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Geometric world

1.ज्यामितीय विश्व (Geometric world):

  • ज्यामितीय विश्व (Geometric World) उतना ही प्राचीन है जितना कि यह विश्व!बहुतो को इस कथन पर विश्वास नहीं होगा। लेकिन यदि हम अपने आसपास के संसार पर नजर डालें तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी।हमारे चारों ओर स्थित वस्तुओं की ज्यामितीय आकृतियों पर विचार करो जैसे भवन,गुंबद,अलमारी,पुस्तकें,डिस्क,बेलन,तंबू आदि।इनमें कितनी ही वस्तुएं वृत्ताकार,कितनी ही वस्तुएं घनाभाकार,कितनी वस्तुएं गोलाकार,कितनी वस्तुएं बेलनाकार,कितनी वस्तुएं शंक्वाकार,दीर्घवृत्ताकार,परवल-परवलयज के आकार की हैं।
  • यदि इन वस्तुओं को गौर से देखें तो इनकी कोई न कोई ऐसी आकृति दिखाई देगी जिसका ज्यामिति में अध्ययन होता है।हमारी यह पृथ्वी,चंद्रमा,बुध,शुक्र,बृहस्पति,शनि,प्लेटो इत्यादि ग्रह-उपग्रह गोलाकार हैं।ये सभी ग्रह गोलाकार सूर्य की एक खास कक्षा दीर्घवृत्त में परिक्रमा करते हैं। इस विश्व-ब्रह्मांड में हमारे सूर्य की तरह करोड़ों-अरबों सूर्य हैं।हमारी अपनी आकाशगंगा-मंदाकिनी की तरह करोड़ों मंदाकिनीयाँ हैं।आकाश के ये सभी पिण्ड एक ज्यामितीय आकृति के हैं और विशेष ज्यामितीय वक्रों कि में ही यह एक-दूसरे की परिक्रमा करते रहते हैं।
  • संक्षेप में यह संपूर्ण विश्व ज्यामितिमय है।इसकी रचना तथा गति-स्थिति का अध्ययन केवल ज्यामितीय गणित से ही संभव है।इस सदी के महान् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने तो स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस विश्व के गुणधर्मों को केवल ज्यामिति से ही जाना जा सकता है।
  • अब प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या इस विश्व की रचना किसी ‘भगवान’ ने की है?यदि इस विश्व का रचियता कोई सर्वशक्तिमान ‘भगवान’ रहा है तो वह कैसा था?वह आदमी था या बंदर था या मगरमच्छ था। हम तो सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि उसका दिमाग कितना बड़ा था?एक ज्यामितिमय विश्व की रचना करने के लिए तो उसके दिमाग में सारी ज्यामिति भरी होती होनी चाहिए।वह एक बहुत बड़ा ज्यामितिकार होना चाहिए।
  • दरअसल हम यह भी नहीं जानते कि विश्व का कोई कर्ता भी है।लेकिन यदि कोई कर्ता है तो उसकी बुद्धि के बारे में हमें फिर से विचार करना होगा। हमारे सारे धर्मों के सारे देवी-देवताओं के दिमागों को मिलाकर भी देखा जाए तो वे सारे दिमाग विश्व के निर्माण के लिए अयोग्य साबित होते हैं।इसलिए हमारे सारे देवी-देवता मिलकर भी विश्व के कर्ता नहीं हो सकते।
  • फिर भी इस विश्व की योजनाबद्ध रचना को देखने से हमारे मन में कभी-कभी यह भी ख्याल आता है: कहीं इस विश्व की रचना गणित के आधार पर तो नहीं हुई है?कहीं इस विश्व का कर्ता एक महान ज्यामितीकार या एक महान गणितज्ञ तो नहीं रहा है?
    आज से लगभग 2400 वर्ष पहले यूनान के महान् दार्शनिक प्लेटो (अफलांतून) ने तो स्पष्ट शब्दों में कहा था कि इस विश्व का निर्माता एक महान ज्यामितीकार है।
  • प्लेटो एक प्रसिद्ध विद्यालय के संस्थापक और संचालक थे और उन्होंने इस विद्यालय के बाहरी दरवाजे के ऊपर लिखा था:
    ज्यामिति न जानेवाले के लिए इस विद्यालय में प्रवेश मना है।
  • सबसे मजेदार बात तो यह है कि यूक्लिड की पढ़ाई इस विद्यालय में हुई थी।वह अपने विद्यार्थी जीवन में इस विद्यालय के विद्यार्थी थे।रोज विद्यालय में प्रवेश करते हुए समय दरवाजे के ऊपर लिखे हुए इस वाक्य को वे पढ़ लेते थे!
    उपर्युक्त आर्टिकल में ज्यामितीय विश्व (Geometric world) के बारे में बताया गया है।
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2.ज्यामितीय विश्व का सारांश (Conclusion of Geometric World):

  • इन ज्यामितिमय विश्व का कर्ता भगवान नहीं है क्योंकि जो कर्ता होता है वह भोक्ता भी होता है। प्रकृति (विश्व),जीव,भगवान् अनादि अनंत है।विश्व का सूक्ष्म रूप (निराकार रूप) हमेशा बना रहता है परंतु साकार रूप का निर्माण और नष्ट होता रहता है।
  • भगवान कर्ता नहीं है साक्षी है।प्रकृति के समस्त कार्य उसकी (भगवान्) शक्ति से ही होते हैं।भगवान सर्वव्यापक है।भगवान की शक्ति के बिना विश्व का कोई कार्य नहीं हो सकता है क्योंकि जड़ प्रकृति कुछ नहीं कर सकती है।प्रकृति सत् (सत्य) है,जीव सत् (सत्य) और चित्त (चैतन्य) है तथा भगवान् सत् (सत्य),चित्त (चैतन्य) व आनंदमय है।
  • जैसे पानी की शक्ति से बिजली उत्पन्न की जाती है। इसमें पानी की कोई इच्छा नहीं है कि वह बिजली उत्पन्न करें परंतु उसकी शक्ति से बिजली उत्पन्न की जा सकती है तथा अन्य कार्य किए जा सकते हैं। इसी प्रकार समस्त ब्रह्मांड में परमात्मा व्याप्त है जिसकी शक्ति से संपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं।यह ज्यामितिमय विश्व भी उसी की शक्ति का एक रूप है।

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3.ज्यामितीय विश्व (Geometric world) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

प्रश्न:1.गणितज्ञ हिप्पोक्रेत का योगदान क्या है? (What is the contribution of mathematician Hippocrates?):

उत्तर:हिप्पोक्रेत ने ज्यामिति पर एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम था ‘ज्यामिति के मूलतत्व’।यूनानी लोग अनेक देवी-देवताओं को मानते थे।इनमें एक प्रमुख देवता था एपोलो।इन देवताओं की ओर से कुछ खास व्यक्ति ‘भविष्यवाणी’ करते थे।ईसा पूर्व 430 में देलोस द्वीप में प्लेग फैला तो उसके निवारण के लिए एपोलो के भविष्यवक्ता से उपाय पूछा गया।देवता की ओर से आदेश सुनाया गया-देवता की वेदिका का आकार दुगना कर देने से इस महारोग का निवारण हो सकेगा!
भारत की प्राचीन ज्यामिति की चर्चा करते समय हम बदला चुके हैं कि वेदियों के निर्माण के साथ ही भारत में ज्यामिति की स्थापना हुई।यूनान में भी देवी-देवताओं के लिए वेदियाँ बनती थी।एपोलो की वेदी घनाकार (क्यूबिक) थी।भविष्यवक्ता के अनुसार इसी घनाकार वेदी को दुगुने आकार का बनाना था।हिप्पोक्रेत ने इस समस्या का हल खोज निकाला।

प्रश्न:2.यूनान में किस विषय को महत्त्व दिया जाता था? (Which subject was given importance in Greece?):

उत्तर:सभी संख्याएँ परिमेय नहीं होती है।पाइथेगोर ने अपरिमेय संख्याओं की खोज की थी।दरअसल संख्या सिद्धांत आज उच्च गणित का विषय है।परंतु यूनान में ज्यामिति को ही विशेष महत्व दिया जाता था और संख्याशास्त्र का अध्ययन ज्यामिति की सहायता से ही होता था।भारत की तरह यूनान में बीजगणित का अधिक विकास नहीं हो पाया था।

प्रश्न:3.दाशमिक मान पद्धति का विकास कहाँ हुआ? (Where did the decimal value system develop?):

उत्तर:आज हम सभी संख्याओं को केवल 10 अंक संकेतों की सहायता से लिखते हैं।इस दाशमिक स्थानमान अंक-पद्धति का आविष्कार भारत देश में हुआ था।आज संसार के सभी देशों में इस भारतीय अंक-पद्धति का ही इस्तेमाल होता है।परंतु एक जमाना था जब संसार की प्राचीन सभ्यताओं में विभिन्न अंक-पद्धतियों का प्रचलन था।यूनानी गणितज्ञ ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों से संख्याओं को लिखते थे।

उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा ज्यामितीय विश्व (Geometric world) के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Geometric world

ज्यामितीय विश्व (Geometric world)

Geometric world

ज्यामितीय विश्व (Geometric World) उतना ही प्राचीन है जितना कि यह विश्व!बहुतो को इस कथन पर विश्वास नहीं होगा। लेकिन यदि हम अपने आसपास के संसार पर नजर डालें तो यह बात स्पष्ट हो जाएगी।हमारे चारों ओर स्थित वस्तुओं की ज्यामितीय आकृतियों पर विचार करो

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