The calculus of finite differences
परिमित अन्तर कलन का परिचय (Introduction to The Calculus Of Finite Differences):
- परिमित अन्तर कलन (The Calculus Of Finite Differences):अनुप्रयुक्त गणित (Applied Mathematics) में समस्याओं का ऐच्छिक कोटि की शुद्धता तक हल करने के लिए संख्यात्मक विधियों का प्रयोग किया जाता है।अभियांत्रिकी,विज्ञान,उद्योग आदि क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने के लिए केल्कुलेटिंग मशीनों तथा इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटरों के उपयोग से संख्यात्मक विधियों का प्रयोग और बढ़ गया है।
- यदि y=f(x),\left(a\leq{x}\leq{b}\right),x का एक फलन है तो अन्तराल [a,b] में x के प्रत्येक मान के लिए,y का मान प्रतिस्थापन द्वारा किया जा सकता है।यदि फलन f ज्ञात न हो तो परिमित अन्तर कलन की सहायता से फलन का सन्निकट मान ज्ञात करके y का मान ज्ञात किया जा सकता है।परिमित अन्तर कलन में स्वतन्त्र चर (Independent Variable) में समान अथवा असमान अन्तराल से हुए परिवर्तनों से आश्रित चर (Dependent Variable) में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
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परिमित अन्तर कलन (The Calculus Of Finite Differences):
- व्यापक रूप में प्रथम अग्रान्तर को
\triangle{f(x)}=f(x+h)-f(x)
द्वारा परिभाषित किया जाता है जहाँ h अन्तर का अन्तराल है।
प्रथम अग्रान्तरों का अन्तर \triangle{f(a+h)}-\triangle{f(a)} फलन f(x) द्वितीय अग्रान्तर (second forward difference) कहलाता है तथा इसे {\triangle}^{2}f(a) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
- उपर्युक्त आर्टिकल में परिमित अन्तर कलन (The Calculus Of Finite Differences) के बारे में बताया गया है।
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