजीसी (नेट) परीक्षा के लिए निर्धारित प्रत्येक वैकल्पिक विषय के विषयनिष्ठ प्रश्न-पत्र (परीक्षा के लिए निर्धारित) तृतीय प्रश्न-पत्र में अनिवार्य रूप से पूछे जाने वाले शोध प्रस्ताव से संबंधित प्रश्नों की तैयारी किस तरह की जाए,इस संबंध में परीक्षार्थी प्रायः कठिनाई महसूस करते हैं।
  • इस लेख में बताया गया है कि एक अच्छा शोध प्रस्ताव तैयार करने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और शोध प्रस्ताव किस तरह लिखा जाना चाहिए?
  • आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

Also Read This Article:Introduction to What are Qualities of math researcher

2.शोध क्या है? (What is research?):

  • अपनी स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करने के तुरंत बाद यूजीसी नेट परीक्षा की तैयारी में जुटे परीक्षार्थियों के लिए शायद शोध,अध्ययन की वह प्रविधि है,जिसके द्वारा वे किसी विषय विशेष का पूरी गहराई से अध्ययन करते हैं और उस विषय से संबंधित हर पहलू की विस्तृत जानकारी हासिल करते हैं।किए गए अध्ययन और प्राप्त जानकारी को ग्रंथबद्ध किया जाता है,जिसे ‘शोध ग्रंथ’ कहते हैं।इस शोध के लिए किस विषय या शोध का चुनाव करते हैं,यह हमारे ऊपर निर्भर करता है।हाँ! चुना गया विषय हमारे वैकल्पिक विषय के विषय-क्षेत्र से जरूर संबंधित होना चाहिए।
  • किसी भी विषय पर शोध कार्य आरम्भ करने से पहले विश्वविद्यालय या संस्था विशेष के किसी अध्यापक (पर्यवेक्षक) के निर्देशन में शोधकर्त्ता को एक शोध विषय या शीर्षक का चुनाव करना पड़ता है।शोध के लिए विषय का चुनाव कर लेने के उपरान्त एक शोध प्रस्ताव लिखना होता है,जो अमूमन 10 से 15 पृष्ठों में लिखा जाता है।इस शोध प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की अनुमति प्राप्त हो जाने के उपरांत ही कोई छात्र अपना शोध कार्य आरंभ कर सकता है।
  • चूँकि यूजीसी नेट परीक्षा के माध्यम से ऐसे अभ्यर्थियों को चुनने का प्रयास करता है,जो संबंध विषय क्षेत्र का न सिर्फ अच्छा ज्ञाता ही हो,बल्कि उसे अनुसंधान प्रविधि की भी गहन जानकारी हो।अपने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यूजीसी,नेट परीक्षा के लिए निर्धारित सभी या अधिकांश वैकल्पिक विषयों के विषयनिष्ठ प्रश्न-पत्र में शोध प्रस्ताव या शोध प्रविधि से संबंधित एक प्रश्न अनिवार्य रूप से पूछता है।इस प्रश्न के लिए न सिर्फ सबसे अधिक अंक निर्धारित होते हैं,अपितु इस तरह के प्रश्नों के लिए अधिक स्थान भी दिया जाता है,जहां परीक्षार्थी अपने उत्तर विस्तार के साथ लिख सके।
  • नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने में शोध प्रस्ताव की अहमियत को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक परीक्षार्थी को शोध प्रस्ताव से संबंधित प्रत्येक छोटी-बड़ी बातों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।यहाँ बताने का प्रयास किया जा रहा है कि एक शोध प्रस्ताव को लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
  • शोध प्रस्ताव:जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि किसी भी विषय में प्रयुक्त होने वाला अनुसंधान प्रस्ताव निम्नलिखित सात चरणों के अनुरूप लिखा हुआ होना चाहिए।
  • प्रथम चरण:शीर्षक (जिस पर शोध किया जाना है)
  • द्वितीय चरण:’भूमिका’ (शोध के लिए निर्धारित शीर्षक,यह विषय का संक्षिप्त परिचय होता है)
  • तृतीय चरण:पढ़े गए या सर्वेक्षित साहित्य व संबंधित सामग्री की संक्षिप्त जानकारी।
  • चतुर्थ चरण:’प्रश्न जिनका हल तलाशना है या उद्देश्य जिसकी प्राप्ति अनुसन्धान के द्वारा की जानी है।’इस चरण में उन प्रश्नों या उद्देश्यों का क्रमानुसार उल्लेख किया जाता है जो उपलब्ध साहित्यों के अध्ययनों के उपरान्त अनुत्तरित रह गए हैं या वर्तमान परिस्थिति में जिनके बारे में जानना अनिवार्य है।
  • पांचवा चरण:शोध के क्रम में प्रयोग में लाई जाने वाली ‘शोध पद्धति’ की संक्षिप्त जानकारी।
  • छठा चरण:शोध ग्रंथ के संभावित अध्यायों का नामकरण।
  • सातवां चरण:’संदर्भ सूची’ (Bibliography) इस चरण में प्राथमिक एवं द्वितीय स्रोतों की सूची दी जाती है।

3.शोध प्रस्ताव के शीर्षक तथा भूमिका में क्या लिखें? (What to write in the title and introduction of the research proposal):

(1.)शोध प्रस्ताव का शीर्षक (Title of the research proposal):

  • किसी भी शोध प्रस्ताव का पहला चरण शीर्षक के चुनाव का होना है।किसी भी छात्र के लिए शोध के लिए विषय या शीर्षक का चुनाव एक कठिन कार्य होता है और शायद शोध प्रस्ताव का सबसे कठिन चरण भी यही होता है।’शीर्षक’ का चुनाव करते हुए एक शोध छात्र को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)शोध के लिए उसी विषय या शीर्षक का चुनाव किया जाना चाहिए,जिसमें आपकी अपनी रुचि हो और आप उसके बारे में जानकारी रखते हों।
  • (2.)शोध के लिए चयनित शीर्षक ऐसा होना चाहिए,जिसकी आज की परिस्थिति में कोई उपयोगिता हो और जिस पर अध्ययन या शोध करने से बौद्धिक जगत को तो लाभ हो ही,साथ ही आपको भी फायदा हो।
  • (3.)शोध के लिए ऐसे शीर्षक का चुनाव करना चाहिए,जिस पर प्राथमिक एवं द्वितीय स्रोत उपलब्ध हों।अगर उचित प्रकार के प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोत उपलब्ध नहीं होंगे,तो शोध में काफी कठिनाई आ सकती है।इसलिए किसी भी शोध शीर्षक के चुनाव से पहले आप यह जानकारी जरूर प्राप्त कर लें कि आपके द्वारा चयनित शीर्षक से संबंधित प्राथमिक एक द्वितीयक स्रोत पर्याप्त रूप से उपलब्ध है या नहीं।आपके लिए यह लाभदायक होगा कि आपको परीक्षा में जो शोध प्रस्ताव लिखना है,उसके लिए अभी से शीर्षक का चुनाव कर लें और अपने शिक्षक से पूछ कर उस पर प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोतों की एक सूची बना लें।
  • (4.)’शीर्षक’ ऐसा होना चाहिए,जो थोड़े में ही बहुत कुछ कह सके और शीर्षक से ही यह स्पष्ट हो जाए कि आप क्या शोध करना चाहते हैं?
  • (5.)’शीर्षक’ आपके अपने विषय-क्षेत्र से संबंधित ही होना चाहिए।
  • (6.)आज की परिस्थिति से जोड़कर अगर किसी शोध शीर्षक पर शोध प्रस्ताव तैयार कर सकें,तो आपके लिए बेहद-ही लाभदायक हो सकता है।

(2.)शोध प्रस्ताव की भूमिका (Introduction of the research proposal):

  • शोध-प्रस्ताव से संबंधित इस द्वितीय चरण में आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)इस चरण में जिस विषय या शीर्षक को शोध के लिए चुना गया है,उसकी संक्षिप्त जानकारी दी जाती है।इसी चरण में यह भी बताया जाता है कि चयनित शीर्षक पर शोध किया जाना क्यों आवश्यक है? शीर्षक से संबंधित सभी जानकारियों को इसी चरण में संक्षिप्त रूप से सूचीबद्ध किया जाता है।
  • (2.)भूमिका इस तरह लिखना आरम्भ करना चाहिए जिससे वर्तमान परिस्थितियों से चयनित शोध शीर्षक को जोड़ते हुए शोध शीर्षक का परिचय प्राप्त हो सके।जैसे,अगर गणित में कोई शोध छात्र ‘उपयोगी गणित’ (applied mathematics) पर कोई शोध प्रस्ताव तैयार करना चाहता है तो उसे भूमिका यहाँ से आरंभ करनी चाहिए कि,’आज का युग विज्ञान का युग है और विज्ञान के आविष्कारों द्वारा मानव के जीवन को अधिक से अधिक सुविधाजनक बनाना है।और विज्ञान में गणित के जिन आविष्कारों का उपयोग होता है,उसे उपयोगी गणित करते हैं।यानी यह कहा जा सकता है कि “Applied mathematics is the gateway of all sciences”।इस तरह उपयोगी गणित का महत्त्व व उपयोग दर्शाना चाहिए।इसी तरह अन्य विषयों में शोध प्रस्ताव की भूमिका लिखनी चाहिए।
  • (3.)प्रयत्न करना चाहिए कि भूमिका संक्षिप्त एवं कसी हुई हो और चयनित शीर्षक को पूर्ण रूपेण स्पष्ट करे।
  • (4.)भूमिका में ही आपको उन बातों का उल्लेख करना चाहिए,जो आपने अभी तक के अध्ययन से प्राप्त की हैं।
  • (5.)भूमिका में छात्र को फालतू एवं बेकार की बातें,लिखने से बचना चाहिए और शीर्षक के बारे में किए गए अध्ययन को एक क्रम के अनुसार देना चाहिए।
  • (6.)भूमिका में ही इस बात का भी उल्लेख करना चाहिए कि शोध के लिए चयनित शीर्षक शोध किया जाने क्यों आवश्यक है?

(3.)अध्ययन में उपयुक्त पुस्तकें/साहित्य (Books/Literature Suitable in Study):

  • इस चरण में उन पुस्तकों या आलेखों का उल्लेख किया जाता है,जो आपने शोध-प्रस्ताव तैयार करने के क्रम में पढ़ा हो। इस चरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)पुस्तकों या आलेखों के साथ उनके लेखकों का भी उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • (2.)पुस्तकों या आलेखों का उल्लेख क्रमानुसार किया जाना चाहिए और पुस्तकों या आलेखों में क्या महत्त्वपूर्ण बातें कही गयीं तथा ये पुस्तकें किस तरह आपके शोध के लिए उपयोगी हैं,इसका उल्लेख भी किया जाना चाहिए।
  • (3.)इस चरण में किसी भी शोध प्रस्ताव के लिए कम से कम इस पुस्तकों और आलेखों का उल्लेख जरूर किया जाना चाहिए।
  • (4.)सर्वेक्षित पुस्तकों या आलेखों में क्या कमी रह गई हैं,जिसे आप अपने शोध-प्रस्ताव द्वारा पूरा कर सकेंगे,उसका भी उल्लेख इस चरण में किया जाना चाहिए।

4.शोध के उद्देश्य तथा शोध पद्धति में क्या लिखें? (What to write in the purpose of research and research methodology?):

(1.)शोध द्वारा हल किए जाने वाले प्रश्नों का उल्लेख (Mention of questions to be solved by research):

  • इस चरण को ‘शोध का उद्देश्य’ भी कहा जाता है।इस चरण में उन प्रश्नों का उल्लेख किया जाता है,जिन्हें शोध द्वारा हल किया जाता है।इस चरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)उल्लेखित प्रश्न या उद्देश्य क्रम में लिखे जाने चाहिए।
  • (2.)उल्लेखित प्रश्नों या उद्देश्य को स्पष्ट होना चाहिए और प्रस्तावित शोध विषय के दायरे में ही आना चाहिए।
  • (3.)उल्लेखित प्रश्न या उद्देश्य ऐसे होने चाहिए,जिनकी कुछ प्रासंगिकता हो।

(2.)शोध पद्धति (Research methodology):

  • इस चरण में उन पद्धतियों का उल्लेख किया जाता है,जो शोध कार्य के दौरान अपनाई जाएगी।शोध पद्धति में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है:
  • (1.)प्राथमिक स्रोतों का अध्ययन:इस पद्धति में प्राथमिक स्रोतों,यथा-अभिलेखों,सिक्कों,स्मारकों,मुहरों,सरकारी रिपोर्टों एवं अन्य सरकारी या राजकीय लेखों या घोषणाओं आदि का अध्ययन किया जाता है।प्राथमिक स्रोतों में क्षेत्र सर्वेक्षण,जैसे-गणित के विषय में शोध के लिए किसी मीनार,किसी पहाड़ी की ऊंचाई का सर्वेक्षण आदि शामिल होता है।शोध से संबंधित तथ्यों की जानकारी के लिए विशेष या सामान्य व्यक्तियों से किया जाने वाला साक्षात्कार भी प्राथमिक स्रोतों के दायरे में ही आता है।
  • (2.)द्वितीयक स्रोतों में पुस्तकों या आलेखों का उल्लेख किया जाता है।
  • (3.)इस चरण में इस बात का उल्लेख किया जाता है कि आपका शोध किस तरह का होगा-आलोचनात्मक,समालोचनात्मक,विश्लेषणात्मक या विवरणात्मक?
  • (4.)आप शोध कार्य किस तरह आरंभ करेंगे।पहले प्राथमिक स्रोतों का अध्ययन करके द्वितीयक स्रोतों की सहायता लेंगे या पहले द्वितीयक स्रोतों का अध्ययन करके प्राथमिक स्रोतों के तथ्यों से उनकी पुष्टि करेंगे।
  • (5.)शोध पद्धति का उल्लेख करते समय,शोध के लिए प्रस्तावित विषय की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसी शोध पद्धति का उल्लेख किया जाना चाहिए,जो यह स्पष्ट कर सके कि आपका शोध क्या रूप ग्रहण करेगा?
  • (6.)जब आप अध्ययन पद्धति के बारे में लिख रहे हों,तो इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखें कि अध्ययन पद्धति सही क्रम में और सही-सही लिखा गया हो,क्योंकि इसमें थोड़ी गलती से आपको नुकसान हो सकता है।परीक्षक को इस चरण से यह पता चल सकता है कि आपको शोध पद्धति की कितनी और कैसी जानकारी है? चूँकि यह परीक्षा यूजीसी द्वारा शोध अध्येतावृत्ति के लिए शोध छात्रों का चुनाव करने के लिए आयोजित की जाती है,इसलिए इस चरण को लिखते समय पूर्ण सावधानी बरते जाने की आवश्यकता होती है।

5.शोध ग्रन्थों के संभावित अध्यायों का नामकरण (Naming of possible chapters of research texts):

  • यह चरण शोध प्रस्ताव का बेहद महत्त्वपूर्ण चरण होता है,क्योंकि अध्यायों के नामकरण से यह स्पष्ट होता है कि आपका प्रस्तावित शोध किस उद्देश्य को लेकर किया जाने वाला है? इस चरण में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)अध्यायों की संख्या 5 या 6 होनी चाहिए।पहला अध्याय ‘भूमिका’ का होता है,जिसमें प्रस्तावित शोध विषय का परिचय विस्तार के साथ दिया जाता है और प्रस्तावित शोध विषय के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश डाला जाता है।दूसरे,तीसरे,चौथे या कभी-कभी पांचवें संभावित शोध विषय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।अंतिम अध्याय निष्कर्ष होता है,जिसमें पूर्व के सभी अध्यायों में किए गए अध्ययनों का निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है,साथ ही शोध के उपरांत किस उद्देश्य की प्राप्त हुई,इसका उल्लेख किया जाता है।
  • (2.)अध्यायों का नामकरण इस तरह से किया जाना चाहिए,जो शोध के उद्देश्य को पूरी तरह से स्पष्ट कर सकें।वैसे पहले अध्याय का नाम ‘भूमिका’ एवं अंतिम अध्याय का नाम सामान्यतः ‘निष्कर्ष’ ही होता है,इसलिए बीच के तीन या चार अध्यायों का नामकरण उचित प्रकार से करना चाहिए।
  • (3.)इस चरण में इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए कि संभावित अध्यायों का नामकरण ऐसा नहीं हो,जो प्रस्तावित शोध विषय के दायरे से बाहर जाता हो और शोध विषय से संबंधित ही ना हो।
  • (4.)अध्यायों का नाम जितना छोटा और सटीक हो,उतना ही अच्छा माना जाता है।

(1.)संदर्भ सूची (Bibliography):

  • संदर्भ सूची से संबंधित इस चरण का किसी शोध प्रस्ताव में काफी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।इससे शोध के लिए आपके द्वारा किए गए अध्ययन एवं परिश्रम के विस्तार की एक झलक प्राप्त होती है।इस चरण में प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोतों की एक वृहत् सूची दी जाती है।संदर्भ सूची देते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
  • (1.)संदर्भ सूची देते समय सर्वप्रथम प्राथमिक स्रोतों का और फिर द्वितीयक स्रोतों का उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • (2.)स्रोतों को ‘प्राथमिक’ एवं ‘द्वितीयक’ स्रोत शीर्षक के अंतर्गत सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
  • (3.)संदर्भ सूची में लिखित स्रोतों पुस्तकों,आलेखों को वर्णमाला के क्रम (क,ख,ग,…) या Alphabets (A,B,C,…..) के अनुसार लिखा जाना चाहिए।
  • (4.)स्रोतों को किस तरह लिखा जाना चाहिए,यह संदर्भ सूची की सबसे महत्त्वपूर्ण बात होती है।प्राथमिक स्रोतों का समय अगर उपलब्ध हो,तो जरुर लिखा जाना चाहिए।इसी तरह से द्वितीयक स्रोतों (पुस्तकों एवं आलेखों) के प्रकाशन वर्ष या तिथि का उल्लेख जरूर करना चाहिए।पुस्तक किस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई है और आलेख किस पत्रिका या समाचार-पत्र में प्रकाशित किया हुआ है,का भी उल्लेख किया जाना चाहिए।
  • (5.)साक्षात्कार एवं अवलोकन से प्राप्त तथ्य तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार,प्राथमिक स्रोतों के अंतर्गत ही आते हैं।अतः इनका उल्लेख,समय एवं स्थान के उल्लेख के साथ प्राथमिक स्रोत के खंड में ही उपखंड बनाकर किया जाना चाहिए।
  • (6.)पुस्तकों या आलेखों या फिर स्रोतों की सूची देते वक्त सर्वप्रथम लेखक का नाम लिखना चाहिए,जैसे: गुणाकर मूले:आधुनिक भारत के महान वैज्ञानिक,पांचवा संस्करण,ज्ञान-विज्ञान प्रकाशन,नई दिल्ली-110002।इसी तरह आलेखों का उल्लेख करते समय सर्वप्रथम लेखक का नाम,फिर आलेख का शीर्षक,फिर पत्रिका या समाचार-पत्र का नाम,कहां से प्रकाशित होता है और कब प्रकाशित हुआ था,का उल्लेख किया जाना चाहिए।प्राथमिक स्रोतों का विवरण देते समय भी इन बातों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • (7.)संदर्भ सूची में उन्हीं पुस्तकों या आलेखों का उल्लेख किया जाना चाहिए,जो आपके द्वारा प्रस्तावित शोध विषय से संबंधित हों।यह प्रयत्न करना चाहिए कि लेखकों,पुस्तकों या आलेखों का नाम लिखते समय कोई गलती ना हो,क्योंकि इसका परिणाम बहुत-ही नुकसानदेह हो सकता है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?) के बारे में बताया गया है।

Also Read This Article:Introduction to IIT Guwahati researchers featured in list of world top scientists

6.मल्टीटास्किंग (हास्य-व्यंग्य) (Multitasking) (Humour-Satire):

  • राजेश को एक साथ गणित की दो पुस्तकों को पढ़ते हुए देखकर उसकी माँ ने कहा:मैंने कल ही तुम्हें समझाया था कि एक समय पर एक ही काम किया करो,क्योंकि तब मन की ग्रहणशक्ति अधिक होती है।
  • राजेश:लेकिन मैं एक साथ अनेक काम कहां कर रहा हूं,ये तो दोनों एक ही विषय गणित की पुस्तकें हैं।

7.शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.प्रतियोगिता परीक्षा में चयन का जरिया क्या है? (What is the mode of selection in competitive examination?):

उत्तर:वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है।आपको एक निश्चित स्तर मात्र न पाकर अन्यों के मुकाबले काफी आगे बढ़ना है।ध्यान रहे कुछ मोटी-मोटी बातें तो प्रत्येक प्रतियोगी जानता है।इसलिए प्रतियोगिता परीक्षाओं में आपका चयन केवल सामान्यतः प्रचलित बातों को जान लेने से ही नहीं हो सकता।चयन तो उसका होता है,जो सामान्य से अधिक जानता है।जिन प्रश्नों के उत्तर कम प्रतियोगियों को मालूम होते हैं,चयन का आधार वास्तव में वे ही प्रश्न होते हैं।इन प्रश्नों को और इनके उत्तरों को तलाशिये।और उसका एकमात्र जरिया है अध्ययन! अध्ययन!! और अधिक अध्ययन!!! भयभीत या निराश होने की आवश्यकता नहीं।अपने और अपने संसाधनों को कम करके मत आंकिए।आप में सामर्थ्य है और आपके संसाधनों में प्रचुरता।आवश्यकता दोनों के आद्योपान्त इस्तेमाल की है।अपनी सामर्थ्य का पूरा प्रयोग कीजिए।

प्रश्न:2.शोध प्रस्ताव में सफल होने के लिए प्रेरक सुझाव दें। (Give motivational suggestions to succeed in the research proposal):

उत्तर:शोध प्रस्ताव एवं प्रविधि से संबंधित प्रश्नों को हल करना उतना कठिन नहीं है,जितना की परीक्षार्थियों द्वारा सोचा जाता है।अगर एक परीक्षार्थी को अपने विषय के साथ-साथ शोध प्रविधि की भी अच्छी जानकारी हो,तो कोई शक नहीं कि वह आसानी से इस समस्या को हल न कर ले।यूजीसी नेट परीक्षा में उत्तीर्ण होने की कुंजी आपके हाथ में।आप शोध-प्रस्ताव एवं प्रविधि के बारे में जितनी गहन जानकारी रखेंगे,आपको उतना ही लाभ होगा।अगर शोध प्रस्ताव से संबंधित प्रश्नों को आप सही तरीके से हल करते हैं,तो आपकी सफलता में शक रह जाने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।

प्रश्न:3.गणित से संबंधित शोध प्रस्ताव में कैसे प्रश्न पूछे जा सकते हैं? (How can questions be asked in a research proposal related to mathematics?):

उत्तर:एक शोध प्रस्ताव की रूपरेखा लिखें,शोध प्रविधि का उल्लेख करें,गणित का उद्देश्य क्या है? गणित एक विशेष विषय है या सामान्य विषय?,शोध कार्य में सुपरवाइजर (जिसके निर्देशन में शोध किया जाना है) की भूमिका पर प्रकाश डालें,गणित की क्या उपयोगिता है?,गणित सभी विज्ञानों की जननी कैसे? गणित विषय से संबंधित शोध अधिकांशतः व्यक्तिगत पसंद एवं चुनाव पर निर्भर करता है,स्पष्ट करें।आदि-आदि।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal?),जेआरएफ में शोध प्रस्ताव की तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for Research Proposal in Junior Research Fellowship?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
No. Social Media Url
1. Facebook click here
2. you tube click here
3. Instagram click here
4. Linkedin click here
5. Facebook Page click here
6. Twitter click here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *