How Not to Get Depressed When You Fail?
1.असफलता मिलने पर कैसे उदास ना हो? (How Not to Get Depressed When You Fail?),असफलता मिलने पर विषादग्रस्त कैसे न हों? (How Not to Be Sad When You Fail?):
- असफलता मिलने पर कैसे उदास ना हो? (How Not to Get Depressed When You Fail?) यों उदासी के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे किसी प्रियजन की दुर्घटना,किसी परिजन की मृत्यु,स्वयं के साथ कोई दुर्घटना घटित हो जाना,जाॅब का छिन जाना,जाॅब से निकाल देना,कंपनी में छँटनी कर देना,वेतन कम कर देना,बाॅस (Boss) की डांट-फटकार,किसी से लड़ाई-झगड़ा हो जाना आदि।विद्यार्थियों के उदास या विषादग्रस्त होने का मुख्य कारण है परीक्षा में असफल हो जाना,मन माफिक अंकों से उत्तीर्ण ना होना अथवा मनोवांछित प्रवेश परीक्षा में सफल न होना या रैंकिंग प्राप्त नहीं कर पाना।वैसे याद रखें मनमाफिक कार्य हर किसी को हमेशा प्राप्त नहीं हो जाता।
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2.असफलता जीवन का अंग है (Failure is part of life):
- इस दुनिया में हर विद्यार्थी को सफलता दर सफलता हमेशा नहीं मिलती है।चाहे वह कितना ही कुशाग्र व मेधावी हो परंतु जीवन में कभी ना कभी उसे असफलता का स्वाद चखना ही पड़ता है।यह अलग बात है कि उसकी सफलताओं का ग्राफ इतना ऊपर होता है कि असफलताएं उसको प्रभावित नहीं कर पाती हैं।असफलता के कारण मन पर कब्जा जमाई हुई उदासी हमारी रही सही हिम्मत को भी तोड़ देती है।
- जीवन में सफलता न मिलने पर या किसी काम या परीक्षा में मनोवांछित परिणाम न मिलने पर प्रायः हम उदास हो जाते हैं।हमारी यह उदासी तब और बढ़ जाती है जब हमारी महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ जाती है और वे पूरी नहीं होती।यह उदासी तब व्यापक रूप धारण करके हमारे शरीर,हमारी कार्यशक्ति और हमारी सोच को कमजोर बनाने लगती है।इससे हमारी क्षमता प्रभावित होती है और हम एक के बाद एक हर एक काम में असफल होने लगते हैं।
- अस्वस्थ शरीर और अस्वस्थ मस्तिष्क की इस अवस्था से परेशान होकर जब हम डॉक्टर के पास उपचार के लिए जाते हैं तो वह कहता है कि हम ‘डिप्रेशन’ के रोगी हैं।आजकल ‘डिप्रेशन’ एक आम बीमारी होती जा रही है,क्योंकि लोग छोटी-छोटी परेशानियों,असफलताओं या कष्टों से उदास हो जाते हैं और ‘डिप्रेशन’ के शिकार हो जाते हैं।
- अक्सर छात्र-छात्राएं इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा के युग में कदम-कदम पर उदासी के शिकार हो जाते हैं।गणित में कोई सवाल हल नहीं होना हो,कोई पाठ याद नहीं हो रहा हो या कोई टॉपिक समझ में नहीं आ रहा हो अथवा टीचर आपकी समस्या को नहीं सुलझा रहे हों,आपकी उपेक्षा की जा रही हो,तो छात्र-छात्राएँ हताश और उदास हो जाते हैं।यह उदासी और हताशा तब और अधिक बढ़ जाती है जब माता-पिता,अभिभावक,मित्र वगैरह हमारी इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं सुनते हैं और न उनका समाधान करते हैं।
- दरअसल आधुनिक पीढ़ी अपने कार्य में इतनी व्यस्त हो गई है,इसे व्यस्त न कहकर अस्त-व्यस्त कहें तो ज्यादा उचित होगा,कि वे संवेदनहीन होती जा रही है।किसी को किसी के कार्य से कोई मतलब नहीं है,किसी को कितनी पीड़ा या कष्ट उठाने पड़ रहे हैं उससे उनको कोई लेना-देना नहीं है जैसे यह जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हो,ऐसी स्थिति में छात्र-छात्राओं में उदासी और अधिक बढ़ती जाती है।
3.उदासी के लक्षण और प्रभाव (Symptoms and effects of sadness):
- चिकित्सा विज्ञान,खास तौर पर मनोरोग विज्ञान में डिप्रेशन उस बीमारी का नाम है जिसके साथ लक्षणों का समूह जुड़ा होता है।यह लक्षण दो तरह के होते हैं,एक मानसिक और दूसरा शारीरिक।मानसिक लक्षणों में तनाव,याददाश्त की कमी,मन की परेशानी,किसी काम (अध्ययन) में मन ना लगना,हर वक्त किसी आशंका या नकारात्मक विचार से परेशान रहना प्रमुख बातें हैं।ऐसी हालत में चाहे कुछ भी पढ़ा जाए,याद नहीं रहता।शारीरिक लक्षणों में:भूख न लगना,नींद ना आना,कब्ज रहना,सिरदर्द रहना,आंखों में जलन,जी मिचलाना आदि प्रमुख बातें हैं।हमारी उदासी,निराशा और नकारात्मक विचार हमें ‘डिप्रेशन’ की ओर ले जाने में मदद करते हैं।इसलिए इस मानसिक अवस्था से बचने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
- अपनी उदासी या ‘डिप्रेशन’ के लिए हम स्वयं जिम्मेदार होते हैं।इसलिए ऐसा नहीं मानना चाहिए कि हम इससे मुक्त नहीं हो सकते।अमेरिकी चिकित्सा विज्ञानी डॉक्टर डेविड वर्न्स के अनुसार हम अपने विचारों पर नियंत्रण पाकर अनचाही उदासी से बच सकते हैं।आप अपने नकारात्मक विचारों पर विजय पाने की कोशिश करें।निर्भय होकर वह काम करें,जिसमें असफलता के प्रति आपके नकारात्मक विचार आपको डरा रहे हों।आप उस काम में सफलता पाकर स्वयं देखेंगे कि आपके नकारात्मक विचार कितने व्यर्थ थे और आप फिजूल ही परेशान थे।
- एक प्रयोग भी कर सकते हैं।अपने नकारात्मक विचारों को कागज पर लिखिए:आप देखेंगे कि इससे मन हल्का हो गया है।फिर वह काम करके देखिए।बाद में फिर उस नकारात्मक विचार को पढ़िए,तब आप पाएंगे कि वह विचार कितना निरर्थक था।आप उससे बेकार ही परेशान थे।दरअसल मन की उदासी,असफलता की आशंका,निराशा जैसे भावों के प्रति पहले से सावधान रहें।उन्हें अपने मन-मस्तिष्क में जड़े न जमाने दें।एक बार यदि इन्होंने जड़े जमा लीं तो उन्हें उखाड़ फेंकने में काफी परिश्रम और समय लगाना पड़ सकता है।मन में उदासी,अवसाद या विषाद का भाव लाने वाले व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होते।उन्हें हर कदम पर यह विचार भयभीत बनाता है,निराश बनाता है।
- वाल्मीकि रामायण में कहा गया है कि “मन को विषादग्रस्त नहीं बनाना चाहिए।विषाद में बहुत बड़ा दोष है।जैसे क्रोध में भरा हुआ सांप बालक को काट खाता है,उसी प्रकार विषाद पुरुष का नाश कर डालता है।” वाल्मीकि आगे कहते हैं कि जो “पराक्रम का अवसर उपस्थित होने पर विषादग्रस्त हो जाता है,तेज से रहित उस व्यक्ति से फिर पुरुषार्थ नहीं होता।विषाद बड़ा भारी पाप है,विषाद पुरुष को खा जाता है।”विषाद या अवसाद मूलतः एक मनोभाव है।यह हमारे विचारों को प्रभावित और दूषित कर देता है।
4.उदासी से बचने के उपाय (Ways to avoid sadness):
- उदासी,विषाद अथवा अवसाद से बचने की सर्वोत्तम औषधि है मन को एकाग्र करना और ध्यान (meditation) करना।दरअसल मन अनेक विचारों में उलझा रहता है,मन भाँति-भाँति की कल्पनाएँ करता है तो उसमें सभी तरह के विचार आते रहते हैं।कुविचार,दूषित विचार,असफलता की आशंका,असफलता का भय हमें अत्यधिक प्रभावित करता है,परंतु ध्यान में ऐसी शक्ति है जो इन सब विचारों से मुक्त कर देता है।दरअसल ध्यान की उच्च अवस्था में मन में हम उन्हीं विचारों को प्रवेश करने देते हैं जो हम चाहते हैं।ध्यान की अवस्था में मन से पार जाने की क्षमता है,मन की मृत्यु ही ध्यान है।लेकिन ध्यान की अवस्था को उपलब्ध होने से पहले मन को एकाग्र करने की साधना करनी होगी।मन को किसी एक विषय पर केंद्रित करना ही मन की एकाग्रता है।मन भिन्न-भिन्न विषयों की ओर दौड़ लगाता है,उस दौड़ को समेटकर किसी एक विचार पर केंद्रित करना एकाग्रता है।एकाग्रता सधने के बाद,एक विचार पर मन को केंद्रित करने की कुशलता प्राप्त करने के बाद इसको हटाना ही ध्यान की अवस्था प्राप्त करना है।मन को एकाग्र रखने के लिए मन पर सतत निगरानी रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इस पर कड़ी निगरानी ना रखने पर यह छूटे साँड की तरह इधर-उधर दौड़ लगाता है।ध्यानावस्था में मन सभी विकारों से मुक्त हो जाता है।
- यदि हम अपने निरर्थक और विकृत विचारों को मन से निकाल दें,उनसे अपने को प्रभावित न होने दें तो हम कभी अवसादग्रस्त ना होंगे।वास्तव में हमें अपनी कमियों को दूर करके,आत्महीनता के भाव से बचना चाहिए।हममें उन कमियों को दूर करने के लिए आत्मबल होना चाहिए।आत्मबल वह शक्ति है जो हमें अनेक असफलताओं पर विजय दिलाती है।उदासी या डिप्रेशन का इलाज आत्मबल है,जो हमारे आत्मविश्वास को जगाता है।डेल कारनेगी ने ऐसी स्थितियों पर ही विजय पाने का मूल मंत्र बताया है: ‘आत्मविश्वास बढ़ाने की रीति यह है कि तुम वह काम करो,जिसे तुम करते हुए डरते हो।इस प्रकार तुम्हें ज्यों-ज्यों सफलता मिलती जाएगी,तुम्हारा भी आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा।’ स्वामी विवेकानंद ने भी उदासी,अवसाद जैसे भावों से दबे लोगों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि ‘जो मनुष्य आत्मविश्वास से सुरक्षित है,वह उन चिन्ताओं,आशंकाओं से मुक्त रहता है,जिनसे दूसरे लोग दबे रहते हैं।’
- किसी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु यदि कोई है,तो वह है-निराशा।इस घातक बीमारी का विष प्रायः सभी तरफ फैला हुआ है।यह मनुष्य के मन और तन दोनों को अपनी पकड़ में ले लेती है।तब वह मनुष्य निराशा,उदासी और विषाद से घिर जाता है।उसकी सभी मानसिक शक्तियाँ कुन्द हो जाती हैं।ऐसी स्थिति में यदि वह व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास पैदा नहीं कर सकता,तो वह पथभ्रष्ट हो जाएगा।उसे कोई रास्ता नहीं मिलेगा।वह कोई काम शुरू करने से डरेगा।उसका जीवन निरुद्देश्य हो जाएगा।स्पष्ट है कि जीवन में असफलता या निराशा उसे ही मिलती है,जो अपने आत्मबल तथा आत्मविश्वास से,इन बुराइयों की जनक परिस्थितियों पर विजय नहीं पाता।
- आप अक्सर सुनते होंगे कि ‘अमुक व्यक्ति के ऊपर तो लक्ष्मी की वर्षा हो रही है’ या ‘अमुक व्यक्ति मिट्टी को भी हाथ लगा दे तो सोना हो जाती है।’ यह बात उन्हीं लोगों के विषय में कही जाती है जो आत्मविश्वास से नकारात्मक परिस्थितियों पर विजय पा लेते हैं।बैंजामिन डिजरैली को अपनी योग्यता पर पूरा भरोसा था और जीवन की ऊंचाइयों पर पहुंचने का अटूट विश्वास था।अपने इसी आत्मविश्वास के बल पर वह इंग्लैंड के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचा था।उसका यह कथन कितना सही है:’मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य है उसका व्यर्थ की चिंता करना और चिंता को जीवन में महत्त्व देना।’ यदि आप जीवन में सफलता पाने वाले महान व्यक्तियों के कार्यकलापों का अध्ययन करें तो देखेंगे कि उनकी सफलता और महान बनने का कारण था:उनका आत्मविश्वास।जिस व्यक्ति को अपनी योग्यता पर विश्वास होता है,वह यह समझने लगता है कि वह जो भी काम हाथ में लेगा,उसमें उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी।भले ही दूसरे लोग उसके विश्वास को दुराग्रह या कुछ और कहें।ऐसे व्यक्ति अपनी धुन के पक्के होते हैं कि अपने आत्मविश्वास के बल पर सफलता पा ही लेते हैं।यदि ऐसा ना होता तो गणित में जितनी शोध हुई हैं,वैज्ञानिकों ने जितने आविष्कार किए हैं,वे साकार नहीं हो पाते।उनकी कल्पनाएं हवाई किला बनकर ही रह जाती।न टेलीफोन,मोबाइल,कंप्यूटर,लैपटॉप,टैबलेट आदि का आविष्कार होता।आज मनुष्य अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर रहा है तो यह उनके आत्मविश्वास,कठिन परिश्रम और कल्पना को साकार करने का कौशल का ही चमत्कार है।इसलिए उदासी,अवसाद,विषाद या डिप्रेशन से बचें।जीवन में सफलता के मार्ग में आने वाले इन पत्थरों पर विजय पाने के लिए ध्यान-योग साधना,मन की एकाग्रता का सहारा लें और आत्मविश्वास से कदम बढ़ाएं।विजय आपकी होगी।
5.उदासी से छूटने के अन्य उपाय (Other ways to get rid of sadness):
- अपने अध्ययन और जाॅब में डूबकर करें।उन क्षणों,पलों और घटनाओं की सुखद स्मृति मन में संजोये जिनमें आपको सफलता मिली हो।अपने आपको उत्साहित रखें।सोचें सुख-दुःख,सफलता-असफलता ये सभी जीवन के अंग है और ये जीवन में आए हैं,आते रहे हैं और आते रहेंगे।अतः अपने अध्ययन या जॉब को पूरी निष्ठा और लगन के साथ करें,उसे बोझ या भार समझकर न करें।
- हमेशा एक-सा ही समय नहीं रहता है।आज असफलता मिली है तो कल सफलता भी मिलेगी।अतः उत्साह के साथ अपने अध्ययन या जॉब में जुटे रहें।ध्यान-योग-मन की एकाग्रता आध्यात्मिक उपाय है तो उत्साहित होकर कार्य करना,अध्ययन या जाॅब में डूबकर कार्य करना,लगन व रुचिपूर्वक करना ये व्यावहारिक उपाय हैं।दोनों उपायों को एक साथ भी अपना सकते हैं और किसी एक आध्यात्मिक या व्यावहारिक उपाय का सहारा लेकर भी उदासी से छुटकारा पा सकते हैं।
- आपमें उत्साह,शक्ति और आनंद पाने की अदम्य और दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए।इसके लिए सब कुछ करने की लगन।परमात्मा या किसी आध्यात्मिक शक्ति में अटल विश्वास,लंबी अवधि तक लगातार ध्यान-योग साधना,प्रार्थना,आत्मसुझाव (auto suggestion) और परमात्मा का ध्यान करने की तत्परता।
- इन नियमों का लंबे समय तक पालन करते रहने से हमारे शरीर और मस्तिष्क की महान् शक्तियां चमत्कारिक रूप से जाग सकती है।इनके ही द्वारा व्यक्ति महान आश्चर्य से पूर्ण आध्यात्मिक शक्तियों का अनुभव कर सकता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में असफलता मिलने पर कैसे उदास ना हो? (How Not to Get Depressed When You Fail?),असफलता मिलने पर विषादग्रस्त कैसे न हों? (How Not to Be Sad When You Fail?) के बारे में बताया गया है।
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6.अध्यापक की समस्या (हास्य-व्यंग्य) (Problem of Teacher) (Humour-Satire):
- एक छात्र (गणित शिक्षक से):सर,नोटबुक में गलत सवाल उतार लिया,क्या करूं?
- गणित शिक्षक:अरे मैं बोर्ड पर तुम्हें सवाल हल करना सिखाऊ या नोटबुक में सवाल को सही लिखना,सही उतारना सिखाऊँ।
7.असफलता मिलने पर कैसे उदास ना हो? (Frequently Asked Questions Related to How Not to Get Depressed When You Fail?),असफलता मिलने पर विषादग्रस्त कैसे न हों? (How Not to Be Sad When You Fail?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.स्वसंकेत से उदासी को कैसे भगाएं? (How to remove sadness from autosuggestion?):
उत्तर:आप जिस विचार को अपने व्यक्तित्व का विकास करने के लिए आवश्यक समझते हैं,उसी को मन ही मन दोहराएं,तो उदासी के विचार मन में आएंगे ही नहीं।याद रखिए की एक सफल और सुखी जीवन के लिए आशावादी विचार पहली आवश्यकता है।सदा उदास रहने की आदत से छुटकारा पाने के लिए शरीर,मन और आत्मा को फिर से शक्तिशाली बनाने की आवश्यकता होती है।यह कार्य सही प्रकार का भोजन,चिंतन,ध्यान-प्रार्थना और सही जीवन प्रणाली अपनाने से संभव होता है।
प्रश्न:2.क्या ज्ञान से उदासी से मुक्त हो सकते हैं? (Can knowledge free you from sadness?):
उत्तर:हमारे ज्ञान को भी कदम-कदम करके उस स्तर तक विकसित किया जा सकता है,जहां हम अपने आपको संसार के बंधनों से मुक्त अनुभव कर सकें।अतः सांसारिक,व्यावहारिक व आध्यात्मिक ज्ञान से भी उदासी से छुटकारा मिल सकता है,ये उदासी या अवसाद से ऊपर उठाने वाली महान शक्तियां हैं।
प्रश्न:3.क्या आत्मिक शक्ति के बिना उदासी से छुटकारा संभव है? (Is it possible to get rid of sadness without spiritual strength?):
उत्तर:नहीं।नियमित अभ्यास से अपने विचारों को ऐसा बनाओ कि सांसारिक बातों या चीजों से ऊपर रहते हुए जीवन व्यतीत कर सकें।इससे आप कभी उदास,दुखी या अवसादग्रस्त नहीं होंगे।इनसे मुक्त होने के लिए धैर्यपूर्वक लंबे अभ्यास की आवश्यकता है।इसे आत्मिक शक्ति (परमात्मा) की सहायता बिना अकेले नहीं कर सकते हैं।अतः अपनी आत्मिक शक्ति को पहचानें और अनुभव करें।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा असफलता मिलने पर कैसे उदास ना हो? (How Not to Get Depressed When You Fail?),असफलता मिलने पर विषादग्रस्त कैसे न हों? (How Not to Be Sad When You Fail?) के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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