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How to Avoid Consuming Fast Food?

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1.फास्ट फूड का सेवन करने से कैसे बचें? (How to Avoid Consuming Fast Food?),सुविधाजनक परन्तु जहर भरे फास्ट फूड (Delicious But Poisonous Fast Food):

  • फास्ट फूड का सेवन करने से कैसे बचें? (How to Avoid Consuming Fast Food?) क्योंकि युवावर्ग इनकी गिरफ्त में आ रहे हैं और इनका दुष्प्रभाव दिखाई देने लगा है।
  • सन 1991 में भूमंडलीकरण की शुरुआत के साथ हमारे देश में विदेशी यानी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बड़े पैमाने पर पदार्पण किया और अपने साथ लायी-फास्ट फूड की आंधी।फास्ट फूड की दुनिया की अग्रणी केंटकी फ्राइड चिकेन सहित इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन पर विरोध और हंगामा तो अवश्य हुआ,किंतु तत्कालीन सरकार की उदारवादी नीतियों के चलते ये बहुराष्ट्रीय रेस्तरां बंद तो नहीं हुये,अलबत्ता इन्होंने जल्द ही देश में फास्ट फूड को हमारे देश के शहरी विशेषकर मध्य वर्ग- लोगों के बीच न केवल प्रचलन में ला दिया,बल्कि इस वर्ग के बच्चों में अत्यधिक लोकप्रिय भी बना दिया।
  • लेकिन दीवानेपन की सीमा तक फास्ट फूड के शौकीन बने इस वर्ग के लोगों को इन फास्ट फूड के घातक नतीजों की कतई जानकारी नहीं थी,और एक दूसरे से होड़ करने वाले इस वर्ग के लोगों ने यह जानने की ना तो जरूरत समझी कि इनके नुकसान क्या है और ना इसके लिए उनके पास फुर्सत ही थी।
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2.बीमारियों के जन्मदाता (Creators of Diseases):

  • नूडल्स,पीजा,बर्गर,चिप्स,फ्रेंच फ्राइज,छोले-भटूरे,ब्रेड-पकोड़े,समोसे तथा ठंडे पेय पदार्थ (सॉफ्ट ड्रिंक्स) खाने-पीने में बेहद लजीज और सुविधाजनक तो होते हैं,किंतु इनके शौकीन बच्चों और उनके माता-पिता,अभिभावकों को इनसे होने वाले घातक रोगों का अनुमान भी नहीं है।इसका नतीजा महानगरों के नामी-गिरामी अस्पतालों में उन रोगों से ग्रस्त बच्चों की बढ़ती संख्या के तौर पर सामने आया है,जो अभी तक बड़े-बूढ़ों की बीमारियां समझी जाती रही हैं।इनमें प्रमुख है-हृदय,पेट और दांत संबंधी बीमारियां तथा हाइपरटेंशन यानी मानसिक तनाव (अवसाद)।
  • इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बढ़ते बच्चों को प्रतिदिन 1500 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है,जिसमें 50% कार्बोहाइड्रेट,20% वसा यानी फैट और 30% प्रोटीन का होना अनिवार्य है और इन फास्ट फूड की सबसे बड़ी कमी यह है कि इनमें कार्बोहाइड्रेट यानी वसा तो आवश्यकता से कहीं बहुत ज्यादा होती है,जबकि प्रोटीन की मात्रा लगभग नहीं के बराबर।इसके अलावा इनमें मौजूद अनेक किस्म के साल्ट और प्रिजरवेटिव (खाद्य-पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए उनमें मिलाये जाने वाले रसायन) भी कृत्रिम होने की वजह से स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।
  • बच्चों के रोजाना के भोजन में प्रोटीन की कमी के चलते उनके शरीर में मौजूद प्रोटीन स्तर गिर जाता है,जो उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक और अनेक खतरनाक बीमारियों का कारण बनता है।इनमें सबसे आमतौर पर होने वाली बीमारी सूखा रोग है।इसके अलावा प्रोटीन की कमी की वजह से बच्चों में घातक कुपोषण भी पाए जाते हैं,जिनका नतीजा उनमें खून की कमी,चिड़चिड़ापन व जिद्दी स्वभाव शरीर के किसी एक अंग में अथवा समूचे शरीर की नसों में सूजन,पेट का अनुपात से बड़ा होना,त्वचा पर जगह-जगह चकत्ते पड़ना या उनका रूखा हो जाना,बालों का झड़ना या उनका रंग उड़ जाना आदि के रूप में सामने आता है।अभी तक ये सभी गड़बड़ियां एवं बीमारियां अफ्रीकी देशों के बच्चों में ही बहुतायत में पाई जाती रही हैं,किंतु अब हमारे देश के बच्चे भी उनकी पकड़ से बाहर नहीं रह गए हैं।
  • एक ख्यात बाल विशेषज्ञ की टिप्पणी यहाँ काबिले गौर है,”आज हमारे देश के बच्चों में पाए जाने वाले फोड़े-फुंसियों और त्वचा के चकत्तो से लेकर हृदय-धमनी के ब्लॉक यानी अवरुद्ध होने तक की गड़बड़ियों के 60% से ज्यादा मामलों के लिए ये सुविधाजनक भोजन यानी फास्ट फूड ही जिम्मेदार है।”इसका कारण यह कि इनमें कुछ पोषक तत्व थोड़ी बहुत मात्रा में मौजूद तो जरूर होते हैं,किंतु उपभोक्ता के सामने पेश किए जाने तक उनके पोषक तत्वों के लाभप्रद गुणों को बचाए रखने के लिए यह जरूरी होता है कि फास्ट फूड का तापमान 20 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच बनाए रखा जाए,लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश की खस्ताहाल यातायात सुविधा,निहायत ही निचले दर्जे की भंडारण व्यवस्था और गर्म जलवायु-ये सब एकजुट होकर फास्ट फूड के पोषक तत्वों को फास्ट फूड रेस्तरां के डीप फ्रीजर के शून्य से नीचे तापमान में पहुंचने के पहले ही नष्ट कर चुके होते हैं।
  • फास्ट फूड एंड अर्बन चिल्ड्रन (फास्ट फूड और शहरी बच्चे) नाम से किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि ये फास्ट फूड बहुत थोड़े समय के भीतर ही हमारे देश के शहरी बच्चों की आदत-अगर इसे कमजोरी कहा जाए तो शायद ज्यादा उपयुक्त होगा-बन चुके हैं।इसका कारण यह है कि ये स्वाद में तो बहुत बेहतरीन होते हैं,क्योंकि इनमें सोडियम प्रिजरवेटिव जैसे तमाम साल्ट डाले जाते हैं और ये सस्ते भी पड़ते हैं।देश की एक मशहूर बाल आहार विशेषज्ञा का इस संबंध में कहना है,”पहले हमारे देश के बच्चों की आहार सूची में प्रमुख स्थान गेहूं,चावल,विभिन्न किस्म की दालों,दही और हरी सब्जियों का हुआ करता था,लेकिन आज ऐसा नहीं है।
  • आज शहरी बच्चों-विशेषकर किशोर-किशोरियों-के भोजन का मुख्य अंग बर्गर,पीजा (इटली की ख्यात ‘डिश’),फ्रेंच फ्राइज,छोले-भटूरे,समोसे,ब्रेड-पकोड़े और ठंडे पेय पदार्थ बन चुके हैं।आज बच्चों को घर पर तैयार किया गया भोजन रास नहीं आता।एक बाल मनोविज्ञान एवं व्यवहार विशेषज्ञ की राय में फास्ट फूड के प्रति बच्चों की दीवानगी का खास कारण यह है कि यह (रेस्तरां में जाकर ऑर्डर देना और वेटर का फास्ट फूड ‘सर्व’ करना) उन्हें उनके स्टेटस का भी एहसास कराता है।लेकिन बच्चों को अथवा उनके अभिभावकों को यह एहसास नहीं कि फास्ट फूड में प्रयुक्त सोडियम साल्ट उनके बच्चों के लिए कितने घातक हैं।

3.फास्ट फूड के हमारे देश में लोकप्रिय होने के कारण (Reasons why fast food is popular):

  • फास्ट फूड के हमारे देश में इतने कम समय के भीतर इतनी गहरी जड़ जमा लेने की खास वजह हमारे रसोई घरों में ही मौजूद है।इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारे देश के आम घरों की रसोइयों में तैयार किए जाने वाले भोजन में विविधता नहीं पाई जाती।यदि दक्षिण भारतीय परिवार है तो वही इडली-डोसा और सांभर,पूर्व अथवा पूर्वोत्तर भारतीय परिवारों में चिर-परिचित माछी-झोल और भात,तो उत्तर भारत के परिवारों की रसोई में आपको दाल-चावल और रोटी या रोटी-सब्जी की महक हर रोज सुबह-शाम मिलेगी।
  • पंजाबी या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उड़द की दाल,मट्ठा,सरसों का साग और गेहूं की तंदूरी रोटी या फिर बाजरे का टिक्कर (बिना बेलन की सहायता के हाथ से ही थापकर तवे पर पकाए जाने वाली मोटी रोटी),तो गुजरात में दाल से लेकर लगभग सभी खाद्य वस्तुओं में आपको गुड़ का स्वाद मिल जाएगा।
  • कहने का मतलब सिर्फ इतना ही कि हमारे देश के अधिकांश परिवारों की रसोई भी अपनी क्षेत्रीय पहचान से मुक्त नहीं हो पाती।ऐसी स्थिति में यह बहुत स्वाभाविक है कि बच्चे भोजन में बदलाव चाहें।लेकिन घरों में चूँकि यह बदलाव संभव नहीं होता,इसलिए घरों में तैयार रसोई से इतर खाद्य पदार्थों के प्रति उनका रुझान बहुत सहज है।ऐसे में अपने लजीज स्वाद एवं सस्ते होने के कारण फास्ट फूड उनकी पहली पसंद होते हैं।

4.फास्ट फूड से बचाव के तरीके (Ways to avoid fast food):

  • बच्चों को फास्ट फूड की आदत से-जब तक ये सुविधाजनक भोजन जब-तब बदलाव के तौर पर ग्रहण किए जाते हैं,तो इनसे कोई विशेष हानि नहीं होती,किंतु ये समस्या का कारण तब बनते हैं,जब ये बच्चों की आदत में शुमार हो जाते हैं यानी उनकी कमजोरी बन जाते हैं-छुटकारा दिलाने के लिए जरूरी है कि आपकी रसोई में विविधता हो।साथ ही बच्चे की पसंद भी उसमें शामिल हो।
  • इसके अलावा,स्कूल भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।वहाँ शिक्षक उन्हें फास्ट फूड के फायदों और घातक प्रभावों के बारे में विस्तार से समझा सकते हैं।स्कूल कैंटीनो में इस किस्म की खाद्य वस्तुओं पर पूरी तरह रोक लगाकर इस समस्या से बच्चों और उनके अभिभावकों को काफी रात दिलाई जा सकती है।
  • इतना ही नहीं,देश के तमाम जागरूक बाल विशेषज्ञ चिकित्सकों का तो यहां तक सोचना है कि हानिकारक प्रिजरवेटिव-युक्त फास्ट फूड सहित सभी किस्म की खाद्य-वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्काल कानून बनाया जाए और समूचे देश में पुलिस सख्ती से उनको लागू करवाये।इस सिलसिले में देश के एक जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता का विचार है कि फास्ट फूड के कुप्रभावों पर एक जबरदस्त उपभोक्ता अधिकार आंदोलन छोड़े जाने की तत्काल आवश्यकता है।साथ ही,देश के किसी भी भाग में बेची जाने वाली प्रत्येक खाद्य-वस्तु की किसी तटस्थ अधिकार प्रदत्त संस्था द्वारा रासायनिक विश्लेषण भी किए जाने की सख्त जरूरत है।आज समय की माँग यही है,लेकिन क्या ऐसा सम्भव है?
  • उपर्युक्त आर्टिकल में फास्ट फूड का सेवन करने से कैसे बचें? (How to Avoid Consuming Fast Food?),सुविधाजनक परन्तु जहर भरे फास्ट फूड (Delicious But Poisonous Fast Food) के बारे में बताया गया है।

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5.होश आया (हास्य-व्यंग्य) (Came to His Senses) (Humour-Satire):

  • एक छात्र को गणित का प्रश्न-पत्र देखते ही चक्कर आ गए और वह बेहोश हो गया।जब उसे होश आया तो उसके आसपास छात्र-छात्राओं की भीड़ जमा हो गई थी।शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं ने पूछा क्या हुआ?
  • वह छात्र बोला:मुझे क्या पता मैं कहां हूं और यहां कैसे आ गया (Rest Room में)।

6.फास्ट फूड का सेवन करने से कैसे बचें? (Frequently Asked Questions Related to How to Avoid Consuming Fast Food?),सुविधाजनक परन्तु जहर भरे फास्ट फूड (Delicious But Poisonous Fast Food) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.पोषणज विकार से क्या आशय है? (What do you mean by nutritional disorders?):

उत्तर:शरीर के समस्त जटिल एवं असंख्य चयापचयी प्रक्रियाएं शरीर में पहुंचने वाले खाद्य पदार्थों से आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करके शरीर के भीतर यथास्थान भेजने का काम करती है।अतः स्वास्थ्य की मुख्य आवश्यकता है-संतुलित आहार।संतुलित आहार का अर्थ है खाद्य पदार्थ के सभी प्रमुख तत्वों-प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट,वसाओं,खनिजों तथा विटामिनों की श्रेष्ठ किस्मों का शरीर में उचित मात्रा में पहुंचना।परंतु पोषण तत्वों की कमी से न केवल वृद्धि और विकास में कमी आती है बल्कि इससे रोग भी उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न:2.प्रोटीन एवं विटामिन्स की कमी से कौन से रोग पैदा होते हैं? (Which diseases are caused by lack of protein and vitamins?):

उत्तर:प्रोटीन की कमी से यकृत रोग,लोहे की कमी से अरक्ततता,विभिन्न विटामिनों की कमी से स्कर्वी (विटामिन सी की कमी),रिकेट्स (विटामिन डी की कमी),रतौंधी (विटामिन ए की कमी),बेरी बेरी (विटामिन बी की कमी) इत्यादि जैसे रोग हो सकते हैं।

प्रश्न:3.भारतीय आहार में मुख्य धान्य कौन से हैं? (What are the main grains in the Indian diet?):

उत्तर:भारतीय आहार में मुख्य धान्य है:चावल,गेहूं,मक्का,बाजरा,जुआर,रागी।धान्य कार्बोहाइड्रेट बहुल होते हैं पर वसाओं का उनमें अभाव होता है। इनमें 6 से 12% प्रोटीन होता है।इनमें चावल में सबसे कम तथा गेहूं में सबसे अधिक होता है।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा फास्ट फूड का सेवन करने से कैसे बचें? (How to Avoid Consuming Fast Food?),सुविधाजनक परन्तु जहर भरे फास्ट फूड (Delicious But Poisonous Fast Food) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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