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How to make Students practical in hindi

1.छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक कैसे बनाएं? का परिचय (Introduction to How to make Students practical in hindi),व्यावहारिक कैसे बनें? (How to become practical?):

  • छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक कैसे बनाएं? (How to make Students practical in hindi),व्यावहारिक कैसे बनें? (How to become practical?):छात्र-छात्राओं को केवल किताबी ज्ञान ही अर्जित नहीं करना चाहिए बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी अर्जित करना चाहिए।किताबी ज्ञान से आप जाॅब प्राप्त कर सकते हैं परन्तु सांसारिक कर्त्तव्यों का निर्वाह करने के लिए व्यावहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है।
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via https://youtu.be/5YnDk7cP83Y

1.छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक कैसे बनाएं? (How to make Students practical in hindi),व्यावहारिक कैसे बनें? (How to become practical?):

  • छात्र-छात्राओं के जीवन का निर्माण करना माता-पिता तथा गुरुजनों के सामने एक कठिन चुनौती है।छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक बनाने के लिए सबसे पहली बात तो यह है कि माता-पिता तथा गुरुजनों को अपना चरित्र अच्छा रखें क्योंकि छात्र-छात्राएं सबसे अधिक वही बातें सीखते हैं जो गुरुजन तथा माता-पिता करते हैं।इसलिए छात्र-छात्राओं को श्रेष्ठ तथा उत्तम बनाना है तो उसी के अनुसार अपने जीवन में भी उन बातों को अपनाएं।
  • इसके साथ-साथ विद्यार्थियों को बार-बार किसी भी कार्य के लिए न टोके।जिन विद्यार्थियों को बार-बार टोका जाता है उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है।ऐसे विद्यार्थी अपने आपको किसी काम के योग्य नहीं समझते हैं अर्थात उनमें हीनभावना आ जाती है।
  • विद्यार्थियों की उनकी अच्छे कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए तथा प्रोत्साहित करना चाहिए।जो माता-पिता अथवा शिक्षक विद्यार्थियों पर विश्वास करते हैं तथा उनको प्रेरित करते हैं तो इससे उनका मनोबल बढ़ता है।यदि विद्यार्थी कोई गलती करता भी है तो उसे प्रेम व स्नेह से समझाना चाहिए।डाँटने-फटकारने से वे हतोत्साहित होते हैं।
  • विद्यार्थियों का मन कोमल होता है।उन्हें आज्ञापालन और विनम्रता का पाठ प्रेम और स्नेह सीखाया जा सकता है।
    विद्यार्थियों को किसी गलती पर दूसरों के सामने दण्डित करना तथा गलती का एहसास कराना लाभ के बजाय हानिकारक होता है।ऐसे विद्यार्थी अपने आपको अपमानित महसूस करते हैं और उनमें सुधार होने के बजाय बिगड़ जाते हैं।ऐसे विद्यार्थी विद्रोह करने पर उतारू हो जाते हैं या दब्बू बन जाते हैं।
  • क्रोध,आलोचना तथा दण्ड से विद्यार्थी में अच्छे और सद्विचार उत्पन्न नहीं कर सकते हैं।विद्यार्थी वास्तव में दंड व सजा के बजाए प्रेम तथा स्नेह से अधिक सीखते हैं।
  • विद्यार्थियों में आत्मविश्वास की वृद्धि करते रहना चाहिए।आत्मविश्वास उसके गुणों की प्रशंसा करने से बढ़ता है परन्तु इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि उसमें अहंकार उत्पन्न न हो जाए।इसका उपाय यह है कि उसे अच्छे,शुभ कर्मों को करने के लिए उचित समय पर बताते रहना चाहिए।साथ ही सफलता व अच्छे कार्यों का श्रेय विद्यार्थी के साथ-साथ परमात्मा अर्थात् गुरुजनों को भी दिया जाना चाहिए।
  • उचित समय पर विद्यार्थी में सदाचार,शुभ,कल्याणकारी,प्रसन्नता तथा पुरुषार्थ उत्पन्न करते रहना चाहिए जिससे विद्यार्थी आगे बढ़ता है और उसका विकास होता रहे।
  • विद्यार्थी की अध्ययन में रुचि जागृत करने के लिए उसे रोचक तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए जिससे वह अध्ययन को बोझ न समझे।
  • जीवन का उद्देश्य लचीला होना चाहिए क्योंकि बाल्यावस्था,युवावस्था तथा प्रौढ़ावस्था में जीवन का उद्देश्य परिवर्तित होता रहता है।कोई उद्देश्य स्थाई नहीं होता है।इस परिवर्तन का कारण अनुभव में परिपक्वता आने से होता है।परंतु जिस लक्ष्य को जिस आयु स्तर पर निश्चित कर ले उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
    विद्यार्थी को कष्ट व संकटों से जुझने के लिए तैयार करना चाहिए।इसके लिए उनके सामने ऐसे आदर्शों के उदाहरण प्रस्तुत करें जिन्होंने प्रतिकूल स्थितियों में अपना लक्ष्य प्राप्त किया है।जहां तक हो सके अपने स्वयं का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
    विद्यार्थी को धन-दौलत जैसे साधारण उद्देश्य के लिए ही तैयार न करें बल्कि आत्मोन्नति जैसे महान उद्देश्य को बताएं और उस पर चलने के लिए प्रेरित करें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक कैसे बनाएं? (How to make Students practical in hindi),व्यावहारिक कैसे बनें? (How to become practical?) के बारे में बताया गया है।
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