How Do Students Change Their Attitude?
1.छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Students Change Their Attitude?),गणित के छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Mathematics Students Change Their Mentality?):
- छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Students Change Their Attitude?) मनोवृत्ति को अनुभव किया जाता है।मनोवृत्ति अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न कर सकती है।यह एक मानसिक दशा है जो सामाजिक या व्यक्तिगत व्यवहार को प्रकट करने में विशेष भूमिका निभाती है।मनोवृत्ति किसी व्यक्ति,समूह या संस्था विशेष के प्रति व्यक्ति के समायोजन को प्रकट करती है।किसी परिस्थिति या वातावरण के किसी पहलू के प्रति मनोवृत्ति का निर्माण यह दर्शाता है कि उस व्यक्ति में रेस्पॉन्स (Response) के लिए तत्परता शामिल है।
- हम सभी मनोवृत्ति का निर्माण करते हैं या विशिष्ट विषय-वस्तु अथवा व्यक्ति के बारे में विचार करने का एक तरीका विकसित करते हैं अर्थात् मनोवृत्ति जन्मजात नहीं होती है।अतः मनोवृत्ति निर्माण प्रतिकूल,नकारात्मक है तो उसे परिवर्तित करके अनुकूल और सकारात्मक किया जा सकता है।
- हम जिन व्यक्तियों से मिलते हैं उनकी एक छवि भी बनाते हैं तथा उनके व्यवहार के लिए कारणों का निर्धारण भी करते हैं।मनोवृत्ति का सम्बन्ध बाह्य वस्तुओं,विचारों तथा प्रतिमाओं (images) से होता है।मनोवृत्ति हमारे व्यवहार को दिशा प्रदान करती है।हालांकि व्यवहार केवल हमारी मनोवृत्ति पर ही निर्भर नहीं करता है बल्कि परिस्थितियों से भी प्रभावित व निर्देशित होता है।मनोवृत्तियों का सम्बन्ध हमारी आवश्यकताओं,समस्याओं,कठिनाइयों व बाधाओं से होता है।
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2.मनोवृत्ति के लक्षण (Symptoms of Attitude):
- महाभारत में एक बोध कथा का वर्णन आता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने एक बार युधिष्ठिर व दुर्योधन को गाँव मे सज्जनों व दुर्जनों की सूची बनाकर लाने के लिए कहा गया।दोनों गाँव में घूम-फिरकर आए तो दुर्योधन को गांव में एक भी सज्जन दिखाई नहीं दिया तथा युधिष्ठिर को एक भी दुर्जन दिखाई नहीं दिया।
- वस्तुतः संसार में भलाई और बुराई,अच्छाई और बुराई,शुभ व अशुभ परिस्थितियां,वस्तुएँ तथा व्यक्ति में दोष-दुर्गुण दोनों मौजूद रहती हैं।परंतु हमारी मनोवृत्ति सही हो तो प्रतिकूल परिस्थितियों,बुराईयों तथा व्यक्ति,वस्तुओं से लाभ उठा सकते हैं।
- जैसे कोई विद्यार्थी असफल हो जाता है परीक्षा में कम अंक आते हैं तो वह यह सोचता है कि भाग्य में ऐसा ही होना लिखा था।यदि यह सोच मन को सन्तोष देने के लिए किया जाए तो शुभ है,अच्छा है तथा इससे आगे ओर अच्छा अध्ययन करने की प्रेरणा मिलती है।
- यदि रावण अहंकारी,दुराचारी,कपटी,कामुक प्रवृत्ति का न होता तो राम-लक्ष्मण तथा हनुमान,सुग्रीव,वानर समुदाय को अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर ही न मिलता और सभी साधारण जीवनयापन करके मृत्यु को प्राप्त हो जाते।
- मनोवृत्ति का पहला लक्षण है कि वे जन्मजात नहीं होती हैं।वे बालक-बालिकाओं द्वारा परिवार,समाज व लोगों के संपर्क में आने पर बनती रहती है तथा सीखी जाती है।फलतः मनोवृत्ति माता-पिता से जनित नहीं होती है भले ही उनको सीखने की प्रेरणा माता-पिता और समाज के लोगों से मिलती है।जैसे भूख मिटाने की उत्कंठा जन्मजात है परंतु अध्ययन करना,ज्ञानार्जन करना या स्वाध्याय करना मनोवृत्ति है।
- मनोवृत्ति का दूसरा लक्षण है कि न्यूनाधिक रूप से स्थायी होती है।उनमें स्थायित्व पाया जाता है।परंतु चूँकि मनोवृत्ति का निर्माण किया जाता है अतः उनमें परिवर्तन किया जा सकता है।वे अपरिवर्तनीय नहीं है।चूँकि हम मनोवृत्ति अपने आपको ढालते हैं अतः उनमें परिवर्तन भी कर सकते हैं बशर्ते उनके लिए उचित परिस्थितियां हों और प्रयत्न किया जाए।मनोवृत्ति का तीसरा लक्षण है कि इनमें व्यक्ति-वस्तु का संबंध भाव सम्मिलित होता है।मनोवृत्तियाँ सदैव कुछ व्यक्तियों,समूहों,वस्तुओं या संस्थाओं के संबंध में बनाई जाती है।दूसरी तरफ वे वातावरण और परिस्थितियों,व्यवहार विशेष के कुछ पहलुओं के संबंध में उत्पन्न हो सकती हैं।
- मनोवृत्ति व्यक्तियों को तथा समूहों को भी सम्मिलित करती हैं।किसी छात्र-छात्रा में होशियार छात्र-छात्राओं के प्रति ईर्ष्या या वैरभाव की मनोवृत्ति का निर्माण हो सकता है या वह दूसरे छात्र-छात्रा से सम्बन्धित पूरे समूह को ही घृणा के भाव से देख सकता है।मनोवृत्ति केवल व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहती है बल्कि समूह,बड़े समूह,देशों के प्रति भी हुआ करती है।जैसे अमेरिकावासी रूस व साम्यवादी देश चीन जैसे देशों के प्रति घृणा का भाव रखते हैं।
- छठवां लक्षण है कि मनोवृत्तियों में प्रेरणा प्रभावी गुण होता है।मनोवृत्तियों में जो बातें सीखते हैं और अन्य बातें सीखते हैं उसमें अंतर कैसे कर सकते हैं? दूसरी सीखी बातों के विपरीत मनोवृत्ति किसी सकारात्मक या नकारात्मक ढंग से लक्ष्य-निर्दिष्ट होती है अर्थात् मनोवृत्तियों में प्रेरक-प्रभावी गुण होता है।
- मनोवृत्तियाँ समूह के सदस्यों में समान रूप से रहती है।उपर्युक्त छह लक्षण के अतिरिक्त किसी समूह में न्यूनाधिक रूप से विचलित सदस्यों को छोड़कर समूह के सभी सदस्यों में पाई जाती है जो कि एक सारभूत लक्षण है।
- उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि हम अपने प्रिय व्यक्तियों माता-पिता,अध्यापक,मित्रों तथा समाज के अन्य नेताओं को आकर्षक समझते हैं तथा जिन्हें नहीं चाहते या घृणा करते हैं,उन्हें ओछा,बुरा समझते हैं।इस प्रकार के निर्णय हमारे रोजमर्रा के अनुभव पर आधारित हैं।अपने निकटस्थ व्यक्तियों के व्यवहार तथा उनकी वांछनीयता के बारे में जो निर्णय हम लेते हैं,उन्हें हमारी मनोवृत्तियाँ प्रभावित करती हैं।जिन व्यक्तियों को हम पसंद करते हैं उनकी कमियां या उसके अवगुणों पर हम ध्यान नहीं देते हैं लेकिन जिन लोगों को हम नापसंद करते हैं उनके अवगुणों को बढ़ा-चढ़ाकर बखानते हैं।इसलिए गीता कहती है कि जब हम अन्य लोगों के साथ बर्ताव करें तो हमें राग-द्वेष त्याग देना चाहिए।किसी वस्तु के प्रति हमारी रुचियां या अरुचियाँ ही हमें पूर्वाग्रह की ओर अग्रसर करती है।
3.मनोवृत्ति के निर्माण की प्रक्रिया (The Process of Building Attitude):
- (1.)साहचर्य के द्वारा मनोवृत्तियों का निर्माण (Building attitudes through companionship):
विद्यार्थी अध्यापक व माता-पिता से सीखते हैं।परंतु जैसे गणित का अध्यापक छात्र-छात्राओं को समर्पण भाव से पूजा समझकर व श्रद्धा के साथ पढ़ाता है तो छात्र-छात्राएं गणित विषय के प्रति रुचि विकसित कर लेते हैं।यह इसलिए होता है क्योंकि वे अध्यापक में गणित पढ़ाने के साथ-साथ अनेक सकारात्मक गुण देखते हैं।ये सकारात्मक गुण उस विषय (गणित) के साथ जुड़ जाते हैं।दूसरे शब्दों में किसी भी विषय के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति अध्यापक एवं विद्यार्थी के मध्य सकारात्मक साहचर्य के द्वारा सीखी जाती है। - (2.)पुरस्कार एवं दण्ड के कारण मनोवृत्ति का निर्माण (Formation of attitude due to rewards and punishments):
- यदि एक विशिष्ट मनोवृत्ति को प्रदर्शित करने के लिए छात्र-छात्रा की प्रशंसा की जाती है या पुरस्कार दिया जाता है तो यह सम्भावना उच्च हो जाती है कि वह आगे चलकर उस मनोवृत्ति को विकसित करेगा।उदाहरण के लिए मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड में किसी गणित के छात्र का चयन हो जाता है एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तथा देश में उसे पुरस्कार दिया जाता है एवं सम्मानित किया जाता है तो वह गणित के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति विकसित कर सकता है।
- इसी प्रकार यदि कोई विद्यार्थी गणित में लगातार पिछड़ता जा रहा है,बहुत कोशिश करने पर भी अच्छे अंक अर्जित नहीं कर पा रहा है तो गणित के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति विकसित करने की संभावना बढ़ जाती है।
- (3.)दूसरों का अनुसरण करके (By following others):
साहचर्य या पुरस्कार के अतिरिक्त भी मनोवृत्ति का निर्माण होता है।जैसे कोई प्रतिभाशाली छात्र-छात्रा गणित में अच्छे अंक अर्जित करता है तो दूसरे छात्र-छात्रा भी उसका अनुसरण करके गणित में अच्छे अंक लाने की कोशिश करते हैं।इस प्रकार गणित के प्रति वे सकारात्मक मनोवृत्ति विकसित कर लेते हैं।
- (4.)समूह या सांस्कृतिक मानकों के द्वारा मनोवृत्ति का निर्माण (Formation of attitudes by group or cultural standards):
परीक्षा में अच्छे अंक लाने,उत्तीर्ण होने तथा बढ़िया जाॅब प्राप्त करने के लिए कुछ विद्यार्थी शिक्षकों के चरण स्पर्श करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।भगवान से प्रार्थना करते हैं और सफलता की मनोकामना करते हैं।इस प्रकार का व्यवहार करना कुछ धर्मों में एक आदर्श व्यवहार है।समाज से जब इस तरह के व्यवहार को स्वीकृति एवं मान्यता प्राप्त है तो विद्यालय के अन्य बालक-बालिकाएं भी ऐसे ही व्यवहार,समर्पण एवं श्रद्धा की भावना की मनोवृत्ति को विकसित कर लेते हैं। - (5.)सोशल मीडिया तथा सूचना के प्रभाव से अभिवृत्ति का निर्माण (Building attitudes through the influence of social media and information):
सोशल मीडिया तथा संचार के माध्यम जैसे टीवी,यूट्यूब चैनल,ट्विटर,फेसबुक तथा अन्य ढेरों वेबसाइट्स पर आज के युवा घण्टों गुजारते हैं।इन प्लेटफार्म पर वे नकारात्मक तथा सकारात्मक मनोवृत्तियों का निर्माण करते हैं।महान गणितज्ञों,महान् वैज्ञानिकों तथा महापुरुषों के जीवन चरित्र तथा उनकी सफलताओं के लिए किए गए कठोर परिश्रम एवं अन्य बातों से भी विद्यार्थियों में मनोवृत्तियों का निर्माण होता है। - (6.)मनोवृत्ति के निर्माण में अन्य कारक (Other factors in the formation of attitude):
पुस्तकों,धर्मोपदेशकों,स्वयं के अनुभव, विभिन्न व्यक्तियों,मित्रों,राजनीतिक,धार्मिक,सामाजिक नेताओं से भी मनोवृत्ति का निर्माण होता है।
4.मनोवृत्ति परिवर्तन के उपाय (Measures for Attitude Change):
- मनोवृत्ति परिवर्तन का अर्थ है किसी विषय या समस्या के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण में परिवर्तन।
- (1.)अन्योन्य क्रिया द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन (Change of attitude through interaction):
इस प्रविधि के अंतर्गत छात्र-छात्राओं अथवा व्यक्ति को किसी ऐसे वातावरण में रखा जाता है जहाँ उसे अन्य छात्र-छात्राओं व व्यक्तियों के साथ अन्योन्य क्रिया करने का अवसर मिलता है।उदाहरणार्थ पतंजलि योगपीठ हरिद्वार,दर्शन योग महाविद्यालय,आर्यवन,रोजड़ जिला साबरकांठा (गुजरात),महर्षि अरविंद आश्रम इत्यादि में छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराया जाता है।ये गुरुकुल विद्यालय एकांत में स्थित हैं।फलतः विद्यार्थी नगर के सामान्य वातावरण का अनुभव नहीं कर पाते हैं।इन विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक,कर्मठ एवं सच्चे योगी के रूप में तैयार किया जाता है।जहां से ये बच्चे आते हैं वहाँ उनकी मनोवृत्ति नकारात्मक तथा दूषित रहती है परन्तु इन गुरुकुलों में आकर उनकी मनोवृत्ति सकारात्मक हो जाती है।वे नए वातावरण में घुल-मिल जाते हैं और अपनी नकारात्मक प्रवृत्ति को छोड़ देते हैं। - (2.)समूह परिचर्चा (Group discussion):
छात्र-छात्राओं को भाषण के द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन के लिए तैयार किया जाता है।परंतु यह देखने में आया है कि समूह परिचर्चा (छात्र-छात्राओं) में मनोवृत्ति तथा व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए अधिक अच्छी प्रणाली है।दूसरी बात यह कि समूह में कुछ छात्र-छात्राएं तथा लोग ऐसे होते हैं कि चाहे किसी भी प्रविधि को काम में लिया जाए लेकिन उनको बदलना संभव नहीं है। - जब समूह में अनेक लोग बैठकर किसी समस्या पर परिचर्चा करते हैं तब वह परिवर्तन के पक्ष में अपने विचारों को निःसंकोच प्रकट कर सकता है।जब समूह में अनेक व्यक्ति परिवर्तन के लाभों का संकेत करते हैं तब समूचे समूह में परिवर्तन आता है।जब समूह बदलता हैं तो समूह के प्रतिमान (norms) बदलते हैं।अनेक परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि मनोवृत्ति में परिवर्तन लाने के लिए तर्कसंगत या भावनात्मक प्रविधि (अपील) की अपेक्षा परिचर्चा प्रविधि अधिक प्रभावपूर्ण होती है।परंतु समूहों के प्रति आदर और श्रद्धा के वातावरण द्वारा भावनात्मक अपील से भी मनोवृत्ति को परिवर्तित किया जा सकता है।
- वस्तुतः किस प्रकार के छात्र-छात्राओं की मनोवृत्ति में किस विधि से परिवर्तन किया जा सकता है इसके लिए छात्र-छात्राओं की प्रकृति को पहचानना जरूरी है।प्रतिक्रियावादी,रूढ़िवादी,धर्मानुवर्ती,मध्यमार्गी,उदारतावादी,प्रगतिवादी,आमूल परिवर्तनवादी में से पहचान करके उनकी मनोवृत्ति में आवश्यक हो तो सुधार करना चाहिए।
- (3.)संतुलन का संप्रत्यय (The concept of balance):
इसे P-O-X त्रिकोण के रूप में व्यक्त किया जाता है जो मनोवृत्ति के तीन घटकों या पक्षों को निरूपित करता है।इसमें पी वह व्यक्ति है जिसकी मनोवृत्ति का अध्ययन किया जाना है,ओ एक दूसरा व्यक्ति है तथा X वह विषयवस्तु (मनोवृत्ति विषय) है जिसके प्रति मनोवृत्ति का अध्ययन करना है।यह भी संभव है कि ये तीनों व्यक्ति ही हों। - मूल बात यह है कि यदि पी-ओ मनोवृत्ति,ओ-एक्स मनोवृत्ति तथा पी-एक्स मनोवृत्ति के बीच एक असंतुलन की अवस्था होती है तो मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है।यह इसलिए होता है क्योंकि असंतुलन तार्किक रूप से असुविधाजनक होता है।अतः मनोवृत्ति में सन्तुलन की दिशा में परिवर्तन होता है।
- असन्तुलन तब पाया जाता है जब (1.)पी-ओ-एक्स त्रिकोण की तीनों भुजाएँ नकारात्मक होती है या (2.)दो भुजाएँ सकारात्मक एवं एक भुजा नकारात्मक होती है।संतुलन तब पाया जाता है जब (1.)तीनों सकारात्मक या (2.)दो भुजाएँ नकारात्मक एवं एक भुजा सकारात्मक हो।
- एक उदाहरण लें जिसमें अध्ययन की विषयवस्तु (एक्स) है।मान लीजिए कि एक छात्र (पी) की अध्ययन के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति है।(पी-एक्स सकारात्मक)।पी व्यक्ति दूसरे छात्र (ओ) के साथ व्यवसाय करने की योजना बना रहा है जो अध्ययन के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति रखता है (ओ-एक्स नकारात्मक)।पी-ओ मनोवृत्ति का स्वरूप क्या होगा तथा किस प्रकार से इस परिस्थिति में सन्तुलन या असन्तुलन का निर्धारण होगा? यदि ओ की प्रारम्भ में पी के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति है तो परिस्थिति असन्तुलित होगी।पी-एक्स सकारात्मक है।अर्थात् त्रिकोण में एक नकारात्मक एवं दो सकारात्मक भुजाएँ हैं।यह एक असन्तुलन की स्थिति है।तीनों में से किसी एक को मनोवृत्ति में परिवर्तन करना होगा।यह परिवर्तन पी-एक्स संबंध में हो सकता है (एक आदत के रूप में पी अध्ययन करने को नापसंद करना प्रारंभ कर देता है) या ओ-एक्स एक संबंध में हो सकता है (ओ अध्ययन करने की आदत के रूप में पसंद करना प्रारंभ कर देता है) या फिर ओ-पी संबंध में हो सकता है (ओ पी को नापसंद करने लगता है)।संक्षेप में मनोवृत्ति में परिवर्तन करना होगा जिससे कि त्रिकोण में तीनों सकारात्मक संबंध या दो नकारात्मक एवं एक सकारात्मक संबंध बनेगा।
- यदि ऐसा नहीं होता है तो छात्र एक प्रकार की मानसिक असुविधा या अशांति का अनुभव करेगा अर्थात् मनोवृत्ति तंत्र में कुछ ठीक नहीं है।इस प्रकार की स्थिति में मनोवृत्ति तंत्र के कुछ संगति की दिशा में परिवर्तित होते हैं क्योंकि हमारी संज्ञानात्मक व्यवस्था को तार्किक संगति की आवश्यकता होती है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Students Change Their Attitude?),गणित के छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Mathematics Students Change Their Mentality?) के बारे में बताया गया है।
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5.गणित अध्यापक से छात्रों का न डरना (हास्य-व्यंग्य) (Student Should Not Be Afraid of Mathematics Teacher) (Humour-Satire):
- परीक्षा निरीक्षक (गणित अध्यापक से):ये सारे बच्चे गणित के कालांश में शोर मचा रहे हैं,कोई भी न तो सवाल समझ रहे हैं और न सवाल हल कर रहे हैं। आखिर आप किसको सवाल समझा रहे हैं।क्या ये आपसे बिल्कुल नहीं डरते हैं।
- गणित अध्यापक:मैं कौनसा इन छात्र-छात्राओं से डरता हूं।रही सवाल समझाने की बात तो मुझे तनख्वाह मिलती है इसलिए श्यामपट्ट पर सवाल हल कर रहा हूं अब ये समझे या न समझे यह मेरी जिम्मेदारी नहीं है।
6.छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (Frequently Asked Questions Related to How Do Students Change Their Attitude?),गणित के छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Mathematics Students Change Their Mentality?) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.प्रतिक्रियावादी व्यक्ति का क्या लक्षण है? (What are the Symptoms of a Reactionary Person?):
उत्तर:व्यक्ति जो पुरानी तथा घिसी-पिटी उन प्रथाओं और परंपराओं को जो वस्तुतः सामाजिक अनुमोदन खो रही हों,बहाल करके सामाजिक प्रगति के प्रवाह को उल्टाने का प्रयत्न करें।
प्रश्न:2.प्रगतिवादी व्यक्ति के क्या लक्षण हैं? (What are the Characteristics of a Progressive Person?):
उत्तर:वह व्यक्ति जो विद्यमान सामाजिक व्यवस्था में शनैः-शनैः परिवर्तन लाने की वकालत करता है तथा रूढ़ियों में अंधविश्वास का विरोधी है।
प्रश्न:3.आमूल परिवर्तनवादी व्यक्ति के क्या लक्षण है? (What are the Traits of a Radicalist?):
उत्तर:वह व्यक्ति जो प्रचलित सामाजिक व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकने का प्रयत्न करता है तथा प्रबल एवं आमूल-चूल परिवर्तनों द्वारा इस कार्य में जुझता है।
प्रश्न:4.रूढ़िवादी व्यक्ति के क्या लक्षण हैं? (What are the Characteristics of a Conservative Person?):
उत्तर:जो परम्परा को पावन समझता है,समाज के विद्यमान क्रम को यथावत बनाए रखना चाहता है तथा सब प्रकार के परिवर्तनों एवं प्रगति का विरोध करता है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Students Change Their Attitude?),गणित के छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Mathematics Students Change Their Mentality?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Students Change Their Attitude?),गणित के छात्र-छात्राएं मनोवृत्ति को कैसे परिवर्तित करें? (How Do Mathematics Students Change Their Mentality?) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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