How Do Students Take Initiative?
1.छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Students Take Initiative?),गणित के छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Mathematics Students Take Initiative?):
- छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Students Take Initiative?) इसमें पहल का अर्थ है किसी ऐसे कार्य का आरंभ जिसमें प्रतिकारस्वरूप दूसरे भी कुछ करें,किसी कार्य को आरंभ करने का प्रथम प्रयत्न,शुरुआत आदि।छात्र-छात्राओं को परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने,जीवन में सफलता अर्जित करने तथा जॉब को बेहतरीन तरीके से करने के लिए पहल करने का गुण अपने आपमें विकसित करना चाहिए।
- गणित,विज्ञान में किसी नियम या सिद्धांत की खोज जो गणितज्ञ या वैज्ञानिक सबसे पहले करता है उसे ही उसका आविष्कार या खोजकर्त्ता कहा जाता है।जैसे आधुनिक समुच्चय सिद्धांत का जन्मदाता जर्मन गणितज्ञ जॉर्ज कैंटर (Georg Cantor) को माना जाता है।त्रिकोणमिति में साइन (sine) का सर्वप्रथम प्रयोग भारतीय गणितज्ञ आर्यभट ने किया था।शून्य का आविष्कार भारतीय गणितज्ञ ने किया था तथा इसका सर्वप्रथम प्रयोग ब्रह्मगुप्त ने किया था।त्रिकोणमिति की सारणियों की रचना नाइकिया निवासी हिप्पार्कस (150 ईसा पूर्व) ने की थी जो एक यूनानी गणितज्ञ था।समकोण त्रिभुज पर आधारित जिसे पाइथागोरस प्रमेय के नाम से जाना जाता है वास्तव में इसकी खोज सर्वप्रथम भारतीय गणितज्ञ बौधायन ने की थी।
- तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति सबसे पहले किसी काम को करता है उसे हमेशा याद रखा जाता है।यह बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है जब कोई व्यक्ति कुछ मौलिक,कुछ नया और कुछ पहली बार करता है।बहुत से लोगों ने सुना होगा कि गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का पता सर्वप्रथम आइजक न्यूटन ने लगाया था।द्रव्य और ऊर्जा के बीच संबंध E=mc^{2} अल्बर्ट आइंस्टीन ने पता लगाया था।
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2.छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How do Students Take the Initiative?):
- यह आवश्यक नहीं है कि कोई महान आविष्कार,बहुत बड़ी खोज,बड़े-बड़े कार्य का पता लगाने को ही पहल करना कहा जाता है।वस्तुतः छात्र-छात्राएं छोटे-छोटे कार्यों से पहल करना शुरू कर सकते हैं।धीरे-धीरे उनमें पहल करने का गुण विकसित होता जाता है।लेकिन इसके लिए सतत प्रयास,सावधान और सजग रहना होता है।
- जैसे गणित अध्यापक गणित पढ़ाते समय कोई सवाल पूछते हैं,कोई बात पूछते हैं तो अक्सर छात्र-छात्राएं एक दूसरे की तरफ देखने लगते हैं।जो छात्र-छात्रा उस सवाल या प्रश्न का उत्तर नहीं जानता है वह खड़ा नहीं होता है,जवाब नहीं देता है तो उसकी बात तो समझ में आती है परंतु कुछ छात्र-छात्राएं सवाल या प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी संकोचवश खड़े होकर उसका उत्तर नहीं देते हैं।अतः जो छात्र-छात्रा उसका जवाब सबसे पहले देता है उसे ही पहल करना कहा जाता है।
- हालांकि यह छोटी सी बात है परंतु इस छोटी सी बात से छात्र-छात्रा में पहल का गुण विकसित हो सकता है याकि विकसित होता है।
- आप चाहे किसी वस्तु की खोज न करें,किसी नियम या सिद्धांत की खोज न करें परंतु पुरानी धारणाओं और मान्यताओं को बदलकर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं उसमें सुधार या बदलाव करते हैं तो भी आपका नाम उसके साथ जुड़ जाता है।उदाहरणार्थ अष्टांग योग को वैज्ञानिक आधार सर्वप्रथम महर्षि पतंजलि ने दिया था।परंतु आधुनिक युग में योग को घर-घर तक पहुंचाने,योग की महत्ता बताने और लोकप्रिय बनाने की पहल स्वामी रामदेव ने की है।
- दरअसल भारत में संगीत और अध्यात्म व योग जैसी अनेक विद्याएँ मुरझाई हुई पड़ी है।परंतु स्वामी रामदेव ने उसके व्यावसायिक तड़का लगाया और उसे घर-घर पहुंचाने के लिए अलख जगाई तो वही योग पुनर्जीवित हो गया।
- छात्र-छात्राएं पहल अपने घर में,यदि जॉब करते हैं तो कंपनी या विभाग में,विद्यालय में,कोचिंग संस्थान,धार्मिक व आध्यात्मिक संगठन में अथवा जहां कहीं भी वे विशेष रूप से भाग लेते हैं उसमें पहल कर सकते हैं।पहल करने के चमत्कारिक परिणाम सामने आते हैं।अतः हर विद्यार्थी को अपने अंदर पहल करने के गुणों को विकसित करना चाहिए।
- भारत में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया था तो अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध सर्वप्रथम तथा छोटे स्तर से जन आंदोलन चलाया था।धीरे-धीरे उसे राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में खड़ा किया।आज उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई स्कैंडल (scandal) नजर नहीं आ रहा है तो उसमें अन्ना हजारे का योगदान है कि राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई।प्रशासकों तथा राजनीतिक नेताओं को सत्ता का संचालन भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए विवश किया है।हालांकि भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी है कि जड़मूल से खत्म तो नहीं हुआ है अब भी छोटे स्तर पर भ्रष्टाचार किया जाता है।परंतु पहले करोड़ों-अरबों रुपए के घोटाले कोयला घोटाला,चारा घोटाला इत्यादि होते थे वैसे अब देखने को नहीं मिलते हैं।यह एक व्यक्ति की पहल का परिणाम है।
- स्वामी रामदेव ने योग को छोटे स्तर से पहल की और उसे विश्वव्यापी बना दिया।महर्षि अरविंद ने आर्ट ऑफ लिविंग की पहल की और देश के नवयुवकों एवं लोगों ने उसे समझा और अपने जीवन का अंग बनाया।
3.पहल करने के लाभ (Benefits of Taking the Initiative):
- पहल करने से आपकी विशिष्ट पहचान बनती है। आप भीड़ से अलग हटकर जाने जाते हैं।जैसे जेईई-मेन व जेई-एडवांस की तैयारी करवाने हेतु आरके श्रीवास्तव निःशुल्क छात्र-छात्राओं को अथक प्रयास करते हैं।उनके पहल का ही परिणाम है कि अनेक छात्र-छात्राएं जेईई में चयनित होते हैं।आरके श्रीवास्तव को पहल करने के कारण मैथमेटिक्स गुरु कहा जाता है,इस प्रकार लाखों गणित शिक्षकों से हटकर उनकी एक पहचान बन गई है।आपकी हर कहीं चर्चा होती है क्योंकि आपने किसी विशिष्ट समस्या का समाधान किया है।
- पहल करने के कारण आपको यश-प्रतिष्ठा मिलती है।विद्यार्थियों,युवक-युवतियों तथा लोगों द्वारा आपका नाम आदर के साथ लिया जाता है।उदाहरणार्थ पहल का यह लेख आपके लिए लिखने के लिए मुझे डायमंड बुक्स प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक सफलता के 21 मूल मंत्र (लेखक-डाॅ. अरूण मित्तल) पढ़ने का सौभाग्य मिला।मैं चाहता तो हूबहू उनकी पुस्तक से नकल करके यह लेख लिख सकता था।परंतु यह लेख न तो मौलिक होता और न ही मेरी प्रतिभा (पहल करने के गुण) विकसित होती।वास्तव में उक्त पुस्तक में डाॅ. अरूण मित्तल ने अपने जीवन का निचोड़ प्रस्तुत किया है।सफलता के लिए ओर भी पुस्तकें पढ़ी हैं परन्तु यह पुस्तक जितनी मैंने पढ़ी है उनमें बेजोड़ है।
- यह उनके पहल करने का ही परिणाम है और इस लेख में वर्णन कर रहा हूं तो उनकी प्रतिष्ठा ही बढ़ रही है।पहल करने के कारण आपको अपने क्षेत्र में अधिक अवसर प्राप्त होते हैं।जैसे आप विद्यार्थी हैं परंतु आप डांस अच्छा करते हैं।डांस का कार्यक्रम जहाँ कहीं होता है तो वहां आपकी डिमांड सबसे पहले होगी।सबसे पहले आपको अवसर दिया जाएगा क्योंकि डांस में आप पहल करते हैं और बिना संकोच के बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं।
- पहल करने के कारण आपकी प्रतिभा का विकास होता है।आपके व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव में वृद्धि होती है।आप पहल करते हैं तो आपके अंदर छिपी हुई प्रतिभा प्रकट होती है,लोगों के सामने आपका व्यक्तित्त्व निखरकर सामने आता है।जैसे आपको कोई चुनौती देता है कि जेईई (इंजीनियरिंग) की परीक्षा में उत्तीर्ण होना बहुत कठिन है।आप इस चुनौती को स्वीकार करते हैं।इसके लिए विशिष्ट ज्ञान अर्जित करते हैं।आपको एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करना होता है।आपके गाँव व नगर में सबकी नजर आप पर लग जाती है।ज्योंही आपका चयन हो जाता है तो सभी लोग आपकी प्रशंसा करते हैं।आपके अधिकतम प्रयत्न करने से ज्ञान और अनुभव में वृद्धि होती है।आपकी प्रतिभा निखरकर लोगों के सामने आती है।
- पहले करने की आदत का विकास होता है।जैसे गणितज्ञ कार्ल फ्रेडरिक गाउस जब विद्यालय में पढ़ते थे तो गणित शिक्षक ने एक से सौ तक संख्या तक योग करने का सवाल दिया ताकि वे आराम कर सकें।उस समय तक प्राकृत संख्याओं के योग का सूत्र विद्यार्थियों को पता नहीं था।परन्तु गाउस ने उसी सूत्र का प्रयोग (अपनी इन्ट्यूशन शक्ति से पता लगाकर) करके शिक्षक को तत्काल दिखाया।गणित शिक्षक आश्चर्यचकित रह गए।धीरे-धीरे उनमें पहल करने का गुण विकसित हो गया और उनकी आदत बन गई।एक दिन वे विश्व के महान गणितज्ञ बन गए और गणित में उन्होंने अनेक खोजें की।
4.पहल करने के लिए आवश्यक गुण (Qualities Required to Take Initiative):
- छात्र-छात्राओं को अपने अंदर पहल करने के गुण को विकसित करने के लिए अन्य अनेक गुणों की आवश्यकता है।जैसे सकारात्मक सोच,आशावादी,उत्कट आकांक्षा,सजग रहना इत्यादि।इन गुणों के बारे में लेख लिखे जा चुके हैं अतः उन्हें पढ़कर इनके बारे में जान सकते हैं और अपने अंदर इन गुणों को विकसित कर सकते हैं।
- अपने स्वार्थ का ही ध्यान नहीं रखना बल्कि परमार्थ भी करना।जैसे किसी विद्यार्थी से आप कोई सवाल पूछते हैं,अपने मित्रों,शिक्षकों व अन्य लोगों का सहयोग प्राप्त करते हैं।ऐसी स्थिति में आपको भी अपने मित्रों साथियों को सवाल या किसी समस्या का हल (जिसे आप जानते हैं) बताना चाहिए या बताने की कोशिश करनी चाहिए।
- अपने अध्ययन कार्य तथा कक्षा में शिक्षक पढ़ाते हैं उसका सूक्ष्म रूप से परीक्षण करना चाहिए कि उसे ओर बेहतर तरीके से कैसे किया जा सकता है? आप गणित शिक्षक को अपने सुझाव भी दे सकते हैं।विद्यालय में कोई फंक्शन,जयंती या अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है उसमें अपने रुचि का उत्तरदायित्त्व लेने की पहल करें।इससे आपके अंदर पहल करने की क्षमता का विकास होगा।किसी भी कार्य को हटकर व डटकर करें।
5.पहल करने का दृष्टान्त (An example of Taking the Initiative):
- गणित का एक विद्यार्थी कॉलेज शिक्षा प्राप्त करने के लिए नगर से शहर गया।वहां उसके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया।रहने के लिए किराया का कमरा,दैनिक जीवन के लिए भोजन आदि की व्यवस्था,कॉलेज की फीस,पुस्तकें,नोटबुक इत्यादि के लिए धन की आवश्यकता होती है।
- एक दिन परेशान होकर वह रिश्तेदार के यहां बैठा था।रिश्तेदार ने उसकी उदासी का कारण पूछा।गणित के विद्यार्थी ने अपनी वस्तुस्थिति बताई।उस रिश्तेदार ने कहा कि तुम निश्चिंत होकर अध्ययन करो।तुम्हारी सब व्यवस्था हो जाएगी।
- उन्होंने रहने के लिए हॉस्टल में प्रवेश दिला दिया जहाँ नाम मात्र का किराया लिया जाता था।वे स्वयं पुस्तकालय का संचालन करते थे अतः पुस्तकें पुस्तकालय से दे दी।इसके अतिरिक्त एक जगह से उन्होंने उसकी मासिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था करवा दी।
- रिश्तेदार भी वे निकट के नहीं थे बहुत दूर की रिश्तेदारी थी।दरअसल वे मित्र के रिश्तेदार धे।परंतु उनकी पहल का ही परिणाम था कि उन्होंने छात्रवृत्ति,हाॅस्टल,पुस्तकों इत्यादि की व्यवस्था करवा दी।
- छात्रवृत्ति के लिए भी उन्होंने बहुत से लोगों से संपर्क किया लेकिन ज्यादातर नकारात्मक उत्तर ही मिले परन्तु एक जगह से सकारात्मक उत्तर मिला और उसकी छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो गई।
- इसके अतिरिक्त उस छात्र ने स्वयं भी ट्यूशन कराना चालू कर दिया।केवल दो ट्यूशन (दो घण्टे) से उसको कुछ आमदनी हो जाती थी।
- अन्ततः वह विद्यार्थी गणित से काॅलेज शिक्षा करने में कामयाब रहा।वस्तुतः पहल करने के अच्छे परिणाम निकल कर सामने आते हैं।परंतु संकोचवश,शर्म और लज्जा के कारण आप पहल करें ही नहीं तो आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
- पहल उस विद्यार्थी ने भी की थी कि उसने ट्यूशन कराना चालू किया और उसके रिश्तेदार ने भी की।हालांकि पहल के कारण कई जगह से नकारात्मक जवाब भी मिलते हैं परंतु सकारात्मक जवाब भी मिलते हैं।नकारात्मक जवाब की तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Students Take Initiative?),गणित के छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Mathematics Students Take Initiative?) के बारे में बताया गया है।
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6.कोचिंग सेंटर कहां खोले (हास्य-व्यंग्य) (Where to Open a Coaching Centre?) (Humour-Satire):
- एक व्यापारी शिक्षक एक दूसरे नगर में गया।
- नागरिक:हमारे नगर के उत्तर में भी विद्यालय हैं और पश्चिम में भी विद्यालय हैं,तुम कोचिंग कहां खोलना चाहोगे?
- व्यापारी गणित शिक्षक:उत्तर पश्चिम में अर्थात् बीच में ताकि दोनों तरफ के छात्र-छात्राएं कोचिंग करने के लिए आ सकें।
7.छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Take Initiative?),गणित के छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Mathematics Students Take Initiative?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.गणित अध्यापक पहल कैसे करें? (How Do Math Teachers Take the Initiative?):
उत्तर:आधुनिक शिक्षा में जाॅब से संबंधित या भौतिक विषयों से संबंधित शिक्षा दी जाती है।अतः छात्र-छात्राएं व्यावहारिक ज्ञान,सदाचार,नैतिक,धार्मिक व अध्यात्म इत्यादि से संबंधित बातें जीवन में नहीं अपना पाते हैं।अतः आप गणित के पाठ्यक्रम से बाहर की उपर्युक्त बातें अर्थात् व्यावहारिक ज्ञान,नीति,सदाचार,धार्मिक व अध्यात्म से संबंधित बातें बताने की पहल करें और उन्हें इनके बारे में जानने व जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
प्रश्न:2.जॉब करते हुए कैसे पहल कर सकते हैं? (How Can I Take the Initiative While Doing a Job?):
उत्तर:अपने जॉब से संबंधित कार्यों में लोगों की सहायता-सहयोग करके पहल कर सकते हैं।जैसे आप इलेक्ट्रिशियन में इंजीनियर हैं तो किसी के बिजली उपकरण या बिजली सिस्टम में खराबी आ जाती है उसे ठीक करके सहयोग सकते हैं।जहां कहीं भी आप रहते हैं उन लोगों की बिजली से संबंधित कार्य में सहायता-सहयोग कर सकते हैं।इससे आपको आत्म संतुष्टि मिलती है वहीं लोगों से,ग्राहकों से प्रशंसा मिलती है।
प्रश्न:3.पहल के कुछ नुस्खे बताइए। (Tell Me Some Tips to Take the Initiative):
उत्तर:संसार में गणित,विज्ञान अथवा अन्य क्षेत्रों में जितने भी बड़े-बड़े आविष्कार,खोजें हुई हैं वे सब पहल के ही परिणाम हैं।यदि आप किसी कंपनी या संस्थान में जॉब करते हैं तो संस्थान या विभाग के हित में बिना आदेशों के प्रतीक्षा किए हुए निर्णय लेने के लिए पहल कीजिए।वस्तुतः इस लेख में या अन्यत्र कहीं भी पहल करने के तरीके पढ़ते हैं और उन पर अमल नहीं करते हैं तब तक पहल करने की क्रियान्विति नहीं होती है।क्रियान्वयन करने पर ही परिणाम सामने आता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Students Take Initiative?),गणित के छात्र-छात्राएं पहल कैसे करें? (How Do Mathematics Students Take Initiative?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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