Field of Quotients in Abstract Algebra
1.अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra),वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अन्त:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain):
अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra) के इस आर्टिकल से सम्बन्धित दो आर्टिकल वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) व वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अंत:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain) पोस्ट कर चुके हैं। यह इस अध्याय का अन्तिम आर्टिकल है।
प्रमेय (Theorem):1.एक पूर्णांकीय प्रान्त का भागफल क्षेत्र सबसे छोटा है जिसमें वह पूर्णांकीय प्रान्त अन्तर्विष्ट (निहित) है
(Field of quotients of an integral domain is the smallest field containing it.)
उपपत्ति (Proof):माना कि D एक पूर्णांकीय प्रान्त है तथा D को निहित करनेवाला क्षेत्र K है इसलिए
F=\left\{\frac{a}{b}:: a, b \in D \text { तथा } b \neq 0\right\} \\ a, b \in D, b \neq 0 \Rightarrow a, b \in K, b \neq 0 [चूँकि D \subset K ]
\Rightarrow ab^{-1} \in K [चूँकि,K क्षेत्र है]
अब माना कि K^{\prime}=\left\{a b^{-1}:: a, b \in D \text { तथा } b \neq 0\right\} तब K^{\prime} \subset K हम सिद्ध करेंगे कि K’,K का उपक्षेत्र है तथा K^{\prime} \cong F जहाँ F,D का भागफल क्षेत्र है।
(i) K’ को K का उपक्षेत्र सिद्ध करने के लिए हमें सिद्ध करना होगा कि
x, y \in K^{\prime} \Rightarrow x-y \in K^{\prime}, x, y \in K^{\prime}, y \neq 0 \\ \Rightarrow x y^{-1} \in K^{\prime}
माना x=a b^{-1} ; y=c d^{-1} किसी a, b, c, d \in D \exists b, d \neq 0 \\ \therefore x-y =a b^{-1}-c d^{-1} \\ =a d d^{-1} \cdot b^{-1}-c b b^{-1} d^{-1} \\ =(a d-cb) b^{-1} d^{-1} [चूँकि D एक क्रमविनिमेय वलय है]
\therefore x \in K^{\prime}, y \in K^{\prime} \Rightarrow x-y \in K^{\prime}
अब x, y \in K^{\prime} ; y \neq 0 \Rightarrow x=ab^{-1}, y=cd^{-1} \neq 0 किन्हीं a, b, c, d \in R इस प्रकार की b, d \neq 0 \\ \Rightarrow x y^{-1}=\left(ab^{-1}\right)\left(c d^{-1}\right)^{-1} \\ \Rightarrow xy^{-1}=\left(ab^{-1}\right) \left[\left(d^{-1}\right)^{-1} c^{-1}\right] \\ \Rightarrow x y^{-1}=ab^{-1}\left(d c^{-1}\right) \\ \Rightarrow x y^{-1}=a\left(a b^{-1}\right) c^{-1}=(a d)(cb)^{-1}
इसी प्रकार की c b \neq 0, a,d, c, b \in D \\ \Rightarrow xy^{-1} \in K^{\prime} \\ \therefore K', K का उपक्षेत्र है।
(ii) F \cong K^{\prime} सिद्ध करने के लिए एक प्रतिचित्रण f:F=K’
f\left(\frac{a}{b}\right)=ab^{-1} \forall \frac{a}{b} \in F परिभाषित किया
अब f\left(\frac{a}{b}\right)=f\left(\frac{c}{d}\right) \Rightarrow a b^{-1}=cd^{-1} \\ \Rightarrow a b^{-1} b=cd^{-1} b \\ \Rightarrow a e=c b d^{-1} \\ \Rightarrow a d=c b \cdot d^{-1} d \\ \Rightarrow a d =c b \\ \Rightarrow (a, b) =(c, d) \\ \Rightarrow(a, b) \sim(c, d) \Rightarrow \frac{a}{b}=\frac{c}{d} \\ \therefore f एकैकी है
a b^{-1} \in K^{\prime} के लिए \frac{a}{b} \in F ऐसा अवयव विद्यमान है कि f\left(\frac{a}{b}\right)=a b^{-1}
इसलिए आच्छादक है।
अन्त में f\left(\frac{a}{b}+\frac{c}{d}\right)=f\left(\frac{a d+b c}{b d}\right) \\ =(a d+b c)\left(bd\right)^{-1}\\=(a d+b c)\left(d^{-1} b^{-1}\right) \\ =a d d^{-1} b^{-1}+b c d^{-1} b^{-1} \\ =a b^{-1}+c d^{-1}
[चूँकि a, b, c, d \in D तथा D क्रमविनिमेय वलय है]
=f\left(\frac{a}{b}\right)+f\left(\frac{c}{d}\right)
तथा f\left(\frac{a}{b} \cdot \frac{c}{d}\right)=f\left(\frac{a c}{b d}\right) \\ =a c(b d)^{-1} \\ =a c\left(d^{-1} b^{-1}\right) \\ =(ab^{-1})\left(c d^{-1}\right) \\ =f\left(\frac{a}{b}\right) f\left(\frac{c}{d}\right) \\ \therefore f: F \Rightarrow K^{\prime} वलय तुल्यकारिता है अतः F \simeq K^{\prime}\\ \therefore यदि D किसी भी क्षेत्र K में निहित हैं तो F भी उस क्षेत्र में निहित होगा।अतः पूर्णांकीय प्रान्त D का भागफल F सबसे छोटा क्षेत्र है जिसमें D निहित है।
प्रमेय (Theorem):2. एक परिमित पूर्णांकीय प्रान्त का विभाग क्षेत्र पूर्णांकीय प्रान्त स्वयं ही होता है।
(The field of quotients of a finite integral domain coincides with itself.)
उपपत्ति (Proof):माना कि परिमित पूर्णांकीय प्रान्त D है तब D एक क्षेत्र भी होगा तब वह छोटे-से-छोटा क्षेत्र है जिसमें D निहित है।इसलिए D=भागफल क्षेत्र F
प्रमेय (Theorem):3.शून्य अभिलक्षण का प्रत्येक अभाज्य क्षेत्र परिमेय संख्याओं के क्षेत्र Q के तुल्यकारी होता है।
(Every prime field of characteristic zero is isomorphic to the field Q of rational numbers.)
उपपत्ति (Proof):माना कि F एक शून्य अभिलक्षण का अभाज्य क्षेत्र है तो अभिलक्षण की परिभाषा से F एक अपरिमित क्षेत्र अवश्य होगा।यह भी माना कि F का गुणज तत्समक अवयव e है।अब निम्न समुच्चय को लीजिए:
F^{\prime}=\{n e \mid n \in z\}
स्पष्टतः F^{\prime} \subset F
प्रतिचित्रण \phi^{\prime}: Z \rightarrow F^{\prime} ; \phi(x)=n e \forall n \in z के \forall m,n \in z लिए हम देखते हैं कि के लिए
\phi(m+n)=(m+n) e=m e+n e=\phi(m)+\phi(n)
तथा \phi(m n)=(m n) e=(m e)(ne)= \phi(m) \phi(n)
पुन: \phi(m)=\phi(n) \Rightarrow m e=n e \\ \Rightarrow(m-n) e=0 \\ \Rightarrow m=n \\ \therefore \phi एकैकी है
सुस्पष्ट है कि \phi आच्छादक भी है।
अत: \phi एकैकी, आच्छादक समाकारिक Z से F’ में है अर्थात् \phi पूर्णांकीय प्रान्त F’ पर एक तुल्यकारिता (Isomorphism) है।
अभाज्य क्षेत्र F जिसमें पूर्णांकीय प्रान्त F’ आविष्ट है, आवश्यक रूप से F’ का विभाग क्षेत्र \frac{ne}{me},n \neq 0 F’ का विभाग क्षेत्र =\{(n e)(m e)^{-1}, m \neq 0, m,n \in z\}
साथ ही Q पूर्णांकीय प्रान्त Z विभाग क्षेत्र हैं तथा \frac{n}{m} \in Q, m \neq 0 या n m^{-1} \in Q, m \neq 0
तब F \cong Q तथा \phi: Q \rightarrow F, \phi\left(\frac{n}{m}\right)=\frac{n e}{m e} या \phi \rightarrow F, \phi\left(n m^{-1}\right)=n e(m e)^{-1}
जो कि संगत तुल्यकारिता है।
यही सिद्ध करना था।
प्रमेय (Theorem):4.एक शून्य अभिलक्षण P का अभाज्य क्षेत्र Z_{p},के तुल्यकारी होता है।
(A prime field of characteristic q \neq 0 is isomorphic to the field Z_{p}.)
उपपत्ति (Proof):माना कि F अशून्य अभिलक्षण p का अभाज्य क्षेत्र है तब p भी अभाज्य संख्या होगी।
माना कि e, F की इकाई है तब क्षेत्र की अभिलक्षण परिभाषा से
p.e=0
निम्न समुच्चय की रचना करो:
F^{\prime}=\{n e \mid 0 \leq n \leq p-1\}
तथा प्रतिचित्रण \phi को निम्न प्रकार परिभाषित कीजिए:
\phi=Z_{p} \rightarrow F^{\prime} ; \phi(n)=n e \quad 0 \leq n \leq p-1
अब यदि m e \in F^{\prime}, n e \in F^{\prime} तब 0 \leq m \leq p-1,0 \leq n \leq p-1 \\ m e+n e=\left\{\begin{matrix}(m+n) e \text { यदि } 0 \leq m+n \leq p-1 \\ (m+n-p) e \text { यदि } m+n>p \end{matrix}\right. \\ =(m+_{p} n) e
m e . n e=(m .n) e^{2} \\ =(m.n) e \\ =(r p+q) e जहाँ 0 \leq q<p तथा r \in z^{+} \\ =q e [चूँकि (rp)e=r(pe)=r.0=0]
=(m \bullet_{p} n) e
अत: \forall m, n \in Z_{p} के लिए
तथा \phi(m +_{p} n)=(m +_{p} n) e=m e+n e=\phi(m)+\phi(n) \\ \therefore \phi समाकारिता है।
साथ ही \phi(m)=\phi(n)
\Rightarrow m e=n e \\ \Rightarrow m e-n e=0 \\ \Rightarrow p \mid(m-n) \\ \Rightarrow m-n=0 [चूँकि m-n<p]
\Rightarrow m=n
\therefore \phi एकैकी है।
F’ की रचना से \phi आच्छादक है।अतः \phi तुल्यकारिता है।
चूँकि Z_{p} एक क्षेत्र है इसलिए F’ भी क्षेत्र होना चाहिए
अत: F’, F का उपक्षेत्र है।परन्तु F एक अभाज्य क्षेत्र है इसलिए
F’=F
फलत: F^{\prime} \cong Z_{p}
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2.अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र के साधित उदाहरण (Field of Quotients in Abstract Algebra Solved Examples):
Example:1.यदि R=\{a+b \sqrt{2} \mid a, b \in z\} तो सिद्ध कीजिए कि R एक पूर्णांकीय प्रान्त है, इसका विभाग क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
(If R=\{a+b \sqrt{2} \mid a, b \in z\} then show that R is an integral domain its field of quotients.)
Solution:संवृत्तता (Closure Property):
\forall x=a_{1}+b_{1}\sqrt{2}, y=a_{2}+b_{2} \sqrt{2} \\ x, y \in R, a_{1}, b_{1}, a_{2}, b_{2} \in z \\ x+y=\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right)+\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) \\ \Rightarrow x+y= \left(a_{1}+a_{2}\right)+\sqrt{2}\left(b_{1}+b_{2}\right) \\ a_{1}+a_{2}, b_{1}+b_{2} \in R \\ x \cdot y=\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) \cdot\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}+2 b_{1} b_{2}\right)+\sqrt{2}\left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}\right) \\ a_{1} a_{2}+2 b_{1} b_{2}, a_{1} b_{2}+b_{1} a_{2} \in R
अत: संवृत्त है।
(2.)साहचर्यता (Associativity):
योग का साहचर्य (Associativity of Addition)
माना x_{1}=a_{1}+b_{1} \sqrt{2}, y=a_{2}+b_{2} \sqrt{2}, z=a_{3}+b_{3} \sqrt{2} \in R \\ (x+y)+z=\left\{\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right)+\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right)\right\}+\left(a_{3}+b_{3} \sqrt{2}\right) \\ =\left[\left(a_{1}+a_{2}\right)+\left(b_{1}+b_{2}\right) \sqrt{2}\right]+\left(a_{3}+b_{3} \sqrt{2}\right) \\ =\left(a_{1}+b_{2}\right)+a_{3}+\left[\left(b_{1}+b_{2}\right)+b_{3}\right] \sqrt{2} \\ =\left(a_{1}+a_{2}+a_{3} \right) +\left(b_{1}+b_{2}+b_{3}\right) \sqrt{2} \\ =a_{1}+\left(a_{2}+a_{3}\right)+b_{1} \sqrt{2}+\left(b_{2} +b_{3} \right) \sqrt{2} \\ =\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) +\left[\left(a_{2}+a_{3}\right) +\left(b_{2}+b_{3} \right) \sqrt{2}\right] \\=\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right)+\left[\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right)+ \left(a_{3}+ b_{3} \sqrt{2}\right)\right] \\ =x+(y+z) \\ \Rightarrow(x+y)+z =x+(y+z)
योग के लिए सहचारी है।
(xy)z=\left[(a_{1}+b_{1} \sqrt{2})\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right)\right]\left(a_{3}+b_{3} \sqrt{2}\right) \\=\left[a_{1} a_{2}+2 b_{1} b_{2}+\sqrt{2}\left(a_{1} b_{2}+b_{1} a_{2}\right)\right]\left(a_{3}+b_{3} \sqrt{2}\right) \\ =a_{1} a_{2} a_{3}+2 b_{1} b_{2} a_{3}+2\left(a_{1} b_{2}+a_{2} b_{1}\right)b_{3}+\sqrt{2} \left(a_{1} a_{2} b_{3}+2 b_{1} b_{2} b_{3}+a_{1} b_{2} a_{3}+a_{2} a_{3} b_{1}\right) \\ =\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right)\left[\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right)\left(a_{3}+b_{3} \sqrt{2}\right)\right] \\ =x(y z) \\ \Rightarrow (x y) z=x(y z)
अत: गुणन के लिए सहचारी है।
फलतः R सहचारी है।
(3.)योग के लिए क्रमविनिमेय (Commutativity of Addition):
x+y =a_{1} \sqrt{2} b_{1}+a_{2}+b_{2} \sqrt{2} \\ =a_{1}+a_{2}+\sqrt{2}\left(b_{1}+b_{2}\right) \\ =a_{2}+a_{1} +\sqrt{2}\left(b_{2}+b_{1}\right) \\ =a_{2}+a_{1}+\sqrt{2} b_{2}+\sqrt{2} b_{1} \\ =\left(a_{2}+\sqrt{2} b_{2}\right)+\left(a_{1}+\sqrt{2} b_{1}\right) \\ =y+x \\ \Rightarrow x+y =y+x
अत: योग के लिए क्रमविनिमेय है।
(4.)प्रतिलोम का अस्तित्व (Existence of Inverse):
प्रत्येक x \in R के लिए R में एक अवयव y ऐसा होता है कि
x+y=y+x=0 \forall x, y \in R \\ \Rightarrow \left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right)+\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) =0 \\ \Rightarrow a_{1}+b_{1} \sqrt{2}=-\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) \\ \Rightarrow a_{1}=-a_{2}, b_{1}=-b_{2} \\ \Rightarrow -a_{2},-b_{2} \in R
अत: प्रतिलोम का अस्तित्व है।
(5.)तत्समक अवयव का अस्तित्व (Existence of Identity):
x+0=0+x=x \quad \forall x\in R \\ \Rightarrow a_{1}+b_{1} \sqrt{2}+0=a_{1}+b_{1} \sqrt{2}
अत: 0 \in R \\ \left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) \cdot 1=a_{1}+b_{1} \sqrt{2} \\ 1 \in R
फलतः तत्समक अवयव का अस्तित्व है।
(6.)शून्य भाजक रहित वलय (Ring without zero divisor):
x=a_{1}+b_{1} \sqrt{2} \neq 0, y=a_{2}+b_{2} \sqrt{2}=0
तब x.y =\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) \cdot\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}+2 b_{1} b_{2}\right)+\sqrt{2}\left(a_{1} b_{2}+b_{2} a_{1}\right)\neq 0
अत:शून्य भाजक रहित वलय है।
(7.)गुणन के लिए तत्समक (Commutativity of Multiplication):
x.y =\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) \cdot\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right) \\ =\left(a_{1} a_{2}+2 b_{1} b_{2}\right)+\sqrt{2}\left(a_{1} b_{2}+b_{2} a_{1}\right) \\ =\left(a_{2}+b_{2} \sqrt{2}\right).\left(a_{1}+b_{1} \sqrt{2}\right) \\ =y.x \\ \Rightarrow x.y=y.x
अत: के लिए क्रमविनिमेय है।
फलतः R एक पूर्णांकीय प्रान्त है।
माना F एक विभाग क्षेत्र है तब
F=\left\{\frac{a+b \sqrt{2}}{x+y \sqrt{2}} : a, b, x, y \in z\right\} \\ =\left\{\frac{a+b \sqrt{2}}{x+y \sqrt{2}} \cdot \frac{x-y \sqrt{2}}{x-y \sqrt{2}}: a, b, x, y \in z\right\} \\ =\left\{\frac{a x-2 b y}{x^{2}-2 y^{2}}+ \frac{\sqrt{2}(b x-a y)}{x^{2}-2 y^{2}} : a, b, x, y \in z\right\} \\ F \subseteq F_{1} जहाँ F_{1}=\left\{c+d \sqrt{2}: c, d \in Q\right\}
तब c+d\sqrt{2}=\frac{a x-2 b y}{x^{2}-2 y^{2}}+\sqrt{2} \frac{(b x-a y)}{x^{2}-2 y^{2}}
जहाँ a x-2 b y, x^{2}-2 y^{2}, b x-a y, x^{2}-2 y^{2} \in z \\ c+d \sqrt{2} \in F_{1} \Rightarrow c+d \sqrt{2} \in F \\ F_{1} \subset F \\ F_{1}=\left\{c+d \sqrt{2} : c, d \in Q\right\} विभाग क्षेत्र है।
Example:2.एक पूर्णांकीय प्रान्त D को अन्तर्विष्ट करनेवाले किसी क्षेत्र में एक उपक्षेत्र होता है जो D के विभाग क्षेत्र के तुल्यकारी होता है।
(A field containing an integral domain D contains a subfield isomorphic to the field of quotient of D.)
उपपत्ति (Proof):D, F में अन्तर्विष्ट है तथा a \in D और b \neq 0 \in D इस प्रकार a \in F तथा b \neq 0 \in F \Rightarrow a b^{-1} \in F \\ F^{\prime} \subset F जिसके अवयव ab^{-1} प्रकार के है, जहाँ a \in D, b \neq 0<D
सर्वप्रथम हम सिद्ध करेंगे कि F’ उपक्षेत्र है
(i) a \in F, b \in F^{\prime} \Rightarrow a-b \in F
(ii) a \in F^{\prime}, b \neq 0 \in F^{\prime} \Rightarrow a b^{-1} \in F^{\prime}
(i)माना a b^{-1}, c d^{-1}(b \neq 0) तथा (d \neq 0) \in F^{\prime}
तब a b^{-1}-c d^{-1}=a d d^{-1} b^{-1} - c b b^{-1} d^{-1}\\ =a d d^{-1} b^{-1}-b c d^{-1} b^{-1}\\ =(a d-b c) d^{-1} b^{-1}\\ =(a d-b c)(bd)^{-1} \in F^{\prime} \\ a d-b c \in F तथा b d \neq 0 \in D
(ii) a b^{-1} \in F, c d^{-1} \in F, b \neq 0, d \neq 0
माना cd^{-1} \neq 0 \Rightarrow c \neq 0 \\ \left(a b^{-1}\right)(c d^{-1})^{-1}=\left(a b^{-1}\right) \left( d c^{-1}\right)=a d\left(c b\right)^{-1} \in F^{\prime}
[\because a d \in D तथा C \neq 0, b \neq 0 ; cb \neq 0 \in D तथा D, F में अन्तर्विष्ट है]
\left(ad \right) (cb)^{-1} \in F \Rightarrow(a d)(c b)^{-1} \in F^{\prime} [उपक्षेत्र की परिभाषा से]
k=\left\{\frac{a}{b}: a \in D, b \neq 0 \in D \right\} \\ F=\{a b^{-1} \because a \in D ; b \neq 0 \in D\} \\ f=K \rightarrow F^{\prime} \\ f\left(\frac{a}{b}\right)=a b^{-1} \forall \frac{a}{b} \in k तथा a b^{-1} \in F^{\prime}
f एकैकी है।
f\left(\frac{a}{b}\right)=f\left(\frac{c}{d}\right) \Rightarrow a b^{-1}=c d^{-1}\\ \Rightarrow a b^{-1} b d=cd^{-1} b d \Rightarrow a d=c b d^{-1} d \\ \Rightarrow a d=b c \\ \Rightarrow \frac{a}{b}=\frac{c}{d}
f आच्छादक है।
f\left(\frac{a}{d}+\frac{c}{d}\right)=f\left(\frac{a d+b c}{b d}\right)=(a d+b c)(b d)^{-1} \\ =(a d+bc) \left(d^{-1} b^{-1}\right) \\ =a d d^{-1} \cdot b^{-1}+b c d^{-1} b^{-1} \\ =ab^{-1}+b c d^{-1} b^{-1} \\ =a b^{-1}+c d^{-1} \\ =f\left(\frac{a}{b}\right)+f\left(\frac{c}{d}\right) \\ f\left(\frac{a}{b} \cdot \frac{c}{d}\right)=f\left(\frac{a c}{bd} \right)=(a c)(b d) \\ =(a c)(b^{-1} d^{-1})\\ =(a b^{-1})(cd^{-1})\\ =f\left(\frac{a}{b}\right) \cdot f\left(\frac{c}{d}\right) \\ f : K \rightarrow F^{\prime} तुल्यकारी है।
फलतः K \cong F^{\prime} \Rightarrow F^{\prime} \cong K
उपर्युक्त उदाहरणों के द्वारा अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra),वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अन्त:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain) को समझ सकते हैं।
3.अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र पर आधारित सवाल (Questions Based on Field of Quotients in Abstract Algebra):
(1.)यदि R=\{a \mid b \sqrt{3}: a, b \in z\} तो सिद्ध करो कि R इकाई सहित पूर्णांकीय प्रान्त है।इसका विभाग क्षेत्र भी ज्ञात करो।
(If R=\{a \mid b \sqrt{3}: a, b \in z\} show that R is an integral domain with unity.Obtain its field of quotients)
(2.)पूर्णांकीय प्रान्त j{i}=\{a+i b ; a, b \in Z\} का विभाग क्षेत्र ज्ञात करो।
(Find the field of quotient of the integral domain j{i}=\{a+i b ; a, b \in Z\}.)
उत्तर (Answers): (1) R=\{a \mid b \sqrt{3}: a, b \in z\}
(2)F_{1}=\{x+i y \geq x, y \in Q\}
उपर्युक्त सवालों को हल करने पर अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra),वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अन्त:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain) को ठीक से समझ सकते हैं।
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4.अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra),वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अन्त:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain) के सम्बन्ध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न:1.पूर्णांकीय प्रान्त से क्या तात्पर्य है? (What does the integral domain mean?):
उत्तर:वह वलय जो इकाई सहित हो तथा शून्य भाजक रहित तथा क्रमविनिमेय हो तो उस वलय को पूर्णांकीय प्रान्त कहते हैं।
(A ring with unity without zero divisor and commutative is Called an integral domain.)
प्रश्न:2.भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र से क्या तात्पर्य है? (What is meant by field of quotient of integral domain?):
उत्तर:माना कि D एक पूर्णांकीय प्रान्त है जिसमें एक से अधिक अवयव हैं तब (F, f), D का भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्रफल कहलाता है जहाँ F एक क्षेत्र है तथा f एकैकी समाकारिता D से F में है जिससे प्रत्येक a \in F को \frac{f(x)}{f(y)}, किसी x, y \in D परन्तु y \neq 0 के रूप में व्यक्त किया जा सके।
प्रश्न:3.क्षेत्र को परिभाषित कीजिए। (Define the field):
उत्तर:कम से कम दो अवयव वाले एक वलय R को क्षेत्र कहते हैं यदि R के शून्येतर अवयव गुणन संक्रिया के लिए क्रमविनिमेय ग्रुप हो अर्थात् एक वलय R, क्षेत्र कहलाता है यदि इसमें कम से कम दो अवयव हैं तथा गुणन संक्रिया के लिए
(i)क्रमविनिमेय है।
(ii) इनमें इकाई अवयव है।
(iii) इसके प्रत्येक शून्येतर (non zero) अवयव का गुणात्मक प्रतिलोम R में विद्यमान है।
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर द्वारा अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra),वलय तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अन्त:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain)के बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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Field of Quotients in Abstract Algebra
अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र
(Field of Quotients in Abstract Algebra)
Field of Quotients in Abstract Algebra
अमूर्त बीजगणित में भागफल क्षेत्र या विभाग क्षेत्र (Field of Quotients in Abstract Algebra) के
इस आर्टिकल से सम्बन्धित दो आर्टिकल वलय समाकारिता (Ring Homomorphism) व वलय
तथा पूर्णांकीय प्रान्त का अंत:स्थापन (Embedding of Ring and Integral Domain) पोस्ट
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Satyam
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