Give Educational Details in Interview
1.इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण दें (Give Educational Details in Interview),इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण कैसे दें? (How to Give Academic Records in Interview?):
- इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण दें (Give Educational Details in Interview) अर्थात् शैक्षिक विवरण कैसे दें?
इंटरव्यू संपूर्ण व्यक्तित्व का परीक्षण होता है।अतः इंटरव्यू से संबंधित विवरण में अपना परिचय कैसे दें,विचारों को अभिव्यक्त कैसे करें,तथ्यों को इंटरव्यू बोर्ड के सामने कैसे प्रस्तुत करें,किसी विषय का उत्तर तार्किक ढंग से किस प्रकार प्रस्तुत करें,हमारी रुचियों का प्रस्तुतीकरण कैसे करें,साक्षात्कार की तैयारी कैसे करें,इंटरव्यू में हमारी पोशाक,वेशभूषा व पहनावा कैसा हो,इंटरव्यू के दौरान क्या करें,क्या ना करें,साक्षात्कार बोर्ड के प्रश्नों का उत्तर कैसे दें आदि के बारे में कुछ विवरण पूर्व आर्टिकल्स में लिखे जा चुके हैं।इस लेख में शैक्षिक विवरण से संबंधित विवरण के बारे में बताया जाएगा। - आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें।जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं।इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
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2.आवेदन पत्र में शैक्षिक विवरण लेने का उद्देश्य (Purpose of taking educational details in the application form):
- निजी तथा सरकारी सभी प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षाओं (जिनमें इंटरव्यू होता है) के आवेदन-पत्रों में ऐसे स्तंभ (कॉलम) होते हैं जिनमें उम्मीदवार को अपनी शैक्षिक योग्यताओं का पूरा विवरण भरना होता है जैसे आपने कब-कब और कितनी परीक्षाएं पास की हैं,उसके विषय क्या थे।उसने किस श्रेणी में परीक्षा पास की।उसकी शिक्षा का माध्यम हिंदी,अंग्रेजी अथवा अन्य कोई प्रादेशिक भाषा थी।उसने परीक्षा में कितने प्रतिशत अंक प्राप्त किए।निर्धारित स्तम्भ में भरी गई उक्त सूचनाओं से साक्षात्कार मंडल के सदस्यों को उम्मीदवार के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है।
- (1.)उम्मीदवार की सामाजिक पृष्ठभूमि कैसी रही है, इसका पता भी उक्त सूचनाओं से मिल जाता है।मातृभाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था तो गांवों में भी उपलब्ध है जबकि विलायती भाषा (अंग्रेजी) के स्कूल बड़े नगरों में अधिक हैं।
- (2.)उम्मीदवार ने कौन-कौन से विषय पढ़े हैं।इससे बोर्ड के सदस्यों को यह पता चल जाता है कि उम्मीदवार को भारतीय संस्कृति,परंपराओं,इतिहास,भूगोल,सामाजिक अवस्थाओं की अच्छी जानकारी प्राप्त है अथवा नहीं।उसने क्या अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ज्ञान अर्जन किया है।उसका ज्ञान केवल पुस्तकों अथवा समाचार-पत्रों पर ही आधारित है अथवा उसकी अपनी भी मान्यताएं हैं।
- (3.)उसके शैक्षिक ज्ञान का क्या स्तर है:बोर्ड के सदस्यों की प्रत्येक विश्वविद्यालय के स्तर तथा वहां की परीक्षा प्रणाली के स्तर का प्रायः ज्ञान होता है।परीक्षाएँ कहां तक सही-सही ढंग से ली जाती है।विश्वविद्यालयों से प्राप्त उपाधियों की यद्यपि तुलना नहीं की जाती फिर भी कुछ विश्वविद्यालयों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार गड़बड़ी हो जाने से कभी-कभी परीक्षाओं पर भी उनका दुष्प्रभाव पड़ता है।
- साक्षात्कार लेने के उद्देश्य में से एक उद्देश्य यह भी होता है कि उसके द्वारा उम्मीदवार की सामान्य जागरूकता का पता लगाया जाता है और यह भी देखा जाता है कि जिन विषयों से उसका वास्ता रहा है उसके विषय में वह कहां तक ध्यान रखता है।
शैक्षिक ज्ञान का पता चल जाने पर बोर्ड के सदस्यों को यह मौका मिल जाता है कि वे उम्मीदवार से उसकी योग्यता की थाह लेने के लिए अनेक प्रकार के प्रश्न पूछें।उम्मीदवार द्वारा दिए गए उत्तरों से उसके ज्ञान के स्तर का पता लगाया जाता है।स्तर का निर्धारण समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को आधार मानकर किया जाता है।अधिक ऊँचे स्तर की आशा ऐसे उम्मीदवार से की जाती है जिसने अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में अध्ययन किया हो अथवा जिसने अमेरिका,रूस,चीन,जापान आदि देशों का इतिहास पढ़ा हो।उनसे उम्मीदवार के बारे में केवल सूझ-बूझ का पता लगाया जा सकता है।
3.शैक्षिक विवरण से संबंधित क्या प्रश्न पूछे जा सकते हैं? (What questions related to educational details can be asked?):
- उम्मीदवार से यह प्रश्न किया जा सकता है कि जिस ‘संस्था’ में उसने अध्ययन किया है उसमें कितने विद्यार्थी थे।किस-किस अध्यापक का स्वागत विद्यार्थीगण प्रसन्नता से करते थे।प्रमुख अध्यापकों के नाम भी उम्मीदवारों को याद होने चाहिए।यदि उम्मीदवार ने किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की है तो उस विश्वविद्यालय के कुलपति अथवा कॉलेज के प्रधानाचार्य का नाम तो याद होना ही चाहिए।उसे वे सभी प्रमुख घटनाएं भी याद होनी चाहिए जो उसके अध्ययन काल में घटित हुई हों:जैसे कोई दीर्घकालीन हड़ताल,किसी अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति का विश्वविद्यालय/कॉलेज में आगमन आदि।
- बातचीत का सिलसिला उम्मीदवार के विषयों तथा निर्धारित पुस्तकों संबंधी ज्ञान की ओर भी मुड़ सकता है।कुछ प्रश्न तो इस बात का पता लगाने के लिए पूछे जा सकते हैं कि विद्यार्थी ने निर्धारित पाठ्य पुस्तकों का अध्ययन किया है अथवा गाइड़े पढ़कर ही उसने परीक्षा की वैतरणी पार की है।व्यक्तित्व परीक्षण में जो परीक्षा वह दे चुका है उसकी पुनरावृत्ति नहीं की जाती वरन् यह परीक्षण तो उम्मीदवार का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है और उसे अपनी योग्यता सिद्ध करनी होती है।
- मान लीजिए किसी ने इंग्लैंड,जापान अथवा अमेरिका का इतिहास पढ़ा है।बोर्ड के सदस्य यह जानना चाहेंगे कि विद्यार्थी ने परीक्षा की दृष्टि से अपने विषय को पढ़कर छोड़ दिया है अथवा उसका संपर्क अभी भी उनसे बना हुआ है तथा वर्तमान समय में भी वह उन देशों की विविध प्रकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी रखता है।कुछ उम्मीदवारों ने विदेशी भाषाएं भी पढ़ी होती हैं,जैसे:फ्रेंच,अरबी,फारसी,रूसी,स्पेनिश आदि ऐसी स्थिति में यह पूछा जाना स्वाभाविक है कि उम्मीदवार को इन भाषाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता क्यों पड़ी और आगामी समय में वह अपने इस भाषागत ज्ञान को कहां तक जीवित रख सकेगा।
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के स्नातकों से पूछा जा सकता है कि भारत में ऐसी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कितने स्नातक रोजगार की तलाश में अमेरिका या और कहीं पलायन कर गए।प्रतिभा पलायन (Brain Drain) के औचित्य के बारे में भी उनसे बातचीत की जा सकती है।
- दो प्रकार की शिक्षा प्रणाली के औचित्य और सरकार की नैतिक जिम्मेदारी पर भी उम्मीदवार से चर्चा की जा सकती है।भारत में दो प्रकार से शिक्षा दी जाती है।एक तो खर्चीले पब्लिक स्कूल है जहां अमीरों,संपन्नों,धन्नासेठों,बड़े सरकारी अफसरों तथा शासक वर्ग के लोगों के बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं और दूसरी ओर प्रादेशिक भाषाओं के माध्यम से चलने वाले स्कूल हैं जहां अभिजात्य कहे जाने वाले लोगों को छोड़कर सारी जनता के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं।क्या यह अन्याय नहीं है? विशिष्ट जनों को ही यह सुविधा क्योंकि मिलती है।गरीब माता-पिता को क्या अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने का भी अधिकार नहीं है।सत्रीय शिक्षा प्रणाली (semester system of education) के गुणावगुणों पर भी बातचीत करके उम्मीदवार के विचार जानने का प्रयास किया जा सकता है।इस प्रणाली की शिक्षा पद्धति के कारण कुछ शिक्षा संस्थाओं के असफल होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? ऐसे प्रश्न पूछ कर उम्मीदवार के विचारों का पता लगाया जा सकता है।
4.साक्षात्कार में आपके बायोडाटा संबंधी प्रश्न (Your resume questions in the interview):
- व्यक्तित्व का निर्माण जीवन भर चलता है और आश्चर्यजनक रूप से इसमें परिवर्तन नहीं लाया जा सकता है।इसके लिए जरूरी है कि आपमें आत्मविश्वास, उत्साह और ताजगी हो।इसका अभिप्राय यह है कि व्यक्तित्व का विकास जीवनपर्यंत चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है।साक्षात्कार के लिए चयन होने के बाद से ही समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं एवं अपने वैकल्पिक विषयों का अध्ययन पुनः शुरू कर देना चाहिए।साथ ही अपने जागरूक और सफल मित्रों के साथ छद्म साक्षात्कार तथा सम-सामयिक ज्वलंत समस्याओं एवं सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक घटनाओं पर सामूहिक वाद-विवाद करना चाहिए।
- पिछले कुछ सालों में सफल उम्मीदवारों के व्यक्तित्व परीक्षण के विश्लेषण से निष्कर्ष निकला है कि साक्षात्कार में अधिकांश प्रश्न उम्मीदवार के बायोडाटा को केंद्र में रखकर पूछे जाते हैं।
- बायोडाटा (Resume):साक्षात्कार के लिए चयनित उम्मीदवारों को अपने बायोडाटा को सावधानीपूर्वक पढ़कर उनसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर को तैयार कर लेना चाहिए।प्रश्न निम्न पहलुओं पर पूछे जा सकते हैं:
- (1.)यदि आपके नाम या आपके पिता के नाम में कोई आकर्षण या विशेषता दिखती हो।
- (2.)यदि आपकी जन्मतिथि या स्थान का कोई ऐतिहासिक महत्त्व रहा हो।जैसे यदि आप बिहार के चंपारण जिले से हैं तो चंपारण सत्याग्रह की ऐतिहासिक जानकारी आपको होनी चाहिए।
- (3.)आपकी शैक्षणिक एवं विशेषज्ञ क्षेत्रों की पृष्ठभूमि।
- उन विषयों की तैयारी भी आपको करनी चाहिए,जिनका आपने स्नातक स्तर पर अध्ययन किया है,लेकिन वर्तमान सेवा में उन विषयों का चयन नहीं किया।आपसे यह पूछा जा सकता है कि स्नातक स्तर पर पढ़े गए विषय को आपने वैकल्पिक विषय क्यों नहीं बनाया?
- (4.)चयनित वैकल्पिक विषय (Selected Optional Subject):आपको अपने वैकल्पिक विषयों को अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए।इसके अंतर्गत आने वाली मुख्य पारिभाषिक शब्दावली,विभिन्न सिद्धांतों की जानकारी तथा अवधारणात्मक प्रश्नों की स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।आपके उत्तर देने के ढंग से ही यह पता चल जाता है कि उक्त विषय पर आपकी पकड़ कितनी है।
- (5.)वर्तमान में यदि आप कार्यरत हैं तो उससे संबंधित जानकारी (Information related to if you are currently working):यदि आप कहीं पर कार्यरत हैं तो उस कार्य की प्रकृति एवं उस कार्य से संबंधित विभिन्न प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
यदि आप किसी विशेष क्षेत्र से जुड़े हैं (यथा अभियंत्रण,अध्यापन,बैंकिंग,चिकित्सा,कंप्यूटर इत्यादि) तो उसे छोड़कर इस सेवा को क्यों ज्वाइन करना चाहते हैं तथा यह कार्यानुभव इस सेवा में किस प्रकार सहायक हो सकता है,इत्यादि प्रश्न पूछे जा सकते हैं। - (6.)यदि वर्तमान में आप पढ़ रहे हैं या कोई तकनीकी कोर्स कर रहे हैं तो इससे संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- (7.)यदि आप किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी या अन्य कोई अखिल भारतीय सेवा में कार्यरत हैं तो उसे छोड़ने का कारण,इस सेवा को ज्वाइन करने का कारण तथा उस कार्यानुभव के लाभ से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- (8.)अभिरुचि से संबंधित प्रश्न (Questions related to interest):आपकी क्या-क्या अभिरुचियाँ हैं,इससे भी संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।किसी-किसी उम्मीदवार से तो पूरे साक्षात्कार के ज्यादातर प्रश्न उसकी अभिरुचि से ही संबंधित होते हैं।अतः अपने अभिरुचि की सिर्फ सतही जानकारी नहीं रखनी चाहिए।
5.साक्षात्कार देने का निष्कर्ष (Conclusion to Giving an Interview):
- इस प्रकार उपर्युक्त विचारों से पता चलता है कि इंटरव्यू के अवसर पर इस बात को सुनिश्चित करना मुश्किल होता है कि प्रश्नोत्तर की बातचीत का सिलसिला किस मुद्दे पर आकर ठहर जाए।ऊपर दिए गए विवरण यह दिखाने के लिए काफी है कि एक चतुर उम्मीदवार जो अपने चतुर्दिक गतिविधियों से स्वयं को अवगत रखता है वह प्रश्नोत्तर में उठाए गए मुद्दों का बखूबी समाधान निकाल सकता है अथवा अपने उत्तरों से बोर्ड के सदस्यों को जरूर प्रभावित कर सकता है।इंटरव्यू में उम्मीदवार से जो प्रश्न पूछे जाते हैं वे समाचार पत्रों,पत्र-पत्रिकाओं तथा मैग्जीनों आदि में छपी खबरों पर आधारित भी होते हैं।ऐसा उम्मीदवार जो अपना कुछ समय पत्र-पत्रिकाओं के पठन-पाठन में लगाता है तथा स्वयं भी कुछ चिंतन करता है,वह जरूर कुछ ना कुछ उत्तर दे सकता है।सामाजिक गतिविधियों के बारे में इन सेवाओं के उम्मीदवारों को जानकारी तो होनी ही चाहिए।अपने विचारों की अभिव्यक्ति में किसी प्रकार का संकोच अथवा हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।साक्षात्कार के क्षण वस्तुतः मनोरंजक और जीवंत होते हैं।उम्मीदवार से जिरह करने की स्थिति कभी-कभी ही आती है।
- निजी तथा सरकारी सेवाओं में लिखित परीक्षा तथा साक्षात्कार दोनों में प्राप्तांकों को सम्मिलित कर एक वरीयता सूची बनाई जाती है और इसी को आधार मानकर अंतिम परिणाम घोषित किए जाते हैं।इन सेवाओं के साक्षात्कार परीक्षण के लिए लिखित परीक्षा के कुल अंकों का 15 से 20% निर्धारित किया जाता है।प्रतिशतता के हिसाब से यह संख्या उतना महत्त्वपूर्ण नहीं दिखती है,परंतु ऐसा सोचना असफलता को बुलावा देने जैसा साबित हो सकता है।ऐसा कहा जाता है कि लिखित परीक्षा में अच्छा प्राप्तांक लाना आपको सफल बनाता है लेकिन साक्षात्कार का प्राप्तांक आपको वरीयता सूची में आपका स्थान ऊपर ले जाता है।वरीयता क्रम में एक-एक नंबर बहुत मायने रखता है।अतः साक्षात्कार के हर परीक्षण में अच्छा से अच्छा करने की हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए।
- सामान्यतः लिखित परीक्षा में आप जैसे सफल उम्मीदवारों के प्राप्तांकों में बहुत अधिक का अंतर नहीं रहता है।सर्वोच्च स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार के प्राप्तांक तथा अंतिम स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार के प्राप्तांक में मुश्किल से 100 अंकों का अंतर रहता है और इन सौ अंकों में 2000 के लगभग उम्मीदवार होते हैं अर्थात् एक जैसे प्राप्तांक वाले लगभग 20 उम्मीदवार होते हैं।अब आप खुद ही अनुमान लगा सकते हैं कि प्रतियोगिता परीक्षा कितनी कठिन है।एक नंबर के अंतर से आपका उच्च सेवा में चयन हो सकता है या नीचे की कैटेगरी में हो सकता है या हो सकता है कि एक नंबर से आपका नाम प्रतीक्षा सूची में चला जाए।एक-एक नंबर के महत्त्व को समझें।अतः साक्षात्कार के अंकों की उपेक्षा न करें अन्यथा आप अपनी पसंदीदा सेवा में जाने का अवसर खो देंगे।
साक्षात्कार की महत्ता को दर्शाने के लिए और बहुत कुछ कहा जा सकता है और उदाहरण दिए जा सकते हैं।तात्पर्य यह है कि साक्षात्कार में यह ताकत है कि लिखित परीक्षा में प्रथम स्थान पर आए उम्मीदवार को नीचे का स्थान दिला दे और निम्नतम स्थान पर सफल उम्मीदवार को सर्वोच्च स्थान दिला दे।अतः बाद में अफसोस ना हो उसके लिए साक्षात्कार देने वाले अभ्यर्थी को आत्मविश्वास बनाए रखते हुए सहज एवं सजग रहकर तैयारी में संलग्न हो जाना चाहिए। - उपर्युक्त आर्टिकल में इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण दें (Give Educational Details in Interview),इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण कैसे दें? (How to Give Academic Records in Interview?) के बारे में बताया गया है।
Also Read This Article:3 Tips for Giving Answers in Interview
6.छात्र को दंड देने का तरीका (हास्य-व्यंग्य) (Method of Punishing Student) (Humour-Satire):
- गणित शिक्षक (छात्रों से):मेरे गणित पढ़ाने के तरीके,सवाल हल करने के तरीके के बारे में आपका क्या ख्याल है?
- एक छात्र:मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूं।
- गणित शिक्षक:वो क्या?
- छात्र:किसी छात्र-छात्रा को सवाल ना आए,सवाल हल नहीं कर पाए तो उसे डंडे से पीटने की बजाय बेंच पर खड़ा कर दिया जाए ताकि डंडों की मार और छात्र के रोने की आवाज से छात्र-छात्राओं की नींद में खलल न पड़े।
7.इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण दें (Give Educational Details in Interview),इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण कैसे दें? (How to Give Academic Records in Interview?) से संबंधित अक्षर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य क्या है? (What is the main purpose of the interview?):
उत्तर:साक्षात्कार चयन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है।सतही तौर पर साक्षात्कार आसान प्रतीत होता है लेकिन यह एक जटिल काम है क्योंकि इसका कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत होता है।इसमें अभ्यर्थी के सभी संबंधित गुणों को माप कर उनका एकीकरण करके वर्गीकृत किया जाता है।इस प्रकार साक्षात्कार चयन की एक तकनीक है जिसमें अभ्यर्थी के पूरे व्यक्तित्व और उसके आचरण व व्यवहार का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि वह संबंधित संगठन या सेवा के योग्य है या नहीं।
प्रश्न:2.साक्षात्कार का वर्गीकरण करें। (Classify the interview):
उत्तर:साक्षात्कार के विभिन्न वर्ग निम्न प्रकार हैं सुव्यवस्थित साक्षात्कार,अनिदेशात्मक,स्वतंत्र अथवा असंगठित साक्षात्कार,गहन अथवा प्रभावी साक्षात्कार,सामूहिक अथवा परिचर्चा साक्षात्कार,पैनल अथवा समिति साक्षात्कार,तनाव साक्षात्कार,निर्गम साक्षात्कार (Exit Interview)।
प्रश्न:3.सुव्यवस्थित साक्षात्कार कैसे लिया जाता है? (How is a patterned or highly organised interview conducted?):
उत्तर:इस तरह के साक्षात्कार में यह धारणा रहती है कि सभी कुछ पूर्व-निर्धारित और विस्तृत रूप से हो।किस तरह की जानकारी का आदान-प्रदान करना है,साक्षात्कार किस तरह से लेना है एवं उसका स्वरूप क्या हो,किस मुद्दे पर कितना समय देना है आदि पूर्व-निर्धारित प्रारूप में निहित होता है।यदि इससे अधिक की जानकारी कोई प्रत्याशी जानना चाहता है तो उसे बहुत ही सावधानी व चालाकी से पूर्व-निर्धारित मुद्दों पर वापस ले आया जाता है।
- उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण दें (Give Educational Details in Interview),इंटरव्यू में शैक्षिक विवरण कैसे दें? (How to Give Academic Records in Interview?)के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Satyam
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