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How to Avoid Side Effects of Gadgets?

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1.गैजेट्स के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Gadgets?),आधुनिक युक्तियों के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Modern Devices?):

  • गैजेट्स के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Gadgets?) क्योंकि आज आधुनिक उपकरण एवं युक्तियाँ जैसे मोबाइल फोन,टैबलेट,लैपटॉप,कंप्यूटर आदि दैनिक जीवन का अनिवार्य अंग बन गए हैं।आधुनिक युग में इनके बिना काम करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है।परंतु कुछ सावधानियां रखी जाएँ और आवश्यक होने पर ही इनका उपयोग किया जाए तथा अन्य सतर्कता बरती जाए तो इनके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
  • इन युक्तियों (Devices) का प्रयोग करते-करते हमें यह पता ही नहीं चला चल पाता है कि कब और कितना समय व्यतीत हो गया है।इस प्रकार हम इन गैजेट्स का प्रयोग के आदी हो जाते हैं।एक बार इनकी लत लग जाती है तो हम वास्तविक जीवन के बजाय आभासी जीवन जीने के आदी हो जाते हैं।
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2.गैजेट्स को प्रयोग करने का यथार्थ (The Reality of Using Gadgets):

  • आज के इस वैज्ञानिक युग में विज्ञान अपनी प्रगति के चरम पर पहुंच गया है और इसका पूरा श्रेय आज के प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों को ही जाता है,जिन्होंने अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को वैज्ञानिक अनुसंधान में लगाकर मनुष्य जीवन को सहज बनाने का निरंतर प्रयास किया है।जिन कार्यों की एक साधारण मनुष्य कभी कल्पना भी नहीं कर सकता है,ऐसे अनेकों चमत्कृत कर देने वाले आविष्कार आज आए दिन होते रहते हैं।आज विज्ञान अपने विकास के चरम पर है और यह विकास इतना अदभुत है कि विज्ञान ने अपनी एक नई दुनिया ही रच डाली,जिसे ‘डिजिटल वर्ल्ड या विजुअल वर्ल्ड’ के नाम से जाना जाता है।
  • यह एक ऐसी दुनिया है,जिसका कोई ठोस व वास्तविक अस्तित्व नहीं है,किंतु जब कोई इसमें प्रवेश करता है तो वह इसमें ऐसे खो जाता है कि उसे अपनी वास्तविक दुनिया भी याद नहीं रहती।इस डिजिटल वर्ल्ड को रचने वाला विज्ञान है,किंतु जब-जब भी किसी नई सृष्टि का निर्माण करने का प्रयास किया गया है,तब-तब संसार का संतुलन बिगड़ा और प्रभावित हुआ है,सामान्य जीवन।कुछ ऐसे ही दुष्परिणाम आज हमारे सामने आ रहे हैं,जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।विज्ञान का यह चमत्कार आज हमारे लिए एक अभिशाप बनता जा रहा है।
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  • विज्ञान के इस चमत्कार से हमें विकास में बहुत सहायता मिली है।इसके माध्यम से जीवन सुलभ हुआ है और बढ़ी है रफ्तार,किंतु मनुष्य ने इसका अंधाधुंध उपयोग करना शुरू कर दिया है,जिसके कारण आए दिन नई-नई समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं।इसका सबसे बुरा प्रभाव बच्चों और युवाओं पर पड़ रहा है।आज टैबलेट और मोबाइल फोन बच्चों व युवाओं के बीच उसी तरह लोकप्रिय हो रहे हैं,जिस प्रकार कभी टीवी हुआ करता था।इन आधुनिक उपकरणों को आधुनिक भाषा में गैजेट कहा जाता है।ये गैजेट वास्तव में बच्चों व युवाओं के मनोरंजन का साधन बन रहे हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि इनके अपरिमित इस्तेमाल का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • बच्चों का वास्तविक मनोरंजन तो खेल-कूद है।खेल-कूद एक ऐसा साधन है,जिससे बच्चों का शारीरिक विकास तो होता ही है,पर साथ में उनके मानसिक विकास में भी सहायक होता है।थोड़ी देर के खेल-कूद से बच्चों की दिनभर की थकान दूर हो जाती है और वह अपने आपमें एक ताजगी व उत्साह अनुभव करते हैं।खेलकूद के दौरान मिलने वाली शारीरिक व मानसिक चुनौतियों का सामना करना एक ऐसा अभ्यास होता है,जो बच्चों को जीवन में आने वाली वास्तविक चुनौतियों का सामना करने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शोध अध्ययनों में यह पता चला है कि जो बच्चे खेल-कूद में उत्साहपूर्वक भागीदारी करते हैं,वे अपने जीवन में अधिक सफल देखे गए हैं,लेकिन आज मनोरंजन का उद्देश्य व साधन,दोनों ही बदलते जा रहे हैं।आज के बच्चे के लिए मनोरंजन का उद्देश्य मात्र टाइम पास करना रह गया है और तरह-तरह के खेल-कूद के स्थान पर गैजेट का इस्तेमाल होने लगा है,जिसका दुष्प्रभाव आए दिन देखने को मिल रहा है।

3.गैजेट के उपयोग का नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact of the Use of Gadgets):

  • गैजेट के इस्तेमाल का एक नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर यह पड़ रहा है कि ऐसे बच्चे एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं और उसी में रहना पसंद करते हैं।उन्हें अब किसी से मिलना-जुलना,बातचीत करना,पढ़ना-लिखना, यहां तक की खेल-कूद भी अच्छा नहीं लगता,वे अकेले रहना अधिक पसंद करते हैं।इस अकेलेपन में रहने के कारण उनमें अनेकों मानसिक समस्याएं,जैसे: चिड़चिड़ाहट,आक्रामकता,अनिद्रा,तनाव,अवसाद आदि आदि उत्पन्न हो रही हैं।
  • आज खेल-कूद के साधन ही नहीं बदले,बल्कि साथ में बदले हैं:खान-पान के तरीके भी।पहले भोजन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर किया जाता था,किंतु आज स्वास्थ्य का स्थान स्वाद ने ले लिया है।आज बच्चे स्वादिष्ट भोजन करना ज्यादा पसंद करते हैं।आधुनिकता ने बच्चों को इस कदर प्रभावित किया है कि आज बच्चे रोटी,दाल,चावल,सब्जी आदि को ट्रेडिशनल खाना कहने लगे हैं और बर्गर,पिज़्ज़ा,मोमो,सॉफ्ट ड्रिंक आदि को आधुनिक खाना।ऐसे फास्ट फूड को खाने में बच्चे तो बच्चे,बड़े भी अपनी शान समझने लगे हैं।आज बच्चों को दाल-रोटी अच्छी नहीं लगती,बल्कि उन्हें तो पिज़्ज़ा-बर्गर खाना और कोल्ड ड्रिंक पीना अच्छा लगता है।सच तो यह है कि विज्ञान और आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में बचपन तो खो रहा ही है और साथ ही बढ़ रही हैं अनेकों समस्याएं।
  • अधिकांश बच्चे किसी न किसी गैजेट का इस्तेमाल करता है।कोई ना कोई गैजेट उसे इस उम्र में मिल जाता है,जब वह ठीक से बोलना भी नहीं जानता।टेक्नोलॉजी की लत किसी बच्चे के व्यवहार और सोने की आदत को प्रभावित कर सकती है।इस लत से बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है और इस विष को बच्चों के दिमाग से दूर करना जरूरी है।यदि किसी बच्चे को गैजेट की लत लग चुकी है तो इसकी जांच,पांच विशेष संकेतों से की जा सकती है।पहला संकेत:ऐसे बच्चे प्रायः गैजेट के बारे में ही बात करते देखे जाते हैं।दूसरा संकेत:ऐसे बच्चे गैजेट के अलावा दूसरे कामों के प्रति उदासीनता या अरुचि दिखाते हैं।तीसरा संकेत:ऐसे बच्चों का व्यवहार अधिक चिड़चिड़ा व आक्रामक हो जाता है।चौथा संकेत:गैजेट न होने पर तनाव या अलगाव में रहना।पांचवा संकेत:झूठ बोलना या कुटिल व्यवहार प्रदर्शित करना।सोशल मीडिया के नाम पर बच्चे तो बच्चे,बड़े भी अपना बहुमूल्य समय गैजेट में बर्बाद करने लगे हैं और ऐसा करना अपनी शान समझते हैं।मनोवैज्ञानिकों ने कहा है कि आजकल अभिभावक यह समझने में माथापच्ची करते हैं कि सोशल मीडिया बच्चों के लिए किस हद तक जरूरी है।यह एक ऐसा पागलपन है,जिसमें कोई लाभ तो नहीं,बल्कि नुकसान अधिक है।जिस समय का उपयोग कभी लोग अपने परिवार व साथी-संबंधियों से मिलने में करते थे,उसकी अपेक्षा आज सोशल मीडिया में बनाए गए संबंध ही असली माने जाते हैं,जबकि वास्तविक जीवन के संबंध अपना मूल्य खो रहे हैं।बहुत से ऐसे लोग हैं,जो वास्तविक जीवन में संबंधों को न तो स्थापित कर पाते हैं और न ही निभा पाते हैं तथापि डिजिटल वर्ल्ड में वे एक काल्पनिक संबंधों की दुनिया निर्मित कर चुके होते हैं।ऐसे व्यक्तियों के लिए फिर सामान्य संबंधों का भी निर्वाह कर पाना संभव नहीं हो पाता।

4.गैजेट्स के प्रयोग के दुष्प्रभाव व बचाव (Side Effects and Prevention of Using Gadgets):

  • बिस्तर पर पड़े रहने के बावजूद देर तक नींद ना आना,आजकल स्वास्थ्य संबंधी एक आम समस्या बनती जा रही है।विशेषज्ञों का कहना है कि वयस्क लोग जीवन की भाग-दौड़,संघर्ष व तनाव के चलते इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं,लेकिन आजकल बच्चों की भी नींद उड़ने लगी है।बच्चों में इस बीमारी के मुख्य कारण गैजेट का अधिक उपयोग,कोल्ड ड्रिंक,फास्ट फूड आदि बताए जाते हैं।अनिद्रा,नींद में चलना या फिर नींद में होने वाली सांस की समस्या कम उम्र के बच्चों में भी तेजी से देखने में आ रही है।आंकड़ों से यह पता चलता है कि यह समस्या पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ी है।दरअसल बदलते दौर में बच्चे देर रात तक टीवी देखते हैं या गैजेट का इस्तेमाल करते हैं।
  • उनके खान-पान में भी हाई-कैलोरी युक्त चीजों का ज्यादा समावेश हो गया है।ये सब सम्मिलित रूप से बच्चों के नींद खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं।इसके अलावा बढ़ती असुरक्षा की भावना से भी बच्चों को घर से बाहर खेलने पर रोक लगा दी जाती है,जिससे बच्चे टीवी या गैजेट की शरण में जाते हैं।विशेषज्ञों ने अपने शोध में पाया कि टीवी व गैजेट की रोशनी व आवाज बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
  • हमें आधुनिकता की इस अंधी दौड़ से दूर रहकर यह सोचना होगा कि आखिर इस दौड़ का अंत क्या होगा,अन्यथा हम इतने दूर निकल जाएंगे कि जहां से लौट पाना मुश्किल हो जाएगा।समय रहते संभल जाना उसे सुधार कर लेना ही बुद्धिमानी कहलाती है।जीवन का वास्तविक विकास तो सहजता में है,हमारी प्राचीन जीवनपद्धति में है,न कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में।माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों की खेल-कूद में रुचि पैदा करने के लिए स्वयं प्रयास करें और जहां तक हो सके इन आधुनिक उपकरणों की लत से उन्हें बचाएँ,तभी वे उनका समग्र विकास कर पाने में सक्षम होंगे।
  • माता-पिता को स्वयं मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग करने से बचना होगा।तभी वे बच्चों के स्क्रीन टाइम को निर्धारित करने में सक्षम होंगे।बच्चों का स्क्रीन टाइम उतना ही अलाउ करें जितना उनके लिए अनिवार्य हैं।उनकी स्वाध्याय,पुस्तकों का अध्ययन करने में रुचि जागृत करें।कोर्स की पुस्तक पढ़ने,अच्छा साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करें।जो लोग पेशेवर हैं उनके द्वारा गैजेट्स का प्रयोग करना उनकी मजबूरी है और उनका कर्त्तव्य है।परंतु जो लोग शौकिया तौर पर,मनोरंजन के लिए गैजेट्स का प्रयोग करते हैं उन्हें अपने आप पर नियंत्रण रखना होगा और आवश्यक होने पर तथा संतुलित उपयोग इस्तेमाल करने की आदत डालनी चाहिए।बच्चे माता-पिता,अभिभावकों व बड़ों से अधिकांश बातें सीखते और करते हैं।बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित करने के बाद कितनी जिद करने पर भी अलाउ न करें।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में गैजेट्स के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Gadgets?),आधुनिक युक्तियों के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Modern Devices?) के बारे में बताया गया है।

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5.छात्र के सामने न देखने का कारण (हास्य-व्यंग्य) (Reason for Not Looking in front of Student) (Humour-Satire):

  • अध्यापक (तनुज से):तुम गणित के सवालों को समझने के लिए सामने क्यों नहीं देख रहे हो,बगल में क्यों देख रहे हो।
  • तनुज:सर,आपने ही तो कहा है कि ध्यान से सुनो,इसलिए कान को आपकी तरह करके ध्यान से सुन रहा हूँ।

6.गैजेट्स के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (Frequently Asked Questions Related to How to Avoid Side Effects of Gadgets?),आधुनिक युक्तियों के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Modern Devices?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल कौन करता है? (Who Uses Gadgets the Most?):

उत्तर:भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं गैजेट्स (मोबाइल) पर अत्यधिक समय व्यतीत करती हैं।यहां तक की गर्भवती महिलाओं को तनाव व गैजेट से दूर रहने के लिए कहा जाता है तो वे स्क्रीन पर नज़रें टिकाकर स्वयं के साथ तथा बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं।इसका कारण है कि महिलाएं एकल परिवार में रहने के कारण अकेलेपन को दूर करने के लिए गैजेट्स का प्रयोग करती हैं।वे ऑनलाइन शॉपिंग तथा सोशल मीडिया पर व्यस्त रहती हैं।इससे कई मानसिक व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न:2.गैजेट्स के सदुपयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो। (Write a Short Note on the Good Use of Gadgets):

उत्तर:गैजेट्स जिनमें मोबाइल फोन आज हर युवक-युवती,पुरुष व महिलाओं के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है।आज कोई भी छात्र-छात्रा अथवा अन्य व्यक्ति किसी भी विषय से संबंधित जानकारी को इंटरनेट पर सर्च करके जान लेता है।उसे कहीं दूसरी जगह भटकने की जरूरत नहीं पड़ती है।अपनी संवेदनाओं,भावनाओं को तत्काल गैजेट्स के जरिए विश्व के किसी भी कोने में पहुंचाया जा सकता है।विश्व में कहीं भी किसी घटना के घटित होने की तत्काल जानकारी जुटाई जा सकती है।शिक्षा,अध्यात्म,जॉब,खेल-कूद,योग-साधना,मनोरंजन आदि से संबंधित कोई भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

प्रश्न:3.गैजेट्स पर सबसे अधिक कौन से कंटेंट देखे जाते हैं? (What Content is Seen the Most on Gadgets?):

उत्तर:सबसे अधिक मनोरंजन,इसके बाद जाॅब से संबंधित तथा शिक्षा,ज्ञान,समाचार,राजनीतिक विषय से संबंधित कंटेंट सर्च किए और देखे जाते हैं।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा गैजेट्स के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Gadgets?),आधुनिक युक्तियों के दुष्प्रभावों से कैसे बचें? (How to Avoid Side Effects of Modern Devices?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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