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How to Get Rid of Stubbornness?

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1.जिद करना कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Stubbornness?),अड़ने की प्रवृत्ति कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Tendency of Get Stuck?):

  • जिद करना कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Stubbornness?) क्योंकि बच्चों की जिद के कारण बच्चों का ध्यान पढ़ाई की तरफ कम और अन्य गतिविधियों की तरफ अधिक होता चला जाता है।इसलिए समय रहते बच्चों की जिद को छुड़ाया जाए।अव्वल तो उनमें जिद करने की प्रवृत्ति पनपने ही न दें यदि पनप भी गई है तो उसे जल्द से जल्द छुड़ाया जाए।
  • अक्सर माँ-बाप इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं और बच्चा जिद्दी होता चला जाता है।बच्चे दूसरों बच्चों के देखा-देखी माता-पिता से फरमाइश कर देते हैं कि अमुक चीज लाकर देनी है और न लाकर देने पर जिद पकड़ लेते हैं।
  • वे किसी भी चीज की फरमाइश करते समय यह विचार नहीं करते हैं की माता-पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है अथवा वस्तु विशेष लाकर देने पर उनका समय बर्बाद होगा तथा पढ़ाई नहीं हो पाएगी।
  • दूसरे बच्चे को कोई भी वस्तु उसके जन्मदिन का तोहफा हो सकता है अथवा परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित करने का पुरस्कार हो सकता है या उसे उस वस्तु की आवश्यकता भी हो सकती है।
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2.बच्चे जिद क्यों करते हैं? (Why Do Children Insist?):

  • बच्चे के जिद करने के कई कारण हो सकते हैं।बच्चे को जब यह पता होता है कि अगर इस चीज को पाने की जिद करेंगे तो माता-पिता अवश्य दिला देंगे।संपन्न घरों में माता-पिता जल्दी ही बच्चों की जिद पूरी कर देते हैं।जिसके चलते बच्चा दिन-प्रतिदिन जिद्दी बनता चला जाएगा,अनावश्यक चीजों को खरीदेगा।जिद करने वाले बच्चे छोटे से लेकर बड़े बच्चे भी हो सकते हैं।जिद के लिए वे सस्ती वस्तु से लेकर महंगी वस्तु तक कर सकते है। जैसे मोबाइल फोन,टैबलेट,लैपटॉप,कंप्यूटर,टीवी,रेडीमेड कपड़े,जूते,घड़ी,गॉगल्स (चश्में) आदि।
  • संसार में बाल हठ,त्रिया हठ (पत्नी हठ) व राजहठ प्रसिद्ध हैं।इस हठ के कारण बच्चों के मन में जो भी चाह उठती है उसे वे पूरी करना चाहते हैं।वर्तमान समय में जब बच्चों के मन में भाँति-भाँति की कामनाएं उभारने के अनेकानेक साधन हैं,उनकी पूर्ति की व्यग्रता बच्चों में एक जिद का रूप धारण कर लेती है।
  • बच्चे चाहे छोटे हों,किशोर अवस्था के हों अथवा युवावस्था के हों,उनके मन में उस परिपक्वता का अभाव होता है,जिससे वे यह निर्धारित कर सकें की अपेक्षित उनके उपयोग की भी है भी या नहीं और वे तो चपलता के कारण मात्र उसकी पूर्ति की जिद करने लगते हैं।
  • आज टीवी,इंटरनेट और गैजेट्स के बीच बड़े हो रहे बच्चों की जिद मन में उपजी किसी खिलौने की चाहत मात्र नहीं रह गई है।आज बच्चों की इच्छाएँ ही बदल गई हैं और कल तक जो बच्चे लकड़ी के खिलौनों से संतुष्ट हो जाया करते थे,आज वे महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्राप्त किए बिना संतुष्ट नहीं होते हैं।
  • पाश्चात्य सभ्यता,आधुनिक भौतिक संस्कृति की बढ़ती चकाचौंध ने हमारे समाज को बुरी तरह से प्रभावित किया है जिसने एक तरह की ‘दिखावा संस्कृति’ को जन्म दिया है,जिसमें हर कोई ऐसे कार्य कर रहा है,जो केवल दूसरों को दिखाने के लिए एवं धन न होते हुए भी उसके प्रदर्शन के लिए है।व्यक्तित्त्व विकास व औचित्य से इनका दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है।इस दिखावे की संस्कृति से बच्चे,किशोर और युवा भी अछूते नहीं हैं।
  • बच्चे जैसे ही थोड़े बड़े होते हैं और स्कूल,कॉलेज जाने लगते हैं तो उनका अपनी ही उम्र के दूसरे बच्चों से सम्पर्क होता है।यदि उनके सहपाठियों व दोस्तों के पास कोई वस्तु होती है जो उन्हें आकर्षित करती है तो वे उसे पाने की जिद करने लगते हैं।भले ही उस वस्तु की उन्हें जरूरत हो या न हो,लेकिन अपने सहपाठी के बराबर दीखने के लिए वे उस वस्तु को पाना चाहते हैं और यही कारण है कि आज बच्चों के स्वभाव में किसी चीज को पाने का उतना महत्त्व नहीं है,जितना उनकी इच्छित वस्तु को पाने का है।
  • आज हमारे सामाजिक व पारिवारिक परिवेश में बहुत कुछ घटित होने लगा है,जो बच्चों के दिखावे की सोच के बीज बो रहा है।यहाँ तक की बच्चे स्कूलों और काॅलेजों में भी ऐसा व्यवहार करते हैं,जो भेदभावपूर्ण होता है।वे स्कूल व कॉलेज में भी ऐसे बच्चों के साथ अधिक रहते हैं,जिनके पास अच्छी-अच्छी चीजें होती हैं और ऐसे बच्चों के साथ नहीं रहते जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर होते हैं या जिनके पास अत्याधुनिक गैजेट्स नहीं होते।बच्चों के अत्याधुनिक मनोरंजन के साधनों में आईपैड,वीडियो गेम,टैबलेट आदि अनेक अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व मनोरंजन के साधन सम्मिलित हैं,जो कि बहुत महंगे होते हैं।आज की इस महंगाई के दौर में हर कोई आसानी से इन्हें नहीं खरीद सकता,लेकिन बच्चों की जिद के आगे किसकी चलती है।
  • आज के दौर में बचपन हजारों खतरों से घिरा है।उनमें से एक विज्ञापनों की भ्रामक दुनिया भी है,जो बिना बुलाए मेहमान की तरह जीवन के हर हिस्से पर अपना अधिकार जमाती जा रही है और इस भ्रामक दुनिया का सबसे अधिक शिकार होते हैं: बच्चे,किशोर व युवा जिनमें विज्ञापनों को समझने का न तो कोई बोध होता है और न ही जानकारी।वे तो बस,विज्ञापनों के गीत गुनगुनाते रहते हैं और मनचाही वस्तु को पाने के लिए माता-पिता से जिद करते रहते हैं।इन भ्रामक विज्ञापनों के जाल ने बच्चों के कोमल मन में भौतिक वस्तुओं को बटोरने की ललक-सी पैदा कर दी और ऐसा न कर पाने पर वे स्वयं को अन्य बच्चों की तुलना में पिछड़ा व हीन समझते हैं।

3.बच्चों की जिद के परिणाम (The Consequences of Children’s Stubbornness):

  • धीरे-धीरे बच्चों की बढ़ती जिद एवं माता-पिता की उसे पूरी न कर पाने की असमर्थता पर परिवार में एक अनचाहे तनाव को जन्म दे देती है,जिससे आज लगभग प्रत्येक परिवार जूझता नजर आता है।
  • आज महंगे खान-पान से लेकर महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को प्राप्त करने की होड़ ने न केवल उनके जीवन मूल्यों को प्रभावित किया है,बल्कि उन्हें पूरा करवाने की जिद ने अभिभावकों को तनाव और दबाव में डाल दिया है।बच्चों की जिद के आगे अभिभावकों का झुकना जैसे उनकी मजबूरी बन गई है और अब यह जरूरी है कि इस बदलते परिवेश में माता-पिता को बहुत सोच समझ व शांति के साथ इस समस्या से निपटना होगा।
  • बच्चों की जिद को यदि अभिभावक नजरअंदाज करते हैं,उन्हें मना करते हैं तो वे नाराज होकर कोई भी अनुचित कदम उठा लेते हैं जैसे:घर छोड़ देना,रूठ जाना,खुद को कमरे में बंद कर लेना,भोजन न करना,अभिभावकों की बात न सुनना आदि।आज हर अभिभावक बच्चों की इन हरकतों से जूझने के लिए खुद को मजबूर पाते हैं और डरे-डरे से रहते हैं कि कहीं उनके बच्चे कोई ऐसा कदम न उठा लें,जिसके बदले उन्हे पश्चात्ताप करना पड़े।
  • बच्चों की चाहत ही उनके लिए सब कुछ होती है जिसे वे पूरा करना चाहते हैं और यदि पूरी नहीं होती तो वे बहुत दुःखी होते हैं।
    अधिकतर यह देखा गया है की बचपन में अभिभावक बच्चों की हर मांग बिना सोचे-समझे पूरी करते हैं और आगे चलकर ऐसे बच्चों की मनमानी बढ़ जाती है,फिर वे किसी भी बात को लेकर बड़ों की नकारात्मक प्रतिक्रिया स्वीकार नहीं कर पाते तथा आवश्यक हठ कर बैठते हैं।बच्चे जिद करने और अत्याधुनिक गैजेट्स का प्रयोग करने के कारण अध्ययन की तरफ ध्यान नहीं देते हैं।वे स्कूल में,अध्ययन में अथवा गणित,विज्ञान जैसे विषयों में पिछड़ते चले जाते हैं।उनका ध्यान पढ़ाई-लिखाई और अपनी प्रतिभा का विकास करने की तरफ कम होता है और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक चीजों,इंटरनेट व मोबाइल का प्रयोग करने की तरफ ज्यादा होता है।
  • अध्ययन करने के समय को वे अपने मौज-शौक को पूरा करने में नष्ट करते जाते हैं फलस्वरूप उनका भविष्य धूमिल होता जाता है।जब माता-पिता व अभिभावक का सहारा हट जाता है और वे बड़े हो जाते हैं तब दुनियादारी की वास्तविक सच्चाइयों से सामना होता है और किसी जॉब को करने लायक नहीं होते हैं तो उनका हौसला जवाब दे देता है।वे गलत राह की तरफ मुड़ जाते हैं और उल्टे-सीधे,नैतिक-अनैतिक धंधे करने लग जाते हैं।
  • वे गुमराह हो जाते हैं और भटक जाते हैं,उन्हें समझ में ही नहीं आता कि क्या करें,क्या न करें और भविष्य को कैसे सँवारे क्योंकि भविष्य को सँवारने,बनाने के समय तो वे अपनी जिद को पूरा करने में लगे रहे और कोई हुनर नहीं सीख सके।ऐसी स्थिति में जीवन में आने वाली परेशानियों,समस्याओं से निपटने में वे सक्षम नहीं हो पाते हैं फलस्वरूप वे चिंतित,तनावग्रस्त,निराश,हताश व उदास हो जाते हैं,उन्हें कोई मार्ग नहीं दिखाई देता है कि इस दुविधा से बाहर कैसे निकलें और निजात पाएँ।

4.बच्चों की जिद छुड़ाने के उपाय (Ways to Get Rid of Children’s Stubbornness):

  • बच्चों को जिद करना आता है।लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि क्या बच्चों की हर फरमाइश व जिद माता-पिता हमेशा पूरी कर पाते हैं? अगर करते हैं तो क्यों? और नहीं करते हैं तो क्यों? इन बिंदुओं पर माता-पिता व अभिभावक को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
  • घर का महीने के खर्च का बजट घर की महिलाएं ही प्रायः बनाती हैं।उस बजट के बाहर अगर खर्च बढ़ जाता हैं तो माता-पिता बच्चों की जिद पूरी नहीं कर पाते हैं।ऐसी स्थिति में उन्हें बच्चों को प्रेम से समझा देना चाहिए।कभी-कभी डांट अथवा मारने की संभावना भी पड़ सकती है।
  • सबसे बढ़िया तरीका तो यही है कि बच्चों को समझा-बुझाकर बात को टाला जा सकता है।बच्चा यदि समझदार हुआ तो मान जाएगा और नहीं माना तो घर सिर पर उठा लेगा।उस चीज के लिए उसे मार ही क्यों नहीं खानी पड़े?
  • बच्चे का जिद करना कोई बड़ी बात नहीं है।परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है कि बच्चे की जिद एक बार पूरी कर दें,बार-बार नहीं।उसे इस बात का एहसास न होने पाए की माता-पिता उसकी हर जिद पूरी करेंगे।कभी-कभी बच्चे ऐसी चीजों की जिद करते हैं,जो काफी महंगी होती है।यदि माता-पिता के पास उनकी जिद पूरी करने के लिए रुपए होते हैं,तब तो ठीक है।अगर रुपए नहीं हुए तो बच्चे का मुंह लटक जाता है।उसे तो वह चीज किसी भी हालत में चाहिए क्योंकि उसे अपनी जिद पूरी करानी ही है।इसका कारण शायद उनके लाड़-प्यार ने उनको इतना जिद्दी बना दिया या फिर उसकी हर जिद को पूरी करके।अतः बच्चे को अत्यधिक लाड़-प्यार न करें और न ही हर जिद पूरी करें।
  • बच्चा जब जिद करे तो उसे अन्य बातों में उलझाएं।बच्चा आपकी बात अवश्य सुनेगा तथा जिद करना भूल जाएंगे।इस प्रकार यदि बच्चों पर यदि प्यार से थोड़ा ध्यान दिया जाए तो बच्चे जिद करना छोड़ देंगे।
  • अपनी जिद के कारण बच्चे कोई अफसोसजनक कदम न उठा लें, इससे बचने के लिए यह जरूरी है कि आरम्भ से ही बच्चों को समझदार बनाया जाए और उन्हें उनकी सीमाओं से परिचित कराया जाए।बच्चों को बचपन से ही इस बात का बोध कराना आवश्यक है कि उनके परिवार की परिस्थितियाँ क्या हैं और उनके अनुरूप ही उनकी इच्छाएं व उम्मीदें पूर्ण कर पाना संभव है।
  • अधिकतर यह देखा गया है की बचपन में अभिभावक बच्चों की हर मांग बिना सोचे-समझे पूरी करते हैं और आगे चलकर ऐसे बच्चों की मनमानी बढ़ जाती है।
  • बच्चों के आगे बढ़ाने में माता-पिता जो सहयोग कर सकते हैं उन्हें अवश्य करना चाहिए,लेकिन इतना भी नहीं करना चाहिए कि बच्चे खुद कोई प्रयास न करें और अपने अभिभावकों पर निर्भर हो जाएँ।इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अभिभावकों को बच्चों के विकास में अपना सहयोग व मार्गदर्शन देना है न उन पर अपनी मरजी चलानी है और न ही उनकी मर्जी को ही सब कुछ मान लेना है,तभी बच्चे समझदार बनेंगे और अपनी जिद व जरूरत के बीच फर्क समझ पाएंगे।
  • छोटे बच्चे अपनी हर जिद के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर होते हैं,लेकिन यदि माता-पिता उन्हें आत्मनिर्भर बनाना सिखाएं,मेहनत से कमाने का उपाय बताएं,इसके लाभ बताएं और उन्हें मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करें तो वही बच्चे यह समझ पाएंगे कि अपने परिश्रम से किसी वस्तु को प्राप्त करना कितना आनंददायक होता है।ऐसे ही बच्चे आगे बढ़ने पर मां-बाप का सहारा बन सकते हैं और उन पर डाले गए अन्यथा के हठ का कारण बनने से बच सकते हैं।

5.जिद का दृष्टांत (The Parable of Stubbornness):

  • कभी-कभी बच्चे की जिद जायज होती है।एक कंजूस माता-पिता थे।वे अपनी धन संपत्ति का उपयोग न तो दान-दक्षिणा देने में करते थे और न ही बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर खर्च करते थे।उनका बच्चा समझदार था उसे यह देखा नहीं गया।संपत्ति के प्रति अपने माता-पिता का यह मोह उसे बर्दाश्त नहीं हुआ।उसके बच्चे ने पिता की इस प्रकार की प्रवृत्ति का विरोध किया।
  • उसके लड़के ने कहा कि मैं अध्ययन करना चाहता हूं और मुझे किसी स्कूल में दाखिला दिलाया जाए।पुत्र की बात का पिता ने कोई जवाब नहीं दिया।जब बच्चे ने हठ कर ली तो पिता ने झल्लाकर कहा कि घर से निकल जा और चला जा यहां से।लेकिन अगले ही क्षण पिता ठिठका।ये उसने क्या कह दिया?
  • उसका पुत्र भी ठहरा दृढ़ निश्चयी।वह कहां पीछे रहने वाला था? पिता की बात सुनकर बोल पड़ा: मैं आपकी आज्ञा का पालन अवश्य करूंगा,आप बिल्कुल चिंतित न हों।पिता ने बहुत समझाया पर पुत्र नहीं माना।उसने सभी परिजनों से अंतिम भेंट की और अध्ययन करने की तलाश में निकल पड़ा।जिसने भी सुना आश्चर्यचकित हुए बिना न रह सका।सभी उसके साहस की प्रशंसा करने लगे।
  • काफी प्रयास करने के बाद उसे नि:शुल्क आवासीय विद्यालय मिल गया,वहां उसने प्रवेश ले लिया और शिक्षा अर्जित करने लगा।जब उसके पिता को मालूम हुआ तो काफी लज्जित हुए पर अब क्या हो सकता था? उनके मन पर लोभ का पर्दा हट चुका था।पुत्र शिक्षा अर्जित करके,आत्मनिर्भर हो गया तथा जाॅब करने लगा।
  • माता-पिता तलाश करके उसके पास पहुंचे और अपने किए गए बर्ताव के लिए क्षमा मांगी।
  • पुत्र विद्वान बनकर अपने माता-पिता के साथ वापस इस शर्त के साथ लौटा कि वह अपनी संपत्ति को नेक कार्यों में दान करेंगे और खर्च करेंगे।उसी राह पर चलकर वह बहुत प्रसिद्ध विद्वान और लोकप्रिय हो गया।उसका सारे संसार में नाम अमर हो गया।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में जिद करना कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Stubbornness?),अड़ने की प्रवृत्ति कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Tendency of Get Stuck?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित पढ़ाने का चकना (हास्य-व्यंग्य) (Math Reading Tricks) (Humour-Satire):

  • मीनू (विजय से):भैया,मां को कैसे पता चला कि तुमने आज गणित का अध्ययन नहीं किया है।
  • विजय:क्योंकि मैं मेज पर गणित की पुस्तक को खुली रखकर,रखना भूल गया था।

7.जिद करना कैसे छुड़ाएँ? (Frequently Asked Questions Related to How to Get Rid of Stubbornness?),अड़ने की प्रवृत्ति कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Tendency of Get Stuck?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.बच्चों की जिद पूरी न करने के कारण नाराज हो जाए तो क्या करें? (What to Do if Children Get Angry Because of Not Fulfilling the Children’s Stubbornness?):

उत्तर:हो सकता है बच्चा आपसे अथवा किसी अन्य बात पर जिद पकड़कर नाराज हो तो उसे मनाएं,उससे दूरी मिटाने की हर संभव कोशिश करें।उन्हें मनाएं और उनसे बात करें।ऐसा करने से वे अपनी जिद छोड़ देंगे और आपसे अपनी बात साझा करने लगेंगे।हो सकता है बच्चा आपसे कुछ ऐसे सवाल पूछे या ऐसी बात कहे जो बेतुकी हो,लेकिन आप उनकी हर बात को ध्यान से सुनें और सोच-समझकर प्यार से जवाब दें।

प्रश्न:2.बच्चे किसी चीज की मांग करें तो क्या करें? (What to Do If Your Child Demand for Something?):

उत्तर:इस बात को भी तय करें कि बच्चों की कौनसी मांग वाजिब है और कौनसी टाली जा सकती है।क्योंकि बच्चों में समझ का अभाव होता है,किसी भी चीज की जिद कर बैठते हैं,उनकी कई ऐसी मांगे भी होती है,जो गैर जरूरी होती है।ऐसे में आप उन्हें बताएं कि वे जो मांग रहे हैं,वह कितनी गलत है और कितनी सही।उसके बाद उन्हें निर्णय लेने दें कि क्या चाहिए?

प्रश्न:3.बच्चों को धन को सही तरीके से खर्च करना कैसे समझाएं? (How to Explain to Children How to Spend Money Correctly?):

उत्तर:जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं,उनकी जरूरतें और ख्वाहिशें भी बढ़ने लगती हैं।परिवार में सामूहिक वार्ता के दौरान अथवा किस्से-कहानियाँ सुनाने के दौरान बच्चों को धीरे-धीरे पैसे की कीमत समझाएं।उन्हें अपने संघर्ष की सच्चे किस्सों के अलावा यह भी बताएं की कितनी कठिनाइयों के साथ पैसा कमाया जाता है।उन्हें सही तरीके से पैसा खर्च करना सिखाएं।ज्यों-ज्यों बच्चा बड़ा होता जाए त्यों-त्यों उन्हें अपनी जिम्मेदारियां को निभाना सिखाएँ जिससे वह अनावश्यक जिद करना न सीखें।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा जिद करना कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Stubbornness?),अड़ने की प्रवृत्ति कैसे छुड़ाएँ? (How to Get Rid of Tendency of Get Stuck?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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