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How to create sanskar through education?

1.शिक्षा के माध्यम से संस्कार कैसे निर्माण करें का परिचय (Introduction to How to create sanskar through education?),संस्कार और शिक्षा का अर्थ क्या है? (What is meaning sanskar and education?):

  • शिक्षा के माध्यम से संस्कार कैसे निर्माण करें? (How to create sanskar through education?) शिक्षा के द्वारा विद्यार्थी कुछ न कुछ सीखता है। जिससे कर्मों का निर्माण होता है। कर्मों से आदतों और स्वभाव का निर्माण होता है। ये आदतें ही संस्कार के रूप में विद्यार्थी के अवचेतन मन में संस्कारों के रूप में संचित होते जाते हैं।जब विद्यार्थी कोई भी कर्म करता है तो उसके कर्म इन संस्कारों से प्रभावित होते हैं। इस प्रकार विद्यार्थी को ऐसे कर्म अर्थात् अच्छे ही करने चाहिए जिससे अवचेतन मन में शुभ और कल्याणकारी संस्कार ही संचित हों।
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via https://youtu.be/1G29H43iuII

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2.शिक्षा के माध्यम से संस्कार कैसे निर्माण करें? (How to create sanskar through education?),संस्कार और शिक्षा का अर्थ क्या है? (What is meaning sanskar and education?):

  • बाल्यकाल में बालक माता-पिता से अनुकरण करके सीखता है।इस अवस्था में बालको पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।जैसे छोटा पौधा आंधी-तूफान में खड़ा नहीं रह सकता इसलिए उसके देखभाल की आवश्यकता होती है।इसी प्रकार बाल्यकाल में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार,सभ्यता व शिष्टाचार भी सिखाया जाता रहे तो कोई कारण नहीं है कि बालक बड़ा होकर माता-पिता पर बोझ बनेगा।व्यापक रूप में संस्कार,सभ्यता व शिष्टाचार शिक्षा के ही अंग है,शिक्षा से अलग नहीं है अर्थात् शिक्षा से अलग इनके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।
  • माता-पिता एवं अभिभावक बच्चों को शरीर की सफाई,अपने कपड़े स्वयं धोने,वस्तुओं,पुस्तकों को यथास्थान रखने,निश्चित समय पर सोने-जागने तथा दैनिक नित्य क्रिया कर्म करने की आदत डालें।
  • केवल अध्ययन व पढ़ाई में ही बच्चों को नहीं लगाएं रहना चाहिए बल्कि उन्हें पूजा-पाठ,शारीरिक व्यायाम,योगासन,प्राणायाम का अभ्यास भी कराते रहना चाहिए।बाल्यकाल में जिस प्रकार के संस्कार डाले जाते हैं बालक में वैसी ही आदतों का निर्माण होता है।
  • बड़ों को प्रणाम करना,आदर करना,गाली-गलौज न करने जैसे संस्कार बाल्यकाल से ही सीखना चाहिए।बच्चों को सबके सामने न डाँटे।
  • पुस्तके पढ़ते समय,अध्ययन करते समय बालक सामान्य ज्ञान से संबंधित या अपनी अन्य कोई समस्या या जिज्ञासा रखे तो उसका समाधान करने से बालक के व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि होती है।चौबीस घंटों में केवल पढ़ने का दबाव बनाने से बालक के व्यक्तित्व का समुचित विकास नहीं होता है बल्कि मानसिक विकास में बाधा पड़ती है।
  • धर्म से तात्पर्य है सज्जनता,नैतिकता,उदारता,सदाचार,संयम इत्यादि से होता है तथा इनका किसी सम्प्रदाय से,रीति रिवाजों से कोई संबंध भी नहीं है परन्तु यदि इनको आज सांप्रदायिकता की सीमाओं में लेने का प्रयास किया जाता है जो उचित नहीं है।इनका संबंध मानव मात्र की भलाई से है इसलिए इनका शिक्षण बाल्यकाल से ही कराया जाए।
  • बालक यदि उद्दण्डता करते हैं तो उनको डाँटना लेकिन उनसे आत्मीयता भी रखना।आत्मीयता इसलिए कि उनसे घनिष्ठता बनी रहे,पराएपन का अहसास न हो तथा डाँटना इसलिए जरूरी है कि उनके दोष-दुर्गुणों पर नियंत्रण किया जा सके परन्तु यह कार्य बड़ी कुशलता से किया जाना चाहिए।कोई ऐसा दण्ड नहीं दिया जाना चाहिए जिससे बालकों का भविष्य बिगड़े और बदनामी हो।अध्यापकों तथा माता-पिता को मिलजुल कर ही रास्ता निकालना चाहिए।दोनों के बीच आपस में परामर्श होता रहे तो बढ़िया है।
  • बालकों की प्रतिभा का विकास करना दुधारी तलवार है जो गलत दिशा में जाने पर बदनामी का कारण बन सकती है अर्थात् स्वयं का तथा दूसरों का विनाश निश्चित है।तथा उचित दिशा में तराशा जाए तो महामानव बन सकता है।यदि अभिभावक व अध्यापक रचनात्मक ढंग से सुधारे तो बच्चों को सुधारना कठिन नहीं होता है क्योंकि बचपन में बालक के अंदर दोनों तरह के कर्म संचित रहते हैं अच्छे तथा बुरे।हम इन संस्कारों को तराशते हैं तो उनके पूर्व जन्म के अच्छे संस्कार जागृत होते हैं।यदि बालकों में बुरी आदतों का निर्माण करते हैं तो पूर्व जन्म के बुरे कर्म ही जागृत होते हैं।अध्यापकों तथा अभिभावकों व माता-पिता की लापरवाही से बालक उद्दण्ड बन सकता है उनकी दिशा गलत हो सकती है।अतः सतर्क,सजग व चौकस रहने की आवश्यकता है।
  • मनुष्य में बालकपन का काल सबसे महत्त्वपूर्ण और नींव लगाने का कार्य है तथा इस काल में ही बालकों की शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है,बाद में तो बालक परिपक्व हो जाते हैं।बड़े होने पर उनमें ज्यादा कुछ सुधार करना संभव नहीं है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में शिक्षा के माध्यम से संस्कार कैसे निर्माण करें? (How to create sanskar through education?),संस्कार और शिक्षा का अर्थ क्या है? (What is meaning sanskar and education?) के बारे में बताया गया है।
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