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How Do Students Make Use of Free Time?

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1.छात्र-छात्राएं खाली समय का उपयोग कैसे करें? (How Do Students Make Use of Free Time?),गणित के छात्र-छात्राएं खाली समय समय का सदुपयोग कैसे करें? (How Do Mathematics Students Make Good Use of Their Free Time?):

  • छात्र-छात्राएं खाली समय का उपयोग कैसे करें? (How Do Students Make Use of Free Time?) क्योंकि खाली समय का उपयोग करने से जीवन में सरसता आती है और एकरसता व उबाऊपन खत्म हो जाता है।हालांकि एकरसता,उबाऊपन औसत और निम्न स्तर के बालकों को ही अनुभव होता है।जो बालक-बालिका मन को एकाग्रचित्त रखने के अभ्यस्त हैं,मन को नियंत्रित रखते हैं और अपने अध्ययन कार्य में आनंद का अनुभव करते हैं उन्हें खाली समय,विश्राम या अवकाश की न तो जरूरत महसूस करते हैं और न उन्हें अध्ययन से बोरियत होती है।
  • इसका तात्पर्य यह नहीं है कि महान वैज्ञानिकों,गणितज्ञों,दार्शनिकों को कोई शौक नहीं रहा है अथवा मेधावी सभी छात्र-छात्राएं केवल अध्ययन में ही तल्लीन रहते हैं।आप गौर करके अध्ययन करेंगे तो उनमें भी कुछ उदाहरण ऐसे मिल जाएंगे जो अपने कार्य के अतिरिक्त कोई न कोई शौक रखते हैं।उदाहरणार्थ अल्बर्ट आइंस्टीन को वायलिन बजाने का,डॉक्टर होमी जहांगीर बाबा को आर्केस्ट्रा का शौक रहा है।परंतु औसत विद्यार्थियों और लोगों की संख्या अधिक है अतः उन्हें खाली समय का उपयोग करने,बोरियत दूर करने,उबाऊपन का अनुभव न हो इसके लिए कोई न कोई शौक रखने की आवश्यकता होती है।यह शौक संगीत,खेल,योग साधना,किसी पर्यटक स्थल पर घूमना,टीवी देखना,लेखन (पुस्तकें लिखना,आर्टिकल लिखना इत्यादि),वीडियो गेम्स देखना,यूट्यूब पर वीडियो देखना,पिकनिक इत्यादि कुछ भी हो सकता है।
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2.छात्र-छात्राओं के लिए खाली समय से क्या तात्पर्य है? (What Do You Mean by Free Time for Students?):

  • खाली समय से तात्पर्य है अध्ययन से अवकाश लेना,अध्ययन में एकरसता,उबाऊपन महसूस होने पर ब्रेक लेना इत्यादि है।अवकाश या फुरसत या ब्रेक लेना ही छात्राओं को तनावरहित,मन को चिंतामुक्त व भारहीन कर देता है और छात्र-छात्राएं नई उमंग,जोश व ऊर्जा से भर जाते हैं।
  • अवकाश लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि आप अवकाश में कुछ भी न करें।आप कुछ भी न करेंगे तो भी मन तो क्रियाशील रहता ही है।
  • यदि खाली समय नींद लेने में भी गुजार देंगे तो भी कितना सोएंगे? अध्ययन कार्य या अन्य कार्य करते-करते शारीरिक व मानसिक थकान हो जाती है।शारीरिक थकान को तो रोजाना रात को सोकर दूर कर लेते हैं,उससे मानसिक थकान भी दूर हो जाती है।
  • परंतु रोजाना एक ही कार्य अर्थात् अध्ययन करते-करते या जॉब करते-करते भी बोरियत होने लगती है।अतः इस बोरियत व उबाऊपन को दूर करने के लिए व्यस्ततम दिनचर्या से विश्राम की जरूरत होती है।विश्राम करने से शरीर व मन फिर से तंदुरुस्त व तरोताजा हो जाता है और अध्ययन कार्य या जाॅब को फिर नये सिरे से शुरू करने पर ताजगी महसूस होती है।
  • इस तरह अवकाश या विश्राम जीवन को दो पल का सुकून देता है और हमें अगले कार्यों के लिए तैयार कर देता है।अवकाश की आवश्यकता को देखते हुए ही शिक्षा विभाग द्वारा छात्र-छात्राओं को समय-समय पर अवकाश दिया जाता है।जैसे साप्ताहिक या रविवार का अवकाश,दशहरा अवकाश,शीतकालीन अवकाश,ग्रीष्मकालीन अवकाश,राष्ट्रीय त्योहार,महापुरुषों की जयंती एवं पुण्य तिथियों पर अवकाश दिया जाता है।निजी व सार्वजनिक कंपनियों द्वारा भी साप्ताहिक,उपार्जित अवकाश (P.L.) एवं आकस्मिक अवकाश (C.L.) दी जाती है।व्यस्तता से घिरी दिनचर्या से दूर फुरसत पाने और खुद से मुलाकात करने के लिए अवकाश अत्यंत आवश्यक है।
  • प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्धा के इस युग में छात्र-छात्राओं तथा अभ्यर्थियों के लिए अवकाश ले पाना सहजता से संभव नहीं होता है।ऐसी स्थिति में कई बार छात्र-छात्राएं तथा जॉब करने वाले जल्दी ही रोगग्रस्त हो जाते हैं और कई बीमारियों उन्हें घेर लेती है।
  • जैसे शरीर में थकान होने पर निद्रा का आनंद आता है,उसी तरह लगातार काम करने,अध्ययन करने के बाद अवकाश का आनंद आता है।इस अवकाश का आनन्द वह कैसे लेता है यह तो छात्र-छात्रा तथा व्यक्ति पर निर्भर करता है।
  • लेकिन अवकाश वही है जिसमें अपनी दिनचर्या से हटकर काम हो,जिसको करने से मन प्रसन्न हो,जहाँ रोजमर्रा के कार्यों को करने का दबाव न हो,जहाँ हम अपनी मर्जी के मालिक हों।इसे खाली समय,अवकाश अथवा फुर्सत के क्षण चाहे जिस नाम से पुकार सकते हैं।लगातार अध्ययन अथवा जाॅब को करते रहने पर विश्राम न किया जाए या ब्रेक न लिया जाए और पुन: अध्ययन अथवा जाॅब को करने लग जाएं तो उसे उतनी दक्षता के साथ नहीं किया जा सकता है जितना विश्राम करने के बाद तरोताजा मन से किया जा सकता है।
  • खाली समय होता ही इसलिए है कि अध्ययन अथवा जॉब के बोझ से हल्के हो सकें और फिर से अपने कार्य में दुगने उत्साह से लग सकें।खाली समय अथवा विश्राम के बाद हम अध्ययन को बेहतर ढंग से कर सकते हैं और अपने जीवन को अधिक प्रसन्नता से जी सकते हैं।
  • खाली समय या अवकाश का अर्थ यह नहीं है कि उस दौरान हम कुछ भी न करें और अपने जीवन को बोरियत व बोझिल बना लें।खाली समय का सही अर्थ तो यही है कि जीवन को अधिक रचनात्मक व प्रखर कर सकें।हम थोड़ा ठहरकर अपने अध्ययन कार्य या जाॅब अथवा जीवन के अन्य कार्यों का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं और जीवन को एक नई राह व दिशा दे सकते हैं।

3.खाली समय का उपयोग कैसे करें? (How to Use the Free Time?):

  • जैसे ऊपर उल्लेख किया जा सकता है कि औसत तथा निम्न स्तर के विद्यार्थियों को खाली समय,अवकाश,विश्राम की आवश्यकता होती है या चाहत होती है केवल मन को एकाग्रचित्त व मन को नियंत्रित करने वालों को छोड़कर।अब वह चाहे विद्यार्थी हो,अध्यापक हो,क्लर्क हो,डाॅक्टर हो, गणितज्ञ हो अथवा इंजीनियर व अन्य कोई भी व्यक्ति हो,सभी को लगातार एक ही काम करते जाने पर काम उबाऊ लगने लगता है या बोरियत महसूस होने लगती है।जी चाहता है,छुटकारा मिले,चाहे थोड़ी देर के लिए ही सही।वस्तुतः शारीरिक विश्राम तो नींद से पूरा हो जाता है परंतु बोरियत व उबाऊ मन के द्वारा महसूस होती है।
  • अतः खाली समय में भी मन सक्रिय रहता है।अब यदि इस खाली समय या अवकाश को फालतू के कार्यों में,निरुद्देश्य व्यतीत किया जाए तो इससे खाली समय न केवल नष्ट होता है बल्कि काम करने की जीवनशैली बिगड़ जाती है।इनमें प्रमुखत: टीवी देखना,वीडियो गेम्स खेलना,फिल्में देखना,पिकनिक मनाना इत्यादि हैं।
  • परन्तु खाली समय को यदि उपयोगी व अपने उद्देश्य को ध्यान में रखकर गुजारा जाए तो इससे समय का सदुपयोग होता है और साथ ही जीवनशैली भी सुधरती है।
  • उदाहरणार्थ यदि कोई अभ्यर्थी किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा है और खाली समय में टीवी देखता है।यदि अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए वह न्यूज चैनल सुनता है तथा देखता है या अन्य उपयोगी कार्यक्रम देखता है जिससे सामान्य ज्ञान बढ़ता है तो इससे समय का सदुपयोग भी होता है और उसके सामान्य ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • इसके अतिरिक्त यदि वह योगसाधना,ध्यान इत्यादि करता है तो इससे उसका मन एकाग्र करने में सहायता मिलती है,शरीर स्वस्थ,चुस्त व दुरुस्त रहता है।अतः अध्ययन कार्य को पूर्ण एकाग्रता के साथ कर सकता है।
  • यदि खाली समय को स्वाध्याय में लगाया जाए तो इससे आत्मिक उन्नति होती है।जैसे शारीरिक उन्नति के लिए भोजन एवं व्यायाम आवश्यक है उसी प्रकार आत्मिक उन्नति के लिए स्वाध्याय आवश्यक है।स्वाध्याय में धर्म,अध्यात्म,नीति,दर्शन,संस्कृति,सभ्यता,सदाचरण इत्यादि से सम्बन्धित बातों का अध्ययन किया जा सकता है।जैसे व्यायाम के बिना शरीर रोगग्रस्त होता है उसी प्रकार स्वाध्याय,मनन-चिंतन न करने से हमारी मानसिक वृत्तियाँ कलुषित एवं दूषित हो जाती हैं।हमारा ज्ञान सीमित हो जाता है और हम कूप-मण्डूक बन जाते हैं।
  • चौथा उपाय खाली समय के उपयोग करने का यह हो सकता है कि यदि आप गणित अथवा अन्य विषय में पारंगत है तो अपने इस ज्ञान को बांटने का कार्य करें।अपने आस-पास,मिलने-जुलने वालों,समाज अथवा पड़ोसियों के बच्चों को कुछ समय पढ़ाया जा सकता है।इससे आपको आत्म-संतुष्टि मिलेगी,आपका ज्ञान बढ़ेगा तथा मन भी हल्का-फुल्का होकर चुस्त-दुरुस्त हो जाएगा।
  • पाँचवा उपाय यह है कि आप अपनी रूचि के क्षेत्र में लेख लिखने का अभ्यास करें।जब लेख लिखने में पारंगत हो जाए तो आप कोई पुस्तक लिख सकते हैं अथवा बहुत सी वेबसाइट्स कंटेंट राइटर हायर करती हैं अतः पार्टटाइम काम करके अपने खाली समय का उपयोग कर सकते हैं।इससे आपके ज्ञान और अनुभव में तो वृद्धि होगी ही और आप अपने रूचि के क्षेत्र में हुनर विकसित करने में भी कामयाब हो सकते हैं।हो सकता है यह रुचि का क्षेत्र ही आपके जाॅब का कार्य क्षेत्र बन जाए।लेख कैसे लिखें,इसके लिए आर्टिकल इस वेबसाइट पर पोस्ट किया हुआ है,उससे देखकर जान सकते हैं अथवा यूट्यूब पर वीडियो देखकर भी जान सकते हैं।
  • छठवाँ उपाय है कि आप यज्ञ करना सीख सकते हैं।यज्ञ के लिए हवन कुण्ड व हवन सामग्री आर्य समाज से प्राप्त कर सकते हैं।यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है तथा मन को शांति मिलती है।इन कार्यों को करने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है बल्कि संकल्पशक्ति की आवश्यकता है।

4.खाली समय में क्या न करें? (What Not to Do in Your Free Time?):

  • खाली समय को सोने में न बिताएं क्योंकि रात्रि में नींद लेने से पर्याप्त विश्राम मिल जाता है।यदि अत्यधिक थकान महसूस हो अथवा काफी समय अध्ययन करते हुए हो गया हो तो 10-20 मिनट की झपकी ले सकते हैं।परंतु सोने से शरीर भारी-भारी हो जाता है तथा उठने पर पुनः अध्ययन करने का मन नहीं करता है।
  • वीडियो गेम्स देखना या खेलना,सोशल मीडिया पर व्यस्त रहना तथा चैटिंग करते रहना इत्यादि।इन कार्यों को करने से समय तो नष्ट होता ही है साथ ही हमारी आदतें भी खराब पड़ती हैं जो जीवन निर्माण में अवरोधक है।
  • टीवी पर चिपके रहकर देर रात तक देखते रहने से आंखों पर दुष्प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही दिनचर्या भी बिगड़ जाती है।समस्त समय टीवी,सोशल मीडिया,इंटरनेट व मोबाइल से चिपके रहने से हम समाज से व मित्रों व सम्बन्धियों से कटते चले जाते हैं।हममें सामाजिक व व्यावहारिक भावना का विकास नहीं होता है।पारस्परिक स्नेह,आत्मीयता का जो वातावरण फल-फूल रहा था,उसे किसी न किसी हद तक चोट पहुंचती हैं।
  • मित्रों व साथियों के साथ गप्पे लड़ाना,फालतू में मटरगश्ती करना,डींग हांकना,बातूनी बनना इत्यादि कार्यों से आदते बिगड़ती हैं।यदि सैर-सपाटा,पिकनिक पर जाने का मन हो तो यह देख लेना चाहिए कि सैर-सपाटा या पिकनिक का स्थल सही चुना गया हो तथा आपकी आर्थिक स्थिति इसके लिए अनुमति दे अन्यथा भागदौड़ की थकान और भारी व्यय के बोझ से दबना पड़ता है।
  • क्लबों,होटलों,किटी पार्टी या पब में वही छात्र-छात्राएं जाते हैं जिन्हें अपनी धनाढ्यता पर गर्व है।वरना इनमें धन खर्च करना फूहड़पन ही कहा जाएगा।पब में शराब और मादक द्रव्यों का सेवन करने की आदत पड़ जाती है जो जीवन को नरकमय बना देती है।
  • आवारागर्दी करने वाले तथा गुंडा किस्म के छात्र-छात्राओं की संगति डरकर या भूलकर अथवा समय गुजारने या खाली समय के लिए भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
  • तात्पर्य यह है कि खाली समय का उपयोग अपनी स्थिति,योग्यता,समय एवं परिस्थितियों के अनुसार चुना जा सकता है जिनको करने से अपनी शारीरिक एवं मानसिक शक्तियाँ फालतू में नष्ट न हों और न घर की अर्थव्यवस्था गड़बड़ाए।
  • मन को हल्का-फुल्का अनुभव होने के साथ कुछ उपयोगी हाथ लगे।इस तरह का दृष्टिकोण अपनाने से एकरसता,बोरियत,उबाऊपन समाप्त होने के साथ खाली समय का सदुपयोग हो जाएगा जिससे आपको कुछ उपलब्धि हासिल हो सकेगी।

5.खाली समय का दृष्टान्त (The Parable of Free Time):

  • एक नगर में एक विद्यार्थी था।अपने अध्ययन के समय तथा व्यस्त क्षणों से प्रतिदिन एक घण्टा बचाकर वह नियमपूर्वक गणित का अध्ययन करता था।गणित के ऐसे टाॅपिक का अध्ययन करता था जो उसके पाठ्यक्रम में नहीं थे।
  • गणितज्ञों की जीवनियाँ पढ़ना,उनके द्वारा क्या-क्या खोज की गई,वर्तमान में गणित में कौनसी नई खोज की गई है इत्यादि का गहन व रुचिपूर्वक अध्ययन करता था।
  • जब उसने शिक्षा प्राप्त की तो उसने लगभग दस वर्ष तक गणित का अतिरिक्त ज्ञान प्राप्त कर लिया।गणित का गहन व रुचिपूर्वक अध्ययन करने से,पढ़ाई समाप्त होते-होते वह उच्चकोटि का गणितज्ञ बन गया।
  • उस विद्यार्थी ने गणित का अध्ययन प्रारंभ किया था उस समय वह गणित में बहुत मेधावी तथा प्रतिभावान नहीं था परन्तु अभ्यास और खाली समय का उपयोग करके गणित में विद्वान बन गया।
  • विश्वविद्यालय की शिक्षा पूरी करते ही वह गणित के मूर्धन्य विद्वानों में गिना जाने लगा।
  • अनार्य,गंदे तथा भद्दे उपन्यास या नाटक व पुस्तकें पढ़ना खाली समय का उपयोग नहीं है बल्कि दुरुपयोग है।
  • उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं खाली समय का उपयोग कैसे करें? (How Do Students Make Use of Free Time?),गणित के छात्र-छात्राएं खाली समय समय का सदुपयोग कैसे करें? (How Do Mathematics Students Make Good Use of Their Free Time?) के बारे में बताया गया है।

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6.गणित को नियम से पढ़ो (हास्य-व्यंग्य) (Read Math by Rules) (Humour-Satire):

  • पिता:बेटा,तुम नियम से गणित विषय को पढ़ोगे तो तुम्हारे सिर में दर्द नहीं होगा।
  • बेटा:लेकिन पिताजी,मैं गणित नियम से ही पढ़ता हूं।
  • पिता:मैंने आज ही तुम्हें रात के दो बजे गणित पढ़ते देखा था।
  • बेटा:पिताजी,गणित पढ़ने का यही तो मेरा नियम है।

7.छात्र-छात्राएं खाली समय का उपयोग कैसे करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Make Use of Free Time?),गणित के छात्र-छात्राएं खाली समय समय का सदुपयोग कैसे करें? (How Do Mathematics Students Make Good Use of Their Free Time?) से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.क्या खाली समय निकालना आवश्यक है? (Is It Necessary to Take out Free Time?):

उत्तर:यदि आप अपने अध्ययन कार्य,जाॅब को पूर्ण एकाग्रचित्त और तल्लीन होकर कर सकते हैं तो खाली समय या अवकाश आवश्यक नहीं है।परंतु कई लोग खाली समय इसलिए नहीं निकालते हैं कि कहीं जीवन में खालीपन का अहसास न आ जाए।इस आशंका से बिल्कुल खाली समय न निकालना अपने आप पर अन्याय करना है।यदि कभी ऐसा अनुभव होता है तो खालीपन का मतलब समझना चाहिए।अपने आपको समय देना,अपनी रुचियों और पसन्दीदा कामों के लिए मन ने तमाम व्यस्तताओं के बावजूद आपको यह समय उपलब्ध व मुहैया कराया है।

प्रश्न:2.क्या खाली समय बेकार का नहीं है? (Isn’t Free Time Useless?):

उत्तर:हमें यह गलतफहमी मन से निकाल देनी चाहिए कि खाली समय बेकार का समय है या अनुत्पादक समय है।यह जबर्दस्त ताकतवर व ऊर्जादायी होता है।जब भी हम मेहनत के दौर से गुजरते हैं तो कहीं घूमने जाते हैं।वहां लगाया गया समय व पैसा हमें बेकार नहीं लगता बल्कि सदुपयोग का अहसास देता है।क्यों? क्योंकि हम वहां से उमंगित आल्हादित और स्फूर्तित होकर लौटते हैं।हम अपने लक्ष्य को ज्यादा वेग,दुगुनी क्षमता और उत्साह से प्रवृत्त होकर पा सकते हैं।
केवल एकांगी सोच से काम नहीं चलता है।मात्र यथार्थवादी रवैये से सोचने वाले काम में ही लगे रहते हैं इसलिए उन्हें अपने पिसते रहने का एहसास होता है।कई अच्छा कमाने वाले दुःखी और कम कमाने वाले भी सुखी नजर आते हैं,उन सबके पीछे भी यही कारण है।अतिव्यस्तता या एक ही एक काम करने या केवल अपने और अपने लक्ष्य के बारे में ही सोचते रहने से दिल-दिमाग अपनी ताजगी भरी क्षमता और आनंद से वंचित हो जाता है।

प्रश्न:3.कोई हमारे खाली समय को नष्ट कर रहा हो तो क्या करें? (What to Do if Someone is Wasting Our Free Time?):

उत्तर:कई लोग अपना दुखड़ा रोने,अकर्मण्यता गाने में हमारा खाली समय दीमक की तरह चट कर जाते हैं।अपना समय तो जाया करते ही हैं।ऐसे लोगों को कहना चाहिए कि अपनी समस्या को लिखकर दें।अपना मूल मंत्र रखें ‘कम विद सॉल्यूशन’।इससे आप समस्या के हल पर ज्यादा समय दे पाएंगे।उन्हें व्यर्थ तथा शुरुआती सोच में समय नहीं देना पड़ता।

  • उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं खाली समय का उपयोग कैसे करें? (How Do Students Make Use of Free Time?),गणित के छात्र-छात्राएं खाली समय समय का सदुपयोग कैसे करें? (How Do Mathematics Students Make Good Use of Their Free Time?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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